hotaks444
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काफ़ी देर ये खेल चलता रहा. आखिर अखिर में बेचारी की बुरी हालत हो गयी, लंड सूज कर लाल हो गया, मैंने खुद को मन ही मन शाबाशी दी कि उसकी ऐसी हालत करने में मैं कामयाब हुआ था. आखिर में उसने मेरा सिर पकड़ा, कस के अपने पेट पर दबाया और मेरे मुंह में लंड पूरा पेल कर धक्के मारने लगा. मैं चुपचाप पड़ा रहा कि देखें क्या करता है. आखिर आखिर में तो मुझे नीचे करके उसने मेरे मुंह को चोद ही डाला. जब झड़ा तब भी मैं चुपचाप पड़ा रहा, बिना झिझके उसका वीर्य निगल गया. उसकी बात सच थी, खारा कसैला सा स्वाद था पर मुझे खराब नहीं लगा, शायद इसलिये कि अब मेरा लंड भी फ़िर से पूरा तन कर खड़ा हो गया था.
आखिर जब ललित मुझपर से हट कर लस्त होकर लेट गया तो मैंने उसकी छाती सहलाकर कहा "रूल तोड़ दिया तूने ललित, ये अच्छा नहीं किया. इसकी पेनाल्टी पड़ेगी तेरे को"
"सॉरी जीजाजी" ललित बोला. पर उसकी आंखों में चमक थी "आप ने सब पी लिया जीजाजी?"
मैंने कहा "हां, वो तो चखना ही था. जवानी की क्रीम है आखिर, कौन छोड़ेगा! मजा आया तेरे को?"
"हां जीजाजी, बहुत मस्त, इतना मजा तो मां और दीदी के चूसने में भी नहीं आता" ललित मुझसे चिपक कर बोला.
"ठीक है, तो उसकी कीमत दे दे अब मेरे को. बोल, इसको कैसे खुश करेगा?" अपना तन्नाया लंड उसे दिखा कर मैंने पूछा.
वो चुप रहा. सोच रहा था कि क्या करूं. वैसे शायद खुशी खुशी वो मुझे एक बार और चूस डालता, पर उसके कुछ कहने के पहले की मैंने कहा "अब तो चोद ही डालता हूं तेरे को, उसके बिना ये दिल की आग नहीं ठंडी नहीं होगी मेरी"
बेचारा घबरा गया. मेरे उछलते लंड को देखकर उसकी हालत ये सोच कर ही खराब हो गयी होगी कि ये गांड में गया तो फाड़ ही देगा. पर बेचारा बोला कुछ नहीं, शायद मैं सच में मारता तो वो चुपचाप गांड मरवा लेता.
पर अपने उस चिकने लाड़ले साले को ऐसे दुखाने की मेरी इच्छा नहीं थी, वो भी पहली रात में.
"घबरा गया ना? डरपोक कहीं का, चल ये टांगें जरा फैला और करवट पर लेट जा" उसकी जांघों के बीच मैंने पीछे से लंड घुसेड़ा और कहा "अब चिपका ले टांगें और पकड़ मेरे लंड को उनके बीच. तुझे क्या लगा कि मैं तेरी गांड मारने वाला हूं. ऐसी ड्राइ फ़किंग नहीं देखी कभी? लीना भी करवाती है कई बार"
उसे पीछे से कस के भींच कर मैं अपना लंड उसकी जांघों के बीच पेलने लगा. उसकी जान में जान आयी. "थैन्क यू जीजाजी ... वैसे आप जो कहेंगे वो मैं करूंगा जीजाजी" मुड़ कर मेरी ओर देखते हुए ललित बोला. अपनी जांघों के बीच से निकले लंड के सुपाड़े को उसने अब अपनी हथेली में पकड़ लिया था और जिस लय में मैं उसकी जांघें चोद रहा था, उसी लय में वह मेरी मुठ्ठ भी मार रहा था.
उसका सिर अपनी ओर मोड़ कर उसके चुम्मे लेते हुए मैंने उसकी जांघें चोद दीं. एक मिनिट में मेरे वीर्य की फुहार ने उसकी जांघें भिगो दीं. बड़ा सुकून मिला, आने वाले स्वर्ग सुख का थोड़ा टेस्ट भी मिल गया.
बाद में टॉवेल से उनको पोछता हुआ ललित बोला "जीजाजी ... ये वेस्ट हो गया"
"याने?" मैंने पूछा.
"याने आप कहते तो मैं आप को फ़िर से एक बार चूस लेता" ललित बोला.
"आह हा ... याने स्वाद अब पसंद आ गया है मेरी ललिता रानी को. अब मुझे क्या मालूम था, पिछली बार तो ऐसा मुंह बनाया था तूने ... खैर आगे याद रखूंगा. और ये मत समझ कि आज छूट गयी वैसे हमेशा बचती रहेगी. तुझे चोदे बिना वापस नहीं भेजूंगा ललिता डार्लिंग. चल लाइट ऑफ़ कर और सो जा अब"
पांच मिनिट बाद मुझे महसूस हुआ कि ललित सरककर मेरे पास आया और पीछे से मुझे चिपक गया.
"क्या हुआ ललित?" मैंने पूछा.
"कुछ नहीं जीजाजी, आज बहुत मजा आया, इतना कभी नहीं आया था. थैंक यू जीजाजी ... और .. और .. आइ लव यू जीजाजी"
मैं मन ही मन मुस्कराया और आंखें बंद कर लीं. आज एक से एक मीठी बातें हुई थीं, खूबसूरत कमसिन लड़की जैसे जवान साले के साथ सेक्स किया, उसे खुश किया और खास कर अपनी बीवी के छोटे भाई को इतना आनंद दिया, इसका मुझे काफ़ी संतोष था.
आखिर जब ललित मुझपर से हट कर लस्त होकर लेट गया तो मैंने उसकी छाती सहलाकर कहा "रूल तोड़ दिया तूने ललित, ये अच्छा नहीं किया. इसकी पेनाल्टी पड़ेगी तेरे को"
"सॉरी जीजाजी" ललित बोला. पर उसकी आंखों में चमक थी "आप ने सब पी लिया जीजाजी?"
मैंने कहा "हां, वो तो चखना ही था. जवानी की क्रीम है आखिर, कौन छोड़ेगा! मजा आया तेरे को?"
"हां जीजाजी, बहुत मस्त, इतना मजा तो मां और दीदी के चूसने में भी नहीं आता" ललित मुझसे चिपक कर बोला.
"ठीक है, तो उसकी कीमत दे दे अब मेरे को. बोल, इसको कैसे खुश करेगा?" अपना तन्नाया लंड उसे दिखा कर मैंने पूछा.
वो चुप रहा. सोच रहा था कि क्या करूं. वैसे शायद खुशी खुशी वो मुझे एक बार और चूस डालता, पर उसके कुछ कहने के पहले की मैंने कहा "अब तो चोद ही डालता हूं तेरे को, उसके बिना ये दिल की आग नहीं ठंडी नहीं होगी मेरी"
बेचारा घबरा गया. मेरे उछलते लंड को देखकर उसकी हालत ये सोच कर ही खराब हो गयी होगी कि ये गांड में गया तो फाड़ ही देगा. पर बेचारा बोला कुछ नहीं, शायद मैं सच में मारता तो वो चुपचाप गांड मरवा लेता.
पर अपने उस चिकने लाड़ले साले को ऐसे दुखाने की मेरी इच्छा नहीं थी, वो भी पहली रात में.
"घबरा गया ना? डरपोक कहीं का, चल ये टांगें जरा फैला और करवट पर लेट जा" उसकी जांघों के बीच मैंने पीछे से लंड घुसेड़ा और कहा "अब चिपका ले टांगें और पकड़ मेरे लंड को उनके बीच. तुझे क्या लगा कि मैं तेरी गांड मारने वाला हूं. ऐसी ड्राइ फ़किंग नहीं देखी कभी? लीना भी करवाती है कई बार"
उसे पीछे से कस के भींच कर मैं अपना लंड उसकी जांघों के बीच पेलने लगा. उसकी जान में जान आयी. "थैन्क यू जीजाजी ... वैसे आप जो कहेंगे वो मैं करूंगा जीजाजी" मुड़ कर मेरी ओर देखते हुए ललित बोला. अपनी जांघों के बीच से निकले लंड के सुपाड़े को उसने अब अपनी हथेली में पकड़ लिया था और जिस लय में मैं उसकी जांघें चोद रहा था, उसी लय में वह मेरी मुठ्ठ भी मार रहा था.
उसका सिर अपनी ओर मोड़ कर उसके चुम्मे लेते हुए मैंने उसकी जांघें चोद दीं. एक मिनिट में मेरे वीर्य की फुहार ने उसकी जांघें भिगो दीं. बड़ा सुकून मिला, आने वाले स्वर्ग सुख का थोड़ा टेस्ट भी मिल गया.
बाद में टॉवेल से उनको पोछता हुआ ललित बोला "जीजाजी ... ये वेस्ट हो गया"
"याने?" मैंने पूछा.
"याने आप कहते तो मैं आप को फ़िर से एक बार चूस लेता" ललित बोला.
"आह हा ... याने स्वाद अब पसंद आ गया है मेरी ललिता रानी को. अब मुझे क्या मालूम था, पिछली बार तो ऐसा मुंह बनाया था तूने ... खैर आगे याद रखूंगा. और ये मत समझ कि आज छूट गयी वैसे हमेशा बचती रहेगी. तुझे चोदे बिना वापस नहीं भेजूंगा ललिता डार्लिंग. चल लाइट ऑफ़ कर और सो जा अब"
पांच मिनिट बाद मुझे महसूस हुआ कि ललित सरककर मेरे पास आया और पीछे से मुझे चिपक गया.
"क्या हुआ ललित?" मैंने पूछा.
"कुछ नहीं जीजाजी, आज बहुत मजा आया, इतना कभी नहीं आया था. थैंक यू जीजाजी ... और .. और .. आइ लव यू जीजाजी"
मैं मन ही मन मुस्कराया और आंखें बंद कर लीं. आज एक से एक मीठी बातें हुई थीं, खूबसूरत कमसिन लड़की जैसे जवान साले के साथ सेक्स किया, उसे खुश किया और खास कर अपनी बीवी के छोटे भाई को इतना आनंद दिया, इसका मुझे काफ़ी संतोष था.