Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई - Page 5 - SexBaba
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Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई

उधर हॉस्पिटल मे प्रेम बहुत बुरी तरह से थक गया था उसको नींद आ रही थी उसके हाल को समझ कर मामा ने कहा कि प्रेम बेटा तुम अपनी मामी के साथ घर जाओ तुम सब तक गये हो मैं इधर रुकता हूँ , तुम्हारे भाई को शाम को बेजूंगा खाना लेने के लिए तुम कल आ जाना अब शादी का घर है तो घर बिखरा पड़ा है तो उधर भी संभालना ज़रूरी है , मामा ने सुधा को भी घर जाने को कहा पर वो अपने पिता के पास ही रहना चाहती थी तो उसने मना कर दिया


प्रेम अपनी मामी सरिता के साथ घर की तरफ चल पड़ा , हॉस्पिटल से वो बस स्टॅंड आए और बस का इंतज़ार करने लगे , सरिता भी उमर के चालिसवे फेर मे चल रही थी और शरीर , सुंदरता से किसी प्रकार से भी कम नही थी, हाँ पर उसका फिगर थोड़ा सा पतला सा था, पर छातिया मजबूत थी और गान्ड भी गोल मटोल पूरे बदन पर फालतू चर्बी का कोई नामो-निशान नही था, जो कोई उसे अगर पहली बार देखे तो अंदाज़ा भी ना लगा सके कि थोड़े दिन बात इसके बेटे की शादी है प्रेम अपनी मामी से बाते करता हुआ बस के आने का इंतज़ार कर रहा था


सरिता ने एक हल्के नारंगी रंग का सूट- सलवार पहना हुआ था जिसमे उसकी सुंदरता निखर रही थी हालाँकि घर के बुज्रुर्ग के आक्सिडेंट्स से सभी डिस्टर्ब हो गये थे , करीब दस मिनिट तक बस आई, जो कि पूरी तरह से भरी हुई थी पैर रखने को जगह नही थी पर जाना तो था ही दूसरी बस ना जाने कब आए तो जैसे तैसे करके दोनो उपर चढ़े , भीड़ मे बहुत मुश्किल हो रही थी दोनो को जगह बनाने मे सरिता जो कि प्रेम से आगे खड़ी थी , बस ने जो हिचकोला खाया तो उसका बॅलेन्स बिगड़ा प्रेम ने उसको अपनी बाहों मे थाम लिया


पर इस कोशिश मे प्रेम अब बिल्कुल उसके पीछे चिपक गया उपर से भीड़ का दवाब जहाँ पैर रखने को भी जगह नही अब वो अपनी मामी की गान्ड से चिपका हुआ खड़ा था , प्रेम के लंड को गान्ड का ख्याल आते ही वो पगलाने लगा , उसके लिए तो हर एक चूत और गान्ड एक समान उसको क्या लेना कि कॉन सी गान्ड किसकी है कॉन सी चूत किसकी है सरिता अपने एक हाथ को उपर किए बस के डंडे को पकड़े खड़ी थी प्रेम के तने हुए लंड के अहसास को अपनी गान्ड पर महसूस करते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये


ये एक ऐसी सिचुयेशन थी जिसमे दोनो कुछ नही कर सकते थे प्रेम का लंड मामी की सलवार की वजह से गान्ड की फांको पर अच्छे से सेट हो चुका था सरिता चाह कर भी प्रेम को मना भी नही कर पा रही थी पर उसको अंदाज़ा होने लगा था कि भानजे का हथियार बेहद ही मजबूत है , सरिता हालाँकि एक बहुत ही पतिव्रता औरत थी जो अपने पति के अलावा किसी से भी नही चुदि थी पर आज उसकी गान्ड अपने आप ही हिलने लगी थी प्रेम ने भी महसूस किया कि मामी की गान्ड हिल रही है


उसने अपना हाथ नीचे किया और मामी के एक चूतड़ को धीरे धीरे से मसल्ने लगा सरिता को प्रेम से ऐसी उम्मीद बिल्कुल नही थी पर वो बस मे कुछ कर भी तो नही सकती थी उपर से आज उसे क्या हुआ अपने चूतड़ पर पर पुरुष का हाथ उसे अच्छा सा लगने लगा था उसने खुद को हालात पर छोड़ दिया और अपनी गान्ड पर भानजे के लंड को फील करने लगी उसे यकीन नही हो रहा था कि चड्डी मे क़ैद उसकी चूत प्रेम के स्पर्श से गीले होने लगी थी


तभी बस एक जगह और रुकी कुछ सवारिया और बस मे चढ़ गयी थी तो भीड़ दे दवाब से प्रेम अब बुरी तारह से सरिता से चिपक गया और मोके का फ़ायदा उठाते हुए उसने अब अपनी उंगली से सरिता की गान्ड की दरार को सहलाना शुरू कर दिया सरिता ने ऐसे हालत का सामना पहले कभी नही किया था उपर से वो भी करीब महीने भर से चुदि नही थी तो उसके मन मे भी अजीब से ख्याल आने लगे तभी बस ने तेज ब्रेक लगाया और प्रेम ने बॅलेन्स बिगड़ने से बचने के लिए मामी की पतली कमर को थाम लिया , अब वो एक हाथ से उसकी गान्ड को मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी कमर को थामे हुआ था बस की ये घटना आने वाले समय मे क्या गुल खिलाने वाली थी ये तो बस वक्त ही जानता था

सौरभ जब घर आया तो दरवाजा खुला हुआ था वो दबे पाँव अपने कमरे की तरफ बढ़ा तो उसने देखा कि विनीता उसके बेड पर सोई हुई है उसके ब्लाउज के बटन पूरी तरह से खुले हुए थे, चूचिया बाहर को निकली पड़ी थी और उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी जिस से सौरभ को अपनी मम्मी की मस्त गोरी गोरी टांगे और चूत के दर्शन हो रहे थे बिना पलके झपकाए वो विनीता के हुस्न को ललचाई नज़रो से देख रहा था , जब जब विनीता साँस लेती तो उसकी छातिया उपर नीचे होती सौरभ का लंड फिर से तन गया था उसका मन करने लगा कि वो अपनी माँ को आज चोद ही डाले पर आज उसको बहुत काम था तो वो आँगन मे गया और विनीता को आवाज़ लगाने लगा


दरअसल वो नही चाहता था कि विनीता को पता चले कि उसने उसे इस हालत मे देख लिया है

मम्मी, मम्मी ” पुकारने लगा वो

उसकी आवाज़ सुनकर विनीता की आँख खुली तो उसने खुद को ऐसी नंग-धड़ंग हालत मे देखा फिर उसे याद आया कि कैसे वो चूत मे उंगली करते करते ही सो गयी थी उसने जल्दी से अपने कपड़ो को सही किया और सौरभ के पास आ गयी

“आ गये बेटे, ” पूछा उसने

सौरभ- जी माँ , आज मछली का दाम ज़्यादा मिला तगड़ा मुनाफ़ा हुआ है
सौरभ ने पैसे मम्मी को दिए और पूछा कि मम्मी अब आप को कब डॉक्टर को पैर दिखाना है

विनीता-“बस बेटा , पैर ठीक हो ही गया समझो दो चार दिन बाद डॉक्टर के पास चलेंगे, मेरी वजह से तुम्हे बहुत परेशानी हुई है ना पर अब और नही होगी ”

सौरभ विनीता के पास आकर बोला-“क्या मम्मी, आपकी सेवा करने मे भला मुझे क्या परेशानी होगी , वो तो मेरा फ़र्ज़ है ना ”
 
विनीता ने अपने बेटे को गले से लगा लिया उसकी भारी भारी चूचियो ने सौरभ के चेहरे को छुपा लिया माँ के बदन की मोहक खुश्बू से सौरभ के बदन मे तरंगे उठने लगी उसने अपनी बाहें विनीता की पीठ पर रख दी और उसको अपनी बाहों मे कस लिया , सौरभ को पता नही क्या हुआ उसने विनीता के होंठो पर चूम लिया , विनीता को इस हरकत की उम्मीद नही थी वो कुछ कहती पर उस से पहले ही सौरभ अपने कमरे मे चला गया , अपनी माँ के होंटो पर अपने लबों का स्वाद छोड़ कर ,

हैरान परेशान, विनीता सोचने लगी कि उसका बेटा क्या उसे चोदना चाहता है या फिर बस ऐसे ही भावनाओ से वशीभूत होकर उसने चुंबन ले लिया , उसके मन मे कई सवाल उमड़ने लगे थे , जबकि सौरभ भी बिस्तर पर पड़े पड़े इसी के बारे मे सोच रहा था कि कैसे अचानक से ही उसने मम्मी को किस कर दिया वो पता नही क्या सोच रही होंगी क्या मुझे उनसे माफी माँगनी चाहिए ख्यालो ख्यालो मे उसे कब नींद आ गयी पता नही चला


शाम को करीब 5 बजे की आस पास वो जगा तो देखा की उषा दीदी बरामदे मे बैठे हुए चाइ पी रही थी सफेद कलर के चूड़ीदार सूट मे वो गजब लग रही थी , उषा ने अपनी टांगे फैला रखी थी जिस से उसकी चूत वाली जगह की वी शेप एक दम मस्त फूली हुई दिख रही थी , सौरभ का दिल-ओ-दिमाग़ झन्ना गया उषा उसकी तरफ देख कर मुस्कुराइ तो वो भी मुस्कुरा दिया उसे रात की बात याद आ गयी जब कैसे दीदी ने उसके लंड को पकड़ा था


उषा-“भाई , तुझसे एक काम है ”


सौरभ- जी दीदी कहो

उषा-“भाई, मेरी सहेली की सगाई है तो तुझे उधर मेरे साथ चलना पड़ेगा ”

सौरभ- दीदी चलता मैं पक्का पर घर पे भी तो कोई चाहिए प्रेम भी नही है तो मुझे घर और खेत और बाज़ार सारे काम करने पड़ रहे है और फिर उपर से मम्मी की चोट की वजह से उनको भी संभालना पड़ता है

उषा- मुझे कुछ नही पता तुझे बस मेरे साथ चलना ही होगा

विनीता- चला जा बेटा, दीदी कहाँ अकेली जाएगी वैसे भी इसकी सहेली की सगाई शाम को है तो रात तक वापिस आ जाओगे तुम लोग


सौरभ- पर माँ, आपको छोड़ कर कैसे जा सकता हूँ

विनीता- बेटा, मैं अब पहले से बहुत बेहतर हूँ, तू आराम से जा

उषा- तो ठीक है हम कल दोपहर को चलेंगे और रात तक वापिस आ जाएँगे

दूसरी तरफ प्रेम मामा के घर पहुँचते ही सो गया था सरिता घर के कामो मे व्यस्त हो गयी थी उसको हॉस्पिटल मे लोगो के लिए खाना भी भेजना था तो उसको बहुत देर लग गयी थी दोपहर को करीब तीन बजे उसका बेटा खाना और कुछ बिस्तर लेकर वापिस हॉस्पिटल चला गया , उसने सोचा प्रेम भी कल से भूखा ही है उसे भी खाने का पूछ लेती हूँ वो कमरे मे गयी तो वो घोड़े बेच कर सोए पड़ा था सरिता ने सोचा सोने देती हूँ वैसे भी थोड़ी- बहुत देर मे खुद उठ ही जाना है उसको तबी प्रेम ने करवट ली और सीधा होकर सोने लगा


उसको शायद किसी का सपना आ रहा था उसका लंड पेंट मे उभार बनाए हुए था सरिता की निगाह उस पर पड़ी तो उसको अंदाज़ा होने लगा कि भानजे का औजार का साइज़ तगड़ा है उसके गले मे खुसकी होने लगी , वैसे तो वो एक चुदि चुदाई मेच्यूर औरत थी पर 40 के फेर मे औरतो को चुदाई का बुखार कुछ ज़्यादा ही चढ़ता है पर फिर उसने उन ख्यालो को दिमाग मे से झटक दिया और सोचा कि अब फ्री हो गयी हूँ तो पहले नहा लेती हूँ फिर थोड़ा सा सुस्ता लूँगी

घर मे कोई था नही तो सरिता थोड़ी सी बेतकलुफ हो गयी थी बाथरूम मे पहुच कर उसने पानी चलाया और अपने कपड़े खोलने लगी उसने आहिस्ता से अपनी चोली की डोरी खीची और उसके 34”” के कबूतर आज़ाद होकर फड़फड़ाने लगे उसकी चूचियो के इंच भर के निप्प्लस जैसे हर किसी को आमंत्रण दे रहे हो कि आओ हमें चूस डालो सरिता ने हल्का सा हाथ अपने उभारों पर फेरा तो उसके जिस्म मे गुदगुदी सी होने लगी


फिर उसने अपने लहंगे को भी उतार कर साइड मे रख दिया अब वो पूरी नंगी बाथरूम के बीचो- बीच खड़ी थी उसकी मांसल जांघे एक दूसरे से चिपकी हुई थी उसकी थोड़ी सी पीछे की तरफ उठी हुई गोल गान्ड ऐसे लचक रही थी कि किसी नपुंसक के लंड मे भी गर्मी भर दे उसने डिब्बे से पानी खुद के शरीर पर उडेलना शुरू किया पर अचानक से उसको बस वाली बात याद आ गयी कैसे प्रेम ने उसकी गान्ड पर अपना लंड रगड़ा था उसकी चूत ने कई दिनो से लंड नही लिया था तो उसमे सुगबुगाहट होने लगी सरिता अंजाने मे ही अपनी चूत को मसालने लगी
 
सरिता की आँखे बंद थी उसके हाथ तेज़ी से उसकी चूत पर चल रहे थे दरअसल वो थोड़ी सी रिलॅक्स मूड मे आ गयी थी घर मे कोई था नही प्रेम भी सोया पड़ा था

पर.............

सरिता को पता नही था कि प्रेम जाग गया था , प्रेम का गर्मी से बुरा हाल हो रहा था

तो उसने सोचा कि नहा ही लेता हू वो कंधे पर तौलिया लटकाए बाथरूम की तरफ चलने

लगा ,सरिता के हाथ तेज़ी से उसकी चूत पर चल रहे थे उसकी मस्त मस्त आहे निकल

रही थी पर उसके सारे अरमानो पर पानी फिर गया जब प्रेम एक दम से

बाथरूम मे आ गया सरिता तो एक दम से हक्की बक्की रह गयी अब क्या करे वो दोनो

मामी भानजे एक दूसरे को आँखे फाडे देख रहे थे


मामी की रसीली जवानी को देख कर प्रेम बावला सा हो गया सरिता के बदन के अंग अंग

से जोबन टूट टूट कर बिखर रहा था प्रेम का लंड फड़फड़ाने लगा हालत की नज़ाकत

को समझते हुए सरिता ने जल्दी से पास मे लटकी अपनी साड़ी को नंगे बदन पर लपेटा

और काँपती सी आवाज़ मे बोली-“जाओ, बाहर जाओ ”
प्रेम बाथरूम से बाहर आ गया पर उसके दिमाग़ मे वो ही मामी का नंगा जिस्म घूम रहा था वो अभी भी बाथरूम के

दरवाजे पर ही खड़ा था , प्रेम को भी चूत मारे आज तीसरा दिन था उस दिन उषा को

चोद ही रहा था कि मामा का फोन आ गया था तो प्रेम के लंड की नसे फूलने पिचकने

लगी उसे चूत की सख़्त ज़रूरत थी पर मामी को सीधे सीधे चोद भी तो नही था



करीब बीस मिनिट बाद सरिता बाथरूम से बाहर निकली उसने बदन पर वो ही पतली सी

साड़ी पहनी हुई थी गीले बदन पर साड़ी चिपकी हुई थी अंदर ब्रा-पैंटी ना होने के

कारण सरिता का पूरा जोबन दिख रहा था नज़रे झुकाए वो प्रेम के पास से निकली और

अपने कमरे मे जाने लगी उसकी 61-62 करती हुई गान्ड पर जब प्रेम की नज़र गयी तो

उसका बदन हवस की गर्मी से पिघलने लगा , उसका लंड चिल्ला चिल्ला करके कह रहा था

कि सरिता को चोद दे, चोद दे सरिता को तो प्रेम भी मामी के पीछे पीछे उसके कमरे मे

चला गया


सरिता की पीठ प्रेम की तरफ थी उसके भरे हुए पिछवाड़े की उठान देख कर प्रेम के

मूह मे पानी आ गया उसने पक्का इरादा कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए

मामी को अभी के अभी चोद के ही रहूँगा चाहे ज़बरदस्ती क्यो ना करनी पड़े सरिता इस

बात से अंजान थोड़ा सा झुक कर अपने गीले बालो को सुलझाने लगी थी प्रेम दबे

पाँव आगे को बढ़ा और उसने मामी को अपनी मजबूत बाहों मे भर लिया एक दम से

इस हरकत से सरिता बुरी तरह से चोंक गयी और प्रेम की बाहो से निकलने की कोशिश

करने लगी

सरिता- “छोड़ो, हमें ये क्या बदतमीज़ी है अभी के अभी छोड़ो मुझे ”

प्रेम सरिता के गालो को चूमते हुए-“ओह, मामी कितनी गरम हो तुम मेरा तो बुरा हाल हो गया तुम्हे देख कर बस एक बार दे दो ”
 
अपने भानजे के मूह से अपने बारे मे ऐसी अश्लील बात सुनकर सरिता शरम से पानी

पानी हो गयी और प्रेम को अपने से दूर करने की कोशिश करने लगी पर प्रेम बेहद

ताकतवर हॅटा कटा लड़का था तो सरिता बस कसमसाने के सिवा कर भी क्या सकती थी

इसी कसमकस मे सरिता की साड़ी का पल्लू हट गया ब्रा उसने पहनी नही थी तो कमर

तक का पूरा हिस्सा नंगा हो गया मामी के जिस्म से आती मदमस्त खुश्बू से प्रेम

और गरम होने लगा


“ओह, मामी बस एक बार दे दे, सारी ज़िंदगी तेरी गुलामी करूँगा कितनी मस्त है तू बाथरूम मे उंगली कर रही थी मैं तुझे लंड दे रहा हूँ फिर क्यो नही मानती , एक बार मेरा लंड लेके तो देख ”

सरिता-”छोड़ दे कुत्ते मुझे, कम से कम तेरे मेरे रिश्ते की तो लिहाज़ कर ले माँ समान हूँ मैं तेरी ”


प्रेम- माँ होती तो भी चोद देता , मामी बस एक बार करने दो

प्रेम ने अपने हाथ से जल्दी से बाकी साड़ी को भी खोल दिया सरिता पूरी तरह से नंगी

अपने जवान भानजे की मजबूत बाहों मे किसी मछली की तरह मचल रही थी उसे अपनी

गान्ड पर प्रेम के लोड्‍े की मोजूदगी का पूरा अहसास हो रहा था आज उसकी इज़्ज़त की

धज्जिया उड़ जाने वाली थी ये सोचकर वो रोने लगी , वो बोली” मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती

हूँ मुझे छोड़ दे मुझे खराब मत कर ”


प्रेम सरिता की चूचियो को मसल्ते हुए-“ मामी, तुम्हे भी तो लंड की ज़रूरत है वरना बाथरूम मे उंगली से काम नही चलाती, मैं तुम्हे लंड दे रहा हूँ तुम मुझे चूत दो ”

ऐसी अश्लील बाते सुनकर सरिता एक ऑर जहाँ शरम से मरी जा रही थी दूसरी ओर प्रेम

के कठोर हाथो द्वारा उसकी कोमल चूचियो के मर्दन से उसके बदन मे आग भी

लगनी शुरू हो गयी थी सरिता पर दोहरी मार पड़ रही थी , पर एक इज़्ज़त दार औरत

कैसे किसी दूसरे को अपनी चूत दे दे वो भी जब , जब उसके साथ ज़बरदस्ती हो रही हो

प्रेम ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मामी की गान्ड की दरार मे सरका दिया

गरम लोड्‍े को इस तरह महसूस करके सरिता की चूत उस से बग़ावत करने लगी वो फसि

मंझधार मे एक और वो लगातार विरोध कर रही थी दूसरी ऑर प्रेम का मोटा लंड उसकी

गान्ड मे घुसने को मचल रहा था करे तो क्या करे वो


सरिता की आँखो से आँसू गिर रहे थे और चूत मे भी गीला पन आने लगा था

प्रेम लगातार उसके बोबो को दबा रहा था मसल रहा था उसके 34” के बोबे पूरी

तरह से तन चुके थे पल पल सरिता के जिस्म मे गर्मी बढ़ती जा रही थी उसका

विरोध टूटने लगा था असमंजस मे फसि वो सोच रही थी क्या करे उधर मामी के

बदन मे आई शिथिलता देख कर प्रेम समझ गया कि मामी गरम हो रही है उसने

फुर्ती से सरिता को अपनी ओर घुमाया और उसके लाल लाल होंठो पर अपने होंठ रख दिए

और किस करने लगा साथ ही वो सरिता के दोनो चुतड़ों को मसल्ने लगा सरिता उस

से अपने होंठो को छुड़ाना चाहती थी पर वो ऐसा कर नही पाई


प्रेम ने अपनी प्यारी मामी के चुतड़ों को फैलाया और मज़े से उनको मसल्ने लगा उसका

बेकाबू लंड सरिता के पेट से रगड़ खा रहा था सरिता को उसके लंड की लंबाई-

मोटाई का अंदाज़ा हो चला था उसके मन मे आया कि आज तो उसकी शामत आई अगर ये

लंड उसकी चूत मे चला गया तो चूत तो गयी काम से पर प्रेम उसको चोदे बिना

कहाँ मान ने वाला था कई देर तक वो अपनी मामी के रसीले होटो का मज़ा लूट ता रहा

फिर किस करते करते ही उसने अपनी उंगली सरिता की चूत मे सरका दी , उसकी चूत बहुत

बुरी तरह से तप रही थी सरिता की आह प्रेम के मूह मे ही दम तोड़ गयी


और इसी के साथ एक औरत वासना और इज़्ज़त की जंग मे हार गयी उसकी टांगे अपने आप


खुलती चली गयी सरिता का भी दोष नही था वो बहुत दिनो से चुदि नही थी उसको लंड

की सख़्त ज़रूरत थी प्रेम मामी की चूत मे अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा मोका

देख कर उसने सरिता के हाथ मे अपना लंड दे दिया, सरिता की मुट्ठी लंड पर कस गयी

उसकी आँखे उन्माद मे वैसे ही मस्त थी वो प्रेम की मुट्ठी मारने लगी तो प्रेम को भी

मज़ा आने लगा प्रेम ने सरिता को बिस्तर पर पटक दिया और उसकी टाँगो को फैला दिया

और झट से अपने मूह को चूत पर रख दिया
 
सरिता के ब्याह को करीब करीब 24 बरस होने को थे बेटा ब्याह ने वाली थी वो कुछ दिनो बाद पर आज तक उसके पति ने कभी उसकी चूत नही चाटी थी तो ये उसके लिए एक दम नयी बात थी उपर से प्रेम की जीभ ने तो जैसे जादू ही कर दिया था उसकी चूत पर सरिता की टांगे अपने आप खुलती चली गयी , थूक मे लिपटी जीभ उसकी चूत के दाने से होकर नीचे गान्ड के छेद तक जा रही थी जब जब प्रेम की जीभ उसके दाने से रगड़ खाती तो सरिता का हाल और भी बहाल हो जाता था चुदाई के लिए तड़पति सरिता की हर लाज़-शरम अब दूर होने लगी उसके दिमाग़ मे बस अब चुदाई ही थी , उसे एक लंड की सख़्त ज़रूरत थी


पाँच मिनिट तक प्रेम ने पूरे मज़े से मामी की चूत को चूसा पर वो ये नही चाहता था कि सरिता झड जाए क्योंकि क्या पता झड़ने के बाद वो उसे दे या ना दे तो उसने अब अपने लंड पर काफ़ी सारा थूक लगाया और सरिता की चूत पर लगा दिया पराए लंड को चूत पर महसूस करके ही सरिता थोड़ा सा घबरा गयी उसके अंदर की पॅटिवेर्टया नारी फिर से जागने लगी पर प्रेम ने ज़्यादा मोका दिया नही उसको और एक तेज धक्का लगाते हुए सरित की चूत मे लंड को डालने लगा, हालाँकि सरिता पूरी खेली खाई औरत थी पर फिर भी प्रेम का लंड बहुत लंबा और मोटा था तो जैसे जैसे सरिता की चूत को प्रेम के लंड का सुपाडा फैलाता जा रहा था उसको थोड़ा दर्द होने लगा

“आहह , आहह मार डाला रीईईईईईईईईईई ”

प्रेम- बस हो गया हो गया बस हो गया मामी

प्रेम का मोटा सुपाडा सरिता की चूत मे फँसा हुआ था सरिता की छूट आज से पहले इतनी चौड़ी नही हुई थी तो उसको अपनी सुहागरात का दिन याद आ गया जब प्रेम के मामा ने उसकी सील को तोड़ा था , दर्द के मारे सरिता ने अपने होंठो को आपस मे कस लिया पर फिर भी दर्द भरी आहे, उसके मूह से फुट ही पड़ी, प्रेम ने एक और झटका लगाया और सरिता की आँखो से आँसू निकल पड़े प्रेम का आधा लंड उसकी चूत मे घुस चुका था , सरिता की समझ मे आ गया था कि आज उसकी दमदार चुदाई होने वाली है वो प्रेम की बलिष्ठ बाहो मे कसमसा रही थी


प्रेम ने लंड को टोपे तक बाहर की ओर खेचा और फिर से एक तगड़ा थक्का मारा सरिता को ऐसे लगा जैसे की इस बार लंड सीधा उसकी बच्चेदानी से ही जा टकराया हो, उसका पूरा बदन काँप गया दर्द की लहर उसको छूते हुए चली गयी , प्रेम सरिता के गोरे गालो को चूमने लगा और बोला-“बस मामी,एक बार पूरा अंदर चला जाए फिर तो आपकी मौज ही मौज है ”


ये सुनकर सरिता का माथा घूम गया वो बोली- अभी भी बचा है क्या

प्रेम-हाँ अभी तो बचा है यकीन ना आए तो खुद देख लो

सरिता ने अपनी गर्दन को उचकाया और देखा , अभी भी करीब तीन इंच लंड बाहर ही था उसको यकीन नही था कि वो अब अंदर अंदर ले पाएगी पर चूत तो ठहरी चूत लंड को अंदर ले ही लेती है , सरिता को ख्यालो मे गुम सोच कर प्रेम ने सोचा कि मामी लाइन पर आ गयी है तो शुरू हो जाता हूँ , उसने सरिता के होंठो को चूसना चालू किया ना चाहते हुए भी ज़िस्म की आग के आगे मजबूर सरिता उसका साथ देने लगी प्रेम का लंड इस धक्के के साथ ही पूरी तरह मामी की चूत मे धँस गया था उसके टटटे सरिता की टांगे से जा टकराए तो उसे एहसास हुआ की पूरा लंड ले लिया है उसने


प्रेम का लंड सरिता की चूत मे अंदर बाहर होते हुए उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था ऐसा परम सुख सरिता को आज से फेहले कभी नही मिला था , मस्ती से उसकी आँखे बंद होने लगी , उसके सोचने समझने की शक्ति पर वासना हावी होने लगी थोड़ी ही देर मे प्रेम के लंड के हिसाब से उसकी चूत फैल गयी थी तो सरिता को भी चुदने मे थोड़ी आसानी होने लगी प्रेम उसके होंठो को चूस रहा था , सरिता के होंठ खुद ब खुद खुलते चले गये, चुदाई के उन्माद मे उसकी गान्ड अपने आप प्रेम के लंड के धक्को का साथ देने लगे , सरिता की जीभ प्रेम की जीभ से टकराने लगी उसकी बाहे प्रेम की पीठ पर रेंगने लगी


प्रेम को बड़ी खुशी हो रही थी कि चलो मामी भी उसका साथ देने लगी है एक चूत का और जुगाड़ हो गया तो वो और तेज़ी से सरिता को चोदने लगा , सरिता प्रेम के नीचे लेटी हुई पिस रही थी उसकी चूत का छल्ला लंड के साथ साथ रगड़ खा रहा था प्रेम के दमदार धक्के उसके पूरे वजूद को हिला रहे थे , धीरे धीरे सरिता की टांगे अपने आप उपर की तरफ उठ ती जा रही थी कमरे मे भावनाए उमड़ उमड़ रही थी मामी- भानजे की एकाएक हुई चुदाई अब अपना रंग दिखा रही थी प्रेम ने चूत से लंड बाहर खीच लिया और सरिता को बिस्तर पर घोड़ी बना दिया
 
सरिता की गीली चूत से बहता हुआ पानी उसकी टाँगो और प्रेम के अंडकोषो को बुरी तरह से भिगो चुका था , खुद सरिता भी हैरान थी की उसकी चूत से इस तरह पानी कभी नही बहा था , वासना से उसका अंग अंग फडक रहा था प्रेम ने उसके चुतड़ों को थोड़ा सा फैलाया और झट से अपने लंड को फिर से मामी की चूत मे डाल दिया , इस प्रहार को सरिता एक दम से सह नही पाई और उसका बॅलेन्स बिगड़ गया पर प्रेम की मजबूत बाहो ने उसको थाम लिया , जैसे जैसे चूत पर झटके पे झटके लग रहे थे सरिता और प्रेम दोनो की मस्ती बढ़ती जा रही थी दोनो के जिस्मो की आग बुरी तरह से भड़क रही थी


प्रेम ने हाथो को आगे बढ़ा कर सरिता की चूचियो को पकड़ लिया और उनको कस कस कर दबाते हुए सरिता को चोदने लगा, सरिता की हालत बहुत बुरी हो गयी थी उसे एक तरफ अपने भानजे से चुदने की ग्लानि भी हो रही थी और दूसरी तरफ एक नये लोड्‍े से चुदने की खुशी सी भी हो रही थी, सरिता की साँस फूलती ही जा रही थी उसकी चूत अब बहुत ही चिकनी हो गयी थी वो पल पल झड़ने के करीब आती जा रही थी , धड़ धाड़ करके प्रेम का लंड उसकी चूत की धज्जिया उड़ा रहा था , और फिर सरिता का पूरा जिस्म काँप उठा और वो बिस्तर पर औंधी गिर गयी उसकी चूत लंड पर बुरी तरह से चिपक गयी थी


रह रह कर सरिता का जिस्म झटके ख़ाता हुआ उसको चरम सुख की प्राप्ति कर वा रहा था सरिता के झड़ने के बाद प्रेम भी उसी मुकाम की तरफ बढ़ रहा था वो अभी भी औंधी पड़ी सरिता को हुमच हुमच कर चोदे जा रहा था सरिता की चूत को चौड़ा करते हुए प्रेम ने भी कुछ मिनिट और उसको अच्छे से बजाया और फिर अपने वीर्य से उसकी गरमा गरम चूत को भरने लगा और मामी पर ही ढह गया …
 
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