hotaks444
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उधर हॉस्पिटल मे प्रेम बहुत बुरी तरह से थक गया था उसको नींद आ रही थी उसके हाल को समझ कर मामा ने कहा कि प्रेम बेटा तुम अपनी मामी के साथ घर जाओ तुम सब तक गये हो मैं इधर रुकता हूँ , तुम्हारे भाई को शाम को बेजूंगा खाना लेने के लिए तुम कल आ जाना अब शादी का घर है तो घर बिखरा पड़ा है तो उधर भी संभालना ज़रूरी है , मामा ने सुधा को भी घर जाने को कहा पर वो अपने पिता के पास ही रहना चाहती थी तो उसने मना कर दिया
प्रेम अपनी मामी सरिता के साथ घर की तरफ चल पड़ा , हॉस्पिटल से वो बस स्टॅंड आए और बस का इंतज़ार करने लगे , सरिता भी उमर के चालिसवे फेर मे चल रही थी और शरीर , सुंदरता से किसी प्रकार से भी कम नही थी, हाँ पर उसका फिगर थोड़ा सा पतला सा था, पर छातिया मजबूत थी और गान्ड भी गोल मटोल पूरे बदन पर फालतू चर्बी का कोई नामो-निशान नही था, जो कोई उसे अगर पहली बार देखे तो अंदाज़ा भी ना लगा सके कि थोड़े दिन बात इसके बेटे की शादी है प्रेम अपनी मामी से बाते करता हुआ बस के आने का इंतज़ार कर रहा था
सरिता ने एक हल्के नारंगी रंग का सूट- सलवार पहना हुआ था जिसमे उसकी सुंदरता निखर रही थी हालाँकि घर के बुज्रुर्ग के आक्सिडेंट्स से सभी डिस्टर्ब हो गये थे , करीब दस मिनिट तक बस आई, जो कि पूरी तरह से भरी हुई थी पैर रखने को जगह नही थी पर जाना तो था ही दूसरी बस ना जाने कब आए तो जैसे तैसे करके दोनो उपर चढ़े , भीड़ मे बहुत मुश्किल हो रही थी दोनो को जगह बनाने मे सरिता जो कि प्रेम से आगे खड़ी थी , बस ने जो हिचकोला खाया तो उसका बॅलेन्स बिगड़ा प्रेम ने उसको अपनी बाहों मे थाम लिया
पर इस कोशिश मे प्रेम अब बिल्कुल उसके पीछे चिपक गया उपर से भीड़ का दवाब जहाँ पैर रखने को भी जगह नही अब वो अपनी मामी की गान्ड से चिपका हुआ खड़ा था , प्रेम के लंड को गान्ड का ख्याल आते ही वो पगलाने लगा , उसके लिए तो हर एक चूत और गान्ड एक समान उसको क्या लेना कि कॉन सी गान्ड किसकी है कॉन सी चूत किसकी है सरिता अपने एक हाथ को उपर किए बस के डंडे को पकड़े खड़ी थी प्रेम के तने हुए लंड के अहसास को अपनी गान्ड पर महसूस करते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये
ये एक ऐसी सिचुयेशन थी जिसमे दोनो कुछ नही कर सकते थे प्रेम का लंड मामी की सलवार की वजह से गान्ड की फांको पर अच्छे से सेट हो चुका था सरिता चाह कर भी प्रेम को मना भी नही कर पा रही थी पर उसको अंदाज़ा होने लगा था कि भानजे का हथियार बेहद ही मजबूत है , सरिता हालाँकि एक बहुत ही पतिव्रता औरत थी जो अपने पति के अलावा किसी से भी नही चुदि थी पर आज उसकी गान्ड अपने आप ही हिलने लगी थी प्रेम ने भी महसूस किया कि मामी की गान्ड हिल रही है
उसने अपना हाथ नीचे किया और मामी के एक चूतड़ को धीरे धीरे से मसल्ने लगा सरिता को प्रेम से ऐसी उम्मीद बिल्कुल नही थी पर वो बस मे कुछ कर भी तो नही सकती थी उपर से आज उसे क्या हुआ अपने चूतड़ पर पर पुरुष का हाथ उसे अच्छा सा लगने लगा था उसने खुद को हालात पर छोड़ दिया और अपनी गान्ड पर भानजे के लंड को फील करने लगी उसे यकीन नही हो रहा था कि चड्डी मे क़ैद उसकी चूत प्रेम के स्पर्श से गीले होने लगी थी
तभी बस एक जगह और रुकी कुछ सवारिया और बस मे चढ़ गयी थी तो भीड़ दे दवाब से प्रेम अब बुरी तारह से सरिता से चिपक गया और मोके का फ़ायदा उठाते हुए उसने अब अपनी उंगली से सरिता की गान्ड की दरार को सहलाना शुरू कर दिया सरिता ने ऐसे हालत का सामना पहले कभी नही किया था उपर से वो भी करीब महीने भर से चुदि नही थी तो उसके मन मे भी अजीब से ख्याल आने लगे तभी बस ने तेज ब्रेक लगाया और प्रेम ने बॅलेन्स बिगड़ने से बचने के लिए मामी की पतली कमर को थाम लिया , अब वो एक हाथ से उसकी गान्ड को मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी कमर को थामे हुआ था बस की ये घटना आने वाले समय मे क्या गुल खिलाने वाली थी ये तो बस वक्त ही जानता था
सौरभ जब घर आया तो दरवाजा खुला हुआ था वो दबे पाँव अपने कमरे की तरफ बढ़ा तो उसने देखा कि विनीता उसके बेड पर सोई हुई है उसके ब्लाउज के बटन पूरी तरह से खुले हुए थे, चूचिया बाहर को निकली पड़ी थी और उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी जिस से सौरभ को अपनी मम्मी की मस्त गोरी गोरी टांगे और चूत के दर्शन हो रहे थे बिना पलके झपकाए वो विनीता के हुस्न को ललचाई नज़रो से देख रहा था , जब जब विनीता साँस लेती तो उसकी छातिया उपर नीचे होती सौरभ का लंड फिर से तन गया था उसका मन करने लगा कि वो अपनी माँ को आज चोद ही डाले पर आज उसको बहुत काम था तो वो आँगन मे गया और विनीता को आवाज़ लगाने लगा
दरअसल वो नही चाहता था कि विनीता को पता चले कि उसने उसे इस हालत मे देख लिया है
मम्मी, मम्मी ” पुकारने लगा वो
उसकी आवाज़ सुनकर विनीता की आँख खुली तो उसने खुद को ऐसी नंग-धड़ंग हालत मे देखा फिर उसे याद आया कि कैसे वो चूत मे उंगली करते करते ही सो गयी थी उसने जल्दी से अपने कपड़ो को सही किया और सौरभ के पास आ गयी
“आ गये बेटे, ” पूछा उसने
सौरभ- जी माँ , आज मछली का दाम ज़्यादा मिला तगड़ा मुनाफ़ा हुआ है
सौरभ ने पैसे मम्मी को दिए और पूछा कि मम्मी अब आप को कब डॉक्टर को पैर दिखाना है
विनीता-“बस बेटा , पैर ठीक हो ही गया समझो दो चार दिन बाद डॉक्टर के पास चलेंगे, मेरी वजह से तुम्हे बहुत परेशानी हुई है ना पर अब और नही होगी ”
सौरभ विनीता के पास आकर बोला-“क्या मम्मी, आपकी सेवा करने मे भला मुझे क्या परेशानी होगी , वो तो मेरा फ़र्ज़ है ना ”
प्रेम अपनी मामी सरिता के साथ घर की तरफ चल पड़ा , हॉस्पिटल से वो बस स्टॅंड आए और बस का इंतज़ार करने लगे , सरिता भी उमर के चालिसवे फेर मे चल रही थी और शरीर , सुंदरता से किसी प्रकार से भी कम नही थी, हाँ पर उसका फिगर थोड़ा सा पतला सा था, पर छातिया मजबूत थी और गान्ड भी गोल मटोल पूरे बदन पर फालतू चर्बी का कोई नामो-निशान नही था, जो कोई उसे अगर पहली बार देखे तो अंदाज़ा भी ना लगा सके कि थोड़े दिन बात इसके बेटे की शादी है प्रेम अपनी मामी से बाते करता हुआ बस के आने का इंतज़ार कर रहा था
सरिता ने एक हल्के नारंगी रंग का सूट- सलवार पहना हुआ था जिसमे उसकी सुंदरता निखर रही थी हालाँकि घर के बुज्रुर्ग के आक्सिडेंट्स से सभी डिस्टर्ब हो गये थे , करीब दस मिनिट तक बस आई, जो कि पूरी तरह से भरी हुई थी पैर रखने को जगह नही थी पर जाना तो था ही दूसरी बस ना जाने कब आए तो जैसे तैसे करके दोनो उपर चढ़े , भीड़ मे बहुत मुश्किल हो रही थी दोनो को जगह बनाने मे सरिता जो कि प्रेम से आगे खड़ी थी , बस ने जो हिचकोला खाया तो उसका बॅलेन्स बिगड़ा प्रेम ने उसको अपनी बाहों मे थाम लिया
पर इस कोशिश मे प्रेम अब बिल्कुल उसके पीछे चिपक गया उपर से भीड़ का दवाब जहाँ पैर रखने को भी जगह नही अब वो अपनी मामी की गान्ड से चिपका हुआ खड़ा था , प्रेम के लंड को गान्ड का ख्याल आते ही वो पगलाने लगा , उसके लिए तो हर एक चूत और गान्ड एक समान उसको क्या लेना कि कॉन सी गान्ड किसकी है कॉन सी चूत किसकी है सरिता अपने एक हाथ को उपर किए बस के डंडे को पकड़े खड़ी थी प्रेम के तने हुए लंड के अहसास को अपनी गान्ड पर महसूस करते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये
ये एक ऐसी सिचुयेशन थी जिसमे दोनो कुछ नही कर सकते थे प्रेम का लंड मामी की सलवार की वजह से गान्ड की फांको पर अच्छे से सेट हो चुका था सरिता चाह कर भी प्रेम को मना भी नही कर पा रही थी पर उसको अंदाज़ा होने लगा था कि भानजे का हथियार बेहद ही मजबूत है , सरिता हालाँकि एक बहुत ही पतिव्रता औरत थी जो अपने पति के अलावा किसी से भी नही चुदि थी पर आज उसकी गान्ड अपने आप ही हिलने लगी थी प्रेम ने भी महसूस किया कि मामी की गान्ड हिल रही है
उसने अपना हाथ नीचे किया और मामी के एक चूतड़ को धीरे धीरे से मसल्ने लगा सरिता को प्रेम से ऐसी उम्मीद बिल्कुल नही थी पर वो बस मे कुछ कर भी तो नही सकती थी उपर से आज उसे क्या हुआ अपने चूतड़ पर पर पुरुष का हाथ उसे अच्छा सा लगने लगा था उसने खुद को हालात पर छोड़ दिया और अपनी गान्ड पर भानजे के लंड को फील करने लगी उसे यकीन नही हो रहा था कि चड्डी मे क़ैद उसकी चूत प्रेम के स्पर्श से गीले होने लगी थी
तभी बस एक जगह और रुकी कुछ सवारिया और बस मे चढ़ गयी थी तो भीड़ दे दवाब से प्रेम अब बुरी तारह से सरिता से चिपक गया और मोके का फ़ायदा उठाते हुए उसने अब अपनी उंगली से सरिता की गान्ड की दरार को सहलाना शुरू कर दिया सरिता ने ऐसे हालत का सामना पहले कभी नही किया था उपर से वो भी करीब महीने भर से चुदि नही थी तो उसके मन मे भी अजीब से ख्याल आने लगे तभी बस ने तेज ब्रेक लगाया और प्रेम ने बॅलेन्स बिगड़ने से बचने के लिए मामी की पतली कमर को थाम लिया , अब वो एक हाथ से उसकी गान्ड को मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी कमर को थामे हुआ था बस की ये घटना आने वाले समय मे क्या गुल खिलाने वाली थी ये तो बस वक्त ही जानता था
सौरभ जब घर आया तो दरवाजा खुला हुआ था वो दबे पाँव अपने कमरे की तरफ बढ़ा तो उसने देखा कि विनीता उसके बेड पर सोई हुई है उसके ब्लाउज के बटन पूरी तरह से खुले हुए थे, चूचिया बाहर को निकली पड़ी थी और उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी जिस से सौरभ को अपनी मम्मी की मस्त गोरी गोरी टांगे और चूत के दर्शन हो रहे थे बिना पलके झपकाए वो विनीता के हुस्न को ललचाई नज़रो से देख रहा था , जब जब विनीता साँस लेती तो उसकी छातिया उपर नीचे होती सौरभ का लंड फिर से तन गया था उसका मन करने लगा कि वो अपनी माँ को आज चोद ही डाले पर आज उसको बहुत काम था तो वो आँगन मे गया और विनीता को आवाज़ लगाने लगा
दरअसल वो नही चाहता था कि विनीता को पता चले कि उसने उसे इस हालत मे देख लिया है
मम्मी, मम्मी ” पुकारने लगा वो
उसकी आवाज़ सुनकर विनीता की आँख खुली तो उसने खुद को ऐसी नंग-धड़ंग हालत मे देखा फिर उसे याद आया कि कैसे वो चूत मे उंगली करते करते ही सो गयी थी उसने जल्दी से अपने कपड़ो को सही किया और सौरभ के पास आ गयी
“आ गये बेटे, ” पूछा उसने
सौरभ- जी माँ , आज मछली का दाम ज़्यादा मिला तगड़ा मुनाफ़ा हुआ है
सौरभ ने पैसे मम्मी को दिए और पूछा कि मम्मी अब आप को कब डॉक्टर को पैर दिखाना है
विनीता-“बस बेटा , पैर ठीक हो ही गया समझो दो चार दिन बाद डॉक्टर के पास चलेंगे, मेरी वजह से तुम्हे बहुत परेशानी हुई है ना पर अब और नही होगी ”
सौरभ विनीता के पास आकर बोला-“क्या मम्मी, आपकी सेवा करने मे भला मुझे क्या परेशानी होगी , वो तो मेरा फ़र्ज़ है ना ”