Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी - Page 3 - SexBaba
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Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी

निर्माला : मन ही मन में मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन झुका कर अपनी फटी चुत और उसकी फुली फाँको को देखति हुई, सोचने लागि, बाप रे कल्लु का लंड कितना मोटा और बडा लग रहा है, कैसे मेरी भोस को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था, उसका लंड मेरी भोस को देख कर कैसे किसी डण्डे की तरह खड़ा हो गया था, संतोष सच ही कहती है आज कल के लड़को का कोई भरोषा नहीं है।

पर मेरी बुर क्यों फूल रही है, और निर्मला ने अपनी बुर को हाथ लगा कर देखा तो उसके हाथ में पानी आ गया, उसके अपनी बुर को रगडा और फिर कुछ सोच कर, खड़ी हो गई और कल्लो की ओर देख, और उसकी नजर कल्लु के तने हुए लंड पर पडी, तो वह सोचने लगी हाय राम यह तो और भी बड़ा हो गया, कितना मस्त लंड है कल्लु का।

निर्माला : बेटे मै वहा का गठ्ठर इसमें मिला देती हु तू यही बैठ कर बांध लेना और निर्मला अपने भारी चूतडो को मटकाते हुए जाने लगी, उसकी घुटनो तक के घाघरे में उसकी गोरी पिण्डलिया और मोटी जांघो की झलक दिखाई दे रही थी, और वह यह देखना चाहती थी की कल्लु उसके भारी चौड़े चौड़े चूतडो को देखता है की नही, जब उसने पीछे मुड कर देखा
तो कल्लु अपनी माँ की मोटी लहराती गाण्ड को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था, और निर्मला की साँसे तेज चलने लगी, निर्मला गठ्ठर लेकर वापस कल्लु की ओर आने लगी और उसकी निगाहें कल्लु के मोटे लोडे पर ही थी।

निर्माला को तभी संतोष की काँटा लगने वाली बात याद आ गई और निर्मला को यह भी याद आया की कैसे संतोष का बेटा काँटा निकालने के बहाने अपनी माँ की
गुलाबी रसीली बुर को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था, क्या सोच रहा होगा बिरजु अपनी गदराई माँ की मस्त चुत देख कर, जरुर उसका मन अपनी माँ की चुत में मुह डाल कर चुस्ने का कर रहा होगा।
या फिर वह अपनी माँ की फुली हुई चुत देख कर अपने मोटे लंड को ड़ालने के बारे में सोच रहा होग, पर यह सब मै क्यों सोच रही ह, मेरी चुत इतनी क्यों मस्त हो रही है।
 
मै भी बिलकुल ध्यान नहीं रखती हु कैसे मैंने अपने ही बेटे को अपनी मस्त गदराई चुत दिखा दी, पूरी खुल के फ़ैली हुई थी मेरे बेटे ने तो मेरा गुलाबी छेद भी देख लिया होगा।
पर मेरा मन ऐसा क्यों कर रहा है की मै उसे फिर से अपनी भोस दिखा दूँ, तभी मेरे पैरो में कुछ थोड़ा सा चुभा और न जाने क्यों मैंने जोर से कहा आह राम काँटा लग गया।
और मै वही अपनी मोटी जांघे फैला कर जमीन पर बैठ गई।

कल्लु : क्या हुआ माँ।
निर्माला : देख तो बेटा मेरे तलवो में काँटा घुस गया है और फिर मैंने अपनी टांगे उसके मुह की ओर उठा दी।हाय क्या टांगे थी माँ की बहुत चिकनी गोरी और गदराई लग रही थी मैंने उसकी गुदाज पिण्डलियों को
पकड़ कर काँटा देखते हुए कहा, कहा लगा है माँ मुझे तो दिखाई नहीं दे रहा, माँ ने अपनी जांघो को और फ़ैलाते हुए कहा जरा झुक कर अच्छे से देख बेटे, मैंने जैसे ही झुक कर माँ की टांगो को और ऊपर किया। उसकी मस्त फुल्ली चुत अपनी फाँके फ़ैलाये मुझे देख रही थी और उसकी चुत का गुलाबी छेद पूरा पानी से भरा नजर आ रहा था, क्या मस्त भोस थी माँ की।

निर्माला : कल्लु की ओर देखते हुए सोचने लगी कैसे किसी प्यासे सांड़ की तरह देख रहा है अपनी माँ की चुत को ऐसा लगता है मुह डाल कर मेरी चुत को खा जाएगा।
उसका लंड कितना बड़ा है, पूरा काला और खूब मोटा होग, मेरी चुत को तो पूरी फाड् कर रख देगा, हे भगवन मै यह सब क्या सोच रही हु और अपने बेटे को अपनी चुत खोल कर दीखाते हुये मेरी चुत इतना मस्ता क्यों रही है, कितना पानी रिस रहा है बुर से।

निर्माला : दिखा बेटे।
कालू : माँ की भोस को ताड़ते हुये, हाँ माँ नजर तो आ गया है पर तू पीछे हाथ टीका कर आराम से बैठ जा मै अभी निकालता ह, माँ मुझे देखति हुई पीछे अपने हाथ टीका कर बैठ गई और उसकी जाँघे अपने आप और
भी खुल कर चौड़ी हो गई अब माँ की भोस की फाँके पूरी खुली हुई थी और मै उसकी एक टाँग पकडे बस उसके तलवे सहला रहा था, कुछ देर तक माँ की मस्त चुत घुरने के बाद मैने देखा माँ भी कनखियों से मेरे लंड के उठाव को देख रही है, पर माँ की बुर कितनी मस्त और रसीली है, कल बिरजु भी चाची की यानि अपनी माँ की बुर को ऐसे ही देख देख कर मजे ले रहा था।

लागता है बिरजु अपनी माँ को खूब चोदना चाहता है, पर मेरी माँ की गुदाज चुत है कितनी चौड़ी और फटी हुई चुत है माँ की इसमें मेरा लोडा पूरा समां जाय तो कितना मजा आयेगा।
निर्माला : निकला बेटे, मेरे पैर ऊपर उठाये उठाये दर्द करने लगे है।
कालू : बस माँ निकलने वाला है तू अपने पैर को ऊपर ही उठाये रहना बस अभी तेरे अंदर घुसा काँटा निकल जाएगा।
कुछ देर तक मै माँ की चुत घूरता रहा फिर मैंने पैर निचे रखते हुए कहा माँ काँटा निकल गया है।
 
निर्माला : आह बड़ा दर्द हुआ रे।
कालू : ज्यादा मोटा था ना।
निर्माला : मंद मंद मुस्कुराते हुये, हाय रे बहुत ही मोटा था क्या।

उस दिन पूरा दिन मेरे सामने माँ के मोटे मोटे चूतड़ और मस्त फुली चुत ही घूमते रहा, अगले दिन गुड़िया जाने को तैयार हो गई।
कालू : गुड़िया अब कब आयेगि।
गीतिका : भैया अब तो जल्दी ही आउंगी और कुछ दिनों की छुटटी लेकर आउंगी, मैंने गीतिका को साईकल पर बेठा लिया और उसकी गुदाज गाण्ड मेरे लंड से सट गई फिर साईकल चलाते हुये मै उससे बाते करने लगा, और फिर बस स्टैंड आ गया और गुड़िया एक दम से मेरे सिने से लग गई, आज पहली बार मुझे गीतिका के मोटे मोटे कसे हुए दूध का मस्त सा
एहसास हुआ क्योंकि गीतिका ने अपनी छातिया बहुत जोरो से मेरे सिने से चिपका ली थी, मैंने भी गुड़िया के गालो को चुमते हुए एक बार उसके भारी चूतडो में हाथ फेर दिया।
गुडिया : भैया मुझे आपकी सबसे ज्यादा याद आती है, मै आपको बहुत मिस करुँगी।
कालू : मुझे भी तेरे बिना अच्छा नहीं लगता तो जल्दी से एक लम्बी छुटटी लेकर आजा फिर हम खूब मजे करेगे।
गुड़िया : रोते हुए ओके भेया।
कालू : जरा एक बार मुसकुराकर कर बोल।
गुडिया : मुस्कुराते हुए बाय भैया आई लव यु, उसके बाद बस चल दी और कल्लु बुझे बुझे मन से वापस गांव की और साईकल मोड़ देता है। 

होस्टल में मोनिका टी वी देख रही थी और फिर गीतिका आ गई गीतिका को देख कर मोनिका उससे चिपक गई।
मोनिका : क्यों परी क्या विचार है, अपना रसीला जूस पिलाओगी।
गीतिका : रुक जा पहले मुझे चेंज तो कर लेने दे।
मोनिका : गीतिका का हाथ पकड़ कर बेड पर खीचते हुये, मेरी जान तू तो मुझे नंगी ही अछि लगती है।
गीतिका : पहले मुझे वो निग्रो वाली मूवी तो दिखा।
मोनिका : लगता है तो भी बड़ी चुदासी है अपने गांव में किसी का तगड़ा लंड ले लेती ना।
गीतिका : यार मोका ही नहीं लगा नहीं तो लंड तो बहुत है।
मोनिका : वो देख उस निग्रो के मोटे और काला लंड की बात कर रही थी मैं।
गीतिका : हाय क्या मस्त लंड है, कितना मोटा है।
मोनिका : क्या बात है आज तेरी चुत पहले से ही पानी छोड़ रही है।
गीतिका : अरे मेरी चुत तो 4 दिन पहले से ही पानी छोड़ रही है।
मोनिका : क्यों ऐसा क्या हो गया।
गीतिका : अरे इस बार गांव में आम खाने में बड़ा मजा आया, मै अपने भैया के ऊपर चढ़ कर आम तोड़ रही थी और भैया मुझे अपनी गोद में उठाये खड़े थे।
मोनिका : क्या बात कर रही है, फिर तो तेरे भैया ने तुझे खूब मसला और दबोचा होगा।
गीतिका : हाँ पर मै भी जानबूझ कर घाघरे के निचे पेंटी पहन कर नहीं गई थी मै पहले से ही भैया के साथ घाघरे के निचे नंगी जाने को रेड्डी हो गई।
मोनिका : ऐसा क्योँ।
गीतिका : मैंने भैया की एक किताब देखी जिस्मे भाई और बहन की चुदाई की कहानिया लिखी थी बस मैंने वह पढ़ी और मुझे भैया की नीयत का अन्दाजा हो गया।
मोनिका : तेरा मतलब यह है की तुझे ऐसा लगता है जैसे तेरे भैया तुझे चोदना चाहते हो।
गीतिका : हाँ और फिर जब मै उनके ऊपर चढ़ी तो कई बात तो मैंने अपनी चुत भी उनके मुह से रगड दी।
 
मोनिका : तो तूने अपनी चुत मरवाया क्यों नही, वही आम के बगीचे में खूब तबियत से चुद लेती किसी को पता भी नहीं चलता।
जीतिका : नहीं यार भैया भाई बहन की चुदाई की किताबे पढ़ते है इससे यह पक्का तो नहीं होता न की वह मुझे अपनी बहन को ही चोदना चाहते है।
मोनिका : गीतिका के मोटे मोटे दूध दबाते हुये, अच्छा तो अगर मैडम के भैया उनको पूरी नंगी करके चोदना चाहे तो क्या आप चुद्वाओगि।
गीतिका : मुस्कुराते हुये, मै कैसे चुदवाऊंगी, भला कोई अपने सगे भाई से अपनी चुत मारवाता है क्या।,
मोनिका : अरे रंडी परी आज कल तो लोग अपने बाप से चुदवा लेते है वह तो फिर भी भाई है, और देखना जब तेरे भैया का लंड तेरी बुर में घुसेगा तो तुझे सबसे ज्यादा मजा आएगा।,
गीतिका : आह थोड़ा दाने को सहला न, कितना कस कस कर चोद रहा है वह काला।
मोनिका : अच्छा तूने लंड देखा है तेरे भैया का।
गीतिका : कपडे के उपर से देखा है बहुत बड़ा और मोटा नजर आता है, बिलकुल काला होगा।
मोनिका : मुस्कुरा कर यह कैसे कह सकती है।
गीतिका : मुस्कुराकार, उनके नाम पर गया होगा।
मोनिका : यार तू भी न इतना अच्छा मोका था तुझे चुद ही लेना था, बोल कब चुदेगी अपने भैया से।
गीतिका : तू ही बता यार मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।
मोनिका : अरे इसमें समझना क्या है कॉलेज से छुटटी मार और पहुच जा अपने गांव, घर में तबियत ख़राब का बहाना कर लेना और आराम से एक महिने खूब कस कर चुत मरवा लेना अपने भैया से।

गीतिका : नहीं यार अभी जाऊंगी तो ठीक नहीं रहेगा। कुछ समय बाद जॉउगी, ले अब तो चूस कर मुझे थोड़ी राहत तो दे, उसके बाद दोनों एक दूसरे की मस्त रसीली बुर को चुस्ती हुई सो गई।
करीब 2 महिने बीत चुके थे, और फिर बारिश शुरू हो गई और इस बार गीतिका एक लम्बी छुटटी लेकर चली वह अब मस्ती के मूड में थी, और फिर गीतिका बस से उतरी और सामने कल्लु को खड़ा देखा।
मुस्कराते हुए उसके सिने से लग गई, कल्लु ने भी अपनी बहन की गुदाज जवानी को अपनी बांहो में भर लिया और फिर गीतिका को साईकल पर बेठा कर गांव की ओर चल दिया।
 
कल्लु : गुड़िया इस बार तो जीन्स पहन कर नहीं आई।
गीतिका : मुस्कुरा कर क्यों आपको मै जीन्स में ज्यादा अच्छी लगती हु क्या।
कालू : हाँ वो तो है, वैसे तो सभी कपडो में मस्त दिखती है।
गीतिका : पर आपने पहले से सोच रखा होगा की गीतिका जीन्स पहन कर बस से उतरेगी।
कालू : मुस्कुराते हुये, हाँ पहले तुझे जीन्स में देखा था न बस इसिलिये।

धीरे धीरे हम गांव पहुच गए और फिर अगले दिन गीतिका भी मेरे साथ खेतो में चल दी, गीतिका मेरे साथ चल रही थी और उसने आज फिर घाघरा चोली पहना हुआ था, मै उसके गले में हाथ डाल कर चल रहा था और बीच बीच मै उसके मस्त उभरे हुए चूतडो को भी सहला देता था, खेत में पहुंचने के बाद गीतिका काफी खुश होते हुये कहने लगी भैया बारिश के बाद गांव में कितनी हरियाली हो जाती है, अब तो कही भी नरम नरम घास में बैठ जाओ।

गीतिका : भैया आम का मौसम इतनी जल्दी क्यों ख़तम हो गया।
कालू : अरे तो क्या साल भर आम लगे रहेगे।
गीतिका : भैया मुझे तो बोरियत हो रही है।
कालू : चल तुझे नदी की तरफ घुमा कर लाता हूँ।
गीतिका : खुश होते हुए हाँ भैया चलो आप मुझे तैरना सीखाने वाले थे ना।
कालू : अरे ऐसे घाघरा चोली में तुझसे तैरते नहीं बनेगा कल दूसरे कपडे पहन कर आना फिर तुझे तैरना सीखा दुँगा।


गीतिका : अच्छा ठीक है, मै खुद भी घबरा रही थी की कही भैया अभी मुझे घाघरा उतार कर तैरने के लिए न कहने लगे नहीं तो उनसे क्या कहूँगी की मै अंदर चडडी
पहन कर नहीं आई हूँ।

तभी सामने से बिरजु आ गया और
बीरजु : अरे गीतिका दीदी तुम्हे मेरी माँ बुला रही है, वह नदी किनारे कपडे धो रही है जाओ चली जाओ।
उसकी बात सुन कर गीतिका मेरी ओर देखने लगी तब मैंने कहा गुड़िया जा चलि जा मै थोड़ी देर में आता हूँ। मेरे कहने पर गुड़िया वहाँ से जाने लगी और उसके चूतडो को बिरजु घुरते हये उसके पीछे पीछे जाने लगा।
कालू : ये बिरजु रुक तू कहा जा रहा है।
बीरजु : अरे दादा हमें भी नहाना है नदी किनारे माँ कपडे धो रही है हम तो सिर्फ गीतिका दीदी को बुलाने आये थे माँ पूछ रही थी।
कालू : अरे नहा लेना पहले तू मेरी बात तो सुन आ बैठ यहॉ, बिरजु मेरे बगल मै बैठ गया और मैंने उसके काँधे पर हाथ फेरते हुए कहा, अच्छा बिरजु यह बता कभी तूने चाची को मुतते हुए देखा है या नहि।
बीरजु : देखा है भेया।
कालू : कैसी है तेरी माँ की चूत, बड़ी मोटी धार के साथ मुतति होगि।
बीरजु : अरे भैया माँ की चुत तो बहुत मस्त और बिलकुल चौड़ी और गुलाबी है जब मुतती है तो बड़ी मोटी धार निकलती है लेकिन भैया।
कालू : अबे लेकिन क्या बे।
बीरजु : दादा माँ से भी ज्यादा बड़ी और मस्त फुल्ली हुई चुत है बड़ी माँ की और जब वह मुतती है तो उनकी चुत से पेशाब की धार इतनी मोटी निकलती है की क्या बताऊ।
कालू : अबे हरामि तूने कब देख ली मेरी माँ की चूत।
बीरजु : वो दादा जब बड़ी माँ और माँ दोनों खेत में बैठ कर बाते करती है तब उन्हें पेशाब लगती है तो झोपडी के पीछे जाकर मुतती है और बस मै झोपडी के अंदर से छूप कर उनकी मस्त चुत के दर्शन कर लेता हु।
कालू : तू तो बड़ा हरामि है साले, फिर क्या करता है चुत देख कर।
बीरजु : दादा वाही खड़ा होकर मुट्ठ मार लेता हु बड़ा मजा आता है।
कालू : यार मुझे भी अपनी माँ की चुत के दर्शन करवा दे।
बीरजु : क्यों बड़ी माँ की चुत नहीं देखना चाहोगे, बड़ी माँ तो और भी ज्यादा मस्त माल है, मैंने तो बड़ी माँ और माँ के मोटे मोटे चूतडो को भी पूरा नंगा देखा है, सच दादा अगर तुम बड़ी माँ को नंगी देख लो
तो तुम्हारा लंड पानी छोड़ देगा।
 
कल्लु : तूने मेरी माँ और चाची के चूतडो को कब देखा है।
बीरजु : अरे दादा नदी के किनारे के पेड़ के ऊपर चढ़ कर जब माँ और बड़ी माँ नहाने आती है, तब कई बार दोनों नंगी होकर ही नदी में नहा लेती है, दादा मै तो जब बड़ी माँ के मोटे मोटे चूतडो को घाघरे के उपर से मटकते देखता हु तो मुझे उनकी गाण्ड मारने का बड़ा मन करता है।
कालू : और क्या क्या देखा तूने जरा खुल के बता ना।
बीरजु : दादा मैंने तो दोनों को गन्दी बाते करते हुए भी सुना है और तो और अपनी माँ को मैंने अपनी चुत में ऊँगली पेल कर मुट्ठ मारते हुए भी देखा है।
कालू : कहा वही झोपडी के पीछे जाकर मुट्ठ मारती है क्या।
बीरजु : हाँ।

कल्लु : तूने मेरी माँ को मुट्ठ मारते हुए नहीं देखा।
बीरजु : नहीं पर एक बार बड़ी माँ को मैंने ऐसी हालत में देखा की क्या बताऊ मै तो मस्त हो गया था, जानते हो बड़ी माँ एक बार झोपडी के पीछे मुतने गई और खड़े खड़े ही अपनी चुत से मोटी धार मारने लगी
सच दादा बड़ी माँ को खड़ी खड़ी मुतते देखने पर ही मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया था।
कालू : साले तू तो बड़े मजे मार रहा है, अब मेरा भी कुछ करवा दे।
बीरजु : दादा मै क्या करवा सकता हु तुम अपने हिसाब से देख लो और वैसे भी कौन सा तुम्हारी या मेरी माँ हमसे चुदवा लेगी।
कालू : साले तू तो कोशिश कर रहा है न अपनी माँ को पटाने की।
बीरजु : अरे तुम क्या जानते नहीं मेरी माँ को वह मुझसे क्या पटेगी, उलटे मैंने कोई हरकत की तो मारेंगी अलग।
कालू : अच्छा एक बार चाची की मस्त चुत के दर्शन तो करवा दे, देख तूने तो काँटा निकालने के बहाने अपनी माँ की चुत को खूब फैला फैला कर देखा है एक बार हमें ही दिखा दे।
बीरजु : चलो कुछ मोका लगा तो बताऊँगा अभी तो मै जाता हु।
कालू : सुन माँ और गीतिका को भेज देना।

थोड़ी देर बाद माँ और गीतिका आ रही थी और मै खेतो के काम में लग गया, तभी माँ मेरे पास आकर बैठ गई और घास काटने लगी उसका मुह मेरी ओर था और उकडू बैठ कर घास काटते हुए जब वह थोड़ी आगे बढ़ी तो उसकी जाँघो में फसा घाघरा निचे सरक गया और माँ की मस्त फुली हुई बड़ी बड़ी फाँको वाली चुत एक दम से खुल कर मेरे सामने आ गई, बिलकुल गुलाबी और उसकी चुत का बड़ा सा दाना ऐसे तना हुआ था की दिल कर रहा था की उसकी पूरी चुत को
मुह में भर कर चूस लु और खूब कस कस कर नंगी करके चोदूं अपनी माँ को।


मा का चेहरा लाल हो रहा था और उसकी नजर मेरे धोती में छूपे हुए मस्त काला लंड पर थी, पर मै उस समय बहुत उत्तेजित हो गया जब मैंने गौर से देखा की
मा की चुत से हलके हलके पानी रिस रहा है, मेरा लंड धोती फाड कर बाहर आने को उतावला हो रहा था।

निर्माला : कल्लु तुझे चाची ने शाम को बुलाया है उसे कुछ काम था।
कालू :क्या काम था।
निर्माला : मुस्कुरा कर अब यह तो खुद ही पूछ लेना, न जाने उसे तुझसे क्या काम है दो तीन दिन से रोज तेरे बारे में पूछती है।
कालू : होगा कुछ बोझा उठाने का काम।
निर्माला : अब तेरे चाचा तो यहाँ रहते नहीं और बिरजु भी अभी छोटा ही है, हो सकता है चाची के पास तेरे लायक कोई काम हो, यह कह कर माँ मुस्कुरा दी
मेरा लंड माँ की बातो से और भी खड़ा हो रहा था, खेर माँ कोई भी काम हो करना तो पड़ेगा ही आखिर मेरी सागी चाची जो है।
निर्माला : कभी अपनी माँ का भी ख़याल आता है तुझे अपनी माँ का भी काम कर दिया कर।
कालू : माँ की मस्त फुल्ली चुत देखते हुये, तू बोल तो सही तेरे तो सारे काम सबसे पहले करुँगा।
निर्माला : कल्लु के लंड को देखते हुये, जा पहले चाची का काम तो कर दे फिर मेरा भी कर देना, उस दिन शम को मै चाची के खेतो में चला गया और सामने चाची
झोपडी के बाहर बैठ कर एक ट्यूबवेल के पानी से अपने घाघरे को जांघो तक चढ़ाये हुए अपनी गोरी गोरी जांघो और पिण्डलियों को धो रही थी, मेरा लंड चाची की गदराई जाँघो को देख कर मस्त खड़ा हो गया, चाची की जाँघे बिलकुल मेरी माँ की तरह ही खूब मोटी और गदराई हुई थी और उनकी जंघे और पिण्डलिया बिलकुल मेरी माँ की मदमस्त जांघो के जैसी गोरी और खूब चिकनी थी, हलाकि माँ की जाँघे और भी ज्यादा मोटी थी लेकिन चाची पूरी मस्ती में अपनी जांघो को रगड रगड कर धो रही थी, उसे बिलकुल भी मेरा ध्यान नहीं था।
और मै भी चाची की गदराई मोटी जांघो को देख कर पागल हो रहा था मेरा लंड धोती में बड़ा सा तम्बू बनाये खड़ा हो गया था और मै अपने लंड को हलके हलके मसल रहा था तभी चाची ने एक दम मेरी ओर देखा और उनकी नजर मेरे मस्त फौलादी लंड पर पड़ गई, चाची को देख हम दोनों की नजरे मिली और फिर मैंने लंड पर से हाथ हटा लिया लेकिन चाची ने अपने घाघरे को निचे नहीं किया और मेरी और मुसकुराकर देखति हुई बोलि, आ कल्लु क्या बात है आज कल तो तू अपनी चाची से बात भी नहीं करता है मेरे पास आना तो दुर की बात है.
 
कल्लु : नहीं ऐसी बात नहीं है, मेरी निगाहें चाची की मोटी चिकनी जांघो से हट ही नहीं रही थी और चाची मेरी नज़रो को ताड गई थी 
चाची : आ बैठ मेरे पास मै जरा हाथ पैर धो लु बड़ी जलन हो रही थी पेरो में और फिर चाची ने अपनी जांघो को सहलाते हुए पानी डालना शुरू किया।
चाची : पानी बड़ा मस्त है कल्लु पियेगा, चाची ने मेरी ओर कातिल निगाहें मारते हुए कहा।
कालू : चाची की जवानी को ऊपर से निचे तक घुरते हुये, हाँ चाची प्यास तो मुझे भी लगी है पीला दो पानी।

चाची एक पत्थर पर बैठी थी और उसके सामने एक गड्ढ़ा था जिस्मे पानी इकठ्ठा होता था। चाची ने पानी की नली पकड़ कर मुझे सामने आने को कहा और उस पत्थर पर ऐसे बैठ गई जैसे मुतने बेठती है।
जब मै सामने आकर बेठा और अपने मुह को झुका कर पानी पिने लगा तब चाची की जांघो की जडो में मेरी नजर गई और मेरी साँसे वही थम गई चाची का मस्त फुला हुआ भोस देख कर मेरा लंड झटके देने लगा मेरी पानी पिने की रफ़्तार धीमी हो गई और मै चाची की फुल्ली हुई फाँके और फ़ाँको के बीच के गहरे कटाव को देख कर मस्त हो गया।

चाची : मुस्कुराते हुए कहने लगी तू तो बड़ा प्यासा है कालू, लगता है सारा पानी पी जाएगा।
कालू : क्या करू चची गर्मी भी तो इतनी है।
चेची : आराम से पी ले कल्लु तेरी चाची की टूबवेल का पानी बड़ा मीठा है।
पानी पिने के बाद मै वही बैठा रहा और चाची की मस्त चुत को देखता रहा।
चाची : और बता मैंने सुना है आज कल तो दिन भर गीतिका तेरे ही आगे पीछे घुमति रहती है।
कालू : हाँ वो तो है आखिर इतने दिनों बाद जो मिलति है मेरी गुडिया।
चेची : लगता है बहुत चाहता है अपनी बहना परी को लेकिन जब वह शादी करके चलि जायेगी तब क्या करेंगा।
कालू : अरे चाची अभी तो वह छोटी है कहा अभी से उसकी शादी कर रही हो।
चाची : अरे क्या बात करता है बेटा, इतनी भरी पूरी जवान तो हो गई है, साल भर पहले ब्याहि होती तो अभी उसकी गोद में बच्चा खेल रहा होता, कभी गौर से देखा नहीं क्या अपनी बहन को।
पुरी तेरी माँ पर गई है, तेरी माँ से कम न पडेगी।

कल्लु : लेकिन चाची माँ तो बहुत मोटी और भारी है, और गुड़िया तो कमसीन लड़की है।
चाची : अरे तेरी माँ शादी के बाद इतनी फैल गई है, अभी गीतिका को देखना जब वह अपने पति के पास से होकर आएगी तो उसका भी अंग अंग खूब फ़ैल जाएगा।

चाची की बाते सुन कर मेरा लंड खूब मस्त हो रहा था और चाची अपनी मस्त चुत फ़ैलाये मुझसे बाते कर रही थी।
चाची : वैसे पिछ्ली बार जब गुड़िया आई थी तब तूने उसे आम चुसाये थे की नहीं या फिर गुड़िया तुझसे केला खाने की जिद कर रही थी, यह बात बोल कर चाची हॅसने लगी, मै भी उनके साथ मुस्कुरा दिया।
कालू : नहीं चाची मैंने उसे खूब आम चुसाये थे, केला तो मैंने पूछा ही नहीं की उसे पसंद है की नही।
चाची : वैसे केला तेरी माँ को बहुत पसंद है, गुड़िया को भी केला खिलायेगा तो उसे भी पसंद आएगा, हर लड़की को केला बहुत पसंद होता है।
कालू : आपको भी केला बहुत पसंद है क्या।
चेची : हाँ रे केला खाने का बड़ा मन करता है लेकिन अब मुझे कौन केला खिलायेंगा।
कालू : मै हु न चाची मुझसे कहो मै केला खिलाऊँगा आपको।
चाची : अपनी जांघो को हिलाते हुये, अरे बेटा कल्लु मै तो तुझसे केला खाने के लिए कब से बेठी हूँ, पर तू अपनी चाची को क्यों खिलायेगा, तू तो लगता है बस अपनी माँ और बहन को ही केला खिलायेंगा।
कालू : अरे चाची मै आपको भी खिलाउंगा, किसी दिन मेरे साथ बाजार तक चलो।
चाची : तो ले चलेगा मुझे अपनी साईकल पर बेठा कर।
कालू : क्यों नहीं जब कहो तब चल देता हूँ। चाची मै जरा पेशाब करके आता हूँ।
चाची : कल्लु : वहाँ झोपडी के पीछे जा कर कर ले।

चाची ने झोपडी के पीछे जाकर मुझे मुतने को कहा तो मुझे कुछ अजीब लगा फिर मै झोपडी के पीछे चला गया और मुझे झोपडी के अंदर से परछाइ नजर आई तो मै समझ गया की चाची छूप कर मेरा लंड देखने वाली है।
मैने अपने लंड को धोती से बाहर निकाला वह पूरी तरह खड़ा था और खूब मोटा और काला नजर आ रहा था, उधर चाची ने जैसे ही मेरे खड़े लंड को और उसकी मोटाई और लम्बाई को देखा तो वह अपनी चुत को रगडते हुये गहरी साँसे लेने लगी, यह वही जगह थी जहा से बिरजु अपनी माँ और मेरी माँ को मुतते हुए देखता था, मै अपने लंड को खूब सहलाते हुए रगड रहा था और चाची अपनी चुत सहलाते हुए मेरे लंड को खा जाने वाली नज़रो से देख रही थी।
 
जब मै मूत कर वापस आया तो चाची जल्दी से वापस बहार आ चुकी थी मेरे मुतने के बाद चाची ने कहा मै भी पेशाब करके आती हु कल्लु और फिर चाची अपनी घाघरे में से मटकती गाण्ड को हिलाती हुई जाने लगी और मैंने देखा चाची अपनी गाण्ड मेरे
सामने ही खुजलाती हुई जा रही थी, चाची जैसे ही पीछे गई मै झोपडी में घुस गया और जब मैंने बाहर झाँका तो चाची अपने दोनों हांथो से अपने घाघरे को ऊपर चढा चुकी थी रंडी अंदर से पूरी नंगी बड़ी मस्त लग रही थी उसकी चुत का उभार मुझे पागल कर रहा था।
चाची खड़ी खड़ी अपनी बुर सहलाती जा रही थी और फिर सामने बैठ कर अपनी मस्त भोस में दो उंगलिया पेलने के बाद अंदर बाहर करने लगी, उसके मुह को देख कर लग रहा था की वह मेरे मस्त लंड को सोच सोच कर अपनी बुर सहला रही है।

उसकी भोस बहुत मस्त लग रही थी, ऐसी रसीली चुत देख कर मै भी पागल हुआ जा रहा था, अब तो मेरा मन कर रहा था की चाची को खूब कस कस कर चोदुं। लेकिन मै अभी जल्दीबाज़ी करना नहीं चाहता था।
कुछ देर बाद चाची वापस आ गई और फिर अपने घाघरे से मुझे मुसकुराकर देखते हुए अपनी चुत पोछते हुए कहने लगी, कल तू पक्का मुझे अपनी साईकल पर बेठा कर बाजार ले चलेगा ना।
कालू : हाँ पक्का चाची।

मै वहाँ से खेत में आ गया गीतिका खाट पर लेटी कोई किताब पढ़ रही थी, खेत में माँ और बाबा काम में लगे हुए थे, गीतिका ने एक फ्राक पहनी हुई थी जो उसकी गोरी जांघो को भी दिखा रही थी, गुड़िया ने मुझे देखा नहीं और मै धीरे से उसके पास पहुच गया।
गडिया को बिलकुल भी ध्यान नहीं था और वह एक नंगे फोटो की किताब थी जिस्मे एक औरत एक आदमी के लंड के ऊपर चढ़ कर बेठी थी, गीतिका बड़े गौर से उसके काले लंड और उसकी खुली हुई गुलाबी चुत देख रही थी, गीतिका का एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर था और वह अपनी चुत को खूब दबा दबा कर उस रंगीन फोटो को देख रही थी, लेकिन जैसे ही गीतिका की नजर मुझ पर पड़ी वह एक दम से हडबडा
कर उठ बेठी उसे यह समझ नहीं आया की किताब सम्भाले या अपनी चुत से अपने हाथ को बाहर निकाले।
फिर भी मैंने अन्जान बनते हुए न किताब की ओर ध्यान दिया और न ही उसकी चुत की ओर और कहने लगा गुड़िया माँ और बाबा काम में लगे है चल तुझे तैरना सीखना था न, चल इस समय नदी में कोई नहीं होगा बढ़िया मस्त तरीके से तुझे तैरना सीखा दुँगा।

गुडिया खुश होते हुए मानो उसे मन की मुराद मिल गई हो वह मेरे पीछे पीछे चल दी और किसी को फ़ोन लगाने लगी, मै थोड़ा आगे आगे चल रहा था और गुड़िया अपनी सहेली से दबी आवाज में बात कर रही थी।
गुडिया : हाय रंडी खुद चुद रही है या अपनी मम्मी को चुदवा रही है।
मोनिका : अरे मै तो अपनी माँ की चुत में बड़े बड़े लंड खुद पकड़ पकड़ कर पेल रही हु और पिलवा रही ह, पर तू क्यों आज गरम नजर आ रही है।
गुडिया : हाँ गुड न्यूज़ है।
मोनिका : क्या।
गुडिया : नदी में नहाने जा रही ह, आज भैया मुझे तैरना सिखाएगे।
मोनिका : हाय रंडी परी तेरे तो खूब मजे है अपने भैया के मोटे लंङे पर चढ़ चढ़ कर तैरना, और सुन बार बार डुबने का बहाना करके अपने भैया के नंगे बदन से पूरी तरह चिपक जाना, देखना तेरे भैया का मोटा लंड जब तेरी मस्त पाव रोटी की तरह फुली चुत में जब घुसेगा
तो तुझे बड़ा मजा मिलेगा, अपने भैया के मोटे लँड को खूब अपनी चुत से दबा दबा कर चुदवाना, वैसे भी तेरे भैया तेरे जैसी रसीली बहन की चुत तो पहले से ही मारने के बारे में सोचते होगे।

गुडिया : पता नहीं पर उनका कसरती बदन देखते ही मुझे उनके मोटे लंड की कल्पना होने लगती है मेरी भोस खूब मराने के लिए तडपने लगती है।
मोनिका : मेरी रंडी परी आज मोका अच्छा है खूब मरा ले अपने भैया से अपनी चूत, एक बार तबियत से चुद गई तो फिर तेरे मजे हो जाएगे फिर तो दिन भर खेतो में अपने भैया के सामने नंगी ही घुमना बड़ा मजा आएगा, जब तू झुक कर अपने भैया को अपनी मोटी गाण्ड और मस्त उभरी हुई पाव रोटी जैसी चुत दिखाएगी तो तेरे भैया खड़े खड़े ही तेरी चुत में लंड पेल देंगे।
गुडिया : चल अब रख नदी आ गई है।
मोनिका : बेस्ट ऑफ़ लक।
गुडिया : थैंक्स बिच।

नदी में कोई नहीं था और मेरे बदन पर सिर्फ धोती थी, मैंने गुड़िया की तरफ देखा बहुत मस्त लग रही थी एक छोटी सी फ्राक मे।
गुडिया : भैया मुझे तो डर लग रहा है।
कालू : मुस्कुराते हुये, अरे डरती क्यों है तेरा भैया है न तेरे पास।
गुडिया : पर भैया मैंने तो फ्राक पहना है मुझसे तैरते बन जाएगा।
कालू : बन तो जाएगा, वेसे तुझे दिक्कत हो रही है तो अपनी फ्राक उतार दे, निचे तूने चड्ढी तो पहनी होगी ना.
 
मुझे भैया की बात सुन कर हसी आ गई और मैंने शरमाते हुए मुह निचे करके कहा। भैया मै आपके सामने कैसे फ्राक उतार सकती हूँ।
कालू : क्यों मेरे सामने क्या दिक्कत है।
गुडिया : भैया मुझे आपके सामने शर्म आएगी मैंने अंदर ब्रा नहीं पहनी है।
कालू : अरे पागल यह गांव है माँ और चाची भी जब यहाँ नहाने आती है तो अपने ब्लाउज को पूरा उतार कर ही नहाती है, तूने देखा है ना।
मा तो घर पर भी जब नहाती है तो अपना पूरा ब्लाउज उतार लेती है।

गुडिया : पर भैया इतना कहते ही मेरी नजर भैया के धोती मै खड़े लंड पर पड़ गई और मैंने मन में सोचा भैया मुझे नंगी देखने के लिये मरे जा रहे है तभी उनका लंड इतना बड़ा हो रहा है, मुझे तो समझ नहीं आ रहा था की भैया नाटक कर रहे है जैसे की कुछ नहीं जानते ही नहीं या सचमुच भैया बहुत भोले है, वैसे तो भैया ने कभी ऐसी वैसी कोई हरकत कभी की नहीं पर उनका लंड क्यों इतना खड़ा हो रहा है खेर जो भी हो
मै तो खुद भी अपने बड़े भाई को अपनी मादक नंगी जवानी दिखाने के लिए तड़प रही थी।
वैसे भी भैया मेरे कसे हुए बड़े बड़े दूध को बड़े प्यार से देख रहे थे।

मेरे देखते देखते भैया पानी में उतर गए और मुझसे कहने लगे आजा गीतिका इस गर्मी में नदी में नहाने का मजा ही कुछ और है।
गीतिका : भैया क्या मै सचमुच फ्राक उतार दू कोई आ गया तो।
कालू : अरे पागल इस घाट पर मेरे और चाची के परिवार के अलावा कोई नहीं आता है बाकि गांव के दूसरे तरफ वाले घाट पर जाते है।
अब जल्दी से आ जा, मैंने भैया की बाते सुन कर कहा भैया मै पानी में घूसने के बाद उतार दूंगी।
कालू : तेरी जैसी मरजी अब जल्दी से आजा, गीतिका धीरे धीरे पानी में उतरने लगी उसकी मोटी मोटी छातिया खूब ऊपर निचे सांसो के साथ हो रही थी, जब वह कमर तक पानी में आ गई तो मुझसे कहने लगी भइया मुझे डर लग रहा है आप आओ न ईधर, गुड़िया की आवाज सुन कर मै उसकी ओर गया और उसका हाथ पकड़ कर गहरे पानी की ओर जाने लगा और गुड़िया बस भैया और गहरे में नहीं ओह भैया रुको न।

गीतिका बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ रही थी की उसका पैर एक दम से गहराई में गया और वह मुझसे एक दम से चिपक गई और दोनों पेरो को मेरी कमर में लपेट कर मेरे ऊपर चढ़ गई।
गुडिया : भैया प्लीज निचे मत उतारो मै डूब जॉउंगी, मैंने अपने दोनों हांथो से उसकी गुदाज मोटी गाण्ड को दबोच रखा था, उसकी फ्राक तो न जाने कब की ऊपर हो गई थी और मेरी गदराई बहन पेंटी पहने मेरी कमर में अपनी गुदाज मोटी जाँघे लपेटे हुए मुझसे चिपकी हुई थी।
उसकी मोटी छतियो के नुकीले चुचे मुझे चुभ रहे थे, मेरा मन गुड़िया के मोटे मोटे खरबूजों को खूब कस कर मसलने का कर रहा था।
कालू : गुड़िया तू धीरे से पानी में उतर कर तैर और हाथ और पैर ऐसे चला।
 
गुडिया : नहीं भैया मुझसे नहीं होगा।
कालू : अरे पागल मै तेरे कमर और पेट को अपने हांथो से सहारा देकर तुझे धीरे धीरे तैरना सिखाउंगा और तू डुबेगी भी नही।
और फिर गुड़िया को धीरे से मैंने उतारा और उसके मुलायम गुदाज पेट को पकड़ कर एक हाथ से उसकी गुदाज मोटी गाण्ड को थामे उसे धीरे धीरे हाथ पैर हिलाने के लिए कहने लगा लेकिन गुड़िया बार बार डुबने लग जाती और जब उसकी सांसे भर गई तो कहने लगी नहीं भैया बस अब मै डूब जॉंउगी।
कालू : अरे तो एक काम कर इस फ्राक के कारन तू फ्री होकर नहीं तैर पा रही है इसे उतार दे।
गुड़ीया : नहीं भैया मै डूब जॉऊंगी।
कालू : अरे मै तुझे ऐसे ही पकडे रहूँगा तो आराम से उतार ले मै तुझे अपनी गोद में उठाये रहुंगा, गुड़िया ने मेरी ओर देखा उसके गुलाबी होंठ पानी में भीग कर और भी सेक्सी लग रहे थे फिर गुड़िया को मैंने पीछे से पकड़ लिया अब गुड़िया ने फ्राक उतारना शुरू किया।
 
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