Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते - Page 23 - SexBaba
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Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते

इधर ज़ाहिद और जमशेद एक दूसरे के गले मिले. तो दूसरी तरफ शाज़िया ने अपनी उस सहेली को अपने गले से लगाया.

जिस सहेली ने आज से कई महीने पहले गुस्से मे आ कर ज़ाहिद से अल कौसेर होटेल दीना में की गई बे इज़्ज़ती का बदला लेने का सोचा था.

और अपने उसी गुस्से को परवान चढ़ाते हुए अंजाने में ज़ाहिद और शाज़िया के दिल और दिमाग़ में दोनो बहन भाई के जिस्मो के लिए जिन्सी आग को भड़का दिया था.

“हाईईईईईईईईई नीलोफर लगता है जमशेद का प्यार तुम्हारे पेट में पलने लगा है,मेरी बनो” नीलोफर के हमला पेट से अपना हमला पेट मिलाते हुए शाज़िया ने अपनी सहेली नीलोफर को अपनी बाहों में कसा. और बहुत प्यार से अपनी सहेली से बोली.

“हां,तुम्हारे भाई की तरह मेरे भाई ने भी मेरी खोख में अपने प्यार की निशानी को मुन्तिकल कर दिया है मेरी जान” नीलोफर ने भी शाज़िया से एक अरसे के बाद मिलने पर उसे जोश से अपनी बाहों में कसा. और शाज़िया की बात का उसी अंदाज़ में जवाब देते हुआ बोली.

“ज़ाहिद भाई की निशानी सिर्फ़ मेरे अंदर ही नही, बल्कि मेरे साथ साथ अब हमारी अम्मी की चूत में भी पल रही है निलो” शाज़िया ने नीलोफर की बात का जवाब देते हुए जमशेद और नीलोफर को इतला दी.

“किय्ाआआआआआआ आंटी आप भी ज़ाहिद से चुदवा चुकी हैंन्नननणणन्” शाज़िया के मुँह से ये धमाके दार खबर सुन कर नीलोफर ने शाज़िया को और जमशेद ने एक दम अपने आप से अलग किया.

तो रज़िया बीबी और ज़ाहिद की तरफ देखते हुए जमशेद और नीलोफर के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ निकल गये.

जमशेद और नीलोफर का हैरत भरा ये रियेक्शन देख कर ज़ाहिद और शाज़िया के मुँह पर एक शैतानी मुस्कराहट फैल गई.

मगर रज़िया बीबी को ना जाने क्यों इस वक्त जमशेद और नीलोफर का सामना करने में शरम सी महसूस होने लगी थी.

“ये वाकई है सच है आंटी” रज़िया बीबी को यूँ शरमाते देख कर नीलोफर आगे बढ़ी. और शाज़िया की अम्मी को अपने गले से लगाते हुए पूछने लगी.

“हां ये बात सच है कि शाज़िया की तरह, ना सिर्फ़ में भी अपने बेटे की बीवी बन चुकी हूँ,बल्कि अपनी बेटी शाज़िया के साथ साथ में खुद भी अपने ही बेटे ज़ाहिद के बच्चे की माँ बेनने वाली हूँ,और इस बात के लिए में तुम दोनो बहन भाई की बहुत अहसान मंद हूँ, क्यों कि तुम दोनो ही ख्वाहिश से हम दोनो माँ बेटी की सुखी ज़िंदगी में ना सिर्फ़ फिर से बहार आई है, बल्कि हम दोनो की बंजर फुद्दियो को अपने ही भाई और बेटे के मोटे लंड का गरम पानी नसीब हुआ है” ये बात कहते हुए रज़िया बीबी ने अपनी शरम का लबादा उतारा. और बहुत खुले अंदाज में नीलोफर का शुक्रिया अदा करते हुए नीलोफर को कस कर अपने गले से लगा लिया.

“तुम तो बहुत छुपे रुस्तम निकले,कि बहन चोद के साथ माँ चोद बनने का आज़ाज़ भी हासिल कर लिया है तुम ने ज़ाहिद “रज़िया बीबी के मुँह से ज़ाहिद से चुदवाने की बात सुन कर जमशेद का लौडा उस की पॅंट में खड़ा हुआ. और उस ने अपने दोस्त ज़ाहिद की कमर में प्यार से एक मुक्का मारते हुए कहा.

जमशेद की बात और हरकत पर ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए जमशेद की गाड़ी में अपना समान रखा. और सब एक साथ कार में जमशेद के घर की तरफ रवाना हो गये.

घर के रास्ते में कार में बैठे हुए शाज़िया ने अम्मी और ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले सारे किसे की तफ़सील जमशेद और नीलोफर को सुना दी.

शाज़िया के मुँह से रज़िया बीबी और ज़ाहिद के जिन्सी ताल्लुक की डीटेल सुनते हुए नीलोफर की प्रेगेनेंट चूत और जमशेद का लंड भी गरम हो उठे .

“तुम्हारे हाथों रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद, मेने तो तुम को ज़लील करने की खातिर तुम्हें, तुम्हारी बहन शाज़िया के गरम बदन से रोशनाश करवाया था,मगर तुम तो बड़े खुस किस्मत हो कि बहन के साथ साथ अपनी अम्मी की चूत भी हासिल करने में कामयाब हो गये हो ज़ाहिद” शाज़िया के मुँह से सारी बात सुन कर नीलोफर ने ज़ाहिद को छेड़ते हुए कहा.

“वो एक पुरानी मिसल है ना. कि किसी क़ुबरे शक्स को किसी आदमी ने गुस्से में आ कर लात मारी, मगर उस लात के लगने की वजह से उस क़ुबरे शक्स का कुबरा पन ख़तम हो गया था, बिल्कुल उसी तरह तुम ने अपनी तरफ से तो नफ़रत में आ कर मेरा और शाज़िया का मिलाप करवाया था,मगर मुझे ये फ़ायदा हुआ कि मुझे अपने ही घर में एक नही दो दो फुद्दियाँ नसीब हो गई हैं मेरी जान” नीलोफर की बात के जवाब में ज़ाहिद हँसते हुए बोला. तो ज़ाहिद की बात सुन कर सब हँसने लग गये.

जमशेद और नीलोफर के घर में आ कर सब ने मिल कर खाना खाया. और फिर जमशेद ज़ाहिद को साथ ले कर उन का समान कार से निकालने लगा.

जमशेद ने ज़ाहिद और शाज़िया के लिए अपने घर के साथ ही एक घर रेंट पर लिया हुआ था. जहाँ ज़ाहिद, शाज़िया और रज़िया बीबी एक साथ रहने लगे.

जमशेद ने चूँके ज़ाहिद के दिए हुए हराम के पैसे से मलेशिया में आते ही अपना एक बिज्निस स्टार्ट कर लिया था. जिस वजह से ज़ाहिद को अब एक गैर मल में आ कर किसी किसम की परेशानी नही हुई.

ज़ाहिद भी जमशेद के साथ बिज्निस में उस का हाथ बटाने लगा. और इस अरसे में दोनो बहन भाई की जोड़ी एक दूसरे के साथ अच्छा वक्त गुजारने लगी.

डॉक्टर की हिदायत के मुतबलिक ज़ाहिद ने प्रेगनेन्सी के पहले चन्द महीनो में अपनी दोनो बिबीयों शाज़िया और रज़िया बीबी के साथ सेक्स से परहेज किया था.

इस दोरान जब भी ज़ाहिद गरम होता. तो शाज़िया या रज़िया बीबी ज़ाहिद की मूठ या चुसाइ लगा कर उस के जज़्बात को ठंडा कर देती थी.

जब कि इसी तरह ज़ाहिद भी अपनी बीवियों की फुद्ड़ियों को चाट चाट कर उन की गर्मी भी दूर करता रहा.

फिर प्रेगनेन्सी के चार पाँच महीने बाद लेडी डॉक्टर ने ज़ाहिद को चुदाई की इजाज़त तो दे दी.

मगर साथ ही साथ इहतियात से चुदाई करने का मसवरा भी दे दिया.

डॉक्टर की इजाज़त के बाद ज़ाहिद शाज़िया और रज़िया बीबी की चूत में अहतियात से अपना लंड डाल कर फिर से अपनी बहन और अम्मी की गरम चूत का मज़ा तो लेने लगा था.

मगर अपनी बहन और अम्मी को चोदते वक्त ज़ाहिद की अब भी पूरी कोशिश होती. कि वो रज़िया बीबी और शाज़िया को ज़ोर से ना चोदे.

इस चुदाई की वजह से ज़ाहिद के लंड का पानी तो चूत में निकलने ही लगा था.

मगर इस अहतियात की बदोलत ज़ाहिद को चुदाई का वो मज़ा नही मिल रहा था. जिस का वो आदि हो चुका था.

इसी तरह आहिस्ता आहिस्ता करते हुए,दिन,हफ्ते और फिर महीने गुज़रने लगे. और फिर वो दिन आ पहुँचा जिस दिन शाज़िया की डेलिवरी होनी थी.

हाला कि नीलोफर और शाज़िया की डेलिवरी डेट्स में चन्द दिन का फरक था.

मगर इस के बावजूद जिस दिन ज़ाहिद शाज़िया को साथ ले कर हॉस्पिटल जाने का तैयारी कर रहा था. ऐन उसी दिन नीलोफर की बच्चे दानी से भी उस की चूत पानी ब्रेक हो गया.

जमशेद ने जल्दी से आंब्युलेन्स को कॉल की और यूँ शाज़िया और नीलोफर साथ साथ एक ही आंब्युलेन्स में हॉस्पिटल पहुँच गईं.
 
हॉस्पिटल में आ कर शाज़िया और नीलोफर ने एक साथ एक ही दिन अपने अपने भाइयों के बच्चो को अपनी कोख से जनम दिया.

जमशेद और नीलोफर के लिए बेटा होने की खबर तो बहुत ही अच्छी थी. जिसे सुन कर जमशेद और नीलोफर दोनो बहन भाई के जिस्म-ओ-जान में खुशी की एक लहर दौड़ गई.

मगर नीलोफर और जमशेद से ज़्यादा हैरान कन और खुशी की खबर शाज़िया और ज़ाहिद की मुंतज़ीर थी.

शाज़िया और ज़ाहिद ने चूँकि अल्ट्रा साउंड के ज़रिए इस बात का पहले पता नही लगाया था. कि उन का होने वाला बच्चा, लड़का हो गा या लड़की.

इसी लिए डेलिवरी के बाद शाज़िया के यहाँ जब ट्विन बच्चो,एक लड़का और एक लड़की ने एक साथ जनम लिया.

तो शाज़िया,ज़ाहिद और रज़िया बीबी के साथ साथ नीलोफर और जमशेद की खुशी की कोई इंतिहा ना रही.

अपने जुड़वाँ बच्चो का सुन कर ज़ाहिद तो खुशी के आलम में झूम उठा. और ज्यों ही डेलिवरी रूम से हॉस्पिटल के कमरे में शाज़िया की वापसी हुई.

तो ज़ाहिद ने सब घर वालों को कमरे से बाहर निकाल कर अपनी बहन शाज़िया के चेहरे,होंठो और दूध बड़े मम्मो पर अपने होंठो से अपने प्यार की बरसात कर दी.

“ओह तुम ने मुझे इतनी बड़ी खुशी दी है, मुझे समझ नही आ रहा कि में किस मुँह से तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ माइ जान” ज़ाहिद ने जोशे जज़्बात में दीवाना वार अपनी बेगम बहन के जिस्म पर अपने गरम होन्ट रगड़ते हुए कहा.

“एक औरत उस वक्त तक मुकम्मल औरत नही बनती, जब तक वो बच्चा नही पेदा कर लेती,इसीलिए आप को नही.बल्कि मुझे आप का शूकर गुज़ार होना चाहिए, कि आप ने अपने लंड का बीज डाल कर, मुझे एक मुकम्मल औरत का दर्जा दिया है मेरे सरताज” अपने भाई शोहर के वलिहाना प्यार को पा कर शाज़िया भी खुशी से खिल उठी. और ज़ाहिद के गरम होंठो में अपनी लंबी ज़ुबान फेरती हुए बोली.

फिर एक दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद और शाज़िया अपने अपने घर वापिस आ गईं.

शाज़िया ने घर आ कर देखा कि ज़ाहिद ने बच्चो के कमरे को टाय्स से पूरा भर दिया था.

अपने खाविंद भाई का अपने बच्चों से ये प्यार देख कर शाज़िया की फुद्दि में आग लग गई.

शाज़िया का दिल तो चाहा की अपनी शलवार खोल कर अपने भाई का मोटा लौडा अपनी फुद्दि में दिलवा ले.

मगर ताज़ा ताज़ा एक नही दो दो बच्चो को अपनी तंग चूत से बाहर निकालने की वजह से शाज़िया की चूत अभी इस हालत में नही थी. कि वो अभी अपने भाई ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने अंदर ले सके.

इसीलिए ज़ाहिद की तरह शाज़िया के लिए भी अब सबर करने के सिवा को चारा नही था.

दिन गुज़रते गये और शाज़िया की तरह ज़ाहिद भी अब उस वक्त के इंतिज़ार में दिन अपनी उंगलियों पर गिन रहा था.

जब उस की बहन/बीवी शाज़िया चिली से नहा कर पाक सॉफ हो गी. और वो पहले की तरह एक बार फिर जोश और जज़्बे के साथ अपनी बहन शाज़िया की चूत को अपने मोटे लंड से चोद सके गा.

नीलोफर और शाज़िया की डेलिवरी के बाद रज़िया बीबी ने ना सिर्फ़ नीलोफर और शाज़िया के बच्चो की काफ़ी टेक केर की.

बल्कि साथ ही साथ ज़ाहिद के मना करने के बावजूद हर रोज़ उन सब के लिए अपने हाथ से खाना वगेरा भी पकाती रही.

रज़िया बीबी चूँकि ज़ाहिद और शाज़िया समेत इस से पहले भी 5 बच्चो की माँ बन चुकी थी.

इसीलिए शाज़िया और नीलोफर के मुक़ाबले में रज़िया बीबी माँ बनने के मामले में अब एक एक्सपर्ट का दर्जा रखती थी.

ये ही वजह थी.कि खुद प्रेगेनेंट होने के बावजूद रज़िया बीबी ने नीलोफर और अपनी बेटी शाज़िया की घर वापसी के बाद काफ़ी तामिर दारी की.

शाज़िया को माँ बनने अब एक महीने से कुछ ज़्यादा टाइम होने गया था. और इस दोरान उस के पेट पर लगने वाला डेलिवरी का कट भी ठीक हो चुका था.

“आज क्यों न ज़ाहिद के घर वापिस आने से पहले ही में गुसल (शवर) कर के पाक हो जाऊ,और काम से लोटने पर अपने जानू को सर्प्राइज़ दूं” अपने बिस्तर पर लेट कर अपने बच्चो को अपने भारी मोटे मम्मो से अपना दूध पिलाने के बाद शाज़िया ने अपनी गरम चूत पर हाथ रखते हुए सोचा.

ये सोच जेहन में आते ही शाज़िया ने अपनी अम्मी को आवाज़ दी “अम्मी आ कर मेरे हाथों और पैरों को थोड़ी मेहन्दी तो लगा दो प्लीज़”.

“क्यों ख़ैरियत तो है,आज मेहन्दी क्यों लगवा रही हो शाज़िया” रज़िया बीबी शाज़िया की आवाज़ पर उस के कमरे में आई. और हैरान हो कर अपनी बेटी की तरफ देखते हुआ पूछा.

“कोई खास बात नही, वैसे आज एक अरसे के बाद फिर से अपने आप को सवारने का शौक चढ़ गया है मुझे ” शाज़िया ने अपनी अम्मी को भी असल बात नही बताई.


और फिर उधर ही बैठ कर अपनी अम्मी से अपने हाथों और पैरो पर मेहन्दी लगवाने लगी.
 
अपनी अम्मी से मेहन्दी लगवाने की कुछ देर बाद शाज़िया बाथरूम में गई. और बाथरूम में अपनी फुद्दि को शेव करने के साथ साथ अच्छी तरह शोवर ले कर पाक हो गई.

शोवर से फारिग हो कर शाज़िया ने अपने सजना के लिए सजना शुरू कर दिया. और अपने नई शलवार कमीज़ का सूट पहन कर अपने जानू के इस्तिक़्बाल के लिए रेडी हो गई.

तैयार होने के बाद शाज़िया चाय बनाने के लिए किचन में गई. तो उसे अंदाज़ा हुआ कि उस की अम्मी रज़िया बीबी साथ वाले घर में नीलोफर के पास गई हुई थी.

किचन में जा कर ज्यों ही शाज़िया ने चाय का बर्तन चूल्हे. पर रखा.तो इस दोरान उसे अपने कमरे से अपने बच्चो के रोने की आवाज़ सुनाई दी.

“लगता है बच्चो को फिर भूक लग गई है,मुझे चाहिए कि ज़ाहिद के आने से पहले में इन्हे अपना दूध पिला कर सुला दूं,ताक़ि फिर मुझे ज़ाहिद के साथ मज़ा लेने में कोई दुश्वारी ना हो” ये सोचते हुए शाज़िया ने चूल्हा बंद किया. और किचन से निकल कर अपने कमरे की तरफ चल पड़ी.

अपने कमरे के नज़दीक जाते जाते शाज़िया को महसूस हुआ कि उस के बच्चो ने भूक के मारे ज़्यादा रोना शुरू कर दिया है.



इसीलिए शाज़िया ने अपने कमरे में दाखिल होने से पहले ही अपनी कमीज़ को अपने भारी मम्मो से उपर उठा कर अपने मोटे दूध भरे मम्मे ब्रेज़ियर से बाहर निकाल कर नंगे कर लिए.

ताकि कमरे में जाते साथ ही वो अपने दोनो निपल्स को अपने दोनो बच्चों के मुँह में एक साथ घुसा दे.

कमरे में आते ही शाज़िया ने अपने बेटा और बेटी को को एक साथ अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया.

शाज़िया के मोटे मम्मो के निपल्स बच्चो के मुँह में जैसे ही गये. तो अपनी माँ शाज़िया के दूध की धार अपने हलक में जाता महसूस कर के शाज़िया के बच्चो ने रोना बंद कर दिया.

थोड़ी देर बाद शाज़िया की बच्ची तो दूध पीते पीते सो गई. जिसे बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया ने अपनी कमीज़ भी उतार दी. और अपने बेटे को अपने आगोश में ले कर फिर से उसे अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया.

अभी शाज़िया अपने बेटे को अपने मम्मे से लगा कर अपने भारी मम्मे को हाथ से निचोड़ते हुए अपने बेटे को दूध पिलाने में मसरूफ़ हुई ही थी.



कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ. और घर शाज़िया के कमरे के खड़े हो कर अपनी बीवी बहन को अपने बेटे को दूध पिलाने का ये नज़ारा देखने लगा.

“हाईईईईईईईईईईई मेरी बहन के ये मम्मे तो पहले ही बहुत खूबसूरत और भारी थे, जब कि अब उन में दूध भरा होने की वजह से ये तो पहले से भी काफ़ी बड़े बड़े हो गए हैं” ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने बेटे को उस की माँ शाज़िया की भारी छाती से मुँह लगे उस का मोटा मम्मा चूस्ते देखा.

तो अपनी बहन के दूध भरे उन मम्मो को आज इतने दिनो बाद अपने सामने ऐसे नंगा देख कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में खड़ा हो कर लोहे की तरह सख़्त हो गया.

ज़ाहिद अभी अपनी बहन के दूध भरे नंगे मम्मो का बाहर खड़े खड़े नज़ारा ले रहा था. कि इतने में कमरे में मौजूद शाज़िया ने देखा कि उस का बेटा भी उस की गोद में सो चुका है.

शाज़िया ने अपने बेटे को भी अपने बड़े पलंग पर उस की बहन के पहलू में लिटा दिया.

ज्यों ही बच्चे को बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया सीधी हुई. तो कमरे से बाहर खड़ा ज़ाहिद एक दम बच्चो की जगह अब अपनी बहन शाज़िया की गोद में लेट गया.

“बच्चो को तो दूध पिला चुकी हो,अब बच्चो के बाप को कब अपने दूध के ज़ायक़े का स्वाद चखाओगी मेरी रानी” बिस्तर पर बैठी अपनी बहन की गोद में लेट कर ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन के दूध भरे मोटे मम्मे को हाथ में ले के दबाया.


तो ज़ाहिद के हाथ की उंगली लगने से शाज़िया के मम्मे से ताज़ा सफेद दूध की धार एक दम से निकली.



जिस ने शाज़िया के अंगूर की साइज़ वाले मोटे निपल को पूरा भिगो दिया.

“वो तो बच्चे हैं,और उन को अपना दूध पिलाना मेरा फ़र्ज़ है, जब कि आप अब बच्चे नही बल्कि बड़े हो गये हैं,इसीलिए मेरे मम्मो से दूध पीना आप के लिए मुनासिब बात नही” अपनी गोद में सर रख कर लेटे अपने भाई की फरमाइश सुन कर शाज़िया शरम से सिमट गई. और एक अदा के साथ अपने भाई की बात का जवाब देते हुए मुस्कुराइ.

“चाहे कुछ भी ही आज में तुम्हारे इन दूध भरे मम्मो से तुम्हारा ताज़ा दूध पी कर ही रहूं गा मेरी जान, इसीलिए अब नखरे छोड़ो और अपने जानू को अपने गरम दूध का मज़ा दो जल्दी से” ज़ाहिद ने जब दूध पीने की अपनी फरमाइश पर अपनी बहन को यूँ शरमाते देखा. तो वो भी एक बच्चे की तरह अपनी ज़िद पर उतर आया.अपनी अम्मी से मेहन्दी लगवाने की कुछ देर बाद शाज़िया बाथरूम में गई. और बाथरूम में अपनी फुद्दि को शेव करने के साथ साथ अच्छी तरह शोवर ले कर पाक हो गई.

शोवर से फारिग हो कर शाज़िया ने अपने सजना के लिए सजना शुरू कर दिया. और अपने नई शलवार कमीज़ का सूट पहन कर अपने जानू के इस्तिक़्बाल के लिए रेडी हो गई.

तैयार होने के बाद शाज़िया चाय बनाने के लिए किचन में गई. तो उसे अंदाज़ा हुआ कि उस की अम्मी रज़िया बीबी साथ वाले घर में नीलोफर के पास गई हुई थी.

किचन में जा कर ज्यों ही शाज़िया ने चाय का बर्तन चूल्हे. पर रखा.तो इस दोरान उसे अपने कमरे से अपने बच्चो के रोने की आवाज़ सुनाई दी.

“लगता है बच्चो को फिर भूक लग गई है,मुझे चाहिए कि ज़ाहिद के आने से पहले में इन्हे अपना दूध पिला कर सुला दूं,ताक़ि फिर मुझे ज़ाहिद के साथ मज़ा लेने में कोई दुश्वारी ना हो” ये सोचते हुए शाज़िया ने चूल्हा बंद किया. और किचन से निकल कर अपने कमरे की तरफ चल पड़ी.

अपने कमरे के नज़दीक जाते जाते शाज़िया को महसूस हुआ कि उस के बच्चो ने भूक के मारे ज़्यादा रोना शुरू कर दिया है.



इसीलिए शाज़िया ने अपने कमरे में दाखिल होने से पहले ही अपनी कमीज़ को अपने भारी मम्मो से उपर उठा कर अपने मोटे दूध भरे मम्मे ब्रेज़ियर से बाहर निकाल कर नंगे कर लिए.

ताकि कमरे में जाते साथ ही वो अपने दोनो निपल्स को अपने दोनो बच्चों के मुँह में एक साथ घुसा दे.

कमरे में आते ही शाज़िया ने अपने बेटा और बेटी को को एक साथ अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया.

शाज़िया के मोटे मम्मो के निपल्स बच्चो के मुँह में जैसे ही गये. तो अपनी माँ शाज़िया के दूध की धार अपने हलक में जाता महसूस कर के शाज़िया के बच्चो ने रोना बंद कर दिया.

थोड़ी देर बाद शाज़िया की बच्ची तो दूध पीते पीते सो गई. जिसे बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया ने अपनी कमीज़ भी उतार दी. और अपने बेटे को अपने आगोश में ले कर फिर से उसे अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया.

अभी शाज़िया अपने बेटे को अपने मम्मे से लगा कर अपने भारी मम्मे को हाथ से निचोड़ते हुए अपने बेटे को दूध पिलाने में मसरूफ़ हुई ही थी.



कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ. और घर शाज़िया के कमरे के खड़े हो कर अपनी बीवी बहन को अपने बेटे को दूध पिलाने का ये नज़ारा देखने लगा.

“हाईईईईईईईईईईई मेरी बहन के ये मम्मे तो पहले ही बहुत खूबसूरत और भारी थे, जब कि अब उन में दूध भरा होने की वजह से ये तो पहले से भी काफ़ी बड़े बड़े हो गए हैं” ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने बेटे को उस की माँ शाज़िया की भारी छाती से मुँह लगे उस का मोटा मम्मा चूस्ते देखा.

तो अपनी बहन के दूध भरे उन मम्मो को आज इतने दिनो बाद अपने सामने ऐसे नंगा देख कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में खड़ा हो कर लोहे की तरह सख़्त हो गया.

ज़ाहिद अभी अपनी बहन के दूध भरे नंगे मम्मो का बाहर खड़े खड़े नज़ारा ले रहा था. कि इतने में कमरे में मौजूद शाज़िया ने देखा कि उस का बेटा भी उस की गोद में सो चुका है.

शाज़िया ने अपने बेटे को भी अपने बड़े पलंग पर उस की बहन के पहलू में लिटा दिया.

ज्यों ही बच्चे को बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया सीधी हुई. तो कमरे से बाहर खड़ा ज़ाहिद एक दम बच्चो की जगह अब अपनी बहन शाज़िया की गोद में लेट गया.

“बच्चो को तो दूध पिला चुकी हो,अब बच्चो के बाप को कब अपने दूध के ज़ायक़े का स्वाद चखाओगी मेरी रानी” बिस्तर पर बैठी अपनी बहन की गोद में लेट कर ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन के दूध भरे मोटे मम्मे को हाथ में ले के दबाया.


तो ज़ाहिद के हाथ की उंगली लगने से शाज़िया के मम्मे से ताज़ा सफेद दूध की धार एक दम से निकली.



जिस ने शाज़िया के अंगूर की साइज़ वाले मोटे निपल को पूरा भिगो दिया.

“वो तो बच्चे हैं,और उन को अपना दूध पिलाना मेरा फ़र्ज़ है, जब कि आप अब बच्चे नही बल्कि बड़े हो गये हैं,इसीलिए मेरे मम्मो से दूध पीना आप के लिए मुनासिब बात नही” अपनी गोद में सर रख कर लेटे अपने भाई की फरमाइश सुन कर शाज़िया शरम से सिमट गई. और एक अदा के साथ अपने भाई की बात का जवाब देते हुए मुस्कुराइ.

“चाहे कुछ भी ही आज में तुम्हारे इन दूध भरे मम्मो से तुम्हारा ताज़ा दूध पी कर ही रहूं गा मेरी जान, इसीलिए अब नखरे छोड़ो और अपने जानू को अपने गरम दूध का मज़ा दो जल्दी से” ज़ाहिद ने जब दूध पीने की अपनी फरमाइश पर अपनी बहन को यूँ शरमाते देखा. तो वो भी एक बच्चे की तरह अपनी ज़िद पर उतर आया.
 
ज़ाहिद अब अपनी बहन की गोद में अपना सर रख कर लेटा हुआ था. जब कि शाज़िया के बड़े बड़े दूध से भरे हुए मम्मे ज़ाहिद के चेहरे के उपर लटक रहे थे.

“ हाईईईईईईईईईई अपने बच्चो की तरह तुम भी अपनी बहन बीवी का दूध पीना चाहते हो,तो चलो अपना मुँह खोलो, मेरे मुन्ने” ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे मम्मो की छाँव में लेट कर अपनी बहन शाज़िया से ज़िद की.

तो अपनी गोद में लेटे अपने सोहर भाई की बचकाना ज़िद के आगे हार मानते हुए शाज़िया ने अपने मोटे भारी दूध भरे मम्मे को अपने हाथ में पकड़ कर दबाया.



जिस की वजह से शाज़िया के मम्मे से दूध की एक तेज धार निकली. जो नीचे लेटे ज़ाहिद के होंठो और सारे मुँह को गीला कर गई.

“हाईईईईईईईईईईईईईईईई क्या मेटा स्वाद है मेरी बहन के मोटे मम्मो के इस दूध का,आज के बाद हो सके तो मुझे चाहिए भी अपने इस खालिस दूध से बना कर पिलाया करो मेरी जान” ज्यों ही शाज़िया के मम्मो का गरम दूध मुँह के रास्ते ज़ाहिद के हलक में उतरा.



तो अपनी बहन के खालिस गरम दूध का ज़ायक़ा पहली बार चख कर ज़ाहिद मज़े से मचल उठा.

“मेरे दूध से बनी चाय पीने से पहले,आप मेरे मम्मो का असली दूध ट्राइ करो मेरी जान” अपनी भाई की बात सुन कर शाज़िया भी गरम हो गई. और उस ने ज़ाहिद के बालों में अपना हाथ फेरते हुए अपने भारी मम्मे को ज़ाहिद के खुले मुँह पर झुका दिया.

शाज़िया के मोटे भारी मम्मे का निपल अब शाज़िया की गोद में लेटे ज़ाहिद के होंठो को छू रहा था.

ज्यों ही शाज़िया का लंबा निपल नीचे हो कर ज़ाहिद के मुँह से टच हुआ. तो नीचे लेटे ज़ाहिद ने अपने होंठ खोल कर शाज़िया के निपल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया.

अपनी बहन के मोटे दूध भरे मम्मे को अपना मुँह लगाने की देर थी. कि ज़ाहिद का मुँह एक ही लम्हे में अपनी बहन शाज़िया के मीठे दूध की धार से एक दम भर गया.

अपनी बहन के ताज़ा गरम और खलास दूध को अपने मुँह में भरते ही ज़ाहिद ने हल्का सा साँस लिया.और फिर एक ही घूँट में अपनी बहन का सारा दूध अपने गले से नीचे उतार दिया.

"ऊऊहह हाआन्ं हाआनन्न ज़ोर से चूसो और ज़ोर से, मेरे निपल को दाँतों से दबाओ, मुझे पता होता कि अपने शोहर को अपने मम्मो का दूध पिलाने में इतना मज़ा मिलता है,तो अपने मम्मो में दूध आने के पहले ही दिन, में आप को अपना दूध पिला देती मेरी जान” ज़ाहिद के मुँह से मज़े से बे हाल होते हुए शाज़िया ने अपने भाई के बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी. और साथ ही अपने मोटे मम्मे को ज़ोर से ज़ाहिद के मुँह पर दबा दिया.

“हाईईईईईईईईईईईई आज अपनी ही बहन का दूध पीने के बाद,में भाई और शोहर के साथ साथ अपनी ही सग़ी बहन का बेटा भी बन गया हून्ंननननननणणन्” ज्यों ही शाज़िया ने अपने मम्मे को ज़ोर से अपने भाई ज़ाहिद के खुले मुँह में धँसाया. तो अपनी बहन के मम्मे से “शरप शारप” कर के शाज़िया का दूध पीता ज़ाहिद बोला.

ज़ाहिद का मुँह अपनी बहन के दूध से अब इतना भर चुका था. कि दूध ज़ाहिद के मुँह से निकल कर अब उस के होंठो पर भी फैलने लगा था.

जब शाज़िया ने अपने दूध को यूँ अपने भाई के मुँह से बाहर छलकते देखा. तो शाज़िया ने एक दम ज़ाहिद के मुँह से अपना मम्मा निकाल लिया.

“क्या हुआ मेरी जान” ज़ाहिद ने जब शाज़िया को अपना मम्मा उस के मुँह से दूर करते देखा. तो एक दम बे चैन हो कर बोला.

“ज़रा सबर करो,अभी बताती हूँ मुन्ने के अब्बा” ज़ाहिद की बात का जवाब देते हुए शाज़िया ने अपने सर को ज़ाहिद के मुँह पर झुकाते हुए अपने होंठ अपने भाई के होंठो पर रखे.

और अपने भाई शोहर ज़ाहिद के लिप्स के कोनों पर लगे अपने ही दूध को अपनी ज़ुबान से सॉफ कर दिया.

“हां आप कह तो सही रहे हैं.वाकई ही मेरे दूध का ज़ायक़ा बहुत स्वादिष्ट है भाईईईईईईईई” अपने ही मम्मो के दूध को अपनी ज़ुबान से पहली बार चाटते हुए शाज़िया सिसकारी.

और फिर अपने हाथों से अपने मम्मे को पकड़ कर शाज़िया ने अपने मम्मे को वापिस अपने जानू शोहर के मुँह में रख दिया.

शाज़िया का दूध भरा मम्मा एक बार फिर अपने मुँह में लेते ही ज़ाहिद ने अपने मुँह को पूरा खोल कर निपल के साथ अपनी बहन के मोटे मम्मे का काफ़ी सारा हिस्सा भी अपने मुँह में लिया. और मज़े ले ले कर अपनी बहन के ताज़ा दूध से तृप्त होने लगा.

जब ज़ाहिद का दिल एक मम्मे को चूस चूस कर भर गया. तो उस ने अपनी बहन के दूसरे मम्मे को अपने मुँह से लगाया.

और दबा दबा और निचोड़ निचोड़ कर अपनी बहन के मम्मो से दूध निकाल निकाल कर अपने मुँह के ज़रिए अपने हलक में उतारता गया.

अपने दोनो बच्चो को अपना दूध पिलाने के बावजूद शाज़िया के फुल टॅंक साइज़ मम्मो में इतना दूध बाकी था. जिसे शाज़िया पूरी रात भी अपने भाई ज़ाहिद को पिलाती तो उस का दूध सुबह तक ख़तम नही हो पाता.

इधर ज़ाहिद अपनी बहन के मोटे मम्मो से उस का दूध पीने में मसगूल था.

तो दूसरी तरफ शाज़िया ने अपनी गोद में लेटे भाई ज़ाहिद की पॅंट की ज़िप को खोल कर अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में थाम लिया.

“चलो भाई अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट जाओ.मुझ से अब मज़ीद सबर नही हो रहा”शाज़िया ने अपने हाथ से अपने भाई के मोटे लंड की मूठ लगाते हुए अपनी भाई ज़ाहिद से इल्तिजा की.

“हाईईईईईईईईईईईई में भी कब से इस मोके का मुंतीज़ार हूँ, कि कब में तुम्हारी इस प्यारी फुद्दि में अपना लंड डाल सकूँ मेरी ज़ोज़ा जानी” अपनी बहन की बात सुन कर ज़ाहिद जोश में आया. और अपने सारे कपड़े उतार कर दूसरे ही लम्हे बिस्तर पर बिल्कुल नंगा लेट गया.

ज़ाहिद के कपड़े उतरने के दौरान शाज़िया भी अपनी शलवार उतार कर पूरी नंगी हो गई.

ज्यों ही शाज़िया का नंगा वजूद एक भर फिर अपनी आब-ओ-ताब के साथ ज़ाहिद की भूकि आँखों के सामने नमूदार हुआ.

तो अपनी बहन की सॉफ-ओ-शॅफॉफ चूत और शाज़िया के हाथों और पैरों पर लगी ताज़ा मेहन्दी का सुर्ख रंग देख कर ज़ाहिद समझ गया. कि सुहाग रात की तरह आज भी उस की बहन शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के लिए खास तौर पर बनी सन्वरि है.

अपनी बहन के उस का प्यार का ये अंदाज़ ज़ाहिद के दिल के साथ साथ उस के लंड को भी बहुत भाया. जिस वजह से उस का मोटा लंड आकर कर मज़ीद सख़्त हो गया.

मुकमल नंगा होने के बाद शाज़िया बेड पर कमर के बल लेटे ज़ाहिद के जिस्म के उपर चढ़ी.

और अपनी गरम फुद्दि को अपने भाई के पेट पर फेरते हुए साथ ही साथ ज़ाहिद के मोटे,खड़े लंड को अपने मेहन्दी वाले पैरो के दरमियाँ कस कर अपने पावं से भी अपने भाई के लंड को रगड़ने लगी.

“आप पहले मेरी चूत में अपना लंड डालो गे, या फिर मेरी गान्ड की ठुकाई करो गे जानू” ज़ाहिद के होंठो को चूमते चूमते शाज़िया ने अपनी गान्ड को अपने मेंहदी वाले हाथ से खोलते हुए अपने शोहर ज़ाहिद से पूछा.

“हाईईईईईईईईईईईईईई आज तो में चुदाई की शुरूवात अपनी बहन की फुद्दि से ही करूँगा मेरी जान” अपनी बहन की ज़ुबान से ज़ुबान लड़ाते ज़ाहिद ने सिसकी लेते हुए जवाब दिया.

ज़ाहिद और शाज़िया के होंठ एक दूसरे के होंठो से एक चिपके हुए थे. जैसे आज के बाद दोनो एक दूसरे से कभी अलग नही होंगे .

अपनी बहन शाज़िया के होंठो को उपर से चूमते हुए ज़ाहिद ने अपने जिस्म के उपर बैठी शाज़िया की कमर को अपने हाथ से पकड़ कर नीचे की तरफ खींचा.

तो हवा में झूलता ज़ाहिद का मोटा बड़ा लंड नीचे उस की बहन शाज़िया की फुद्दि के होंठो को खोलता हुआ एक दम से शाज़िया की चूत में दाखिल हुआ.
 
"थोड़ा आराम से, मेरी चूत का अन्द्रुनि हिस्सा अभी नाज़ुक है,आप का मोटा लंड मेरी बच्चे दानी को फाड़ ही ना दे कहीं” ज्यों ही ज़ाहिद का लंड तकरीबन दो महीने बाद शाज़िया की चूत की गहराई में गया.तो मज़े और दर्द से सिसकती हुई शाज़िया बोल उठी.

“फिकर ना करो,में बहुत प्यार से अपनी बीवी की चूत में अपना लंड डालूंगा.मेरी जान” शाज़िया की बात का जवाब देते हुए ज़ाहिद ने नीचे से अपनी गान्ड को उपर उठा कर धक्का मारा. तो ज़ाहिद का लंड उस की बहन की गीली चूत में धँसता चला गया.

“हाईईईईईईईईई दो बच्चे इस चूत से पेदा करने के बावजूद तुम्हारी फुद्दि अभी तक काफ़ी तंग है मेरी जान” ज्यों ही ज़ाहिद के लंड का मोटा टोपा ज़ाहिद के धक्के की वजह से नीचे से स्लिप हो कर शाज़िया की फुद्दि में घुसा . तो अपनी बहन की चूत की गिरफ़्त को अपने लंड पर पा कर ज़ाहिद भी मज़े से सिसकार उठा.

“हाईईईईईईईईईईईईई में इस चूत से चाहे 10 बच्चे भी निकाल दूं, मगर फिर भी आप का लंड इतना मोटा है, कि आप का लौडा इस चूत में ऐसे ही फँस कर जाए गा भाईईईईईईईईईईईई” अपने भाई की बात का जवाब देते हुए ज़ाहिद के मोटे लंड पर बैठी शाज़िया आगे को झुकी.

और ज़ाहिद की तरफ आगे को झुकने के दौरान शाज़िया ने अपने हाथ से अपनी गान्ड को खोलने की कोशिश की.



ताकि किसी तरह उस की नाज़ुक फुद्दि में ज़ाहिद के लंड से होने वाला दर्द कुछ कम हो सके.

दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटा हुआ ज़ाहिद अब अपनी लंड को एक बार फिर अपनी बीवी बहन शाज़िया की फुद्दि में डालने के बाद. अब बिस्तर पर लेट कर नीचे से धक्के मारते हुए अपनी बहन शाज़िया की चूत को मज़े से चोदने में मसरूफ़ हो गया था.

ज़ाहिद के हर धक्के पर शाज़िया के मोटे दूध भरे मम्मे हवा में उच्छल उच्छल जाते थे.

इस दौरान ज्यों ही शाज़िया पीछे से अपनी गान्ड को हाथ से खोलते हुए थोड़ा आगे को झुकी. तो शाज़िया के हवा में झूलते दूध से भरपूर मम्मे ज़ाहिद के मुँह के ऐन सामने आ गये.

अपनी बहन के भारी मम्मो को हाथ में पकड़ कर ज़ाहिद ने एक दम मुँह में डाला. और जोश के साथ शाज़िया को चोदते हुए साथ साथ अपनी बहन के दूध का मज़ा भी फिर से लेने लग गया.

काफ़ी देर तक अपने भाई ज़ाहिद से चुदवाने के बाद शाज़िया एक दम चीखी "हाईईईईईईईईईईईई मेरा पानी निकलने वाला है,हाईईईईईईईईईईईईई में गई”

ज्यों ही शाज़िया ने ज़ाहिद के लंड पर अपनी चूत का पानी छोड़ा. तो नीचे से ज़ाहिद ने भी एक भरपूर धक्का अपनी बहन की फुद्दि में मारा और बोला “लो मेरे लंड का पानी भी ले मेरी जान”.

इस के साथ ही ज़ाहिद ने भी अपने लंड का गरम पानी अपनी बहन की चूत में गिरना शुरू कर दिया.

ज़ाहिद चूँकि शाज़िया को आज अपने लंड पर भींच कर अपनी बहन की चूत को चोदने में मसरूफ़ था.

इसीलिए शाज़िया की फुद्दि में अपने लौडे का पानी खारिज करने के बावजूद ज़ाहिद के लंड का सारा वीर्य शाज़िया की फुद्दि की दीवारों से लग कर नीचे लेटे ज़ाहिद के लंड और पेट पर गिर गया.

जिस की वजह से ज़ाहिद के अपने पानी ने उस के पेट, लंड और आंडों को पूरा भिगो कर रख दिया.

थोड़ी देर अपनी बहन की बाहों में आराम करने के बाद ज़ाहिद ने शवर लिया. और फिर किसी काम के सिलसिले में घर से निकल पड़ा.

अपने बच्चो की पैदाइश और चिली की चुदाई के बाद ज़ाहिद और शाज़िया एक दूसरे के साथ वैसे तो बहुत खुस-ओ-खुराम ज़िंदगी बसर कर रहे थे.

मगर इस के साथ साथ दोनो बहन भाई को अपनी अम्मी रज़िया बीबी की सेहत की फिकर सता रही थी.

इस की वजह ये थी. कि शाज़िया और नीलोफर की डेलिवरी के बाद ज्यूँ ज्यूँ रज़िया बीबी की डेट करीब आ रही थी.त्यु त्यु दिन-ब-दिन रज़िया बीबी की तबीयत खराब होने लगी थी.

“अगर आप को किसी किस्म का मसला है तो, क्यों ना लेडी डॉक्टर से बात कर के में आप का अबॉर्षन करवा दूं अम्मी” अपनी अम्मी की गिरती सेहत देख कर ज़ाहिद बहुत परेशान हुआ. और उस ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी को लेडी डॉक्टर से चेक अप भी करवाने की कॉसिश करते हुए कहा.

मगर हर दफ़ा रज़िया बीबी ने “में ठीक हूँ, और में हर हाल में तुम्हारे बच्चे को जनम दे कर रहूंगी मेरे बच्चे” ये कहते और ज़िद करते हुए डॉक्टर के पास जाने से मना कर दिया.

फिर आख़िर वो दिन आन पहुँचा जब रज़िया बीबी अपने ही बेटे के बच्चे की माँ बनने वाली थी.

उस दिन रज़िया बीबी समित उस के सारे घर वाले बहुत ही खुश थे. और ज़ाहिद, शाज़िया,नीलोफर और जमशेद रज़िया बीबी को साथ ले कर हॉस्पिटल आ गये.

रज़िया बीबी की उमर ज़्यादा होने की वजह से डेलिवरी में कॉंप्लिकेशन का डर था.

इसीलिए ऑपरेशन रूम में जाने से पहले हॉस्पिटल वालों ने ज़ाहिद और रज़िया बीबी से कई किसम के पेपर्स पर साइन करवाए. और फिर रज़िया बीबी अपने बेटे और बेटी की आँखों के सामने ऑपरेशन थियेटर में चली गई.

ज़ाहिद,शाज़िया,नीलोफर और जमशेद सब अपने बच्चो के साथ हॉस्पिटल के वेटिंग रूम में इंतिज़ार कर रहे थे. कि कब डॉक्टर आ कर उन को सब ठीक है की खबर सुनाए.
 
मगर उन सब की किस्मत में कुछ और ही लिखा था.

ऑपरेशन स्टार्ट होने के कुछ देर बाद एक डॉक्टर घबराई हुई हालत में वेटिंग रूम में बैठे ज़ाहिद के पास आया. और बहुत ही अफ़सोसजदा लहजे में बोला “ आइ आम सो सॉरी वी कुड नोट सेव दा मदर आंड बेबी”.

“व्हातत्तटटटटटटटटतत्त आंड हॉवववव” डॉक्टर के मुँह से ये आलम नाक खबर सुन कर ज़ाहिद और बाकी सब लोगो के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ एक दम निकल गये.

डॉक्टर ने तफ़सील से बताया कि बड़ी उमर में प्रेगनेंट होने की वजह से प्रेग्नेन्सी के आखरी महीनों रज़िया बीबी के यूटरस (बच्चे दानी) में एक ट्यूमर बन चुका था. जो कि असल में कॅन्सर था.

आज ऑपरेशन के दोरान वो ट्यूमर अचानक फॅट गया. जिस की वजह से रज़िया बीबी के साथ साथ उस के पेट में बने हुए ज़ाहिद के बच्चे की भी डेथ हो गई थी.

ज़ाहिद और शाज़िया के साथ साथ जमशेद और नीलोफर की आँखों से आँसू जारी हो गये. और सब एक दूसरे से गले लग कर फूट फूट कर रोने लगी.

ज़ाहिद और शाज़िया तो अपने दिल में कुछ और ही अरमान सजाए अपनी अम्मी को साथ ले कर हॉस्पिटल आए थे.

मगर वो कहते हैं ना कि “होनी को कौन टाल सकता है.

बिल्कुल इस तरह एक ही लम्हे में ज़ाहिद का खुशी भरा माहौल गम की तस्वीर बन कर रह गया था.

फिर हॉस्पिटल वालों ने अपने पेपर वर्क के बाद रज़िया बीबी और उस के पेट में मुर्दा जनम लेने वाले बच्चे की डेड बॉडी ज़ाहिद के सुपर्द कर दी.

जिसे उसी दिन ज़ाहिद,शाज़िया,नीलोफर और जमशेद ने आहों और सिसकियों के शोर में कब्रिस्तान में दफ़ना दिया.

ज़ाहिद और शाज़िया अपनी अम्मी की यूँ अचानक उन से बिचड जाने पर बहुत ही गम गीन थे.

मगर सबर के अलावा उन के पास कोई चारा नही था.

अपनी अम्मी के इस दुनिया से जाने का शोक मनाने के कुछ दिनो के बाद शाज़िया एक बार फिर अपने शोहर भाई ज़ाहिद के कमरे में शिफ्ट हो गई.

और जमशेद और नीलोफर की तरह ये दोनो बहन भाई भी एक बार फिर सही मियाँ बीवी की हैसियत से दोनो बच्चो के साथ अपने शब-ओ-रोज़ गुज़ारने लगे.

यूँ अल कौसेर होटेल दिना से जनम लेने वाले ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बहन भाई के इस जिन्सी किस्से का कुआला लंपुर मॉलेसिया में समापन हो गया.

दा एंड……
 
:heart: :heart:
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ज़ाहिद के गरम पानी से भरी हुई बहन की चूत को देख कर जमशेद को ना जाने किया सूझी. कि वो एक दम आगे बढ़ा और अपनी बहन की चूत पर अपना मुँह रख कर ज़ाहिद के लंड के पानी को अपनी बहन की फुद्दि से चूसने लगा.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ जमशेद ये तुम क्या कर रहे हो मेरे भाई” नीलोफर ने अपने भाई को ज़ाहिद का वीर्य चाटते देखा तो हडबडाती हुई बोली.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]“कुछ नही बाजी में तो बस आप से अपने प्यार का इज़हार कर रहा हूँ” जमशेद ने ज़ाहिद के पानी से तर होती अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए कहा.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]“मगर भाई ये बहुत गंदी हरकत है जो तुम इस वक्त कर रहे हो” नीलोफर ने अपने भाई को ज़ाहिद की मानी चाटने से रोकने के लिए कहा.[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]“बाजी आप जानती हैं कि में आप से कितना प्यार करता हुआ,इसीलिए मुझे आप मत रोको ” जमशेद ने अपनी बहन की गान्ड से ले कर उस की चूत तक अपनी ज़ुबान को फेरते हुए कहा. :heart: [/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]Ahhh bahut mast Maine bahut so kahaniya padhi hai anek site par lekin ye chudi hui chut ko chusne ki ghatna kahi nahi mili Jo ki Meri bhi pasandida hai ahhh mast kar diya ji aapne Maja aa gaya [/font]
 
:heart:
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद भी अपनी अम्मी की कमर को ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़ते हुए रज़िया बीबी के मोटे फुद्दे में छोड़ा हुआ अपना ही जूस चाटने में मसरूफ़ हो गया :heart: [/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]Ahhh hay chudi hui chut se apne hi Lund ka Pani chusna bahut majedar lagta hai ohhh mast likhe ho Bhai Maja aa gaya[/font]
 
sexstories said:
लज़्जत और जोश में डूबी हुई नीलोफर अब अपने हिप्स को उठा उठा कर आगे पीछे करने लगी.और बे इकतियार उस के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगीं.

नीलोफर के मुँह से निकलती हुई सिसकियाँ जमशेद के साथ साथ ज़ाहिद को भी बुरी तरह से गरमा चुकी थीं और उस के हाथ भी अपने लंड पर तेज़ी से फिसल रहे थे.

दूसरी तरफ जमशेद ने अब अपनी बेहन के पावं की उंगलियो को चाटते चाटते अपना मुँह आहिस्ता आहिस्ता बेहन की टाँग की पिंदलियों के ऊपर से फेरते हुए उस की गुदाज रानों की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया

नीलोफर की गोश्त से भरी हुई मोटी मोटी रानों पर ज्यूँ ज्यूँ उस के भाई की आग बरसाती गरम ज़ुबान फिरने लगी. तो नीलोफर का जिस्म मज़े के मारे बिस्तर पर मचलने लगा.

रानों के दरमियाँ से होता हुआ जमशेद का मुँह निलफोर की फुददी के बहुत नज़दीक पहुँचन चुका था.

अपनी बेहन की चूत के इतने नज़दीक पहुँचते ही बेहन की चूत की प्यारी प्यारी खुसबु का नशा जमशेद के दिमाग़ पर छाने लगा.

इसी नशे में डूबते हुए जमशेद ने अपनी बेहन के चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ा.और नीलोफर की गान्ड को सहलाते हुए उस की टाँगे चौड़ी कीं और अपने मुँह को आगे बढ़ाते हुए अपनी बेहन की चूत की गुदाज होंठो पर अपने होंठ रख कर बेहन की रस भरी चूत को चूमने लगा.

जमशेद का मुँह नीलोफर की चूत से टकराते ही नीलोफर की चूत का दाना (क्लिट) गरम हो कर उस की चूत के ऊपर एक शान से अकड़ कर खड़ा होने लगा.

जमशेद ने अपनी बेहन की चूत पर अपनी ज़ुबान को ऊपर नीचे घुमाते हुए चूत के दाने (क्लिट) को अपने मुँह में भरा और बेहन के छोले को चूसने लगा.

चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से रगड़ते रगड़ते जमशेद ने दाने को अपने होंठो में भर कर काबू किया और फिर दाने को अपने होंठो से खींच कर ज़ोर से बाहर की तरफ खींचा और फिर छोड़ दिया..

जमशेद ने फिर यह हरकत कई बार दुहाराई. वो अब एक दीवाने की तरह अपनी बेहन की चूत को चाट रहा था.

अपने भाई के इस वहशियाना प्यार को पा कर नीलोफर की चूत से रस का झरना बहाने लगा. और वो भी अपने चुतड उठा उठा कर अपने भाई के मुँह पर वहशीपन अंदाज़ में ज़ोर ज़ोर से मारने लगी.

“हाआआआआ ओह” लज़्जत और जिस्मानी भूक से बेकाबू होते हुए नीलोफर की सिसकियाँ पूरे कमरे में ज़ोर ज़ोर से गूंजने लगीं थीं.



बाथरूम में खड़े हुए ज़ाहिद को यह नज़रा देख कर अपने ऊपर काबू पाना मुश्किल हो रहा था.

उस का दिल भी यह चाह रहा था कि वो भी नीलोफर के जवान और खूबसूरत जिस्म से खैल कर अपने लंड को ठंडा करे.

मगर आगे बढ़ने की बजाय वो उधर ही खड़ा रह कर दोनो बेहन भाई की मस्तियों से लुफ्त अंदोज़ होता रहा.

उधर कमरे में अपने भाई से अपनी चूत चटवाती नीलोफर के सबर का पैमाना लबरेज़ हो गया.

और “भाई बस करो और जल्दी से मेरे अंदर डाल दो” कहते हुए उस ने जमशेद को उस के सिर के बालों से पकड़ कर अपने उपर खींच लिया.

जमशेद अपनी बेहन की बेताबी देख कर मुस्कराया और उस ने अपनी बेहन की लंबी टाँगों को अपने हाथ में थाम कर अपने कंधों पर रखा लिया .

फिर अपने लंड को दूसरे हाथ से पकड़ कर बेहन की चूत के सुराख पर उपर नीचे रगड़ा.

जिस से जमशेद के लंड की टोपी उस की बेहन की चूत के रस से बहुत गीली हो गई..

ज्यों ही जमशेद ने अपने लंड की टोपी अपनी बेहन की चूत के मुँह पर रखा


तो मज़े से बे काबू नीलोफर के सारे बदन में एक कप कपि सी तरी हो गई.

नीलोफर की चूत उस के भाई के चाटने और अपनी चूत के पानी से भीग भीग कर पूरी गीली हो चुकी थी.

जब नीलोफर ने देखा के उस का भाई अपन लंड उस के अंदर डालने की बजाय उस की फुद्दि से सिर्फ़ छेड़ छाड़ ही कर रहा है तो उस के सबर का पेमाना लबरेज होने लगा.

नीलोफर: “भाई प्लीज़ अंदर डालो ना”

जमशेद बोला: जान क्या डालू अंदर”

नीलोफर: “भाई अंदर डालो ना प्लीज़ और मत तड़पाओ मुझे”

“खुल के बताओ क्या डालू अंदर बाजी” जमशेद को शायद अपनी बेहन की बेचैनि देख कर उसे छेड़ने और मस्ती करने में मज़ा आ रहा था.

नीलोफर: “अपना लंड मेरी चूत में डालो और मुझे चोदो प्लीज़, मुझ से अब मज़ीद सब्र नही हो रहा भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”

ये सुनते ही जमशेद ने अपनी बेहन की आँखो में आँखे डालते हुए अपने लंड का दबाव बेहन की चूत पर बढ़ाया. तो उस का लंड अपना रास्ता बनाता चूत में आराम से जाने लगा.

बहुत बढ़िया लिखा है 
 
sexstories said:
वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

इस स्टोरी का आगाज़ झेलम सिटी में हुआ और स्टोरी के में किरदार कुछ यूँ हैं.

ज़ाहिद महमूद: उमर 32 साल (भाई)

जॉब: एएसआइ (असिस्टेंट सब इनस्पेक्टर इन पंजाब पोलीस) रवैती पोलीस वालो की बजाय एक तंदुरुस्त (बिना बढ़े हुए पैट के) स्मार्ट और फिट इंसान.



मॅरिटल स्टेटस: सो कॉल्ड “कंवारा”

ज़ाहिद अभी ताक गैर शादी शुदा ज़रूर है मगर “कंवारा “नही….

शाज़िया ख़ानम: उमर 30 साल (बेहन)

वज़न के हिसाब से थोड़ी मोटी और भारी जिस्म की मालिक है. इस वजह से उस के मोटे और बड़े मम्मों का साइज़ 40 ड्ड और उभरी हुई चौड़ी गान्ड का साइज़ 42 है.

साथ में सोने पर सुहागा कि बाकी बहनो की निसबत शाज़िया का रंग भी थोड़ा सांवला है.

स्टेटस: तलाक़ याफ़्ता

27 साल की उमर में शादी हुई और मगर दो साल बाद ही 29 साल की उमर में तलाक़ भी हो गई.और अब उस की तलाक़ हुए एक साल का अरसा बीत चुका है.

जॉब: स्कूल टीचर

रज़िया बीबी: उमर 55 साल (अम्मी)

स्टेटस: बेवा (विडो)

जॉब: हाउस वाइफ

इस के इलावा ज़ाहिद की दो और छोटी बहने भी हैं जो अब शादी शुदा हैं.

एक बेहन अपने शोहर के साथ कराची में जब कि दूसरी बेहन क्वेटा में अपनी फॅमिली के साथ रहती है.

ज़ाहिद का एक सब से छोटा भाई ज़मान महमूद भी था. मगर बद किस्मती से वो “हेरोयन” (ड्रग) के नशे की लानत में मुबतिला हो कर कुछ साल पहले फोट हो चुका है.

चलें अब स्टोरी का आगाज़ करते हैं.

एएसआइ ज़ाहिद महमूद सुबह के तक़रीबन 7 बजे अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हो रहा था.

वो आज कल जीटी रोड झेलम के बिल्कुल उपर वेकिया पोलीस चोकी (पोलीस स्टेशन) काला गुजरं में तैनात (पोस्ट) था.

अगरचे ज़ाहिद महमूद को पोलीस में भरती हुए काफ़ी साल हो चुके थे. मगर दो महीने पहले ही उस की एएसआइ के ओहदे पर तराकी (प्रॉमोशन हुई थी. और इस तैराकी के साथ ही वो अपनी पोलीस सर्विस के दौरान पहली दफ़ा किसी पोलीस स्टेशन का इंचार्ज भी मुकरर हुआ था.

ज़ाहिद ने ज्यों ही घर से बाहर निकल कर अपनी मोटर साइकल को किक लगा कर स्टार्ट किया. तो उसी वकत उस की 30 साला छोटी बेहन शाज़िया ख़ानम अपने जिस्म के गिर्द चादर लपेटे एक दम घर के अंदर से दौड़ती हुई बाहर आई और एक जंप लगा कर अपने भाई के पीछे मोटर साइकल पर बैठ गई.



शाज़िया : भाई जाते हुए रास्ते में मुझे भी मेरे स्कूल उतार दें. आज फिर मेरी सज़ूकी वॅन (स्कूल वॅन) मिस हो गई है.

ज़ाहिद: एक तो में हर रोज तुम्हें लिफ्ट दे दे कर तंग आ गया हूँ. तुम टाइम पर तैयार क्यों नही होती?

शाज़िया: भाई में कोशिश तो करती हूँ मगर सुबह आँख ही नही खुलती… प्लीज़ मुझे स्कूल उतार दो ना मेरे अच्छे भाई, वरना मुझे बहुत देर हो जाएगी और मेरे स्कूल का प्रिन्सिपल मुझ पे गुस्सा हो गा.

शाज़िया ने पीछे से अपने भाई के कंधे पर अपना हाथ रखा और इल्तिजा भरे लहजे में भाई से कहा.

ज़ाहिद को खुद अपने थाने पहुँचने में देर हो रही थी. मगर फिर भी उसे पहले अपनी बेहन को उस के स्कूल ड्रॉप करना ही पड़ा. और यूँ ज़ाहिद अपनी बेहन को ले कर सिविल लाइन्स पर वाकीया हॅपी होम्स स्कूल के दरवाज़े पर आन पहुँचा.

ज्यों ही ज़ाहिद ने शाज़िया को ले कर उस स्कूल के सामने रुका तो उस के साथ ही एक स्कूल वॅन आ कर खड़ी हुई. जिस में से स्कूल के बच्चे और दो टीचर्स उतर कर बाहर आई.

उन टीचर्स में से एक टीचर ने शाज़िया की तरह अपने जिस्म के गिर्द चादर लपेटी हुई थी.

जब कि दूसरी टीचर ने बुर्क़ा पहना हुआ था. मुँह पर बुर्क़े के नक़ाब की वजह से उस टीचर की सिर्फ़ आँखे ही नज़र आ रही थीं. जब कि उस का बाकी का चेहरा छुपा हुआ था.

उन दोनो टीचर्स ने शाज़िया को अपने भाई के साथ मोटर साइकल पर बैठे देखा. तो उन्हो ने दोनो बेहन भाई के पास से गुज़रते हुए शाज़िया को सलाम किया.

शाज़िया अपने भाई की मोटर साइकल से उतरी और ज़ाहिद का शुक्रिया अदा करते हुए उन बच्चो और दोनो साथी टीचर्स के साथ स्कूल के गेट के अंदर चली गई.

ज़ाहिद भी अपनी बेहन को स्कूल उतार कर पोलीस चोकी आया और अपने रूटीन के काम में मसरूफ़ हो गया.

उसी दिन दोपहर के तक़रीबन 1 बजे का वक्त था. जुलाइ के महीने होने की वजह से एक तो गर्मी अपने जोबन पर थी. और दूसरा बिजली की लोड शेडिंग ने साब लोगो की मूठ मार रखी थी.

इस गर्मी की शिदत से निढाल हो कर ज़ाहिद पोलीस चोकी में बने हुए अपने दफ़्तर में आन बैठा.

आज थाने में उस को कोई खास मसरूफ़ियत नही थी. इस लिए बैठा बैठा एएसआइ ज़ाहिद महमूद अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी के बारे में सोचने लगा.

अपनी सोचों में ही डूबे हुए ज़ाहिद महमूद अपनी पिछली ज़िंदगी के उस मुकाम पर पहुँच गया.जब कुछ साल पहले वो अपना एफए का रिज़ल्ट सुन कर ख़ुसी ख़ुसी अपने घर वाकीया मशीन मोहल्ला नंबर 1 झेलम में दाखिल हुआ था.

ज्यों ही ज़ाहिद अपने घर के दरवाज़े को खोल कर घर में दाखिल हुवा तो घर के सहन में अपनी अम्मी और दूसरे भाई और बहनो को ज़रोर कतर रोता देख कर ज़ाहिद बहुत परेशान हो गया. और वो दौड़ता हुआ अपनी अम्मी के पास पहुँचा.

ज़ाहिद: “अम्मी ख़ैरियत तो है ना, आप सब ऐसे क्यों रो रहे हैं”

अम्मी: बेटा ग़ज़ब हो गया,अभी अभी खबर आई है कि तुम्हारे अब्बू एक पोलीस मुक़ाबले में हलाक हो गये हैं”

ज़ाहिद के वालिद (अब्बू) करीम साब पोलीस में हेड कॉन्स्टेबल थे. और वो ही अपने घर के वहीद कमाने वाले भी थे.

बाकी घर वालो की तरह ज़ाहिद पर भी यह खबर बिजली बन कर गिरी और उस की आँखो से भी बे सकता आँसू जारी हो गये.

कुछ देर बाद थाने वाले उस के अब्बू की लाश को आंब्युलेन्स में ले कर आए और फिर सब घर वालो के आँसू के साए में करीम साब की लाश को दफ़ना दिया गया.

चूँकि ज़ाहिद के अब्बू ने उस पोलीस मुक़ाबले में मुलजिमो (क्रिमिनल्स) के साथ जवां मर्दि से मुक़बला किया था.

इस लिए पोलीस डिपार्टमेंट ने उन की इस बहादुरी की कदर करते हुए उन के बेटे ज़ाहिद को पोलीस में कॉन्स्टेबल भरती कर लिया.

कहते हैं कि हर इंसान की अपनी क़िस्मत होती है और किसी इंसान का सितारा दूसरे की निसबत अच्छा होता है. लगता था कि कुछ ऐसी ही बात ज़ाहिद के अब्बू करीम साब की भी थी.

क्यों कि घर के वहीद कमाने वाले होने के बावजूद, अपने जीते जी करीम साब अपने पाँच बच्चो और एक बीवी का खर्चा बहुत अच्छा ना सही मगर फिर भी काफ़ी लोगों से बेहतर चला रहे थे.

लेकिन अब उन की वफात के बाद जब घर का सारा बोझ ज़ाहिद के ना जवान कंधो पर आन पड़ा तो ज़ाहिद के लिए अपने घर का खर्चा चलाना मुश्किल होने लगा.

ज़ाहिद चूंकि नया नया पोलीस में भरती हुआ था. इस लिए शुरू का कुछ अरसा वो रिश्वत (ब्राइब) को हराम समझ कर अपनी पोलीस की सॅलरी में गुज़ारा करने की कोशिस में मसरूफ़ रहा.

ज़ाहिद ने जब महसूस किया कि पोलीस की नोकरी में उस के लिए अपने घर का खर्चा पूरा करना मुश्किल हो रहा है.तो ज़ाहिद ने अपने एक दोस्त के मशवरे से अपनी ड्यूटी के बाद फारिग टाइम में “चिंग चे” (ऑटो रिक्शा) चलाना शुरू कर दिया.

इसी दौरान ज़ाहिद से छोटी उस की बेहन शाज़िया ने भी अपना एफए का इम्तिहान पास कर लिया और अपने भाई का हाथ बंटाने के लिए घर के करीब एक स्कूल में टीचर की जॉब शुरू कर दी.

शाज़िया दिन में स्कूल की जॉब करती और फिर शाम को घर में मोहल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी.

दोनो बेहन भाई की दिन रात की महनत रंग लाने लगी. और इस तरह महगाई के इस दौर में उन के घर वालों का गुज़ारा होने लगा.

ज़ाहिद और शाज़िया जो कमाते वो महीने के आख़िर में ला कर अपनी अम्मी के हाथ में दे देते.

ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी एक सुगढ़ और समझदार औरत थी. वो जानती थी कि उस की बच्चियाँ और बच्चे अब जवान हो रहे हैं और जल्द ही वो शादी के काबिल होने वाले हैं.

इस लिए रज़िया बीबी ने अपने बच्चों की कमाई में से थोड़े थोड़े पैसे बचा कर अपने मोहल्ले की औरतो के साथ मिल कर कमिटी डाल ली.ता के आहिस्ता आहिस्ता कर के उस के पास कुछ पैसे जमा हो जाए तो वो वक्त आने पर अपने बच्चो की शादियाँ कर सके.

इस तरह दिन गुज़रते गये और दिन महीनो और फिर साल में तब्दील होने लगे. वकत इतनी तेज़ी से गुज़रा कि ज़ाहिद और उस की बेहन शाज़िया को पता ही ना चला.

ज़ाहिद को अपनी बेहन शाज़िया का घर से बाहर निकल कर नोकरी करना अच्छा नही लगता था.मगर वो मजबूरी के आलम में अपनी बेहन के इस कदम को कबूल कर रहा था.

ज़ाहिद को उम्मीद थी कि उस का छोटा भाई ज़मान जो कि अब कॉलेज में मेट्रिक के बाद कॉलेज के फर्स्ट एअर में दाखिल हुवा था.वो जल्द ही पढ़ कर उस के साथ अपने घर का बोझ उठाए गा तो वो अपनी सब बहनो की शादी कर के अपना फर्ज़ पूरा कर दे गा.

इधर ज़ाहिद तो यह सोच रहा था मगर क़ुदरत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था.

ज़ाहिद तो यह समझता था. कि उस की तरह उस का भाई ज़मान भी अपने काम से काम रखने वाला एक सीधा सादा लड़का है. मगर असल हक़ीकत कुछ और ही थी.

असल में ज़ाहिद के मुक़ाबले ज़मान का उठना बैठना कुछ ग़लत किसम के दोस्तो में हो गया. जिन्हो ने उस को हेरोइन के नशे की लूट लगा दी.

चूँकि ज़ाहिद तो दिन रात अपने घर वालो के लिए रोज़ी रोटी कमाने में मसरूफ़ था. इस लिए एक पोलीस वाला होने के बावजूद वो यह ना देख पाया कि उस का छोटा भाई किस रास्ते पर चल निकला है.

उस को अपने भाई के नशे करने वाली बात उस वक्त ही पता चली. जब बहुत देर हो चुकी थी.

bahut badiya
 
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