Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना - Page 2 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना

तनु अब अपना नाईटी ले कर बाथरूम की तरफ़ चल दी। बब्लू मे अब स्क्रीन पर बाथरूम का कैमरा मैक्सीमाईज कर दिया। तनु अब अपनी साड़ी उतारी, फ़िर ब्लाऊज और अंत में साया। अब वो एक चटक पीले रंग की खुब कढाई वाली ब्रा-पैन्टी के सेट में थी। उसका गोरा, तराशा हुआ बदन सफ़ेद रोशनी में दमक रहा था। उसने अपने बालों को समेट कर एक हल्का सा जुडा बनाया और फ़िर ब्रा-पैन्टी में ही वाश-बेसीन के सामने खड़ी होकर अपने चेहरे को धोने लगी। हमारी नजर उसके गोरे सपाट पेट और उसकी पतली कमर पर जैसे जम गयी थी। बब्लू के मुँह से निकला, "यार... क्या मस्त जवानी चढी है तुम्हारी बहन पर दोस्त।" मैं भी अपनी बहन की ऐसे अध-नंगे सेक्सी बदन को देख कर अपने आपको एक बार जीभ अपने होठों पर फ़िराने से नहीं रोक पाया। बब्लू कह रहा था, "अभी हल्के से झुकी हुई है तब देखो न, कैसा मस्त कसा हुआ चुतड दिख रहा है। काश बिना पैन्टी के होती अभी साली तो जरा बूर की फ़ाँक का भी दीदार होता"। ऐसे शब्दों ने मेरे लन्ड पर असर करना शुरु कर दिया था और उसने अँगराई लेनी शुरु कर दी थी। मैंने कहा, "हमलोग यहाँ नंगे हो लेते तो बेहतर होता"। बब्लू ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, "साले हरामी.... अपनी छोटी बहन के बदन को देख कर नंगा होने को बेचैन हुआ जा रहा है... चल ठीक है", कहते हुए उसने अपना लोअर नीचे सरार दिया और उसकी देखा-देखी मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना पैजामा नीचे सरार दिया। अगले ही पल हम दोनों दोस्त पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। हमारा लंड अब ८०% तक तन गया था। चेहरा धोने के बाद तनु ने एक नाईट क्रीम अपने चेहरे पर लगाया और फ़िर वह उस नीली नाईटी को पहन कर बाहर निकली। बब्लू तब तक फ़ुर्ती के साथ अब कमरे वाले एक कैमरे को औन कर लिया था स्क्रीन पर। सामने बाथरूम के दरवाजे से निकलती तनु हमें दिखी। कमरे के एक दूसरे कैमरे में दिखा कि दीपू भैया बिस्तर पर सिर्फ़ एक फ़्रेंची पहन कर बैठे हुए हैं। तनु की नजर जैसे ही उन पर पडी, उसने अपनी नजरें नीचे झुका ली और वहीं की वहीं ठिठक कर खडी हो गयी। दीपू भैया अब मुस्कुराते हुए उठे और खुद ही तनु की तरफ़ बढ गए।


दीपू - क्या हुआ स्वीटी... ऐसे क्यों ठिठक गई। तुम शर्माती हो ठीक बात है, लड़की हो... पर मुझे तो यह
सब करने के लिए थोडा बेशर्म बनना पडेगा न...। (उन्होंने तनु का दोनों हाथ अपने हाथ में पकडते
हुए कहा)
तनु - मुझे ऐसे आपको देखकर ....
दीपू - अरे कुछ नहीं.... यह सब की आदत हो जाएगी। एक-दूसरे के बदन को देखने की जितनी जल्दी
आदत हो जाए उतना ही अच्छा रिश्ता बनेगा हमारा। आओ अब....(वो अब उसको पकड कर बिस्तर
की तरफ़ चले आए)
तनु - हमलोग आज भी जरा आराम कर लेते तो...
दीपू - अब कितना आराम करना है यार तुम्हें? अच्छा, एक बात बताओ.... शादी तो तुम अपनी मर्जी से
की हो ना? खुश तो हो मुझसे शादी करके?

उनके इस सवाल ने तनु का चेहरा एक झटके में ऊपर कर दिया और अब वो थोडा घबडाते हुए हाँ में सर हिलाई।

दीपू - ऐसे नहीं, बोल कर जवाब दो ना। तुम तो ठीक से खुलकर बात भी नहीं करती हो। ऐसा भी क्या शर्म
कि कमरे में लडका- लडकी साथ में रहें और खुल कर न बात हो और ना ही वो सब जो हर जवान
लड़का-लडकी करेगा ऐसे अकेले कमरे में।
तनु - जी... पर क्या बात करूँ? कुछ समझ में आए तब तो...।
दीपू - इसीलिए तो मैं कह रहा हूँ कि चलो हम सुहागरात मनाते हैं, इसी में बातचीत शुरु हो जाएगी।
तनु - हाँ... पर बातचीत तो हम ऐसे भी कर सकते हैं। फ़िर आप मुझसे बडे ही हैं और ज्यादा पढे-लिखे भी,
तो ...।
दीपू - अरे यार... तुम मेरी बीवी हो। अकेले में तो तुम मुझे तुम या तू भी बोल सकती हो, इतना अधिकार है
तुम्हें।
तनु - जी ... पर।
दीपू - क्या जी-जी कर रही हो तब से, चलो चुम्मा लो मुझे।


कहते हुए दीपू भैया ने अपना चेहरा तनु के चेहरे की तरफ़ झुका दिया और तनु भी अब अपना चेहरा थोडा ऊपर करके उनके होठ से अपने होठ सटा दी।
 
दीपू - क्या यार तुम भी.... ऐसा लग रहा है जैसे कोई टीचर किसी बच्चे को चुम रही है। जवान लडकी का चुम्मा तो ऐसा होना चहिए कि मर्द के बदन में गर्मी ला दे। चलो एक बार फ़िर से ट्राई करो।

तनु ने फ़िर से चुमा लिया, इसबार थोदा बेहतर था पर दीपू भैया ने उसको कस कर दबोच लिया और फ़िर एक जोरदार चुम्मी उसके होठों पर ली और फ़िर उसके बाद जो उनका होठ तनु के होठ से चिपका तो जैसे वो तनु की साँस ही खींचने लगे थे। तनु की साँस तेज हो चली थी, पर उन्होंने अपना होठ उसके होठ से नहीं हटाया था। लगातार वो अपने होठ उसके होठों पर रगडते हुए उस चुसते-चाटते हुए चुम्मा लिये जा रहे थे। तनु अब उनकी गिरफ़्त से छूटना चाह रही थी पर वो उसको पूरी तरह से दबोच कर पकड़े हुए थे। जब उन्होंने अपना चेहरा तनु के ऊपर से हटाया तब तनु की साँस उखडी हुई थी और चेहरा लाल भभूका था।

दीपू - अब पता चला, सेक्सी वाला चुम्मा कैसे लिया जाता है। बदन में गर्मी आई कि नहीं?

उन्होंने मेरी बहन का चेहरा अपने हथेलियों से घेरते हुए कहा, "अब प्यार वाली चुम्मी देखो", कहते हुए वो अब हल्के से उसके दाहिने कान के नीचले हिस्से को चुम लिये। तनु ने अपने दाहिने कंधे उचकाए और जब दुबारा ऐसा ही किया तो वो बोली, "छोड़िए न, गुद्गुदी होती है"।

दीपू - मेरी जान... यही गुदगुदी तो तुम्हारे पूरे बदन में लगाने है मुझे। उसके बाद ही तो तुम मुझे इनाम दोगी ना।
तनु - (अब थोड़ा रिलैक्स लगी) अब मैं क्या इनाम दूँगी भला आपको?
दीपू - तुम्हारी जवानी... मेरी जान....। अभी तुम इस बदन की जवानी का रस मुझे चुसवाओगी ना।


उन्होंने मेरी बहन का चेहरा अपने हथेलियों से घेरते हुए कहा, "अब प्यार वाली चुम्मी देखो", कहते हुए वो अब हल्के से उसके दाहिने कान के नीचले हिस्से को चुम लिये। तनु ने अपने दाहिने कंधे उचकाए और जब दुबारा ऐसा ही किया तो वो बोली, "छोड़िए न, गुद्गुदी होती है"।

दीपू - मेरी जान... यही गुदगुदी तो तुम्हारे पूरे बदन में लगाने है मुझे। उसके बाद ही तो तुम मुझे इनाम दोगी ना।
तनु - (अब थोड़ा रिलैक्स लगी) अब मैं क्या इनाम दूँगी भला आपको?
दीपू - तुम्हारी जवानी... मेरी जान....। अभी तुम इस बदन की जवानी का रस मुझे चुसवाओगी ना।

तनु के चेहरे पर फ़िर असमंजस का भाव आया पर अब वो थोड़ा शान्त थी और दीपू भैया ने उसको अपने बायीं जाँघ पर बिठा लिया और फ़िर तनु के चेहरे को अपनी तरफ़ मोड़ कर चुमने लगे। तनु भी अब उनका साथ दे रही थी। जल्द ही उनका हाथ तनु की चुचियों से खेलने लगा पर तनु अभी तक शान्त थी और अपनी चुचियों से उनको खेलने दे रही थी। ऐसा तो उसने पिछली रात भी उनको करने दिया था। तनु अब थोड़ा बेहतर तरीके से बैठ गयी थी और सहारे के लिए उसने दीपू भैया के गले में अपनी बाँह डाल दी थी। मुझे अब जब उसने खुद ही अपनी बाँह अपने पति दीपू भैया के गले में डाल दी तो मैं समझ गया कि अब आज वो चुदवा लेगी। उसके ऐसा करते ही मेरे मुँह से निकला, "अब आज तनु अपना सुहागरात मना लेगी पक्का"। मेरी बात सुनकर बब्लू भी बोला, "अगर राजी-खुशी नहीं चुदवाई तो आज मेरी भाई पटक कर चोदेगा तुम्हारी बहन की बूर को, देख लेना"। मैंने अब हँसते हुए बोला, "यार शुभ-शुभ बोलो.... मेरी छोटी बहन है, एक छोटी बहन तुम्हारे घर में भी है। उसके साथ जोर-जबर्दस्ती तुम्हें अच्छा लगेगा क्या?" मैंने जान-बूझ कर बब्ली का जिक्र छेडा था। पर बब्लू तो वो बन्दा था जिसने मुझे मेरी ही बहन में माल दिखला दिया था और मुझे अपनी बहन के लिए मूठ मारने के लिए मजबूर कर दिया था, अपनी बहन की बात कहते हुए वो क्या शर्माता... वो बोला, "उसको तो राज यार अब तू जल्दी से निपटा ले, नहीं तो जैसे मस्त होकर उँगली से खेलने लगी है... पहले ही मौके में किसी लड़के के नीचे बिछ जाएगी टाँग खोल कर"। मेरे मुँह से निकला, "शादी के पहले ही..."। बब्लू अब बोला, "क्यों बे साले... चुदाई के लिए शादी की क्या जरूरत है बे? एक तेरी बहन हैं घोंचू की शादी करके भी आज-नहीं-कल कर रही है और एक मेरा भाई है जो सिर्फ़ पढा ही है आज तक। बब्ली पर जैसी गरमी चढ गयी है, अगर दो महिने में तू नहीं शान्त करेगा तो मैं कर दूँगा उसकी गर्मी शान्त, समझ ले तू। मेरा यार है तो पहला मौका तुझे दे रहा हूँ"। मैं अब भौंचक सा हो कर उसका मुँह निहार रहा था कि वो बोला, "अबे साले देख जल्दी स्क्रीन पर तेरी बहन की बूर को सहला रहा है मेरा भाई"। मैंने चट से सर घुमाया। दीपू भैया का दाहिना हाथ अब तनु की नाईटी के भीतर घुसा हुआ था और नाईटी भी उसके घुटनों के ऊपर उठ गयी थी। दोनों के होठ मिले हुए थे और दोनों चुम्मा लेने में मग्न थे।
 
अब दोनों अलग हुए, दोनों की साँस तेज हो गयी थी। दीपू भैया ने मेरी बहन का हाथ पकड़ा और फ़िर खुद ही उसको अपने फ़्रेंची के ऊपर फ़ूले हुए भाग पर रख कर दबा दिया। तनु भी इशारा समझ कर ऊपर से ही हल्के-ह्लके दबाने लगी तो वो बोले।

दीपू - जान... अब जरा मेरा आखिरी कपड़ा अपने हाथ से उतार कर नंगा तो करो मुझे पहली बार।
तनु - नहीं.... मुझे शर्म आती है।
दीपू - अरे मेरी रानी.... अब शर्म छोडो। आज पहली बार मैं किसी जवान लडकी के सामने नंगा होना चाहता हूँ। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि ऐसा मर्द मिला है जो कभी किसी दूसरी लड़की के लिए नंगा नहीं हुआ।
तनु - मैं भी तो कभी किसी लSके के साथ नहीं गयी कहीं डेट पर।
दीपू - इसीलिए तो ऐसे बेवकूफ़ हो कि दो दिन से शर्मा ही रही हो, जबकि तुम्हारे घरवालों ने तुम्हे मेरे साथ सेक्स करने के लिए ही भेजा है मेरे घर पर। अब कल तुम्हें अपने घर जाना है तो क्या ऐसे ही चली जाओगी? मम्मी जब पूछेगी तुमसे तब तुम क्या कहोगी?
तनु - छीः.... मम्मी यही सब बात करेगी मुझसे?
दीपू - अरे यार... मेरी सास मौडर्न सास है, तेरी तरह शर्म की गुड़िया नहीं है। विदाई के समय मुझे बोली थी कि मेरी बेटी को ले जा रहे हैं तो अच्छे से रखिएगा और उसको खूब प्यार कीजिएगा।
तनु - हाँ... तो इसका मतलब यही है ना जो आप करना चाहते हैं?
दीपू - और नहीं तो क्या? किसी की बेटी को उसका दामाद कैसे प्यार करेगा... अब तुम ही बता दो मुझे। तुम्हारी मम्मी को पापा ने प्यार ही तो किया था जो प्यार तुम जैसी खुबसूरत लड़की बन गया है।

बब्लू अब बोला, "मेरा पढाकू भाई तो मक्खनबाजी में तो बहुत तेज निकला...., बडा जल्दी तुम्हारी बहन को पिघलाने लगा है"। तनु के हाथ को दीपू भैया ने फ़िर से पकड़ा और उसकी ऊँगली को अपने फ़्रेंची की बैंड में घुसा कर नीचे ससार दिया। साथ में फ़्रेंची भी नीचे चला गया और दीपू भैया का साँवला कडा लन्ड अब अनावृत हो गया था। उसके चारों तरफ़ करीब आधा-पौना इंच का झाँट दिख रहा था। तनु का चेहरा यह देख कर अब लाल हो गया था वो अब अपना हाथ उनके हाथ से छुड़ाना चाहती थी शायद, पर दीपू भैया ने उसके हाथ को अपने लन्ड पर रख दिया और बोले।


दीपू - सहला कर देखो ना कि मर्द का यह अंग कैसा होता है.... कभी देखी हो ऐसे किसी का?

तनु ने ना में सर हिलाया, तो वो बोले।

दीपू - बातचीत किया करो यार, ऐसे इशारे में बात करना मुझे पसंद नहीं है।
तनु - नहीं....।
दीपू - क्या नहीं?
तनु - कभी देखा नहीं ऐसे।
दीपू - तो अब देखो जी भर के। तुम्हारे लिए ही यह इस धरती पर भेजा गया है... समझ रही हो?
तनु - जी... कैसा कड़ा है यह?
दीपू - तुम्हारे लिए ही कडा हुआ है मेरी जान। सब तुम्हारे हाथ का जादू है। तुम तो जादूगरनी हो...।

तनु को यह सब सुन कर अच्छा लगा शायद, उसने इसबार स्वयं ही अपना हाथ लन्ड पर चलाया और इसके साथ ही लंड का चमड़ा पीछे चला गया और लाल चमकीला सुपाडा उभर कर सामने आ गया।

दीपू - पता है इसको क्या कहते हैं?
तनु - हाँ...
दीपू - बताओ फ़िर?
तनु - क्यों?
दीपू - पता तो चले कि तुम बच्ची ही हो या बडी हो गयी हो
तनु - मतलब?
दीपू - इसको जो बोलोगी, उसी से तय हो जाएगा...।
तनु - वो कैसे?
दीपू - तुम बताओ इसका नाम, और मैं बताता हूँ फ़िर...
तनु - ऐसे तो शिश्न.... पर शायद आप कुछ और सुनना चाहते हैं। (तनु अब पहली बार थोडा निश्चिंत हो कर मुस्कुराते हुए दिखी)
दीपू - सही बात बोली, शिश्न तो किताबी शब्द है। जवान लड़के-लडकियों की दुनिया में यह कुछ और कहा जाता है। बताओ अब?
तनु - लौडा (शर्मा कर सर झुका ली थी)
दीपू - वाह मेरी जान..... और लन्ड भी। तुम तो सच में जवान हो गयी हो मेरी रानी।
 
तनु का सर दीपू भैया ने ऊपर करके उसको चुम लिया। तनु के चेहरे पर एक सेक्सी मुस्कुराहट दिख रही थी।


दीपू - पता है यह लन्ड या लौड़ा करता क्या है?
तनु - जी.... इसी की मदद से बच्चा लड़की के पेट में जाता है।
दीपू - ठीक बात... पर बच्चा किसी लड़की के पेट में जाए इसके पहले लडकी को इसी की मदद से चोदा जाता है। "चुदाई" का मतलब समझ रही हो?
तनु - जी...
दीपू - क्या... बताओ?
तनु - नहीं बताऊँगी... यह गन्दी बात है। इस सब के बारे में बात नहीं करनी चाहिए।
दीपू - अरे यार... यह सब बात बच्ची को नहीं करना चाहिए। तुम अब बच्ची थोड़े ना हो, जवान लड़की हो तो तुम्हें यह सब बात करते रहना चाहिए हमेशा। बोलो ... खूल कर बोलो ना कि चुदाई का मतलब क्या होता है?
तनु - आपसे ऐसे बात करते हुए शर्म आती है मुझे, यह सब आप मत पूछिए।
दीपू - अरे मेरी जान, तुम्हारी इसी शर्म के चक्कर में मैं अभी तक रूका हुआ हूँ मेरी रानी। अब बोल भी दो....।
तनु - जी.... यह जो लड़की के अंग के भीतर घुसता है तब उसी को कहते हैं?
दीपू - क्या कहते है?
तनु - .... ..... ..... ... (बोलो) .... चुदाई
दीपू - अच्छा, गुड... और लड़की के जिस अंग में घुसता है उसको क्या कहते हैं?
तनु - योनि
दीपू - फ़िर किताबी शब्द.... जवानों वाली शब्द में बताओ ना, जब लौडा जानती हो तो वह भी पक्का पता है... मुझे मालूम है।
तनु - बूर (सर फ़िर से नीचे झुक गया, पर हाथ लन्ड को सहला रहा था)
दीपू - वाह मेरी जान.... और अब एक शब्द और बोल दो।
तनु - चूत...
दीपू - जीयो... मेरी रानी, और यह क्या है.... (जोर से तनु की छाती दबा दी)
तनु - आह्ह्ह्ह, दर्द होता है।
दीपू - बोलो... यह क्या है?
तनु - छाती है... और क्या?
दीपू - चुच्ची है यह तुम्हारी... चुच्ची..... गोल-गोल मुलायम सी। चलो अब दिखाओ कि तुम्हारी चुच्ची कैसी है?


और दीपू भैया ने उसकी नाईटी ऊपर करनी शुरु कर दी। स्क्रीन पर यह सब देखते हमारी साँस जैसे थम गयी थी। धीरे-धीरे उसके पैर नंगे होते जा रहे थे, फ़िर घुटना... जाँघ... पीली पैन्टी दिखी... पतली कमर... गोरा, सपाट पेट जिसके बीच में सुन्दर गोल सी नाभी... फ़िर पेट का ऊपरी हिस्सा जिसमें पसलियाँ दिखीं... इसके बाद ब्रा में छुपी हुई गुंदाज चुचियाँ... फ़िर गला और इस तरह उसकी नाईटी जमीन पर आ गिरी। नंगे खडे दीपू भैया के सामने मेरी छोटी बहन अब सिर्फ़ चटक पीले ब्रा-पैन्टी में खड़ी थी और अपने हाथों को कैंचीनुमा बना कर किसी तरह से अपनी छाती को ढक रही थी और साथ ही अपने जाँघों को भींचते हुए, शर्म से लाल चेहरा लिए चुपचाप खडी थी। कुछ पल तक दीपू भैया उसकी जवानी को घुरते रहे और फ़िर बोले।

दीपू - बहुत सुन्दर हो मेरी जान। एकदम मस्त हीरोईन... टौप क्लास।
 
तनु यह सब सुनकर चुपचाप सर नीचे करके खड़ी रही। दीपू भैया अब खुद अपने हाथ से अपना लंड सहला रहे थे और यहाँ कमरे में हम दोनों दोस्त भी तनु की इस मस्त ३२-२४-३४ फ़ीगर को ऐसे अधनंगा देख कर अपना लन्ड हिला रहे थे। तभी दीपू भैया बोले।

दीपू - अब जान, अपने हाथ से अपने बदन पर का यह आखिरी कपडा भी उतारो ना प्लीज।
तनु - नहीं... मुझसे यह सब नहीं होगा।
दीपू - क्या नहीं होगा रानी?
तनु - इससे ज्यादा... अब कपडे नहीं उतारूँगी।
दीपू - अरे क्या यार... फ़िर वही बात... इसमें तो ना तेरी बूर दिख रही है और ना ही तेरी चुच्ची। फ़िर मेरे इस खड़े लन्ड का क्या होगा? इस बेचारे को तो इसकी सहेली का दीदार करवा दो ना।

जिस तरह से रुआँसे आवाज में दीपू भैया ने आखिरी बात कही थी, उससे तनु को हँसी आ गई... और वो बोली।


तनु - बस ऊपर वाला ही उतारूँगी।

कहते हुए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने ब्रा का हुक खोल दिया और अगले पल उसकी गोरी-गोरी ३२ साईज की चुच्ची हमारे सामने चमक उठी। आज पहली बार इस तरह से तनु भी किसी मर्द के सामने अपने इस अंग को ऐसे नंगा की थी तो उसके शर्म की लाली साफ़ उसके चेहरे पर झलक रही थी। बब्लू बोला, "मेरा तो निकल जाएगा... क्या मस्त चुच्ची है यार। एकदम ठोस और गोल टेनिस बौल की तरह"। वो अब अपना हाथ तेजी से अपने लंड पर चला रहा था जबकि मैंने अपना हाथ अपने लंड से दूर कर लिया था और बस नजरों से अपनी बहन की नंगी चुचियों को पीये जा रहा था। दीपू भैया अब आगे बढ़कर फ़िर से तनु को अपने से चिपका लिए और उसको इधर-ऊधर चुमने लगे। तनु भी अबतक गर्म हो चुकी थी तो वो भी साथ देने लगी। जब दीपू भैया ने उसको अपने बदन से जोर से चिपकाया अपने एक हाथ की मदद से और फ़िर दूसरे हाथ से उसके पैन्टी को नीचे ससारा तभी बब्लू का छूट गया, उसके मुँह से एक जोर की आह निकली तो देखा कि उसका हाथ उसके ही सफ़ेदे से लिसडा हुआ था।

मैं एकबार फ़िर से स्क्रीन पर देखने लगा जहाँ उसकी पैन्टी धीरे-धीरे नीचे खिसकती हुई दिख रही थी। मुझे पता था कि अब अगर मैंने अपना लन्ड छुआ तो उसमें भी विस्फ़ोट हो जाएगा, सो मैंने अब तय कर लिया था कि मैं अपना हाथ अब अपने लंड से दूर ही रखुँगा... कम-से-कम तब तक जब तक की मेरी बहन सील नहीं टुटती है। बब्लू अपना हाथ साफ़ करने बाथरूम चला गया था और मैं देख रहा था कि सेक्स की गर्मी में मेरी बहन को पता ही नहीं था कि वो कब पूरी नंगी हो गयी है। उसके सामने का हिस्सा अभी भी दीपू भैया से चिपका हुआ था सो मुझे सिर्फ़ उसकी नंगी पीठ और गोल-गोल गुंदाज चुतड़ ही दिख रहा था। जब दीपू भैया को लग गया कि अब वो तनु को अपनी गिरफ़्त से आजाद करके भी उसके नंगे बदन को देख सकते हैं तब उन्होंने उसके बदन पर अपनी पकड ढीली की और तनु को अपने से दूर किया जिससे वो उसकी नंगी जवानी को भरपूर नजरों से देख सकें। यह तो तनु को करीब आठ-दस सेकेंड के बाद पता चला कि वो अब अपने पति के सामने पूरी तरह से नंगी ही खडी है। वो अब पूरी तरह से गर्म हो चली थी और अपनी जाँघों को भींच रही थी। मेरी नजर अब सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी खिली हुई गोरी-चिट्टी बूर पर थी, जिसके ऊपर एक करीब दो इंच का दिल बना हुआ था झाँट के गुच्छे से।


दीपू - माई गौड... क्या चूत सजा कर आई हो मेरे पास चुदाने के लिए? कौन बनाया है तुम्हारा इतना सजा कर?
तनु - जी... ब्युटी-पार्लर में।
दीपू - वही तो.... बहुत सुन्दर है (अपना चेहरा झुका कर उसकी चूत के ठीक ऊपर बने इस दिल को चुम लिया), कितना चार्ज किया है पार्लर इसका?
तनु - ११००, सबसे महँगा यही था।
दीपू - हाँ, लाजवाब है.... इसको अब थोडा सहेज कर रखना। साईड के बाल को सप्ताह में 2 बार छील लेना रेजर से, कम-से- कम जबतक हम यूरोप का टूर नहीं कर लेते हैं। मैंने पाँच दिन का टूर बूक किया है अगले सप्ताह का, पेरिस और रोम का। कल तुम्हारे घर पर ही सब को पता चलेगा।
 
यह बात हमसब के लिए एक सरप्राईज थी। बब्लू बोला, "साला पढाकू भाई तो बीवी को खुब इम्प्रेस किया यार... मैं समझता था कि वो फ़ुद्दू है।" मैं भी अपनी बहन के लिए यह बात सुन कर खुश हुआ था और बस मुस्कुरा कर रह गया। तनु तो यह सुनकर खुशी से पगला रही थी, वो चहक कर बोली।

तनु - सच में।
दीपू - और नहीं तो क्या? तुम मेरे लिए आज तक अपनी बूर को कुँवारी बचा कर रखी और यहाँ आने के पहले इतने प्यार से उसको अपने दिल से सजाई तो क्या मैं अपनी कोमल मासूम गुड़िया को थोडा घुमा नहीं सकता?
तनु - थैंक-यू...(अपना नंगापन अब उसको याद भी नहीं था)
दीपू - चलो, यह सब अब छोडो और अब यूरोप के लक्षण सीखो पहले तब न जाओगी वहाँ।
तनु - मतलब?
दीपू - जरा इस लन्ड को अपने मुँह में लेकर चूसो ना डीयर। यूरोप की लडकियाँ पहले लन्ड को चूसती है इसके बाद अपने बूर में डलवाती है।
तनु - छीः.. यह कितना गन्दा लगेगा।
दीपू - नहीं डीयर.... यही तो असल प्यार है। मुझे तो तुम्हारी बूर चाटने में कोई परेशानी नहीं होगी। तुम एक बार मेरी बात मानो तो, ऐसे भी तुमसे इतने साल बडा हूँ तो कुछ न कुछ अनुभव तो होगा।
तनु - पता है... करीब दस साल बडे हैं आप।
दीपू - नहीं बारह। मेरी झाँट निकल रही होगी जब तुम पैदा हुई होगी। मेरे लिए तो तुम एक बच्ची ही हो,तुम्हें मैं गलत सलाह क्यों दूँगा। मेरी बात मानो और मेरा लन्ड चूसो सब भूल कर, तुम्हें अच्छा लगेगा।


और बिना हाथ लगाए ही मेरा लन्ड झड गया जब देखा कि मेरी छोती बहन तनु थोडा हिचकते हुए झुकी और फ़िर घुटने पर बैठ गयी और दीपू भैया का लन्ड अपने हाथ से पकड कर मुँह में ले लिया, साथ में अपनी आँख भी बन्द कर ली। मेरी समझ में यह नहीं आया कि आखिर उसको ऐसे एक प्रोफ़ेशनल की तरह घुटनों पर बैठकर मर्द का लन्ड चुसा जाता है, यह बात पता कैसे चली। अपना लन्ड साफ़ करते हुए जब यही बात मैंने बब्लू से कही तो वो बोला, "साले... तुम्हे क्या लगता है, इन लड़कियों को इंटरनेट और पोर्न का पता नहीं नहीं है। ये सब घरेलू लडकियाँ अब सब छुप-छुपा कर करती रहती हैं"। मेरे पास उसकी बात को न मानने का कोई कारण नहीं था। मैं अपने सामने अपनी बहन को लन्ड चूसते देख रहा था। वो धीरे-धीरे बिल्कुल जील्ल कैसीदी की तरह लन्ड को चाटते हुई चूस रही थी। करीब दो मिनट की चुसाई हुई होगी कि दीपू भैया ने उसके सर को जोर से पकड लिया और अपना लन्ड उसके मुँह में स्थिर कर दिया। तनु अब अपना चेहरा हटाना चाह रही थी और बार-बार सर को झटक रही थी। दीपू भैया भी जोर से उसके सर को स्थिर रखते हुए झडने लगे थे। मेरी बहन का चेहरा देख लगा जैसे वो अब रो पडेगी। पर दीपू भैया की तो आँख ही बन्द थी, वो बेचारी तनु का दर्द क्या समझते। साफ़ दिख रहा था कि उनका लन्ड झटके खा रहा है, हम जान रहे थे कि इस तरह के झटकों का क्या मतलब होता है। दीपू भैया का सारा माल मेरी बहन के मुँह में गिर रहा था। मजबूरी में तनु की आँखों से आँसू ढ़लक गए। तबतक दीपू भैया भी पूरा झड गये थे और वो अब अपना लन्ड तनु के मुँह से बाहर निकाले तो तनु रो पड़ी। उसके मुँह से थुक लार के साथ वो गाढा सफ़ेद माल भी बाहर छलक गया जो दीपू भैया ने उसकी मुँह में गिराया था। तनु अब अपना चेहरा अपने हाथों से ढक ली थी और हल्के-ह्लके सुबक-सुबक कर रोने लगी थी। मुझे अपनी बहन के लिए अब दया आ रही थी और मेरी भी आँख डबडबा गयी थी। बब्लू ने अपना हाथ मेरे पीठ पर रखते हुए कहा, "दोस्त... यह सब तो होना ही था। तनु के लिए पहली बार है इसीलिए वो भी ऐसा रिएक्ट कर रही है। भैया उसका पति है, तो उसको तो पूरा अधिकार है ना अपनी बीवी के साथ यह सब करने का"। मैंने भी हाँ में सर हिलाया और फ़िर अपने आँख अपनी हथेली से पोछ लिये।
 
दीपू भैया अब उसको दिलासा दिला रहे थे, वो क्या बोल रहे थे कुच खास सुनाई नहीं दे रहा था। जल्द ही तनु को हमने मुस्कुराते देखा। वो सर हिला रही थी जैसे सब समझ रही हो। दोनों अब बिस्तर की तरफ़ चल दिये थे और हमारे निगाह एकबार फ़िर से स्क्रीन से चिपक गयी। दीपू भैया ने उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और तब बब्लू ने कैमरा बदल दिया जिससे हमें कमरे और बिस्तर की फ़ोटो अलग कोण से मिलने लगी। तनु थोडा तिरछा होकर लेटी हुई थी और अब वो बिस्तर पर पैर फ़ैला दी थी। पंखे में लगे कैमरे से वो पूरी तरह से नंगी बिस्तर पर बिछी हुई दिखी। दीपू भैया उसकी बगल में आ गये थे और उसकी चुचियों को बारे-बारे से चुसने लगे थे। जब वो एक को चुसते तब दूसरी को मसलते रहते। हमने पंखे वाले कैमरा से अब फ़िर बिस्तर वाले कैमरे से देखना शुरु कर दिया। वैसे सब कैमरे से रिकार्डिंग बैकग्राउंड में चल रहा था, पर इस बिस्तर वाले कैमरे से हम तनु की पहली चुदाई को लाईव देख रहे थे। तनु के बदन में गुदगुदी होने लगी थी और वो अब कभी हँसती तो कभी चिहुँकती। दीपू भैया ने इसके बाद उसके पेट और नाभी को चुमा तो वो खिलखिला कर हँसी और बोली, "ऐसे नहीं... बहुत गुद्गुदी होती है।" मुझे यह बात पता था कि तनु को पेट में बहुत गुद्गुदी लगती है बचपन में भी मै उसकी पेट को साईड से थोडा छूकर गुदगुदा देता था। दीपू भैया अब उसकी झाँट की बनी दिल से खेल रहे थे और तनु अपनी आँख बन्द करके बिस्तर पर शान्त लेटी हुई थी। अचानक ही दीपू भैया ने उसकी बूर की फ़ाँक को छुआ और तनु ने सिसकी लेते हुए अपना कमर ऊपर की तरफ़ हल्के से उछाल दिया। अब दीपू भैया उसकी जाँघों को खोल कर उसके बीचे में पेट के बल लेट गये और अपने जीभ से उसकी कोरी कुँवारी बूर को चाटने लगे। जल्द ही उसकी जोर-जोर की सिसकी और गहरी साँसों की आवाज हमें माईक के सहारे सुनाई देने लगी। जब नुकीली जीभ ने मेरी बहन की बूर की फ़ाँक के ऊपर के हिस्से को रगडा तो पहली बार एक सेक्सी कराह उसके मुँह से निकली..."आआह्ह्ह्ह्ह्ह"। बब्लू बोला, "वाह मेरी जान....आज पहली चुदाई वाली कराह सुनी है तेरे मुँह से"। मैंने हँसते हुए कहा, "वह रे दोस्त, तनु को तुम्हारे भैया भी जान बोलते हैं और तुम भी। ऐसे ही मेरी बहन की जान ले लोगे तुमदोनों भाई मिलकर"। अब वो शर्मा गया और फ़िर बोला, "हाँ यार... अब तो उसको भाभी बोलने की आदत डालनी पडेगी।"


सामने दिख रहा था कि अब तनु की बूर को दीपू भैया अपनी ऊँगली से रगड रहे थे और तनु अब पूरी तरह से बेदम हो चुकी थी और बिस्तर पर मचल रही थी। कभी सर इधर घुमाती तो कभी उधर और कराह तो ऐसे रही थी जैसे सैंकड़ों चीटियाँ बदन पर चल रही हों।

दीपू - कैसा लग रहा है जान?
तनु - आह... बहुत अजीब लग रहा है, कभी ऐसा नहीं लगा आजतक। इस्स्स्स्स्स्स्स आह्ह्ह्ह
दीपू - अब समझ में आया कि जवानी क्या होती है?
तनु - हाँ रे....ओ-ओ ओह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह
दीपू - तुम्हारी बूर का स्वाद बहुत ही नशीला है जान, मेरे पर तो दो बोतल शराब का नशा है।
तनु - मैं तो अब खुद ही नशे में हूँ........आह्ह्ह्ह अब नहीं प्लीज.... (अब वो बूर मसलने से रोकने लगी)
दीपू - अब चुदाओगी मुझसे?
तनु - आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..... बहुत दर्द होगा.., प्लीज बाद में कोई दवा लेने के बाद, आज नहीं।
दीपू - फ़िर तो आज रातभर मैं तुम्हारी बूर को ऐसे ही रगडता रहुँगा, तुम तडपती रहो फ़िर। जाना कल घर तो माँ को दिखाना कि
देख लो मम्मी, मैं आ गयी बिना अपना बूर चुदाए। तुम्हारी मम्मी भी अपना सर पिट लेंगी, फ़िर समझ में आएगा।
तनु - मैं मम्मी को समझा लूँगी.... अब प्लीज आप रुक जाइए ना। मम्मी मेरी बात समझ लेंगी, वो मुझसे बहुत प्यार करती है।
दीपू - ठीक है फ़िर, कल तुम्हारे घर जाना ही है, वहीं तुम्हारी मम्मी को बोल दूँगा कि आपकी बेटी तो मुझे चोदने नहीं दी है
अपना बूर, कह रही थी कि मम्मी मेरी बहुत प्यार करती है, तो वो मेरे बदले चुदवा लेगी आपसे...।
तनु - ऐ राम...छीः, कैसी बात कर रहे हैं?
दीपू - क्या कैसी बात.... जब तुम ऐसा मस्त माल हो तो तुमको पैदा करने वाली कुछ कम थोड़े ना होगी। अपना क्या है - बेटी ना सही तो माँ सही, अपने को तो अब किसी की भी बूर चाहिए अपनी गर्मी शान्त करने के लिए। तुम देख लेना मैं साफ़-साफ़ बोल दूँगा सासू जी से।
तनु - नहीं........आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, प्लीज...... आप ऐसा कुछ नहीं कहेंगे मम्मी को.... इस्स्स्स्स अब रुक जाइए न प्लीज, मत रगडिए न ऐसे।
दीपू - फ़िर तो जब चुदाने के लिए तैयार होओगी तभी रूकुँगा अब....
तनु - नहीं प्लीज... अब नहीं सह सकती.... अब बस कीजिए.... आअह पानी पीने दीजिए प्लीज.... मै अब मर जाऊँगी।
 
तनु का बदन सेक्स की आग से जल रहा था। पूरे देह की गोरी चमड़ी अब लाल होती दिख रही थी। वो बार-बार कराहते हुए अपने जीभ से अपने होठ चाट रही थी और दीपू भैया उसकी बूर से खिलवाड बन्द ही नहीं कर रहे थे। मैं बोल पडा, "यार बब्लू... ऐसे कोई करता है क्या, बेचारी किस तकलीफ़ से गुजर रही है....।" बब्लू बोला, "अरे कुछ नहीं यार, उसके बदन में अब जवानी की आग भडक गयी है, जो अब बिना चुदाए शान्त नहीं होगी। समस्या यह है कि यह बात न तो तनु को पता है और न ही भैया कि अब इस आग को शान्त करने का सिर्फ़ एक उपाय है.... तनु की चुदाई। वैसे भी लडकी को थोडा थडपाना भी चाहिए, तभी वो पूरी तरह से अपना देह मर्द को भोगने देती है"। मैं समझ रहा था.... और तभी।

तनु - आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..... आप कर लीजिए, जो करना है पर प्लीज अब यह रोक दीजिए ना।
दीपू - मुझे तो अब बस तुम्हें चोदना है...
तनु - ओह.... तो चोद लीजिए न... पर प्लीज पहले पानी पी लेने दीजिए।

दीपू भैया अब उसके पास से हटे और फ़िर नंगे ही दरवाजे के पास रखे स्टूल पर से पानी की बोतल ला कर तनु को दी। उस बोतल से गट-गट करके पाँच बडे घूँट पानी पीने के बाद तनु अब थोडा होश में आई और बोली।


तनु - आप सिर्फ़ आज भर रुक नहीं सकते हैं?
दीपू - देखो मेरा बाबू... रूकने में परेशानी नहीं थी कुछ, पर जरा सोचो... कल तुम मायके जाओगी। मेरे साथ वहाँ तीन दिन रहना है, तो हम भाई-बहन की तरह रह नहीं सकते वहाँ। अब सोच कर देखो... अप्ने घर पर, अपने पापा-मम्मी और बड़े भाई के बीच में तुमको मुझसे पहली बार चुदवाना पडे तो कैसा लगेगा|कौल-गर्ल भी होटल में जाकर चुदवाती है, और तुम अपने घर अपने लोगों के बीच में चुदवाने की सोच रही हो।

तनु के चेहरे पर अब सोच के भाव दिखे।


दीपू - यहाँ मम्मी तुम्हारा कमरा अकेले ऊपर में लगाई कि यहाँ अगर मुँह से कुछ आवाज भी निकलेगा तो कोई आस-पास नहीं है। नीचे बब्ली है और फ़िर माँ-पापा भी, तो यहाँ इस कमरे में एक बार सेक्स कर लोगी तो फ़िर कोई परेशानी नहीं है।
तनु - क्या सच मे मुझे इतना दर्द होगा कि चीख निकल जाए? (चेहरे पर अब डर दिख रहा था)
दीपू - नहीं यार, यह सब कहने की चीज है। तुम्हारा बूर इतना गीला है कि बस ऐसे ही फ़िल्सल कर चला जाएगा भीतर। वैसें मैं भी तेल लगा कर डालूँगा भीतर, तुम चिंता मत करो। जब लगे दर्द हो रहा है तो बताना, मैं रुक जाउँगा।

दीपू भैया अब उसके बालों को सहला रहे थे प्यार से और तब तनु ने हाँ में सर हिलाया, फ़िर बिस्तर पर सीधा लेट गयी और बोली, "आइए अब देखती हूँ"।

दीपू - क्या देखती हूँ?
तनु - सेक्स करके देखती हूँ।
दीपू - फ़िर से क्या बकवास टाइप बोलने लगी। सेक्स तो महिला सब करती है, तुम तो लडकी हो।
तनु - हाँ तो? (चेहरा पर थोड़ा अजीब सा भाव था)
दीपू - तेरी माँ के साथ अगर हुआ तो कभी सेक्स करूँगा, पर तुम्हारे साथ तो सेक्स होगा ही नहीं...
तनु - फ़िर??? (वो आश्चर्य में दिखी)
दीपू - घबडाओ मत बाबू.... तुम्हारे जैसी जवान लड़की को चोदा जाता है, उनके साथ सेक्स नहीं किया जाता।
तनु - दोनो तो एक ही बात है...
दीपू - नहीं मेरी रानी.... जरा एकबार खुद ही बोल कर देख लो फ़र्क समझ में आ जाएगा।
तनु - क्या बोलूँ?
दीपू - मुझे चोदो मेरे राजा... मेरी बूर में अपना लौंडा घुसा कर मुझे चोदो - बोल कर देखो एक बार।
तनु - ठीक है.... "चोदो मेरे राजा, मेरे बूर को अपने लौंडे से चोदो"..... छीः बहुत गन्दा लग रहा है अपने मुँह से सुनकर
दीपू - हा हा हा, अब समझ में आया, क्यों जवान लडकी को हमेशा चोदा ही जाता है। चलो अब पैर खोले अपने और थोडा थुक अपने हाथ से अपने बूर पर लगाओ।
 
तनु - अब प्लीज छोड दीजिए... मैं मर जाऊँगी अब। मम्मी प्लीज बचाओ....।
दीपू - अब चुप भी करो, यहाँ तुम्हारी मम्मी नहीं आने वाली तुमको बचाने। वो तो खुद तुम्हें विदा की है मेरे साथ जाकर चुदाने के लिए। वैसे भी अब तो तुम्हारी बूर पूरी तरह से चुद गयी है न हो तो छू कर देख लो।
तनु - बहुत तीखा दर्द हो रहा है, जैसे कुछ जल गया है भीतर में... आह अब निकाल लीजिए ना।
दीपू - अब यह नहीं निकलेगा.... ऐसे निकालूँगा तो जितना दर्द घुसाते समय हुआ है उससे ज्यादा दर्द होगा। अब इसी तरह थोडा रेस्ट कर लो फ़िर जब आगे-पीछे करके चोदुँगा न और फ़िर जब मेरा निकलेगा तब यह खुद सिकुड़ कर बाहर निकलेगा और तुम्हें कोई दर्द महसूस नहीं होगा।
तनु - मतलब... अभी आप चोदे नहीं हैं?
दीपू - नहीं, अभी तो तुम्हारी सील तोड़ी है। कुँवारी लडकी की बूर में जो परत रहती है न चमडी की.... वहीं अभी टूटा है, इसीलिए यह जलन टाइप का दर्द हुआ है तुमको। चुदाई तो वो होती है, जब लौड़ा किसे लडकी की बूर के भीतर-बाहर होता है लगातार। कभी देखी नहीं हो किसी कुत्ते को सड़क पर कुतिया के साथ?
तनु - नहीं.... देखी हूँ, पर तब तो दोनों शान्त थे एक-दूसरे से जुडे हुए। एक किसी तरफ़ जाता तो दूसरा भी साथ में घिसट जाता।
दीपू - अरे... वो तो चुदाई के बाद का हिस्सा देखी हो तुम तब। चुदाई में सब ऐसे ही करते हैं, मादा की बूर में लौंड़ा घुसा कर अपनी कमर चलाते हुए लौंडे को आगे-पीछे करते है। दर्द अब कम हुआ हो तो बताओ, फ़िर मैं भी तुम्हारी चुदाई शुरु करूँगा, तब पता चलेगा तुमको कि क्या मजा है चुदाई का।
तनु - ठीक है.... कीजिए अब चुदाई।


हम समझ गये कि तनु सच में अभी तक एक बच्ची ही थी, हमीं उसे जवान लौंडिया समझ रहे थे। पर हम दोनों दोस्त यह देख कर अचंभे में थे कि दीपू भैया कितना बेहतर तरीके से सब कर रहे थे। पक्का उनको किसी ने सब सिखाया था। वैसे मैं खुश था कि मेरी बहन को एक अच्छा और प्यार करने वाला पति मिला है, जो तन्दुरुस्त है और लडकी को बेहतर तरीके से चोदना जानता है। हमारे देखते-देखते दीपू भैया अब थोडा तनु के ऊपर झुकते हुए उसको चोदने लगे थे। वो हल्के से कराहती थी जब लन्ड भीतर घुसता था, पर अब उसको समझ में आ गया था कि लोग लडकी को कैसे चोदते हैं और लडकी को किसे तरह से चुदाना चाहिए। वो कभी-कभी बोलती कि दर्द हो रहा है या फ़िर कुछ और तब दीपू भैया, उसको आराम देने के लिए, जो हो सकता था करते थे। करीब २० धक्के के बाद तनु भी नीचे से जोर लगा कर कमर उचकाने लगी थी, मतलब अब उसको चुदाई का मजा मिलने लगा था। तनु के मुँह से अब असल मस्ती वाली कराह... आआह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह इस्स्स्स्स्स्स टाइप की आवाज निकले लगी थी। हम दोनों दोस्त उसको इस तरह से चुदवाते हुए देख कर अपना लन्ड बडे प्यार से सहलाते हुए मूठ मार रहे थे। दीपू भैया और तनु दोनों ही लगभग साथ में शान्त हुए और तब हम दोनों भी जरा तेज हाथ चलाते हुए अपना लन्ड झाड़ लिए।

जब दोनों एक-दूसरे से अलग हुए तब हमने देखा कि बिस्तर की चादर पर खून, वीर्य, पेशाब और न आने कैसा-कैसा रस का दाग बन गया था। हमने घडी देखी, रात के १:४० हो रहे थे... मतलब मेरी बहन की सुहागरात अगर ११ बजे से शुरुआत मानूँ तो करीब ढ़ाई घन्टे चली थी। वो दोनों तो ठक ही गये थे, हमारा भी बूरा हाल था। हम अब कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थे। इन तीन घन्टों में मैं तीन बार झडा था और बब्लू चार बार। ऊधर मेरी बहन अब नाईटी उठा कर ऐसे ही पहन ली और फ़िर उसी बिस्तर पर लेट गयी बेदम की तरह जिसपर उसकी पहली चुदाई हुई थी। दीपू भैया तो नंगे ही बिस्तर पर फ़ैल गये थे। हम दोनों ने भी अब लैपटौप बन्द किया और पलंग पर फ़ैल गये।
 
सुबह हम सब चाय पीने इकट्ठे हुए, पर तनु नहीं आई। बब्लू ने तब अपनी बहन बब्ली से कहा भी कि भाभी को भी बुला लो तो दीपू भैया बोले, "ओ अभी नहा रही है.... आ जाएगी"। बब्लू ने मेरी तरफ़ राज भरी नजरों से देखा और उसकी मम्मी बोली "हाँ अच्छा है, सुबह-सुबह नयी बहू को हमेशा नहा कर ही अपने कमरे से निकलना चाहिए"। तभी बब्ली सब के लिए चाय ले कर आई और तनु भी अपने बाल पर एक गीला तौलिया लपेट कर एक हल्के पीले रंग की साड़ी में लिपटी आ गयी। तनु अभी तुरंत की नहाई हुई और ताजा-ताजा कली से फ़ूल बनी हुई एक मादक हवा का झोंका बन कर कमरे में आई थी। उसने आते ही पह्ले अपने ससुर का पैर छुआ और फ़िर सास का पैर छूने के लिए झुकी। उसका ब्लाऊज नया-नया सिला था, अभी के हिसाब से नयी दुल्हन के लिए, सो वो कुछ ज्यादा ही खुला हुआ था। मुझे उसके ब्लाऊज में से उसका आधा गोलाई झलक गया था। मुझे उसके ऊपर एक लव-बाईट दिखी। उसकी सास ने भी यह देखा होगा तभी वो थोडा चौंकी फ़िर सब समझ कर मुस्कुराई और आशीर्वाद दिया, "अब जल्दी से एक पोता जनो मेरे लिए"। यह सुनते हुए तपाक से उसके ससुर बोले, "अरे... अभी बच्ची है बेचारी, अभी तो उसको थोडा टाईम दो यार। आओ बेटा तुम यहाँ बैठो", कहते हुए उन्होंने उसके लिए अपने बगल में जगह बनाया और बब्ली झट से उस जगह बैठ गयी यह कहते हुए, "अब भाभी को आप बिठा लोगे पापा तो भैया किसको बगल में बिठाएँगे।" हम सब हँस पडे और तनु झेंपते हुए अपने पति के साथ बैठ गयी। इसके बाद गप-शप करते हुए हमने चाय पी। घर की महिलाएँ बब्ली सब खाली कप लेकर चली गयी। तनु की सास ने कहा, "जाओ बेटी, तुम भी अब अपने घर जाने की तैयारी करो। नाश्ते के बाद निकल जाना।" तनु चुप-चाप उठी और अपने कमरे की तरफ़ चल दी। हर लडकी को मायका प्यारा होता है, दिख गया।


हम दोनों दोस्त भी अब कमरे में आ गये और मैं नहाने के लिए चला गया, जबकि बब्लू कल रात की तनु की पहली चुदाई की रिकार्डिंग फ़िर से चला कर देखने लगा। करीब साढे बारह बजे मैं अपनी बहन तनु और उसके पति दीपू भैया को लेकर अपने घर आया। सब खुब खुशी से मिले। मुझे तब एक झटका लगा जब मम्मी बोली, "राज, तुम तनु का सामान अपने कमरे में रख दो, तुम्हारा कमरा अब उसका रहेगा और तुम चाहे को नीचे उसके कमरे में शिफ़्ट कर लेना। अभी तो फ़िलहाल तुम्हारा बेड वहीं ऊपर के ही उस कमरे में लगा दिया है, दो-चार दिन के लिए जब तक तनु यहाँ है। इसके बाद तुम अपना वार्डरोब से सामान हटा कर दूसरे कमरे में ले आना"। असल में हमारे घर में नीचे दो बेडरूम है और एक खुब बडा सा हौल है। नीचे के दोनों कमरों में तनु और मम्मी-पापा रहते थे, पर उन दोनों का बाथरूम उनके बीच में था कौमन, इसीलिए उस कमरें में शायद तनु को नहीं ठहराया गया था। ऊपर के एक कमरे में मैं रहता था और दूसरा गेस्ट रूम की तरह था। असल में ऊपर नीचे वाले हौल के ऊपर एक हौल तो बना हुआ था पर उसको बीच से लकडी के बोर्ड से दो हिस्से में बाँट कर दो कमरे बना दिये गए थे जिसमें एक में मैं रहता था और दूसरा गेस्ट रूम की तरह प्रयोग किया जाता था। मैं जिस साईड रहता था उसमें बाथरूम साथ में बना हुआ था, जबकि एक बाथरूम छत के एक कोने में बना हुआ था। फ़िलहाल गेस्ट-रूम में मेरी चाची अपनी बेटी के साथ रूकी हुई थी। मैं अब थोडा असमंजस में था तो चाची बोली, "अरे कोई परेशानी की बात नहीं है, मैं नीचे तनु के कमरे में सो जाऊँगी। असल में ने इस तरह तनु और दामाद जी को भी थोड़ा प्राईवेसी मिल जाएगा"। वो मुस्कुरा रही थी और मैं समझ रहा था कि प्राईवेसी का क्या मतलब है। मैं तनु का सामान लेकर ऊपर आया और अपने कमरे में रख दिया और तब मेरे दिमाग में बात आई, आज तनु रात में मेरे बिस्तर पर सोएगी, फ़िर सोचा कि ओह.... मैं तो उसके साथ रहुँगा नहीं। मेरे दिमाग में फ़िर आया कि अब क्या किया जाए कि मैं अब आराम से उसको यहाँ भी देख सकूँ। मेरा खुराफ़ाती दिमाग तेजी से चलने लगा और मैंने अपने कमरे पर नजर दौड़ाई और फ़िर जल्दी से बाथरूम के बगल खिडकी के एक पल्ले को जोर से एक हथौडे से मारा और वो हल्का सा दब गया, उसमें एक छोटी ऊँगली घुसाने भर का अब गैप बन गया था, जो खिडकी बन्द करने के बाद भी रह जाता। मैंने ने जल्दी से कमरे के की-होल के कवर को भी तोड़ दिया जिससे उससे मैं भीतर झाँक सकूँ। लकडी के मोटे बोर्ड से जो दीवार अस्थायी रूप से बनाए गई थी कि बाद में पूरा घर बन जाने पर उसको फ़िर से हौल का रूप दिया जा सकें, उसमें मुझे बीच में जोड़ दिखाई दिया। मैंने उस जोड वाले हिस्से को पहले चाकू और फ़िर एक स्क्रू-ड्राईवर से खुडच-खुडच कर एक बहुत पतली सी फ़ाँक बना ली जो करीब चार इंच तक लम्बाई में थी और मैं अब उसके सहारे तनु के कमरे के लगभग हर कोने को आराम से देख सकता था। करीब बीस मिनट लगे मुझे यह सब खुराफ़ात करने में और मैं अब निश्चिंत था कि मैं अब अपने घर पर भी तनु को उसके पति के साथ आराम से देख सकूँगा। वैसे एक तसल्ली मुझे थी कि मेरे और तनु के कमरे के बीच लकडी का एक पार्टीशन था जिसके सहारे मुझे आवाज सुनने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी थी। मैंने एक और बदमाशी की। मेरा वार्डरोब जो आमतौर पर लौक रहता था उसका लौक मैंने खोल दिया, उसमें मैंने अपना पोर्न-कलेक्शन जमा किया हुआ था - ब्लू फ़िल्में की कुछेक डीवीडी और कई तरह की गन्दी मैगजीन्स। मुझे पता था कि वो लोग उसको खोलेंगे ही, और तब अगर वो थोड़ा बहुत भी उसके सामनों को छेडेंगे तो उनकी नजर इस सब पर पड ही जानी थी अब मैं खुशी-खुशी नीचे आ गया, जहाँ सब बैठ कर गप्पे मार रहे थे। करीब घन्टे भर गप-शप हुआ और फ़िर लंच करने के बाद मम्मी बोली, "तनु ले जाओ दामाद जी को ऊपर कमरे में वो शायद आराम करना चाहें।" तनु भी खुशी-खुशी "जी, बस दो मिनट" कहते हुए टेबुल साफ़ करने लगी तो मैंने कहा, "चलिए दीपू भैया ऊपर..."।

हमदोनों साथ में ऊपर आ गए और फ़िर दीपू भैया को उनका कमरा दिखाया। दीपू भैया अब जरा मजाक के मूड में बोले, "तब साले साहब अब बताइए, मैं आपकी बहन को कहाँ ले जाऊँ घुमाने?" मैं सब जान तो चुका था पर अनजान बनते हुए कहा, "जहाँ आपका मन हो...मैं क्या कहूँ इसमें।" तभी तनु भी आ गयी तो मैं खिसक लिया, यह कहते हुए कि अब वो दोनों आराम कर लें मुझे भी अब जरा लेटने का मन हो रहा है"। मैं अब जल्दी से अपने कमरे में आया और फ़िर जल्दी से लकडी की दीवार की झिड़ी से नजरें सटा कर बगल के कमरे में झाँका।
 
Back
Top