hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
रात में जैसा प्लान था दीपू भैया ने उसको पूरा नंगा करके उसके हाथ बाँध दिये और फ़िर उसके आँखों पर पट्टी बाँध कर उसका हाथ पकड कर कमरे के बाहर खुली छत पर ले आए। पूर्णिमा के एक दिन पहले की बात थी तो पूरा छत अच्छी खासी रौशनी से नहाया हुआ था। मैं तो पहले से नंगा हो कर अपनी बहन को चोदने का इंतजार कर रहा था। तनु जिस तेजी से सेक्स की गुडिया में बदलती जा रही थी, मुझे आश्चर्य हो रहा था कि क्या यह मेरी वही बहन है जो कभी इस बात पर दो-दो दिन स्कूल छोड़ देती थी कि किसी लडके ने उसको देख कर सीटी बजाई है। मैं किस्मत के खेल देख कर हँस रहा था कि ऐसी लडकी को पति मिला तो ऐसा जो उसको ऐसे खुल्लम-खुल्ला सेक्स की गुडिया बनाने में लगा हुआ था। मैंने अपने को समझाया कि अगर वो विरोध की तब भी उसकी चुदाई कर ही देना है, और उसको कहना है कि कन्यादान के बाद वो मेरी बहन से ज्यादा दीपू भैया की बीवी मतलब मेरी भाभी लगेगी और मैं उसको भाभी समझ कर चोद रहा हूँ। मैं अब निश्चिंत था कि आज फ़िर मुझे अपनी बहन चोदने के लिए मिलेगी। असल में तनु मेरी बहन है, यह सोच ही मेरे लन्ड को कुछ ज्यादा मजा दे रही थी। कहाँ तो मैंने बब्लू के साथ इतने पैसे खर्च करके वो कैमरा वगैरह लगाया था कि अपनी बहन की सुहागरात लाईव देख सकूँ और कहाँ किस्मत ने मुझे अपनी बहन की चूत चोदने का मौका दे दिया वो भी उसकी सुहागरात के ठीक बाद। अभी वो उन्नीस की भी नहीं हुई थी और मैं उसको चोदने में कामयाब हो गया था। आज दिन में मैंने अपने सारे झाँट साफ़ कर दिये थे और अब सोच कर बैठा था कि आज जब उसको चोदने के पहले उसकी मुँह में अपना लन्ड घुसाउँगा तब आँख बंधे होने पर भी वो समझ जाएगी कि आज उसके मुँह में उसके पति का लन्ड नहीं है।
दीपू भैया ने उसको बीच छत पर खड़ा कर दिया और तभी मैं कमरे से अपने बिस्तर का गद्दा ले कर वहाँ आ गया। दीपू भैया बिस्तर लगाए जबकि मैंने तनु को कंधे से पकड कर उसको बिस्तर की तरफ़ ले गया। जब वो बिस्तर को मह्सूस की तब खुश हो कर बोली, "वाह छत पर बिस्तर का भी इंतजाम है"। वो अब आराम से बिस्तर पर बैठ गयी। उसका बँधा हुआ हाथ उसकी गोद में था। मैं अब उसके सर के करीब आ गया और फ़िर उसका चेहरा अपने लन्ड की तरफ़ घुमा कर उसके हो्ठ से अपना लन्ड सटाया। इस समय तक तनु को मर्दाने लन्ड की खूब पहचान हो गयी थी। वो चट से अपना होठ खोली और मैंने उसके मुँह में अपना औजार घुसा दिया जिसको वो अब बड़े चाव से चाटने लगी थी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसका सर पकड लिया था और फ़िर अपने लन्ड पर दबाने लगा। मेरा लन्ड उसके गले की तरफ़ जब गया तो वो हल्के से खाँसी और फ़िर आराम से मेरा लन्ड पूरी भीतर ले ली। पगली को पता भी नहीं चला कि उसकी नाक एक चिकने लन्ड पर ससर रही है, जबकि उसके पति के लन्ड पर बाल है। चुदाई के चक्कर में मेरी बहन सब भूल-भाल गयी थी। जवान लड़की को जब चुदाई का चस्का लग जाता है तो यही सब होता है। मैंने अपना लन्ड उसके मुँह से निकाल लिया और फ़िर झुक कर पहली बार अपनी बहन के होठों को चुमा। तनु अब अपने भाई के होठ को चूस रही थी। यहाँ भी उसको सतर्क होना चाहिए था क्योंकि मेरी हल्की मूँछें थी जबकि दीपू भैया क्लीन-शेव्ड थे। पर तनु तो जैसे किसी और दुनिया में खोई हुई थी और मेरे चुम्बनों का जोरदार तरीके से जवाब दे रही थी। मैंने उसके बँधे हाथों को उसके सर से ऊपर कर दिया और फ़िर उसकी काँख को सूँघा। उसके काँख में से गजब की तेज महक नाकों में गई, चुदासी से भरी लडकी की एक हल्की खट्टी सी महक। उसके काँख के बाल अब करीब आधा सें०मी० के दिखने लगे थे। उसकी चूत पर भी छिले हुए बाल अब हल्के-हल्के दिखने लगे थे। मैं अब उसकी छाती को मसल रहा था और वो मस्ती से कराह रही थी। दीपू भैया आराम से बगल में लेट कर सब देख रहे थे। मैंने अब तनु को बिस्तर पर लिटा दिया और फ़िर उसकी चूत को मुँह में ले कर चुभलाने लगा और वो मस्ती से चीखने लगी थी। करीब पाँच मिनट तक उसके चूत और चूचियों का मजा लेने के बाद मैंने उसके घुटने मोड़ कर उसके पेट से लगा दिया और फ़िर अपना खड़ा लन्ड उसकी गीली पनियाई हुई चूत में घुसा दिया। जब मैंने हल्के से दूसरा धक्का लगाया और फ़िर उसकी छाती पर झुकता चला गया तभी दीपू भैया बोले, "आँख खोल दे क्या?" और चुदाई में पागल तनु तब भी नहीं समझी कि यह आवाज उसको चोदने वाले की नहीं है। वो बस हाँफ़ते हुए बोली, "हाँ... हाथ भी, ठीक से छटपटा भी नहीं पा रही हूँ"। और जब तक उसका वाक्या पूरा हो, उसके आँख की पट्टी खुल गई थी। उसकी नजरें मुझसे टकराईं जो अब उसको ऊपर से घपाघप धक्के लगा-लगा कर चोद रहा था। मुझे इस तरह से जब वो देखी कि मैं कैसे उसको मस्त हो कर चोद रहा हूँ तो उसकी आँख अती की फ़टी रह गई, जैसे वो एक बड़े शौक में हो... फ़िर होश आया तो छटपटा कर मेरे नीचे से निकलने की कोशिश की... पर मैंने अबकि बार मस्त हो कर उसकी कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया और फ़िर जोरदार धक्के लगाते हुए उसको चोदने लगा। वो भी अब बेदम हो कर मेरे धक्के अपनी चूत में लेते हुए कराहने लगी... आअह आअह्ह ओह्ह ओह्ह इस्स्स इस्स्स्स , भैया प्लीज अब हट जाइए।
मैं: अब पूरा चोद लेने दो तनु, फ़िर हटता हूँ। बहुत नशीली जवानी है तुम्हारी।
वो कुछ नहीं बोली, और बस चुप-चाप लेट कर मुझसे चुदाने लगी। वो विरोध नहीं कर रही थी पर उसकी आँख्ह अब बन्द हो गयी थी जैसे वो मुझे अपनी चुदाई करते देखना न चाह रही हो। दीपू भैया अब उसकी छाती को सहला रहे थे और बीच-बीच में चुसने भी लगते थे। वो तब जोर-जोर से कराह उठती। मस्त नशीली आवाजें अब तनु के मुँह से निकल रही थी, और इसी सब के बीच मेरा लन्ड झडने के कगार पर पहुँच गया तो मैंने अपना लन्ड बाहर खींच लिया और फ़िर उसके होटःओं की तरह बढ़ा तो वो अपना होठ जोर से भींच ली। तब दीपू भैया ने उसके नाक बन्द कर दिये जिससे वो साँस लेने के लिए मुँह खोली कि मेरा लन्ड भीतर। वो कुछ समझे तबतक मेरे लन्ड ने ऊल्टी शुरु कर दी। वो लाख कोशिश की, पर मैंने अपना रस का आधा से ज्यादा भाग उसकी पेट में पहुँचा ही दिया, हालाँकि उसकी कोशिश यही थी कि वो मेरा माल अपने मुँह में ना ले। मैं अब अपनी प्यास बुझा कर अलग हट गया। तनु अब रो रही थी जोर-जोर से, जबकि मैं उसकी पीठ सहलाते हुए उसको सांत्वना देने की कोशिश कर रहा था। तभी दीपू भैया ने उसको अपने बाँहों के घेरे में लिया और फ़िर पुचकारते हुए उसको शान्त करने लगे। करीब पाँच मिनट बाद ही वो दीपू भैया से चुद रही थी और मैं आराम से बगल में बैठ कर उसकी चुदाई देख रहा था। वो अब हम दोनों साला-बहनोई के हाथों में अपने को पूरी तरह से सौंप दी थी। उस रात हमने दो बजे तक बारी-बारी से दो-दो बार चोदा फ़िर सोने चले गये।
दीपू भैया ने उसको बीच छत पर खड़ा कर दिया और तभी मैं कमरे से अपने बिस्तर का गद्दा ले कर वहाँ आ गया। दीपू भैया बिस्तर लगाए जबकि मैंने तनु को कंधे से पकड कर उसको बिस्तर की तरफ़ ले गया। जब वो बिस्तर को मह्सूस की तब खुश हो कर बोली, "वाह छत पर बिस्तर का भी इंतजाम है"। वो अब आराम से बिस्तर पर बैठ गयी। उसका बँधा हुआ हाथ उसकी गोद में था। मैं अब उसके सर के करीब आ गया और फ़िर उसका चेहरा अपने लन्ड की तरफ़ घुमा कर उसके हो्ठ से अपना लन्ड सटाया। इस समय तक तनु को मर्दाने लन्ड की खूब पहचान हो गयी थी। वो चट से अपना होठ खोली और मैंने उसके मुँह में अपना औजार घुसा दिया जिसको वो अब बड़े चाव से चाटने लगी थी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसका सर पकड लिया था और फ़िर अपने लन्ड पर दबाने लगा। मेरा लन्ड उसके गले की तरफ़ जब गया तो वो हल्के से खाँसी और फ़िर आराम से मेरा लन्ड पूरी भीतर ले ली। पगली को पता भी नहीं चला कि उसकी नाक एक चिकने लन्ड पर ससर रही है, जबकि उसके पति के लन्ड पर बाल है। चुदाई के चक्कर में मेरी बहन सब भूल-भाल गयी थी। जवान लड़की को जब चुदाई का चस्का लग जाता है तो यही सब होता है। मैंने अपना लन्ड उसके मुँह से निकाल लिया और फ़िर झुक कर पहली बार अपनी बहन के होठों को चुमा। तनु अब अपने भाई के होठ को चूस रही थी। यहाँ भी उसको सतर्क होना चाहिए था क्योंकि मेरी हल्की मूँछें थी जबकि दीपू भैया क्लीन-शेव्ड थे। पर तनु तो जैसे किसी और दुनिया में खोई हुई थी और मेरे चुम्बनों का जोरदार तरीके से जवाब दे रही थी। मैंने उसके बँधे हाथों को उसके सर से ऊपर कर दिया और फ़िर उसकी काँख को सूँघा। उसके काँख में से गजब की तेज महक नाकों में गई, चुदासी से भरी लडकी की एक हल्की खट्टी सी महक। उसके काँख के बाल अब करीब आधा सें०मी० के दिखने लगे थे। उसकी चूत पर भी छिले हुए बाल अब हल्के-हल्के दिखने लगे थे। मैं अब उसकी छाती को मसल रहा था और वो मस्ती से कराह रही थी। दीपू भैया आराम से बगल में लेट कर सब देख रहे थे। मैंने अब तनु को बिस्तर पर लिटा दिया और फ़िर उसकी चूत को मुँह में ले कर चुभलाने लगा और वो मस्ती से चीखने लगी थी। करीब पाँच मिनट तक उसके चूत और चूचियों का मजा लेने के बाद मैंने उसके घुटने मोड़ कर उसके पेट से लगा दिया और फ़िर अपना खड़ा लन्ड उसकी गीली पनियाई हुई चूत में घुसा दिया। जब मैंने हल्के से दूसरा धक्का लगाया और फ़िर उसकी छाती पर झुकता चला गया तभी दीपू भैया बोले, "आँख खोल दे क्या?" और चुदाई में पागल तनु तब भी नहीं समझी कि यह आवाज उसको चोदने वाले की नहीं है। वो बस हाँफ़ते हुए बोली, "हाँ... हाथ भी, ठीक से छटपटा भी नहीं पा रही हूँ"। और जब तक उसका वाक्या पूरा हो, उसके आँख की पट्टी खुल गई थी। उसकी नजरें मुझसे टकराईं जो अब उसको ऊपर से घपाघप धक्के लगा-लगा कर चोद रहा था। मुझे इस तरह से जब वो देखी कि मैं कैसे उसको मस्त हो कर चोद रहा हूँ तो उसकी आँख अती की फ़टी रह गई, जैसे वो एक बड़े शौक में हो... फ़िर होश आया तो छटपटा कर मेरे नीचे से निकलने की कोशिश की... पर मैंने अबकि बार मस्त हो कर उसकी कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया और फ़िर जोरदार धक्के लगाते हुए उसको चोदने लगा। वो भी अब बेदम हो कर मेरे धक्के अपनी चूत में लेते हुए कराहने लगी... आअह आअह्ह ओह्ह ओह्ह इस्स्स इस्स्स्स , भैया प्लीज अब हट जाइए।
मैं: अब पूरा चोद लेने दो तनु, फ़िर हटता हूँ। बहुत नशीली जवानी है तुम्हारी।
वो कुछ नहीं बोली, और बस चुप-चाप लेट कर मुझसे चुदाने लगी। वो विरोध नहीं कर रही थी पर उसकी आँख्ह अब बन्द हो गयी थी जैसे वो मुझे अपनी चुदाई करते देखना न चाह रही हो। दीपू भैया अब उसकी छाती को सहला रहे थे और बीच-बीच में चुसने भी लगते थे। वो तब जोर-जोर से कराह उठती। मस्त नशीली आवाजें अब तनु के मुँह से निकल रही थी, और इसी सब के बीच मेरा लन्ड झडने के कगार पर पहुँच गया तो मैंने अपना लन्ड बाहर खींच लिया और फ़िर उसके होटःओं की तरह बढ़ा तो वो अपना होठ जोर से भींच ली। तब दीपू भैया ने उसके नाक बन्द कर दिये जिससे वो साँस लेने के लिए मुँह खोली कि मेरा लन्ड भीतर। वो कुछ समझे तबतक मेरे लन्ड ने ऊल्टी शुरु कर दी। वो लाख कोशिश की, पर मैंने अपना रस का आधा से ज्यादा भाग उसकी पेट में पहुँचा ही दिया, हालाँकि उसकी कोशिश यही थी कि वो मेरा माल अपने मुँह में ना ले। मैं अब अपनी प्यास बुझा कर अलग हट गया। तनु अब रो रही थी जोर-जोर से, जबकि मैं उसकी पीठ सहलाते हुए उसको सांत्वना देने की कोशिश कर रहा था। तभी दीपू भैया ने उसको अपने बाँहों के घेरे में लिया और फ़िर पुचकारते हुए उसको शान्त करने लगे। करीब पाँच मिनट बाद ही वो दीपू भैया से चुद रही थी और मैं आराम से बगल में बैठ कर उसकी चुदाई देख रहा था। वो अब हम दोनों साला-बहनोई के हाथों में अपने को पूरी तरह से सौंप दी थी। उस रात हमने दो बजे तक बारी-बारी से दो-दो बार चोदा फ़िर सोने चले गये।