hotaks444
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कमसिन कलियाँ--11
गतान्क से आगे..........
टीना: ...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.आह..ह..ह.
राजेश: बेटा यह नया खिलौना कैसा लगा…
टीना:पअ.पा.बह…त…उफ.उ.उ.ल..गर्म…हो रहा है…आह..ह.
राजेश: (अपने को टीना से अलग करते हुए) बेटा एक काम कल पर टाल दिया था…उसे अभी पूरा कर लेते है…
(टीना की मदहोशी टूटती है तो नजर अपने हाथ पर जाती है तो एक आठ-नौ इंच लंबा और तीन इंच का घेराव लिए, उपर की खाल पीछे खिंचने से फूला हुआ लाल रंग का कुकुरमुत्तेनुमा सिर और उसकी आँख के उपर बैठी हुई ओस की बूँद दिखाई देती है। अवाक् हो कर टीना इस रहस्मयी हथियार को अपनी उँगलियों में थाम कर गौर से देखती रह जाती।)
राजेश: टीना क्या यही बदमाश तुम्हें परेशान कर रहा था…
टीना: (बिना गरदन छोड़े)…हूँ…
राजेश: बेटा इसकी सिर पर लगी हुई आँख पर जो मोती पड़ा है…उसे अपनी जुबान से साफ कर दो…यह पहला मोती प्योर प्रोटीन का खजाना होता है…
टीना: (झिझकती है)…न…(लिंगदेव की गरदन छोड़ने लगती है परन्तु राजेश अपने हाथ को टीना के हाथ पर रख कर कस कर अपना लिंग थाम लेता है)
राजेश: बेटा…प्लीज तुमने वादा करा था…
(टीना झुकती हुई अपनी जुबान को लिंगदेव के सिर पर फिरा कर ओस की बूँद को साफ़ कर देती है)
टीना: बस्…अब हो गया…
राजेश: बेटा…तुम्हें अपनी सेहत का ख्याल हो न हो, पर मुझे तो तुम्हारे द्वारा निकाला गया टाक्सिन पीना है…(कहते हुए अपना कुर्ता और लुंगी उतार फेंकता है। दोनों के नग्न जिस्म आमने-सामने है। टीना शर्मा कर नजरें चुराती हुई राजेश के बालिष्ठ शरीर को निहारती है।)
टीना: पापा…यह आप क्या कर रहे…
(राजेश घूम कर अपनी पोजीशन बदल कर टीना के पाँवों की ओर कर लेता है। अपने घुटनों को खोल कर बीच में से टीना के पाँव खींचकर उसकी योनि को अपने मुख के सामने ले आता है।)
राजेश: बेटा इस क्रिया को 69 पोजीशन कहते है… (और कहते हुए अपने जिस्म से टीना का बदन ढक देता है। पहले जुड़ी हुई संतरे की फाँकों चूमता हुआ अपनी गर्म साँसो का वार करता है और फिर उन फाँकों को प्यार से खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका देता है।)
टीना: .उई...माँ….पा.प.…पा…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश अपनी जुबान से घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। बेबस हुई टीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से टीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को कड़ा करके योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर तन्नाये हुए लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार चोट मारते है।)
टीना: उ.उई...प.पअ…पा.…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और टीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर टीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद में झटके खाते हुए अपने होंठ खोल दिये। राजेश तो बस इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से टीना के मुख को सीलबन्द कर दिया। राजेश की जु्बान ने तो अकड़ी हुई घुन्डी को ठोकर मार-मार कर लाल कर दिया था। दूसरी ओर अपनी उँगली को योनि के मुहाने में फँसा कर अन्दर टटोलना आरंभ कर दिया। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और एक बड़ा झटका खा कर बाँध तोड़ कर झरझराती हुई बह निकली।
करीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....
(साँस घुटती हुई लगी तो टीना ने पूरा मुख खोल दिया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। बेबस टीना पुरी ताकत से राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, पर राजेश अपने लिंग पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के नंगे सिर पर टीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा टीना के गले मे बेरोकटोक बहने लगा। साँस लेने के लिए टीना जल्दी से सारा गटक गयी परन्तु राजेश ने तो नल ही खोल दिया था। टीना तो एक बार पहले भी भुगत चुकी थी इस लिए जल्दी से सारा गटकने में लग गयी। तूफान आ कर थम गया। दो नग्न जिस्म लता कि भाँति एक दूसरे के साथ लिपट कर अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लग गये। कुछ देर बाद्…)
राजेश: बेटा…थैक्स्…तुमने अपना वादा पूरा किया…
टीना: (राजेश के सीने से लिपट कर)…हूँ…यह बहुत ही…(सिकुड़ते हुए लिंगदेव को सहलाते हुए)…नौटी है।
राजेश: (टीना के सीने के उभारों को सहलाते हुए) बेटा…तुम्हें प्यार की भाषा भी सिखानी पड़ेगी क्योंकि कब तक तुम…इसे, उसको, आदि बोलोगी…
टीना: (शर्माते हुए)…पापा…इसको क्या कहते है…
राजेश: बेटा, कल ट्रेनिंग के दौरान बताऊँगा…अब सो जाओ क्योंकि कल सुबह तुम्हें स्कूल जाना है…
टीना: हाँ…पापा…क्या आप मेरे साथ यहीं पर सोओगे…
राजेश: (एक बार फिर से टीना को कस के बाँहों मे भर कर) हाँ बेटा…कल सुबह तुम्हें जल्दी उठाना है, इस लिए मै यहीं पर सो जाता हूँ…(टीना के होंठों के साथ एक बार फिर से खिलवाड़ करने के बाद)…स्वीट ड्रीम्स…
(राजेश अपने होंठों के बीच एक निप्पल को दबा कर और टीना अपनी मुठ्ठी में लिंगदेव को जकड़ कर एक दुसरे के साथ लिपट कर सो जाते है।)
सीन-19
(सुबह के पाँच बज रहे है। आसमान सूर्य की लालिमा में नहा रहा है। राजेश के मोबाइल का अलार्म बजने से राजेश की नींद टूटती है। नग्न अवस्था में टीना पीठ करके सो रही है और राजेश का एक हाथ टीना के स्तन पर और दूसरा हाथ टीना के सिर के नीचे, एक पाँव टीना के कुल्हे पर और ठीक दो नितंबों के जोड़ के बीचोंबीच फँसे हुए सुबह के प्रेशर में तन्नायें हुए लिंगदेव ने राजेश के लिए बड़ी अजीब स्थिति पैदा कर दी थी। रात की कहानी राजेश की आँखों के सामने एक हसीन ख्वाब की तरह दोहरा गयी। अलार्म की आवाज ने टीना को भी जगा दिया, बिना कुछ बोले अपनी माँसल जाघों के बीच में फँसी हिलकोरे लेती हुई जिवित चीज को हाथ से महसूस करती है।)
राजेश: बेटा…सुबह हो गयी…उठ जाओ…
टीना: (कुनमुनाती हुई) अभी नहीं…(अपनी योनि के सामने निकले हुए अंग को मुठ्ठी में जकड़ कर)……
राजेश: बेटा…आह्…(हाथ में लिए हुए स्तन को जोरों से दबाते हुए धीरे से आगे की ओर धक्का देते हुए)…टीना बेटा स्कूल जाना है…(एक बार फिर से धक्का देता हुआ टीना की मुठ्ठी को अपने हाथ से साधते हुए)…
टीना:…आह्…पापा…
राजेश: (लघुशंका के लिए दबाव बढ़ता हुआ)…बेटा…अभी इस नालायक को जाने दो…प्लीज…
टीना: (करवट ले कर राजेश की ओर मुख करके) क्या हुआ पापा…
राजेश: (जल्दी से उठते हुए) अगर अभी नहीं तो फिर कभी नहीं…
(भाग कर टीना के बाथरूम में जाता है और टीना अंगड़ाई ले कर सामने लगे आईने में अपने नग्न जिस्म को निहारती है। रात की बात को याद कर शर्म से मुख पर लाली बिखर जाती है। थोड़ी देर में राजेश मुँह धो कर बाथरूम से बाहर निकलता है। जमीन पर पड़ी लुंगी को उठा कर अपने इर्द-गिर्द लपेटता है और टीना की ओर बड़ता है।)
राजेश: बेटा…तुम तैयार हो जाओ…मै नीचे जा कर नाश्ता बनाता हूँ क्योंकि तुम्हारी मम्मी अभी सो रही होगी…(कहते हुए टीना के होंठों को चूम कर कमरे के बाहर चले जाता है। टीना बाथरूम की ओर बड़ जाती है।)
(सुबह के आठ बज रहे हैं। राजेश नहा कर तैयार हो गया है और रसोई में नाश्ता बनाने में लीन है। टीना भी अपनी स्कूल की यूनीफार्म में तैयार हो कर नीचे आ कर राजेश का हाथ बटाती है। एक बार राजेश टीना पर नजर डालता है तो उसके अल्हड़ कमसिन बदन को स्कूल युनीफार्म मे देखता रह जाता है। सफेद रंग के टाप मे टीना के उभार बाहर आने के लिए मचलते हुए दिखते है। घुटने से उपर तक की नीली स्कर्ट केले सी चिकनी टाँगों का प्रदर्शन कर रही है। दोनों सारा सामान उठा कर डाईनिंग टेबल पर सजा देते हैं और साथ बैठ कर नाश्ता करते है। बीच-बीच में राजेश और टीना एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है)
राजेश: आज यूनीफार्म तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो…कल रात…
टीना: पापा…आज कैसी एक्सरसाईज होगी…
राजेश: आज तुम्हारी छुपी हुई माँसपेशियों की एक्सरसाइज करेंगें…बेटा जल्दी से अपना नाश्ता खत्म करो तुम्हें देर हो रही है…
टीना: पापा…मेरा नाश्ता तो खत्म हो गया…अब कुछ भी नहीं खा सकूँगी…(कहते हुए टेबल से उठ जाती है)
राजेश: ठीक है…सब कुछ ऐसे ही रहने दो…तुम्हारी मम्मी अपने आप साफ कर लेगीं…(कहते हुए वह भी टेबल से उठ खड़ा होता है) जाओ अपना बस्ता उठा कर ले आओ…
(टीना भाग कर अपना बस्ता उठा कर ले आती है और बाहर दरवाजे की ओर जाने लगती है)
राजेश: बेटा…तुम्हारा बिल्…आखिर तुमने नाश्ता किया है…
टीना: (मुस्कुराती हुई राजेश की ओर बढ़ती है) कैश या काईन्ड्…
(राजेश कुछ जवाब न देते हुए टीना का चेहरा अपने हाथों में थाम कर उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले लेता है। कभी निचले होंठ को चूसता है और कभी अपनी लपलपाती जिबहा को कँपकँपाते हुए लबों पर फिराता है। राजेश के हाथ भी अपने काम में लग जाते है। कभी तो टीना के उन्नत सीने के साथ खिलवाड़ करते है और कभी पीछे नितंबों की मालिश करते है। टीना भी उतने ही उत्साह के साथ पलट कर राजेश का साथ देती हुई लिपट जाती और अपने निचले हिस्से से राजेश के उठते हुए हथियार से रगड़ती और पीसने की कोशिश करती है। राजेश पीछे से नितंबों को दबाते हुए टीना की स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपनी दो उंगलियों को टीना की पैन्टी मे फँसा कर पैन्टी को नीचे पिंडुलियों तक घसीट देता है।)
टीना: आ…ई पा…पा यह…क्या किया…अब देर नहीं हो रही है…
राजेश: बेटा… (नीचे जमीन पर पड़ी हुई पैन्टी को अपनी जेब में रखते हुए)…तुम्हारे स्कूल का रास्ता कार से लगभग तीस मिनट में पूरा होगा…तब तक्… अब चलेँ क्या… (दरवाजे की ओर बड़ जाता है।)
(कार की आगे की सीट पर टीना और राजेश बैठे हुए है। टीना की स्कर्ट जाँघों तक खिंचीं हुई और राजेश का एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा हाथ टीना की योनिच्छेद के साथ छेड़खानी में लगा हुआ है।)
टीना: (छिपे हुए मोती के ऊपर लगातार घर्षण से) .उई... माँ…. पा.प.… पा… उफ.उ.उ.ल .. न्हई… आह.....(झरझरा कर बहने लगी)
राजेश: बेटा…तभी मैने तुम्हारी स्कर्ट को समेट कर अलग कर दी थी कि कोई दाग न लग जाए (योनिमुख पर उँगली फिराते हुए)…तुम अपने हाथ से इस नालायक की भी मालिश कर दो… (टीना अपने हाथ से पैन्ट की जिप खोल कर राजेश के हथियार को बाहर निकालती है। अपनी उँगलियों में थाम कर धीरे से कुकुरमुत्तेनुमा सिर का अनावरण करती है।)
टीना: यह इतना बड़ा कैसे हो जाता है…जब सुबह बाथरूम में गये थे तो बहुत विकराल रूप धारण किये हुए था परन्तु जब बाहर आये थे तो यह सिकुड़ कर छोटा हो गया था…अब फिर से देखो…कैसे तन्नायें हुए है…
राजेश: बेटा, अगर मेरा टाक्सिन निकल गया तो सारा मेरी पैन्ट पर गिरेगा और दाग लग जाएगा…फिर मै दफ्तर कैसे जाउँगा…बेटा तुम अगर मेरी मदद करो तो…
टीना: बताइए …
राजेश: अगर तुम झुक कर अपने मुख से इसको ढक दो तो जैसे ही टाक्सिन निकलेगें तो तुम्हारे मुख में गिरेगें जिसे तुम गटक जाना इस से मेरे कपड़े खराब नहीं होंगें… प्लीज्…यह एक्सरसाईज तो नहीं है परन्तु इस तरअह तुम अपने पापा की मदद कर सकोगी…
टीना: पापा…आप हमेशा मुझको…ठीक है…
(टीना झुक कर लिंगदेव का सिर अपने मुख में ले लेती है और अपनी जुबान से लिंगदेव को सहलाती है। राजेश धीरे से टीना के सिर को पकड़ कर उपर और फिर नीचे का मोशन सिखाता है। टीना इशारा समझ कर धीरे धीरे वही मोशन को दोहराती है। राजेश बामुश्किल अपने को काबू में रख कर कार ड्राइव करता है। लगातार टीना के गुलाबी होंठों और जुबान के घर्षण से राजेश के अन्दर का ज्वालामुखी अपना उग्र रूप धारण कर लेता है।)
राजेश: मर गये… टीना जल्दी से उठो…
टीना: (हड़बड़ाते हुए उठती हुई) क्या हुआ…पापा…
राजेश: सामने देखो…तुम्हारी सहेली ने हमारी कार पहचान ली है…हाथ के इशारे से रुकने के लिए कह रही है…
टीना: करीना…यहाँ पर कैसे…गाड़ी मत रोकना पापा…
राजेश: न बेटा…(कहते हुए करीना के करीब ला कर गाड़ी रोक दी और पीछे का दरवाजा खोल कर अन्दर आने के लिए आमंत्रित किया) …यहाँ कैसे खड़ी हो बेटा…
करीना: हाय अंकल, हाय टीना…थैंक गाड्…आप मिल गये…वर्ना आज बड़ी परेशानी हो जाती…मेरी कार खराब हो गयी और भैया मेकेनिक को लेने गये हुए हैं…
टीना: (कुछ चिड़ते हुए) यार इस खटारा कार को अपने पापा से कह कर बदल दे…
करीना: यार मेरे भैया तो कई बार कह चुके हैं, पर पापा है कि मानते नहीं। सरकारी कार को यूज करने से मना करते हैं…पर यह बता तू नीचे हो कर क्या सो रही थी… मुझे तो सिर्फ अंकल ही दिखे…
टीना: (झेंपते हुए) नहीं यार…मेरे बालों का बैन्ड नीचे गिर गया था वही उठा रही थी। अच्छा अब स्कूल आ गया है…जल्दी से सामान समेट ले…
करीना: हाँ यार्…
(राजेश स्कूल के गेट पर कार रोकता है। दोनों लड़कियाँ अपना-अपना बस्ता उठाए कार से नीचे उतरती हैं। टीना सीधी गेट की तरफ जाती है…राजेश की तरफ करीना आती है)
करीना: थैंक्स…(फुसफुसा कर)…डार्लिंग…
राजेश: (झेंपते हुए)…मेन्शन नाट्…प्रिय्… जरा टीना को रोको और मेरे पास भेजना…पैसे लेना तो भूल गयी…
(करीना भाग कर टीना को रोकती है और राजेश की ओर इशारा कर के उसे वापिस भेजती है। टीना दौड़ कर राजेश के पास आती है।)
राजेश: बेटा तुम पैसे लेना भूल गयीं थी…(हाथ में एक सौ रुपये का नोट थमाते हुए)…एक और जरूरी बात है…अपना हाथ खिड़की के अन्दर डालो…(टीना अपना हाथ बड़ाती है तो राजेश उसके हाथ में सुबह वाली पैन्टी रख देता है…अगर बिना इसको पहने चली जाती तो जो कार की सीट पर फैला हुआ है वही तुम्हारी क्लास की सीट पर फैल जाता।
टीना: पापा, करीना कह रही थी कि आपकी जिप खुली हुई है...
(राजेश हड़बड़ा कर पैन्ट की जिप की ओर देखता है तो झेंप जाता है क्योंकि जिप के मुहाने से लाल टोपी धरे लिंगदेव मुँह निकाले बाहर की हवा खा रहे हैं। टीना यह द्र्श्य देख कर खिलखिला कर हँस पड़ती है। राजेश जल्दी से जिप लगाता है।)
राजेश: बेटा…करीना ने सिर्फ खुली हुई जिप नहीं देखी परन्तु इसको भी देख लिया है…
टीना: तो…
राजेश: वह तुमसे बहुत सारे सवाल करेगी…क्या जवाब दोगी…।
टीना: हम तो सिर्फ लंच टाइम पर ही मिलेंगे…पर अब मुझे भी चिन्ता हो रही है कि वह मुझ पर शक करेगी…।
राजेश: टीना तुम चिन्ता मत करो…बस कहना कि तुमने कुछ भी नहीं देखा…
टीना: ठीक है…पर पापा मै घर कैसे जाऊँगी…आज स्कूल बस भी नहीं चलेगी।
राजेश: जैसे ही तुम्हारा फार्म का काम खत्म हो जाए, तुम मुझे फोन कर देना तो मै तुम्हें घर छोड़ दूँगा।
टीना: हाँ यह ठीक रहेगा…(अपने स्कूल के गेट की तरफ बड़ जाती है)…
(राजेश कार स्टार्ट करता है और अपने आफिस की दिशा में निकल जाता है। स्कूल में…टीना और करीना लंच टाइम में साथ-साथ बैठी हुई हैं।)
क्रमशः
गतान्क से आगे..........
टीना: ...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.आह..ह..ह.
राजेश: बेटा यह नया खिलौना कैसा लगा…
टीना:पअ.पा.बह…त…उफ.उ.उ.ल..गर्म…हो रहा है…आह..ह.
राजेश: (अपने को टीना से अलग करते हुए) बेटा एक काम कल पर टाल दिया था…उसे अभी पूरा कर लेते है…
(टीना की मदहोशी टूटती है तो नजर अपने हाथ पर जाती है तो एक आठ-नौ इंच लंबा और तीन इंच का घेराव लिए, उपर की खाल पीछे खिंचने से फूला हुआ लाल रंग का कुकुरमुत्तेनुमा सिर और उसकी आँख के उपर बैठी हुई ओस की बूँद दिखाई देती है। अवाक् हो कर टीना इस रहस्मयी हथियार को अपनी उँगलियों में थाम कर गौर से देखती रह जाती।)
राजेश: टीना क्या यही बदमाश तुम्हें परेशान कर रहा था…
टीना: (बिना गरदन छोड़े)…हूँ…
राजेश: बेटा इसकी सिर पर लगी हुई आँख पर जो मोती पड़ा है…उसे अपनी जुबान से साफ कर दो…यह पहला मोती प्योर प्रोटीन का खजाना होता है…
टीना: (झिझकती है)…न…(लिंगदेव की गरदन छोड़ने लगती है परन्तु राजेश अपने हाथ को टीना के हाथ पर रख कर कस कर अपना लिंग थाम लेता है)
राजेश: बेटा…प्लीज तुमने वादा करा था…
(टीना झुकती हुई अपनी जुबान को लिंगदेव के सिर पर फिरा कर ओस की बूँद को साफ़ कर देती है)
टीना: बस्…अब हो गया…
राजेश: बेटा…तुम्हें अपनी सेहत का ख्याल हो न हो, पर मुझे तो तुम्हारे द्वारा निकाला गया टाक्सिन पीना है…(कहते हुए अपना कुर्ता और लुंगी उतार फेंकता है। दोनों के नग्न जिस्म आमने-सामने है। टीना शर्मा कर नजरें चुराती हुई राजेश के बालिष्ठ शरीर को निहारती है।)
टीना: पापा…यह आप क्या कर रहे…
(राजेश घूम कर अपनी पोजीशन बदल कर टीना के पाँवों की ओर कर लेता है। अपने घुटनों को खोल कर बीच में से टीना के पाँव खींचकर उसकी योनि को अपने मुख के सामने ले आता है।)
राजेश: बेटा इस क्रिया को 69 पोजीशन कहते है… (और कहते हुए अपने जिस्म से टीना का बदन ढक देता है। पहले जुड़ी हुई संतरे की फाँकों चूमता हुआ अपनी गर्म साँसो का वार करता है और फिर उन फाँकों को प्यार से खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका देता है।)
टीना: .उई...माँ….पा.प.…पा…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश अपनी जुबान से घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। बेबस हुई टीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से टीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को कड़ा करके योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर तन्नाये हुए लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार चोट मारते है।)
टीना: उ.उई...प.पअ…पा.…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और टीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर टीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद में झटके खाते हुए अपने होंठ खोल दिये। राजेश तो बस इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से टीना के मुख को सीलबन्द कर दिया। राजेश की जु्बान ने तो अकड़ी हुई घुन्डी को ठोकर मार-मार कर लाल कर दिया था। दूसरी ओर अपनी उँगली को योनि के मुहाने में फँसा कर अन्दर टटोलना आरंभ कर दिया। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और एक बड़ा झटका खा कर बाँध तोड़ कर झरझराती हुई बह निकली।
करीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....
(साँस घुटती हुई लगी तो टीना ने पूरा मुख खोल दिया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। बेबस टीना पुरी ताकत से राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, पर राजेश अपने लिंग पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के नंगे सिर पर टीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा टीना के गले मे बेरोकटोक बहने लगा। साँस लेने के लिए टीना जल्दी से सारा गटक गयी परन्तु राजेश ने तो नल ही खोल दिया था। टीना तो एक बार पहले भी भुगत चुकी थी इस लिए जल्दी से सारा गटकने में लग गयी। तूफान आ कर थम गया। दो नग्न जिस्म लता कि भाँति एक दूसरे के साथ लिपट कर अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लग गये। कुछ देर बाद्…)
राजेश: बेटा…थैक्स्…तुमने अपना वादा पूरा किया…
टीना: (राजेश के सीने से लिपट कर)…हूँ…यह बहुत ही…(सिकुड़ते हुए लिंगदेव को सहलाते हुए)…नौटी है।
राजेश: (टीना के सीने के उभारों को सहलाते हुए) बेटा…तुम्हें प्यार की भाषा भी सिखानी पड़ेगी क्योंकि कब तक तुम…इसे, उसको, आदि बोलोगी…
टीना: (शर्माते हुए)…पापा…इसको क्या कहते है…
राजेश: बेटा, कल ट्रेनिंग के दौरान बताऊँगा…अब सो जाओ क्योंकि कल सुबह तुम्हें स्कूल जाना है…
टीना: हाँ…पापा…क्या आप मेरे साथ यहीं पर सोओगे…
राजेश: (एक बार फिर से टीना को कस के बाँहों मे भर कर) हाँ बेटा…कल सुबह तुम्हें जल्दी उठाना है, इस लिए मै यहीं पर सो जाता हूँ…(टीना के होंठों के साथ एक बार फिर से खिलवाड़ करने के बाद)…स्वीट ड्रीम्स…
(राजेश अपने होंठों के बीच एक निप्पल को दबा कर और टीना अपनी मुठ्ठी में लिंगदेव को जकड़ कर एक दुसरे के साथ लिपट कर सो जाते है।)
सीन-19
(सुबह के पाँच बज रहे है। आसमान सूर्य की लालिमा में नहा रहा है। राजेश के मोबाइल का अलार्म बजने से राजेश की नींद टूटती है। नग्न अवस्था में टीना पीठ करके सो रही है और राजेश का एक हाथ टीना के स्तन पर और दूसरा हाथ टीना के सिर के नीचे, एक पाँव टीना के कुल्हे पर और ठीक दो नितंबों के जोड़ के बीचोंबीच फँसे हुए सुबह के प्रेशर में तन्नायें हुए लिंगदेव ने राजेश के लिए बड़ी अजीब स्थिति पैदा कर दी थी। रात की कहानी राजेश की आँखों के सामने एक हसीन ख्वाब की तरह दोहरा गयी। अलार्म की आवाज ने टीना को भी जगा दिया, बिना कुछ बोले अपनी माँसल जाघों के बीच में फँसी हिलकोरे लेती हुई जिवित चीज को हाथ से महसूस करती है।)
राजेश: बेटा…सुबह हो गयी…उठ जाओ…
टीना: (कुनमुनाती हुई) अभी नहीं…(अपनी योनि के सामने निकले हुए अंग को मुठ्ठी में जकड़ कर)……
राजेश: बेटा…आह्…(हाथ में लिए हुए स्तन को जोरों से दबाते हुए धीरे से आगे की ओर धक्का देते हुए)…टीना बेटा स्कूल जाना है…(एक बार फिर से धक्का देता हुआ टीना की मुठ्ठी को अपने हाथ से साधते हुए)…
टीना:…आह्…पापा…
राजेश: (लघुशंका के लिए दबाव बढ़ता हुआ)…बेटा…अभी इस नालायक को जाने दो…प्लीज…
टीना: (करवट ले कर राजेश की ओर मुख करके) क्या हुआ पापा…
राजेश: (जल्दी से उठते हुए) अगर अभी नहीं तो फिर कभी नहीं…
(भाग कर टीना के बाथरूम में जाता है और टीना अंगड़ाई ले कर सामने लगे आईने में अपने नग्न जिस्म को निहारती है। रात की बात को याद कर शर्म से मुख पर लाली बिखर जाती है। थोड़ी देर में राजेश मुँह धो कर बाथरूम से बाहर निकलता है। जमीन पर पड़ी लुंगी को उठा कर अपने इर्द-गिर्द लपेटता है और टीना की ओर बड़ता है।)
राजेश: बेटा…तुम तैयार हो जाओ…मै नीचे जा कर नाश्ता बनाता हूँ क्योंकि तुम्हारी मम्मी अभी सो रही होगी…(कहते हुए टीना के होंठों को चूम कर कमरे के बाहर चले जाता है। टीना बाथरूम की ओर बड़ जाती है।)
(सुबह के आठ बज रहे हैं। राजेश नहा कर तैयार हो गया है और रसोई में नाश्ता बनाने में लीन है। टीना भी अपनी स्कूल की यूनीफार्म में तैयार हो कर नीचे आ कर राजेश का हाथ बटाती है। एक बार राजेश टीना पर नजर डालता है तो उसके अल्हड़ कमसिन बदन को स्कूल युनीफार्म मे देखता रह जाता है। सफेद रंग के टाप मे टीना के उभार बाहर आने के लिए मचलते हुए दिखते है। घुटने से उपर तक की नीली स्कर्ट केले सी चिकनी टाँगों का प्रदर्शन कर रही है। दोनों सारा सामान उठा कर डाईनिंग टेबल पर सजा देते हैं और साथ बैठ कर नाश्ता करते है। बीच-बीच में राजेश और टीना एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है)
राजेश: आज यूनीफार्म तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो…कल रात…
टीना: पापा…आज कैसी एक्सरसाईज होगी…
राजेश: आज तुम्हारी छुपी हुई माँसपेशियों की एक्सरसाइज करेंगें…बेटा जल्दी से अपना नाश्ता खत्म करो तुम्हें देर हो रही है…
टीना: पापा…मेरा नाश्ता तो खत्म हो गया…अब कुछ भी नहीं खा सकूँगी…(कहते हुए टेबल से उठ जाती है)
राजेश: ठीक है…सब कुछ ऐसे ही रहने दो…तुम्हारी मम्मी अपने आप साफ कर लेगीं…(कहते हुए वह भी टेबल से उठ खड़ा होता है) जाओ अपना बस्ता उठा कर ले आओ…
(टीना भाग कर अपना बस्ता उठा कर ले आती है और बाहर दरवाजे की ओर जाने लगती है)
राजेश: बेटा…तुम्हारा बिल्…आखिर तुमने नाश्ता किया है…
टीना: (मुस्कुराती हुई राजेश की ओर बढ़ती है) कैश या काईन्ड्…
(राजेश कुछ जवाब न देते हुए टीना का चेहरा अपने हाथों में थाम कर उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले लेता है। कभी निचले होंठ को चूसता है और कभी अपनी लपलपाती जिबहा को कँपकँपाते हुए लबों पर फिराता है। राजेश के हाथ भी अपने काम में लग जाते है। कभी तो टीना के उन्नत सीने के साथ खिलवाड़ करते है और कभी पीछे नितंबों की मालिश करते है। टीना भी उतने ही उत्साह के साथ पलट कर राजेश का साथ देती हुई लिपट जाती और अपने निचले हिस्से से राजेश के उठते हुए हथियार से रगड़ती और पीसने की कोशिश करती है। राजेश पीछे से नितंबों को दबाते हुए टीना की स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपनी दो उंगलियों को टीना की पैन्टी मे फँसा कर पैन्टी को नीचे पिंडुलियों तक घसीट देता है।)
टीना: आ…ई पा…पा यह…क्या किया…अब देर नहीं हो रही है…
राजेश: बेटा… (नीचे जमीन पर पड़ी हुई पैन्टी को अपनी जेब में रखते हुए)…तुम्हारे स्कूल का रास्ता कार से लगभग तीस मिनट में पूरा होगा…तब तक्… अब चलेँ क्या… (दरवाजे की ओर बड़ जाता है।)
(कार की आगे की सीट पर टीना और राजेश बैठे हुए है। टीना की स्कर्ट जाँघों तक खिंचीं हुई और राजेश का एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा हाथ टीना की योनिच्छेद के साथ छेड़खानी में लगा हुआ है।)
टीना: (छिपे हुए मोती के ऊपर लगातार घर्षण से) .उई... माँ…. पा.प.… पा… उफ.उ.उ.ल .. न्हई… आह.....(झरझरा कर बहने लगी)
राजेश: बेटा…तभी मैने तुम्हारी स्कर्ट को समेट कर अलग कर दी थी कि कोई दाग न लग जाए (योनिमुख पर उँगली फिराते हुए)…तुम अपने हाथ से इस नालायक की भी मालिश कर दो… (टीना अपने हाथ से पैन्ट की जिप खोल कर राजेश के हथियार को बाहर निकालती है। अपनी उँगलियों में थाम कर धीरे से कुकुरमुत्तेनुमा सिर का अनावरण करती है।)
टीना: यह इतना बड़ा कैसे हो जाता है…जब सुबह बाथरूम में गये थे तो बहुत विकराल रूप धारण किये हुए था परन्तु जब बाहर आये थे तो यह सिकुड़ कर छोटा हो गया था…अब फिर से देखो…कैसे तन्नायें हुए है…
राजेश: बेटा, अगर मेरा टाक्सिन निकल गया तो सारा मेरी पैन्ट पर गिरेगा और दाग लग जाएगा…फिर मै दफ्तर कैसे जाउँगा…बेटा तुम अगर मेरी मदद करो तो…
टीना: बताइए …
राजेश: अगर तुम झुक कर अपने मुख से इसको ढक दो तो जैसे ही टाक्सिन निकलेगें तो तुम्हारे मुख में गिरेगें जिसे तुम गटक जाना इस से मेरे कपड़े खराब नहीं होंगें… प्लीज्…यह एक्सरसाईज तो नहीं है परन्तु इस तरअह तुम अपने पापा की मदद कर सकोगी…
टीना: पापा…आप हमेशा मुझको…ठीक है…
(टीना झुक कर लिंगदेव का सिर अपने मुख में ले लेती है और अपनी जुबान से लिंगदेव को सहलाती है। राजेश धीरे से टीना के सिर को पकड़ कर उपर और फिर नीचे का मोशन सिखाता है। टीना इशारा समझ कर धीरे धीरे वही मोशन को दोहराती है। राजेश बामुश्किल अपने को काबू में रख कर कार ड्राइव करता है। लगातार टीना के गुलाबी होंठों और जुबान के घर्षण से राजेश के अन्दर का ज्वालामुखी अपना उग्र रूप धारण कर लेता है।)
राजेश: मर गये… टीना जल्दी से उठो…
टीना: (हड़बड़ाते हुए उठती हुई) क्या हुआ…पापा…
राजेश: सामने देखो…तुम्हारी सहेली ने हमारी कार पहचान ली है…हाथ के इशारे से रुकने के लिए कह रही है…
टीना: करीना…यहाँ पर कैसे…गाड़ी मत रोकना पापा…
राजेश: न बेटा…(कहते हुए करीना के करीब ला कर गाड़ी रोक दी और पीछे का दरवाजा खोल कर अन्दर आने के लिए आमंत्रित किया) …यहाँ कैसे खड़ी हो बेटा…
करीना: हाय अंकल, हाय टीना…थैंक गाड्…आप मिल गये…वर्ना आज बड़ी परेशानी हो जाती…मेरी कार खराब हो गयी और भैया मेकेनिक को लेने गये हुए हैं…
टीना: (कुछ चिड़ते हुए) यार इस खटारा कार को अपने पापा से कह कर बदल दे…
करीना: यार मेरे भैया तो कई बार कह चुके हैं, पर पापा है कि मानते नहीं। सरकारी कार को यूज करने से मना करते हैं…पर यह बता तू नीचे हो कर क्या सो रही थी… मुझे तो सिर्फ अंकल ही दिखे…
टीना: (झेंपते हुए) नहीं यार…मेरे बालों का बैन्ड नीचे गिर गया था वही उठा रही थी। अच्छा अब स्कूल आ गया है…जल्दी से सामान समेट ले…
करीना: हाँ यार्…
(राजेश स्कूल के गेट पर कार रोकता है। दोनों लड़कियाँ अपना-अपना बस्ता उठाए कार से नीचे उतरती हैं। टीना सीधी गेट की तरफ जाती है…राजेश की तरफ करीना आती है)
करीना: थैंक्स…(फुसफुसा कर)…डार्लिंग…
राजेश: (झेंपते हुए)…मेन्शन नाट्…प्रिय्… जरा टीना को रोको और मेरे पास भेजना…पैसे लेना तो भूल गयी…
(करीना भाग कर टीना को रोकती है और राजेश की ओर इशारा कर के उसे वापिस भेजती है। टीना दौड़ कर राजेश के पास आती है।)
राजेश: बेटा तुम पैसे लेना भूल गयीं थी…(हाथ में एक सौ रुपये का नोट थमाते हुए)…एक और जरूरी बात है…अपना हाथ खिड़की के अन्दर डालो…(टीना अपना हाथ बड़ाती है तो राजेश उसके हाथ में सुबह वाली पैन्टी रख देता है…अगर बिना इसको पहने चली जाती तो जो कार की सीट पर फैला हुआ है वही तुम्हारी क्लास की सीट पर फैल जाता।
टीना: पापा, करीना कह रही थी कि आपकी जिप खुली हुई है...
(राजेश हड़बड़ा कर पैन्ट की जिप की ओर देखता है तो झेंप जाता है क्योंकि जिप के मुहाने से लाल टोपी धरे लिंगदेव मुँह निकाले बाहर की हवा खा रहे हैं। टीना यह द्र्श्य देख कर खिलखिला कर हँस पड़ती है। राजेश जल्दी से जिप लगाता है।)
राजेश: बेटा…करीना ने सिर्फ खुली हुई जिप नहीं देखी परन्तु इसको भी देख लिया है…
टीना: तो…
राजेश: वह तुमसे बहुत सारे सवाल करेगी…क्या जवाब दोगी…।
टीना: हम तो सिर्फ लंच टाइम पर ही मिलेंगे…पर अब मुझे भी चिन्ता हो रही है कि वह मुझ पर शक करेगी…।
राजेश: टीना तुम चिन्ता मत करो…बस कहना कि तुमने कुछ भी नहीं देखा…
टीना: ठीक है…पर पापा मै घर कैसे जाऊँगी…आज स्कूल बस भी नहीं चलेगी।
राजेश: जैसे ही तुम्हारा फार्म का काम खत्म हो जाए, तुम मुझे फोन कर देना तो मै तुम्हें घर छोड़ दूँगा।
टीना: हाँ यह ठीक रहेगा…(अपने स्कूल के गेट की तरफ बड़ जाती है)…
(राजेश कार स्टार्ट करता है और अपने आफिस की दिशा में निकल जाता है। स्कूल में…टीना और करीना लंच टाइम में साथ-साथ बैठी हुई हैं।)
क्रमशः