Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है - SexBaba
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Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है

hotaks444

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मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --1 


दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी दो सहेलियो और उनके दो दोस्तो की है अब आप कहानी का मज़ा लीजिए कहानी कुछ इस तरह है ...... 
मेरी उम्र 18 साल है, मैं कुँवारी युवती हूँ. मैने 12थ का एग्ज़ॅम दिया है. मैं अपने बारे में यह बताना ज़रूरी समझती हूँ कि मेरी फॅमिली काफ़ी अड्वान्स है, और मुझे किसी प्रकार की बंदिश नहीं लगाई जाती. मैं अपनी मर्ज़ी से जीना पसंद करती हूँ. अपने ही ढंग से फॅशनबल कपड़े पहन-ना मेरा शौक है. और क्योंकि मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए किसी ने भी मुझे इस तरह के कपड़े पहन-ने से नहीं रोका. स्कूल आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मिली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मना करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी. 

स्कूल में पढ़ने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी बाइक थी. मगर वो कभी कभी ही बाइक लेकर आता था, जब भी वो बाइक लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास बाइक नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का आनंद उठाती. ड्राइवर को मैने पैसे देकर मना कर रखखा था कि घर पर मम्मी या पापा को ना बताए कि मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फ़ायदा होता था, एक ओर तो उसे पैसे भी मिल जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मिल जाया करता था. दो बजे स्कूल से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब 6-7 बजते बजते घर पहुँच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था. 

मेरे दोस्त का नाम तो मैं बटन ही भूल गयी. उसका नाम शिवम है. शिवम को मैं मन ही मन प्यार करती थी और शिवम भी मुझसे प्यार करता था, मगर ना तो मैने कभी उससे प्यार का इज़हार किया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोइ झिझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है कि प्यार की शुरुआत भी मैने ही की थी जब हम दोनो बाइक में बैठ कर घूमने जा रहे थे. मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैने रोमांटीकबात करते हुए उसके गाल पर किस कर लिया. ऐसा मैने भावुक हो कर नहीं बल्कि उसकी झिझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झिझकता था. एक बार उसकी झिझक दूर होने के बाद मुझे लगा कि उसकी झिजाहक दूर करके मैने ठीक नहीं किया. क्योंकि उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी कि कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर गुस्सा. मगर कुल मिलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैने अपना तन मन उसके नाम कर दिया था. 
एक दिन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रहा था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, “अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अंधेरा और पेड पौधे हैं. मेरे ख़याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती.” यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी. उसने मुझे बाहों में कस लिया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दिया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ़्त से आज़ाद हो कर बोली, “छ्चोड़ो, मुझे साँस लेने में तक़लीफ़ हो रही है.” उसने मुझे छ्चोड़ तो दिया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दिया. मैं समझ रही थी कि आज इसका मन पूरी तरह रोमॅंटिक हो चुक्का है. मैने कहा, “मैं तो उस दिन को रो रही हूँ जब मैने तुम्हारे गाल पर किस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे किस्स करती और ना तुम इतना खुलते.” “तुमसे प्यार तो मैं काफ़ी समय से करता था. मगर उस दिन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहों, तुम हो ही इतनी हसीन की तुम्हे प्यार किए बिना मेरा मन नहीं मान-ता है.” 

वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, “उम्म्म्मम क्यों दबा रहे हो इसे? छ्चोड़ो ना, मुझे कुच्छ कुच्छ होता है.” “क्या होता है?” वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलिंग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्किल था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसल्ते दबाते हुए बोला, “बोलो ना क्या होता है?” 

“उम्म्म्मम उफफफफफफ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं इस फीलिंग को कैसे व्यक्त करूँ. बस समझ लो की कुच्छ हो रहा है.” 

वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फिर मेरे होंठो को किस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुंबन से कुछ कुछ गर्म होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मिला था उसका फ़ायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपड़ो को उतारने का उपक्रम किया. होंठ को मुक्त कर दिया था. मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैने उसका हौंसला बढ़ाने के लिए किया था. ताकि उसे एहसास हो जाए कि उसे मेरा सपोर्ट मिल रहा है. 
 
मेरी मुस्कुराहट को देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपड़े उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं होल से बोली, “मेरा विचार है कि तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.” 

उसने मेरे कुच्छ कपड़े उतार दिए. फिर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूँ तो मेरे लिए ये एक अजूबे के समान होगा.” 

मैने मन में सोचा कि अभी तुमने मेरी जवानी को देखा ही कहाँ है. जब देख लोगे तो पता नहीं क्या हाल होगा. मगर मैं केवल मुस्कुराई. वो मेरे मम्मे को नंगा कर चुक्का था. दोनो चूचियों में ऐसा तनाव आ गया था उस वक़्त तक कि उसके दोनो निपल अकड़ कर और ठोस हो गये थे. और सुई की त्तरह तन गये थे. वो एक पल देख कर ही इतना उत्तेजित हो गया था कि उसने निपल समेत पूरी चूची को हथेली में समेटा और कस कस कर दबाने लगा. अब मैं भी उत्तेजित होने लगी थी. उसकी हर्कतो से मेरे अरमान भी मचलने लगे थे. मैने उसके होंठो को किस करने के बाद प्यार से कहा, “छ्चोड़ दो ना मुझे. तुम दबा रहे हो तो मुझे गुदगुदी हो रही है. पता नहीं मेरी चूचियों में क्या हो रहा है की दोनो चूचियों में तनाव सा भरता जा रहा है. प्लीज़ छ्चोड़ दो, मत दबाओ.” वो मुस्कुरा कर बोला, “मेरे बदन के एक ख़ास हिस्से में भी तो तनाव भर गया है. कहो तो उसे निकाल कर दिखाऊँ?” 

मैं समझ नहीं पायी कि वो किसकी बात कर रहा है. मगर एका एक वो अपनी पॅंट उतारने लगा तो मैं समझ गयी और मेरे चेहरे पर शर्म की लाली फैल गयी. वो किस्में तनाव आने की बात कर रहा था उसे अब मैं पूरी तरह समझ गयी थी. मुझे शर्म का एहसास भी हो रहा था और एक प्रकार का रोमांच भी सारे बदन में अनुभव हो रहा था. मैं उसे मना करती रह गयी मगर उसने अपना काम करने से खुद को नहीं रोका, और अपनी पॅंट उतार कर ही माना. जैसे ही उसने अपना अंडरवेर भी उतारा तो मैने जल्दी से निगाह फेर ली. 

वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए बोला, “छ्छू कर देखो ना. कितना तनाव आ गया है इसमें. तुम्हारे निप्पल से ज़्यादा तन गया है ये.” 

मैने अपना हाथ छुड़ाने की आक्टिंग भर की. सच तो ये था कि मैं उसे छ्छूने को उतावली हो रही थी. अब तक देखा भी नहीं था. छ्छू कर देखने की बात तो और थी. उसने मेरे हाथ को बढ़ा कर एक मोटी सी चीज़ पर रख दिया. वो उसका लंड है ये मैं समझ चुकी थी. एक पल को तो मैं सन्न रह गयी, उसका लंड पकड़ने के बाद. मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ हो गयी कि खुद मेरे कानो में भी गूँजती लग रही थी. मैं उसके लंड की जड़ की ओर हाथ बढ़ाने लगी तो एहसाह हुआ कि लंड लंबा भी काफ़ी था. मोटा भी इस कदर की उसे एक हाथ में ले पाना एक प्रकार से नामुमकिन ही था. 

वो मुझे गरम होता देख कर मेरे और करीब आ गया और मेरे निपल को सहलाने लगा. एका एक उसने निपल को चूमा तो मेरे बदन में खून का दौरा तेज़ हो गया, और मैं उसके लंड के ऊपर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. मेरे ऐसा करते हुए उसने झट से मेरे निपल को मूह में ले लिया और चूसने लगा. अब तो मैं पूरी मस्ती में आ गयी और उसके लंड पर बार बार हाथ फेर कर उसे सहलाने लगी. बहुत अच्छा लग रहा था, मोटे और लंबे गरम लंड पर हाथ फिराने में. 

एका एक वो मेरे निपल को मूह से निकाल कर बोला, “कैसा लग रहा है मेरे लंड पर हाथ फेरने में?” 

मैं उसके सवाल को सुनकर शर्मा गये. हाथ हटाना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर ही दबा दिया और बोला, “तुम हाथ फेरती हो तो बहुत अच्छा लगता है, देखो ना, तुम्हारे द्वारा हाथ फेरने से और कितना तन गया है.” 

मुझसे रहा नहीं गया तो मैं मुस्कुरा कर बोली, “मुझे दिखाई कहाँ दे रहा है?” 

“देखोगी ! ये लो.” कहते हुए वो मेरे बदन से दूर हो गया और अपनी कमर को उठा कर मेरे चेहरे के समीप किया तो उसका मोटा तगड़ा लंड मेरी निगाहो के आगे आ गया. लंड का सुपाड़ा ठीक मेरी आँखो के सामने था और उसका आकर्षक रूप मेरे मन को विचलित कर रहा था. उसने थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मेरे होंठो के एकदम करीब आ गया. एक बार 
तो मेरे मन में आया की मैं उसके लंड को किस कर लूँ मगर झिझक के कारण मैं उसे चूमने को पहल नहीं कर पा रही थी. वो मुस्कुरा कर बोला, “मैं तुम्हारी आँखो में देख रहा हूँ कि तुम्हारे मन में जो है उसे तुम दबाने की कोशिश कर रही हो. अपनी भावनाओं को मत दबाओ, जो मन में आ रहा है, उसे पूरा कर लो.” 

उसके यह कहने के बाद मैने उसके लंड को चूमने का मन बनाया मगर एकदम से होंठ आगे ना बढ़ा कर उसे चूमने की पहल ना कर पायी. तभी उसने लंड को थोड़ा और आगे मेरे होंठो से ही सटा दिया, उसके लंड के दहाकते हुए सुपादे का स्पर्श होंठो का अनुभव करने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और लंड के सुपादे को जल्दी से चूम लिया. एक बार चूम लेने के बाद तो मेरे मन की झिझक काफ़ी कम हो गयी और मैं बार बार उसके लंड को दोनो हाथो से पकड़ कर सुपादे को चूमने लगी, एकाएक उसने सिसकारी लेकर लंड को थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मैने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोल दिया, और सुपपड़ा मूह में लेकर चूसने लगी. 

इतना मोटा सुपाड़ा और लंड था कि मूह में लिए रखने में मुझे परेशानी का अनुभव हो रहा था, मगर फिर भी उसे चूसने की तमन्ना ने मुझे हार मान-ने नहीं दी और मैं कुछ देर तक उसे मज़े से चूस्ति रही. एका एक उसने कहा, “हयाययीयियी तुम इसे मूह में लेकर चूस रही हो तो मुझे कितना मज़ा आ रहा है, मैं तो जानता था कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, मगर थोड़ा झिझकति हो. अब तो तुम्हारी झिझक समाप्त हो गयी, क्यों है ना?” 
क्रमशः............... 
 
गतान्क से आगे ........... 
मैने हां में सिर हिला कर उसकी बात का समर्थन किया और बदस्तूर लंड को चूस्ति रही. अब मैं पूरी तरह खुल गयी थी और चुदाई का आनंद लेने का इरादा कर चुकी थी. वो मेरे मूह में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मैने अंदाज़ा लगा लिया कि ऐसे ही धक्के वो चुदाई के समय भी लगाएगा.चुदाई के बारे में सोचने पर मेरा ध्यान अपनी चूत की ओर गया, जिसे अभी उसने निवस्त्र नहीं किया था. जबकि मुझे चूत में भी हल्की हल्की सिहरन महसूस होने लगी थी. मैं कुछ ही देर में थकान का अनुभव करने लगी. लंड को मूह में लिए रहने में परेशानी का अनुभव होने लगा. मैने उसे मूह से निकालने का मन बनाया मगर उसका रोमांच मुझे मूह से निकालने नहीं दे रहा था. मूह तक गया तो मैने उसे अंदर से तो निकाल लिया मगर पूरी तरह से मुक्त नहीं किया. उसके सुपादे को होंठो के बीच दबाए उस पर जीभ फेरती रही. झिझक ख़त्म हो जाने के कारण मुझे ज़रा भी शर्म नहीं लग रही थी. 

तभी वो बोला, “हाई मेरी जान, अब तो मुक्त कर दो, प्लीज़ निकाल दो ना.” 

वो मिन्नत करने लगा तो मुझे और भी मज़ा आने लगा और मैं प्रयास करके उसे और चूसने का प्रयत्न करने लगी. मगर थकान की अधिकता हो जाने के कारण, मैने उसे मूह से निकाल दिया. उसने एका एक मुझे धक्का दे कर गिरा दिया और मेरी जीन्स खोलने लगा और बोला,“मुझे भी तो अपनी उस हसीन जवानी के दर्शन करा दो, जिसे देखने के लिए मैं बेताब हूँ.” 

मैं समझ गयी कि वो मेरी चूत को देखने के लिए बेताब था. और इस एहसास ने कि अब वो मेरी चूत को नंगा करके देख लेगा साथ ही शरारत भी करेगा. मैं रोमांच से भर गयी. मगर फिर भी दिखावे के लिए मैं मना करने लगी. वो मेरी जीन्स को उतार चूकने के बाद मेरी पॅंटी को खींचने लगा तो मैं बोली, “छ्चोड़ो ना ! मुझे शर्म आ रही है.” 

“लंड मूह में लेने में शर्म नहीं आई और अब मेरा मन बेताब हो गया है तो सिर्फ़ दिखाने में शर्म आ रही है.” वो बोला. उसने खींच कर पॅंटी को उतार दिया और मेरी चूत को नंगा कर दिया. मेरे बदन में बिजली सी भर गयी. यह एहसास ही मेरे लिए अनोखा था उसने मेरी चूत को नंगा कर दिया था. अब वो चूत के साथ शरारत भी करेगा.वो चूत को छूने की कोशिश करने लगा तो मैं उसे जाँघो के बीच च्चिपाने लगी. वो बोला, “क्यों च्छूपा रही हो. हाथ ही तो लगाउन्गा. अभी चूमने का मेरा इरादा नहीं है. हां अगर प्यारी लगी तो ज़रूर चूमूंगा.” 

उसकी बात सुनकर मैं मन ही मन रोमांच से भर गयी. मगर प्रत्यक्ष में बोली, “तुम देख लोगे उसे, मुझे दिखाने में शर्म आ रही है. आँख बंद करके च्छुओगे तो बोलो.” 

“ठीक है ! जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मैं आँख बंद करता हूँ, तुम मेरा हाथ 
पकड़ कर अपनी चूत पर रख देना.” 

मैने हां में सिर हिलाया. उसने अपनी आँख बंद कर ली तो मैं उसका हाथ 
पकड़ कर बोली, “चोरी छिपे देख मत लेना, ओके, मैं तुम्हारा हाथ अपनी चूत पर रख रही हूँ.” 

मैने चूत पर उसका हाथ रख दिया. फिर अपना हाथ हटा लिया. उसके हाथ का स्पर्श चूत पर लगते ही मेरे बदन में सनसनाहट होने लगी. गुदगुदी की वजह से चूत में तनाव बढ़ने लगा. उस पर से जब उसने चूत को च्छेड़ना शुरू किया तो मेरी हालत और भी खराब हो गयी. वो पूरी चूत पर हाथ फेरने लगा. फिर जैसे ही चूत के अंदर अपनी उंगली घुसाने की चेष्टा की तो मेरे मूह से सिसकारी निकल गयी. वो चूत में उंगली घुसाने के बाद चूत की गहराई नापने लगा. मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मैने चाहते हुए भी उसे नहीं रोका. उसने उंगली चूत की काफ़ी गहराई में घुसा दी थी. 

मैं लगातार सिसकारी ले रही थी. मेरी कुँवारी और नाज़ुक चूत का कोना कोना जलने लगा. तभी उसने एक हाथ मेरी गांद के नीचे लगाया कमर को थोड़ा ऊपर करके चूत को चूमना चाहा. उसने अपनी आँख खोल ली थी और होंठों को भी इस प्रकार खोल लिया था जैसे चूत को होंठो के बीच में दबाने का मन हो. मेरी हल्की झांतो वाली चूत को होंठों के बीच दबा कर जब उसने चूसना शुरू किया तो मैं और भी बुरी तरह च्चटपटाने लगी. उसने कस कस कर मेरी चूत को चूसा और चंद ही पॅलो में चूत को इतना गरम कर डाला कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और होंठो से कामुक सिसकारी निकालने लगी. इसके साथ ही मैं कमर को हिला हिला कर अपनी चूत उसके होंठों पर रगड़ने लगी. 

उसने समझ लिया कि उसके द्वारा चूत चूसे जाने से मैं गरम हो रही हूँ. सो उसने और भी तेज़ी से चूसना शुरू किया साथ ही चूत के सुराख के अंदर जीभ घुसा कर गुदगुदाने लगा. अब तो मेरी हालत और भी खराब होने लगी. मैं ज़ोर से सिसकारी ले कर बोली, “शिवम ये क्या कर रहे हो. इतने ज़ोर से मेरी चूत को मत चूसो और ये तुम छेद के अंदर गुदगुदी……. ऊउउउईईई….. मुझसे बर्दस्त नहीं हो पा रहा है. प्लीज़ निकालो जीभ अंदर से, मैं पागल हो जाउन्गि.” 

मैं उसे निकालने को ज़रूर कह रही थी मगर एक सच यह भी था कि मुझे 
बहुत मज़ा आ रहा था. चूत की गुदगुदाहट से मेरा सारा बदन काँप रहा था. उसने तो चूत को छेड़ छेड़ कर इतना गरम कर डाला कि मैं बर्दस्त नहीं कर पाई. मेरी चूत का भीतरी हिस्सा रस से गीला हो गया. उसने कुच्छ देर तक चूत के अंदर तक के हिस्से को गुदगुदाने के बाद चूत को मुक्त कर दिया. मैं अब एक पल भी रुकने की हालत में नहीं थी. जल्दी से उसके बदन से बदन से लिपट गयी और लंड को पकड़ने का प्रयास कर रही थी कि उसे चूत में डाल लूँगी कि उसने मेरी टाँगो को पकड़ कर एकदम ऊँचा उठा दिया और नीचे से अपना मोटा लंड मेरी चूत के खुले हुए च्छेद में घुसाने की कोशिश की. वैसे तो चूत का दरवाज़ा आम तौर पर बंद होता था. मगर उस वक़्त क्योंकि उसने टाँगो को ऊपर की ओर उठा दिया था इसलिए छेद पूरी तरह खुल गया था. रस से चूत गीली हो रही थी. जब उसने लंड का सुपाड़ा छेद पर रखखा तो ये भी एहसास हुआ की छेद से और भी रस निकालने लगा. मैं एक पल को तो सीसीया उठी. जब उसने चूत में लंड घुसाने की बजाए हल्का सा रगड़ा. मैं सिसकारी लेकर बोली, “घुसाओ जल्दी से………. देर मत करो प्लीज़……………..”
 
उसने लंड को चूत के छेद पर अड़ा दिया. पहली बार मुझे ये एहसास हुआ कि मेरी चूत का सुराख उम्मीद से ज़्यादा ही छ्होटा है. क्योंकि लंड का सुपाड़ा अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरी हालत तो ऐसी हो चुकी थी कि अगर उसने लंड जल्दी अंदर नहीं किया तो शायद मैं पागल हो जाऊं. वो अंदर डालने की कोशिश कर रहा था.मैं बोली,“क्या कर रहे हो जल्दी घुसाओ ना अंदर. उूउउफफफफफफ्फ़ उूउउम्म्म्ममम अब तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. प्लीज़ जल्दी से अंदर कर दो.” 

वो बार बार लंड को पकड़ कर चूत में डालने की कोशिश करता और बार बार लंड दूसरी तरफ फिसल जाता. वो भी परेशान हो रहा था और मैं भी. मैं सीसीयाने लगी, क्योंकि चूत के भीतरी हिस्से में ज़ोरदार गुदगुदी सी हो रही थी. मैं बार बार उसे अंदर करने के लिए कहे जा रही थी. वो प्रयास कर तो रहा था मगर लंड की मोटाई के कारण चूत के अंदर नहीं जा पा रहा था. तभी उसने कहा, “उफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी चूत का सुराख तो इस कदर छ्होटा है कि लंड अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा है मैं क्या करूँ?” 

“तुम तेज़ झटके से घुसाओ अगर फिर भी अंदर नहीं जाता है तो फाड़ दो मेरी चूत को.” मैं जोश में आ कर बोल बैठी. मेरी बात सुनकर वो भी बहुत जोश में आ गया और उसने ज़ोर का धक्का मारा. एकदम जानलेवा धक्का था, भकक से चूत के अंदर लंड का सुपाड़ा समा गया, इसके साथ ही मेरे मूह से चीख भी निकल गयी. चूत की ओर देखा तो पाया कि बीच से फट गयी थी और खून निकल रहा था. खून देखने के बाद तो मेरी घबराहट और बढ़ने लगी मगर किसी तरह मैने अपने आप पर काबू किया. 

उसके लंड ने चूत का थोड़ा सा ही सफ़र पूरा किया था और उसी में मेरी हालत खराब होने लगी थी. चूत के एकदम बीचो बीच धंसा हुआ उसका लंड ख़तरनाक लग रहा था. मैं दर्द से कराह-हते हुए बोली, “माइ गॉड ! मेरी चूत तो सचमुच फट गयी उफफफफफफफफफ्फ़ दर्द सहन नहीं हो रहा है. अगर पूरा लंड अंदर घुसाओगे तो लगता है मेरी जान ही निकल जाएगी.” 

“नहीं यार! मैं तुम्हे मरने थोड़े ही दूँगा.” वो बोला और लंड को हिलाने लगा तो मुझे ऐसा अनुभव हुआ जैसे चूत के अंदर बवंडर मचा हुआ हो. जब मैने कहा कि थोड़ी देर रुक जाओ, उसके बाद धक्के मारना तो उसने लंड को जहाँ का तहाँ रोक दिया और हाथ बढ़ा कर मेरी चूची को पकड़ कर दबाने लगा. चूची में कठोरता पूरे शबाब पर आ गयी थी और जब उसने दबाना शुरूकिया तो मैने चूत की ओर से कुच्छ राहत महसूस की. कारण मुझे चूचियों का डबवाया जाना अच्छा लग रहा था. मेरा तो यहा तक दिल कर रहा था की वो मेरे निपल को मूह में लेकर चूस्ता. इससे मुझे आनंद भी आता और चूत की ओर से ध्यान भी बाँट-ता. मगर टाँग उसके कंधे पर होने से उसका चेहरा मेरे निपल तक पहुँच पाना एक प्रकार से नामुमकिन ही था. 

तभी वो लंड को भी हिलाने लगा. पहले धीरे धीरे उसके बाद तेज़ गति से. 
चूची को भी एक हाथ से मसल रहा था. चूत में लंड की हल्की हल्की 
सरसराहट अच्छी लगने लगी तो मुझे आनंद आने लगा. पहले धीरे और उसके 
उसने धक्को की गति तेज़ कर दी. मगर लंड को ज़्यादा अंदर करने का प्रयास उसने अभी नहीं किया था. एका एक शिवम बोला, “तुम्हारी चूत इतनी कमसिन और टाइट है कि क्या कहूँ?” 

उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुरा कर रह गयी. मैने कहा, “मगर फिर भी तो तुमने फाड़ कर लंड घुसा ही दिया.” 

“अगर नहीं घुसाता तो मेरे ख़याल से तुम्हारे साथ मैं भी पागल हो जाता.” 

मैं मुस्कुरा कर रह गयी.वो तेज़ी से लंड को अंदर बाहर करने लगा था. अब चूत में दर्द अधिक तो नहीं हो रहा था हां हल्का हल्का सा दर्द उठ रहा था. मगर उससे मुझे कोइ परेशानी नहीं थी. उसके मुक़ाबले मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ देर में ही उसने लंड को थेल कर काफ़ी अंदर कर दिया था. उसके बाद भी जब और थेल कर अंदर घुसाने लगा तो मैं बोली, “और अंदर कहाँ करोगे, अब तो सारा का सारा अंदर कर चुके हो. अब बाकी क्या रह गया है?” 

“एक इंच बाकी रह गया है.” कहते ही उसने मुझे कुछ बोलने का मौका दिए 
बगैर ज़ोर से झटका मार कर लंड को चूत की गहराई में पहुँचा दिया. 
मैं चिहुनक कर रह गयी. उसके लंड के ज़ोरदार प्रहार से मैं मस्त हो कर रह गयी थी. ऐसा आनंद आया कि लगा उसके लंड को चूत की पूरी गहराई में दाखिल करवा ही लूँ. उसी में मज़ा आएगा. यह सोच कर मैने कहा, “हाऐईयईईई…… और अंदर…….. घुसाआअऊऊऊ. गहराई में पहुँचा दो.” 

उसने मेरी जाँघो पर हाथ फेरा और लंड को ज़ोर से ठेला तो मेरी चूत से अजीब तरह की आवाज़ निकली और इसके साथ ही मेरी चूत से और भी खून गिरने लगा. मगर मुझे इससे भी कोइ परेशानी नहीं हुई थी, बल्कि यह देख कर मैं आनंद में आ गयी कि चूत का सुराख पूरा खुल गया था और लंड सारा का सारा अंदर था. एक पल को तो मैं यह सोच कर ही रोमांचित हो गयी की उसके बॅमबू जैसे लंड को मैने अपनी चूत में पूरा डलवा लिया था. उस पर से जब उसने धक्के मारने लगा, तो एहसास हुआ कि वाकई जो मज़ा चुदाई में है वो किसी और तरीके से मौज-मस्ती करने से नहीं है. 
क्रमशः............... 
 
मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --3
गतान्क से आगे ........... 
उसका 8 इंच लंड अब मेरी चूत की गहराई को पहले से काफ़ी अच्छी तरह नाप 
रहा था. मैं पूरी तरह मस्त होकर मूह से सिसकारी निकालने लगी. पता 
नहीं कैसे मेरे मूह से एकदम गंदी गंदी बात निकलने लगी थी. जिसके बारे में मैने पहले कभी सोचा तक नहीं था. फहाआद्द्दद्ड….. डूऊऊओ मेरिइईईई चूऊवटतत्टतत्त कूऊऊऊ आआहह प्प्प्पीईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊओ और्र्र्ररर तेज़ पेलो टुकड़े टुकड़े कर दो मेरी चूऊऊथततटटतत्त क्ीईईईईईईई. 

एका एक मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी तो मैने शिवम को और तेज़ गति से धक्के मारने को कह दिया,अब लंड मेरी चूत को पार कर मेरी बच्चेदानि से टकराने लगा था, तभी चूत में ऐसा संकुचन हुआ कि मैने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच में कस लिया. पूरी चूत में ऐसी गुदगुदाहट होने लगी कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मूह से ज़ोरदार सिसकारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधिक खराब होने लगी तो मेरी रुलाई छ्छूट निकली. वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे रो देने पर उसने लंड को रोक लिया और मुझे मनाने का प्रयास करने लगा. मैं उसके रुक जाने पर 
खुद ही शांत हो गयी और धीरे धीरे मैं अपने बदन को ढीला छ्चोड़ने लगी. 

कुच्छ देर तक वो मेरी चूत में ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुच्छ देर तक साँस लेती रही. फिर जब मैने उसकी ओर ध्यान दिया तो पाया कि उसका मोटा लंड चूत की गहराई में वैसे का वैसा ही खड़ा और आकड़ा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, “कहो तो अब मैं फिर से धक्के मारने शुरू करूँ.” 

“मारो, मैं देखती हूँ कि मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.” 

उसने दोबारा जब धक्के मारने स्टार्ट किए तो मुझे लगा जैसे मेरी चूत में काँटे उग आए हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दिया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बाहर निकालना स्वीकार कर लिया. जब उसने बाहर निकाला तो मैने राहत की साँस ली. उसने मेरी टाँगो को अपने 
कंधे से उतार दिया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं 
समझ नहीं पायी कि वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांद को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लिए मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी. 

मैने खुद ही अपनी गांद को ऊपर कर लिया और कोशिश करी कि गांद का च्छेद 
खुल जाए. उसने लंड को मेरी गांद के छेद पर रखखा और अंदर करने के लिए हल्का सा दबाव ही दिया था कि मैं सिसकी लेकर बोली, “थूक लगा कर घुसाओ.” 
उसने मेरी गांद पर थूक चुपद दिया और लंड को गांद पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्किल से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुच्छ देर में ही उसने थोड़ा सा लंड अंदर करने में सफलता प्राप्त कर ली थी. फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांद के अंदर रगड़ खाने लगा 

तभी उसने अपेक्षाक्रत तेज़ गति से लंड को अंदर कर दिया, मैं इस हमले के 
लिए तय्यार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सीट की पुष्ट को सख्ती 
से पकड़ लिया था मैने. अगर नहीं पकड़ती तो ज़रूर ही गिर जाती. मगर इस 
झटके का एक फ़ायदा यह हुआ कि लंड आधा के करीब मेरी गांद में धँस गया था. मेरे मूह से दर्द भरी सिसकारियाँ निकलने लगी उउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ………. आआआहहह…. मररर्र्र्र्र्ररर गइईईई….. फट गयी मेरी गाआआअन्न्‍न्न्ँद्द्द्द्ड…… हाआआऐययईईईईईईईईई ऊओह…….. उसने अपना लंड जहाँ का तहाँ रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट किए. मुझे अभी आनंद ही आना शुरू हुआ था कि तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपाड़ा मेरी गांद में फूल पिचक रहा था, आआआआहह मेर्र्र्रृिईईईईईईईई जाआअन्न्‍ननननणणन् म्‍म्म्मममममम आआआआआअ ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्
ज़ आआआआआआ आआआयययी हह आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईई कहता हुआ वो मेरी गांद में ही झाड़ गया. मैने महसूस किया कि मेरी गांद में उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. 
उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांद मरवाने का आनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे आनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड निकाल लिया. मैं कपड़े पहनते हुए बोली, “तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.” 

“वो मुस्कुराने लगा. बोला, “क्या करता, तुम्हारी कमसिन जवानी को देख कर दिल पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था. काई दिनो से चोदने का मान था, आज अच्छा मौका था तो छ्चोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम ईमानदारी से बताओ कि तुम्हे मज़ा आया या नहीं?” 

उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपड़े पहनती रही. मैं मुस्कुरा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, “बोलो ना ! मज़ा आया?” 

“हां” मैने हौले से कह दिया. 

“तो फिर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो कि तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर में ही रहोगी. फिर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे.” 

मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा कर रह गयी. बोली, “दोनो तरफ का बाजा बजा 
चुके हो फिर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?” 

“नहीं ! बल्कि अब तो और ज़्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैने इसका 
स्वाद नहीं लिया था, इसीलिए मालूम नहीं था कि चूत और गांद चोदने में कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है कि तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.” 

“नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है” 

“तुम झूठ बोल रही हो. दिल पर हाथ रख कर कहो”
 
मैने दिल की झूठी कसम नहीं खाई. सच कह दिया कि वाकई मेरा मन नहीं भरा है. मेरी बात सुना-ने के बाद वो और भी ज़िद्द करने लगा. कहने लगा कि प्लीज़ मान जाओ ना ! बड़ा मज़ा आएगा. सारी रात रंगीन हो जाएगी.” 

मैं सोचने लगी. वैसे तो मैं रात को अपनी सहेलियों के पास कयी बार रुक चुकी थी मगर उसके लिए मैं मम्मी को पहले से ही बता देती थी. इस प्रकार आईं मौके पर मैने कभी रात भर बाहर रहने का प्रोग्राम नहीं बनाया था. सोचते सोचते ही मैने एका एक प्रोग्राम बना लिया. मगर बोली, “सवाल यह है कि हम लोग रात भर रहेंगे कहाँ? होटेल में?” 

“होटेल में रहना मुश्किल है. ख़तरा भी है. क्योंकि तुम अभी कमसिन हो. मेरे दोस्त अजय का एक बंग्लो खाली है. मैं उसे फोन कर दूँगा तो वो हमारे पहुँचने से पहले सफाई वगेरह करवा देगा.” 

उसकी बात मुझे पसंद तो आ रही थी मगर दिल गवारा नहीं कर रहा था. एका एक उसने मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया और बोला, “घर के बारे में नहीं, इसके बारे में सोचो. यह तुम्हारी चूत और गांद का दीवाना है. और तुम्हारी चूत मारने को उतावला हो रहा है.” 

उसके लंड को पकड़ने के बाद मेरा मन फिर उसके लंड की ओर मुड़ने लगा. उसे मैं सहलाने लगी. फिर मैने हां कह दिया. उसके लंड को जैसे ही मैने हाथ में लिया था, उसमें उत्तेजना आने लगी. वो बोला, “देखो फिर खड़ा हो रहा है. अगर मन कर रहा है तो बताओ चलते चलते एक बार और चुदाई का मज़ा ले लिया जाए.” 

यह कहते हुए उसने लंड को आगे बढ़ा कर चूत से सटा दिया. उस वक़्त मैने जीन्स और पॅंटी नहीं पहनी थी. वो चूत पर लंड को रगड़ने लगा. उसके रगड़ने से मेरी चूत पानी छ्चोड़ने लगी, मेर मन में चुदाई का विचार आने लगा था. मगर मैने अपनी भावनाओं पर काबू पाने का प्रयास किया. उसने मेरी चूत में लंड घुसाने के लिए हल्का सा धक्का मारा. मगर लंड एक ओर फिसल गया. मैने जल्दी से लंड को दोनो हाथो से पकड़ लिया, और बोली, “चूत में मत डालो. जब रात रंगीन करने का मन बना ही लिया है तो फिर इतना बेताब क्यों हो रहे हो. या तो इसे ठंडा कर लो या फिर मैं किसी और तरीके से इसे ठंडा कर देती हूँ.” 

“तुम किसी और तरीके से ठंडा कर दो. क्योंकि ये खुद तो ठंडा होने वाला 
नहीं है.” 

मैं उसके लंड को पकड़ कर दो पल सोचती रही फिर उस पर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. वो बोला, “क्या कर रही हो?”

“मैने एक सहेली से सुना है कि लड़के लोग इस तरह झटका देकर मूठ मारते 
हैं और झाड़ जाते हैं.” 

वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा कर बोला, “ऐसे चुदाई का मज़ा तो लिया जाता है मगर तब, जब कोइ प्रेमिका ना हो. जब तुम मेरे पास हो तो मुझे मूठ मारने की क्या ज़रूरत है?” 

“समझो की मैं नहीं हूँ?” 

“ये कैसे समझ लूं. तुम तो मेरी बाहों में हो.” कह कर वो मुझे बाहो में लेने लगा. मैने मना किया तो उसने छ्चोड़ दिया. वो बोला, “कुच्छ भी करो. अगर चूत में नहीं तो गांद में…….” कह कर वो मुस्कुराने लगा. मैं शर्मा कर बोली, “धात”. 

“तो फिर मूह से चूस कर मुझे झाड़ दो.” 

मैं नहीं नहीं करने लगी. आख़िर में गांद मारना मैने पसंद किया. फिर मैं घोड़ी बनकर गांद उसकी तरफ कर घूम गयी. उसने मेरी गांद पर थोडा सा थूक लगाया और अपने लंड पर भी थोड़ा सा थूक चूपदा और लंड को गांद के छेद पर टीका कर एक ज़ोरदार धक्का मारा और अपना आधा लंड मेरी गांद में घुसा दिया. मेरे मूह से कराह निकल गयी आआआआआईयईईईईईईईई मुंम्म्मममय्ययययययी माआअरररर दियाआआआअ फ़ाआअद्द्द्द्दद्ड डीईईईईईईईईईई बचाआआआअ लूऊऊऊ मुऊऊउुज्ज्ज्झहहीए मेरी गाआान्न्‍ननन्न्ँद्द्द्द्दद्ड ऊऊऊऊफफफफफफफफ्फ़ उउउउउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म बहुत दर्द कर रहा है. 

उसने दो तीन झटको में ही अपना लंड मेरी गांद के आख़िरी कोने तक पहुँचा दिया, ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरी आंतडियों को चीर डाल रहा हो. मैने गांद में लंड डलवाना इसलिए पसंद किया था, कि पिछली बार मैं गांद मरवाने का पूरा आनंद नहीं ले पाई थी और मेरा मन मचलता ही रह गया था, वो झाड़ जो गया था. अब मैं इसका भी मज़ा लूँगी ये सोच कर मैं उसका सपोर्ट करने लगी. गांद को पीछे की ओर धकेलने लगी. वो काफ़ी देर तक तेज़ तेज़ धक्के मारता हुआ मुझे आनंदित करता रहा, मैं खुद ही अपनी 2 उंगलियाँ चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी, एक तो गांद में लंड का अंदर बाहर होना और दूसरा मेरा उंगलियों से अपनी चूत को कुचलवा दो तरफ़ा आनंद से मैं जल्द ही झड़ने लगी और झाड़ते हुए बड़बड़ाने लगी, आआअहह सस्शहिईीयववववााअम्म्म्ममम मेरे ययययययाआअरर्र्ररर मज़ाआआ आआ गगग्गगाआआयययययाआ चहूऊद्ददडूऊऊओ रर्राआआजजजज्ज्जाअ आआऐईईईईइस्स्स्स्स्स्स्सीई ही चहूऊओद्द्दद्डूऊऊ मुऊऊुज्ज्ज्झहीईए म्‍म्म्ममीईरीईई 
गग्ग्गाआान्न्न्ँदडड़ का ब्ब्ब्बबाआआअजजजज्ज्ज्जाआाआअ ब्ब्ब्बाआज्जजज्जाआाअ 
डूऊऊऊओ हहाआऐययईईई कीईईत्त्त्त्त्न्न्न्न्न्नाआआ म्‍म्म्माआज़्ज़्ज़्ज़ाआआ 
आअरर्ररराआहहााअ हहाआऐययईईईईईईई, कहते हुए मैं झड़ने लगी, वो भी 
3-4 तेज़ धक्के मारता हुआ बड़बड़ाता हुआ झड़ने लगा आआआअहह लीई म्‍म्म्ममीईररर्र्रृिईईई र्रेयेयान्न्नियियीई आआअजजजज्ज्ज टत्ततटूऊओ फफफफफ़ाआअद्द्द्द्दद्ड द्द्द्दोन्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्गाआ त्ट्तीईरीइईईईई गाआअन्न्न्न्द्द्द्द्द्द्द, कयययययाआ एम्मायायायाल्ल्लायाययेयीयियीईयीईयीई हहाआऐययईईईईईईईई तेरी ग्बीन्नन्नन्न्नड्डड्ड आआआहह लंड कैसे कस कस कर जा रहा है म्‍म्म्मममममममम कहता हुआ वो मेरी पीठ पर ही गिर पड़ा और हाँफने लगा. 
क्रमशः............... 
 
मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --4
गतान्क से आगे ........... 
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद, हम दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने और वहाँ से वापस आ गये. ड्राइवर का घर पास में ही था. उसके पास जाकर मैने उसे कार दे कर कहा कि हम लोग आज कहीं पार्टी में जा रहे हैं. मैने उसे समझा दिया कि वो घर में कह दे कि मैं एक सहेली के घर चली गयी हू. आज रात उसके घर पर ही रहूंगी. फिर मैने उसे 500 का एक नोट पकड़ा दिया. रुपये पाकर वो खुश हो गया, बोला, “मेडम जी ! आप बेफ़िक्र हो जाइए. मैं सब संभाल लूँगा. मालकिन को ऐसा समझावंगा कि वो कुछ नहीं कहेंगी आपको.” 

उसके बाद हम दोनो वहाँ से निकल गये. एक जगह रुक कर शिवम ने टेलिफोन बूथ से अपने दोस्त को फोन कर दिया. उसके बाद उसने मुझे बताया कि उसका दोस्त मौजूद था और उसने कह दिया है कि वो सारा इंटेज़ाम कर देगा.

“सारे इंटेज़ाम से तुम्हारा क्या मतलब?” 

“मतलब खाने पीने से है.” शिवम ने मुस्कुरा कर कहा. हम दोनो एक ऑटो के ज़रिए उसके दोस्त के बंग्लो में पहुँच गये. अच्छा ख़ासा बंग्लो था, काफ़ी अच्छी तरह सज़ा हुआ. 

शिवम के दोस्त ने हम दोनो का स्वागत किया. वो भी आकर्षक लड़का था. वो शिवम से तो खुलकर बात करने लगा मगर मुझसे बात करने में झिझक रहा था. अंदर जाने के बाद मैने सिवम से कहा कि मैं अपने घर फोन करना चाहती हूँ. 

उसने सहमति जताई तो मैने मम्मी को फोन करके कह दिया कि मैं आज रात नीमा के घर में हूँ और कल सुबह ही आउन्गि. मम्मी कुच्छ ख़ास विरोध नहीं कर पाई. नीमा का नाम मैने इसलिए लिया था कि उसके घर का फोन नंबर मम्मी के पास नहीं था. वो उससे फोन करके पूछ नहीं सकती थी कि मैं उसके पास 
हूँ या नहीं. फिर एका एक विचार आया कि अगर मेरी डाइयरी मम्मी को मिल गयी तो उसमें फोन नंबर है. इसलिए मैने नीमा को भी इस बारे में बता देना ठीक समझा. नीमा को फोन किया तो वो पहले तो हँसने लगी फिर बोली, “लगता है शिवम के साथ मौज मस्ती करने में लगी हुई है. अकेले अकेले मज़े लेगी अपनी सहेली का कुच्छ ख़याल नहीं है तुझे.” 

वो बड़ी सेक्सी लड़की थी. मैने भी हंस कर कहा, “अगर तेरा मन इतना बेताब हो रहा है चुदवाने का तो फिर तू भी आजा, वैसे भी यहाँ दो लड़के हैं. एक तो शिवम है और दूसरा उसका दोस्त. आजा तो तेरा भी काम बन जाएगा. मैं उसे तेरे लिए मना कर रखती हूँ.” 

“वो मान जाएगा?” 

“क्यों नहीं मानेगा यार. तेरी जैसी लड़की की चूत को देखकर कोइ भी लड़का 
चोदने के लिए मना नहीं करेगा. तू है ही ऐसी कि, कोइ मना करे ये नामुमकिन है.” 

“ठीक है तो फिर मैं भी घर में कोइ ना कोइ बहाना बना कर आ रही 
हूँ.” 

उसने फोन काट दिया. मैने उसके बारे में शिवम को बताया, तो वो अपने दोस्त को बोला ले यार अजय तेरा भी इंतज़ाम हो गया है. इसकी एक सहेली है नीमा, वो आ रही है.” 

अजय के चेहरे पर निखार आ गया. बेड रूम में आ कर हम तीनो बातें करने लगे. कुच्छ देर में ही अजय से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी. उसने बताया कि वो भी पहले एक लड़की से प्यार करता था मगर बाद में उसने धोखा दे दिया तो उसने किसी और को प्रेमिका बनाने के बारे में सोचा ही नहीं. 

थोड़ी देर तक बैठे बैठे मुझे बोरियत महसूस होने लगी. शिवम ने मेरी मानो स्तिथि भाँप ली. वो अपने दोस्त से बोला, “यार अजय ! ज़रा उस तरफ देखना.” अजय दूसरी ओर देखने लगा तो शिवम ने मुझे बाहो में ले लिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. होंठो को भी हौले हौले किस करने लगा. तभी वहाँ नीमा आ गयी. शिवम मुझसे लिपटा हुआ था, उसे देखकर हम दोनो अलग हो गये. मैने कहा, “हम तेरी ही राह देख रहे थे, वह भी बेचैनी से.”

उसके बाद मैने उसका परिचय शिवम और अजय से करवाया. मैं देख रही थी कि अजय गहरी निगाहों से नीमा की ओर देखे जा रहा था. सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि नीमा उसे बहुत पसंद आ रही है. 

एका एक मैं बोली, “यार, तुम दोनो ने एक दूसरे को पसंद कर लिया है तो फिर 
तुम दोनो दूर दूर क्यों खड़े हो. एंजाय करो यार.” यह कहते हुए मैने नीमा को अजय की ओर धकेल दिया. अजय ने जल्दी ही उसे बाहों में ले लिया. वो दोनो झिझकें नहीं यह सोच कर मैं भी शिवम से लिपट गयी और उसके होंठो को चूमने लगी. शिवम मेरी चूची दबाने लगा तो अजय ने भी नीमा के मम्मो पर हाथ रख दिया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. मैं नीमा की ओर देखकर मुस्कुराइ. नीमा भी मुस्कुरा दी फिर अजय के बदन से लिपट कर उसे चूमने लगी. उन दोनो की शर्म खोलने और दोनो को ज़्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं शिवम के कपड़े उतारने लगी. कुच्छ देर में मैने उसके कपड़े उतार दिए और लंड को पकड़ कर सहलाने लगी तो वो भी मेरी चूचियों को बेपर्दा करने लगा. 
उधर नीमा मेरी देखा देखी, अजय के कपड़े उतारने लगी. कुच्छ ही देर में उसने अजय के सारे कपड़े उतार दिए. वो तो मुझसे भी एक कदम आगे निकली और उसने झुक कर अजय का लंड दोनो हाथो में पकड़ा और सुपादे को चाटने लगी. 

मैने भी उसकी देखा देखी, शिवम के लंड को मूह में ले लिया और उसे सुपादे को चूसने लगी. एक समय तो हम दोनो सहेलियाँ मस्ती से लंड मूह में लिए हुए चूस रही थी. मुझे जितना मज़ा आ रहा था उससे कहीं ज़्यादा मज़ा नीमा को अजय का लंड चूसने में आ रहा था, यह मैने उसके चेहरे को देखकर अंदाज़ा लगाया था. वो काफ़ी खुश लग रही थी. बड़े मज़े से लंड के ऊपर मूह को आगे पीछे करते हुए वो चूस रही थी. 

थोड़ी देर बाद उसने लंड को मूह से निकाला और जल्दी जल्दी अपने निचले कपड़े 
उतारने लगी. मुझसे नज़र टकराते ही मुस्कुरा दी. मैं भी मुस्कुराइ और मस्ती से शिवम के लंड को चूसने में लग गयी. कुच्छ देर बाद ही मैं भी नीमा की तरह शिवम के बदन से अलग हो गयी और अपने कपड़े उतारने लगी. कुछ देर बाद हम चारो के बदन पर कोइ कपड़ा नहीं था.
 
अजय नीमा की चूत को चूसने लगा तो मेरे मन में भी आया कि शिवम भी मेरी चूत को उसी तरह चूसे. क्योंकि नीमा बहुत मस्ती में लग रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो बिना लंड घुस्वाए ही चुदाई का मज़ा ले रही है. उसके मूह से बहुत ही कामुक सिसकारियाँ निकल रही थी. शिवम भी मेरी टाँगो के बीच में झुक कर मेरी चूत को चाटने चूसने लगा तो मेरे मूह से भी कामुक सिसकारियाँ निकालने लगी. कुच्छ देर तक चूसने के बाद ही मेरी चूत बुरी तरह गरम हो गयी. मेरी चूत में जैसे हज़ारो कीड़े रेंगने लगे. मैने जब नीमा की ओर देखा तो पाया उसका भी ऐसा ही हाल था. मेरे कहने पर शिवम ने मेरी चूत चाटना बंद कर दिया. एका एक मेरी निगाह अजय के लंड की ओर गयी, जिसे थोड़ी देर पहले नीमा चूस रही थी. लंड उसके मूह के अंदर था इसलिए मैं उसे ठीक से देख नहीं पाई थी. 

अब जब मैने अच्छी तरह देखा तो मुझे अजय का लंड बहुत पसंद आया. मेरे मन में कोइ बुरा ख़याल नहीं था. ना मैं शिवम के साथ बेवफ़ाई करना चाहती थी. बस मेरा मन कर रहा था का एक बार मैं अजय का लंड मूह में लेकर चूसू. यह सोच कर मैने कहा, “यार ! क्यों ना हम चारो एक साथ मज़ा ले. जैसे ब्लू फिल्म में दिखाया जाता है.” 

अब अजय और नीमा भी मेरी ओर देखने लगे. मैं बोली, “हम चारो दोस्त हैं. 
इसलिए आज अगर कोइ और किसी और के साथ भी मज़ा लेता है तो बुरा नहीं 
होगा. क्यों शिवम, मैं ग़लत कह रही हूँ?” 

“नहीं !” वो बोला, मगर मुझे लगा कि वो मेरी बात समझ ही नहीं पाया है. नीमा ने पूछ लिया. मैने कहा, “मान ले शिवम अगर तेरी चूत चाते तो मुझे कोइ फ़र्क नहीं पड़ना चाहिए. उसी प्रकार अगर मैं अजय का लंड मूह में ले लूँ तो बाकी तुम तीनो को फ़र्क नहीं पड़ेगा. मैं ठीक कह रही हूँ ना?” 

मेरी बात का तीनो ने समर्थन किया. मैं जानती थी कि किसी को मेरी बात का 
कोइ ऐतराज़ नहीं होगा. क्योंकि एक प्रकार से मैने सबके मन की इच्छा पूरी करने की बात कही थी. सब राज़ी हो गये तो मैने आइडिया दिया कि बिल्कुल ब्लू फिल्म की तरह से जब मर्ज़ी होगी, लड़का या लड़की डबल लेंगे. 

मेरी यह बात भी सबको पसंद आ गयी. उसी समय शिवम ने नीमा को खींचकर अपने सीने से लगा लिया और उसके सीने पर कश्मीरी सेब की तरह उभरे हुए मम्मो को चूसने लगा. और मैं सीधे अजय के लंड को चूसने में लग गयी. उसके मोटे लंड का साइज़ था तो शिवम जैसा ही मगर मुझे उसका लंड को चूसने में कुच्छ ज़्यादा ही अनद आ रहा था. मैं मज़े से लंड को मूह में काफ़ी अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगी. उधर नीमा भी शिवम के लिंड को चूसने में लग गयी थी. 

तभी अजय ने मेरे कान में कहा, “तुम्हारी चूत मुझे अपनी ओर खींच रही है. कहो तो मैं तुम्हारी चूत अपने होंठो में दबाकर चूस लूँ?” 

यह उसने इतने धीमे स्वर में कहा था कि मेरे अलावा कोइ और सुन ही नहीं सकता था. मैने मुस्कुरा कर हा में सिर हिला दिया. वो मेरी जाँघो पर झुका तो मैने अपनी टाँगो को थोड़ा सा फैला कर अपनी चूत को खोल दिया. वो पहले तो मेरी चूत के छेद को जीभ से सहलाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आने लगा था. मैं उसे काट काट कर चूसने के लिए कहने वाली थी, तभी उसने ज़ोर से चूत को होंठो के बीच दबा लिया और खुद ही काट काट कर चूसने लगा. मेरे मूह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी “आआआअहह उूुुउउम्म्म्मममममम ऊऊऊफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआज्जजज्जाआायययी ढ़ीईईररर्र्रररीईईईई ककक्कााअटततततूऊऊओ आआआअहह हहाआआऐययईईईईईईई म्‍म्म्ममममम बहुत माआआ ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ाआआअ आआआ र्र्ररराआहहााआ हहाआाईयईईईईईई. 

अब तो मैं और भी मस्त होने लगी और मेरी चूत रस से गीली होने लगी. वो 
फांको को मूह में लेकर जीभ रगड़ रहा था. मैने शिवम की ओर देखा तो पाया कि वो भी नीमा की चूत को चूसने में लगा हुआ था. नीमा के मूह से इतनी ज़ोर से सीकारियाँ निकल रही थी की अगर आस पास कोइ घर होता तो उस तक आवाज़ पहुच जाती और वो जान जाते कि यहाँ क्या हो रहा है. 
“ख्हाअ ज्ज्ज्जाआओाऊूऊ छ्ूऊऊसस्सूऊओ और्र्र्र्र्ररर ज़्ज़्ज़्ज़ूऊऊररर्र्र्र्ररर 
सस्स्स्सीईईई सस्स्स्सााालल्ल्ल्लीीई ककककककाअटततटटटटटतत्त ल्ल्ल्ल्लीीई 
म्‍म्म्मीईररर्रृिईईईई कचहूऊतततत्त म्‍म्म्ममममम हहाआआआईयईईईईईईईईई म्‍म्म्ममममाआज़्ज़्ज़्ज़्ज़ाआअ आआआ र्रर्राआाहहााअ हहाआाईयईईईईईईईई उूुुउउफफफफफफफफफ्फ़ ऊऊओह” 

खैर मेरी चूत को चूस्ते हुए जब अजय ने चूत को बहुत गरम कर दिया तो मैने जल्दी से उसके कान में बोली, “अब और मत चूसो. मैं पहले ही बहुत गरम हो चुकी हूँ. तुम जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो वरना शिवम का दिल आ जाएगा. जल्दी से एक ही झटके में घुसा दो.” 

वो भी मेरी चूत में अपना लंड डालने को उतावला हो रहा था, मैने अजय के साथ चुदवाने का इसलिए मन बना लिया था ताकि मुझे एक नये तरीके का मज़ा मिल सके. 
क्रमशः...............
 
मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --5
गतान्क से आगे ........... 

उसने लंड को चूत के छेद पर रख कर अंदर की ओर धकेलना शुरू किया तो मैं इस डर में थी कि कहीं शिवम मेरे पास आकर यह ना कह दे कि वो मुझे पहले चोदना चाहता है. मैने जब उसकी ओर देखा तो वो अब तक नीमा की चूत को ही चूस रहा था. उसका ध्यान पूरी तरह चूत चूसने की ओर ही था. मैने इस मौके का लाभ उठाने का मन बनाया और चूत की फांको को दोनो हाथो से पकड़ कर फैला दिया ताकि अजय का लंड अंदर जाने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो. 

और जब उसने मेरी चूत में लंड का सुपाड़ा डाल कर ज़ोर का धक्का मारा तो मैं सीसीया उठी. उसका लंड चूत के अंदर लेने का मन एका एक कुच्छ ज़्यादा ही बेताब हो गया. मैने जल्दी से उसका लंड एक हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डालने की कोशिश करनी शुरू कर दी. एक तरह मेरी मेहनत और दूसरी तरफ उसके धक्के, उसने एकदम से तेज़ धक्का मार कर लंड चूत के अंदर आधा पहुँचा दिया. ज़्यादा मोटा ना होने के बावजूद भी मुझे उसके लंड का झटका बहुत आनंद दे गया और मैं कमर उच्छाल उच्छाल कर उसका लंड चूत की गहराई में उतरवाने के लिए उतावली हो गयी. 

तभी मैने शिवम की ओर देखा. वो भी नीमा को चोदने की तय्यारि कर रहा था. उसने थूक लगा कर नीमा की चूत में लंड घुसाया तो नीमा सिसकारी लेकर बोली, “उउईईईईईई दायया कितन मॉतााआ हाआाईयईईईईईईईईई. मेरी सखी देख रही है तेरे लवर का लंड. ये तो मेरी नाज़ुक चूत को फाड़ ही देगा. ऊऊओह गोद्द्द्द्द्द्द्दद्ड सस्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईई ढीईईररररीईई 
ढीईईरररीईए घुसाआआआआअऊऊऊओ. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.” 

वो मेरी ओर देख कर कह रही थी. उसकी हालत देखकर मुझे हँसी आ रही थी. क्योंकि मुझे मालूम था कि वो ज़रूर आक्टिंग कर रही होगी. क्योंकि वो पहले भी कयी बार चुदवा चुकी थी. इसका सबूत ज़रा ही देर में मिल गया, जब वो सिसकारी लेते हुए शिवम को लंड जड़ तक पहुँचाने के लिए कहने लगी. शिवम ने ज़ोरदार धक्का मार कर अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पहुँचा दिया था. इधर मेरी चूत में भी अजय के लंड के ज़ोरदार धक्के लग रहे थे. कुच्छ देर बार शिवम ने कहा, “अब हम लोग पार्ट्नर बदल ले तो कैसा रहेगा?” 

वैसे तो मुझे मज़ा आ रहा था, मगर फिर भी तय्यार हो गयी. अजय ने मेरी चूत से लंड निकाल लिया. मैं शिवम के पास चली गयी. उसने नीमा की चूत से लंड निकाल कर मुझे घोड़ी बनाकर मेरी पीछे से चूत में लंड पेल दिया, एक झटके में आधा लंड मेरी चूत में समा गया, इस आसान में लंड चूत में जाने से मुझे थोड़ी परेशानी हुई मगर मैं झेल गाईउधर मैने देखा कि अजय ने नीमा की चूत में लंड घुसाया और तेज़ी से धक्के मारने लगा. साथ ही उसकी चूचियों को भी मसल्ने लगा. कुच्छ ही देर बाद हमने फिर पार्ट्नर बदल लिए. अब मेरी चूत में फिर से अजय का लंड था. उधर मैने देखा कि नीमा अब शिवम की गोद में बैठ कर उच्छल रही थी, और नीचे से शिवम का मोटा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. वो सिसकारी लेकर उसकी गोद में एक प्रकार से झूला झूल रही थी. मैने अजय की ओर इशारा किया तो उसने भी हामी भर दी. मैं उसकी कमर से लिपट गयी. 
दोनो टांगे मैने उसकी कमर से लप्पेट दी थी और उसके गले में बाहें डाले, मैं झूला झूलते हुए चुदवा रही थी. बहुत मस्ती भरी चुदाई थी. कुच्छ देर बाद लंड के धक्के खाते खाते मैं झड़ने लगी, मेरी चूत में संकुचन होने लगा जिससे अजय भी झड़ने लगा. उसका वीर्य रस मेरी चूत के कोने कोने में ठंडक दे रहा था, बहुत आनंद आ रहा था. 
उसके बाद उसने मेरी चूत से लंड बाहर निकाल लिया. उधर वो दोनो भी झाड़ 
झूडा कर अलग हो चुके थे. हम सबने खाने पीने का प्लान बनाया. दोनो समान मौजूद थे. मैं आम तौर पर नहीं पीती हूँ और ना ही नीमा पीती है, मगर उस दिन हम सबने विस्की पी. खा पी चूकने के बाद हम चारो फिर मस्ती करने लगे, मस्ती करते करते ही मैने फ़ैसला कर लिया था कि इस बार गांद में लंड डलवाएँगे. जब मैने अजय और शिवम को अपनी मंशा के बारे में बताया तो वो दोनो राज़ी हो गये. नीमा तो पहले से ही राज़ी थी शायद. हम सबने तेल का इन्तेजाम किया. तेल लगा कर गांद मरवाने का यह आइडिया नीमा का था. शायद वो पहले भी इस तरीके से गांद मरवा चुकी थी. 

तेल आ जाने के बाद मैने शिवम के लंड को पहले मूह में लेकर चूस कर खड़ा किया और उसके बाद उसके खड़े लंड पर तेल चुपद दिया और मालिश करने लगी. उसके लंड की मालिश करके मैं उसके लंड को एकदम चिकना बना दिया था. उधर नीमा अजय के लंड को तेल से तर करने में लगी हुई थी. शिवम में लंड को पकड़ कर मैने कहा “इस बार तेल लगा हुआ है, पूरा मज़ा देना मुझे.” 

“फ़िक्र मत करो मेरी जान.” वो मुस्कुरा कर बोला और उसने मेरी गांद के सुराख पर रगड़ता रहा उसके बाद एक ही धक्के में अपना आधा लंड मेरी गांद में डाल दिया. मेरे मूह से ना चाहते हुए भी सिसकारी निकलने लगी. जितनी आसानी से उसका लंड अपनी चूत में मैं डलवा लेती थी, उतनी आसानी से गांद में नहीं. 

खैर जैसे ही उसने दूसरा धक्का मार कर लंड को और अंदर करना चाहा, मैं अपना काबू नहीं रख पाई और आगे की ओर गिरी ओ वो भी मेरे साथ मेरे बदन से लिपटा मेरे ऊपर गिर पड़ा. एका एक वो नीचे की ओर हो गया और मैं उसके ऊपर, दबाव से उसका सारा लंड मेरी गांद में समा गया. मैं मारे दर्द के चीखने लगी. हहाआाईयईईईईईईई फफफफफफफ़ाआद्द्द्दद्ड डीईईईईई 
म्‍म्म्ममीईरररृिईई आआआआहह गगग्गगाआआआन्न्‍न्न्ँद्द्द्दद्ड कोइईई 
ब्ब्ब्बाआककचहााअ ल्ल्ल्लूऊओ म्‍मम्मूउुज्ज्ज्झहीईई उूुउउफफफफफफफफफ्फ़ 
ऊऊऊओह म्‍म्म्मममममममममम. मैं उससे छ्छूटने के लिया हाथ पैर मारने लगी तो उसने मुझे खींच कर अपने से लिपटा लिया और तेज़ी से उच्छल उच्छल कर गांद में घुसे पड़े लंड को हरकत देना स्टार्ट कर दिया.
 
मेरी तो जान जा रही थी. ऐसा लग रहा था कि आज मेरी गांद ज़रूर फट 
जाएगी. मैं बहुत मिन्नत करने लगी तो उसने मुझे बराबर लिटा दिया और तेज़ी से मेरी गांद मारने लगा. बगल में होने से वैसे तो मुझे उतना दर्द नहीं हो रहा था मगर उसका मोटा लंड तेज़ी से गांद के अंदर बाहर होने में मुझे परेशानी होने लगी. मैं नीमा की ओर नहीं देख पाई कि वो कैसे गांद मराई का मज़ा ले रही है, क्योंकि मुझे खुद के दर्द से फ़ुर्सत नहीं थी. 

शिवम काफ़ी देर से धक्के मार रहा था मगर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. तभी मैने पाया कि नीमा ज़ोर ज़ोर से उच्छल रही थी और अजय को बार बार मुक्त करने की लिए कह रही थी. कुच्छ देर बाद अजय ने लंड बाहर निकाल लिया. मेरे पास आकर बोला, “कहो तो लंड तुम्हारी चूत में डाल दूं. नीमा तो थक गयी है.” 

मैने शिवम की ओर देखा तो उसने हामी भर दी तो मैने भी हां कह दिया. फिर मैं शिवम के सहयोग से उठ कर शिवम के ऊपर आ गयी, नीचे शिवम मेरी गांद में लंड डाले पड़ा हुआ था, ऊपर मैं चूत फैलाए हुए अजय का लंड डलवाने के लिए बेताब हो रही थी. अजय ने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया. उसके बाद जब मुझे दोनो ओर से धक्के लगने लगे तो मुझे इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती. बिल्कुल ब्लू फ़िल्मो की तरह का सीन इस समय हो रहा था, मैं गालिया देती हुई दोनो तरफ से चुद रही थी. नीमा पास खड़ी हम तीनो को मज़ा लेते देख रही थी. कुच्छ ही देर में हम तीनो झाड़ कर लास्ट पस्त हो गये. 

सुबह तक हमने कुल मिलकर 4 बार चुदाई का आनंद लिया. उसके बाद अगले दिन मैं नीमा के साथ पहले उसके घर गयी, फिर उसे अपने घर भी ले आई. ताकि मम्मी को यकीन हो जाए कि मैं रात भर उसी के घर पर थी. मम्मी को कुच्छ शक़ नहीं हो पाया. 

आज भी हम चारो मिल कर ऐसे ही प्लॅन्स बनाते हैं और अजय के बंग्लो पर 
चुदाई का आनंद उठाते हैं, अब तो उसमें शिवम के 2-3 दोस्त और भी शम्मिल हो गये हैं. वो कहानी फिर कभी…………………….दोस्तो ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा 
एंड
 
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