Kamukta Kahani अहसान - Page 7 - SexBaba
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अपडेट-56

मैं : तुम दोनो तो जानती ही हो कि हमारे बढ़ते हुए बिज़्नेस ऑर मेरे कारनामो की वजह से मैं पूरे मुल्क़ मे मोस्ट-वांटेड हूँ इसलिए मुझे ये मुल्क़ छोड़ना होगा लेकिन मैं सोच रहा हूँ इस मुल्क़ से मैं अकेला नही बल्कि शादी करके अपनी बीवी के साथ जाउ.

हीना : (खुश होते हुए) ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने शादी करने का फ़ैसला कर लिया है वैसे कौन है वो खुश-नसीब.

मैं : यार इसका फ़ैसला मैं नही बल्कि तुम तीनो मिलकर कर ही कर लो क्योंकि मैं जानता हूँ तुम, नाज़ी ऑर रूबी तीनो ही मुझे बे-इंतेहा प्यार करती हो मेरे लिए तुमने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया अब मुझ मे इतनी हिम्मत नही है कि तुम तीनो मे से किसी को भी बीच रास्ते मे ऐसे ही छोड़ कर चला जाउ.

हीना : (हँसते हुए) बस इतनी सी बात तो इसमे कन्फ्यूज़ होने की क्या बात है... चलो तुम्हारी एक मुश्किल तो मैं आसान कर देती हूँ.. तुमको रूबी ऑर नाज़ी मे से एक को चुनना है क्योंकि मुझे लगता है मुझसे ज़्यादा तुमको ये दोनो प्यार करती हैं.

नाज़ी : नही... मुझे लगता है तुमको रूबी ऑर हीना बाजी ज़्यादा प्यार करती है...

हीना : चलो जी हो गया फ़ैसला... तुम रूबी से ही शादी कर लो वो तुमको हम दोनो से ज़्यादा प्यार करती है.

मैं : और तुम दोनो...

नाज़ी : हम दोनो की फिकर मत करो हम दोनो यहाँ महफूज़ है ना तो फिकर कैसी ऑर वैसे भी रूबी बाजी के जाने के बाद यतीम खाना संभालने वाला भी तो कोई होना चाहिए ना.

उनकी बात सुनकर मैं कुछ देर सोचता रहा ऑर फिर बिना कुछ कहे बेड से उठा ऑर चुप-चाप घर से बाहर निकल गया. मैं अपनी गहरी सोच मे इतना उलझा हुआ था कि मुझे पता ही नही चला कब मैं यतीम खाने तक पैदल ही आ गया. वहाँ जाके मैं रूबी से मिला ऑर यही बात रूबी से भी कही तो उसका भी जवाब यही था कि हीना ऑर नाज़ी मुझे उससे ज़्यादा प्यार करती है इसलिए मैं उन दोनो मे से किसी से शादी करूँ. उसका जवाब सुनके मैं वहाँ से वापिस घर की तरफ चल दिया ऑर जाने कब मेरे कदम मुझे बाबा की क़ब्र तक ले आए. वहाँ मैं कुछ देर बैठा रहा ऑर अपने सवालो के जवाब हासिल करने की कोशिश करता रहा लेकिन मैं नाकाम साबित हो रहा था फिर मैं अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी को देखने लगा जब मैं सबसे पहले नाज़ी से मिला था वहाँ उसने कैसे पहले मेरी जान बचाई फिर फ़िज़ा के साथ मेरी बेहतरीन देख-भाल कि जिससे मैं चन्द महीनो मे अपने पैरो पर खड़ा हो गया कही ना कही मेरा रोम-रोम नाज़ी ऑर उसके परिवार के अहसान के नीचे दबा हुआ था ऑर वैसे भी अब उसका मेरे सिवा कौन था मैं उसको कैसे छोड़कर जा सकता था, दूसरी तरफ हीना थी जिसने मेरी एक छोटी सी दिल्लगी को प्यार समझ कर मेरे जाने के बाद नीर ऑर नाज़ी का ना सिर्फ़ ख़याल रखा बल्कि मेरी गैर हाज़री मे बाबा ऑर फ़िज़ा की भी हमेशा मदद की वो नही होती तो आज शायद नाज़ी ऑर नीर भी ज़िंदा नही होते, वही रूबी के बारे मे सोचता तो वो सबसे अलग थी सारी दुनिया ने मान लिया था कि मैं मर चुका हूँ फिर भी वो मेरा इंतज़ार करती रही मुझसे शादी किए बिना भी मेरी बेवा बनकर वो अपनी उमर गुज़ारने के लिए तेयार थी ऑर मेरे चले जाने के बाद उसने मेरे सपने को अपनी ज़िंदगी का मकसद बना लिया ऑर अपनी सारी ज़िंदगी यतीम खाने के नाम करदी. देखा जाए तो मैं इन तीनो का ही कही ना कही कर्ज़दार था इनके किए हुए प्यार ऑर अहसान को मैं ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकता था लिहाज़ा मैने एक ऐसा फ़ैसला किया जो शायद किसी ने भी ना सोचा हो. एक नतीजे पर पहुँच कर मैं खुद को काफ़ी शांत महसूस कर रहा था ऑर बाबा की कब्र के पास बैठा खुश हो रहा था. तभी पिछे से एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया. मैने पिछे मुड़कर देखा तो ये रसूल था.

रसूल : भाई कहाँ है तू दुपेहर से मैं घर भी गया था लेकिन हीना ऑर नाज़ी ने बताया कि तू बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया मैने समझा तू यतीम खाने गया होगा वहाँ से भी रूबी से ऐसा ही जवाब मिला तुझे काफ़ी ढूँढा जब तू नही मिला तो मैं जानता था तू कहाँ मिलेगा.

मैं : यार शाम हो गई पता ही नही चला मैं यार आज खुद को काफ़ी उलझा हुआ महसूस कर रहा था इसलिए सोचा यहाँ आ जाउ तो मन शांत हो जाएगा.

रसूल : मैं जानता हूँ यार... चल बता फिर किसको प्यार करता है तू ऑर किससे शादी करेगा मैं कल ही क़ाज़ी को बुलवा लेता हूँ.

मैं : तू क़ाज़ी को बुलवा ले मैने मेरी हम-सफ़र को चुन लिया है.

रसूल : (खुश होके मेरे गले लगते हुए) अर्रे वाह भाई खुश कर दिया क्या मस्त खबर सुनाई है.... चल बता कौन है हमारी होने वाली भाभी...

मैं : (मुस्कुरा कर) कल निकाह पर देख लेना

रसूल :यार तू कल ही शादी करेगा क्या...

मैं : हाँ क्यो... नही कर सकता क्या...

रसूल : नही... नही यार ऐसी बात नही है मेरा मतलब था शादी अगर धूम-धाम से होगी तो ज़्यादा बेहतर होगा ऑर उसके लिए तेयारियाँ करने के लिए वक़्त चाहिए.

मैं : (कुछ सोचते हुए) एक हफ़्ता बहुत है क्या....

रसूल : हाँ एक हफ्ते मे तो मैं सब इंतज़ाम कर दूँगा...

मैं : तो ठीक है फिर तय हो गया....

उसके बाद मैं ओर रसूल कार मे बैठ कर घर आ गये जहाँ नाज़ी रूबी ऑर हीना मेरा इंतज़ार कर रही थी.

रसूल : लो जी आपका मुजरिम पकड़ लाया हूँ अब खुद ही संभाल लो मैं तो चला शादी की तेयारियाँ करने... मुझे बहुत काम है.

रसूल की बात सुन्नकर वो तीनो मेरे पास आके बैठ गई ऑर मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगी क्योंकि रसूल की तरह वो भी जानना चाहती थी कि मैं किससे शादी करना चाहता हूँ लेकिन उनमे से कोई भी मुझसे ये सवाल नही पूछ रही थी शायद उनमे किसी मे भी दूसरे का नाम सुनने की हिम्मत नही थी इसलिए कुछ देर मेरे पास खामोश बैठी रहने के बाद तीनो अपने-अपने कामो मे लग गई. मैं जानता था कि वो तीनो ही अंदर से बेहद उदास हैं लेकिन फिर भी मेरी खुशी के लिए तीनो रसूल की बीवी के साथ शादी की शॉपिंग मे लग गई. तय किए हुए दिन पूरी बस्ती को दुल्हन की तरह सज़ा दिया गया ऑर मेरी शादी बस्ती मे करना ही तय हुआ क्योंकि मेरा भी कोई अपना खास रिश्तेदार तो था नही जो भी थे ये बस्ती वाले ऑर मेरे दोस्त मेरे यार ही थे इसलिए मैने बस्ती मे ही शादी करने का फ़ैसला किया जिसको सबने खुशी-खुशी मान लिया. लेकिन इन गुज़रे दिनों मे सब मुझसे आके बार-बार एक ही सवाल पुछ्ते थे कि दुल्हन कौन है ऑर मैं किसी को कुछ नही बता रहा था इसलिए सब एक अजीब सी उलझन मे शादी की तैयारियाँ कर रहे थे. शादी वाले दिन क़ाज़ी ने दुल्हन को बुलाने का कहा था तो सब मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगे कि अब मैं किसका नाम लूँगा. मैने चारो तरफ नज़र घूमके देखा तो वहाँ पर ना तो नाज़ी थी ना ही रूबी थी ऑर नही ही हीना थी इसलिए मैने रसूल से तीनो का पूछा.

रसूल : वो तीनो घर मे हैं जो भी तुम्हारी दुल्हन है उसको जाके खुद ले आओ.

इतना सुनकर मैं वहाँ से उठा ओर चुपचाप घर के अंदर चला गया जहाँ तीनो अलग-अलग बैठी हुई थी ऑर एक दम खामोश थी वो काफ़ी उदास लग रही थी मुझे देख कर वो कुछ ज़्यादा ही परेशान सी लगने लगी.

मैं : क्या हुआ तुम तीनो यहाँ क्यो हो...

हीना : नीर बस करो अब बहुत हो गया है हम तीनो कितने दिन से देख रही है तुम ना तो कुछ कहते हो ना किसी की सुनते हो आख़िर तुम बताते क्यो नही कि तुमने किसको चुना है कितने दिन हो गये तुमने हम तीनो की जान सूली पर टाँग रखी है समझ ही नही आ रहा है कि तुम्हारे दिल मे क्या है.

मैं : (ज़ोर से हँसते हुए) अगर मैं कहूँ कि मैं तुम तीनो से शादी करना चाहता हूँ तो तुम तीनो मे से किसी को ऐतराज़ है क्या...

मेरी ये बात सुनकर तीनो एक दूसरे की शक़ल देखने लगी उनको शायद समझ नही आ रहा था कि वो क्या कहें शायद किसी ने भी मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नही की थी इसलिए अब मेरे जैसी उन तीनो की हालत हुई पड़ी थी.

रूबी : तुम पागल तो नही हो गये हो तुम जानते भी हो तुम क्या कह रहे हो ये ना-मुमकिन है.

मैं : मैं एक दम ठीक हूँ ऑर मैने जो कहा वो भी एक दम सही है मैं तुम तीनो के बारे मे सोचा लेकिन कोई भी फ़ैसला नही कर पाया इसलिए मैने तुम तीनो को ही चुन लिया क्योंकि मैं जानता हूँ तुम तीनो मे से कोई भी मेरे बिना नही रह सकती ऑर एक को खुश करके मैं दो का दिल नही तोड़ सकता. अब बताओ तुम तीनो को इससे कोई ऐतराज़ है या नही.

इतना कहकर मैने सबसे पहले नाज़ी की तरफ देखा तो उसने ना मे सिर हिला दिया फिर रूबी की तरफ देखा तो उसने भी ना मे सिर हिला दिया ऑर लास्ट हीना की तरफ देखा तो उसने बिना कुछ कहे मुझे गले से लगा लिया.

मैं : अगर ऐतराज़ नही है तो 5 मिंट मे रेडी होके बाहर आ जाओ बाहर क़ाज़ी इंतज़ार कर रहा है.

उसके बाद मैं वापिस बाहर आ गया ऑर अपनी जगह पर जाके बैठ गया ऑर रसूल ऑर लाला को सारी बात बता दी तो मेरी बात सुनकर उनके भी होश उड़ गये लेकिन मेरी बात को समझने के बाद वो भी मान गये ऑर मेरी खुशी मे वो भी खुश हो गये. कुछ देर बाद तीनो तेयार होके आ गई ऑर क़ाज़ी ने थोड़े बहुत नाटक करने के बाद मेरा तीनो से निकाह करवा दिया उसके बाद मैने, मेरी बीवियो ने ऑर नीर ने एक साथ ये मुल्क़ छोड़ दिया. अब मैं अपनी तीनो बीवियो के साथ बहुत सुकून से रहता हूँ. मुझे मेरा मुल्क़ छोड़े हुए 24 साल हो गये हैं ऑर इन बीते 24 सालो मे मुझे हीना, रूबी ऑर नाज़ी से एक-एक बेटा हुआ है जो अभी स्कूल ऑर कॉलेज की एजुकेशन पूरी कर रहे हैं ऑर हमारे साथ ही रहते हैं लेकिन तीनो मे मेरी कोई ना कोई खूबी है लड़कियों का शॉंक सबको ही है जिनसे उनकी माँ हमेशा ही परेशान रहती हैं लेकिन वो हर बार मुझे डाँट खाने के लिए आगे करके खुद सॉफ बचकर निकल जाते हैं. छोटा नीर भी अब बड़ा हो गया है ऑर वो ऑर अली (रसूल का बेटा) अब मेरा बिज़्नेस संभालने लगे हैं. नीर देखने मे काफ़ी हद तक मेरे जैसा है लेकिन नेचर वाइज एक दम मेरी जवानी जैसा है ऑर थोड़ा गरम मिज़ाज़ का भी है अली एक दम रसूल जैसा ठंडे दिमाग़ का है जो नीर को ठंडा करने मे लगा रहता है. हमारे जाने के बाद यतीम खाना अब वो कोई नॉर्मल यतीम खाना नही रहा वहाँ अब हमने एक शानदार स्कूल ऑर बच्चों के रहने के लिए एक आलीशान होस्टल बनवा दिया है जहाँ बच्चे अच्छी तालीम हासिल करते हैं क्योंकि हम उन बच्चो को अपने जैसा नही बनाना चाहते. बस्ती भी वो पुरानी टूटी फूटी नही रही हमने वहाँ सबके लिए अच्छे ऑर शानदार अप्पर्टमेंट बनवा दिए हैं ऑर लोगो के रोज़गार के लिए वहाँ फॅक्टरीस ऑर मिल्स खोल दी हैं जिसको लाला, सूमा संभालते हैं. अर्रे हाँ हमारे बिज़्नेस का बताना तो मैं भूल ही गया. हमने अब अपना ड्रग्स ऑर आर्म्स का बिज़्नेस बंद कर दिया है ऑर सारा पैसा रियल एस्टेट, होटेल्स, कसीनो ऑर फाइनान्स कंपनी मे लगा दिया है ऑर अपने हर ग़लत धंधे को शरीफो वाला बिज़्नेस बना दिया है जिसको मेरे साथ रसूल, गानी संभालते हैं. लाला, सूमा ऑर गानी ने भी शादी कर ली है ऑर सुधरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन आज भी उनके अंदर का गुंडा कभी कभी बाहर आ जाता है जिसको मुझे ऑर रसूल को संभालना पड़ता है. आज मैं एक अंडरवर्ल्ड डॉन होते हुए भी एक नॉर्मल बिजनेस मेन की जिंदगी गुज़ार रहा हूँ ऑर अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूँ.


-----दा एंड-----
 
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