Kamukta kahani कीमत वसूल - Page 9 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamukta kahani कीमत वसूल

में सुनकर मुझसे रहा नहीं गया। मैं शोभा की दोनों जांघों के बीच में बैठ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया। मेरे लौड़े को शोभा की चूत में जाने में कोई अड़चन नहीं हुई। शोभा की चूत का अगर भोसड़ा नहीं बना था तो टाइट भी नहीं थी। मेरा लौड़ा शोभा की चूत में बड़े आराम से जा रहा था। मैं अपना पूरा लौड़ा शोभा की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। फिर शोभा ने जब अपनी गाण्ड उठाकर मेरे हर शाट का जवाब देना शुरन किया तब मैंने शोभा की गाण्ड के नीचे तकिया लगा दिया।

अब शोभा की चूत मेरे लौड़े के बिल्कुल पास हो गई। मैं उसकी चूत में अपना लौड़ा पूरा निकालकर धक्का मार रहा था। मेरा इंच का लौड़ा जब एक ही झटके में शोभा की चत में जाता था तो शोभा की सिसकी मिकलती थी। अब दोनों तरफ से आग लगी हुई थी। पर चुदाई के खेल में हमेशा बलिदान लण्ड को ही देना पड़ता है। और फिर शोभा की चूत में मेरा माल झड़ गया। इतनी मेहनत के बाद 5 मिनट का आराम तो बनता है। मैं शोभा की चूचियों पर अपना मुँह रखकर अपनी सांसों को कंट्रोल करने लगा। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों बेड पर नंगे पड़े थे एक दूसरे के साथ चिपके हुए।

मैंने शोभा से पूछा- "मजा आया?"

शोभा ने मेरे लण्ड को पकड़कर बड़े प्यार से कहा- "मैं तो अब इसकी दीवानी बन गई हैं। सच कहूँ तो में अपनी लाइफ में आज तक इतना संतुष्ट कभी नहीं हुई। आज आपने मुझे वो सुख दिया है जिसका मैं आज तक कभी नहीं ले पाई। काश आप मेरी लाइफ में पहले से होते.."

में उसकी सब बातों को सुन रहा था मैं कुछ बोला नहीं।

फिर मैंने शोभा से कहा- "मुझे सस आया है.."

शोभा ने कहा- "मुझे भी."

मैं हँसते हुए बोला- "चलो दोनों करके आते हैं."

फिर हम दोनों टायलेट में गये वहां जाकर शोभा शीट पर बैठ गई और बड़ी तेज आवाज में शुउउउ उउउ करके मम करने लगी।

मैंने उसको कहा- "तुम सूसू करते टाइम कितना शोर कर रही हो?"
-

शोभा ने कहा- "आपको पता नहीं हम लोगों की मी ही आवाज होती है..."

फिर मैंने शोभा से कहा- "मेरा लौड़ा अपने हाथ में लेकर सूसू करवाओ.."

शोभा ने मेरे लण्ड को बड़े प्यार से अपने हाथों में पकड़ा और बोली- "करिए.

मैंने सूस करना शुरू कर दिया। शोभा मेरे लौड़े को बीच-बीच में कस के दबा देती थी, जिससे मेरा सस रुक जाता था। फिर एकदम से छोड़ देती जिसमें धार बनकर मूस आता था। मैं शोभा की इस हरकत को देख रहा था की साली कितनी कमीनी है, मुझे हर तरीके से मजा दे रही है। हम दोनों बेडरूम में आ गये।

मैंने शोभा से कहा- "थोड़ी-थोड़ी बियर और पीते हैं."
 
मैंने सूस करना शुरू कर दिया। शोभा मेरे लौड़े को बीच-बीच में कस के दबा देती थी, जिससे मेरा सस रुक जाता था। फिर एकदम से छोड़ देती जिसमें धार बनकर मूस आता था। मैं शोभा की इस हरकत को देख रहा था की साली कितनी कमीनी है, मुझे हर तरीके से मजा दे रही है। हम दोनों बेडरूम में आ गये।

मैंने शोभा से कहा- "थोड़ी-थोड़ी बियर और पीते हैं."

शोभा ने हाँ कर दी। मैंने फ़िज़ से बिगर निकाली और उल्लास में डालकर शोभा को दी, और बोतल अपने मुँह से लगा ली। शोभा मुझे इस तरह सहयोग देगी मैं सोच भी नहीं सकता था।

मैंने शोभा को कहा- "में अब तुम्हारी गाण्ड का मजा लेना चाहता है."

शोभा बोली- "इसका मतलब आपको मेरी चूत में मजा नहीं आया?"

मैंने कहा- "ऐसा कुछ नहीं है। मैं तो बस तुम्हारी गाण्ड का दीवाना है. इसलिए गाण्ड मारने को कह रहा हूँ..."

शोभा बोली- "आपका जो मन करें आप वा करो..."

मैंने कहा- "गाण्ड में कोई क्रीम लगानी है क्या?"

शोभा ने कहा- मुझे कोई जरूरत नहीं है। आप मुझे घोड़ी बनाकर मेरी चूत को चोदो। जब लण्ड मेरी चूत में गीला हो जाए तो मेरी गाण्ड में डाल देना."

मुझे आइडिया सही लगा। मैंने शोभा को घोड़ी बना दिया और उसकी चूत में लण्ड पेल दिया। थोड़ी देर में मेरा लण्ड उसकी चूत के पानी से भीग गया था। मैंने उसकी चूत से अपने लण्ड को निकालकर उसकी गाण्ड में पेल दिया। मैंने शोभा की गाण्ड में जब लण्ड पैला तब उसने हल्की सी चीख मारी, पर उसके बाद वो अपनी गाण्ड को खुद आगे-पीछे करने लगी। मुझे शोभा की मस्त गाण्ड का पूरा मजा आने लगा। मेरे लौड़े को शोभा की गाण्ड में जन्नत नजर आ रही थी। मेरी हर चोट पर पट-पट की आवाज आ रही थी। फिर आखीर में जो होता है वही हआ। मैं शोभा की गाण्ड में अपना लौड़ा झाड़ कर लंबी सांसें लेने लगा।

थोड़ी देर बाद शोभा के संल पर ऋतु का फोन आया की मम्मी हम लोग आ रहे हैं रास्ते में हैं एक घंटे तक घर पहुँच जायेंगे।

सुनकर शोभा बोली- "वा लोग आ रहे हैं, मुझे उनके आने से पहले घर पहुँचना होगा..."

मैं भी अब तक चुका था। मैंने शोभा को कहा- "मैं तुमको घर छोड़ आता है.. मैं अपनी कार से शोभा को उसके घर छोड़ने जा रहा था।

रास्ते में शोभा ने कहा- "आज मुझे वो सुख मिला है जिस सुख की हर औरत की तमन्ना होती है। मुझे अब इर लग रहा है की ऋतु के आने के बाद आप कभी ये मोका मुझे दोगे या नहीं?"

मैंने शोभा को कहा. "मैं तुम्हारी प्यास को जब तुम कहोगी बुझाऊँगा। अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मैं भी तुम्हारा कभी साथ नहीं छोड़ेगा.." फिर शोभा का घर आ गया।

मैंने उसको बाड़ बोलकर कार बैंक कर दी। शोभा को छोड़कर जब मैं वापिस घर आया तो आते ही सबसे पहले मैंने कैमरे की कार्डि चेक करी, तो देखा क्लियर थी। मैंने वो कार्डि एक सी.डी. में सेव कर के रख दी और फिर मुझे नींद में अपनी बाहों में भर लिया।
 
अगले दिन मैं आफिस थोड़ा देर से गया था। अत पहले से ही आई हुई थी। मझे देखते ही वो मेरे साथ-साथ मेरे केबिन में आ गई। उसने मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया। एकदम से मेरे से चिपक कर मेरे होंठों पर अपने होंठों रख दिए, 5 मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे के साथ चिपके रहे।

फिर ऋतु रंधे गले से बोली- "आपसे 4 दिन दूर रहकर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे की 4 साल बीत गये हो.."

मैंने उसको कहा- "मैंने भी तुमको बहुत मिस किया..."

ऋतु अपना मुँह फुलाकर बोली- "और तो और मेरे सेल में भी मुझे धोखा दिया। वहां जाते ही खराब हो गया। मैं आपसे बात भी नहीं कर पाई..."

मैंने कहा- "चला अब जो होना था सा हो गया। फिलहाल तो तुम मेरे पास हो."

अत् ने मुँह बनाकर कहा- "अगर सेल खराब नहीं होता तो मैं आपको बहां की वीडियो बनाकर दिखाती.."

मैंने कहा- वहां कुछ खास था, जिसकी वीडियो मुझे दिखानी थी?

ऋतु बोली- "मैंने वहां खूब मस्ती करी, खूब डान्स किया..."
.
मैंने ऋतु को चिटाते हुए कहा- "तुम्हें डान्स करना भी आता है?"

ऋतु ये सुनकर लाल होते हुए बोली- "अगर आपने मेरा डान्स देख लिया तो कहोगे की ऐसा डान्स किसी मूवी में भी नहीं देखा.."

मैंने कहा- अच्छाजी... अगर ऐसा है तो तुम उस फंक्सन की डी.वी.डी. मगवाओ। मैं देखकर ही बताऊँगा की तुम डान्स कैंसा करती हो?" फिर मैं बोला- "ऋतु तुम अब अपनी आँखों को बंद करो.."

ऋतु बोली- क्या?

मैंने कहा- करो तो सही।

ऋतु ने अपनी आँखों को हल्के से बंद किया।

मैंने कहा- "ऐसे नहीं सही से बंद करो..."

उसने कर ली।

मैंने एक पैकेट उसके हाथ में पकड़ा दिया और कहा- "अब अपनी आँखों को खोलो.."

ऋत् ने आँखें खाली और बोली- "इसमें क्या है?"

मैंने कहा- खोलकर देखो।

ऋतु में जल्दी से पैकेट खोला तो उसकी खुशी देखते ही बन रही थी। वो बोली- "सर, इतना मःगा मोबाइल मैंने कभी इस्तेमाल नहीं किया..."

मैंने कहा- "अब कर लो..."

ऋतु खुशी से भरी मेरे पास आकर मेरी गोद में बैठ गई, और मेरे गले में अपनी बाहों को डालकर बोली- "आप कितने स्वीट हो, मेरा कितना खयाल रखते हो..."

मैंने कहा- "मुझे जब पता चला की तुम्हारा मोबाइल खराब हो गया है। मैंने तभी साच लिया था की तुमको बदिया सा मोबाइल दगा। अब इसमें अपना सिम डालकर सबसे पहले अपनी दीदी को फोन करो और उस फंक्सन की डी.वी.डी. मैंगवाओ.."

ऋतु ने खुश होते हए अपना सिम मोबाइल में लगाया और अपनी दीदी को फोन किया। पहले तो उनकी खैर खबर ली फिर बोली- "दीदी फंक्सन की डी.वी.डी. आ गई?"

उधर से जवाब मिला- "हाँ आ गई."

ऋतु ने कहा- "दीदी आज ही उसकी कारिगर से भेज दो... फिर दो-चार इधर-उधर की बात करके ऋतु ने फोन काट दिया और मुझे देखकर बोली- "कल डी.बी.डी, आ जायेंगी तब पता चलेगा आपको."

मैने मुश्कुराकर कहा- "अगर तुमको मेरी बात का बुरा लगा है तो आई आम वेरी सारी..."
 
ऋतु ने कहा- "दीदी आज ही उसकी कारिगर से भेज दो... फिर दो-चार इधर-उधर की बात करके ऋतु ने फोन काट दिया और मुझे देखकर बोली- "कल डी.बी.डी, आ जायेंगी तब पता चलेगा आपको."

मैने मुश्कुराकर कहा- "अगर तुमको मेरी बात का बुरा लगा है तो आई आम वेरी सारी..."

अगले दिन आफिस में कॉरियर में एक पैकेट आया। पैकेट ऋतु के नाम था। वो समझ गई। अत पैकेट लेकर सीधा मेरे पास आई और बोली- "लीजिए, और इसका अभी देखिए.."

मैंने डी.वी.डी. अपने लप्पी में लगा दी। प्ले होतें ही ऋतु बोली- "इसको फारवई करिए, मैं आपको वो सीन दिखाती हैं, जिसमें मैं डान्स कर रही हैं."

मैंने डी.बी.डी, का फारवर्ड किया, जहां से ऋतु का डान्स शुरू हुआ वहां से देखनी शुरू की। सच में जैसा ऋतु ने कहा था, उसका डान्स उससे भी बढ़ कर था। उसकी बल खाती कमर गजब ढा रही थी। उसकी शिरकन किसी आर्टिस्ट जैसी थी।

फिर मेरा ध्यान किसी और पर गया जो ऋतु के साथ डान्स कर रही थी। मैंने दिल ही दिल में आऽऽ भरी। ऋतु के साथ डान्स करने वाली जो भी थी मैं उसको नहीं जानता था। पर उसका चेहरा ऋतु में मिल रहा था। वो थोड़ी मोटी थी पर थी बला की संदर। उसका डान्स उससे भी सेक्सी था। वो अपने चूतड़ों को ऐसे मटका रही थी की देखने वाला अपना आपा खो बैठे। वो अपनी चूचियों को हिला-हिलाकर डान्स कर रही थी। डान्स करते टाइम उसका पूरा जिम थिरक रहा था। फिगर भी बिल्कुल 36-30-36 था। इतना मस्त फिगर देखकर लण्ड में हंकार मारी। मैं उसको देखता ही रह गया। उसकी मोटी-मोटी जांघों को देखकर में पागल हो उठा।

मैंने ऋतु में कहा- "ये कौन है?"

ऋतु ने कहा- यही तो है अनु दीदी जिनके घर हम गये थे।

मेरे मुँह से सीटी बज उठी। मैंने कहा- "वाह... कितना सेक्सी डान्स कर रही हैं। कितनी सुंदर है तुम्हारी दीदी..."

ऋतु ने ये सुनकर मुझे घूरते हुए कहा- "आपके मन में क्या चल रहा है?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं। मैं तो हुश्न का पुजारी हूँ। तारीफ के लायक जिसको भी देखता हूँ तारीफ कर देता हैं."

सुनकर ऋतु हसने लगी, और बोली- "आप भी ना..."

मैंने कहा- मैं भी ना क्या?

ऋतु बोली- कुछ नहीं

फिर मैंने ऋतु से कहा "मैं तुम्हारा डान्स देखकर मान गया की तुम सच में बहुत अच्छा डान्स करती हो... मैं इस डी.बी. डी. को अपनी लप्पी में सेव कर लेता हैं रात को ठीक से देखूगा.."
 
फिर मैंने ऋतु से कहा "मैं तुम्हारा डान्स देखकर मान गया की तुम सच में बहुत अच्छा डान्स करती हो... मैं इस डी.बी. डी. को अपनी लप्पी में सेव कर लेता हैं रात को ठीक से देखूगा.."

ऋतु बोली- "हाँ आप कर लीजिए.."

मैंने झट से डी.वी.डी. अपने लप्पी में सेव कर लिया और डी.वी.डी. ऋतु को देते हुए कहा- "चार दिन बाद आफिस आई हो, जरा जाकर देखा तो कितना काम पेंडिंग पड़ा है?"

ऋतु ने कहा- "हाँ, मैं अब जाकर सब पंडिंग काम देखती हूँ.."

मैंने ऋतु के जाते ही फिर से डी.वी.डी. प्ले कर दी। मेरा सारा ध्यान अब अन् को देखने में था। मेरे दिमाग में उसका भरा हआ बदन उसकी मोटी-मोटी जांघे और उसकी मस्त छातियां घूम रही थीं। मैं हर उस सीन को पाज करके देखने लगा जिसमें अन् थी। फिर एक सीन ऐसा देखा जिसमें वीडियो कवर करने वाले में पूरा हरामीपना किया था। वो सीन कुछ ऐसा था जिसमें अन सोफे पर बैठी थी, उसकी मोटी-मोटी जांचें फैली हुई थी, उसकी अंदर की जांघ क्लिपर दिख रही थी। अन में सफेद कलर की लेगिंग पहनी हुई थी, जिसमें उसकी जांघ की पूरी शंप बिलयर दिख रही थी। अन की मोटी-मोटी जांघों में उसकी चूत कैसी होगी? उसकी चूचियां कितनी मस्त होगी? मैं उसके बारे में सोचने लगा। मैंने डी.बी.डी. को कई बार देखा। शाम कब हो गई पता ही नहीं चला। अनु के जिम को देख-देखकर मेरे लण्ड का बुरा हाल हो गया था।

मैंने अत को बुलाया तो बो आते ही बोली- "आपके पास टाइम ही नहीं है मेरे लिए "

मैं समझ गया की वो गुस्से में है। मैंने उसको कहा- "ऐसा नहीं है। मैं काम में बिजी था.."

ऋतु मेरे पास आ गई उसने मेरी शर्ट के दो बटन खोल दिए और मेरे सीने के बालों से खेलने लगी। मैं समझ गया की ये 4 दिन से चुदी नहीं, इसलिये इसकी चूत में खुजली मच रही है, और उसकी चूत अब लण्ड माँग रही हैं। मैंने ऋतु को अपनी गोद में खींच लिया और किस करने लगा। अन् को देखकर में पहले से ही गरम हो गया था। ऋतु के जिम से खेलते हुए आग और बढ़ गई।

मैंने ऋतु को कहा- "चलो अपनी चुदाई वाली जगह पर..."

ऋतु समझ गई और साफ की और चल दी। मैंने जाते ही ऋतु की कमीज उतार दी। उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। मैं उसकी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया झटकं से, तो उसकी सलवार उतर गई। में परे जोश में था। मैंने उसकी पैटी को नीचे खिसकाया। ऋतु में बाकी का काम खुद कर लिया। मैं ऋतु को सोफे पर लेकर पड़ गया।

--
मैंने उसकी चूची को मुँह में लेते हुए कहा- "आज मेरा लण्ड तुम अपने हाथ से पकड़कर अपनी चूत पर रखो.."

ऋतु भी 4 दिन से चुदासी हो रही थी। उसने झट से मेरा लौड़ा अपने हाथ से पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया। मैंने जोर का झटका मारा और ऋतु की चूत में लण्ड घुसा दिया। लौड़ा पूरा डालकर धक्के मारने लगा। मैं ऋतु को चोदते समय अन की कल्पना कर रहा था। मैंने अपनी आँखों को बंद करके ये सोचा जैसे की मैं अन् को ही चोद रहा हूँ। मुझे ऋतु में अनु नजर आ रही थी।

ऋतु आज जल्दी ही झड़ गई। उसने झड़ते ही मुझे अपनी बाहों में कस लिया। मैं भी अब कहां रूकने वाला था। दो मिनट बाद मैंने भी अपना माल ऋतु की चूत में झाड़ दिया। ऋतु और में दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे।

फिर मैंने ऋतु से कहा, "मेरे लण्ड को साफ कर दो.."

ऋतु समझ गई की उसको क्या करना है। उसने अपनी पैंटी से मेरे लौड़े को पोंछकर साफ कर दिया। मैं अब उसकी पैंटी से ही लण्ड को साफ करवाता था। फिर ऋतु में अपने कपड़े पहने, और जाने के लिए तैयार हो गई।
 
ऋतु आज जल्दी ही झड़ गई। उसने झड़ते ही मुझे अपनी बाहों में कस लिया। मैं भी अब कहां रूकने वाला था। दो मिनट बाद मैंने भी अपना माल ऋतु की चूत में झाड़ दिया। ऋतु और में दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे।

फिर मैंने ऋतु से कहा, "मेरे लण्ड को साफ कर दो.."

ऋतु समझ गई की उसको क्या करना है। उसने अपनी पैंटी से मेरे लौड़े को पोंछकर साफ कर दिया। मैं अब उसकी पैंटी से ही लण्ड को साफ करवाता था। फिर ऋतु में अपने कपड़े पहने, और जाने के लिए तैयार हो गई।

मैंने उसको कहा- "अनु तुमसे कितने साल बड़ी है?"

ऋतु ने कहा- "4 साल... वैसे आपको उनकी उम का क्या करना है?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं, वैसे ही पूछ रहा हूँ... अनु के पति क्या करते हैं?"

ऋतु ने कहा- वो जाब करते हैं।

मैंने कहा- चलो अब तुम जल्दी से जाओ, नहीं तो देर हो जाएगी।

ऋतु मुझे बाइ बोलकर चली गई।

ऋतु के जाते ही अंजू मेरे केबिन में आई और बोली- "सर ऋतु का नया मोबाइल आपने देखा है?"

मैं समझ गया इसको ऋतु का मोबाइल देखकर जलन होने लगी है। मैंने कहा- "उसके हाथ में देखा तो था मैंने। पर क्या हुआ?"

अंजू बोली- "सर, उसकी दो महीने की सेलरी से भी ज्यादा का मोबाइल है। उसने कैसे लिया होगा?"

मैंने कहा- "हा सकता है उसको किसी ने गिफ्ट दिया हो?"

अंजू मुझे शक भरी निगाहो से देखते हुए बोली- "कहीं आपने तो गिफ्ट में नहीं दिया उसको?"

मैंने कहा- "मैं क्यों देने लगा?" में अंजू के सामने बिल्कुल अंजान बन गया। फिर मैंने कहा- "अज तुम इन सब बातों में क्यों पड़ती हो? तुमको अगर बैसा मोबाइल पसंद है तो तुम भी ले लेना, इसमें कौन सी बड़ी बात है?"

अंजू एक लंबी सांस लेते हुए बोली- "सर हमारी ऐसी किश्मत कहां की हम इतना महंगा मोबाइल खरीद सकें?"

मैंने उसको कहा- "कुछ पाने के लिए मेहनत तो करनी ही पड़ती है.."

अंजू मुझे सवालिया नजरों से देखते हुए बोली "मर क्या में मेहनत नहीं करती? मुझे इतने टाइम हो गया आपके आफिस में, आपको भी पता है मैं अपना काम जितनी मेहनत से करती हैं..."

मैंने अंजू से कहा- "अजू मेरी बात का वो मतलब नहीं, जो तुम समझ रही हो..."

अंजू बोली- "प्लीज सर आप मुझे बताइए ना... मुझे किस तरह और मेहनत करनी चाहिए?

मैंने अंजू से कहा- "अभी तो मुझे जाना है। कल मैं तुमको अच्छे से समझाऊँगा..."

अंजू बोली- "ओके सर... कल मैं आपसे जरा समझंगी..."

फिर मैं आफिस से निकाल आया। मैं रात को देर तक सोचता रहा की अंजू खुद मेरे पास आकर मुझे अपनी जवानी आफर कर रही हैं और मैं कितना चुतिया है जो उसको आज तक ट्राई नहीं किया। पहले से किया होता तो आज तक उसकी चूत का मजा ले रहा होता। मैं मन ही मन उसको चोदने का ख्वाब देखने लगा। मुझे अपनी किश्मत पर जाज होने लगा की मेरे पास चत खुद आकर चुदवाने को बोल रही है। फिर इन्हीं सोचो में कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
 
अगले दिन लंच टाइम से पहले अंजू मेरे केबिन में आई।

मैंने उसको कहा- "आओ अंजू कोई काम है?"

अंजू बोली- "सर, आप कल जो बात कर रहे थे। उसी बात को पा समझने आई हैं."

मैंने कहा- "ही ही याद आ गया." मैंने अज से कहा- "बैठा..."

अंजू मेरे सामने चेयर पर बैठ गई।

मैंने बोलना शुरू किया. "देखो अज, इस दुनिया में हर इंसान की किश्मत अलग होती है। ज़्यादतर लोग अपने हालात से समझौता कर लेते हैं, और जिस हाल में होते हैं उसी को अपनी किश्मत समझ लेते हैं। पर कुछ लोग जिनमें हौसला और हिम्मत होती है, वो अपनी किश्मत को खुद बनाते हैं। अब तुम सोचकर बताओ की इनमें से तुम अपने को किस टाइप का मानती हो?"

अंजू ने कहा "सर मैं अपनी किश्मत को बदलना चाहती हैं पर कैसे? ये मेरी समझ नहीं आ रहा। पर मुझे कुछ बनना है। इसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हैं। मुझे इस लाइफ से नफरत होने लगी है। मुझे इस तरह से घुट घुट कर जीना पसंद नहीं है..."

मैंने उसकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा- "तुम आगे बढ़ने के लिए क्या कर सकती हो?"

अंजू में कहा मैं कुछ भी कर सकती है।

में अपनी चेयर से उठा और अंजू के पीछे जाकर खड़ा हो गया और अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया। अंजू ने अपना चेहरा घुमाकर मेरी तरफ देखा। मैंने उसको कहा- "मैं तुमको कामयाब होने का रास्ता बता सकता हैं। और मुझे यकीन है की तुम कामयाब हो जाओगी। पर हर कामयाबी की कोई कीमत होती है। अगर बो कीमत चुकाने का होसला तुम में है तो बताओ?" कहकर में दो मिनट चुप रहा।

फिर मैंने अंजू से कहा- "किस सोच में डूब गई?"

अंजू ने सोचते हुए जवाब दिया- "क्या कीमत हैं कामयाब होने की? मैं हर कीमत अदा करने को तैयार हैं.."

मैंने कहा- "गड.." और में फिर जाकर अपनी चेयर पर बैठ गया। मैंने अंजू से कहा- "उठकर खड़ी हो जाओ..

अंजू खड़ी हो गई।

मैंने उसको कहा- "पहले केबिन को अंदर में लाक कर दो.."

अंजू ने कहा "लाक क्यों करना है?"

तम में सबसे बड़ी कमी यही है की तुम हर बात में सवाल करती हो..."

अंजू ने लाक कर दिया।

फिर मैंने अंजू से कहा- "अब जरा अपनी शर्ट के बटन खोला.."

अंजू मुझे ऐसे देखने लगी जैसे की मैंने उसको कोई गाली दी हो। वो बोली- "सर, ये आप क्या कह रहे हैं? मैं आपके सामने अपनी शर्ट के बटन कैसे खोल सकती हैं? में इस टाइप की लड़की नहीं हैं। मैं आपकी इतनी स्पक्ट करती हैं, और आप मुझे इतनी चीप बात बोल रहे हो। आपको कोई गलतफहमी हो गई है सर। में कोई कालगर्ल नहीं हूँ."

मैंने उसको कहा- "तुमने अभी क्या कहा था? की मैं कोई भी कीमत अदा कर सकती हूँ.."

अंजू बोली- "सर, मेरा मतलब वो नहीं था। मैं तो अपने काम से, अपनी मेहनत और लगान से आपका दिया कोई भी काम पूरा करने को कीमत समझ रही थी.."

मैंने कहा- "अंजू, तुम सच में इतनी भोली हो या बनकर दिखा रही हो?"

अब तो अंजू की आँखों में आँसू आ गये, और वो अपने हाथों से अपने चेहरा को टक करके फफक-फफक कर रोने लगी। में समझ चुका था की पासा उल्टा पड़ गया। मैं उठकर उसके पास गया और अंजू को दिलासा देते हए बोला- "अंजू तुम पास हो गई.."

अंजू ने मुझे देखा और बोली- "पास... मतलब?"

मैंने कहा- "अंजू, मैं तुम्हारा टेस्ट ले रहा था तुम उसमें 100% पास हो गई.."

अंजू का रोना बंद हो गया।
 
मैंने उसको कहा- "मैं तुमको क्या इतना कमीना लगता ही तुम अगर ऐसा करने को तैयार हो भी जाती तो भी मैं तुमको नहीं करने देता। पगली में तो सिर्फ ये देख रहा था की तुममें सेल्फ रेस्पक्ट कितनी है?"

अंजू हैरान होते हए बोली- "सर, आप सच बोल रहे हैं?"

मैंने अपने चेहरा पर शराफत की चादर ओट ली। मैंने कहा- "हौं अंजू, मैं सिर्फ तुम्हारा इंतेहन ले रहा था। अगर तुमको बुरा लगा हो तो मुझे माफ करना.."

अंजू मेरे आगे हाथ जोड़ती हुई बोली- "नहीं सर, आप मुझसे बड़े हैं। आप मुझसे माफी नहीं माँगी। मैं ही पागल हूँ जो आपको गलत समझ बैठी। आप मुझे माफ कर दीजिए."

मैंने अजू में कहा- "मैं तुमसे बहुत खुश हूँ। मैं तुम्हारी सैलरी 11000 बढ़ा दूंगा."

अंजू सुनते ही खुश हो गई और बोली- "सर आप इंसान नहीं देवता हैं.."

मैं मन ही मन सोचने लगा- "इसने आज मेरा खेल बिगड़ दिया, वरना में इसको आज दिखाता की मैं कितना कमीना ..."

मैंने कहा- "अब तुम जाओ और इस बात का जिक्र किसी से नहीं करना, वरना कोई गलत ना समझ बैठे..."

अंजू ने कहा "नहीं, मैं किसी से कोई बात नहीं करूंगी... और वो चली गई।

अंजू के जाने के बाद मैं लंबी सांस लेकर सोचने लगा- "आज किश्मत अच्छी थी जो बच गया, वरना ये साली पागल लड़की आज मेरी इज्जत का तमाशा बनवा देती..."

में घर आया तो अपना खराब मह ठीक करने के लिए विस्की पीने लगा। मैंने एक बार पीनी शुरू करी तो पीता हो गया। 4 पंग पीने के बाद मुझे लगने लगा की अब मेरा दिमाग फ्री हआ है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मेरे जैसे खिलाड़ी को काई अनाड़ी समझकर हरा जाएगा। मुझे अपनी हार बर्दाश्त नहीं हो रही थी, पर मैं कर भी क्या सकता था?

मैं अपने को समझाता हआ बोला- "कोई बात नहीं। आज नहीं तो फिर सही। इसको तो मैं अब चोदकर ही दम लँगा। कभी ना कभी मोका जरूर मिलेगा और फिर मैं इसको कुतिया बनाकर चोदूंगा। इसकी शराफत की ऐसी बैंड बाजाऊँगा की साली याद रखेगी....

फिर मझें याद आया को मैंने जो डी.वी.डी. सेब की है उसको तो देखा ही नहीं। मैंने अपना लप्पी आन किया
और डी.बी.डी. देखने लगा। मैंने शुरू से आखिर तक डी.बी.डी. को देखा। अनु के बल खाते जिस्म को देख-देखकर मैं आहे भरता रहा, उसके दिल के आकार के चूतड़ों में थिरकन देखकर होश खोने लगा। मैं दिल ही दिल में सोचने लगा की अन् को में कैसे चोद सकता है? उसकी तो शादी हो चुकी है और वो देल्ही में रहती है। कैसे उसका चोद सकता है? कौन मेरे इस काम में हेल्प कर सकता है? मुझे कोई भी विकल्प नहीं मिला। दिमाग खराब होने लगा था अनु को देख-देखकर। पर जो चीज हासिल नहीं हो सकती उसको कैसे हासिल करग? ये बात समझ में नहीं आ रही थी। यही सोचते-सोचते में सो गया।

कई दिन बीत गये। मैं अपने दिल में अनु को चोदने की तमन्ना लिए हए था। पर कुछ हो नहीं पा रहा था। मुझे अब अन् को चोदना एक ख्वाब जैसा लगने लगा था। अचानक मेरी किश्मत एक बार फिर से मेरा साथ देने लगी। मैं अपने कैबिन में बैठा था।

ऋतु मेरे पास आई और बोली- "सर मुझे घर जाना है.."

मैंने कहा- क्या हुआ?

उसने कहा- "आज मेरी दीदी आ रही है..."

मैंने कहा- कौन अनु?

ऋतु ने कहा- हाँ अनु दीदी और जीजू भी,

मैंने कहा- कब आना है उन लोगों ने?

तु ने कहा- "3:00 बजे तक आ जाएंगे.."

मैंने कहा- किसी खास काम से आ रहे हैं क्या?
 
ऋतु ने कहा- जब से अन दीदी की शादी हुई है तब से वो कभी रहने नहीं आई। अब बो रहने आ रही है।

मैंने कहा- और तुम्हारे जीजू भी यही रहेंगे?

ऋतु ने कहा- नहीं, वो तो सिर्फ उनको छोड़ने आ रहे हैं। दीदी तो 15-20 दिन अब यही रहेंगी.."

मैं मन ही मन खश होने लगा।

फिर ऋतु ने कहा- "जब से अन् दीदी की शादी हुई है वा आईता है कई बार, पर कभी रुकी नहीं। अब वो कुछ दिनों के लिए रहने आ रही है..."

मैंने कहा- "ओके.. तुम जब मन हो चली जाना.."

अत ने मुझे स्वीट सी स्माइल दी और चली गई। मैं फिर से अन के बारे में सोचने लगा। आज फिर में उसकी चूत की याद मुझे सताने लगी। में चूत भी क्या चीज है? सब लड़कियों की होती एक जैसी है, पर हर चूत को हम देखते अलग-अलग हैं। मैं अपने काम में ध्यान देने की नाकाम कोशिश करने लगा। पर मेरा मन अब भी अन् की तरफ भटक रहा था। मैं अब फिर से सोचने लगा की मैं कैसे अन को अपने लण्ड के नीच ला सकता हैं। इसी सोच ने मुझे किसी काम में मन नहीं लगाने दिया। फिर मैंने एक आइडिया सोचा। अगर वो काम कर गया तो मैं अन् को अपने नीचे ले सकता है।

मेरे मन में लड्डू फूटने लगे।

अगले दिन ऋतु आफिस जरा देर से आई।

मैंने पूछा- "सब ठीक तो है?"

ऋतु बोली- "सारी सर, मैं लेट हो गई.."

मैंने कहा- कोई बात नहीं कल वैसे भी तुम्हारे गेस्ट आए हए थे पर आज तुम मुझे थोड़ा सा थकी लग रही हो।

ऋतु ने कहा- सर, बों में रात को ठीक से सो नहीं पाई इसलिए थोड़ा थकी हैं।

मैंने कहा- रात को नींद नहीं आई?

उसने कहा- "बस ऐसी ही दीदी से बातें करती रही। बातों-बातों में पता ही नहीं चला कब सुबह हो गई.."

मैंने जरा उत्सुक होते हुए पूछा- "ऐसी कौन सी इंटरेस्टिंग बातें हो रही थी?"

उसने कहा- "कोई खास नहीं बस इधर-उधर की..."

मैंने कहा- "फिर भी कुछ पता तो चले हमें भी बताओ.."

ऋतु ने मुझे छेड़ते हए कहा, "आपके बताने की बात नहीं है. उसके चेहरा से साफ लग रहा था की वो कछ छुपा रही है।
पर मैं कहां मानने वाला था। मैंने कहा- "प्लीज बताओं ना..."

तब ऋतु बोली- "वो हमारी पसनल बातें थी.."
 
मैंने कहा- "फिर भी कुछ पता तो चले हमें भी बताओ.."

ऋतु ने मुझे छेड़ते हए कहा, "आपके बताने की बात नहीं है. उसके चेहरा से साफ लग रहा था की वो कछ छुपा रही है।
पर मैं कहां मानने वाला था। मैंने कहा- "प्लीज बताओं ना..."

तब ऋतु बोली- "वो हमारी पसनल बातें थी.."

मैंने उसको अपनी गोद में खींच लिया और उसकी चूचियों को दबाते हए कहा- "अब हमसे भी ज्यादा कुछ परसजल हो गया है?"

ऋतु बोली- “नहीं आपमें कुछ नहीं पाती है। पर वो ना कुछ और बात थी..' कहते-कहते उसके चेहरे पर शर्म
छा गई।

मैंने उसको कहा- "अगर तुम मुझे नहीं बताना चाहती तो मत बताओ। मैं भी अब तुमसे पर्सनल बातें नहीं शेयर करेंगा...

ऋतु ने कहा- "आप तो नाराज हो गये। अच्छा बाबा मैं आपको सब बताती है। पर पहले आप कसम खाइए की ये बातें सिर्फ आप अपने तक ही रखोगे..."

मैंने उसको कहा- "मैं तुम्हारी कसम खाता हूँ.."

ऋतु ने बताना शुरू किया. "कल रात जब जीज चले गये तब दीदी ने कहा- "मैं आज ऋतु के साथ सो साऊँगी.."
इसलिए शिल्पा मम्मी के रूम में सो गई, मैं और दीदी दसरे रूम में सो गये। मैं दीदी से काफी फ्रैंक हैं। दीदी
और में एक दूसरे से सब तरह की बातें शेयर करती हैं। पहले तो दीदी अपनी ही बातें करती रही।

फिर दीदी ने मुझसे कहा- "ऋतु तेरी बाड़ी में एकदम से चेंज आ गया है। मैंने ये बात तभी नोटिस कर ली थी जब तू मेरे घर आई थी। पर वहां मुझे बात करने का मौका नहीं मिला। अब बता क्या कर रही है आजकल?"

मैंने ऋतु से कहा- "फिर तुमने क्या कहा?"

ऋतु बोली- "ना जानें क्यों में दीदी से कुछ छुपा नहीं पाई, और मैंने दीदी को सब बता दिया की कैसे मैं आपसे मिली और फिर क्या-क्या हुआ?"

मैंने कहा- फिर अनु ने क्या कहा?"

ऋतु- "दीदी ने कहा की ये सब मेरी बजह मा है। मेरी शादी के लिए अगर मम्मी ने लोन ना लिया होता तो तुम्हारे साथ ये सब नहीं होता। मेरी बजह से तुम्हारी लाइफ बर्बाद हो गई."

मैंने थोड़ा अपने को संभालते हुए कहा- "फिर तुमने क्या कहा?"

ऋतु- "मैंने कहा की नहीं दीदी ऐसा कुछ नहीं है। वो बड़े अच्छे इंसान हैं। उन्होंने मुझे पाने के लिए जो कुछ भी किया बेशक वो देखने में गलत लगता हो। पर वो मुझे जिस तरह प्यार करते हैं, शायद मेरा पति भी नहीं करता....

ये सुनकर दीदी ने मुझसे हैरान होकर पूछा "इसका मतलब तू इस बात से खुश है?"
-
मैंने कहा- "हौं। मैं उनसे बहुत खुश हैं। शायद मुझे अपनी लाइफ में उनसे बढ़कर कोई मिल भी नहीं सकता था.." और ऋतु मुझे बड़े प्यार से देखने लगी।

मैंने कहा- बस यही बातें करती रही रात भर या कोई और बात भी हुई?
 
Back
Top