Kamukta kahani कीमत वसूल - Page 10 - SexBaba
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Kamukta kahani कीमत वसूल

ऋतु बोली- "और भी बहुत बातें हुईं अभी मैं आपको सब बता रही है रुकिये तो..."

उसके बाद दीदी ने मुझसे पूछा- "तुझे सेक्स में मजा आता है या मजकी समझ के करती है?"

मैंने कहा- "पहली बार तो इतना दर्द हुआ था की लगने लगा था जैसे मर जाऊँगी। पर अब मजा आता है..."

दीदी हँसते हए बोली- "पागल पहली बार तो सबको दर्द होता है। पर मजा लेने के लिए थोड़ा सा दर्द तो सहना ही पड़ता है.." फिर दीदी ने मुझसे पूछा- "आपका लण्ड कितना बड़ा है?"

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मैंने उनको जब बताया तो एकदम से उनके चेहरा के भाव बदल गये थे। ऐसा लग रहा था जैसे की उन्हें मुझसे जलन होने लगी हो। फिर अन् दीदी के मुंह से निकला- "हाय राम... इतना बड़ा लण्ड... काश मुझे भी मिलता.."

मैंने दीदी से कहा- "जीजू का छोटा है क्या?"

दीदी ने कहा- "नहीं। इतना छोटा भी नहीं है पर तेरे वाले का साइज इनसे बड़ा है। पर मुझे तो जो मिलना था मिल गया अब क्या होना है?" फिर दीदी ने मुझ से पूछा- "वो तुझं रोज चोदता है या कभी-कभी?"

तब मैंने बता दिया- "मुझं रोज ही चोदते हैं, और कई बार तो दो-दो बार भी हो जाता है, और हम तो अब नई नई स्टाइल में सेक्स का मजा लेते हैं...' कहकर ऋतु ने मुझे शरारत से देखा।

में भी मुश्कुरा पड़ा। मुझे अब्ब मजा आने लगा था। क्योंकी ऋतु अब सब बात बिना शर्माये बता रही थी। मैंने कहा- "फिर उनका क्या रिएक्सन था?"

दीदी ने ये सुनकर आइ: भरी और बोली. "हम तो सिर्फ अपनी टांगों को फैलाकर पड़ जाते हैं, और वो अपना काम निकालकर मुँह फेर के सो जाते हैं। मैं सारी-सारी रात आग में झुलसती रहती हैं, उनको कुछ खबर ही नहीं होती..."

मैंने ऋतु में कहा- "अनु से तुमने ये नहीं पूछा की वो लोग ओरल सेक्स करते है या नहीं?"

ऋतु बोली- "मैंने पूछा था पर वो बोली की जीज सीधा चुदाई करने लग जाते हैं और कुछ नहीं करते। अगर मैं कहूँ भी तो मेरी बात टाल देते हैं। जीजू दीदी की सिर्फ उसी चीज को ही काम में लेते हैं, बाकी उनको कुछ नहीं करना होता...

मैंने कहा- उसी चीज का मतलब?

ऋतु ने शर्माते हए कहा- "जाओ मैं आपसे बात नहीं कर रही। आप मेरे मुँह से क्या-क्या बुलवा रहे हो?"

मैंने कहा- "अच्छा-अच्छा मैं समझ गया। तुम आगे बताओं और क्या कहा अनु ने?"

ऋतु बोली- "फिर मैंने और दीदी ने एक दूसरे की चूचिया दबाड़ और एक दूसरे की...."

मैंने कहा- "साफ-साफ बताओ ना?"

ऋतु बोली- "आप समझ जाओ ना."

मैंने कहा- "मुझे समझ में नहीं आया, तुम साफ बता दो। अब सब बता दिया फिर क्यों शर्मा रही हो?"

ऋतु ने कहा- "हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को चाटा..."

मैंने कहा- अन् को मजा आया?
 
मैंने कहा- "मुझे समझ में नहीं आया, तुम साफ बता दो। अब सब बता दिया फिर क्यों शर्मा रही हो?"

ऋतु ने कहा- "हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को चाटा..."

मैंने कहा- अन् को मजा आया?

ऋतु ने कहा- "वो तो पागल हो गई थी, बोली की मैंने आज तक इतना सुख कभी नहीं पाया, जितना तूने मुझे दिया है। और आपको पता है मैंने जब दीदी से कहा की मैं तो कुछ भी नहीं करना जानती जितना बो (मेरे लिए) जानते हैं। वो जब मेरी चूत को चाटते हैं तो ऐसा लगता है जैसे मैं स्वर्ग में आ गई हैं.." कहते-कहते उसने अपनी निगाहों को मुझसे चुरा लिया।

मैंने कहा- "तुमने मुझे तो ये बात कभी नहीं बताई की मैं जब तुम्हारी चूत चाटता हूँ, तुम स्वर्ग में चली जाती हो."

ऋतु बोली- "आपको क्या बताऊँ मैं... आपको खुद पता चलना चाहिए..."

मैंने कहा- "हाँ, ये तो मेरी कमी है। चलो अब पता चल गया..." और मैं उसको बोला- "अब मैं तुमको इससे भी ज्यादा मजा दूंगा.."

फिर मैंने कहा- "तुम्हारी दीदी ने फिर क्या कहा?"

ऋतु बोली- "उन्होंने कहा तो कुछ भी नहीं पर आपकी बातें मुझसे सुन-सुनकर उनको कुछ हो जाता था."

मैंने ऋतु से कहा- "ऋतु एक काम करोगी?"

ऋतु ने पूछा- क्या?

मैंने कहा- "आज रात को तुम अपनी दीदी के साथ जब बात करो, तब अपने मोबाइल में रेकार्ड कर लेजा। पर ये बात अनु को पता नहीं चलनी चाहिए की बातें रेकार्ड हो रही हैं.."

ऋतु मेरी बात सुनकर बोली- "सर, ये ठीक नहीं है, मैं ऐसा नहीं करूँगी। दीदी मुझे अपना समझकर मेरे से बात करती हैं, मैं उनको धोखा नहीं दे सकती."

मैंने ऋतु से कहा- "तुम मुझसे ऐसी बात कर रही हो? मैं क्या गैर हैं? मैं तो ये देखना चाहता हूँ की तुम लोग कैसी बात करते हो। मुझे आज तुमने जो बातें बताई हैं, उनको सुनकर ही इतना उत्तेजित हो गया है और जब मैं तुम लोगों की असली आवाज में बातचीत सुनूँगा, तो उसमें कितना मजा आएगा?"

ऋतु बोली- "नहीं सर। में आपको जो भी बात होगी सब आकर बता दूँगी । पर प्लीज... आप मुझे ये सब करने को मत कहिए..."

मैंने ऋतु को एमोशनल ब्लैकमेल करते हुए कहा- "मैं तुमको अपनी बाइफ समझता हैं, और तुम मेरी इतनी छोटी सी बात नहीं मान सकती। तम्हारी इस बात से मझे लग रहा है की तम मुझे अपना हब्बी नहीं मानती। अगर मानती होती तो अपने हब्बी के लिए इतना भी नहीं करती?" मेरा तीर सही निशाने पर लगा।

ऋतु ने हथियार डाल दिए और बोली- "मैं आपकी बात मानकर जैसा आप कहोगे वैसा करेंगी। पर आप कभी ऐसा नहीं कहना..."

मैंने कहा- "अपने मोबाइल की रेकार्डिंग जरा चेक करवाओं मुझे?"

फिर मैंने उसके मोबाइल मैं अपनी आवाज की काई करी और सुनी। मस्त साफ आवाज थी। मैं खुश हो गया। मैंने मन में सोचा मोबाइल की कीमत डबल हो गई।

मैने ऋतु को कहा. "अब तुम जाओ। तुम आराम करोगी तभी रात को बातें करोगी..'

ऋतु चली गई।
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अगले दिन सुबह जब मेरी नींद खुली तो सबसे पहले दिमाग में यही बात आईकी ऋतु में रंकाई की होगी या नहीं? अगर की होगी तो क्या होगा? और फिर इतने में आफिस जाने का टाइम हो गया। मैं जल्दी से आफिस चला गया।

ऋतु अभी तक नहीं आई थी में उसका इंतजार करने लगा। ऋतु को देखकर मुझं चैन मिला।

मैंने उसको अपने केबिन में आते ही पीछे से पकड़ लिया, और उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ से दबाता हुआ बोला- "मेरी जान आज बड़ी प्यारी लग रही हो.." और उसकी गाण्ड से रगड़ खाकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया तो मैंने उसको कहा- "पहले ये बताओं वो काम हुआ या नहीं?"

ऋतु ने अपना मुँह बनाते हुए कहा- "सारी कल मेरी दीदी से बात ही नहीं हो पाई.."

मैंने कहा- क्यों?

उसने कहा- "कल शिल्पा भौहमारे पास सोने की जिद करने लगी। उसके सामनें कैसे बातें होती?"

मैं अपना मन मसोसकर रह गया। मैंने कहा- "मुझे पता था कोई ना कोई गड़बड़ जरूर होगी..."

ऋतु ने मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा और कहा- "कोई बात नहीं। आपको वैसे भी सिर्फ सुनकर मजा ही तो लेना
था, वो तो आपको वैसे ही आ रहा है.."

मैंने कहा- कहां आ रहा है?

ऋतु ने मेरे लौड़े को पकड़ते हुए कहा- "इतनी देर में ये मुझे चुभ रहा है इसलिए."

मैंने कहा- "वो तो तुम्हारी गाण्ड की गर्मी से हो गया.." फिर मैंने कहा- "अब मैं तुम्हें कोई काम नहीं कहंगा."

ऋतु ने जब मैरा मूड खराब होते देखा तो ऋतु जोर से हँसने लगी और बोली- "मैं तो आपको बना रही थी..

मैंने कहा- क्या मतलब?

उसने कहा- आपका काम हो गया है।

मैंने खुशी से उसको चूमकर कहा- "सच?"

उसने कहा- "लीजिए सुन लीजिए.."

मैंने उसका सेल लिया और रेकार्डिंग की फाइल को प्ले किया और सुनने लगा।

एकदम से ऋतु में कहा- "जरा रुकिये."

मैंने बंद कर दिया।

ऋतु बोली- "आप इसको सुन लीजिए। मैं बाकी काम निपटाकर आती हूँ.."

मैंने कहा- "बाद में कर लेना..."

ऋतु ने कहा- "इसको सुनने के बाद आप मुझे कोई काम नहीं करने दोगे..."
 
ऋतु बोली- "आप इसको सुन लीजिए। मैं बाकी काम निपटाकर आती हूँ.."

मैंने कहा- "बाद में कर लेना..."

ऋतु ने कहा- "इसको सुनने के बाद आप मुझे कोई काम नहीं करने दोगे..."

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मैं समझ गया की इसमें सब लण्ड खड़ा करने वाली बातें हैं। मैंने कहा- “चलो तुम काम निपटाकर आओ मैं सुनता हूँ..” मैंने फिर से प्ले किया पर सुनकर यकीन नहीं हो रहा था मुझे अगर ऋतु की आवाज की पहचान नहीं होती तो मैं इस रेकार्डिंग को नकली ही समझता। बातचीत कुछ इस तरह थी। आप लोग यकीन माना या ना मानो, मैंने स्टोरी के इस पार्ट को लिखने से पहले आज वो कार्डि फिर से सनी, और अल्लमोस्ट मैं सेम लिख रहा है।

अन्- और आज आफिस में कैसा रहा?

ऋतु- जैसा रोज होता है।

अनु- आज कुछ हुआ नहीं क्या, या मोका नहीं मिला?

ऋत्- क्या दीदी आप भी ना... हर टाइम सिर्फ सेक्स के बारे में सोचती रहती हो।

अनु- अरे मुझसे क्या छुपा रही है, बता ना आज तुम लोगों ने सेक्स किया?

ऋतु- नहीं दीदी, मैं आज बहुत थकी थी फिर उनको भी लग रहा था की मैं थकी है। इसलिए आज कुछ नहीं हुआ बस किस ही किया उन्होंने।

अनु- इसका मतलब बो तेरी फीलिंग को देखकर सेक्स करता है?

ऋतु. ही दीदी सच में वो बड़े अच्छे हैं। उनको मेरी छोटी से छोटी प्राबलम भी अपनी लगती है। सच में वो मझे बड़ा प्यार करते हैं।

अनु- मैं तो आज सोच रही थी की तो से मजेदार किस्सा सुनेंगी। तनें तो सच मजा ही खराब कर दिया। चल में बता बो तुझें सेक्स करने से पहले क्या-क्या करता है। पर सब साफ-साफ बोलियो उसमें मजा आता है।

ऋतु- यार दीदी आपको भी ना... चलो मैं आपको सब साफ-साफ ही बताती हैं। सबसे पहले वो मुझे पूरा नंगी करते हैं, फिर वो मेरी एक चूची को चूसते हैं, और दूसरी का निप्पल मसलते हैं। फिर उनका हाथ मेरी गाण्ड पर आ जाता है। वो मेरी गाण्ड को कस-कस के मसलते हैं। मैं उनका लण्ड पकड़कर हिलाती रहती हैं फिर बो मेरी चूत में अपनी उंगली डाल देते हैं। उनकी उंगली पता नहीं क्या करती है की मेरी चूत गीली हो जाती है। वो मेरे दाने को मसलते हैं तो अहह..." साथ में अन् की भी आह्ह... निकलती है।

अन्- हाँ यार सच में... अगर कोई दसरा मेरे दाने को रगड़े तो मजा आ जाए। पर वो तो मेरी चूत को देखते भी नहीं।

ऋतु- दीदी आप उनसे कभी कहो ना की आपको ये सब अच्छा लगता है।

अनु- उहह... क्या कहूँ उनका एक ही डायलाग होता है की 'अनु मुझे सुबह जल्दी उठना है टाइम मत खराब करो जल्दी से पैंटी उतारी और बस ना किस ना चूची दबाते हैं। मेरा इतना मन करता है की वो मेरी चूचियों को मसल दें, और अपने मुँह में लेकर चूसें। पर कुछ भी नहीं करते। बस लण्ड को चूत में डालकर धक्के मारते हैं, दो-चार मिनट में झड़कर बोलते हैं- गुड नाइट..."

ऋतु- "दीदी, आप उनको बायफ्रेंड दिखाओ। हो सकता है उसे देखकर उनका मइ चेंज हो जाए.."

अनु रुचांसी आवाज में. "अरे यार मैं सब ट्राई कर चुकी हैं। वो बायफ्रेंड देखकर भी कुछ नहीं करते। उनका दिमाग सिर्फ अपना पानी निकालने में रहता है। दूसरे के एमोशन्स की कोई परवाह नहीं। अब में अगर ज्यादा कुछ बोलूगी तो पता है उनके दिमाग में यें आएगा की मैं उनसे खुश नहीं हो पाती, और कहीं वो मुझे गलत समझ बैठे तो पता नहीं क्या होगा? हौँ फिर त बता ना... तेरी चत पनिया जाती हैं फिर?"

ऋतु- हाँ फिर में उनका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसती हैं, उनके लण्ड से हमेशा स्वीट सी महक आती है। मन करता है चूसती ही रहा

अन्- "किस टाइप की महक समझी नहीं मैं?" मैंने पहले भी लिखा हैं मैं अपने लण्ड पर डी.ओ. लगाता हैं।

ऋतु- अब मैं आपको कैसे समझाऊँ? जैसे की भीनी-भीनी खुशबू आती है।

अनु- फिर वो तेरी चूत कब चाटता है? उसका लण्ड जब तैयार हो गया तो वो चूत में नहीं डालता क्या?
 
ऋतु- दीदी नही तो खासियत है उनकी। वो बड़े धैर्य वाले हैं। पहले मैं उनका लौड़ा चूसती है, उसके बाद वो मेरी चत को बड़ी मस्ती से चाटकर तैयार करते हैं। पता है मैं तो उनका लण्ड डालने से पहले ही झड़ जाती हैं। उनकी जीभ भी उनके लण्ड की तरह है।

अन्- हे में तो सुन-सुन केही पनिया गई। अच्छा फिर उसके बाद?

ऋतु- वो मेरी चूत को चाटकर गीली कर देते हैं उसके बाद मुझे फिर से अपना लौड़ा चुसवाते हैं। फिर वो मेरी चूत में अपना लौड़ा डालते हैं, और लौड़ा डालकर रुक जाते हैं। मेरी हालत खराब हो रही होती है।

फिर मुझे कहेंगे. "बताओ चुदना है?"

मैं कहती हूँ- "हो...

फिर कहेंगे- "मैंह से बोलो.."

और जब तक मैं ना कहूँ की- "प्लीज मुझे चोदो." तब तक धक्के नहीं मारते।

अनु- इस बात का क्या मतलब हुआ?

ऋतु- अरे बाबा वो मुझे इतना गरम कर देते हैं अपनी हरकतों से की मैं उनको खुद कहने को मजबूर हो जाती हैं, और उसके बाद तो बस उनकी स्पीड हाईईई... वो जब तक 8-10 मिनट तक धक्के ना मारें उनका झड़ता ही नहीं।

अन् की चौंकाने वाली आवाज- "क्याउ:58-10 मिनट?"

ऋतु- ही दीदी इससे कम कभी नहीं लगता।

अनु- तुझ टाइम का आइडिया नहीं है, तू गलत सोच रही है।

ऋतु-दीदी मैं भी पही सोचती थी। पर मैंने जब टाइम चेक किया तब मैं मान गई।

अनु- है राम... आदमी है या घोड़ा? होहोहोही.." और हँसती है।

ऋतु- हाँ दीदी, यही समझ लो वो घोड़े जैसे हैं। मुझे जब घोड़ी बनाते हैं तो मुझे ऐसा लगता है मैं सच में घोड़ी

अनु- "अच्छा-अच्छा में बता वो तुझं आगे से ही चोदता है या कभी पीछे से भी कहता है हम्म्म्म
.."

ऋतु- पीछे से मतलब डागी स्टाइल में?

अन्- अरे यार गाण्ड में... तु भी पागल है।

ऋतु- "तो इसमें क्या बात है? मैने कई बार पीछे भी डलवाया है आप लोग करते हो या... ...."

अन्- "ओहह... त कैसे करवाती है? मैंने तो सुना है उसमें गाण्ड फट जाती है, बड़ा दर्द होता है। मैंने तो कभी ट्राई किया ही नहीं, बस सुना है..."

ऋतु- "दीदी, मैंने भी सुना था और मैंने जब पहली बार उनसे गाण्ड मरवाई तो मुझे भी डर लग रहा था। पर वो सच में जो भी करते हैं, उसमें मजा आता है।

अनु- अच्छा ये बता वो गाण्ड मारने से पहले क्या करता है? कीम तो लगाता ही होगा?
 
अन्- "ओहह... त कैसे करवाती है? मैंने तो सुना है उसमें गाण्ड फट जाती है, बड़ा दर्द होता है। मैंने तो कभी ट्राई किया ही नहीं, बस सुना है..."

ऋतु- "दीदी, मैंने भी सुना था और मैंने जब पहली बार उनसे गाण्ड मरवाई तो मुझे भी डर लग रहा था। पर वो सच में जो भी करते हैं, उसमें मजा आता है।

अनु- अच्छा ये बता वो गाण्ड मारने से पहले क्या करता है? कीम तो लगाता ही होगा?

ऋतु- "वो तो लगानी ही पड़ती है। पर जब वो अपनी उंगली से लगाते हैं तब बड़ा मजा आता है। गाण्ड में सुरसुरी हो जाती है...

अनु- हाय रे कितना अजीब लगता होगा गाण्ड में उंगली इलवाना? और उसको कुछ गंदा नहीं लगता उंगली करने में

ऋतु- नहीं वो बड़े ही प्यार से उंगली डाल-डाल के गाण्ड को बिल्कुल मुलायम कर देते हैं।

अनु- पर गाण्ड तो बो निरोध लगाकर ही मारत होगा?

ऋतु- नहीं दीदी, बो कभी निराध इस्तेमाल नहीं करते। आज तक कभी नहीं किया।

अनु- पर जब गाण्ड मारने में उसके लौड़े पे शिट लग जाती होगी तो उसको घिन नहीं आती क्या?

ऋतु. "दीदी आप भी ना पता नहीं क्या-क्या बोलती हो? अरे बाबा कहा ना वो इन सब बातों से नहीं घबराते। मैंने उनको कहा था एक बार तो वो बोलें- "मैं अपने नंगे लण्ड से ही चोदूँगा' जब उनको अच्छा लगता है तो मैं क्यों मना करंग?"

अनु- चल यार, आज तेरे से सुना है मैंने की लोग बिना निराध के भी कर लेते हैं। पर एक बात बता बायफ्रेंड में जो गाण्ड मारते हैं, उनका लण्ड कभी नहीं गंदा होता। वो क्या करते होंगे?"

ऋत्- "मैंने भी इनसे पूछा था, तो उन्होंने बताया था की वो औरतें पहले एनीमा करवाती हैं। इसलिए उनकी गाण्ड साफ रहती है। पर उसमें आदमी को मजा नहीं आता। अगर गाण्ड का असली मजा लेना है तो ऐसे ही गाण्ड मारनी चाहिए, उसी में मजा आता है."

अनु- बड़ा ही तजुर्बे वाला लगता है।

ऋतु- हाँ दीदी मुझे उन्होंने खुद ही बताया था की वो सैकड़ों चूत मार चुके हैं। अब इतनी चूत मारने वाले का तजुर्बा तो होगा ही।

अनु- हाँ ये भी है। पर अगर वो सच बोल रहा है तो वाकई जो भी उससे चुदी होंगी, सब उसको याद करती होंगी।

ऋतु. "जैसे मैं याद कर रही हूँ हेहेहेहे.."

अनु- "हेहेहेहे..

ऋतु- दीदी, मैं तो उनको अब किसी काम के लिए मना नहीं करती। मझे पता है ये जो भी नया करेंगे बा मस्त ही होगा।

अनु- काश हम भी मजा ले सकते ऐसे लण्ड से? हमें तो एक जैसा खाना खाने की सजा मिली है।

ऋतु- दीदी एक बात बताओ, अगर आपको मौका मिले तो आप क्या करोगी?

अनु- "अरे यार मुझे अगर ऐसा मोके मिला तो मैं उसके लण्ड को अपनी चूत में डालकर पूरा दिन निकालने ही नहीं दूंगी हेहेहेहे.."

ऋतु- "हेहेहेहे... दीदी अगर आपको सूम आ गया तो कैसे करोगी? हेहेहेहे.."

अनु- "उसके लण्ड पा कर दूँगी हेहेहेहे.."

फिर ऋतु की आवाज़ आती है- "दीदी आप कब से कर रही हो?"

अनु- हाईई इतनी मस्त बातें सुन-सुनकर रुका जाता है क्या?

ऋतु- आप भी बड़ी चंट हो, चुपचाप अपना काम कर लिया।
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अनु- अरे यार क्या काम कर लिया? इससे तो और आग लग रही देख जरा।
 
एक मिनट के बाद।

ऋतु- हाय रे दीदी.. आपनें कितना पानी छोड़ा हुआ है?

अनु- ऋतु प्लीज... आज जरा मुझं वैसे ही मजा दें, जैसे समीर तुझे देता है। उसके जैसे चाटकर दिखा तो सही।

ऋतु- मुझे क्या पता वो कैसे करते हैं?

अनु- तू जब चटवाती है तो पता नहीं चलता होगा?

ऋतु- मुझे होश कहा होता है?

अन्- चल फिर भी जितना पता है उतना तो कर।

इसके बाद अनु की मस्त सिसकियां चलती रहती हैं।

अनु- हायइंडई... आह्ह... बस्स ऐसे ही कर आईई... जुल्मी उईईई... आआआ.."

मैंने स्टाप कर दिया। मैंने जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा था उस रेकार्डिंग में मेरे लिए। मैं रेकॉडिंग सुनकर अपने लौड़े को कंट्रोल में नहीं रख पाया।

मैंने ऋतु को बुलाया और कहा- "अब्ब कोई काम नहीं करना, बस मेरे लण्ड को ठंडा कर दो."

ऋतु ने कहा- "मुझे पहले ही पता था."

मैंने कहा- "कैसे पता था?"

ऋतु बोली- "मैंने सुबह रेकार्डिंग चेक करने के लिए सुनी थी.."

मैंने ऋतु को अपनी ओर खींच लिया और कहा- "चलो जल्दी से अपनी सलवार खोलो। मुझे तम्हारी चत का रस पीना है.
ऋत् ने कहा- इतने जोश में आज आपको देखकर कुछ-कुछ हो रहा है।
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मैंने कहा- जल्दी करो, नहीं तो सलवार फाड़ दूँगा।

ऋतु में जल्दी से अपनी सलवार उतारी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को अपने मुँह में दबा लिया। ऋतु की मस्ती में सिसकी निकल गई- उईई... इस्स्स्स ... आहह..” मैंने उसकी चूत को अपने दांतों से कसकर दबा रखा था, जैसे कोई लेंग-पीस हो, और फिर मुझ ऋतु की चूत के पानी का टेस्ट मिलने लगा। उसकी चूत में पानी छोड़ दिया था। मैंने बिना रुके उसकी पैंटी उतार दी और उसको सोफे पर लिटा दिया। उसके मैंह पर अपना लण्ड रखते हुए उसकी चूत पर झुक गया।

जैसे ही मैंने उसकी चूत में अपना मुंह लगाया उसकी फिर से सिसकी जिकली. आहहह। मैंने उसकी चूत की फांकों में अपनी जीभ सा दी। ऋतु भी कहां होश में थी, उसने मेरा लौड़ा झट से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अब हम दोनों 69 पाज में थे। मैंने अपनी जीभ का और घुसा दिया। अब तो ऋतु को जैसे कुछ होने लगा हो। वो मेरे लण्ड को अपने मुह में ऐसे चूसने लगी जैसे बकरी का बच्चा बकरी का धन चूसता है।

च-बीच में उसकी चूत का दाना भी अपने हाथ से रगड़ देता था, जिससे उसका मजा दोगुना हो जाता था। फिर मैंने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ ऐसे फिरानी शुरू की जैसे कोई बिल्ली मलाई चाट रही हो। मेरा पूरा चेहरा ऋतु के पानी से चिपचिपा हो गया था। ऋतु की सिसकियां मुझे अब और तंज सुनाई देने लगी।

ऋतु- "उहह ... आह्ह... ओहह ... हाईईई... आआआ.."

मैं समझ गया इसको अब पूरा मजा मिल गया है। मेरे लण्ड का भी कुछ यही हाल था। मैंने उसके मुँह में अपना लण्ड काफी अंदर तक घुसेड़ दिया। इस पोज में उसका मुँह मेरे लण्ड की सीध में था। मुझे अपना लण्ड उसके गले में जाता महसूस हो रहा था। पर ऋतु बिना किसी पर शनी के गले तक लण्ड ले रही थी, और जब मेरा झड़ा तो सीधा उसके गले में जाकर झड़ा। फिर में ऋतु के मुँह में ही डालकर पड़ा रहा। वा उसको चूमती चाटती रही।

जब उसने मेरे लण्ड को चाट चाटकर परा साफ कर लिया तो बोली- "अब तो उठ जाइए."

मैंने कहा- अब बताओं चुसाई में मजा आया?

ऋतु ने मुझे चिढ़ते हुए कहा- "नहीं.."

मैंने कहा- "चलो फिर से चाट देता हैं."

ऋतु बोली- "नहीं जी अब हिम्मत नहीं है मुझमें। आपको क्या पता मेरी टाँगें काँप रही हैं। मुझे अभी तक अपनी चूत फा आपकी जीभ महसूस रही है.."

मैंने हँसते हुए कहा- "तुमने अनु को कल जब चाटा तब उसका क्या हाल था?"

ऋतु बोली- "वो तो मस्ती में पता नहीं क्या-क्या बोल रही थी?"

मैंने कहा- "तुम अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ?"

ऋतु ने कहा- "मैं आपकी किसी बात का बुरा नहीं मानेंगी, आप कहो..."

मैंने कहा- "मैं तुम्हारी बहन की चूत भी एक बार चाटकर देखना चाहता हैं..."

सुनते ही ऋतु बोली- "उधर वो आपकी बातें करती है, और इधर आप उनकी। लगता है आप दोनों को एक बार मिलवाना पड़ेगा..."

मैं इस बात को सुनते ही खुशी से ऋतु का अपनी बाहों में लेकर उसकी चची मसलते हए बोला- "सच तुम ऐसा कर सकती हो क्या?"

ऋतु बोली- "मैं क्यों कर? मुझे क्या आप दोनों से कुछ मिलना है, जो में ऐसा कर?"

मैंने कहा- "अभी तो तुमनें कहा था.."

ऋतु बोली- "वो तो मेरे मुँह से निकाल गया..."
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मैंने कहा- प्लीज एक बार मिलवा दो ना?

ऋतु ने कहा- "आपको मिलवा दिया तो आप उनके पीछे पड़ जाओगे। फिर मेरे लिए आपके पास टाइम ही नहीं होगा। ना बाबा ना... मैं नहीं करूंगी..."
 
मैंने कहा- प्लीज एक बार मिलवा दो ना?

ऋतु ने कहा- "आपको मिलवा दिया तो आप उनके पीछे पड़ जाओगे। फिर मेरे लिए आपके पास टाइम ही नहीं होगा। ना बाबा ना... मैं नहीं करूंगी..."

मैंने उसको कहा- "वो तो यहां से 5-7 दिन में चली जायेगी। तुम तो मेरी लाइफ में हमेशा रहोगी। तुम मेरे लिए इतना भी नहीं करोगी?"

अतु ने कहा- "मुझे क्या मिलेगा? मैं क्यों करंग ये काम?"

मैंने उसको कहा. "तुम जो माँगोगी मैं तुमको दूंगा.."

सुनते ही ऋतु ने कहा- "ओके... मैं आपका काम कर दूंगी। पर मैं जो कहूँगी आपको करना पड़ेगा..."

मैंने कहा- "पक्का... तुम जो कहोगी मैं वो करूंगा."

ऋतु ने कहा- "इसके लिए आपको मेरे घर आना होगा। मैं आपको कहीं बाहर चलने को कहूँगी। दीदी को मना कर साथ ले चलेंगे। इसी बहाने उनसे आपकी बात बन जाएगी."

मैंने कहा- "ठीक है। मैं कब आऊँ?"

ऋतु ने कहा- आज ही आ जाइए।

मैंने कहा- मैं किस बहाने से आऊँगा?

ऋतु ने कहा- आप उनके बेबी को देखने के बहानें आ जाना।

मैंने कहा- अबें ही यार ये आइडिया सही है।

शाम को करीब 7:00 बजे ऋतु का फोन आया- "आपके काम की शुरुवात मैंने कर दी है। आप मेरे घर आ जाओ। मैं आपकी दीदी से मीटिंग करवाती हैं..."

मैंने कहा- "मैं आता है." कहकर में जल्दी से तैयार हआ और ऋतु के घर पहुँच गया।

वहां जाते ही ऋतु की स्माइल से मैं समझ गया की उसने कोई चाल चलकर काम बना दिया है। मैं जैसे ही रूम में एंटर हुआ, साफ पर अन् बैठी थी। उसकी गोद में उसका बेबी था।

आनु मुझे देखते ही बोली- "आइए सर, नमस्ते.."

मैंने भी उसको स्माइल देते हुए कहा- "नमस्ते.."

शोभा बोली- "आइए सर बैंठिए..."

मैंने कहा- "मुझं ऋतु ने बताया की आप आई हुई हैं, तो मैंने सोचा मैं आपके बेबी को देख आऊँ.."

इतने में शोभा में अनु की गोद में बैबी को ले लिया और मेरे पास ले आई। मैंने उसको अपनी गोद में लिया
और देखकर कहा- "बड़ा प्यारा बेबी है." और मैंने अपनी जेब से ₹1000 का नोट निकाला और उसको दे दिया। मैंने इसको पहली बार उठाया है शगुन तो बनता है।

अनु और शोभा दोनों एक दूसरे को देखने लगी। अन् बोल पड़ी. "सर ये क्या? इतने सारे मत दीजिए..."
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मैंने मुश्कुरा के कहा- "मैंने बेबी को दिया है। आप कुछ ना बोलिए."

अनु बोली- "पर सर........"

मैंने उसको रोकते हुए कहा- "प्लीज आप कुछ नहीं कहेंगी..."

इतने में ऋतु बोली- "दीदी कोई बात नहीं रख लीजिए। बार-बार कहने से उनको बुरा लगेगा.."

अनु चुप हो गई। फिर मैंने देखा अनु मुझे अलग ही नजरों से देख रही है। फिर दुनियादारी की बातें होती रही।

मैंने कहा- "अच्छा अनु जी आपसे मिलकर बड़ा अच्छा लगा। आप तो अभी यहां है किसी दिन ऋतु के साथ मेरे घर आइए डिनर पर, मुझे बड़ी खुशी होगी... फिर मैंने कहा- "अच्छा मैं चलता है."
 
अनु बोली- "अरे आप अभी तो आए हैं, अभी जा रहे हैं। डिनर करके जाइए ना.."

मैंने कहा- नहीं नहीं थैक्स। मैं तो बिना बताए आ गया। आप परेशान नहीं होइए।

अनु समझ गई मुझे पता है की अभी डिनर की कोई तैयारी नहीं है। अनु ने ऋतु को देखा।

ऋतु ने कहा- चलिए आज कहीं बाहर डिनर कर के आते हैं।

मैंने कहा- "ओके... पर एक शर्त पर। डिनर मेरी तरफ से होगा..."

ऋतु बोली- "ऐसा कैसे हो सकता है? आप हमारे घर आए हैं, हम आपको लेकर जाएंगे."

मैंने ऋतु को कहा- "फिर मैं नहीं जाने वाला.."
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सुनकर ऋतु शरारत से बोली- "अच्छा सर, आपकी जैसी मज़ीं। वैसे भी आपके आगे किसी की चलती है क्या? सर हम 10 मिनट में तैयार हो जाएंगे। तब तक आप मम्मी से बात कीजिए.."

अनु, शिल्पा, मैं और ऋतु सब घर से निकले। मैं सबको अपनी पसंद के रेस्टोरेंट में ले गया।

वहां जाकर शिल्पा अनु से बोली- "अनु दीदी यहां का खाना बड़ा टेस्टी होता है..."

मैंने शिल्पा को देखा और उसको कहा- "तुम यहां पहले भी आई हो?"

शिल्पा बोली "नो सर, पहला टाइम आई हैं। वो तो मेरी दोस्तों ने बताया था इसलिए मैंने कहा.."

मैंने कहा- "चलो आज खुद ही टेस्ट करके देख लेना.."

हम सब अंदर जाकर बैठ गये। टेबल के इस साइड में अनु और शिल्पा थी। ऋतु और मैं दूसरी साइइ थे। मेरे सामनें अनु थी मैंने उसको पूछा- "डिनर से पहले क्या लेंगी आप?"

अनु बोली- "जो आप लेंगे.."

मैंने कहा- "मैं बियर पियूँगा। अगर आपको भी बियर पीनी है तो आईर कर..."

अनु ने कहा- "नहीं नहीं मैंने कभी नहीं पी."

मैंने मुश्कुराते हुए कहा "आप सूप पीजिए। मैं बियर पियूँगा तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा?"

अनु ने स्माइल देते हुए कहा- "नहीं आप लीजिए, मुझे कोई बुरा नहीं लगेगा.."

मैंने वेटर बुलाया और आईर दिया, 3 सूप और एक बियर का। 5 मिनट में आईर सर्व हो गया। मैंने अपने ग्लास को उठाते हुए सिप किया, और कहा- "आपको और क्या-क्या पसंद है?"

अनु ने कहा- "मुझे पहाड़ों पर जाना बहुत पसन्द है."

मैंने कहा- "आप नैनीताल गई हो?"

उसने बताया- नहीं।

मैंने कहा- "आप जब से यहां आई हो कहीं घुमने गई या नहीं?"

अनु ने कहा- "कैसे जाएं ऋतु जाब पर चली जाती हैं। शिल्पा कालेज। मम्मी और मैं घर पर ही टाइम पास कर लेते हैं। कहीं जाने का मौका ही नहीं मिलता...
 
मैंने कहा- "आप जब से यहां आई हो कहीं घुमने गई या नहीं?"

अनु ने कहा- "कैसे जाएं ऋतु जाब पर चली जाती हैं। शिल्पा कालेज। मम्मी और मैं घर पर ही टाइम पास कर लेते हैं। कहीं जाने का मौका ही नहीं मिलता...

मैंने कहा- "अगर आप कहो तो हम सब जैनीताल चलें एक दिन के लिए। पर आपका मूड हो तब मैं पायाम बनाऊँ..” कहकर मैंने अनु को देखा।

अनु ने हिचकते हुए कहा- "एक दिन में आना जाना मुश्किल हो जाता है, और मेरा बेबी अभी छोटा है। मुश्किल हो जाएगा... फिर बोली- "रहने दीजिए..."

मैंने कहा- "अरें इसमें क्या बात है? आप, मैं, ऋतु सब चलते हैं और मैंने शिल्पा से कहा- तुम भी चला..."

शिल्पा बोली "नहीं सर, मुझे तो कालेज में काम है। मैं नहीं जा सकती..."

ऋतु ने कहा- "दीदी चलो ना... बड़ा मजा आएगा, खूब मस्ती करेंगे वहां..."

अनु बोली- "मम्मी जाने देंगी तब ना?"

मैंने कहा- "आप उनकी चिंता मत करो। उनको मैं समझा लेंगा। बस आप ही करो..."

अनु बोली- "मेरी तो कोई मना नहीं है..."

मैंने कहा- फिर ठीक है। हम सब परसा चलते हैं, सथ ही अगले दिन ऑफिस भी आफ है। आराम भी हो जाएगा.."

ऋतु बोली. "सर इतनी दूर एक दिन में आना जाना हो जाएगा?"

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मैंने कहा- "हम सुबह जल्दी निकाल जाएंगे। रात तक आ जाएंगे, 4-5 घंटे वहां मस्ती हो जाएगी..."

ऋतु बोली- "ये ठीक है.."

इतने में डिनर लग गया। हम सब डिनर करने लगे। अत् बार-बार मेरी प्लेट से खाना खा रही थी।

अनु सब देख रही थी। जब अनु से रहा नहीं गया तो बोली- "आप दोनों तो एक प्लेट में ही खा लेते हैं....'

मैंने हँसते हुए कहा- "इसको चिड़िया की तरह चुग्गै मारने की आदत है.."

ऋतु शर्मा गई और अनु हँस पड़ी बोली- “यही तो प्यार होता है."

फिर डिनर के बाद हम वहां से निकले तो रास्ते में ऋतु बोली- "मुझं कुलफी खानी है."

मैंने कहा- "ओके खिलाता है..." और एक जगह कार रोकी और कुलफी का आईर दिया। 4 कुलफी कार में आ गई। ऋतु में जल्दी से अपनी कुलफी खा ली।

मैंने कहा- "और खानी हैं तो बोलो.."

ऋतु ने कहा- "नहीं खानी.." फिर एकदम से मेरी कुलफी लेकर खाने लगी।
 
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