hotaks444
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कुणाल उसके मोम्मे मसलता हुआ उसे जी भरकर चोदने लगा..
जब वो एक एंगल से थक गया तो उसने इन्द्राणी को घोड़ी बना उसे चोदना शुरू कर दिया
और जल्द ही उसके लंड का पानी इंद्राणी की छूट मे भरता चला गया....
इंद्राणी तो ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी...
कुणाल के लंड का गर्म पानी जब उसकी चूत की सिंकाई कर रहा था तो उसने कृतज्ञ भरी नज़रों से कामिनी की तरफ देखा, जैसे अपनी इस धमाकेदार चुदाई के लिए उसे थेंक्स कहना चाहती हो..
पर कामिनी को अब होश कहां था, वो अपने सारे कपडे उतार कर जल बिन मछली की तरह मचल रही थी
इतनी गर्म चुदाई देखकर उसकी चूत भी कुलबुला उठी थी...
और कुणाल के लंड पर उसे पूरा भरोसा था की वो अभी कुछ ही देर में फिर से खड़ा हो जाएगा....
और इस बार उसका इरादा अपनी गांड मरवाने का था...
जिसके लिए वो कल से सोच रही थी..
कामिनी ने अपनी उंगली का इशारा करके कुणाल को अपने करीब बुलाया...
वो किसी पालतू कुत्ते की तरह भागता हुआ उसके करीब आ गया, इंद्राणी को चोदने की वजह से उसकी साँसे अभी तक चढ़ी हुई थी.
कामिनी ने उसके मरे हुए से लंड की तरफ देखा, वो समझ गयी की उसे खड़ा होने में अभी करीब 20-30 मिनट लगेंगे... इसलिए उसने इशारा करके कुणाल को अपनी टाँगो के बीच बैठने को कहा...
कुणाल उसके सामने बैठ गया और कामिनी ने अपनी दोनो टांगे उसके कंधे पर रख दी और उसका सिर पकड़ कर अपनी शहद की शीशी पर लगा लिया...
''आआआआआआआआआआहह .चूऊऊऊऊऊऊऊऊसस इसे सालेएsssss....''
एक बार फिर से कामिनी पर गालियों वाली गंदी आदत हावी होने लगी..
ऐसा बर्ताव वो खुद के साथ करवाना चाहती थी और ऐसा ही वो दूसरे पर करके खुश भी थी...
दूर नंगी बैठी इंद्राणी भी मंत्री जी की बीबी के मुँह से ऐसी बाते सुनकर हैरान थी...
कुणाल से चूत चुस्वाते हुए वो रंडियो की तरह हरकतें कर रही थी जिससे सॉफ पता चल रहा था की अच्छे से काम करवाती आ रही है वो कुणाल से...
उसकी सर्वीसज़ को पूरा वसूल कर रही थी वो.
कुणाल भी खीर की कटोरी में मुँह डालकर काफ़ी खुश था...
आज तक उसने सस्ती रंडियो की काफ़ी बजाई थी...
और कामिनी को तो लगभग रोज ही चोदता था वो...
पर इन अमीर औरतों जैसी मिठास और खुश्बू से सराबोर बदन उसने आज तक नही भोगे थे..
कुणाल ने बड़ी बेदर्दी से कामिनी की क्लिट को मुँह में दबोच कर उसे चूस लिया,और जवाब मे उसे एक बार फिर से कामिनी मेडम की रस भरी गाली खाने को मिली..
कामिनी ने उसके बालों को बेदर्दी से पकड़ कर उसे पीछे धकेलते हुए कहा
''साले....भेंनचोद .....तेरी माँ की चूत है जो ऐसे बेदर्दी से निचोड़ रहा है....साले भड़वे ...जीभ से चूस बस...दाँत मत मार जंगली कुत्ते ....''
अपनी मालकिन की इस प्यार भरी झिड़की को सुनकर कुणाल भी मुस्कुरा दिया..
कामिनी ने उसके चेहरे को पकड़ कर इस बार अपनी गांड के छेद पर लगा दिया और बोली
''चल.....यहाँ चूस अब.....आज तेरे लंड को इस छेद में डलवाउंगी ....गांड मरवाउंगी आज तुझसे....उम्म्म्मममम''
कुणाल तो निहाल सा हो गया अपनी मालकिन के ये शब्द सुनकर...
उसने भी अपनी पूरी ईमानदारी दिखाते हुए जीभ को भिगो कर उसकी गांड के छल्ले में उतार दिया और उसे अच्छे से रंवा करने लगा..
जब वो एक एंगल से थक गया तो उसने इन्द्राणी को घोड़ी बना उसे चोदना शुरू कर दिया
और जल्द ही उसके लंड का पानी इंद्राणी की छूट मे भरता चला गया....
इंद्राणी तो ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी...
कुणाल के लंड का गर्म पानी जब उसकी चूत की सिंकाई कर रहा था तो उसने कृतज्ञ भरी नज़रों से कामिनी की तरफ देखा, जैसे अपनी इस धमाकेदार चुदाई के लिए उसे थेंक्स कहना चाहती हो..
पर कामिनी को अब होश कहां था, वो अपने सारे कपडे उतार कर जल बिन मछली की तरह मचल रही थी
इतनी गर्म चुदाई देखकर उसकी चूत भी कुलबुला उठी थी...
और कुणाल के लंड पर उसे पूरा भरोसा था की वो अभी कुछ ही देर में फिर से खड़ा हो जाएगा....
और इस बार उसका इरादा अपनी गांड मरवाने का था...
जिसके लिए वो कल से सोच रही थी..
कामिनी ने अपनी उंगली का इशारा करके कुणाल को अपने करीब बुलाया...
वो किसी पालतू कुत्ते की तरह भागता हुआ उसके करीब आ गया, इंद्राणी को चोदने की वजह से उसकी साँसे अभी तक चढ़ी हुई थी.
कामिनी ने उसके मरे हुए से लंड की तरफ देखा, वो समझ गयी की उसे खड़ा होने में अभी करीब 20-30 मिनट लगेंगे... इसलिए उसने इशारा करके कुणाल को अपनी टाँगो के बीच बैठने को कहा...
कुणाल उसके सामने बैठ गया और कामिनी ने अपनी दोनो टांगे उसके कंधे पर रख दी और उसका सिर पकड़ कर अपनी शहद की शीशी पर लगा लिया...
''आआआआआआआआआआहह .चूऊऊऊऊऊऊऊऊसस इसे सालेएsssss....''
एक बार फिर से कामिनी पर गालियों वाली गंदी आदत हावी होने लगी..
ऐसा बर्ताव वो खुद के साथ करवाना चाहती थी और ऐसा ही वो दूसरे पर करके खुश भी थी...
दूर नंगी बैठी इंद्राणी भी मंत्री जी की बीबी के मुँह से ऐसी बाते सुनकर हैरान थी...
कुणाल से चूत चुस्वाते हुए वो रंडियो की तरह हरकतें कर रही थी जिससे सॉफ पता चल रहा था की अच्छे से काम करवाती आ रही है वो कुणाल से...
उसकी सर्वीसज़ को पूरा वसूल कर रही थी वो.
कुणाल भी खीर की कटोरी में मुँह डालकर काफ़ी खुश था...
आज तक उसने सस्ती रंडियो की काफ़ी बजाई थी...
और कामिनी को तो लगभग रोज ही चोदता था वो...
पर इन अमीर औरतों जैसी मिठास और खुश्बू से सराबोर बदन उसने आज तक नही भोगे थे..
कुणाल ने बड़ी बेदर्दी से कामिनी की क्लिट को मुँह में दबोच कर उसे चूस लिया,और जवाब मे उसे एक बार फिर से कामिनी मेडम की रस भरी गाली खाने को मिली..
कामिनी ने उसके बालों को बेदर्दी से पकड़ कर उसे पीछे धकेलते हुए कहा
''साले....भेंनचोद .....तेरी माँ की चूत है जो ऐसे बेदर्दी से निचोड़ रहा है....साले भड़वे ...जीभ से चूस बस...दाँत मत मार जंगली कुत्ते ....''
अपनी मालकिन की इस प्यार भरी झिड़की को सुनकर कुणाल भी मुस्कुरा दिया..
कामिनी ने उसके चेहरे को पकड़ कर इस बार अपनी गांड के छेद पर लगा दिया और बोली
''चल.....यहाँ चूस अब.....आज तेरे लंड को इस छेद में डलवाउंगी ....गांड मरवाउंगी आज तुझसे....उम्म्म्मममम''
कुणाल तो निहाल सा हो गया अपनी मालकिन के ये शब्द सुनकर...
उसने भी अपनी पूरी ईमानदारी दिखाते हुए जीभ को भिगो कर उसकी गांड के छल्ले में उतार दिया और उसे अच्छे से रंवा करने लगा..