hotaks444
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दूसरी तरफ पायल की नज़रें जब विजय से मिली तो वो शरमा गयी...
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी...
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..
पर विजय तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था...
उसने पायल का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया...
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी....
उसने घबरा कर अपने पति कुणाल की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर कामिनी की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था...
कामिनी भी कुणाल को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..
विजय के लंड को पकड़ कर पायल को भी कुछ-2 होने लगा था...
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी...
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ विजय के लंड पर कसते चले गये.
पायल की आँखो में गुलाबीपन उतर आया...
उसकी साँसे तेज हो गयी...
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा...
होंठ फड़फड़ाने लगे...
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..
रह रहकर पायल तिरछी आँखे करके कुणाल को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी...
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी...
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था...
पायल की आँखे बंद होते देखकर कुणाल समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी...
अपनी ही बीबी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो कामिनी मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी...
विजय ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया...
हालाँकि इस वक़्त कुणाल भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की कुणाल तो कामिनी के लालच में कुछ भी नही बोलेगा...
और पायल तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी...
अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.
विजय का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड पायल के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा...
पायल तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी...
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी...
विजय भी अपनी बीबी कामिनी से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था...
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और कुणाल की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.
इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए कामिनी के बूब्स पर हाथ रख दिया...
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, विजय ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी
विजय के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है...
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था...
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था...
इसलिए उसने पायल के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया...
हालाँकि विजय के हाथ लगाने से पायल के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब विजय के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर विजय सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा...
विजय की इस हरकत से पायल बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी...
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे... और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद विजय के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी...
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..
पर विजय तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था...
उसने पायल का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया...
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी....
उसने घबरा कर अपने पति कुणाल की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर कामिनी की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था...
कामिनी भी कुणाल को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..
विजय के लंड को पकड़ कर पायल को भी कुछ-2 होने लगा था...
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी...
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ विजय के लंड पर कसते चले गये.
पायल की आँखो में गुलाबीपन उतर आया...
उसकी साँसे तेज हो गयी...
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा...
होंठ फड़फड़ाने लगे...
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..
रह रहकर पायल तिरछी आँखे करके कुणाल को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी...
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी...
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था...
पायल की आँखे बंद होते देखकर कुणाल समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी...
अपनी ही बीबी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो कामिनी मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी...
विजय ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया...
हालाँकि इस वक़्त कुणाल भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की कुणाल तो कामिनी के लालच में कुछ भी नही बोलेगा...
और पायल तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी...
अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.
विजय का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड पायल के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा...
पायल तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी...
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी...
विजय भी अपनी बीबी कामिनी से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था...
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और कुणाल की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.
इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए कामिनी के बूब्स पर हाथ रख दिया...
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, विजय ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी
विजय के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है...
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था...
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था...
इसलिए उसने पायल के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया...
हालाँकि विजय के हाथ लगाने से पायल के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब विजय के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर विजय सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा...
विजय की इस हरकत से पायल बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी...
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे... और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद विजय के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.