hotaks444
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उस रात हम मिल नहीं सके..रिस्तेदारो और लोगों के बीच घिरी थी पायल दीदी ....सब को जान ने की उत्सुकता थी , दीदी कैसी हैं ..ससुराल कैसा है..लोग कैसे हैं ....और पायल दीदी इन सब सवालों का जवाब देते देते तक कर सो गयीं ..मैने भी उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया ...अभी दो दिन उन्हें और रहना था ....
कहते है ना इंसान सोचता कुछ है , होता कुछ और ही है ......
दूसरे दिन सुबेह सुबेह ही जीजा जी पहून्च गये दीदी को लेने ....
" क्या जीजा जी ..दीदी को कुछ दिन तो हमारे साथ भी रहने दीजिए..अब तो वो आप के साथ पूरी जिंदगी रहने वाली हैं..?? "मैने उन से मज़ाक किया..
" अरे नहीं किशू ..ऐसी बात नहीं ....मैं तो खुद चाहता था के पायल यहाँ कुछ दिन और रहे ..उसके लिए भी चेंज हो जाएगा ..पर क्या करें मजबूरी है "
फिर उन्होने पूरी बात मुझे बताई.
जीजा जी ने बहुत से अमेरिकन यूनिवर्सिटीस में टीचिंग जॉब के लिए अप्लाइ कर रखा था ...वे केमिस्ट्री में पी एच.डी थे और अपने सहर के जाने माने कॉलेज में प्रोफेसर थे ..इतनी कम उम्र में ही उन्होने काफ़ी महारत हासिल कर ली थी ..
उनके अच्छे रेकॉर्ड्स और काबिलियत की वाज़ेह से एक प्रसिद्ध अमेरिकन यूनिवर्सिटी से उन्हें तीन साल का टीचिंग कांट्रॅक्ट मिल गया...इस मौके को वह गँवाना नहीं चाहते ....और ये खबर उन्हें कल ही मिली थी .
उन्हें जल्द से जल्द जाय्न करने को कहा गया था ...
पर अभी प्राब्लम था, पायल दीदी को भी वे साथ ले जाना चाहते थे..और उनका पासपोर्ट , वीसा वग़ैरह वग़ैरह भी करवाना था ..समय कम था ..इसलिए इन सब फॉरमॅलिटीस के लिए दीदी की ज़रूरत थी ....
अब मैं भी क्या करता ....बात तो बहुत खुशी की थी ... जीजा जी बहुत खुश थे..वे बार बार कहते नहीं थकते " देखो पायल के आते ही कितनी बड़ी बात हुई मेरे कैरियर में ..... "
सब खुश थे ..पर मेरा दिल फिर से रो रहा था ..पायल दीदी भी उपर से खुश थीं पर सिर्फ़ मैं और वो ही समझते थे हम पर क्या बीत रही थी ....
उनकी आँखों में दर्द , विवशता और एक गिल्ट की फिलिंग थी....
हम दोनों को कुछ देर अकेले बात करने का मौका मिला , दीदी की आँखों में आँसू थे
" किशू ..मुझे माफ़ कर देना भाय्या ..मैं तुम्हारी कर्ज़दार हूँ ....पर याद रखना मैं ये क़र्ज़ अदा करूँगी ...चाहे जैसे भी हो.....तू अपने को संभालना किशू .... पढ़ाई में मन लगाना .." और वे फफक फफक के रो पड़ीं ..
" दीदी आप चिंता मत करो....मैं बिल्कुल ठीक से रहूँगा ....आप खुशी खुशी जाओ..देखो ना जीजा जी कितने खुश हैं .....मैं वादा करता हूँ दीदी , आप का सर हमेशा उँचा रहेगा ..आप का किशू आप का इंतेज़ार करेगा ..."
और दस दिनों के अंदर ही मैने दीदी को फिर से दुबारा विदा किया ....पर इस बार एक लंबे समय के लिए ...
दीदी चली गयीं ....मैं फिर से अकेला था .... बहुत अकेला ......
पर इस अकेलेपन का बस एक ही इलाज़ था ..अपने आप को व्यस्त रखना ..और मैने यही किया ..मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया ..स्वेता दीदी मेरा खूब ख़याल रखतीं ..कहना ना होगा उनके ख़याल में मेरे लंड का ख़याल सर्वोपरि रहता ..उन्हें मेरे लंड चूसने और सहलाने में बड़ा मज़ा आता था ....
मैं पढ़ाई करता , वो अपनी प्यास बुझाती ... और साथ में मेरा भी रिलॅक्सेशन होता ..
दीदी की चिट्ठियाँ आती रहती ..वहाँ काफ़ी अच्छा समय कट रहा था ..
दोनों के प्यार ने इतना रंग लाया के तीन सालों में उनके तीन बच्चे हो गये ....
दीदी के अंदाज़ भी निराले थे ..तीन सालों में ही तीन बच्चे..
उनका कहना था गौरव को कॉंडम लगाना पसंद नहीं था और उन्हें( दीदी ) पिल्स से नफ़रत .नतीज़ा तो येई होना था....
पर दीदी ने तीसरे बच्चे के बाद अपना ऑपरेशन करवा लिया था .....झंझट ही दूर.....
...
मेरी मेहनत का भी काफ़ी अच्छा नतीज़ा निकला ..मैने 12 थ (हाइयर सेकेंडरी) में अपने डिस्ट्रिक्ट के मेरिट में पोज़िशन हासिल किया ...
मुझे आसानी से इंजीनाइरिंग कॉलेज में अड्मिशन मिल गयी ..
दीदी को जब मालूम पड़ा , बहुत खुश हुईं ...
और अब मैं 18 साल का हो चूका था..जवानी की ओर मेरे झूमते कदम बढ़ रहे थे....
जवानी की ओर मैं लंबे लंबे कदमों से बढ़ता जा रहा था .....लंड की साइज़ भी पीछे नहीं थी....उसने भी अपनी जवानी के रंग ढंग दिखाने शुरू कर दिए थे ..अब वो ककड़ी की तरह नहीं .वरन . लकड़ी की तरह ठोस कड़क हो जाता...
स्वेता दीदी तो बस अपनी चूत में लेने को परेशान थी ...उन्हें भी पायल दीदी के आने की बड़ी उत्सुकता थी .....
पर जब वे उसे हाथ में लेतीं , मैं झूम उठता ..बड़े प्यार से उस कड़क लौडे को सहलाती ..अपने गालों से लगाती..चूमती , चाट ती और फिर मुँह में अपने जीभ से इतने प्यार से चाट ती , होंठों से चूस्ति ..मैं सिहर जाता ....मेरा रोम रोम कांप उठ ता और फिर उनके मुँह में अपनी पिचकारी छ्चोड़ देता .....स्वेता दीदी मेरे तरो-ताज़ा रस को अमृत की तरह पी जातीं ...गटक जातीं ....
स्वेता दीदी हमेशा ये कहतीं
" देख किशू अच्छा हुआ तू ने पहले पायल को नहीं चोदा...अब जो ये मूसल पायल की चूत में जाएगा .. उसे असली चुदाई का मज़ा आएगा ...." और फिर उनका हाथ और जोरों से सहलाना चालू कर देता ....." उफ़फ्फ़ जल्दी बुलाओ ना पायल को ..मेरी भी चूत तड़प रही है रे ....." और ऐसी हालत में वो मेरे लंड से अपनी गीली चूत की घिसाई चालू कर देती.....
पायल दीदी की याद और स्वेता दीदी के साथ मस्ती ...बड़े अच्छे दिन कट रहे थे ...
और आख़िर पायल दीदी की वो चिट्ठि जिसका मैं तीन सालों से इतनी बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था आ ही गयी............
पायल दीदी की चिट्ठी
क्रमशः……………………
कहते है ना इंसान सोचता कुछ है , होता कुछ और ही है ......
दूसरे दिन सुबेह सुबेह ही जीजा जी पहून्च गये दीदी को लेने ....
" क्या जीजा जी ..दीदी को कुछ दिन तो हमारे साथ भी रहने दीजिए..अब तो वो आप के साथ पूरी जिंदगी रहने वाली हैं..?? "मैने उन से मज़ाक किया..
" अरे नहीं किशू ..ऐसी बात नहीं ....मैं तो खुद चाहता था के पायल यहाँ कुछ दिन और रहे ..उसके लिए भी चेंज हो जाएगा ..पर क्या करें मजबूरी है "
फिर उन्होने पूरी बात मुझे बताई.
जीजा जी ने बहुत से अमेरिकन यूनिवर्सिटीस में टीचिंग जॉब के लिए अप्लाइ कर रखा था ...वे केमिस्ट्री में पी एच.डी थे और अपने सहर के जाने माने कॉलेज में प्रोफेसर थे ..इतनी कम उम्र में ही उन्होने काफ़ी महारत हासिल कर ली थी ..
उनके अच्छे रेकॉर्ड्स और काबिलियत की वाज़ेह से एक प्रसिद्ध अमेरिकन यूनिवर्सिटी से उन्हें तीन साल का टीचिंग कांट्रॅक्ट मिल गया...इस मौके को वह गँवाना नहीं चाहते ....और ये खबर उन्हें कल ही मिली थी .
उन्हें जल्द से जल्द जाय्न करने को कहा गया था ...
पर अभी प्राब्लम था, पायल दीदी को भी वे साथ ले जाना चाहते थे..और उनका पासपोर्ट , वीसा वग़ैरह वग़ैरह भी करवाना था ..समय कम था ..इसलिए इन सब फॉरमॅलिटीस के लिए दीदी की ज़रूरत थी ....
अब मैं भी क्या करता ....बात तो बहुत खुशी की थी ... जीजा जी बहुत खुश थे..वे बार बार कहते नहीं थकते " देखो पायल के आते ही कितनी बड़ी बात हुई मेरे कैरियर में ..... "
सब खुश थे ..पर मेरा दिल फिर से रो रहा था ..पायल दीदी भी उपर से खुश थीं पर सिर्फ़ मैं और वो ही समझते थे हम पर क्या बीत रही थी ....
उनकी आँखों में दर्द , विवशता और एक गिल्ट की फिलिंग थी....
हम दोनों को कुछ देर अकेले बात करने का मौका मिला , दीदी की आँखों में आँसू थे
" किशू ..मुझे माफ़ कर देना भाय्या ..मैं तुम्हारी कर्ज़दार हूँ ....पर याद रखना मैं ये क़र्ज़ अदा करूँगी ...चाहे जैसे भी हो.....तू अपने को संभालना किशू .... पढ़ाई में मन लगाना .." और वे फफक फफक के रो पड़ीं ..
" दीदी आप चिंता मत करो....मैं बिल्कुल ठीक से रहूँगा ....आप खुशी खुशी जाओ..देखो ना जीजा जी कितने खुश हैं .....मैं वादा करता हूँ दीदी , आप का सर हमेशा उँचा रहेगा ..आप का किशू आप का इंतेज़ार करेगा ..."
और दस दिनों के अंदर ही मैने दीदी को फिर से दुबारा विदा किया ....पर इस बार एक लंबे समय के लिए ...
दीदी चली गयीं ....मैं फिर से अकेला था .... बहुत अकेला ......
पर इस अकेलेपन का बस एक ही इलाज़ था ..अपने आप को व्यस्त रखना ..और मैने यही किया ..मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया ..स्वेता दीदी मेरा खूब ख़याल रखतीं ..कहना ना होगा उनके ख़याल में मेरे लंड का ख़याल सर्वोपरि रहता ..उन्हें मेरे लंड चूसने और सहलाने में बड़ा मज़ा आता था ....
मैं पढ़ाई करता , वो अपनी प्यास बुझाती ... और साथ में मेरा भी रिलॅक्सेशन होता ..
दीदी की चिट्ठियाँ आती रहती ..वहाँ काफ़ी अच्छा समय कट रहा था ..
दोनों के प्यार ने इतना रंग लाया के तीन सालों में उनके तीन बच्चे हो गये ....
दीदी के अंदाज़ भी निराले थे ..तीन सालों में ही तीन बच्चे..
उनका कहना था गौरव को कॉंडम लगाना पसंद नहीं था और उन्हें( दीदी ) पिल्स से नफ़रत .नतीज़ा तो येई होना था....
पर दीदी ने तीसरे बच्चे के बाद अपना ऑपरेशन करवा लिया था .....झंझट ही दूर.....
...
मेरी मेहनत का भी काफ़ी अच्छा नतीज़ा निकला ..मैने 12 थ (हाइयर सेकेंडरी) में अपने डिस्ट्रिक्ट के मेरिट में पोज़िशन हासिल किया ...
मुझे आसानी से इंजीनाइरिंग कॉलेज में अड्मिशन मिल गयी ..
दीदी को जब मालूम पड़ा , बहुत खुश हुईं ...
और अब मैं 18 साल का हो चूका था..जवानी की ओर मेरे झूमते कदम बढ़ रहे थे....
जवानी की ओर मैं लंबे लंबे कदमों से बढ़ता जा रहा था .....लंड की साइज़ भी पीछे नहीं थी....उसने भी अपनी जवानी के रंग ढंग दिखाने शुरू कर दिए थे ..अब वो ककड़ी की तरह नहीं .वरन . लकड़ी की तरह ठोस कड़क हो जाता...
स्वेता दीदी तो बस अपनी चूत में लेने को परेशान थी ...उन्हें भी पायल दीदी के आने की बड़ी उत्सुकता थी .....
पर जब वे उसे हाथ में लेतीं , मैं झूम उठता ..बड़े प्यार से उस कड़क लौडे को सहलाती ..अपने गालों से लगाती..चूमती , चाट ती और फिर मुँह में अपने जीभ से इतने प्यार से चाट ती , होंठों से चूस्ति ..मैं सिहर जाता ....मेरा रोम रोम कांप उठ ता और फिर उनके मुँह में अपनी पिचकारी छ्चोड़ देता .....स्वेता दीदी मेरे तरो-ताज़ा रस को अमृत की तरह पी जातीं ...गटक जातीं ....
स्वेता दीदी हमेशा ये कहतीं
" देख किशू अच्छा हुआ तू ने पहले पायल को नहीं चोदा...अब जो ये मूसल पायल की चूत में जाएगा .. उसे असली चुदाई का मज़ा आएगा ...." और फिर उनका हाथ और जोरों से सहलाना चालू कर देता ....." उफ़फ्फ़ जल्दी बुलाओ ना पायल को ..मेरी भी चूत तड़प रही है रे ....." और ऐसी हालत में वो मेरे लंड से अपनी गीली चूत की घिसाई चालू कर देती.....
पायल दीदी की याद और स्वेता दीदी के साथ मस्ती ...बड़े अच्छे दिन कट रहे थे ...
और आख़िर पायल दीदी की वो चिट्ठि जिसका मैं तीन सालों से इतनी बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था आ ही गयी............
पायल दीदी की चिट्ठी
क्रमशः……………………