Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार - Page 2 - SexBaba
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Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार

अब उसका साथी कमाण्डर के पास था ।
भाले वाले युवक के जाते ही उस दूसरे बर्मी युवक ने झोंपड़ी में से एक चारपाई निकालकर बाहर डाल दी ।
“अगर तुम आराम करना चाहते हो, तो कर लो ।” वह युवक बोला- “मेरा साथी तो अब आधा-पौने घण्टे से पहले लौटने वाला नहीं है या फिर उसे और भी देर लग सकती है ।”
“क्यों, क्या गांव ज्यादा दूर है ?”
“नहीं, गांव तो ज्यादा दूर नहीं है ।” युवक के होठों पर मुस्कान तैरी- “लेकिन बात कुछ और है ।”
“और क्या बात हो सकती है ?” कमाण्डर करण सक्सेना के कान खड़े हुए ।
उसके दिमाग में खतरे की घण्टी बजी ।
“बात न ही पूछो तो बेहतर है ।”
“फिर भी ।”
“दरअसल उस गांव में एक लड़की है, मेरे दोस्त का आजकल उससे टांका भिड़ा हुआ है । अब यह कैसे हो सकता है कि वह किसी काम से उस गांव में जाये और उससे न मिले ।”
“ओह !” कमाण्डर हंसा- “मैं कुछ और समझा था ।”
“तुम क्या समझे थे ?”
“कुछ नहीं ।”
कमाण्डर ने अपनी पीठ पर लदा हैवरसेक बैग उतारकर चारपाई के सिरहाने रख लिया ।
“अब मैं आराम करता हूँ ।”
“ठीक है ।”
कमाण्डर चारपाई पर पैर फैलाकर लेट गया ।
दोनों इंजेक्शनों ने उस पर अच्छा-खासा असर दिखाया था और अब उसके घुटने में बिल्कुल भी दर्द नहीं था ।
हालांकि रंगून पहुँचना कमाण्डर करण सक्सेना का लक्ष्य नहीं था और न ही उसने रंगून जाना था, लेकिन फिर भी वो उन दोनों बर्मी युवकों की हाँ में हाँ इसलिए मिला रहा था, क्योंकि वह उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी पाने का इच्छुक था ।
उसने देखा, वहाँ मौजूद बर्मी युवक अब नगाड़े को लेकर उसी तरफ आ रहा था और फिर वो उसे रखने के लिए झोंपड़ी के अंदर चला गया ।
थोड़ी देर बाद ही वो बाहर निकला ।
“क्या चाय पिओगे ?” उसने कमाण्डर से बर्मी भाषा में ही पूछा था ।
“नहीं, अभी इच्छा नहीं है ।”
युवक ने कुछ न कहा ।
वो वहीं चूल्हे के नजदीक बैठ गया ।
फिर उसने अपनी जेब से केले का पत्ता निकाला, जिसे गोलाई में रोल किया गया था और जिसके अंदर कोई चीज बंद थी । उसने वह केले का पत्ता खोला, तो उसके अंदर से दो सिगार चमके । वह ‘बर्मी सिगार’ थे और कोई ज्यादा उम्दा क्वालिटी के नहीं थे ।
उसने वह दोनों सिगार चूल्हे के अंदर रखी एक भभकती लकड़ी की आग में सुलगा लिये ।
“लो ।” फिर वह कमाण्डर करण सक्सेना से सम्बोधित हुआ- “सिगार तो पी लो ।”
“नहीं, अभी मेरी कुछ भी पीने की इच्छा नहीं है । मैं बस आराम करके अपनी तबियत को थोड़ी हल्की करना चाहता हूँ ।”
“कमाल है । सिगार पीने से मना कर रहे हो ।”
कमाण्डर सिर्फ मुस्कराया ।
उसके मना करने के बावजूद बर्मी युवक ने दूसरा सिगार बुझाया नहीं था । उसने वह सिगार चूल्हें के पास ही थोड़ा तिरछा करके रख दिया ।
उसके बाद वह उस सिगार के छोटे-छोटे कश लगाने लगा, जो उसने अपने लिये सुलगाया था ।
“एक बात समझ नहीं आयी ।” कमाण्डर चारपाई पर लेटे-लेटे बोला ।
“क्या ?”
“तुम सुबह-ही-सुबह इतनी जोर-जोर से नगाड़े पर थाप किसलिये दे रहे थे ?”
“इसके पीछे एक खास वजह है ।”
“क्या ?”
“दरअसल यह जंगल के अपने सिग्नल हैं ।” उस बर्मी युवक ने बताया- “जब सुबह-ही-सुबह बर्मा के जंगलों में जोर-जोर से नगाड़े पर थाप दी जाती है, तो इसका यह मतलब होता है कि वहाँ रात बिल्कुल ठीक गुजरी है और कोई बुरी घटना नहीं घटी हैं । इससे आसपास के गावों में रहने वाले लोग राहत की सांस लेते हैं ।”
“यानि बर्मा के जंगलों में नगाड़े पर थाप देना सकुशलता का प्रतीक है ।”
“हाँ ।”
कमाण्डर करण सक्सेना शान्त भाव से लेटा रहा ।
 
तभी एक घटना घटी ।
जबरदस्त घटना !
जिसने कमाण्डर करण सक्सेना को उछालकर रख दिया । कमाण्डर ने चारपाई पर लेटे-लेटे देखा कि नीचे से ऊपर आसमान की तरफ धुएं की दो लकीर उठ रही हैं । वह पीले तथा काफी गाढ़े धुएं की लकीर थीं और एक-दूसरे के बिल्कुल समानान्तर थीं ।
कमाण्डर की निगाह फौरन उस जगह पहुँची, जहाँ से गाढ़े धुएं की वह दोनों लकीरें उठ रहीं थीं ।
वह ‘बर्मी सिगार’ में से उठते धुएं की लकीर थीं ।
वह सिगार खास किस्म के पत्ते के बने हुए थे और इसलिये उनका धुआं इतना गाढ़ा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन बिजली जैसी फुर्ती के साथ चारपाई से उछलकर खड़ा हो गया ।
इस बीच ओवरकोट की जेब से निकलकर कब उसके हाथ में अपनी कोल्ट रिवाल्वर आ गयी, यह भी पता न चला । सिर्फ कमाण्डर करण सक्सेना के हाथ में रिवाल्वर चमकी थी और चमकते ही उसकी उगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमीं । उसके बाद कमाण्डर ने पलक झपकते ही उस बर्मी युवक का गिरेहबान पकड़ लिया, जो चूल्हे के पास बैठा बड़े मजे से सिगार पी रहा था ।
“क... क्या बात है ?” युवक हड़बड़ाया ।
“बता हरामजादे !” कमाण्डर ने उसे बुरी तरह झिंझोड़ डाला- “बता, तेरा साथी इस वक्त कहाँ गया है ? जल्दी बोल, वरना मैं अभी तेरी खोपड़ी गोली से छलनी कर डालूगां ।”
“अ... अभी बताया तो था ।” युवक दहशतनाक स्वर में बोला- “वो गांव से किसी मल्लाह को लेने गया है, जो तुम्हें इरावती नदी पार करा सके ।”
“नहीं, तुम झूठ बोल रहे हो । तुम बेवकूफ बना रहे हो । तुमने अभी दो सिगार सुलगाकर धुए के जो सिग्नल उपर की तरफ छोड़े हैं, उन सिग्नलों को मैं अच्छी तरह पहचानता हूँ । उन सिग्नलों का मतलब है कि तुम्हारा शिकार हमारे कब्जे में हैं और उसे फौरन यहाँ आकर पकड़ लो ।”
बर्मी युवक के सीने पर घूंसा-सा पड़ा ।
उसका चेहरा एकदम सफेद फक्क पड़ गया ।
“जल्दी बता !” कमाण्डर ने रिवॉल्वर की नाल उसके माथे के बीचों-बीच रख दी- “कहाँ गया है तेरा साथी ? किसे बुलाने गया है ?”
“त... तुम्हें कोई गलतफहमी हो गयी है ।”
“मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई ।” कमाण्डर गरजा ।
“लेकिन... ।”
“फालतू बकवास नहीं । मुझे सिर्फ मेरे सवाल का जवाब दो ।”
“मैं फिर कहूँगा ।” बर्मी युवक थर-थर कांपता हुआ बोला- “वह नजदीक के गांव से किसी मल्लाह को बुलाने गया है और मैंने धुएं का कोई सिग्नल किसी को नहीं भेजा ।”
“यानि तुम आसानी से कुछ नहीं बताओगे ।”
“मैं बताऊंगा क्या, जब हम लोगों ने कुछ किया ही नहीं है ।”
“ठीक है, मरो ।”
कोल्ट रिवॉल्वर एक बार फिर कमाण्डर की उंगलियों के गिर्द घूमी और गोली चली ।
धांय !
गोली चलने की वह भीषण आवाज पूरे जंगल में गूंज गयी थी ।
वह बर्मी युवक गला फाड़कर हिस्टीरियाई अंदाज में डकराया और फिर कटे वृक्ष की तरह नीचे गिरा ।
उसकी खोपड़ी से थुल-थुल करके खून बहने लगा । उसे खुद पता न चला कि कब उसकी मौत हो गयी ।
कमाण्डर ने अब एक सेकण्ड और भी वहाँ रूकना मुनासिब न समझा ।
वो जानता था कि वहाँ खतरा है । कभी भी दुश्मन वहाँ आ सकता है ।
कमाण्डर ने दौड़कर दोनों सिगार अच्छी तरह बुझाये ।
हैवरसेक बैग अपनी पीठ पर कसा ।
उसके बाद वो झाड़ियों का सहारा लेता हुआ जंगल में आगे की तरफ दौड़ पड़ा ।
 
दुनिया का सबसे खतरनाक चाकूबाज हूपर उस समय जंगल के नीचे बनी एक काफी बड़ी सुरंग में मौजूद था । उस पूरे जंगल में सुरंगों का मायाजाल फैला था । वहाँ बड़ी-बड़ी सुरंगे थीं, जो जगंल में नीचे-ही-नीचे बनी थीं ।
और तमाम सुरंगें एक-दूसरे से जुड़ी थीं । उन बारह योद्धाओं ने मिलकर ही उन सुरंगों का निर्माण किया था और आज की तारीख में वो सुरंगें उनकी बहुत बड़ी ताकत बनी हुई थीं । कुछ महीने पहले जब बर्मा की फौज ने जंगल में घुसकर उन सभी बारह योद्धाओं को तथा उनके जंगल में फैले पूरे साम्राज्य को खत्म कर देना चाहा था, तो वही सुरंगें उन योद्धाओं की सबसे बड़ी मददगार साबित हुई थीं । योद्धाओं ने सुरंगों में घुस-घुसकर ही कुछ इस तरह अलग-अलग दिशाओं से बर्मा की फौज पर आक्रमण किया कि फौज के छक्के छूट गये । जंगल में चारों तरफ फौजियों की लाशें-ही-लाशें बिछी नजर आने लगीं । बर्मा की फौज की सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि वो उन सुरंगों की निर्माण-पद्धति से भी वाकिफ नहीं थी ।
नतीजतन बर्मा की फौज को उन योद्धाओं के सामने घुटने टेकने पड़े और जंगल छोड़कर भाग जाना पड़ा ।
इसके अलावा उन योद्धाओं की एक और बहुत बड़ी ताकत थी । आसपास के गावों में जो जंगली लोग रहते थे और जो मूलतः बर्मा के ही नागरिक थे, वह भी अब उन बारह योद्धाओं के गुलाम बन चुके थे ।
दरअसल वह जंगली उन योद्धाओं के नशीले पदार्थ खच्चरों पर ढो-ढोकर इधर-से-उधर ले जाते थे, जिनका उन्हें अच्छा-खासा मेहनताना मिलता ।
दूसरे शब्दों में जब से वह बारह योद्धा जंगल में आये थे, तब से उन जंगलियों की किस्मत ही बदल गयी थी ।
अब वह खुशहाल थे ।
“क्या खबर लाये हो ?” हूपर ने सुरंग में एक हथियारबंद गार्ड को दाखिल होते देखकर पूछा ।
भारी-भरकम शरीर वाला हूपर उस समय एक कुर्सी पर बैठा था ।
“हूपर साहब, आपके आदेश के मुताबिक यह खबर पूरे जंगल में फैलायी जा चुकी है ।” गार्ड ने आते ही कहा- “कि हमारा एक दुश्मन जंगल में घुस आया है, जिसके इरादे नेक नहीं मालूम होते । ज्यादातर संभावना इसी बात की है कि वो अकेला है, मगर हम लोगों ने इस बात को भी मद्देनजर रखकर चलना है कि उसके और साथी भी जंगल में हो सकते हैं ।”
“यानि अब जंगल का हर आदमी इस बात को जानता है कि कोई अजनबी वहाँ घुस आया है ?” हूपर बोला ।
“बिल्कुल ।”
गार्ड की आवाज गरमजोशी से भरी थी ।
“और क्या गांव वालों को भी यह बात बतायी गयी ? जंगलियों तक भी यह सूचना पहुँचाई गयी ?”
“उन तक भी यह सूचना पहुचाई जा चुकी है । इस वक्त आप यह समझें हूपर साहब, यह पूरा जंगल उस अजनबी के लिये खतरे की घण्टी बन चुका है । अब कोई भी जगह उसके लिये महफूज नहीं है, जल्द ही वो किसी-न-किसी की निगाह में जरूर आयेगा ।”
“फिलहाल कहीं से कोई रिपोर्ट हासिल हुई ?”
“नहीं, अभी तो कोई रिपोर्ट नहीं मिली ।”
“हूँ !”
हूपर ने धीरे से हुंकार भरी । वो निराश नहीं था ।
वो जानता था, जल्द ही कहीं-न-कहीं से कोई शुभ समाचार उसे जरूर मिलेगा ।
उस वक्त भी वो चमड़े की ही काली जैकिट और काली पेण्ट पहने था, जिसमें दर्जनों की संख्या में उसके पसंदीदा चाकू छिपे थे ।
 
तभी सुरंग के अंदर से हलचल की आवाज हुई ।
“लगता है, कोई इसी तरफ आ रहा है ।”
सब चौकन्ने हो उठे ।
सब उसी तरफ देखने लगे, जिधर से आवाज आ रही थी । शीघ्र ही एक हथियारबंद गार्ड और नजर आया, जो लम्बे-लम्बे डग रखता हुआ उसी तरफ आ रहा था । उसके हाथ में दो बड़े-बड़े टिफिन कैरिअर भी थे ।
“क्या नाश्ते का सामान लाये हो ?” हूपर उसे देखकर बोला ।
“हाँ , नाश्ते का ही सामान है ।”
“चलो अच्छा किया, जो नाश्ता ले आये । वैसे भी चाय पीने की इच्छा हो रही थी ।”
उस हथियारबंद गार्ड ने अब दोनों टिफिन कैरिअर एक स्टूल पर रख दिये । फिर उसने प्लास्टिक के एक अनब्रेकेबल गिलास में चाय पटलकर हूपर की तरफ बढा़ई ।
“लीजिये हूपर साहब !”
“थैंक्यू !”
हूपर ने गिलास पकड़ लिया, फिर वो धीरे-धीरे चाय के घूंट भरने लगा ।
आसपास खड़े गार्ड भी अब अपने वास्ते चाय पलटने लगे थे । जबकि एक गार्ड टिफिन कैरिअर में से गरमा-गरम पेटीज का पैकिट निकालकर खोल रहा था ।
“क्या तुम यहाँ आने से पहले जैक क्रेमर साहब से भी मिले थे ?” हूपर ने पूछा ।
“हाँ , हूपर साहब- दरअसल उन्होने ही मुझे नाश्ता लेकर यहाँ भेजा है ।”
“ओह !”
“जैक क्रेमर साहब ने मुझसे यह भी कहा है कि मैं आपसे पता करके आऊं कि अभी दुश्मन के बारे में कुछ पता चला या नहीं ? उसे पकड़ने की दिशा में आप क्या कर रहे हैं ?”
“उनसे कहना, वो बहुत जल्द पकड़ा जायेगा । उसके जंगल में मौजूद होने की खबर हमने चारों तरफ फैला दी है । बस किसी भी क्षण उसके बारे में कोई खबर आती ही होगी ।”
“ठीक है, मैं उनसे बोल दूंगा ।”
हूपर गरमा-गरमा चाय चुसकता रहा ।
वो सारी रात का जागा हुआ था । सारी रात उसकी बड़ी हंगामें से भरी गुजरी थी । उसने इधर से उधर दौड़-दौड़कर रात भर यही काम किया था कि किसी तरह वो खबर पूरे जंगल में फैल जाये ।
बल्कि रात सबसे पहले तो उसने खुद ही गार्डों के साथ काफी सारा जंगल छान मारा था, लेकिन जब उसे वो आदमी कहीं नजर न आया, तो हूपर को लगा कि इस तरह से बात नहीं बनेगी ।
जंगल काफी बड़ा था और उसमें से एकदम किसी आदमी को तलाश लेना कोई मजाक का काम न था ।
इसीलिए हूपर ने अपनी रणनीति बदली ।
इसीलिए उसने सबसे पहले उस आदमी के जंगल में मौजूद होने की खबर चारों तरफ फैलवानी शुरू की । इस तरह उस आदमी के जल्दी पकड़े जाने की संभावना थी, क्योंकि उस अवस्था में पूरा जंगल उसके पीछे होता ।
तभी एक गार्ड बहुत जल्दी-जल्दी सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे सुरंग में आया ।
“क्या हो गया ?” हूपर ने पूछा ।
“अभी-अभी जंगल में दक्षिण की तरफ से धुएं का सिग्नल देखा गया है, हूपर साहब !” गार्ड आंदोलित लहजे में बोला- “ऐसा मालूम होता है, किसी जंगली ने वहाँ हमारे दुश्मन को पकड़कर रखा है ।”
“क्या कह रहे हो तुम !” हूपर एकदम उछलकर खड़ा हो गया- “धुएं का सिग्नल !”
“हाँ , हूपर साहब । वह धुएं का सिग्नल ही है । जंगली लोग आमतौर पर सिगारों से इस तरह का सिग्नल सर्कुलेट करते हैं ।”
“लगता है, हमारा काम बन गया है ।”
हूपर ने ऊपर पहुँचकर दक्षिणी दिशा में देखा, लेकिन उस वक्त आसमान पूरी तरह साफ था ।
“यहाँ तो धुएं का कोई भी सिग्नल नजर नहीं आ रहा ।”
“कमाल है ।” वही गार्ड बोला- “अभी-अभी तो मैंने खुद उस सिग्नल को अपनी आँखों से देखा था ।”
“तुम्हें कोई वहम तो नहीं हुआ ?”
“सवाल ही नहीं है ।”
तभी वहाँ कुछ और गार्ड भी आ गये । उन्होंने भी बताया कि थोड़ी देर पहले धुंए का वह सिग्नल उन्हें भी नजर आया था ।
“फिर वह एकाएक गायब कैसे हो गया ?”
“मालूम नहीं, मुझे तो कुछ गड़बड़ लगती है ।” गार्ड कुछ चिन्तित था ।
“वैसे थोड़ी देर पहले उसी तरह हमारे दस-बारह गार्ड भी गश्त पर गये हैं हूपर साहब ।” एक अन्य गार्ड बोला- “अगर उस तरफ कुछ गड़बड़ है, तो उस सम्बन्ध में उन्हें जरूर जानकारी हो जायेगी ।”
“गार्डों को गये हुए कितनी देर हो गयी ?”
“कोई दस मिनट हो गये ।”
उसी क्षण जंगल में से कुछ और आवाजें भी उभरीं । वह धप्प-धप्प की आवाजें थीं ।
सब ध्यानपूर्वक उन आवाजों को सुनने लगे ।
“लगता है ।” हूपर बोला- “कोई तेज़ दौड़ता हुआ इसी तरफ आ रहा है ।”
“कहीं वो हमारा दुश्मन तो नहीं है ?”
जैसे ही उसकी जबान से वो शब्द निकले, तुरंत बाकी तमाम गार्ड हरकत में आये । एक ही झटके में उन सबके हाथ में अपनी-अपनी राइफल आ चुकी थीं और वह राइफलें उसी तरफ तन गयीं, जिधर से किसी के दौड़कर आने की आवाजें आ रही थीं ।
“कोई एक आदमी मालूम होता है ।”
“एक ही है ।” हूपर बोला- “अगर ज्यादा आदमी होते, तो ज्यादा कदमों की आवाजें सुनाई पड़ती ।”
कदमों की आवाज अब काफी करीब आ चुकी थी ।
फिर वो आदमी भी नजर आया, जो दौड़ता हुआ उस तरफ आ रहा था ।
वो उनका दुश्मन नहीं था ।
वो वही बर्मी युवक था, जिसने भाले की नोंक पर कमाण्डर करण सक्सेना को पकड़ा था और जो अब कमाण्डर से यह कहकर आया था कि वो पास के गांव से किसी मल्लाह को लेने जा रहा है ।
“हमने दुश्मन को पकड़ लिया ।” वो बर्मी युवक उन लोगों को देखकर दूर से ही चिल्लाया- “इस वक्त वो हमारी झोंपड़ी में है और वहीं आराम कर रहा है ।”
दुश्मन के पकडे जाने की खबर सुनकर उन सबके चेहरे पर चमक आ गयी ।
“क्या रास्ते में तुम्हें हमारे गार्ड नहीं मिले थे ?” हूपर बोला- “वो थोड़ी देर पहले इसी तरफ गये हैं ?”
“वो भी मिले थे, मैंने उन्हें भी दुश्मन के पकड़े जाने के बारे में बता दिया है । दरअसल उन्होंने ही मुझे इस वक्त यहाँ भेजा है कि मैं आप लोगों को भी यह खुशखबरी सुना दूं । फिलहाल वो दुश्मन को दबोचने झोंपड़ी की तरफ ही गये हैं ।”
“वैरी गुड ! यानि हमने जो रात मेहनत की, वो कामयाब रही ।” फिर हूपर ने अपने तमाम साथियों की तरफ एबाउट टर्न लिया- “दोस्तों हम सबको भी फौरन उसी तरफ बढ़ना चाहिये, जिधर दुश्मन मौजूद है, जल्दी चलो ।”
सब तुरंत उस बर्मी युवक के साथ उसी तरफ दौड़ पड़े ।
 
कमाण्डर करण सक्सेना को खतरे का अहसास हो रहा था ।
उसे लग रहा था, उसके जंगल में मौजूद होने की खबर अब तक किसी तरह योद्धाओं तक जरूर पहुँच चुकी है ।
हमला अब उसके ऊपर कभी भी हो सकता है ।
किसी भी क्षण ।
चलते-चलते कमाण्डर ठिठका ।
उसे जंगल में सामने की तरफ से कुछ कदमों की आवाज सुनायी दे रही थी ।
कमाण्डर ने ध्यानपूर्वक उस आवाज को सुना ।
वह काफी सारे कदमों की आवाज थी । लगता था, कई आदमी लम्बे-लम्बे डग रखते हुए उसी तरफ चले आ रहे थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन अपनी कोल्ट रिवॉल्वर निकाल ली और वह झपटकर नजदीक की झाड़ियों में ही जा छिपा ।
उसने अपनी कोल्ट रिवॉल्वर का चैम्बर खोलकर देखा ।
एक गोली कम थी ।
कमाण्डर ने फौरन खाली चैम्बर में गोली डाल दी और चैम्बर बंद किया ।
फिर वो आंगतुकों की प्रतीक्षा करने लगा ।
जल्द ही उसे काफी सारे गार्ड नजर आये । वह मूंगिया रंग की फौजी ड्रेस पहने थे और उन सबके कंधों पर ए0के0 सैंतालिस असाल्ट राइफलें लटकी थीं । पैरों में ऐमीनेशन ब्लैक बूट थे और सिर पर मूँगिया रंग के ही फौजी हैट थे । अपनी वर्दी में ही वह कोई बहुत खतरनाक किस्म के लड़ाका नजर आ रहे थे ।
वह कुछ बातें भी कर रहे थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने उन दसों गार्डों की बातचीत भी ध्यान से सुनीं ।
उस वक्त वो सभी गार्ड उसी के बारे में बात कर रहे थे और उनके वार्तालाप से ऐसा महसूस हो रहा था कि वह सब झोंपड़ी की तरफ ही आ रहे हैं ।
कमाण्डर ने तुरंत हरकत दिखाई ।
वह एकाएक कोल्ट रिवॉल्वर हाथ में लिये-लिये झपटकर झाड़ियों के झुण्ड से बाहर निकल आया और शेर की तरह उन सबके सामने जा खड़ा हुआ ।
वह सब हकबकाये ।
कमाण्डर करण सक्सेना का आगमन एकदम इतने अप्रत्याशित ढंग से हुआ था कि उन्हें इतना मौका भी न मिल सका, जो अपनी-अपनी राइफल उतारें ।
“कौन हो तुम ?” एक चीखा ।
“तुम्हारा बाप ! जिसे दबोचने के लिए तुम सब लोग झोंपड़ी की तरफ आ रहे हो ।”
वह कुछ करते, उससे पहले ही रिवॉल्वर कमाण्डर की उंगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी और फिर उसने धांय-धांय गोलियां चलानी शुरू कर दीं ।
फौरन चार गार्ड लुढ़क गये ।
“यह वही है ।” तभी एक गार्ड हलक फाड़कर चिल्लाया- “वही, जो जंगल में घुस आया है । मारो इसे ! मारो !”
तब तक कुछ गार्डों ने झपटकर अपने-अपने कंधों पर लटकी राइफलें उतार ली थीं और वह दौड़कर इधर-उधर झाड़ियों में जा छिपें । वहीं उन्होंने मोर्चाबंदी कर ली ।
कमाण्डर करण सक्सेना भी अब दौड़कर वापस उन्हीं झाड़ियों में जा छिपा, जहाँ से वो प्रकट हुआ था ।
तुरंत चारों तरफ से झाड़ियों पर गोलियां चलने लगीं ।
कमाण्डर बिल्कुल जमीन से चिपककर लेट गया ।
गोलियां पीठ पर बंधे उसके हैवरबैक बैग के ऊपर से होकर गुजरती रहीं । ऐसा लग रहा था, जैसे झाड़ियों पर गोलियों की बारिश हो रही हो । उनके पास चूंकि ए0के0 सैंतालिस असाल्ट जैसी अत्याधुनिक राइफलें थीं, इसलिए वो बस्ट फायर कर रहे थे ।
फिर गोलियों की वो बारिश रूक गयी ।
कमाण्डर तब भी कितनी ही देर जमीन से चिपका लेटा रहा ।
उसके बाद उसने अपना सिर आहिस्ता से ऊपर उठाया ।
चारों तरफ शान्ति थी ।
गहन शान्ति ।
ऐसा लगता था, जैसे वहाँ कोई न हो ।
जबकि वह सभी यमदूत अभी भी झाड़ियों मे छिपे बैठे थे ।
वह मौके की इंतजार में थे । जरा-सा मौका मिलते ही वह कमाण्डर करण सक्सेना को भूनते ।
चारों लाशें अभी भी यथास्थान पड़ी थीं ।
कमाण्डर उनकी तरफ से किसी दूसरे हमले की प्रतीक्षा करता रहा । लेकिन कितनी देर तक भी उनकी तरफ से कोई हमला न हुआ ।
कमाण्डर के कान खड़े हुए ।
क्या चक्कर था ?
जरूर वह लोग कोई चाल चल रहे थे ।
तभी कमाण्डर को झाड़ियों में अपने पीछे की तरफ से बहुत हल्की सरसराहट की आवाज सुनायी पड़ी ।
कमाण्डर ने अपनी गर्दन कछुए की तरह बिल्कुल निःशब्द अंदाज में दायीं तरफ घुमायी तथा फिर तिरछी निगाह करके पीछे की तरफ देखा ।
तत्काल उसे अपने पीछे एक गार्ड चमका ।
वह सरसराता हुआ उसी की तरफ बढ़ रहा था ।
कमाण्डर बेपनाह फुर्ती के साथ झाड़ियों में उनकी तरफ घूम गया और घूमते ही उसने गोली चलायी ।
गार्ड की आखें दहशत के कारण फटी की फटी रह गयीं ।
उसने बिल्कुल अंतिम क्षणों में जो राइफल का ट्रेगर दबाने का प्रयास किया था, उसका वह प्रयास कामयाब न हुआ । वो राइफल पकड़े-पकड़े वहीं झाड़ियों में ढेर हो गया ।
उसी क्षण कमाण्डर के ऊपर पुनः चारों तरफ से धुआंधार बस्ट फायर होने लगे ।
कमाण्डर वापस जमीन से चिपक गया ।
तभी उसने एक गार्ड को सामने वाली झाड़ियों में से निकलते देखा । वो बहुत गुस्से में था और राइफल से पागलों की तरह बस्ट फायर करता हुआ उसी की तरफ दौड़ा चला आ रहा था ।
जरूर मरने वाला गार्ड उसका कोई सगा-सम्बन्धी था ।
कोल्ट रिवॉल्वर एक बार फिर कमाण्डर की उंगलियों की गिर्द फिरकनी की तरह घूमी और गोली चली ।
वह गार्ड भी भैंसे की तरह डकरा उठा ।
गोली ने ऐन उसके दिल में जाकर सुराख किया था ।
उसके दिल में से खून का ऐसा तेज फव्वारा छूटा, मानों किसी ने नलका खोल दिया हो ।
वो चीखता हुआ बीच रास्ते में से ही नीचे गिर पड़ा ।
 
वहाँ एक बार फिर शांति छा गयी ।
गहरी शान्ति ।
छः गार्ड मर चुके थे, लेकिन चार अभी भी जिंदा थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने अपनी रिवॉल्वर का चैम्बर खोलकर देखा ।
वह पूरी तरह खाली हो चुका था ।
तुरंत कमाण्डर को एक चाल सूझी ।
ऐसी चाल, जिसमें एक ही झटके में उन चारों को खत्म किया जा सकता था ।
उसने अपने हैवरसेक बैग के अंदर से बड़ी सावधानी के साथ थर्टी सिक्स एच ई हैंडग्रेनेड बम निकाल लिया । फिर एक हाथ में उसने हैंड ग्रेनेड बम पकड़ा और दूसरे हाथ में खाली रिवॉल्वर । उसके बाद वो बहुत धीरे-धीरे झाड़ी में आगे की तरफ खिसका ।
शीघ्र ही वो झाड़ी के मुहाने तक पहुँच गया था ।
फिर उसने अपना रिवॉल्वर वाला हाथ कुछ इस तरह झाड़ी से बाहर निकाला, जो वह सबको नजर आ जाये और उसके बाद उसने जल्दी-जल्दी रिवॉल्वर का ट्रेगर दबाया ।
हल्की पिट्-पिट् की आवाज चारों तरफ गूँजी ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने हाथ तुरंत वापस खींच लिया ।
“लगता है, उसके रिवॉल्वर में गोलियां खत्म हो गयी हैं ।” फौरन एक गार्ड की आवाज कमाण्डर करण सक्सेना के कानों में पड़ी ।
“इससे पहले कि वह अपनी रिवॉल्वर को दोबारा लोड करे, हमें उसे दबोच लेना चाहिये ।” वह दूसरे गार्ड की आवाज थी ।
“जल्दी करो ।”
वह चारों अपने-अपने हाथों में राइफल संभाले झाड़ियों में से बाहर निकल आये । जैसे ही वह चारों एक खास प्वाइंट पर पहुंचे, कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन हैंडग्रेनेड बम की पिन को अपने दांतों से पकड़कर खींचा और फिर बम उन चारों की तरफ उछाल दिया ।
गगनभेदी विस्फोट हुआ ।
तत्काल उन चारों की धज्जियां बिखर गयी ।
अब वहाँ हर तरफ लाशें ही लाशें बिखरी पड़ी थीं ।
“लगता है, इन लोगों से कदम-कदम पर जबरदस्त मुठभेड़ होने वाली है ।”
कमाण्डर वहीं उन लाशों के बीच खड़ा होकर अपनी रिवॉल्वर को दोबारा से लोड करने लगा ।
☐☐☐
जंगल में पहले गोलियां चलने और फिर बम फटने की वह आवाजें हूपर तथा उसके साथियों ने भी सुनीं ।
“ऐसा लगता है ।” हूपर ठिठककर बोला- “हमारे गार्डों और दुश्मन के बीच मुठभेड़ हो रही है ।”
“जरूर यही बात है ।”
“लेकिन जिस तरह से मुठभेड़ हो रही है ।” एक अन्य गार्ड बोला- “उससे तो लगता है कि दुश्मन बेहद खतरनाक है ।”
“जो आदमी हम बारह यौद्धाओं के खिलाफ इस जंगल में घुसने की हिम्मत दिखा सकता है ।” हूपर बोला- “वह खतरनाक ही होगा । हमें फौरन मुठभेड़ वाले स्थान पर पहुँचना चाहिये ।”
हूपर तथा उसके साथी गार्ड लम्बे-लम्बे डग भरते हुए जंगल में आगे की तरफ बढ़े ।
यूँ तो किसी का भी मुकाबला करने के लिए अकेला हूपर जैसा यौद्धा ही काफी था, लेकिन इस वक्त उसके साथ जो पन्द्रह बीस योद्धा और थे, वह उसे और भी ज्यादा शक्तिशाली बना रहे थे ।
थोड़ी दूर जाते ही वह सब फिर ठिठके ।
“ऐसा मालूम होता है ।” एक गार्ड फुसफुसाकर बोला- “सामने की तरफ से कोई आ रहा है ।”
सबने ध्यान से आवाजें सुनीं ।
सचमुच सूखे पत्ते चरमराने की आवाज उन सभी को सुनायी पड़ी । वह पत्ते, जो किसी के जूतों के नीचे आकर चरमरा रहे थे ।
“लगता है, वह दुश्मन ही है, जो इस तरफ आ रहा है ।” हूपर जल्दी बोला- “सब फौरन इधर-उधर छिप जाओ ।”
हूपर के आदेश की देर थी, फ़ौरन वह सब झाड़ियों में छिप गये ।
हूपर भी सामने वाली झाड़ियों में ही जा छिपा ।
“अगर वह सचमुच हमारा दुश्मन है हूपर साहब ।” एक गार्ड भयभीत होकर बोला- “तब तो उसने जरूर हमारे सभी दस गार्डो को मार डाला है । क्योंकि उनकी हत्या किये बिना वो जंगल में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकता था ।”
“सच बात तो ये है ।” हूपर शुष्क स्वर में बोला- “यही डर मुझे सता रहा है ।”
कदमों की पद्चाप अब काफी करीब आ चुकी थी ।
गोलियां चलने या बम फटने की आवाजें अब उन्हें नहीं सुनाई दे रही थीं ।
थोड़ी देर बाद ही रहस्य की धुंध छंटी और पेड़ों के झुरमुट में से निकलकर एक आदमी बाहर आया । उसने काला लम्बा ओवरकोट और काला गोल क्लेन्सी हैट पहना हुआ था । हाथ में एक रिवॉल्वर थी और उसके चलने का अंदाज ऐसा था, जैसे वह किसी भी क्षण गोली चलाने के लिए तत्पर है ।
“यह तो अकेला ही है ।” झाड़ियों में छिपा बैठा गार्ड चौंका ।
“इसी बात की संभावना ज्यादा थी कि वह अकेला है ।” हूपर भी फुसफुसाया- “रेडियो बोर्ड पर भी इसका जो ट्रांसमीटर मैसेज सुना गया था, उससे भी यही जाहिर हो रहा था कि यह अकेला ही जंगल में घुस आया है ।”
“अब हम लोग क्या करें ?”
“अब तुमने नहीं बल्कि मैंने कुछ करना है ।” हूपर बोला ।
फिर पलक झपकते ही एक छः इंच लम्बे चमकते फल वाला चाकू हूपर के हाथ में आ गया और उसने उसे जोर से कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ खींचकर मारा ।
निशाना अचूक था । चाकू खचाक की आवाज करता हुआ सीधा कमाण्डर के रिवॉल्वर वाले हाथ पर जाकर लगा । कमाण्डर की चीख निकल गयी । रिवॉल्वर छूटकर उसके हाथ से नीचे गिर पड़ी ।
उसी क्षण भारी-भरकर शरीर वाला हूपर जंगली सूअर की तरह जम्प लेकर कमाण्डर करण सक्सेना के सामने जा खड़ा हुआ, तब उसकी आस्तीनों में से निकलकर सांय-सांय करते हुए दो चाकू और हाथ में आ चुके थे ।
फौरन ही झाड़ियों में छिपे तमाम गार्ड बाहर निकल आये ।
बाहर आते ही उन्होंने कमाण्डर को चारों तरफ से घेर लिया और उसकी तरफ अपनी-अपनी राइफलें तान दीं ।
“क... कौन हो तुम?” कमाण्डर की निगाह हूपर के चेहरे पर जाकर जम गयी ।
वह उस चाकूबाज को देखते ही पहचान चुका था ।
आखिर उस मिशन पर रवाना होने से पहले उन सभी बारह योद्धाओं की फाइलें उसने कण्ठस्थ की थीं और उनकी तस्वीरों को कई-कई मर्तबा देखा था ।
“मेरा नाम हूपर है ।” हूपर अपने हाथ में इधर-से-उधर चाकू घुमाता हुआ बोला- “दुनिया का सबसे खतरनाक चाकूबाज हूपर, मैं सपोर्ट ग्रुप का पहला यौद्धा हूँ ।”
वह शब्द कहते ही हूपर ने धड़ाधड़ वह दोनों चाकू कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ खींचकर मारे ।
दोनों चाकू सांय-सांय करते हुए उसके सिर के इधर-उधर से गुजर गये और खच्च की आवाज करते हुए सामने पेड़ में जा धंसे ।
इस बीच आस्तीन में से ही निकलकर बड़े करिश्माई ढंग से दो और चाकू हूपर के हाथ में आ चुके थे ।
“मैंने अपना परिचय तो तुम्हें दे दिया बेटे ।” फिर हूपर बोला- “अब तुम भी अपने बारे में बता दो कि तुम कौन हो और बर्मा के इस खौफनाक जंगल में क्या करने आये हो ।”
कमाण्डर करण सक्सेना, हूपर के उस चाकू प्रदर्शन से जरा भी विचलित नहीं हुआ था ।
“मेरा नाम शायद तुम लोगों ने जरूर सुना होगा । मुझे कमाण्डर करण सक्सेना कहते हैं ।”
“क... कमाण्डर करण सक्सेना ।” वहाँ मौजूद गार्डों के दिमाग में धमाका हो गया- “अंतर्राष्ट्रीय जासूस कमाण्डर करण सक्सेना ।”
“हाँ , वही ।”
सब हैरानी से एक दूसरे की शक्ल देखने लगे ।
उन्होंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उन खौफनाक जंगलो में उनका कमाण्डर करण सक्सेना जैसे जासूस से भी सामना हो सकता है ।
“तुम यहाँ किसलिए आये हो ?”
“मैं बर्मा के इन जंगलों को तुम सभी बारह योद्धाओं के खौफ से आजादी दिलाने आया हूँ ।”
“साले, हमें मारने आया है ।” हूपर फुफंकार उठा- “हम बारह योद्धाओं को मारने आया है ।”
हूपर ने धड़ाधड़ दोनों चाकू कमाण्डर करण सक्सेना के ऊपर खींचकर मारे । कमाण्डर उसका एक्शन भांप गया, वह तुरन्त नीचे गिरा । चाकू सनसनाते हुए उसके ऊपर से गुजरे ।
नीचे गिरते ही कमाण्डर ने अपने हैवरसेक बैग में से थर्टी सिक्स एच ई हैण्डग्रेड बम निकाल लिया था और उसने दांतों से पकड़कर हैण्डग्रेनेड की पिन खींची और बम सामने की तरफ उछाल दिया ।
धड़ाम !
हैण्डग्रेनेड फटने का भीषण धमाका हुआ । कई गार्ड मर्मस्पर्शी ढंग से चिल्लाते हुए नीचे गिरे । जबकि बाकी अपनी-अपनी राइफल से धुआंधार गोलियां चलाने लगे ।
 
कमाण्डर ने भागते हुए एक पेड़ के पीछे पोजिशन ले ली तथा फिर वहीं से दो-तीन हैण्डग्रेनेड बम और उन सबकी तरफ उछाले । प्रचण्ड विस्फोट हुए । वहाँ चारों तरफ धुआं-ही-धुआं फैल गया ।
धुंआ छंटा तो कमाण्डर करण सक्सेना को वहाँ काफी सारी लाशें दिखाई दीं । ऐसा लगता था, मानो सारे ही गार्ड मर गये हों । कमाण्डर ने इधर-उधर नजर दौड़ाई । उसे कहीं कोई न दिखाई दिया ।
कमाण्डर बेहद सावधानीपूर्वक पेड़ के पीछे से थोड़ा बाहर निकला । कुछ क्षण वो स्तब्ध भाव से वहीं खड़ा रहा ।
किधर से कोई गोली न चली ।
कमाण्डर रिवॉल्वर हाथ में पकड़े-पकड़े अब दबे पांव लाशों की तरफ बढ़ा ।
तभी भारी-भरकम शरीर वाला हूपर एकदम लाशों के बीच में से जम्प लेकर उठ खड़ा हुआ । फिर उसकी काली जैकिट की आस्तीन में से सर्र-सर्र करते हुए दो चाकू और हाथ में प्रकट हुए ।
“तुमने इन्हें तो मार डाला है कमाण्डर करण सक्सेना !” हूपर बड़े खतरनाक ढंग से चाकू अपने हाथ में नचाता हुआ बोला- “लेकिन अब तुम मेरे हाथों से मरोगे । बर्मा के इन जंगलों में घुसकर तुमने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी है ।”
“गलती तो मैं कर चुका हूँ ।” कमाण्डर के हाथ में मौजूद रिवॉल्वर भी फिरकनी की तरह घूमी- “लेकिन मै जंगल में अपने सिर पर कफन बांधकर घुसा हूँ । या तो तुम तमाम बारह योद्धाओं को मारूंगा या फिर खुद मरूंगा । अब कुछ-न-कुछ फैसला तो होकर रहेगा ।”
“चिन्ता मत करो कमाण्डर !” हूपर हंसा- “फैसले के लिये तुम्हें ज्यादा लम्बा इंतजार नहीं करना होगा । लो मरो !” और हूपर ने बड़े अकस्मात् ढंग से दोनों चाकू कमाण्डर की तरफ खींचकर मारे ।
ऐसा लगा, जैसे आकाश में चांदी के दो हंटर चमचमाये हों । तेज धार वाले चाकू कमाण्डर की तरफ झपटे ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन नीचे झुक गया ।
दोनों चाकू सर्र-सर्र करते हुए उसके ऊपर से गुजरे तथा सामने पेड़ के मजबूत तने में जा धंसे ।
कमाण्डर संभल पाता, उससे पहले ही सर्र-सर्र करते हुए दो चाकू और हूपर के हाथ में आ गये । इस बार वह उसकी जैकिट के कॉलर में से सनसनाते हुए बाहर निकले थे ।
“लो मरो !”
उसने फिर चाकू कमाण्डर की तरफ खींच मारे । उसके चाकू फैंकने की गति चौंका देने वाली थी ।
कमाण्डर फिर बचा ।
परन्तु इस मर्तबा एक चाकू सीधे उसकी कोल्ट रिवॉल्वर में जाकर लगा ।
टन्न !
लोहे से लोहा टकराने की तेज आवाज हुई ।
रिवॉल्वर फौरन कमाण्डर के हाथ से छूटकर नीचे जा गिरी । जबकि दूसरा चाकू कमाण्डर के क्लेंसी हैट में जाकर लगा और वह उसके हैट को लेकर पीछे जा गिरा ।
तुरन्त ही हूपर के हाथ में दो चाकू और नमूदार हुए ।
उसने चमड़े की जो टाइट पेण्ट पहनी हुई थी, उस पेण्ट की साइड में चौड़ी-चौड़ी नालियां बनी हुई थीं और वह चाकू उन्हीं नालियों में-से बाहर निकलकर उसके हाथ में आये थे ।
हूपर ने फौरन वह दोनों चाकू भी कमाण्डर की तरफ खींच मारे ।
कमाण्डर ने इस बार अपने आपको बिल्कुल नीचे जमीन पर गिरा लिया ।
वह निहत्था हो चुका था । जबकि हूपर के चाकू फैंकने की गति सचमुच अद्धितीय थी । वह सांस लेने का मौका भी नहीं दे रहा था । वह वाकई दुनिया का सबसे खतरनाक चाकूबाज था ।
कमाण्डर ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया । उस जैसे खतरनाक योद्धा को किसी शातिराना चाल में फंसाकर ही मात दी जा सकती थी ।
कमाण्डर ने देखा, हूपर के हाथ में बिजली जैसी फुर्ती के साथ दो चाकू और आ चुके थे । वह उसकी पेण्ट की मोहरी के अंदर से न जाने किधर से निकले थे ।
कमाण्डर ने इस बार जबरदस्त एक्शन दिखाया । वो नीचे गिरते ही हूपर की तरफ झपटा ।
लेकिन यह क्या, कमाण्डर झपटा नहीं था । वह उसका टाइगर क्लान का सुपर एक्शन था ।
जिस तरह शेर अपने शिकार पर झपटने से पहले शिकार को एक बार धोखा देता है कि वह उसके ऊपर झपटने वाला है, कुछ इसी तरह की हरकत कमाण्डर ने दिखाई ।
और हूपर चाल में फंस गया ।
कमाण्डर के टाइगर क्लान के एक्शन में आते ही उसने समझा कि वह उसके ऊपर झपट रहा हैं, उसने फौरन दोनों चाकू बेपनाह फुर्ती के साथ कमाण्डर की तरफ खींच मारे ।
कमाण्डर ने हवा में ही दोनों चाकू पकड़ लिये और फिर उन्हें वापस हूपर की तरफ खींचकर मारे ।
दोनों चाकू खच्च-खच्च की आवाज करते हुए सीधे हूपर के सिर में जा धंसे ।
भैंसे की तरह डकरा उठा हूपर !
उसके भयानक ढंग से आर्तनाद करने की आवाज पूरे जंगल को दहलाती चली गयी ।
सिर से खून के बड़े तेज दो फव्वारे छूटे । फिर उसका भीमकाय शरीर किसी मदमस्त हाथी की तरह नीचे गिरा ।
और गिरते ही ढेर हो गया ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने देखा, बिल्कुल अंतिम समय में भी न जाने कहाँ से निकलकर हूपर के हाथ में दो चाकू आ चुके थे, जिन्हे बस वो फैंक नहीं सका था ।
कमाण्डर, हूपर की लाश के करीब पहुँचा और फिर उसने उसके नितम्बों पर एक जोरदार ठोकर जड़ी ।
दुनिया के सबसे खतरनाक चाकूबाज को यह कमाण्डर करण सक्सेना का एक मामूली-सा तोहफा था- “अलविदा दोस्त ! अभी तुम्हारे ग्यारह साथी योद्धाओं से और मुठभेड़ होनी बाकी है । बर्मा के खौफनाक जंगलों में एक ऐसा इतिहास लिखा जाने वाला है, जो फिर कोई सदियों तक भी इस तरफ बुरी निगाह उठाकर नहीं देखेगा ।”
वहाँ चारों तरफ अब लाशें-ही-लाशें पड़ी थीं ।
फिर कमाण्डर ने कुछ महत्वपूर्ण कार्य और किये ।
बर्मा के उन जंगलों में आने से पहले कमाण्डर ने कुछ किताबें पढ़ी थीं, जिनमें जंगल वारफेयर के बारे में लिखा था कि किसी भी यौद्धा को जंगल में लड़ाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिये । जैसे अपने दुश्मन को मारने के बाद भी योद्धा इस बात की अच्छी तरह तस्दीक कर ले कि वह मर गया है या नहीं । उसमें कोई सांस तो बाकी नहीं हैं, क्योंकि अगर दुश्मन में जरा भी सांस बाकी हुई, तो वह जंगली युद्ध में कहर ढा सकता है । वो पीछे से आकर हमला कर सकता है, जो बस जानलेवा ही साबित होगा ।
इसके अलावा जंगल वारफेयर (जंगल युद्ध) का एक नियम और है कि दुश्मन को मारने के बाद उसके हथियार या तो तहस-नहस कर डालो या फिर अपने पास रखकर आगे बढ़ो, ताकि पीछे आ रहा दुश्मन का कोई और आदमी उन हथियारों का इस्तेमाल न कर सके ।
कमाण्डर ने जंगल वारफेयर के उन सभी नियमों का पालन किया ।
उसने सबसे पहले अपना क्लेंसी हैट उठाकर झाड़ा और उसे अपने सिर पर रख लिया ।
हैट की ग्लिप में कोल्ट रिवॉल्वर अभी भी सुरक्षित थी ।
फिर उसने दूसरी रिवॉल्वर भी उठाकर अपने ओवरकोट की जेब में रखी ।
उसके बाद कमाण्डर ने जांघ के साथ बंधा अपना स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिया तथा फिर वह एक-एक लाश के पास जाकर उसे चैक करने लगा ।
हर लाश को वह सीधी करके देखता कि उसमें कोई सांस तो बाकी नहीं है ।
खूब अच्छी तरह से यह तस्दीक होने के बावजूद भी कि गार्ड मर चुका है, वह उसके दिल में नौ इंच लम्बा दोधारी स्प्रिंग ब्लेड जरूर उतार देता । इससे उसके जीवित होने की अगर कोई संभावना होती, तो वह भी खत्म हो जाती ।
कई गार्ड के दिल में स्प्रिंग ब्लेड उतारने के बाद कमाण्डर करण सक्सेना ने जैसे ही एक और गार्ड की लाश को सीधा किया, तुरंत वहाँ बिजली-सी लपलपाई ।
खून में बुरी तरह लथपथ नजर आने वाला वो गार्ड एकाएक जम्प लेकर सीधा खड़ा हो गया था ।
उसके हाथ में राइफल थी ।
उसने राइफल कमाण्डर की तरफ तान दी और इससे पहले कि वो राइफल का ट्रेगर दबा पाता, बेपनाह फुर्ती के साथ कमाण्डर का स्प्रिंग ब्लेड चल गया और उसका नौ इंच लम्बा दोधारी फल गार्ड के सीने को फाड़ता चला गया ।
गार्ड के हलक से वीभत्स चीख निकली ।
झटके के साथ कमाण्डर ने स्प्रिंग ब्लेड वापस खींचा और फिर उसकी गर्दन पर वार किया ।
गार्ड की गर्दन कटकर अलग जा गिरी ।
राइफल उसके हाथ से छूट गयी । फिर उसका धड़ भी नीचे गिरा ।
सब कुछ पलक झपकते हुआ था ।
तेजी से ।
अगर कमाण्डर करण सक्सेना स्प्रिंग ब्लेड चलाने में जरा भी देर कर जाता, तो बिना शक गार्ड ने उसके ऊपर गोलियां चला देनी थी ।
बहरहाल शुक्र था, जो कोई अनहोनी न हुई ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना ने और भी ज्यादा सावधानी से एक-एक लाश को चैक किया तथा उनके दिल में स्प्रिंग ब्लेड उतारे ।
उसके बाद उसने तमाम गार्डों की असॉल्ट राइफलें भी तहस-नहस कर दीं ।
सिर्फ एक राइफल को अपने कंधे पर लटका लिया ।
गार्डो के पास गोलियों का भी काफी सारा स्टॉक था । कुछ स्टॉक उसने अपने हैवरसेक बैग में भर लिया, जबकि बाकी गोलियों को भी उसने तोड़-फोड़़ डाला ।
उसके बाद कमाण्डर बर्मा के उन जंगलों में आगे की तरफ बढ़ा ।
 
वह जंगलों में नीचे बनी सुरंग का एक अंधियारा हिस्सा था ।
उस पतली सी सुरंग में इस वक्त एक चटाई बिछी हुई थी और उस चटाई पर दो साये आपस में बुरी तरह गुंथे हुए थे ।
दोनों निर्वस्त्र थे ।
जिस्म पर कपड़े की एक धज्जी तक नहीं ।
लड़की नीचे थी ।
पुरुष ऊपर !
तभी पुरुष के हाथ सरसराते हुए लड़की की दोनो जांघों पर पहुँच गये ।
जांघे, जो धधककर अंगारा बनी हुई थीं ।
“क्या कर रहे हो ?” लड़की कुलबुलाई ।
“क्यों, क्या तुम्हें मालूम नहीं?”
लड़की हंसी ।
उसकी हंसी खनकती हुई थी ।
मादकता से भरी ।
वह दोनों ‘सैक्स’ का भरपूर आनंद लूट रहे थे ।
तभी पुरुष ने अपने धधकते हुए होंठ लड़की की मांसल उरोजों पर रख दिये ।
सनसनी सी मचती चली गयी लड़की के शरीर में ।
उसके मुँह से तीव्र सिसकारी छूटी और उसने अपनी दोनों मुट्टियों में पुरुष के कंधे कसकर जकड़ लिये ।
“ओह मारकोस, तुम मुझे पागल बना देते हो । बिल्कुल पागल ।” लड़की ने उसका एक गरमा-गरम चुम्बल ले डाला ।
“और डार्लिंग, क्या तुम भी मेरा यही हाल नहीं करतीं ।” पुरुष बोला- “तुम भी तो मुझे दीवाना बना डालती हो ।”
दोनों हंसे ।
वह दोनों खतरनाक योद्धा थे और सपोर्ट ग्रुप के मैम्बर थे ।
लड़की का नाम ‘बार्बी’ था ।
बार्बी, जो जापानी थी और जूडो कराटे की जबरदस्त एक्सपर्ट थी । यूं तो उसका असली नाम यून ही सून था, मगर ज्यादातर लोग उसे बार्बी के नाम से ही जानते थे ।
पुरुष का नाम ‘ली मारकोस’ था ।
ली मारकोस, जबरदस्त समुराई फाइटर, वो बार्बी की तरह ही जापानी था और समुराई फाइटिंग में उसे ‘ग्रेंड मास्टर’ जैसी उच्च उपाधि हासिल थी ।
वह दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे ।
सिर्फ प्यार ही नहीं करते थे बल्कि उनका सपना भी था, जब वह सभी बारह यौद्धा मिलकर पूरे बर्मा पर कब्जा करने में कामयाब हो जायेंगे, तो वह दोनों उसी दिन शादी भी कर लेंगे ।
ली मारकोस ने अब अपने होंठ बार्बी के उरोजों पर रख दिये और फिर वह बिल्कुल बच्चा बन गया ।
अबोध शिशु ।
बार्बी की नस-नस में अंगारे भरते चले गये ।
हालांकि ली मारकोस समुराई फाइटर था, जिन्हें संयम बरतने की खास ट्रेनिंग दी जाती है ।
लेकिन जब बार्बी जैसी नवयौवना बाहो में हो, तो भला कौन संयम बरत सकता है ?
वही हाल इस समय ली मारकोस का था ।
वह बड़े दीवानागार आलम में बार्बी के चुम्बन लेता चला गया ।
ढेरों चुम्बन !
उसके जिस्म का ऐसा कोई हिस्सा न था, जहाँ ली मारकोस ने अपने होंठों की मुहर न लगाई हो ।
फिर उसकी दृष्टि बार्बी की जांघों पर जाकर केन्द्रित हो गयी ।
बार्बी मुस्करायी ।
वह उसका इरादा भांप गयी ।
अगले क्षण तूफानी थे ।
जबरदस्त तूफानी ।
बार्बी के मुंह से हल्की चीख उबल पड़ी और उसके बाद सब कुछ शांत होता चला गया ।
बिल्कुल शांत ।
 
दोनों चटाई पर पड़े बुरी तरह हाँफ रहे थे ।
दोनों के शरीर पसीनों से इतने लथपथ थे कि मानों किसी ने उन दोनों के ऊपर बाल्टी भरकर पानी डाल दिया हो ।
बगलें भभक रही थीं ।
“सैक्स भी कितनी अद्भुत चीज है ।” बार्बी अभी भी मारकोस के शरीर से किसी लता की तरह चिपकी हुई थी- “जब यही सैक्स किसी के साथ जबरदस्ती किया जाता है, तो बेहद घिनौना और गंदा बन जाता है । लेकिन जब इस सैक्स में दोनों तरफ से प्यार का समावेश हो, तो फिर यह किसी खूबसूरत सपने से कम नहीं होता ।”
“बिल्कुल ठीक बात है ।” ली मारकोस ने बार्बी को और भी ज्यादा कसकर अपनी बाहों में समेटा ।
वो जानता था, बार्बी के साथ बलात्कार से संबंधित कुछ यादें जुड़ी हुई हैं, जो उसे कभी भी बेचैन कर डालती हैं ।
“क्या सोच रही हो ?” ली मारकोस ने उसके बालों में हाथ फिराया ।
“कुछ नहीं !”
“कुछ तो ।”
“उस अंजान दुश्मन के बारे में सोच रही हूँ ।” बार्बी ने गहरी सांस ली- “जो इन जंगलों में घुस आया है । वह न जाने कौन है और किस इरादे के साथ जंगल में घुसा है ?”
“उसके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है ।” ली मारकोस बोला- “उससे निपटने के लिए हूपर गया है । अब तक मुमकिन है, हूपर ने उसे जहन्नुम में पहुँचा दिया हो । उसके खतरनाक चाकुओं की धार से कोई भी आसानी से नहीं बच सकता ।”
“तुम कुछ भी कहो, मुझे न जाने क्यों उस दुश्मन के बारे में सोचकर कुछ भय हो रहा है ।”
“कैसा भय ?”
“वह आदमी अगर हम बारह योद्धाओं का मुकाबला करने के लिए अकेला ही रणक्षेत्र में उतरा है, तो उसमें जरूर कोई न कोई खास बात होगी । फिर वह जरूर कोई बहुत खतरनाक योद्धा होगा और ऐसे खतरनाक तथा हिम्मतवर यौद्धा को अकेले ही जान से मारना हूपर के लिए कोई बहुत ज्यादा आसान नहीं होगा ।”
“तुम शायद भूल रही हो ।” ली मारकोस बोला- “हूपर दुनिया का सबसे खतरनाक चाकूबाज है ।”
“मैं कुछ भी नहीं भूली ।”
“फिर यह भी तुम्हारी गलतफहमी है कि हूपर अकेला है । उसके साथ ढेरों हथियारबंद गार्ड हैं और जंगल में रहने वाले तमाम बर्मीज लोग हैं ।”
“मुझे मालूम है ।” बार्बी ने उसके चौड़े-चकले सीने पर अपना चेहरा रगड़ा- “फिर भी न जाने क्यों मेरा मन किसी अंजानी आशंका से कांप रहा है । मुझे लग रहा है कि हम बर्मा पर कब्जा करने वाले अपने इस मिशन में कामयाब नहीं हो पायेंगे ।”
“डार्लिंग, ऐसी बात मत करो ।” ली मारकोस ने उसके ढीले पड़ चुके गुलाबी उरोजों का एक चुम्बन लिया- “आओ, ऊपर हैडक्वार्टर में चलकर देखते हैं- शायद अब तक हूपर वहाँ उस दुश्मन के मरने की खबर भी लेकर आ चुका हो ।”
“चलो ।”
ली मारकोस उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया और अपने कपड़े पहनने लगा ।
फिर बार्बी भी चटाई से उठी ।
उसने भी अपने कपड़े पहनने शुरू किये ।
सबसे पहले उसने पेंटी पहनी ।
फिर ब्रा के कप्स अपने दोनों उरोजों पर चढ़ाकर हाथ पीछे करके हुक लगाने लगी ।
उसका शरीर काफी कसा हुआ था ।
बेहद सुडौल !
उसकी कद-काठी दूसरी जापानी लड़कियों की तरह ही थी और रंग बेहद गोरा था ।
उसके शरीर में सबसे खूबसूरत उसकी आँखें थी ।
नीली-नीली आँखें ।
कोई सोच भी नहीं सकता था कि इतनी खूबसूरत गुड़िया सी नजर आने वाली वो लड़की अपनी जिंदगी में दर्जनों आदमियों को मौत के घाट उतारी चुकी है ।
 
वह बुरी तरह जख्मी एक गार्ड था ।
शरीर में गोलियां लगीं हुई थीं ।
कपड़े फटे हुए ।
खून और बारूद में लिपटा हुआ ।
उसकी हालत इतनी नाजुक थी कि उसे देखकर यही आश्चर्य होता था, वह अभी तक जीवित कैसे है ? उसके कंधे पर राइफल झूल रही थी और वो बेहद लड़खड़ाते हुए कदमों से योद्धाओं के हैडक्वार्टर की तरफ चला आ रहा था ।
जैसे ही वो हैडक्वार्टर के नजदीक आया, फौरन उसे गश आ गया और वहीं लड़खड़ाकर गिर पड़ा ।
हैडक्वार्टर के बाहर जो गार्ड तैनात थे, वह तुरंत उसकी तरफ झपटे ।
“अरे !” तभी उनमें से एक गार्ड बुरी तरह चौंककर बोला- “यह तो विक्टर है ।”
“विक्टर !”
“हाँ, रात ही तो यह हूपर साहब के साथ जंगल में गया था, दुश्मन को पकड़ने के लिए ।”
“जरूर यह उसी संबंध में कोई खबर लाया है ।”
कई सारे गार्ड अब बुरी तरह जख्मी होकर विक्टर के नजदीक पहुँच चुके थे ।
“विक्टर-विक्टर !”
उन्होंने विक्टर को बुरी तरह झिंझोड़ा ।
परन्तु विक्टर में कोई हरकत न हुई ।
“लगता है, यह बेहोश हो गया । जल्दी से कोई पानी लाओ ।”
फौरन एक गार्ड पानी लाने के लिए अंदर की तरफ दौड़ा ।
जल्द ही वो एक गिलास में पानी ले आया, जिसे उस जख्मी गार्ड के चेहरे पर छिड़का गया ।
“विक्टर-विक्टर !”
गार्ड ने उसे पुनः जोर जोर से झिंझोड़ा ।
“म... मैं कहाँ हूँ ?” विक्टर नाम का वो गार्ड आहिस्ता से कुलबुलाया और उसने अपनी आँखें खोली ।
“तुम इस समय हैडक्वार्टर में हो विक्टर और बिल्कुल सुरक्षित हो, लेकिन तुम्हारी यह हालत किसने की ?”
“म... मुझे जल्दी से जैक... जैक क्रेमर साहब के पास ले चलो । उ... उन्हीं के सामने मैं सारी बात बताऊंगा । हम... हम सब भारी खतरे में हैं ।”
“कैसा खतरा ?”
“म... मुझे जल्दी जैक... जैक क्रेमर साहब के पास ले चलो ।”
“मैं समझता हूँ ।” तभी एक गार्ड, दूसरे गार्ड से बोला- “हमें विक्टर को फ़ौरन क्लीनिक में लेकर चलना चाहिये, पहले इसे इलाज की जरूरत है ।”
वहीं योद्धाओं के पैगोडा जैसे हैडक्वार्टर में एक छोटा सा नर्सिंग होम भी बना हुआ था, जहाँ लगभग सभी चिकित्सकीय सुविधायें मौजूद थीं ।
“नहीं ।” विक्टर ने तुरंत उस गार्ड की बात कही- “म... मुझे बस जैक... जैक क्रेमर साहब के पास ले चलो...जल्दी ! म... मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है ।”
“चलो, इसे पहले जैक क्रेमर साहब के पास ही लेकर चलते हैं ।”
“ठीक है, वहीं चलो ।”
कई गार्ड ने अब बुरी तरह जख्मी विक्टर को अपने हाथों में उठा लिया और फिर वह उसे लेकर अंदर की तरफ दौड़े ।
 
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