hotaks444
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पिंकी जब निशि के करीब आई तो अपनी चादर पर वो ऊपर से नंगी होकर पसरी पड़ी थी...
उसके चेहरे और छाती पर लाला के वीर्य की बूंदे चमक रही थी....
जैसे सोने के थाल पर खीर के छींटे पड़ गये हो..
पिंकी ने एक लंबी सी सिसकारी मारते हुए कहा : "साली....क्या किस्मत है रे तेरी......लाला का लंड चूस लिया आज तो तूने...इतना मोटा लंड था...मुँह में भी नही जा रहा था तेरे...फिर भी निगल गयी थी....एक नंबर की कुतिया है तू तो....सच में यार....आज पहली बार तुझसे जलन हो रही है की मुझे क्यो नही मिले ये मज़े ......काश मैं होती तेरी जगह आज.....लाला के लंड को चूस लेती बुरी तरह से......उम्म्म्म......क्या लंड था यार.....अंधेरे में भी हीरे की तरह चमक रहा था....''
पिंकी एक ही साँस में बोलती चली जा रही थी और निशि अपनी चूत में उंगली डालकर लाला के ख़यालो में खोई हुई थी...
अंत में वो बोली : "सही कह रही है तू यार....लाला का लंड सच में कमाल का था....क्या खुश्बू थी उसकी....और उसमें से निकला ये रस....उम्म्म्मममममम......मैं तो जबरी फेन हो गयी रे लाला के लंड की और उसके इस मीठे पानी की....''
पिंकी ने जब निशि के चेहरे पर चमक रही लाला के रस की बूँद देखी तो उसे पता नही अचानक क्या हुआ और उसने नीचे झुकते हुए वो बूँद अपनी जीभ से चाट ली...
''आआआआआआआआआआहह.......सच कह रही है रे तू.....क्या बड़िया स्वाद है....लगता है लाला को मीठा बहुत पसंद है....''
दोनो सहेलियां खिलखिला कर हंस दी..
और फिर तो पिंकी बावली सी होकर निशि पर टूट ही पड़ी...
पिंकी ने निशि का पायज़ामा भी उतार फेंका...
अब निशि का नंगा शरीर चटाई की तरह बिछा पड़ा था उसके सामने...
वो अपनी जीभ से उसके हर अंग को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी...
निशि ने भी कुतिया बनी पिंकी का टॉप पकड़कर निकाल दिया और अब वो दोनो सहेलियां, घुपप अंधेरे में , छत्त पर एकदम नंगी थी.
पिंकी ने सबसे पहले तो उसके मुँह पर अपना मुँह लगाकर उसे चूमना और चूसना शुरू कर दिया...
और उसके मुँह से जितना हो सकता था, लाला का बचा खुचा रस निकाल कर खुद पी गयी...
दोनो के कमसिन और नन्हे बूब्स एक दूसरे से टकरा कर करर्र की आवाज़े निकाल रहे थे....
कभी पिंकी उसके बूब्स को चूसती और कभी निशि...
उन्होंने आज से पहले इतनी बुरी तरह से एक दूसरे को प्यार नही किया था..
और आज ऐसा करने का कारण ये था की दोनो एक दूसरे में लाला का अक्स देख रही थी..
वो सोच रहे थे की ये वो अपनी सहेली के साथ नही बल्कि लाला के साथ कर रहे है..
बस कमी थी तो लाला के लंड की....
क्योंकि दोनो के लंड वाली जगह तो चूते थी...
पर दोनो में हवस ही इतनी बढ़ चुकी थी की पिंकी ने एक पलटी मारकर अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर उसे चूसने लगी...
दोनो के मुँह से किलकरियाँ फूट पड़ी...
पिछले 1-2 घंटे से दोनो की चूत नदियाँ बहा रही थी और अब उन नदियों का पानी पीने के लिए एक दूसरे के मुँह आ गये थे जो सडप -2 की आवाज़ के साथ एक दूसरे का रस चूस रहे थे..
भले ही अभी के लिए उन्हे चूत चूसने में मज़ा आ रहा था पर दोनो के मन में यही चल रहा था की काश इस वक़्त लाला का लंड होता उनके मुँह में ...
और इन्हीं गंदे विचारों ने उनकी चूत का तापमान बड़ा कर उच्चतम सीमा तक कर दिया और दोनो भरभराते हुए झड़ने लगी...
पिंकी चिल्लाई
''आआआआआआआआआआअहह.......मेरी ज़ाआाआआआआआअन्न्.....मैं तो गयी रे.......अहह........ओह लाला.................क्या जादू कर गया रे.......अपना लंड दिखाकर अपना गुलाम बना लिया रे तूने ......आआआआआआआआहह''
निशि ने भी उसकी सिसकारी में अपनी सिसकारी मिलाई
''आआआआआआआआहह.....सही कहा तूने............सच .....गज़ब का जादू कर गया वो लाला..........उम्म्म्ममममममम.......क्या लंड था यार.......मन तो कर रहा है उसकी गुलाम बनकर हमेशा उसका लंड चूसती रहूं .....नहाती रहूं उसके मीठे रस में ......''
दोनो की चूत से खट्टे पानी की बौछारें हवा में उछल रही थी.....
कुछ एक दूसरे के मुँह में जा रही थी और कुछ नीचे की चादर पर....
ऐसी तृप्ति उन्हे आज तक नही मिली थी.....
ये ठीक वैसा ही था जैसे उनकी जवानी को एक नया आयाम मिल गया हो लाला के रूप में ....
जिसके मध्यम से वो अपने अंदर की सारी इच्छाएं पूरी करना चाहती थी...
और उधर उस लाला को ये भी पता नही था की उसके लंड की याद में पीछे कितना बवाल हो रहा है....
अगर लाला ये खेल देखने के लिए वहां छुपा रहता तो उसे आज अपने आप पर और अपने रामलाल पर गर्व होता..
लेकिन वो तो घर जाकर आने वाले कल के नये प्लान बना रहा था...
क्योंकि जिस चिड़िया ने आज उसका लंड चूसा था उसके और उसकी सहेली पिंकी के उपर उसकी काफ़ी दीनो से नज़र थी....
और उसकी उन्ही कोशिशो का प्रमाण था की वो खुद ही उसकी झोली में आ गिरी थी...
वो हरामी लाला ये बात तो जानता ही था की दोनो सहेलियां जो भी करती है एक साथ ही करती है, और हो ना हो, आज निशि के छत्त पर होने के बारे में उसकी सहेली पिंकी को भी पता ज़रूर होगा...
लाला जान चुका था की वो मीनल नही बल्कि उसकी बहन निशि थी और ये बात लाला को अब अच्छे से पता चल चुकी थी की निशि अब उसके लंड के लिए पागल हो चुकी होगी और जल्द ही अपनी तरफ से खुद पहल करके चुदवाने आएगी...
अब यहाँ लाला के पास 2 विकल्प थे...
एक तो वो निशि को चोद डाले और बाद में पिंकी के भी समर्पण का इंतजार करे..
या अपनी चालाकी से निशि को मजबूर कर दे ताकि वो खुद अपनी सहेली को उसके सामने लेकर हाजिर हो जाए....
ऐसे में एक साथ 2 कमसिन लड़कियों की चुदाई का जो आनंद उसे मिलेगा, उसका मुकाबला दुनिया के किसी भी सुख से नही किया जा सकेगा..
बस...
डिसाईड कर लिया की जो भी हो, वो दोनों को एक साथ ही चोदेगा
लाला अपने कपटी दिमाग़ में योजनाए बनाने लगा की कैसे वो अपने प्लान को सार्थक करे..
अगले दिन निशि जब उठी तो उसे रात में हुई एक-एक बात याद आने लगी...
अभी तक उसके जिस्म से लाला के लंड से निकले मीठे पानी की खुश्बू आ रही थी...
अपनी चूत पर अभी तक उसे पिंकी के होंठ और तेज दांतो की चुभन महसूस हो रही थी...
काश लाला ने भी उसकी चूत को चूसा होता..
पर कल रात जो हुआ उसके बाद तो अब उसकी चूत की कसक और भी बढ़ चुकी थी और उसने निश्चय कर लिया की अब ऐसे मीनल दीदी की आड़ में वो और कुछ तो कर ही नही पाएगी इसलिए उसे खुद ही सामने आकर , बेशर्म बनकर लाला को वो सब करने के लिए राज़ी करना होगा...
लाला तो खैर पहले से ही राज़ी था
उसे तो बस अपने आप को खुलकर लाला के सामने पेश करना था बस..
और इसी निश्चय के साथ वो उठ खड़ी हुई और नहा धोकर, अच्छे से तैयार होकर , पिंकी को बिना बताए ही वो लाला की दुकान की तरफ चल दी.
वहां लाला को भी पता था की आज निशि की चूत में ज़रूर फुलझड़ियां छूट रही होगी और वो आएगी ज़रूर, इसलिए वो खुद ही अपना प्लान बनाकर उसका इन्तजार कर रहा था..
लाला ने जब उसे अपनी दुकान की तरफ आते देखा तो उसने अपनी धोती में छुपे अपने यार, प्यारे रामलाल को पूचकारा और धीरे से कहा : "बेटा रामलाल....देख आ रही है वो कड़क माल....जिसकी चूत जल्द ही तेरी खुराक बनेगी...''
निशि ने मुस्कुराते हुए लाला की दुकान में प्रवेश किया और बोली : "राम राम लाला जी....''
उसे देखकर लाला का चेहरा खिल उठा
लाला : "आ री निशि आ जा....कैसी है तू....आजकल अकेली ही चली आती है अपनी जोड़ीदार के बिना...पहले तो तुम दोनो एक दूसरे के बिना दिखती भी नही थी...''
निशि ने बड़ी ही बेशर्मी भरी नजरों से लाला को देखा और बोली : "बस लालाजी....आप ही हो इस बात के ज़िम्मेदार....अकेले में आने का जो फ़ायदा आपसे मिलता है, वो साथ आने में नही मिल पाता...''
लाला समझ गया की वो कल वाली बात को सोचकर ये सब कह रही है....
जब लाला ने पिंकी को क्रीम रोल के बहाने अपने लंड के दर्शन करा दिए थे....
शायद उसी तरह के कुछ कार्यकर्म की आस में वो आज वहां आई थी...
लाला गोर से उसकी कुरती को देख रहा था और उसे ये पता करते देर नही लगी की उस हरामन ने आज ब्रा नही पहनी हुई है....
रंडी के दोनो निप्पल बटन बनकर उसकी छाती पर चमक रहे थे...
लाला को अपनी छाती की तरफ देखता पाकर निशि के वो कड़क निप्पल और भी ज़्यादा उभर कर बाहर निकल आए...
जब उनकी तारीफ लाला की हवस भरी नज़रें चिल्ला-2 कर कर रही हो तो उनसे कैसे बैठा जाना था दुबककर...
लाला तो सिर्फ़ उसकी छाती ही देख रहा था...
उसे ये नही पता था की उसके घाघरे के अंदर छुपी चूत भी बिना पेंटी के है आज....
यानी फुल तैयारी के साथ आई थी वो लाला की दुकान पर..
लाला कुछ देर तक उसे देखता रहा और बोला : "और सुना निशि ...तेरी बहन मीनल कैसी है....''
मीनल का नाम लेते हुए लाला जान बूझकर अपने रामलाल को निशि के सामने ही रगड़ रहा था ताकि उसे भी पता चले की उसकी बात का मतलब क्या है..
निशि कुछ देर तक तो चुप रही
फिर उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली और कहना शुरू किया
"वो...वो ...लालाजी ...वही बात करने मैं आज आपके पास आई थी....कल सुबह ...मैने ...और पिंकी ने ...आपको और मीनल दीदी को झरने के नीचे....वो ...वो सब ....करते ...देख लिया था....और ...बाद में अचानक दीदी को अपने घर के लिए निकलना पड़ा....पर आपकी बातें सुनने के बाद...मैने और पिंकी ने यही प्लान बनाया की ....की...रात को जब आप घर आओगे तब मैं मीनल दीदी की जगह लेट जाउंगी ....और आपको पता नही चलेगा....और ....कल रात जब आप छत्त पर आए...तो...वहां ...मैं थी.....मीनल दीदी नही....''
ये एक-2 शब्द बोलते हुए निशि का सीना धाड़-2 बज रहा था...
घाघरे के अंदर छुपी चूत से टपा-टप रसीले पानी की बूंदे दुकान के फर्श पर गिर रही थी...
लाला को अब समझ में आया की अचानक मीनल कहां गायब हो गयी...पर ये नहीं समझ पाया की वो पिंकी और निशि की चाल थी
बाकी तो उसे पता ही था की यही थी कल रात को....
और ये सब वो उसे इसलिए बता रही थी क्योंकि अब उसे शायद अपनी चूत की खुजली बर्दाश्त नही हो रही थी...
पर फिर भी वो अनजान बनने का नाटक करते हुए और डरी हुई सी आवाज़ में बोला
"ओहो.....ये तो बहुत ग़लत बात हो गयी....एक तो तूने कल मुझे अपनी बहन की चुदाई करते देख लिया और उपर से मैने तेरे साथ वो सब किया....ऐसा मुझे नही करना चाहिए था निशि ....ऐसा मुझे नही करना चाहिए था....''
लाला ने अपना चेहरा एक बेचारे की तरह बना लिया...
जैसे सच में उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा हो...
लाला के शब्द सुनते ही निशि ने सकपका कर अपना चेहरा उपर किया और अपना कोमल हाथ लाला के हाथ पर रखते हुए बोली : "अर्रे नही लालाजी ....मैं ये सब यहाँ इसलिए नही कहने आई हूँ की मुझे ये सब बुरा लगा....अगर ऐसा होता तो मैं भला मीनल दीदी के बदले वहां क्यो लेट जाती...और आपके साथ वो सब करती....वो तो मैं आपको इसलिए बता रही हूँ ताकि....आपको पता हो की....की मैं थी वो.....और....और ...मुझे....वो...बुरा नही लगा....''
लाला ने उसके नर्म हाथ को अपने कठोर हाथो में ज़ोर से दबा दिया और कहा : "बुरा नही लगा ...यानी अच्छा लगा तुझे....है....बोल ना.... अच्छा लगा ना तुझे लाला का लंड ...ह्म्म्म्म....बोल ना....''
जवाब में निशि की नज़रों में गुलाबीपन उतर आया....
और उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें फिर से झुका ली और बहुत धीमी आवाज़ में बोली : "जी लालाजी.... अच्छा लगा मुझे...आपका...वो..रामलाल...''
उसके चेहरे और छाती पर लाला के वीर्य की बूंदे चमक रही थी....
जैसे सोने के थाल पर खीर के छींटे पड़ गये हो..
पिंकी ने एक लंबी सी सिसकारी मारते हुए कहा : "साली....क्या किस्मत है रे तेरी......लाला का लंड चूस लिया आज तो तूने...इतना मोटा लंड था...मुँह में भी नही जा रहा था तेरे...फिर भी निगल गयी थी....एक नंबर की कुतिया है तू तो....सच में यार....आज पहली बार तुझसे जलन हो रही है की मुझे क्यो नही मिले ये मज़े ......काश मैं होती तेरी जगह आज.....लाला के लंड को चूस लेती बुरी तरह से......उम्म्म्म......क्या लंड था यार.....अंधेरे में भी हीरे की तरह चमक रहा था....''
पिंकी एक ही साँस में बोलती चली जा रही थी और निशि अपनी चूत में उंगली डालकर लाला के ख़यालो में खोई हुई थी...
अंत में वो बोली : "सही कह रही है तू यार....लाला का लंड सच में कमाल का था....क्या खुश्बू थी उसकी....और उसमें से निकला ये रस....उम्म्म्मममममम......मैं तो जबरी फेन हो गयी रे लाला के लंड की और उसके इस मीठे पानी की....''
पिंकी ने जब निशि के चेहरे पर चमक रही लाला के रस की बूँद देखी तो उसे पता नही अचानक क्या हुआ और उसने नीचे झुकते हुए वो बूँद अपनी जीभ से चाट ली...
''आआआआआआआआआआहह.......सच कह रही है रे तू.....क्या बड़िया स्वाद है....लगता है लाला को मीठा बहुत पसंद है....''
दोनो सहेलियां खिलखिला कर हंस दी..
और फिर तो पिंकी बावली सी होकर निशि पर टूट ही पड़ी...
पिंकी ने निशि का पायज़ामा भी उतार फेंका...
अब निशि का नंगा शरीर चटाई की तरह बिछा पड़ा था उसके सामने...
वो अपनी जीभ से उसके हर अंग को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी...
निशि ने भी कुतिया बनी पिंकी का टॉप पकड़कर निकाल दिया और अब वो दोनो सहेलियां, घुपप अंधेरे में , छत्त पर एकदम नंगी थी.
पिंकी ने सबसे पहले तो उसके मुँह पर अपना मुँह लगाकर उसे चूमना और चूसना शुरू कर दिया...
और उसके मुँह से जितना हो सकता था, लाला का बचा खुचा रस निकाल कर खुद पी गयी...
दोनो के कमसिन और नन्हे बूब्स एक दूसरे से टकरा कर करर्र की आवाज़े निकाल रहे थे....
कभी पिंकी उसके बूब्स को चूसती और कभी निशि...
उन्होंने आज से पहले इतनी बुरी तरह से एक दूसरे को प्यार नही किया था..
और आज ऐसा करने का कारण ये था की दोनो एक दूसरे में लाला का अक्स देख रही थी..
वो सोच रहे थे की ये वो अपनी सहेली के साथ नही बल्कि लाला के साथ कर रहे है..
बस कमी थी तो लाला के लंड की....
क्योंकि दोनो के लंड वाली जगह तो चूते थी...
पर दोनो में हवस ही इतनी बढ़ चुकी थी की पिंकी ने एक पलटी मारकर अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर उसे चूसने लगी...
दोनो के मुँह से किलकरियाँ फूट पड़ी...
पिछले 1-2 घंटे से दोनो की चूत नदियाँ बहा रही थी और अब उन नदियों का पानी पीने के लिए एक दूसरे के मुँह आ गये थे जो सडप -2 की आवाज़ के साथ एक दूसरे का रस चूस रहे थे..
भले ही अभी के लिए उन्हे चूत चूसने में मज़ा आ रहा था पर दोनो के मन में यही चल रहा था की काश इस वक़्त लाला का लंड होता उनके मुँह में ...
और इन्हीं गंदे विचारों ने उनकी चूत का तापमान बड़ा कर उच्चतम सीमा तक कर दिया और दोनो भरभराते हुए झड़ने लगी...
पिंकी चिल्लाई
''आआआआआआआआआआअहह.......मेरी ज़ाआाआआआआआअन्न्.....मैं तो गयी रे.......अहह........ओह लाला.................क्या जादू कर गया रे.......अपना लंड दिखाकर अपना गुलाम बना लिया रे तूने ......आआआआआआआआहह''
निशि ने भी उसकी सिसकारी में अपनी सिसकारी मिलाई
''आआआआआआआआहह.....सही कहा तूने............सच .....गज़ब का जादू कर गया वो लाला..........उम्म्म्ममममममम.......क्या लंड था यार.......मन तो कर रहा है उसकी गुलाम बनकर हमेशा उसका लंड चूसती रहूं .....नहाती रहूं उसके मीठे रस में ......''
दोनो की चूत से खट्टे पानी की बौछारें हवा में उछल रही थी.....
कुछ एक दूसरे के मुँह में जा रही थी और कुछ नीचे की चादर पर....
ऐसी तृप्ति उन्हे आज तक नही मिली थी.....
ये ठीक वैसा ही था जैसे उनकी जवानी को एक नया आयाम मिल गया हो लाला के रूप में ....
जिसके मध्यम से वो अपने अंदर की सारी इच्छाएं पूरी करना चाहती थी...
और उधर उस लाला को ये भी पता नही था की उसके लंड की याद में पीछे कितना बवाल हो रहा है....
अगर लाला ये खेल देखने के लिए वहां छुपा रहता तो उसे आज अपने आप पर और अपने रामलाल पर गर्व होता..
लेकिन वो तो घर जाकर आने वाले कल के नये प्लान बना रहा था...
क्योंकि जिस चिड़िया ने आज उसका लंड चूसा था उसके और उसकी सहेली पिंकी के उपर उसकी काफ़ी दीनो से नज़र थी....
और उसकी उन्ही कोशिशो का प्रमाण था की वो खुद ही उसकी झोली में आ गिरी थी...
वो हरामी लाला ये बात तो जानता ही था की दोनो सहेलियां जो भी करती है एक साथ ही करती है, और हो ना हो, आज निशि के छत्त पर होने के बारे में उसकी सहेली पिंकी को भी पता ज़रूर होगा...
लाला जान चुका था की वो मीनल नही बल्कि उसकी बहन निशि थी और ये बात लाला को अब अच्छे से पता चल चुकी थी की निशि अब उसके लंड के लिए पागल हो चुकी होगी और जल्द ही अपनी तरफ से खुद पहल करके चुदवाने आएगी...
अब यहाँ लाला के पास 2 विकल्प थे...
एक तो वो निशि को चोद डाले और बाद में पिंकी के भी समर्पण का इंतजार करे..
या अपनी चालाकी से निशि को मजबूर कर दे ताकि वो खुद अपनी सहेली को उसके सामने लेकर हाजिर हो जाए....
ऐसे में एक साथ 2 कमसिन लड़कियों की चुदाई का जो आनंद उसे मिलेगा, उसका मुकाबला दुनिया के किसी भी सुख से नही किया जा सकेगा..
बस...
डिसाईड कर लिया की जो भी हो, वो दोनों को एक साथ ही चोदेगा
लाला अपने कपटी दिमाग़ में योजनाए बनाने लगा की कैसे वो अपने प्लान को सार्थक करे..
अगले दिन निशि जब उठी तो उसे रात में हुई एक-एक बात याद आने लगी...
अभी तक उसके जिस्म से लाला के लंड से निकले मीठे पानी की खुश्बू आ रही थी...
अपनी चूत पर अभी तक उसे पिंकी के होंठ और तेज दांतो की चुभन महसूस हो रही थी...
काश लाला ने भी उसकी चूत को चूसा होता..
पर कल रात जो हुआ उसके बाद तो अब उसकी चूत की कसक और भी बढ़ चुकी थी और उसने निश्चय कर लिया की अब ऐसे मीनल दीदी की आड़ में वो और कुछ तो कर ही नही पाएगी इसलिए उसे खुद ही सामने आकर , बेशर्म बनकर लाला को वो सब करने के लिए राज़ी करना होगा...
लाला तो खैर पहले से ही राज़ी था
उसे तो बस अपने आप को खुलकर लाला के सामने पेश करना था बस..
और इसी निश्चय के साथ वो उठ खड़ी हुई और नहा धोकर, अच्छे से तैयार होकर , पिंकी को बिना बताए ही वो लाला की दुकान की तरफ चल दी.
वहां लाला को भी पता था की आज निशि की चूत में ज़रूर फुलझड़ियां छूट रही होगी और वो आएगी ज़रूर, इसलिए वो खुद ही अपना प्लान बनाकर उसका इन्तजार कर रहा था..
लाला ने जब उसे अपनी दुकान की तरफ आते देखा तो उसने अपनी धोती में छुपे अपने यार, प्यारे रामलाल को पूचकारा और धीरे से कहा : "बेटा रामलाल....देख आ रही है वो कड़क माल....जिसकी चूत जल्द ही तेरी खुराक बनेगी...''
निशि ने मुस्कुराते हुए लाला की दुकान में प्रवेश किया और बोली : "राम राम लाला जी....''
उसे देखकर लाला का चेहरा खिल उठा
लाला : "आ री निशि आ जा....कैसी है तू....आजकल अकेली ही चली आती है अपनी जोड़ीदार के बिना...पहले तो तुम दोनो एक दूसरे के बिना दिखती भी नही थी...''
निशि ने बड़ी ही बेशर्मी भरी नजरों से लाला को देखा और बोली : "बस लालाजी....आप ही हो इस बात के ज़िम्मेदार....अकेले में आने का जो फ़ायदा आपसे मिलता है, वो साथ आने में नही मिल पाता...''
लाला समझ गया की वो कल वाली बात को सोचकर ये सब कह रही है....
जब लाला ने पिंकी को क्रीम रोल के बहाने अपने लंड के दर्शन करा दिए थे....
शायद उसी तरह के कुछ कार्यकर्म की आस में वो आज वहां आई थी...
लाला गोर से उसकी कुरती को देख रहा था और उसे ये पता करते देर नही लगी की उस हरामन ने आज ब्रा नही पहनी हुई है....
रंडी के दोनो निप्पल बटन बनकर उसकी छाती पर चमक रहे थे...
लाला को अपनी छाती की तरफ देखता पाकर निशि के वो कड़क निप्पल और भी ज़्यादा उभर कर बाहर निकल आए...
जब उनकी तारीफ लाला की हवस भरी नज़रें चिल्ला-2 कर कर रही हो तो उनसे कैसे बैठा जाना था दुबककर...
लाला तो सिर्फ़ उसकी छाती ही देख रहा था...
उसे ये नही पता था की उसके घाघरे के अंदर छुपी चूत भी बिना पेंटी के है आज....
यानी फुल तैयारी के साथ आई थी वो लाला की दुकान पर..
लाला कुछ देर तक उसे देखता रहा और बोला : "और सुना निशि ...तेरी बहन मीनल कैसी है....''
मीनल का नाम लेते हुए लाला जान बूझकर अपने रामलाल को निशि के सामने ही रगड़ रहा था ताकि उसे भी पता चले की उसकी बात का मतलब क्या है..
निशि कुछ देर तक तो चुप रही
फिर उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली और कहना शुरू किया
"वो...वो ...लालाजी ...वही बात करने मैं आज आपके पास आई थी....कल सुबह ...मैने ...और पिंकी ने ...आपको और मीनल दीदी को झरने के नीचे....वो ...वो सब ....करते ...देख लिया था....और ...बाद में अचानक दीदी को अपने घर के लिए निकलना पड़ा....पर आपकी बातें सुनने के बाद...मैने और पिंकी ने यही प्लान बनाया की ....की...रात को जब आप घर आओगे तब मैं मीनल दीदी की जगह लेट जाउंगी ....और आपको पता नही चलेगा....और ....कल रात जब आप छत्त पर आए...तो...वहां ...मैं थी.....मीनल दीदी नही....''
ये एक-2 शब्द बोलते हुए निशि का सीना धाड़-2 बज रहा था...
घाघरे के अंदर छुपी चूत से टपा-टप रसीले पानी की बूंदे दुकान के फर्श पर गिर रही थी...
लाला को अब समझ में आया की अचानक मीनल कहां गायब हो गयी...पर ये नहीं समझ पाया की वो पिंकी और निशि की चाल थी
बाकी तो उसे पता ही था की यही थी कल रात को....
और ये सब वो उसे इसलिए बता रही थी क्योंकि अब उसे शायद अपनी चूत की खुजली बर्दाश्त नही हो रही थी...
पर फिर भी वो अनजान बनने का नाटक करते हुए और डरी हुई सी आवाज़ में बोला
"ओहो.....ये तो बहुत ग़लत बात हो गयी....एक तो तूने कल मुझे अपनी बहन की चुदाई करते देख लिया और उपर से मैने तेरे साथ वो सब किया....ऐसा मुझे नही करना चाहिए था निशि ....ऐसा मुझे नही करना चाहिए था....''
लाला ने अपना चेहरा एक बेचारे की तरह बना लिया...
जैसे सच में उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा हो...
लाला के शब्द सुनते ही निशि ने सकपका कर अपना चेहरा उपर किया और अपना कोमल हाथ लाला के हाथ पर रखते हुए बोली : "अर्रे नही लालाजी ....मैं ये सब यहाँ इसलिए नही कहने आई हूँ की मुझे ये सब बुरा लगा....अगर ऐसा होता तो मैं भला मीनल दीदी के बदले वहां क्यो लेट जाती...और आपके साथ वो सब करती....वो तो मैं आपको इसलिए बता रही हूँ ताकि....आपको पता हो की....की मैं थी वो.....और....और ...मुझे....वो...बुरा नही लगा....''
लाला ने उसके नर्म हाथ को अपने कठोर हाथो में ज़ोर से दबा दिया और कहा : "बुरा नही लगा ...यानी अच्छा लगा तुझे....है....बोल ना.... अच्छा लगा ना तुझे लाला का लंड ...ह्म्म्म्म....बोल ना....''
जवाब में निशि की नज़रों में गुलाबीपन उतर आया....
और उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें फिर से झुका ली और बहुत धीमी आवाज़ में बोली : "जी लालाजी.... अच्छा लगा मुझे...आपका...वो..रामलाल...''