hotaks444
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नंगी माँ ने अपनी बेटी को लेटे -2 ताना दे दिया उसकी चुदाई का..
शबाना : "अब ऐसे बुत्त बनकर क्या देख रही है...चल काम पर लग जा...तुझे तो वो बुड्ढा संतुष्ट कर गया, पर मेरी आग तो अभी तक जल रही है...''
बात तो वो सही कह रही थी...
एक तरह से शबाना की चुदाई को उसके मुँह से खींचकर अपनी चूत तक ले गयी थी उसकी बेटी नाज़िया..
ऐसे में शबाना का इस आग में जलना तो बनता ही था..
और नाज़िया ने भी अपनी माँ की बात मानना ही सही समझा...
क्योंकि ऐसे घर बैठे अगर थोड़ी बहुत चूसम चुसाई करने को मिल जाए तो ये सोने पर सुहागा ही होगा उसकी लाइफ के लिए..
और वैसे भी अभी तक तो चूत चूसने में उसे मज़ा ही आया था...
आज खुद की माँ की भी चूस कर देख लेगी की इसमे क्या हर्ज है.
इसलिए वो चुपचाप उठी और अपनी माँ की टाँगो के बीच जाकर लेट गयी...
शबाना ने अपनी जाँघो के बीच उसके सिर को फँसाया और अपनी चूत को उपर करते हुए उसके चेहरे पर ज़ोर से दबा दिया..
अपनी माँ की उस चूत को चूस्कर , जिसमें से वो खुद निकली थी, आज नाज़िया को बहुत आनंद आ रहा था..
सबसे पहली बात तो ये थी की ये भी पिंकी की चूत जैसी मीठी थी...
उपर से इतने सालो से हो रही चुदाई की वजह से वो फूल कर इतनी मोटी हो चुकी थी की उसे चूसते हुए ऐसा फील हो रहा था जैसे कोई फ्रूट छील कर उसके सामने रख दिया हो, और उसकी मिठास को मुँह में लेकर वो बस उसे खाये जा रही थी.
अपनी जीभ को जब नाज़िया ने अपनी माँ की मोटी चूत में उतारा तो वो एक आनंद भरे मजे में भरकर चिल्ला पड़ी..
''आआआआआआआआआआआआआहह......... हाआआआआआन्न्*नणणन्,....... ऐसे ही चूस...... उम्म्म्मममममममम......... वाााआअहह..... क्या मस्त चूस रही है री तू तो...... आहह...कहाँ से सीखा ये तूने...... ह्म्*म्म्ममम.... बोल.....''
उसने अपनी माँ की चूत के रस से भीगा चेहरा उपर उठाया और बोली : "कुछ चीज़े तो लड़कियां अपनी माँ की चूत से ही सीखकर बाहर निकलती है अम्मी..''
ये सुनकर शबाना मुस्कुरा दी और उसका सिर पकड़कर एक बार फिर से उसे उसकी माँ की चूत यानी अपनी फुददी में घुसा दिया..
शबाना को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जीभ नही बल्कि कोई रेशम का कीड़ा चल रहा है उसकी नंगी चूत पर....
जो उसकी चूत के रस में नहाकर और उस नशे में डूबकर लड़खड़ा सा रहा है और इधर उधर गिर रहा है...
नाज़िया का पूरा चेहरा और नाक तक शबाना के रस में डूबकर गीली हो चुकी थी...
और अचानक शबाना का पूरा शरीर अकड़ने सा लग गया...
ये वो संकेत था जिसे नाज़िया को समझने में एक पल भी नही लगा और उसने अपनी जीभ का चप्पू अपनी माँ की नैय्या में बैठकर और ज़ोर से चलाना शुरू कर दिया ....
और जल्द ही उस नदी का बाँध टूट गया जिसमे वो नैय्या चल रही थी....
और कलकल करता हुआ ढेर सारा गाड़ा रस शबाना की चूत से निकलकर नाज़िया के चेहरे पर बरसने लगा..
''ओह........ उम्म्म्मममममममममममममम.......... हाय अल्लाह ....... क्या ग़ज़ब का चूसती है री तू...... अहह.... अब तो रोज की ड्यूटी लगानी पड़ेगी तेरी इस काम के लिए....''
नाज़िया ने भी हंसते हुए अपनी सहमति दे डाली...
भला ऐसा काम करने में उसे क्या परेशानी होने वाली थी.
और वैसे भी अपनी अम्मी की चूत का मक्खन चाटकर ही वो उन्हे पटा कर रख सकती थी, ताकि वो उन्हे भविश्य में होने वाली चुदाइयों के लिए मना न करे..अपनी माँ को अच्छे से संतुष्ट करके वो नहाने चली गयी.
लाला ने जब दुकान खोली तो 12 बज रहे थे...
धंधे की माँ चोद कर रख दी थी लाला ने अपने कारनामो की वजह से..
उसे तो बस 2 बजने का इंतजार था..
और वो बज भी गये...
और जिस बात के लिए उसे इंतजार था वो हो भी गयी...
यानी पिंकी और निशि उसे अपनी दुकान की तरफ आती हुई दिखाई दे गयी..
लाला को देखकर उनकी छाती ऐसे निकल आई जैसे मिल्ट्री में दाखिले का फार्म भरने आयी हो...
और लाला की पारखी नज़रों को ये जानने में एक मिनट भी नही लगा की उन हरामजादियों ने हमेशा की तरह आज भी अपनी शर्ट के नीचे ब्रा नही पहनी है.
लाला अपने लंड को धोती में पकड़कर बुदबुदाया : "भेंन की लोड़ियाँ , मेरी जान लेकर रहेगी अपनी इन अदाओ से..''
दोनो लाला के सामने आकर खड़ी हुई और एक सैक्सी सी मुस्कान बिखेरती हुई पिंकी ने लाला से कहा : "लालाजी...आज तो सुबह -2 ही थके हुए से लग रहे हो...लगता है नाज़िया के घर से होकर आ रहे हो...''
इतना कहकर वो दोनो एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर हंस दी..
लाला : "हाँ ....और सुबह -2 उसे उसी की अम्मी के सामने चोदकर भी आ रहा हूँ मैं ...''
लाला ने जब अपनी शेखी बघारते हुए ये बात उनसे कही तो दोनो के चेहरे देखने लायक थे...
उन्हे पता था की लाला कभी झूट नही बोलता पर इस बात पर उन्हे विश्वास ही नही हो रहा था...
लाला ने उनकी बात का अच्छे से जवाब दे दिया था आज...
और इस कल्पना मात्र से ही की आज फिर से नाज़िया ने लाला का लंड अपने अंदर लिया है, दोनो का शरीर जलन के मारे काँपने सा लगा...
और ये सोचकर की लाला ने शबाना आंटी के सामने ही उनकी सहेली को चोद डाला है , उन दोनो की चुतों से आमपन्ना निकलकर बाहर बहने लगा.
ये लाला तो सच में बड़ा ही हरामी है, ये कुछ भी कर सकता है...
लेकिन अब उन दोनो ने भी सोच लिया था की अपनी चुदाई करवाकर ही रहेगी, वरना ऐसे डरकर पीछे हटे रहने की वजह से तो सारी मलाई नाज़िया ही खाती चली जाएगी और वो दोनो मूर्ख बनकर सिर्फ़ लाला और उसकी चुदाई की कहानियां ही सुनते और देखते रह जाएगे..
इसलिए अपनी उत्तेजना से भरी आवाज़ में पिंकी ने कहा : "लाला...अब बहुत हुआ...अब नही सहा जाता हमसे....जब कहेगा..जहां कहेगा, हम दोनो तेरी सेवा के लिए हाजिर है....''
और लाला तो कब से पिंकी के गुलाबी होंठो से इस बात को सुनने के लिए मचल रहा था...
आज उसकी इच्छा पूरी हुई थी.
लेकिन उम्र का तक़ाज़ा था लाला के साथ...
थोड़ी देर पहले नाज़िया की चूत मारने के बाद उसे कम से कम 10 घंटो का टाइम चाहिए था अपने आप को रिचार्ज करने के लिए..
और ये बात तो वो दोनो भी जानती थी...
लेकिन अपने दिल की बात लाला को बोलकर कम से कम वो अपनी चुदाई की बुकिंग ज़रूर करवा लेना चाहती थी,कहीं ऐसा ना हो की ये भंवरा किसी और की चूत का शहद पीने के लिए उड़ जाए...
उनकी चुदाई कैसे करनी है और कहा करनी है , इसके लिए तो लाला को सोचने का समय चाहिए था...
पर आज वो एक काम उन दोनो से ज़रूर करवा लेना चाहता था..
एक दबी हुई सी इक्चा थी उसके मन की
जब से उसने पिंकी और निशि की जवानी को देखा था
तब से ये बात उसके अंदर दबी हुई सी थी...
और आज उसे पूरा करवाने का अच्छा मौका था...
दोनो उसके सामने भी थी और गिड़गिड़ाकर चुदाई के लिए भीख भी माँग रही थी...
ऐसे में उनका भी मना करने का सवाल ही नही उठता था..
लाला बोला : "अभी के लिए तो ये काम मुमकिन ना हे, पर मैं तुम दोनो को निराश होके जाने ना दूँगा...''
और इतना कहकर वो अपनी कुर्सी से उठा और खड़े होकर गली में दोनो तरफ अच्छे से देखा...
दूर-२ तक कोई नहीं था.
और फिर उन्हे इशारा करके जल्दी से अंदर की तरफ आने को कहा...
उन दोनो को कुछ समझ नहीं आया की ये लाला उन्हे अपने पास क्यो बुला रहा है...
कुछ करने का मन है तो अंदर गोडाउन में ही ले चले ना...
आज तो दोनो कुछ भी करने को उतारू थी...
अपनी कुर्सी के पास बुलाकर उसे भला क्या मिलेगा...
पर इस वक़्त उन्होने बहस करनी उचित नही समझी और चुपचाल काउंटर का फाटक नुमा फट्टा उठाकर अंदर की तरफ आ गयी...
लाला ने उन दोनो की बाहें पकड़कर तुरंत अपने काउंटर के नीचे की तरफ घुसने को कहा...
अभी भी उन दोनो के चेहरों पर जिज्ञासा के भाव थे की आख़िर ये ठरकी बुड्ढा करना क्या चाहता है...
पर बेचारियों के पास लाला की बात को मानने के सिवा कोई चारा भी नही था...
दोनो अंदर घुसकर उकड़ू होकर बैठ गयी...
फिर लाला ने बड़ी शान से कुर्सी को उन दोनो के सामने की तरफ खींचा और बैठ गया...
दोनो उसके पैरो के पास बैठी थी...
अब कुछ-2 उन्हे समझ में आने लगा था की लाला के दिमाग़ में क्या चल रहा है.
शबाना : "अब ऐसे बुत्त बनकर क्या देख रही है...चल काम पर लग जा...तुझे तो वो बुड्ढा संतुष्ट कर गया, पर मेरी आग तो अभी तक जल रही है...''
बात तो वो सही कह रही थी...
एक तरह से शबाना की चुदाई को उसके मुँह से खींचकर अपनी चूत तक ले गयी थी उसकी बेटी नाज़िया..
ऐसे में शबाना का इस आग में जलना तो बनता ही था..
और नाज़िया ने भी अपनी माँ की बात मानना ही सही समझा...
क्योंकि ऐसे घर बैठे अगर थोड़ी बहुत चूसम चुसाई करने को मिल जाए तो ये सोने पर सुहागा ही होगा उसकी लाइफ के लिए..
और वैसे भी अभी तक तो चूत चूसने में उसे मज़ा ही आया था...
आज खुद की माँ की भी चूस कर देख लेगी की इसमे क्या हर्ज है.
इसलिए वो चुपचाप उठी और अपनी माँ की टाँगो के बीच जाकर लेट गयी...
शबाना ने अपनी जाँघो के बीच उसके सिर को फँसाया और अपनी चूत को उपर करते हुए उसके चेहरे पर ज़ोर से दबा दिया..
अपनी माँ की उस चूत को चूस्कर , जिसमें से वो खुद निकली थी, आज नाज़िया को बहुत आनंद आ रहा था..
सबसे पहली बात तो ये थी की ये भी पिंकी की चूत जैसी मीठी थी...
उपर से इतने सालो से हो रही चुदाई की वजह से वो फूल कर इतनी मोटी हो चुकी थी की उसे चूसते हुए ऐसा फील हो रहा था जैसे कोई फ्रूट छील कर उसके सामने रख दिया हो, और उसकी मिठास को मुँह में लेकर वो बस उसे खाये जा रही थी.
अपनी जीभ को जब नाज़िया ने अपनी माँ की मोटी चूत में उतारा तो वो एक आनंद भरे मजे में भरकर चिल्ला पड़ी..
''आआआआआआआआआआआआआहह......... हाआआआआआन्न्*नणणन्,....... ऐसे ही चूस...... उम्म्म्मममममममम......... वाााआअहह..... क्या मस्त चूस रही है री तू तो...... आहह...कहाँ से सीखा ये तूने...... ह्म्*म्म्ममम.... बोल.....''
उसने अपनी माँ की चूत के रस से भीगा चेहरा उपर उठाया और बोली : "कुछ चीज़े तो लड़कियां अपनी माँ की चूत से ही सीखकर बाहर निकलती है अम्मी..''
ये सुनकर शबाना मुस्कुरा दी और उसका सिर पकड़कर एक बार फिर से उसे उसकी माँ की चूत यानी अपनी फुददी में घुसा दिया..
शबाना को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जीभ नही बल्कि कोई रेशम का कीड़ा चल रहा है उसकी नंगी चूत पर....
जो उसकी चूत के रस में नहाकर और उस नशे में डूबकर लड़खड़ा सा रहा है और इधर उधर गिर रहा है...
नाज़िया का पूरा चेहरा और नाक तक शबाना के रस में डूबकर गीली हो चुकी थी...
और अचानक शबाना का पूरा शरीर अकड़ने सा लग गया...
ये वो संकेत था जिसे नाज़िया को समझने में एक पल भी नही लगा और उसने अपनी जीभ का चप्पू अपनी माँ की नैय्या में बैठकर और ज़ोर से चलाना शुरू कर दिया ....
और जल्द ही उस नदी का बाँध टूट गया जिसमे वो नैय्या चल रही थी....
और कलकल करता हुआ ढेर सारा गाड़ा रस शबाना की चूत से निकलकर नाज़िया के चेहरे पर बरसने लगा..
''ओह........ उम्म्म्मममममममममममममम.......... हाय अल्लाह ....... क्या ग़ज़ब का चूसती है री तू...... अहह.... अब तो रोज की ड्यूटी लगानी पड़ेगी तेरी इस काम के लिए....''
नाज़िया ने भी हंसते हुए अपनी सहमति दे डाली...
भला ऐसा काम करने में उसे क्या परेशानी होने वाली थी.
और वैसे भी अपनी अम्मी की चूत का मक्खन चाटकर ही वो उन्हे पटा कर रख सकती थी, ताकि वो उन्हे भविश्य में होने वाली चुदाइयों के लिए मना न करे..अपनी माँ को अच्छे से संतुष्ट करके वो नहाने चली गयी.
लाला ने जब दुकान खोली तो 12 बज रहे थे...
धंधे की माँ चोद कर रख दी थी लाला ने अपने कारनामो की वजह से..
उसे तो बस 2 बजने का इंतजार था..
और वो बज भी गये...
और जिस बात के लिए उसे इंतजार था वो हो भी गयी...
यानी पिंकी और निशि उसे अपनी दुकान की तरफ आती हुई दिखाई दे गयी..
लाला को देखकर उनकी छाती ऐसे निकल आई जैसे मिल्ट्री में दाखिले का फार्म भरने आयी हो...
और लाला की पारखी नज़रों को ये जानने में एक मिनट भी नही लगा की उन हरामजादियों ने हमेशा की तरह आज भी अपनी शर्ट के नीचे ब्रा नही पहनी है.
लाला अपने लंड को धोती में पकड़कर बुदबुदाया : "भेंन की लोड़ियाँ , मेरी जान लेकर रहेगी अपनी इन अदाओ से..''
दोनो लाला के सामने आकर खड़ी हुई और एक सैक्सी सी मुस्कान बिखेरती हुई पिंकी ने लाला से कहा : "लालाजी...आज तो सुबह -2 ही थके हुए से लग रहे हो...लगता है नाज़िया के घर से होकर आ रहे हो...''
इतना कहकर वो दोनो एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर हंस दी..
लाला : "हाँ ....और सुबह -2 उसे उसी की अम्मी के सामने चोदकर भी आ रहा हूँ मैं ...''
लाला ने जब अपनी शेखी बघारते हुए ये बात उनसे कही तो दोनो के चेहरे देखने लायक थे...
उन्हे पता था की लाला कभी झूट नही बोलता पर इस बात पर उन्हे विश्वास ही नही हो रहा था...
लाला ने उनकी बात का अच्छे से जवाब दे दिया था आज...
और इस कल्पना मात्र से ही की आज फिर से नाज़िया ने लाला का लंड अपने अंदर लिया है, दोनो का शरीर जलन के मारे काँपने सा लगा...
और ये सोचकर की लाला ने शबाना आंटी के सामने ही उनकी सहेली को चोद डाला है , उन दोनो की चुतों से आमपन्ना निकलकर बाहर बहने लगा.
ये लाला तो सच में बड़ा ही हरामी है, ये कुछ भी कर सकता है...
लेकिन अब उन दोनो ने भी सोच लिया था की अपनी चुदाई करवाकर ही रहेगी, वरना ऐसे डरकर पीछे हटे रहने की वजह से तो सारी मलाई नाज़िया ही खाती चली जाएगी और वो दोनो मूर्ख बनकर सिर्फ़ लाला और उसकी चुदाई की कहानियां ही सुनते और देखते रह जाएगे..
इसलिए अपनी उत्तेजना से भरी आवाज़ में पिंकी ने कहा : "लाला...अब बहुत हुआ...अब नही सहा जाता हमसे....जब कहेगा..जहां कहेगा, हम दोनो तेरी सेवा के लिए हाजिर है....''
और लाला तो कब से पिंकी के गुलाबी होंठो से इस बात को सुनने के लिए मचल रहा था...
आज उसकी इच्छा पूरी हुई थी.
लेकिन उम्र का तक़ाज़ा था लाला के साथ...
थोड़ी देर पहले नाज़िया की चूत मारने के बाद उसे कम से कम 10 घंटो का टाइम चाहिए था अपने आप को रिचार्ज करने के लिए..
और ये बात तो वो दोनो भी जानती थी...
लेकिन अपने दिल की बात लाला को बोलकर कम से कम वो अपनी चुदाई की बुकिंग ज़रूर करवा लेना चाहती थी,कहीं ऐसा ना हो की ये भंवरा किसी और की चूत का शहद पीने के लिए उड़ जाए...
उनकी चुदाई कैसे करनी है और कहा करनी है , इसके लिए तो लाला को सोचने का समय चाहिए था...
पर आज वो एक काम उन दोनो से ज़रूर करवा लेना चाहता था..
एक दबी हुई सी इक्चा थी उसके मन की
जब से उसने पिंकी और निशि की जवानी को देखा था
तब से ये बात उसके अंदर दबी हुई सी थी...
और आज उसे पूरा करवाने का अच्छा मौका था...
दोनो उसके सामने भी थी और गिड़गिड़ाकर चुदाई के लिए भीख भी माँग रही थी...
ऐसे में उनका भी मना करने का सवाल ही नही उठता था..
लाला बोला : "अभी के लिए तो ये काम मुमकिन ना हे, पर मैं तुम दोनो को निराश होके जाने ना दूँगा...''
और इतना कहकर वो अपनी कुर्सी से उठा और खड़े होकर गली में दोनो तरफ अच्छे से देखा...
दूर-२ तक कोई नहीं था.
और फिर उन्हे इशारा करके जल्दी से अंदर की तरफ आने को कहा...
उन दोनो को कुछ समझ नहीं आया की ये लाला उन्हे अपने पास क्यो बुला रहा है...
कुछ करने का मन है तो अंदर गोडाउन में ही ले चले ना...
आज तो दोनो कुछ भी करने को उतारू थी...
अपनी कुर्सी के पास बुलाकर उसे भला क्या मिलेगा...
पर इस वक़्त उन्होने बहस करनी उचित नही समझी और चुपचाल काउंटर का फाटक नुमा फट्टा उठाकर अंदर की तरफ आ गयी...
लाला ने उन दोनो की बाहें पकड़कर तुरंत अपने काउंटर के नीचे की तरफ घुसने को कहा...
अभी भी उन दोनो के चेहरों पर जिज्ञासा के भाव थे की आख़िर ये ठरकी बुड्ढा करना क्या चाहता है...
पर बेचारियों के पास लाला की बात को मानने के सिवा कोई चारा भी नही था...
दोनो अंदर घुसकर उकड़ू होकर बैठ गयी...
फिर लाला ने बड़ी शान से कुर्सी को उन दोनो के सामने की तरफ खींचा और बैठ गया...
दोनो उसके पैरो के पास बैठी थी...
अब कुछ-2 उन्हे समझ में आने लगा था की लाला के दिमाग़ में क्या चल रहा है.