hotaks444
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झरने की तरफ जाते हुए पिंकी से ज़्यादा निशि एक्साईटिड थी...
उसकी चलने की स्पीड इतनी तेज थी की वो पिंकी से आगे ही चल रही थी...
पर निशि से भी आगे कोई और था...
और वो थे उसके भरे हुए मुम्मे ,
जो अकड़कर सबसे आगे चल रहे थे क्योंकि नंदू से खुद को चुसवाने की सबसे ज़्यादा जल्दी उन्ही को थी...
उसने जिस अंदाज से उन्हे कल चूसा था, उसकी कसक अभी तक उसके निप्पलों पर थी.
लगभग 20 मिनट में ही वो दोनो झरने पर पहुँच गये...
चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ़ पानी के गिरने और पक्षियो के चहचहाने की आवाज़ें ही आ रही थी...
निशि तुरंत पिंकी के करीब आई और अपने मुम्मों को दबाती हुई बड़ी ही सैक्सी आवाज़ में बोली : "यार....अब नही रहा जाता.....आज तो मुझे किसी भी हालत में चुदना ही है.... अब वो हां कहे या ना, मेरा नाम ले या मेरी माँ का, मुझे तो हर हाल में आज नंदू से चुदवाना है बस...''
पिंकी उसकी हालत देखकर मुस्कुरा दी....
ऐसा ही कुछ उसके साथ भी होने लगा था पिछले कुछ दिनों से...
चाहकर भी वो लाला के लंड को अपनी चूत में नही ले पा रही थी,
लाला के सामने पहुँचकर उसे भी ऐसा ही फील होता था, जैसा इस वक़्त निशि को हो रहा था,
दोनो सहेलियों का दर्द भी एक ही था और दवा भी एक, चुदाई.
पिंकी : "ओके बाबा....आज तो मौका भी है और दस्तूर भी... आज ही कर डाल तू तो... तेरा होगा तभी तो मेरा भी नंबर आएगा...''
इतना कहते हुए उसने खुद की चूत पर हाथ रखकर उसे एक करारा रगड़ा दे डाला..
दोनो सहेलिया मुस्कुरा दी और एक दूसरे के गले लगकर एक दूसरे को चूमने लगी...
और यही वो मौका था जब नंदू उनका पीछा करते-2 वहां पहुँच गया...
निशि ने तो नही पर तिरछी आँखो से पिंकी को पता चल गया की नंदू उन्हे छुपकर देख रहा है..
नंदू भी अपनी आँखे फाड़े अपनी बहन की लेस्बियन किस्स को देखकर हैरान हो रहा था...
ऐसा तो उसने सपने में भी नही सोचा था की एक लड़की भी दूसरी लड़की के साथ ऐसा कुछ कर सकती है...
अब उसे उन दोनो के दिन रात साथ रहने का कारण समझ में आ रहा था.
उधर पिंकी के दिमाग़ में नंदू को सताने की और निशि के साथ-2 अपना भी जिस्म दिखाने की एक चाल जन्म ले चुकी थी...
पिंकी ने निशि के होंठो को चूसते - 2 उसके बूब्स भी दबाने शुरू कर दिए...
निशि तो पहले से ही मस्ती के सागर में डुबकिया लगा रही थी, पिंकी के जादुई हाथो ने जब सटीक निशाने पर उंगली लगाकर उसके निप्पल्स को उमेठना चालू किया तो वो बिफर ही पड़ी और पागलों की तरह अपने आप को पिंकी के जिस्म पर रगड़ते हुए उसे बुरी तरह से चूमने लगी...
ऐसा लग रहा था जैसे जंगल में दो बिल्लियां लड़ रही है.
नंदू तो अपनी बहन के अंदर की आग देखकर हैरान रह गया...
उसे तो इस वक़्त पिंकी की जगह खुद का अक्स दिखाई दे रहा था जिसके साथ निशि इतनी बुरी तरह से चूमा चाटी करने में लगी थी...
पिंकी ने निशि के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और निशि ने पिंकी के...
कुछ ही देर में दोनो जन्मजात नंगी होकर खड़ी थी...
जैसे ही निशि को अपने नंगे होने का एहसास हुआ, उसने जल्द से गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ देखा, नंदू तुरंत नीचे झुककर झाड़ियो में और ज़्यादा अंदर छुप गया..
निशि : "पिंकी...वो आया नही अभी तक...''
पिंकी : "आता ही होगा, तब तक के लिए मैं हूँ ना...''
निशि : "पर...वो...''
निशि उसे कहना चाहती थी की नंदू जब आएगा तो वो उन्हे नंगा देखकर ऐसे करते हुए देखेगा तो पता नही क्या सोचेगा...
पर पिंकी ने उसकी बात बीच में ही काटकर उसके होंठो को एक बार फिर से चूसना शुरू कर दिया...
निशि भी एक बार फिर से सब कुछ भुलाकर अपनी सहेली का साथ देने लगी और उसे फ्रेंच किस्स करती हुई उसके बूब्स को मसलते हुए उसे झरने के नीचे ले गयी...
वहां पहुँचकर दोनो ने एक दूसरे के चेहरे और जिस्मो पर लगे रंगो को रगड़ - 2 कर सॉफ किया....
और जब रंग सॉफ हुआ तो दोनो के नंगे जिस्म पूर्णिमा के चाँद की तरह दमकने लगे...
नंदू का तो बुरा हाल था, वो कभी अपनी बहन के नंगे बदन को देखता तो कभी पिंकी ने नशीले जिस्म को...
हालाँकि उसने निशि के बदन को भी एक ही बार देखा था, पर आज पिंकी को भी नंगा देखकर उसके लंड ने तो जैसे बग़ावत ही कर दी...
और वो बिना कुछ सोचे समझे उठकर उनकी तरफ चल दिया...
पिंकी तो उसे आते देखकर अपनी पीठ करके खड़ी हो गयी और उपर से गिर रहे पानी को अपनी छाती पर महसूस करके मज़े लेने लगी...
निशि ने जब देखा की उसका भाई उनकी तरफ ही आ रहा है तो उसने घबराकर पिंकी से कहा : "अररी सुन...सुन ना...वो...वो नंदू आ गया...''
तब तक नंदू वहां पहुँच भी गया, एक भरपूर नज़र अपनी बहन पर डालने के बाद उसने पिंकी को भी उपर से नीचे तक अपनी भूखी नज़रों से नाप डाला...
ख़ासकर उसके निकले हुए चूतड़ों को, जिसकी दरारों में पानी जाकर ऐसे गायब हो रहा था जैसे अंदर कोई चूसने की मशीन लगा रखी हो.
उसकी चलने की स्पीड इतनी तेज थी की वो पिंकी से आगे ही चल रही थी...
पर निशि से भी आगे कोई और था...
और वो थे उसके भरे हुए मुम्मे ,
जो अकड़कर सबसे आगे चल रहे थे क्योंकि नंदू से खुद को चुसवाने की सबसे ज़्यादा जल्दी उन्ही को थी...
उसने जिस अंदाज से उन्हे कल चूसा था, उसकी कसक अभी तक उसके निप्पलों पर थी.
लगभग 20 मिनट में ही वो दोनो झरने पर पहुँच गये...
चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ़ पानी के गिरने और पक्षियो के चहचहाने की आवाज़ें ही आ रही थी...
निशि तुरंत पिंकी के करीब आई और अपने मुम्मों को दबाती हुई बड़ी ही सैक्सी आवाज़ में बोली : "यार....अब नही रहा जाता.....आज तो मुझे किसी भी हालत में चुदना ही है.... अब वो हां कहे या ना, मेरा नाम ले या मेरी माँ का, मुझे तो हर हाल में आज नंदू से चुदवाना है बस...''
पिंकी उसकी हालत देखकर मुस्कुरा दी....
ऐसा ही कुछ उसके साथ भी होने लगा था पिछले कुछ दिनों से...
चाहकर भी वो लाला के लंड को अपनी चूत में नही ले पा रही थी,
लाला के सामने पहुँचकर उसे भी ऐसा ही फील होता था, जैसा इस वक़्त निशि को हो रहा था,
दोनो सहेलियों का दर्द भी एक ही था और दवा भी एक, चुदाई.
पिंकी : "ओके बाबा....आज तो मौका भी है और दस्तूर भी... आज ही कर डाल तू तो... तेरा होगा तभी तो मेरा भी नंबर आएगा...''
इतना कहते हुए उसने खुद की चूत पर हाथ रखकर उसे एक करारा रगड़ा दे डाला..
दोनो सहेलिया मुस्कुरा दी और एक दूसरे के गले लगकर एक दूसरे को चूमने लगी...
और यही वो मौका था जब नंदू उनका पीछा करते-2 वहां पहुँच गया...
निशि ने तो नही पर तिरछी आँखो से पिंकी को पता चल गया की नंदू उन्हे छुपकर देख रहा है..
नंदू भी अपनी आँखे फाड़े अपनी बहन की लेस्बियन किस्स को देखकर हैरान हो रहा था...
ऐसा तो उसने सपने में भी नही सोचा था की एक लड़की भी दूसरी लड़की के साथ ऐसा कुछ कर सकती है...
अब उसे उन दोनो के दिन रात साथ रहने का कारण समझ में आ रहा था.
उधर पिंकी के दिमाग़ में नंदू को सताने की और निशि के साथ-2 अपना भी जिस्म दिखाने की एक चाल जन्म ले चुकी थी...
पिंकी ने निशि के होंठो को चूसते - 2 उसके बूब्स भी दबाने शुरू कर दिए...
निशि तो पहले से ही मस्ती के सागर में डुबकिया लगा रही थी, पिंकी के जादुई हाथो ने जब सटीक निशाने पर उंगली लगाकर उसके निप्पल्स को उमेठना चालू किया तो वो बिफर ही पड़ी और पागलों की तरह अपने आप को पिंकी के जिस्म पर रगड़ते हुए उसे बुरी तरह से चूमने लगी...
ऐसा लग रहा था जैसे जंगल में दो बिल्लियां लड़ रही है.
नंदू तो अपनी बहन के अंदर की आग देखकर हैरान रह गया...
उसे तो इस वक़्त पिंकी की जगह खुद का अक्स दिखाई दे रहा था जिसके साथ निशि इतनी बुरी तरह से चूमा चाटी करने में लगी थी...
पिंकी ने निशि के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और निशि ने पिंकी के...
कुछ ही देर में दोनो जन्मजात नंगी होकर खड़ी थी...
जैसे ही निशि को अपने नंगे होने का एहसास हुआ, उसने जल्द से गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ देखा, नंदू तुरंत नीचे झुककर झाड़ियो में और ज़्यादा अंदर छुप गया..
निशि : "पिंकी...वो आया नही अभी तक...''
पिंकी : "आता ही होगा, तब तक के लिए मैं हूँ ना...''
निशि : "पर...वो...''
निशि उसे कहना चाहती थी की नंदू जब आएगा तो वो उन्हे नंगा देखकर ऐसे करते हुए देखेगा तो पता नही क्या सोचेगा...
पर पिंकी ने उसकी बात बीच में ही काटकर उसके होंठो को एक बार फिर से चूसना शुरू कर दिया...
निशि भी एक बार फिर से सब कुछ भुलाकर अपनी सहेली का साथ देने लगी और उसे फ्रेंच किस्स करती हुई उसके बूब्स को मसलते हुए उसे झरने के नीचे ले गयी...
वहां पहुँचकर दोनो ने एक दूसरे के चेहरे और जिस्मो पर लगे रंगो को रगड़ - 2 कर सॉफ किया....
और जब रंग सॉफ हुआ तो दोनो के नंगे जिस्म पूर्णिमा के चाँद की तरह दमकने लगे...
नंदू का तो बुरा हाल था, वो कभी अपनी बहन के नंगे बदन को देखता तो कभी पिंकी ने नशीले जिस्म को...
हालाँकि उसने निशि के बदन को भी एक ही बार देखा था, पर आज पिंकी को भी नंगा देखकर उसके लंड ने तो जैसे बग़ावत ही कर दी...
और वो बिना कुछ सोचे समझे उठकर उनकी तरफ चल दिया...
पिंकी तो उसे आते देखकर अपनी पीठ करके खड़ी हो गयी और उपर से गिर रहे पानी को अपनी छाती पर महसूस करके मज़े लेने लगी...
निशि ने जब देखा की उसका भाई उनकी तरफ ही आ रहा है तो उसने घबराकर पिंकी से कहा : "अररी सुन...सुन ना...वो...वो नंदू आ गया...''
तब तक नंदू वहां पहुँच भी गया, एक भरपूर नज़र अपनी बहन पर डालने के बाद उसने पिंकी को भी उपर से नीचे तक अपनी भूखी नज़रों से नाप डाला...
ख़ासकर उसके निकले हुए चूतड़ों को, जिसकी दरारों में पानी जाकर ऐसे गायब हो रहा था जैसे अंदर कोई चूसने की मशीन लगा रखी हो.