hotaks444
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तुम मेरे लिए किरण हो और मैं तुम्हारे लिए सलीम ख़ान तुम मुझे सब की तरह एसके भी कह सकती हो लैकिन नेक्स्ट टाइम से सर नही कहना ठीक है ? मैं ने मुस्कुराते हुआ कहा ठीक है सर और हम दोनो हंस पड़े. एसके ने कॉफी के लिए ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर मे आ गई. कप्पूसिनो की फर्स्ट क्लास खुसबू से सारा ऑफीस महेक उठा. दोनो कॉफी पीने लगे. उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार मे रखने के लिए कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार मे ले के मेरे घर आ गया.
हमारे घर मे एक स्पेर रूम भी है जिस्मै कंप्यूटर रख दिया गया. कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नही है लैकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एसके ने कंप्यूटर के कनेक्षन्स लगा दिए और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया. कॉंनेकटिनोस लगा ने के बाद वो बाथरूम मे चला गया हाथ धोने के लिए तो मैं कॉफी बना ने लगी. हम दोनो ड्रॉयिंग रूम मे आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे. एसके और मैं इधर उधर की बातें करने लगे वो अपने स्कूल और कॉलेज के किससे सुना ने लगे के कैसे वो कॉलेज मे बदमाशियाँ किया करते थे लड़कियों को छेड़ते रहते थे. मैं ने कहा के आप पर तो लड़कियाँ मरती होगी तो वो हंस पड़ा और कहा नही ऐसी बात नही बस हमारे कुछ क्लास मेट्स और कुछ जूनियर्स लड़कियाँ थी हम ( एक आँख दबा के बोला ) मस्ती करते थे. इतनी देर मे लंच का टाइम हो गया तो मैं ने कहा के यही रुक जाए और साथमे खाना खा के ही जाना तो उसने कहा के किरण तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिन्नर करना पसंद ना होगा पर सच मे मुझे थोड़ा सा काम है हम
किसी और दिन लंच या डिन्नर ले लेंगे साथ मे. जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया. उसने कहा के मैं कल ऑफीस आ जाउ तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिए.
दूसरे दिन मैं ऑफीस गई तो उस ने मुझे अपने कंप्यूटर के प्रोग्राम पे ही बता दिया के कैसे एंट्रीस करनी है और कहा के यह प्रोग्राम मेरे पास जो कंप्यूटर भेजा है उस पे भी है. काम उतना मुश्किल नही था जल्दी ही समझ मैं आ गयी. हा कुछ चीज़ें ऐसी थी जो के समझ मे नही आ रही थी कुछ कॅल्क्युलेशन्स थे कुछ अडिशन्स आंड सुबस्टरक्टिओन्स थे उसने कहा के जो भी मैं कर सकती हू करू वो लंच टाइम पे मेरे पास आ के जो मेरे समझ मे नही आ रहा है वो मुझे समझा देगा. मैं इनवाइसस का बंड्ल उठा के घर चली आई. ऑफीस से घर तकरीबन 15 – 20 मिनिट की वॉक है. घर आने के बाद सारे इनवाइसस और वाउचर्स को अपने सामने रख के पहले तो ऐसे ही समझने की कोशिश करती रही और थोड़ी देर के बाद एंट्री करना शुरू किया. नया नया काम शुरू किया था तो काम करने मे मज़ा आ रहा था और जोश के साथ काम कर रही थी मुझे टाइम का पता ही नही चला शाम के 3:30 हो गये और जब एसके ने बेल मारी तो मैं ने टाइम देखा उफ्फ यह तो 3:30 हो गये. मैं ने डोर खोला एसके अंदर आ गया और हम दोनो कंप्यूटर वाले रूम मे चले आए. पता नही एसके की पर्सनॅलिटी मे क्या है के मैं उसको देखते ही अपने होश खो बैठती हू और गीली होना शुरू हो जाती हू. उसने काम देखना शुरू किया. कुछ मैं ने ग़लत किया था कुछ सही किया था उस ने बताया कॅल्क्युलेशन्स वग़ैरा करना सिखाया और कुछ देर बैठ के कॉफी पी के चला गया. जितनी देर वो मेरे पास बैठा रहा उसके बदन से हल्की उठ ती हुई पर्फ्यूम की स्मेल से मैं मस्त होती रही. उसके साथ बैठना मुझे बोहोत अछा लग रहा था. मैं तो यह सोचने लगी के एसके यही मेरे साथ ही रहे तो कितना अच्छा होता और यह सोच उस टाइम ज़ियादा हो जाती जब अशोक मेरी चूत मे आग लगा देता और बुझा नही पता तो सोचती के एसके यही रहे और मेरी गरम और प्यासी चूत को चोद चोद के अपनी क्रीम चूत के अंदर डाल के उसकी प्यास बुझा दे और मेरी गरम चूत को ठंडा कर दे पर यह पासिबल नही था एक तो वो मॅरीड था और रात मेरे साथ नही रह सकता था दूसरे यह के ऑफीस के दूसरे काम भी तो देखने होते हैं और मैं एसके को अपने दिल की बात ना कह सकी पर मेरा दिल चाह रहा था के वो मेरे साथी ही रहे. वो मेरा काम देख के और कुछ काम समझा के अपने घर चला गया और मैं पता नही कियों उदास हो गई.
इसी तरह से एक वीक गुज़र गया कोई ख़ास बात नही हुई बॅस यह के जितनी देर वो मेरे करीब रहता मैं मस्त रहती और फुल मूड मे रहती पर उसके चले जाने के बाद मैं उदास हो जाती. मैं तकरीबन 2 वीक्स का काम ले आई थी ऑफीस से तो ऑफीस को भी नही जाना था. सुबह उठ के नाश्ता कर के कॉफी पी के काम शुरू करती और काम के बीच बीच मे अपने काम भी करती रहती खाना बना ना या और भी छोटे मोटे काम. धोबन तो एवेरी आल्टरनेट डे आ के कपड़े धो जाया करती थी इसी तरह से रुटीन चलने लगी. उषा आंटी को भी पता चल गया था के मैं दिन मे बिज़ी रहती हू तो वो भी मुझे दिन के टाइम पे उतना डिस्टर्ब नही करती और कभी उनका मन करता तो वो शाम मे या रात मे किसी टाइम पे आ जाती और गप्पे लगा ने लगती और साथ मे वोही करते जो बाल्कनी मे किया था और फिर आंटी चली जाती और मैं मस्त हो के सो जाती.
क्रमशः...............
हमारे घर मे एक स्पेर रूम भी है जिस्मै कंप्यूटर रख दिया गया. कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नही है लैकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एसके ने कंप्यूटर के कनेक्षन्स लगा दिए और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया. कॉंनेकटिनोस लगा ने के बाद वो बाथरूम मे चला गया हाथ धोने के लिए तो मैं कॉफी बना ने लगी. हम दोनो ड्रॉयिंग रूम मे आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे. एसके और मैं इधर उधर की बातें करने लगे वो अपने स्कूल और कॉलेज के किससे सुना ने लगे के कैसे वो कॉलेज मे बदमाशियाँ किया करते थे लड़कियों को छेड़ते रहते थे. मैं ने कहा के आप पर तो लड़कियाँ मरती होगी तो वो हंस पड़ा और कहा नही ऐसी बात नही बस हमारे कुछ क्लास मेट्स और कुछ जूनियर्स लड़कियाँ थी हम ( एक आँख दबा के बोला ) मस्ती करते थे. इतनी देर मे लंच का टाइम हो गया तो मैं ने कहा के यही रुक जाए और साथमे खाना खा के ही जाना तो उसने कहा के किरण तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिन्नर करना पसंद ना होगा पर सच मे मुझे थोड़ा सा काम है हम
किसी और दिन लंच या डिन्नर ले लेंगे साथ मे. जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया. उसने कहा के मैं कल ऑफीस आ जाउ तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिए.
दूसरे दिन मैं ऑफीस गई तो उस ने मुझे अपने कंप्यूटर के प्रोग्राम पे ही बता दिया के कैसे एंट्रीस करनी है और कहा के यह प्रोग्राम मेरे पास जो कंप्यूटर भेजा है उस पे भी है. काम उतना मुश्किल नही था जल्दी ही समझ मैं आ गयी. हा कुछ चीज़ें ऐसी थी जो के समझ मे नही आ रही थी कुछ कॅल्क्युलेशन्स थे कुछ अडिशन्स आंड सुबस्टरक्टिओन्स थे उसने कहा के जो भी मैं कर सकती हू करू वो लंच टाइम पे मेरे पास आ के जो मेरे समझ मे नही आ रहा है वो मुझे समझा देगा. मैं इनवाइसस का बंड्ल उठा के घर चली आई. ऑफीस से घर तकरीबन 15 – 20 मिनिट की वॉक है. घर आने के बाद सारे इनवाइसस और वाउचर्स को अपने सामने रख के पहले तो ऐसे ही समझने की कोशिश करती रही और थोड़ी देर के बाद एंट्री करना शुरू किया. नया नया काम शुरू किया था तो काम करने मे मज़ा आ रहा था और जोश के साथ काम कर रही थी मुझे टाइम का पता ही नही चला शाम के 3:30 हो गये और जब एसके ने बेल मारी तो मैं ने टाइम देखा उफ्फ यह तो 3:30 हो गये. मैं ने डोर खोला एसके अंदर आ गया और हम दोनो कंप्यूटर वाले रूम मे चले आए. पता नही एसके की पर्सनॅलिटी मे क्या है के मैं उसको देखते ही अपने होश खो बैठती हू और गीली होना शुरू हो जाती हू. उसने काम देखना शुरू किया. कुछ मैं ने ग़लत किया था कुछ सही किया था उस ने बताया कॅल्क्युलेशन्स वग़ैरा करना सिखाया और कुछ देर बैठ के कॉफी पी के चला गया. जितनी देर वो मेरे पास बैठा रहा उसके बदन से हल्की उठ ती हुई पर्फ्यूम की स्मेल से मैं मस्त होती रही. उसके साथ बैठना मुझे बोहोत अछा लग रहा था. मैं तो यह सोचने लगी के एसके यही मेरे साथ ही रहे तो कितना अच्छा होता और यह सोच उस टाइम ज़ियादा हो जाती जब अशोक मेरी चूत मे आग लगा देता और बुझा नही पता तो सोचती के एसके यही रहे और मेरी गरम और प्यासी चूत को चोद चोद के अपनी क्रीम चूत के अंदर डाल के उसकी प्यास बुझा दे और मेरी गरम चूत को ठंडा कर दे पर यह पासिबल नही था एक तो वो मॅरीड था और रात मेरे साथ नही रह सकता था दूसरे यह के ऑफीस के दूसरे काम भी तो देखने होते हैं और मैं एसके को अपने दिल की बात ना कह सकी पर मेरा दिल चाह रहा था के वो मेरे साथी ही रहे. वो मेरा काम देख के और कुछ काम समझा के अपने घर चला गया और मैं पता नही कियों उदास हो गई.
इसी तरह से एक वीक गुज़र गया कोई ख़ास बात नही हुई बॅस यह के जितनी देर वो मेरे करीब रहता मैं मस्त रहती और फुल मूड मे रहती पर उसके चले जाने के बाद मैं उदास हो जाती. मैं तकरीबन 2 वीक्स का काम ले आई थी ऑफीस से तो ऑफीस को भी नही जाना था. सुबह उठ के नाश्ता कर के कॉफी पी के काम शुरू करती और काम के बीच बीच मे अपने काम भी करती रहती खाना बना ना या और भी छोटे मोटे काम. धोबन तो एवेरी आल्टरनेट डे आ के कपड़े धो जाया करती थी इसी तरह से रुटीन चलने लगी. उषा आंटी को भी पता चल गया था के मैं दिन मे बिज़ी रहती हू तो वो भी मुझे दिन के टाइम पे उतना डिस्टर्ब नही करती और कभी उनका मन करता तो वो शाम मे या रात मे किसी टाइम पे आ जाती और गप्पे लगा ने लगती और साथ मे वोही करते जो बाल्कनी मे किया था और फिर आंटी चली जाती और मैं मस्त हो के सो जाती.
क्रमशः...............