hotaks444
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समीर;अब भी नजमा से खफा था वो ठीक तरह से नजमा से बात भी नही कर रहा था नजमा ने कई मर्तबा उसे खुद से बात करनी चाही पर सॅम उसकी बात का कोई जवाब ना देते हुए वहाँ से निकल जाता.
इस दौरान समीर ने ना शबनम को छुआ था और ना महक के करीब गया था वो दोनो ये समझ रही थी कि शायद सॅम नाना के गम में डूबा हुआ है.
पर अंदर ही अंदर सॅम घुट रहा था और ये घुटन सिर्फ़ नजमा दूर करसकती थी.
दोपहर 2पी एम;;
घर के सभी अफ़राड हॉल में बैठे हुए थे.
फीरोजा;को ये बात पता चल चुकी थी कि शबनम और महक माँ बनने वाली है और उनका तीसरा महीना शुरू है.
फीरोजा;बात शुरू करती है.
समीर अब वक़्त आ गया है कि तुम अपनी ज़िमेदारी संभालो अब्बू को गुज़रे 2 महीने हो गये है..पर तुम तो जानते हो शबनम और महक की क्या हालत है.
हम सब ये चाहते है कि तुम और महक शादी कर्लो और आबिद की शादी शबनम के साथ कर्वादी जाए.
दुनिया वालो को पता भी नही चलेगा और हम सब बदनामी से भी बच जाएँगे.
सभी के निगाहे सॅम की तरफ टिकी हुए थी आख़िर उसका फ़ैसला ही सब की किस्मत बदलने वाला था.
वो फीरोजा की तरफ देखता है और कहता है.
सॅम;मैं शादी के लिए तैयार हूँ पर एक बात मुझे आपसे कहना है.
मेरे दोस्त काशिफ के बड़े भाई जिनकी वाइफ की लास्ट एअर डेथ हो गयी थी वो आपसे शादी करना चाहते है उन्होने आपको नानू की बरसी पे देखा था और तब से काशिफ मेरे पीछे पड़ा है ..
वक़्त और हालत सज़गार नही थे इस लिए मैने आपसे बात नही किया पर अब मैं समझता हूँ वो वक़्त आ गया है..
काशिफ के भाई निहायत ही शरीफ और खुश मिजाज़ इंसान है.और वो हमारे ही ऑफीस में पछले 5य्र्स से काम कर रहे हैं.
अगर आप हाँ कहीं तो हमारे साथ साथ आपके भी.
फीरोजा;मेरी ज़िंदगी का फ़ैसला बाजी करेंगी.
नजमा;मुस्कुराते हुए फीरोजा की पेशानी चूम लेती है और देखते ही देखते फीरोजा की शादी फिक्स हो जाती है.
वक़्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था ....
फीरोजा;शादी की शॉपिंग करने शबनम और आबिद को साथ ले जाती है.
वो बहुत खुश थी आख़िर उसका घर जो बसने वाला था.
फीरोजा;के मार्केट चले जाने के बाद नजमा कुछ सोचते हुए सॅम के रूम का रुख़ करती है.
वो जानती थी कि महक उसके रूम में लेटी हुई है पर आज उसका दिल किसी भी तूफान को बर्दास्त करने के काबिल था.
समीर;अपने बेड पे बैठा हुआ था तभी नजमा उसके रूम में दाखिल होती है.
एक नज़र सॅम उसकी तरफ देखता है और फिर दूसरे ही पल वो अपना रुख़ मोड़ लेता है.
नजमा;उसके पास जाती है और उसके कंधे पे सर रख देती है.
मुझसे नाराज़ हो
सॅम;कोई जवाब नही देता
नजमा;फिर पूछती है मुझसे सच मुच में नाराज़ हो
सॅम;उठ के खड़ा हो जाता है.
आप जाओ यहाँ से मुझे आपसे कोई बात नही करने
नजमा;की आँखे नम हो जाती है और वो सॅम का कंधा पकड़ के अपनी तरफ घुमा लेती है देखो मेरी आँखों में अब मैं नजमा से आप हो गयी इतनी बेरूख़ी इतनी नफ़रत आख़िर मेरा गुनाह क्या है बताओ मुझे
सॅम;नजमा को पीछे से पकड़ लेता है और एक हाथ उसकी गर्दन में डालके दूसरे हाथ से उसका टॉप फाड़ देता है उसे इतना गुस्सा आ रहा था कि पता नही वो नजमा की जान ही लेले वो अपने दूसरे हाथ को नजमा की पैंटी में घुसा देता है और चिल्लाने लगता है.
सॅम;मुझसे पूछती है तेरा गुनाह क्या है साली मेरे मोहब्बत में तुझे कौनसी कमी दिखाई दी जो तूने उस गान्डु को अपने उपर चढ़ाया..
तेरी ये चूत सिर्फ़ मेरी है समझी मैं बिल्कुल ये बर्दास्त नही करसकता कि तू किसी और के आस पास भी दिखाई दे.
वो नजमा के निपल मरोड़ रहा था जिससे नजमा के आँसू निकलने लगे थे पर वो सब बर्दास्त कर रही थी
वो जानती थी कि सॅम का गुस्सा अपनी जगह जायेज़ है वो उसे बाहर निकलना चाहती थी सॅम उसपे चिल्लाए जा रहा था और आख़िर कार सॅम बेड पे बैठ जाता है.
नजमा;अपने आँसू पोछती है और सॅम के कदमों में नीचे बैठ जाती है.
मैं जानती हूँ वो ग़लत है..तुम मुझसे मोहब्बत करते हो तुम ये नही देख सकते कि मैं किसी और के नीचे रहूं.
पर क्या तुम मेरी एक बात का जवाब दे सकते हो
मैं ये कैसे देख सकती हूँ कि तुम मुझसे इतनी मोहब्बत के दावे करने वाले एक नही बल्कि इस खानदान की औरत और मर्द के साथ जिस्मानी रिश्ते बना चुके हो एक तरफ तुम ये कहते हो कि तुम मुझसे बेपनाह मोहब्बत करते हो और दूसरी तरफ तुम मेरी आँखों के सामने मेरी बहेन बेटी और बहू के साथ वो सब करते हो जो कोई प्यार करने वाला अपनी मोहब्बत के सामने नही करता मैं इसे क्या समझू.
प्यार या हवस..तुम एक मर्द हो और मर्द उस भंवरे की तरह होता है जो कभी इस फूल पे तो कभी उस फूल पे पर हम औरतें उस गुलाब की तरह है जो ये जानती है कि एक ना एक दिन या तो हम शख्स से तोड़ लिए जाएँगे या भी किसी के पैरों तले रोन्द दिए जाएँगे.
तुम मुझसे मोहब्बत का दावा करते होना तो देखो यहाँ यहाँ मेरे पेट पे हाथ रखो कुछ महसूस हुआ..इस में तुम्हारे निशानी अपनी जगह बना चुकी है आज पूरे 2 महीने हो गये है मुझे प्रेगनेंट हुए हर एक दिन मैं ये सोच के गुज़ार देती कि आज तुम आओगे आज मुझे अपनी बाहों में लोंगे आज यहाँ चूमोंगे..मुझे मुबारक बाद दोगे.
मगर नही तुम अपनी आन अपने घमंड में इतने चूर हो गये कि तुम्हे ना मैं दिखाई डी और ना मेरी मोहब्बत.
आज मैं खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही हूँ समीर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से.
ये कहते कहते वो रो पड़ती है आँसू एक कतार में उसके आँखों से बह रहे थे.
इस दौरान समीर ने ना शबनम को छुआ था और ना महक के करीब गया था वो दोनो ये समझ रही थी कि शायद सॅम नाना के गम में डूबा हुआ है.
पर अंदर ही अंदर सॅम घुट रहा था और ये घुटन सिर्फ़ नजमा दूर करसकती थी.
दोपहर 2पी एम;;
घर के सभी अफ़राड हॉल में बैठे हुए थे.
फीरोजा;को ये बात पता चल चुकी थी कि शबनम और महक माँ बनने वाली है और उनका तीसरा महीना शुरू है.
फीरोजा;बात शुरू करती है.
समीर अब वक़्त आ गया है कि तुम अपनी ज़िमेदारी संभालो अब्बू को गुज़रे 2 महीने हो गये है..पर तुम तो जानते हो शबनम और महक की क्या हालत है.
हम सब ये चाहते है कि तुम और महक शादी कर्लो और आबिद की शादी शबनम के साथ कर्वादी जाए.
दुनिया वालो को पता भी नही चलेगा और हम सब बदनामी से भी बच जाएँगे.
सभी के निगाहे सॅम की तरफ टिकी हुए थी आख़िर उसका फ़ैसला ही सब की किस्मत बदलने वाला था.
वो फीरोजा की तरफ देखता है और कहता है.
सॅम;मैं शादी के लिए तैयार हूँ पर एक बात मुझे आपसे कहना है.
मेरे दोस्त काशिफ के बड़े भाई जिनकी वाइफ की लास्ट एअर डेथ हो गयी थी वो आपसे शादी करना चाहते है उन्होने आपको नानू की बरसी पे देखा था और तब से काशिफ मेरे पीछे पड़ा है ..
वक़्त और हालत सज़गार नही थे इस लिए मैने आपसे बात नही किया पर अब मैं समझता हूँ वो वक़्त आ गया है..
काशिफ के भाई निहायत ही शरीफ और खुश मिजाज़ इंसान है.और वो हमारे ही ऑफीस में पछले 5य्र्स से काम कर रहे हैं.
अगर आप हाँ कहीं तो हमारे साथ साथ आपके भी.
फीरोजा;मेरी ज़िंदगी का फ़ैसला बाजी करेंगी.
नजमा;मुस्कुराते हुए फीरोजा की पेशानी चूम लेती है और देखते ही देखते फीरोजा की शादी फिक्स हो जाती है.
वक़्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था ....
फीरोजा;शादी की शॉपिंग करने शबनम और आबिद को साथ ले जाती है.
वो बहुत खुश थी आख़िर उसका घर जो बसने वाला था.
फीरोजा;के मार्केट चले जाने के बाद नजमा कुछ सोचते हुए सॅम के रूम का रुख़ करती है.
वो जानती थी कि महक उसके रूम में लेटी हुई है पर आज उसका दिल किसी भी तूफान को बर्दास्त करने के काबिल था.
समीर;अपने बेड पे बैठा हुआ था तभी नजमा उसके रूम में दाखिल होती है.
एक नज़र सॅम उसकी तरफ देखता है और फिर दूसरे ही पल वो अपना रुख़ मोड़ लेता है.
नजमा;उसके पास जाती है और उसके कंधे पे सर रख देती है.
मुझसे नाराज़ हो
सॅम;कोई जवाब नही देता
नजमा;फिर पूछती है मुझसे सच मुच में नाराज़ हो
सॅम;उठ के खड़ा हो जाता है.
आप जाओ यहाँ से मुझे आपसे कोई बात नही करने
नजमा;की आँखे नम हो जाती है और वो सॅम का कंधा पकड़ के अपनी तरफ घुमा लेती है देखो मेरी आँखों में अब मैं नजमा से आप हो गयी इतनी बेरूख़ी इतनी नफ़रत आख़िर मेरा गुनाह क्या है बताओ मुझे
सॅम;नजमा को पीछे से पकड़ लेता है और एक हाथ उसकी गर्दन में डालके दूसरे हाथ से उसका टॉप फाड़ देता है उसे इतना गुस्सा आ रहा था कि पता नही वो नजमा की जान ही लेले वो अपने दूसरे हाथ को नजमा की पैंटी में घुसा देता है और चिल्लाने लगता है.
सॅम;मुझसे पूछती है तेरा गुनाह क्या है साली मेरे मोहब्बत में तुझे कौनसी कमी दिखाई दी जो तूने उस गान्डु को अपने उपर चढ़ाया..
तेरी ये चूत सिर्फ़ मेरी है समझी मैं बिल्कुल ये बर्दास्त नही करसकता कि तू किसी और के आस पास भी दिखाई दे.
वो नजमा के निपल मरोड़ रहा था जिससे नजमा के आँसू निकलने लगे थे पर वो सब बर्दास्त कर रही थी
वो जानती थी कि सॅम का गुस्सा अपनी जगह जायेज़ है वो उसे बाहर निकलना चाहती थी सॅम उसपे चिल्लाए जा रहा था और आख़िर कार सॅम बेड पे बैठ जाता है.
नजमा;अपने आँसू पोछती है और सॅम के कदमों में नीचे बैठ जाती है.
मैं जानती हूँ वो ग़लत है..तुम मुझसे मोहब्बत करते हो तुम ये नही देख सकते कि मैं किसी और के नीचे रहूं.
पर क्या तुम मेरी एक बात का जवाब दे सकते हो
मैं ये कैसे देख सकती हूँ कि तुम मुझसे इतनी मोहब्बत के दावे करने वाले एक नही बल्कि इस खानदान की औरत और मर्द के साथ जिस्मानी रिश्ते बना चुके हो एक तरफ तुम ये कहते हो कि तुम मुझसे बेपनाह मोहब्बत करते हो और दूसरी तरफ तुम मेरी आँखों के सामने मेरी बहेन बेटी और बहू के साथ वो सब करते हो जो कोई प्यार करने वाला अपनी मोहब्बत के सामने नही करता मैं इसे क्या समझू.
प्यार या हवस..तुम एक मर्द हो और मर्द उस भंवरे की तरह होता है जो कभी इस फूल पे तो कभी उस फूल पे पर हम औरतें उस गुलाब की तरह है जो ये जानती है कि एक ना एक दिन या तो हम शख्स से तोड़ लिए जाएँगे या भी किसी के पैरों तले रोन्द दिए जाएँगे.
तुम मुझसे मोहब्बत का दावा करते होना तो देखो यहाँ यहाँ मेरे पेट पे हाथ रखो कुछ महसूस हुआ..इस में तुम्हारे निशानी अपनी जगह बना चुकी है आज पूरे 2 महीने हो गये है मुझे प्रेगनेंट हुए हर एक दिन मैं ये सोच के गुज़ार देती कि आज तुम आओगे आज मुझे अपनी बाहों में लोंगे आज यहाँ चूमोंगे..मुझे मुबारक बाद दोगे.
मगर नही तुम अपनी आन अपने घमंड में इतने चूर हो गये कि तुम्हे ना मैं दिखाई डी और ना मेरी मोहब्बत.
आज मैं खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही हूँ समीर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से.
ये कहते कहते वो रो पड़ती है आँसू एक कतार में उसके आँखों से बह रहे थे.