hotaks444
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दस मिनट तक ललिता लौड़े को चूस-चूस कर मज़ा लेती रही, अब उसका मुँह दुखने लगा था, तो उसने मुँह हटा लिया।
शरद- थक गई क्या… मेरी जान, आजा मेरी गोद में बैठ जा.. आज तुझे नई स्टाइल से चोदता हूँ..!
ललिता दोनों पैर शरद के साइड से निकाल कर बैठ जाती है। शरद अपने हाथ से लौड़ा पकड़ कर चूत पर सैट कर देता है, जैसे ही ललिता बैठी, लौड़ा चूत में घुस जाता है।
ललिता- ओई उफफफ्फ़…!
शरद- साली इतनी बार चुद चुकी है, अब भी उई उई कर रही है…!
ललिता- आ..हह.. क्या करूँ मैं कौन सा रोज चुदती हूँ? कल रात से लेकर अब तक चुदाई तो बहुत हो गई, पर चूत सूज कर ‘बड़ा-पाव’ बन गई है और आपका
लौड़ा कोई मामूली तो है नहीं, घोड़े जैसा मोटा है दर्द तो होता ही है।
शरद नीचे से झटके मारने लगता है ललिता को दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आ रहा था, वो भी लौड़े पर उछल रही थी और शरद ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया था। रूम में बड़ा ही रोमांच पैदा हो रहा था। दस मिनट तक शरद गोद में बैठा कर ललिता को चोदता रहा। उसकी जांघें दुखने लगीं, तब उसने ललिता को बेड पर लेटा दिया और कंधे पे पैर डालकर चोदने लगा।
ललिता- आ आ..हह.. उफ्फ शरद तेज और तेज आ..हह.. मेरा पानी निकलने वाला है ओई उ उफ्फ मई गईई…!
शरद पहले से ही उत्तेज़ित था, इतनी देर की लंड चुसाई और चूत चुदाई के बाद उसका पानी बस निकालने ही वाला था कि ललिता ने उसकी उत्तेजना और बढ़ा दी।
वो धका-धक लौड़ा पेलने लगा और दोनों एक साथ झड़ गए। काफ़ी देर तक शरद उसके ऊपर पड़ा हांफता रहा।
दोस्तों इनको थोड़ा आराम करने दो, चलो हम अमर और रचना को देख आते है कि वो अब तक घर पहुँचे या नहीं…!
दोनों घर पहुँच गए थे और रूम में बैठे बात कर रहे थे।
अमर- बहुत थकान हो रही है आज, तो वैसे रचना तुमने क्या सोचा है, अब क्या करना है…!
रचना- क..क्या करना से तुम्हारा क्या मतलब है… थके हुए हो, फिर भी चुदाई से मन नहीं भरा क्या…!
अमर- ओह अरे नहीं रे, आप समझी नहीं, मेरे कहने का मतलब है कि शरद ने जो इतना बड़ा गेम खेला है, उसको जवाब तो देना पड़ेगा ना…!
रचना- चुप रहो अमर, इतना सब होने के बाद भी तुमको समझ नहीं आया क्या..! मैंने जो किया उसका मुझे पछतावा है और शरद ने जो किया वो तो
आप भी चाहते थे।
अमर- अरे मेरे पर इल्जाम क्यों लगा रही हो? मैंने क्या किया..? मैं क्या चाहता था… हाँ..!
रचना- शर्म करो भाई, थोड़ी तो शर्म करो… मान लो शरद बदला नहीं लेना चाहता था, सिम्मी की बात को एक तरफ रख दो, उसके बाद सोचो आपने ही शरद
के साथ प्लान किया था ना.. कि मुझे फिल्म का झांसा देकर आप मुझे चोदना चाहते थे और शरद को किसने कहा था कि तुम भी चूत का स्वाद
चख लेना…!
अमर- व..व्व..वो तो बस तुम हाँ.. इसमें तुम्हारी ही ग़लती है, पता है घर में जवान भाई है और तुम इतने सेक्सी कपड़े पहनती थी, खेल में मेरा लौड़ा टच करती थी… तुम खुद चुदना चाहती थी या आसान शब्दों में कहूँ तो तुम अपनी चूत की प्यास मिटाना चाहती थीं..!
रचना- अब बस भी करो, इस ज़िद-बहस का कोई फायदा नहीं है। तुम चोदना चाहते थे और मैं चुदाना… तो शरद ने क्या गलत कर दिया..! अब बस सब
भूल जाओ, आज के बाद सब मिलकर प्यार से चुदाई करेंगे…!
अमर- ओके मान जाता हूँ, पर उस साले सचिन और धरम अन्ना की कौन सी बहन थी सिम्मी, उन लोगों ने फ्री में मज़े लिए। उनसे तो बदला लूँगा मैं और हाँ
ललिता के पास कुछ तो राज़ है धरम अन्ना का, तभी साला चुपचाप चला गया, वरना हरामी वो ललिता के भी मज़े लेता।
रचना- अच्छा बाबा ले लेना बदला, पर सिर्फ़ उनके घर की किसी लड़की को चोद कर… बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं ओके…!
अमर- ओके बहना… अच्छा मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. पापा का फ़ोन आए तो आवाज़ देना…!
रचना- अच्छा ठीक है जाओ…!
अमर बाथरूम चला जाता है और रचना वहीं बेड पर बैठी सुसताने लगती है।
दोस्तों यहाँ कुछ मज़ा नहीं आ रहा, चलो वापस ललिता के पास चलते हैं, वहाँ शायद कुछ मज़ा मिले।
शरद बेड पर लेटा हुआ था, ललिता बाथरूम में पेशाब करने गई हुई थी।
शरद- अरे मेरी जान अब आ भी जाओ, मुझे आगे की बात जाननी है, अब तो लौड़ा भी शान्त हो गया।
ललिता हँसती हुई बाहर आती है।
ललिता- लो आ गई खुश…!
शरद- अरे साली रंडी, अब भी नंगी ही आई है कपड़े क्यों नहीं पहने…!
ललिता- ओह आप क्या मेरे पीछे पड़ गए, खुद तो नंगे बैठे हो मुझे नसीहत दे रहे हो.. नहीं चुदना अब आपसे, मैं बहुत थक गई हूँ … बस चूत में दर्द है, इसलिए हवा लगा रही हूँ।
शरद- अच्छा अच्छा ठीक है आ जा मेरी रानी मेरा लौड़ा भी थक गया। अब मुश्किल ही खड़ा होगा। आ जा बता आगे क्या हुआ?
ललिता- ओके बाबा सुनो, उन लोगों के जाने के बाद सब की सब रिलेक्स हो गईं, पर मुझे उन पर शक हुआ, क्योंकि वो कारटून एकदम साफ-साफ दिखाई दे रहा था,
जिसमें वाइन और बियर थी, मगर उन दोनों ने कोई रिएक्ट नहीं किया। आशा ने तो बोतल निकाल कर पीना शुरू कर दिया, पर मुझे किसी बुराई का अंदेशा हो
रहा था। मैंने बहुत न के बराबर पी, बाकी सब की सब टल्ली हो गई थीं और रूम में एक बड़ा डबल बेड था, उस पर लम्बलेट हो गईं। हम लोग हमेशा ऐसे
ही करते हैं… एक साथ एक ही बेड पर सोते हैं एक-दूसरे में घुस कर मज़ा आता है।
शरद- सब सो गईं, तुम क्या कर रही थीं?
ललिता- मैं बस वही सोच रही थी कि उन लोगों ने इग्नोर क्यों किया होगा। मुझे नींद नहीं आ रही थी फिर भी जबरदस्ती मैं सो गई…! रात कोई 11 बजे कमरे के बाहर आहट हुई, तो मेरी आँख खुल गई। बाहर वो दोनों ही थे।
शरद- तुमको कैसे पता वो ही थे।
ललिता- ओह वो एक-दूसरे का नाम लेकर बात कर रहे थे।
शरद- तो ठीक से बता ना, क्या बात कर रहे थे?
ललिता- अब आप चुप रहो सवाल पे सवाल अब मई ठीक से सब बताती हूँ…!
ललिता- बाहर उन दोनों की आवाज़ मैंने गौर से सुनी।
धरम अन्ना- अईयो नीलेश तुम पागल हो गया जी ऐसे चोरों के जैसा हमको हमारा ही घर में लाया तुम…!
नीलेश- अरे यार धरम अन्ना तुमको मैंने कहा था ना.. ये आज फुल पार्टी करेगी देख कार्टून खाली पड़ा है, सब पीकर टल्ली हो गई हैं।
धरम अन्ना- हम जानता जी लेकिन हमारा बेटी टीना भी अन्दर होना जी…!
नीलेश- ओह मैं जानता हूँ धरम अन्ना, हम तो बस उस लड़की के मज़े लेंगे… साली क्या पटाखा आइटम है।
धरम अन्ना- हमको डर होना जी… कहीं कुछ हो गया तो…!
नीलेश- अरे यार कुछ नहीं होगा, मैंने साली को चैक कर लिया था, वो खुद ऐसी ही है, बड़े आराम से चूचे दबवा रही थी।
धरम अन्ना- अईयो वो मेरी बेटी की फ्रेंड होना जी… अगर कुँवारी हुई तो पंगा हो जाएगा यार…!
नीलेश- अरे पक्का वो चुदी हुई होगी, साली बिगड़ी हुई लड़की है चुदे बिना नहीं रह पाती, अगर कुँवारी हुई भी तो, क्या हुआ नशे में धुत है सील टूटने का पता भी नहीं चलेगा। खून-वून आएगा तो हम साफ करके साली को वापस कपड़े पहना कर वापस रूम में सुला देंगे और चले जाएँगे, सुबह उठेगी तो चूत में दर्द होगा, मगर पता कैसे लगाएगी कि हमने चोदा है और मेरे ख्याल से तो उसको ऐसा लगेगा कि बस ऐसे ही कोई दर्द है, पक्का बोलता हूँ..!
धरम अन्ना- अईयो तुमको कितना भूख होना जी… मेरे को अब भी डर लगता जी अन्दर सब सोए हैं, उसको पहचानोगे कैसे..? लाइट ऑन करेगा तो क्या पता कोई जाग
जाएगा…!
नीलेश- तू मत आना अन्दर, मैं ले आऊँगा लाइट कौन पागल चालू करेगा..! मेरे को पता है साली को आराम से ले आऊँगा सब से अलग जैकेट पहना है
उसने और अगर नंगी भी सोई होगी तो भी उसके चूचे पकड़ कर देख लूँगा। अच्छे से मैंने नाप लिया था साली का।
धरम अन्ना- ओके जी हम को थोड़ा डर होना, तुम जाओ हम दूसरे रूम में शराब पीता, वहीं ले आना उसको…!
शरद- ओह माय गॉड साला धरम अन्ना इतना कमीना निकला, उसकी बेटी अन्दर है और वो उस कुत्ते को अन्दर भेज रहा है, जो कहता है कि मम्मे दबा कर पता कर
लेगा कि तुम कहाँ सोई हो..! ऐसे तो वो सबके मम्मे दबा कर मज़ा ले सकता है।
ललिता- हाँ शरद जी वो ही तो आप आगे तो सुनिए, उस कुत्ते की करतूत…!
शरद- थक गई क्या… मेरी जान, आजा मेरी गोद में बैठ जा.. आज तुझे नई स्टाइल से चोदता हूँ..!
ललिता दोनों पैर शरद के साइड से निकाल कर बैठ जाती है। शरद अपने हाथ से लौड़ा पकड़ कर चूत पर सैट कर देता है, जैसे ही ललिता बैठी, लौड़ा चूत में घुस जाता है।
ललिता- ओई उफफफ्फ़…!
शरद- साली इतनी बार चुद चुकी है, अब भी उई उई कर रही है…!
ललिता- आ..हह.. क्या करूँ मैं कौन सा रोज चुदती हूँ? कल रात से लेकर अब तक चुदाई तो बहुत हो गई, पर चूत सूज कर ‘बड़ा-पाव’ बन गई है और आपका
लौड़ा कोई मामूली तो है नहीं, घोड़े जैसा मोटा है दर्द तो होता ही है।
शरद नीचे से झटके मारने लगता है ललिता को दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आ रहा था, वो भी लौड़े पर उछल रही थी और शरद ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया था। रूम में बड़ा ही रोमांच पैदा हो रहा था। दस मिनट तक शरद गोद में बैठा कर ललिता को चोदता रहा। उसकी जांघें दुखने लगीं, तब उसने ललिता को बेड पर लेटा दिया और कंधे पे पैर डालकर चोदने लगा।
ललिता- आ आ..हह.. उफ्फ शरद तेज और तेज आ..हह.. मेरा पानी निकलने वाला है ओई उ उफ्फ मई गईई…!
शरद पहले से ही उत्तेज़ित था, इतनी देर की लंड चुसाई और चूत चुदाई के बाद उसका पानी बस निकालने ही वाला था कि ललिता ने उसकी उत्तेजना और बढ़ा दी।
वो धका-धक लौड़ा पेलने लगा और दोनों एक साथ झड़ गए। काफ़ी देर तक शरद उसके ऊपर पड़ा हांफता रहा।
दोस्तों इनको थोड़ा आराम करने दो, चलो हम अमर और रचना को देख आते है कि वो अब तक घर पहुँचे या नहीं…!
दोनों घर पहुँच गए थे और रूम में बैठे बात कर रहे थे।
अमर- बहुत थकान हो रही है आज, तो वैसे रचना तुमने क्या सोचा है, अब क्या करना है…!
रचना- क..क्या करना से तुम्हारा क्या मतलब है… थके हुए हो, फिर भी चुदाई से मन नहीं भरा क्या…!
अमर- ओह अरे नहीं रे, आप समझी नहीं, मेरे कहने का मतलब है कि शरद ने जो इतना बड़ा गेम खेला है, उसको जवाब तो देना पड़ेगा ना…!
रचना- चुप रहो अमर, इतना सब होने के बाद भी तुमको समझ नहीं आया क्या..! मैंने जो किया उसका मुझे पछतावा है और शरद ने जो किया वो तो
आप भी चाहते थे।
अमर- अरे मेरे पर इल्जाम क्यों लगा रही हो? मैंने क्या किया..? मैं क्या चाहता था… हाँ..!
रचना- शर्म करो भाई, थोड़ी तो शर्म करो… मान लो शरद बदला नहीं लेना चाहता था, सिम्मी की बात को एक तरफ रख दो, उसके बाद सोचो आपने ही शरद
के साथ प्लान किया था ना.. कि मुझे फिल्म का झांसा देकर आप मुझे चोदना चाहते थे और शरद को किसने कहा था कि तुम भी चूत का स्वाद
चख लेना…!
अमर- व..व्व..वो तो बस तुम हाँ.. इसमें तुम्हारी ही ग़लती है, पता है घर में जवान भाई है और तुम इतने सेक्सी कपड़े पहनती थी, खेल में मेरा लौड़ा टच करती थी… तुम खुद चुदना चाहती थी या आसान शब्दों में कहूँ तो तुम अपनी चूत की प्यास मिटाना चाहती थीं..!
रचना- अब बस भी करो, इस ज़िद-बहस का कोई फायदा नहीं है। तुम चोदना चाहते थे और मैं चुदाना… तो शरद ने क्या गलत कर दिया..! अब बस सब
भूल जाओ, आज के बाद सब मिलकर प्यार से चुदाई करेंगे…!
अमर- ओके मान जाता हूँ, पर उस साले सचिन और धरम अन्ना की कौन सी बहन थी सिम्मी, उन लोगों ने फ्री में मज़े लिए। उनसे तो बदला लूँगा मैं और हाँ
ललिता के पास कुछ तो राज़ है धरम अन्ना का, तभी साला चुपचाप चला गया, वरना हरामी वो ललिता के भी मज़े लेता।
रचना- अच्छा बाबा ले लेना बदला, पर सिर्फ़ उनके घर की किसी लड़की को चोद कर… बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं ओके…!
अमर- ओके बहना… अच्छा मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. पापा का फ़ोन आए तो आवाज़ देना…!
रचना- अच्छा ठीक है जाओ…!
अमर बाथरूम चला जाता है और रचना वहीं बेड पर बैठी सुसताने लगती है।
दोस्तों यहाँ कुछ मज़ा नहीं आ रहा, चलो वापस ललिता के पास चलते हैं, वहाँ शायद कुछ मज़ा मिले।
शरद बेड पर लेटा हुआ था, ललिता बाथरूम में पेशाब करने गई हुई थी।
शरद- अरे मेरी जान अब आ भी जाओ, मुझे आगे की बात जाननी है, अब तो लौड़ा भी शान्त हो गया।
ललिता हँसती हुई बाहर आती है।
ललिता- लो आ गई खुश…!
शरद- अरे साली रंडी, अब भी नंगी ही आई है कपड़े क्यों नहीं पहने…!
ललिता- ओह आप क्या मेरे पीछे पड़ गए, खुद तो नंगे बैठे हो मुझे नसीहत दे रहे हो.. नहीं चुदना अब आपसे, मैं बहुत थक गई हूँ … बस चूत में दर्द है, इसलिए हवा लगा रही हूँ।
शरद- अच्छा अच्छा ठीक है आ जा मेरी रानी मेरा लौड़ा भी थक गया। अब मुश्किल ही खड़ा होगा। आ जा बता आगे क्या हुआ?
ललिता- ओके बाबा सुनो, उन लोगों के जाने के बाद सब की सब रिलेक्स हो गईं, पर मुझे उन पर शक हुआ, क्योंकि वो कारटून एकदम साफ-साफ दिखाई दे रहा था,
जिसमें वाइन और बियर थी, मगर उन दोनों ने कोई रिएक्ट नहीं किया। आशा ने तो बोतल निकाल कर पीना शुरू कर दिया, पर मुझे किसी बुराई का अंदेशा हो
रहा था। मैंने बहुत न के बराबर पी, बाकी सब की सब टल्ली हो गई थीं और रूम में एक बड़ा डबल बेड था, उस पर लम्बलेट हो गईं। हम लोग हमेशा ऐसे
ही करते हैं… एक साथ एक ही बेड पर सोते हैं एक-दूसरे में घुस कर मज़ा आता है।
शरद- सब सो गईं, तुम क्या कर रही थीं?
ललिता- मैं बस वही सोच रही थी कि उन लोगों ने इग्नोर क्यों किया होगा। मुझे नींद नहीं आ रही थी फिर भी जबरदस्ती मैं सो गई…! रात कोई 11 बजे कमरे के बाहर आहट हुई, तो मेरी आँख खुल गई। बाहर वो दोनों ही थे।
शरद- तुमको कैसे पता वो ही थे।
ललिता- ओह वो एक-दूसरे का नाम लेकर बात कर रहे थे।
शरद- तो ठीक से बता ना, क्या बात कर रहे थे?
ललिता- अब आप चुप रहो सवाल पे सवाल अब मई ठीक से सब बताती हूँ…!
ललिता- बाहर उन दोनों की आवाज़ मैंने गौर से सुनी।
धरम अन्ना- अईयो नीलेश तुम पागल हो गया जी ऐसे चोरों के जैसा हमको हमारा ही घर में लाया तुम…!
नीलेश- अरे यार धरम अन्ना तुमको मैंने कहा था ना.. ये आज फुल पार्टी करेगी देख कार्टून खाली पड़ा है, सब पीकर टल्ली हो गई हैं।
धरम अन्ना- हम जानता जी लेकिन हमारा बेटी टीना भी अन्दर होना जी…!
नीलेश- ओह मैं जानता हूँ धरम अन्ना, हम तो बस उस लड़की के मज़े लेंगे… साली क्या पटाखा आइटम है।
धरम अन्ना- हमको डर होना जी… कहीं कुछ हो गया तो…!
नीलेश- अरे यार कुछ नहीं होगा, मैंने साली को चैक कर लिया था, वो खुद ऐसी ही है, बड़े आराम से चूचे दबवा रही थी।
धरम अन्ना- अईयो वो मेरी बेटी की फ्रेंड होना जी… अगर कुँवारी हुई तो पंगा हो जाएगा यार…!
नीलेश- अरे पक्का वो चुदी हुई होगी, साली बिगड़ी हुई लड़की है चुदे बिना नहीं रह पाती, अगर कुँवारी हुई भी तो, क्या हुआ नशे में धुत है सील टूटने का पता भी नहीं चलेगा। खून-वून आएगा तो हम साफ करके साली को वापस कपड़े पहना कर वापस रूम में सुला देंगे और चले जाएँगे, सुबह उठेगी तो चूत में दर्द होगा, मगर पता कैसे लगाएगी कि हमने चोदा है और मेरे ख्याल से तो उसको ऐसा लगेगा कि बस ऐसे ही कोई दर्द है, पक्का बोलता हूँ..!
धरम अन्ना- अईयो तुमको कितना भूख होना जी… मेरे को अब भी डर लगता जी अन्दर सब सोए हैं, उसको पहचानोगे कैसे..? लाइट ऑन करेगा तो क्या पता कोई जाग
जाएगा…!
नीलेश- तू मत आना अन्दर, मैं ले आऊँगा लाइट कौन पागल चालू करेगा..! मेरे को पता है साली को आराम से ले आऊँगा सब से अलग जैकेट पहना है
उसने और अगर नंगी भी सोई होगी तो भी उसके चूचे पकड़ कर देख लूँगा। अच्छे से मैंने नाप लिया था साली का।
धरम अन्ना- ओके जी हम को थोड़ा डर होना, तुम जाओ हम दूसरे रूम में शराब पीता, वहीं ले आना उसको…!
शरद- ओह माय गॉड साला धरम अन्ना इतना कमीना निकला, उसकी बेटी अन्दर है और वो उस कुत्ते को अन्दर भेज रहा है, जो कहता है कि मम्मे दबा कर पता कर
लेगा कि तुम कहाँ सोई हो..! ऐसे तो वो सबके मम्मे दबा कर मज़ा ले सकता है।
ललिता- हाँ शरद जी वो ही तो आप आगे तो सुनिए, उस कुत्ते की करतूत…!