hotaks444
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रचना- उहह कुत्ता बोलता है कि मेरे साथ सेक्स नहीं करेगा। अभी बताती हूँ हरामी को।
रचना धीरे से अशोक को सीधा कर देती है और उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगती है। अशोक गहरी नींद में था, उसको पता भी नहीं चला कि उसका लौड़ा रचना चूस रही है। दो मिनट में ही वो अकड़ कर अपने आकार में आ गया। दोस्तों आदमी भले ही नींद में हो, पर ये लंड बड़ी कुत्ती चीज होता है। जरा सा अहसास हुआ नहीं कि अकड़ने लगता है। जब लौड़ा पूरा कड़क हो गया, तो रचना बेड पर आ गई और अशोक के दोनों तरफ पैर निकाल कर लौड़े को चूत मैं डाल लिया और खुद उकडूँ बैठ कर ऊपर-नीचे होने लगी और धीरे-धीरे बोलने लगी।
रचना- आ..हह.. उई ले कुत्ते मैंने तेरा लौड़ा चूत में डाल लिया, अब बोल क्या बोलता है…!
अशोक को अब कुछ अहसास हुआ तो उसकी नींद टूटी उसने आँखें खोल दीं, तभी रचना झट से उसके ऊपर लेट गई और उसके बोलने से पहले उसके होंठों को
अपने होंठों से जकड़ कर चूसने लगी। अब अशोक क्या करता लौड़ा चूत में है और नर्म मुलायम होंठ उसके होंठों पर, सो लग गया वो भी, नीचे से झटके मारने और रचना का किस में साथ देने। अब कोई कुछ भी कहे ऐसी पोजीशन में आदमी का दिमाग़ कहाँ काम करता है। बस लौड़ा अपना काम करता है। जो कर भी रहा है। अशोक को मज़ा आने लगा था। वो नीचे से गाण्ड उठा कर झटके मार रहा था। बेड हिलने लगा था।
रचना- आआ उ फक मी आह फक मी उ फास्ट फास्ट आ..हह.. मज़ा आ गया…!
बेड के हिलने से सब की आँख खुल गई और ये नजारा देख कर सब के लौड़े कड़क होने लगे। ललिता अभी भी सो रही थी।
सचिन- ये साली रंडी कब उठी और उठते ही चुदने लगी.. रुक राण्ड मैं आता हूँ…!
सचिन ने अपने लौड़े पर थूक लगाया और रचना की गाण्ड में पीछे से धक्का मार दिया। बेचारी दर्द से तिलमिला गई। कहाँ अमर के 6″ लौड़े से गाण्ड मरवाई थी, अब ये लौड़ा तो दर्द ही करेगा न..! सचिन ने एक ही झटके से पूरा अन्दर डाल दिया था। ‘फ़च्छ’ की आवाज़ के साथ लौड़ा गाण्ड में समा गया। अब दोनों धका-धक चोद रहे थे। अमर की नज़र शरद पर गई। उसका लौड़ा भी अपने शबाब पर आ गया था। अमर अपने लौड़े को हाथ से सहला रहा था और ललिता को देख रहा था। वो
करवट लेकर सोई हुई थी। उसकी गाण्ड अमर को अपनी और आकर्षित कर रही थी।
शरद- अबे साले गंदी नाली के कीड़े … सोच क्या रहा है बहनचोद, दिल में तेरे इसकी गाण्ड मारने की तमन्ना है। लौड़ा तेरा तना हुआ है अब क्या इस रंडी के उठने
का इंतजार करेगा… डाल दे साली की गाण्ड में दर्द होगा तो अपने आप उठ जाएगी…!
अमर- बात तो आपने सही की, लेकिन बम्बू तो आपका भी तना हुआ है उसका क्या करोगे…!
शरद- अबे साले ये तेरी गाण्ड में डालूँगा…. चल चुपचाप गाण्ड मार उसकी। मेरा मन तो मेरी जान रचना की गाण्ड मारने को कर रहा है बड़ी जालिम
है साली…!
अमर- ही ही ही आप भी ना कसम से पक्के चोदू हो, मेरी दोनों बहनों की चूत का भोसड़ा बना दिया, अब गाण्ड की गंगोत्री बनाने पर तुले हुए हो…!
अशोक- अहहुह उहह भाई आ मज़ा आ रहा है साली रंडी की चूत बहुत मस्त है आ आ…!
सचिन- आ आ..हह.. भाई मेरा पानी निकलने ही वाला है आ..हह.. आ जाओ आप आराम से मार लो साली की गाण्ड आ आ..हह…..!
अशोक- मेरा भी निकलने वाला है उफ्फ अब चाहे चूत मारो या गाण्ड सब आपका है…!
रचना- ओह फास्ट यू बास्टर्ड आह मेरी गाण्ड को खोल दो अभी तुम्हारा बाप मोटा लौड़ा डालेगा उसके लिए जगह बनाओ आ..हह.. फास्ट उफ्फ सीसी आ..हह…..!
सचिन- उहह उहह ले रंडी आ..हह.. साली गाली देती है मादरचोद ले आ उह उह…!
तेज झटकों की बौछार रचना की चूत और गाण्ड पर होने लगी। वो बर्दाश्त ना कर पाई और झड़ गई। वो दोनों भी झड़ गए थे। अब सुकून में आ गए थे।
इधर अमर इन लोगों की चुदाई देख कर बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसने लौड़े पर थूक लगाया और ललिता की गाण्ड में ठोक दिया। ललिता को दर्द हुआ तो उसकी आँख खुल गई। तब तक अमर झटके मारने लगा था।
ललिता- आ आ..हह.. उई भाई आ..हह.. क्या है ठीक से सोने भी नहीं देते उफ्फ सीईई उईई अब आ..हह.. फास्ट करो ना आ…!
रचना- हटो भी दोनों पानी निकाल कर भी मेरे ऊपर ही पड़े हो… मेरे राजा शरद को आने दो उनका लौड़ा तना हुआ है, उनको मेरी गाण्ड मारने दो अब…!
सचिन ऊपर से हट कर एक साइड हो गया।
अशोक- वो तो हट गया साली छिनाल अब तू भी तो मेरे ऊपर से हट… अब क्या दोबारा चुदाने का इरादा है?
रचना ऊपर से हट कर बड़बड़ाती है।
रचना- उहह तेरे से कौन चुदेगा… बोलता था, मैं ऐसी रंडी के साथ नहीं करूँगा.. अब क्यों मज़े लेकर चोद रहे थे?
अशोक- चुप साली मादरचोद… मैंने कब तेरे को कहा कि आओ चुदो… साली मैं तो आराम से सो रहा था… तू खुद आई चुदने के लिए। अब चूत में लौड़ा घुसने
के बाद कोई पागल ही होगा जो चोदने को मना करे।
ललिता- आ भाई मज़ा आ रहा है… जल्दी करो मेरे अशोक को गुस्सा आ रहा है, मैं उनका लौड़ा मुँह में लेके उनको शान्त करूँगी…!
शरद- अब बन्द करो ये लड़ाई… कुत्तों की तरह भौंक रहे हो सब के सब…!
सचिन- मैं तो चला बाथरूम।
सचिन के जाने के बाद अशोक भी दूसरे रूम के बाथरूम में चला जाता है। इधर अमर भी ललिता की गाण्ड को पानी से भर देता है और एक साइड लेट जाता है।
रचना उठकर शरद के पास आकर उसके लौड़े को चूसने लगती है।
शरद- उफ्फ तेरी यही अदा तो मुझे पसन्द है साली क्या चूसती हो।
अमर- भाई मुझे घर जाना होगा, पापा का फ़ोन आने वाला है हम सब यहाँ हैं.. कहीं उनको कुछ शक ना हो जाए साली नौकरानी बोल देगी कल से
हम गायब हैं…!
शरद- अबे साले तीनों के फ़ोन तो यहाँ हैं घर पर क्यों…!
ललिता- वो दरअसल बात ये है शरद जी पापा मोबाइल पर नहीं घर के फ़ोन पर फ़ोन करते हैं ताकि उन्हें पता रहे कि हम सब घर में ही हैं वो हमें ज़्यादा
बाहर जाने से मना करते हैं…!
अमर- मैं जाऊँगा तो उनसे बात कर लूँगा, इनके बारे में पूछेंगे तो कह दूँगा सो रही हैं या बाथरूम में हैं।
रचना लौड़े को मुँह से निकाल लेती है।
रचना- मुझे भी साथ ले चलो भाई, पापा मेरे से बात करने की ज़िद करेंगे। तुम तो जानते हो ना मेरे से बात किए बिना उनको चैन ना आएगा।
शरद- साली छिनाल कोई चाल तो नहीं चल रही है ना मेरे साथ…!
रचना- नहीं शरद मैं कोई पागल नहीं हूँ आपके पास इतने वीडियो हैं, पेपर साइन किया हुआ धरम अन्ना के पास है। मैं आपसे दोबारा माफी मांगती हूँ मैं शर्मिन्दा हूँ कि मेरी जलन की वजह से सिम्मी की जान गई। आप चाहो तो अब भी मुझे मार दो, मैं उफ्फ नहीं करूँगी, पर पहले माफ़ कर दो बाद में मार देना…!
ललिता- शरद जी दीदी सही कह रही हैं, इनकी आँखों में आए आँसू इनकी सच्चाई की गवाही दे रहे हैं..!
शरद- अच्छा तुम दोनों चले जाओगे तो मेरे इस खड़े लौड़े का क्या होगा…!
ललिता- मैं हूँ ना शरद जी आपकी लिटल जान.. अभी इसको शान्त कर देती हूँ।
सब उसकी बात पर हँसने लगते हैं। तभी सचिन और अशोक भी आ जाते हैं।
शरद- तुम दोनों वो सारे वीडियो नष्ट कर दो मैं नहीं चाहता किसी के हाथ लगें और कोई उनका मिस यूज़ करे और उन कुत्तों का क्या करना है मैं बाद में
बताऊँगा। अभी उनको वहीं रहने दो… समझ गए ना जाओ…!
अशोक- ओके भाई जैसा आप कहो…!
शरद- और ललिता तुम भी जाओ पहले फ्रेश हो जाओ। मैं बाद में तुम्हें आराम से चोदूँगा.. साली पता नहीं क्या जादू कर दिया है तुम दोनों बहनों ने, लौड़ा है कि बैठने का नाम ही नहीं लेता।
सचिन- भाई ये चूतें नहीं भूल-भुलैयां हैं… हम सब के लौड़े खो गए हैं इनमें….!
सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगते हैं। सब के जाने के बाद शरद एलईडी में कुछ देखता है और बेड पर लेट जाता है। पन्द्रह मिनट में ललिता फ्रेश होकर नंगी ही बाहर आ जाती है।
शरद- अबे साली कपड़े तो पहन कर आती, ऐसे ही आ गई..!
ललिता- लो जी अब कपड़े पहनने की मेहनत करूँ आप निकालने की मेहनत करो… आख़िर में होना तो नंगी ही है, तो ऐसे में क्या बुराई है… हाँ..!
शरद- साली पक्की रंडी है तू, इतना चुद कर भी तेरे को सब्र नहीं…!
ललिता- ओ हैलो… मेरी चूत और गाण्ड की बैंड-बाजी हुई है। ये तो आपका लौड़ा खंबे जैसा खड़ा है। इसके लिए बोल रही हूँ।
शरद- आजा मेरी रानी यहाँ बैठ इसका इलाज बाद में करना पहले मेरे दिमाग़ में जो चल रहा है, उसका इलाज कर…!
ललिता- क्या शरद जी…!
शरद- देख धरम अन्ना मेरा दोस्त है और उसने ऐसा क्या किया है जिसकी तू गवाह है?
ललिता- रहने दो ना, आपने कहा वो आपका दोस्त है तो अब क्यों उसके राज को जानना चाहते हो?
शरद- देखो ललिता तुम अच्छे से जानती हो इस घर के कोने-कोने में कैमरे लगे हैं, मुझे इतना तो पता है कुछ तो उसने गलत किया, पर आदमी की फ़ितरत ही ऐसी होती है कि उसको पूरी बात जानने की खुजली होती है। अब बता भी दे ना क्या बात है..!
रचना धीरे से अशोक को सीधा कर देती है और उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगती है। अशोक गहरी नींद में था, उसको पता भी नहीं चला कि उसका लौड़ा रचना चूस रही है। दो मिनट में ही वो अकड़ कर अपने आकार में आ गया। दोस्तों आदमी भले ही नींद में हो, पर ये लंड बड़ी कुत्ती चीज होता है। जरा सा अहसास हुआ नहीं कि अकड़ने लगता है। जब लौड़ा पूरा कड़क हो गया, तो रचना बेड पर आ गई और अशोक के दोनों तरफ पैर निकाल कर लौड़े को चूत मैं डाल लिया और खुद उकडूँ बैठ कर ऊपर-नीचे होने लगी और धीरे-धीरे बोलने लगी।
रचना- आ..हह.. उई ले कुत्ते मैंने तेरा लौड़ा चूत में डाल लिया, अब बोल क्या बोलता है…!
अशोक को अब कुछ अहसास हुआ तो उसकी नींद टूटी उसने आँखें खोल दीं, तभी रचना झट से उसके ऊपर लेट गई और उसके बोलने से पहले उसके होंठों को
अपने होंठों से जकड़ कर चूसने लगी। अब अशोक क्या करता लौड़ा चूत में है और नर्म मुलायम होंठ उसके होंठों पर, सो लग गया वो भी, नीचे से झटके मारने और रचना का किस में साथ देने। अब कोई कुछ भी कहे ऐसी पोजीशन में आदमी का दिमाग़ कहाँ काम करता है। बस लौड़ा अपना काम करता है। जो कर भी रहा है। अशोक को मज़ा आने लगा था। वो नीचे से गाण्ड उठा कर झटके मार रहा था। बेड हिलने लगा था।
रचना- आआ उ फक मी आह फक मी उ फास्ट फास्ट आ..हह.. मज़ा आ गया…!
बेड के हिलने से सब की आँख खुल गई और ये नजारा देख कर सब के लौड़े कड़क होने लगे। ललिता अभी भी सो रही थी।
सचिन- ये साली रंडी कब उठी और उठते ही चुदने लगी.. रुक राण्ड मैं आता हूँ…!
सचिन ने अपने लौड़े पर थूक लगाया और रचना की गाण्ड में पीछे से धक्का मार दिया। बेचारी दर्द से तिलमिला गई। कहाँ अमर के 6″ लौड़े से गाण्ड मरवाई थी, अब ये लौड़ा तो दर्द ही करेगा न..! सचिन ने एक ही झटके से पूरा अन्दर डाल दिया था। ‘फ़च्छ’ की आवाज़ के साथ लौड़ा गाण्ड में समा गया। अब दोनों धका-धक चोद रहे थे। अमर की नज़र शरद पर गई। उसका लौड़ा भी अपने शबाब पर आ गया था। अमर अपने लौड़े को हाथ से सहला रहा था और ललिता को देख रहा था। वो
करवट लेकर सोई हुई थी। उसकी गाण्ड अमर को अपनी और आकर्षित कर रही थी।
शरद- अबे साले गंदी नाली के कीड़े … सोच क्या रहा है बहनचोद, दिल में तेरे इसकी गाण्ड मारने की तमन्ना है। लौड़ा तेरा तना हुआ है अब क्या इस रंडी के उठने
का इंतजार करेगा… डाल दे साली की गाण्ड में दर्द होगा तो अपने आप उठ जाएगी…!
अमर- बात तो आपने सही की, लेकिन बम्बू तो आपका भी तना हुआ है उसका क्या करोगे…!
शरद- अबे साले ये तेरी गाण्ड में डालूँगा…. चल चुपचाप गाण्ड मार उसकी। मेरा मन तो मेरी जान रचना की गाण्ड मारने को कर रहा है बड़ी जालिम
है साली…!
अमर- ही ही ही आप भी ना कसम से पक्के चोदू हो, मेरी दोनों बहनों की चूत का भोसड़ा बना दिया, अब गाण्ड की गंगोत्री बनाने पर तुले हुए हो…!
अशोक- अहहुह उहह भाई आ मज़ा आ रहा है साली रंडी की चूत बहुत मस्त है आ आ…!
सचिन- आ आ..हह.. भाई मेरा पानी निकलने ही वाला है आ..हह.. आ जाओ आप आराम से मार लो साली की गाण्ड आ आ..हह…..!
अशोक- मेरा भी निकलने वाला है उफ्फ अब चाहे चूत मारो या गाण्ड सब आपका है…!
रचना- ओह फास्ट यू बास्टर्ड आह मेरी गाण्ड को खोल दो अभी तुम्हारा बाप मोटा लौड़ा डालेगा उसके लिए जगह बनाओ आ..हह.. फास्ट उफ्फ सीसी आ..हह…..!
सचिन- उहह उहह ले रंडी आ..हह.. साली गाली देती है मादरचोद ले आ उह उह…!
तेज झटकों की बौछार रचना की चूत और गाण्ड पर होने लगी। वो बर्दाश्त ना कर पाई और झड़ गई। वो दोनों भी झड़ गए थे। अब सुकून में आ गए थे।
इधर अमर इन लोगों की चुदाई देख कर बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसने लौड़े पर थूक लगाया और ललिता की गाण्ड में ठोक दिया। ललिता को दर्द हुआ तो उसकी आँख खुल गई। तब तक अमर झटके मारने लगा था।
ललिता- आ आ..हह.. उई भाई आ..हह.. क्या है ठीक से सोने भी नहीं देते उफ्फ सीईई उईई अब आ..हह.. फास्ट करो ना आ…!
रचना- हटो भी दोनों पानी निकाल कर भी मेरे ऊपर ही पड़े हो… मेरे राजा शरद को आने दो उनका लौड़ा तना हुआ है, उनको मेरी गाण्ड मारने दो अब…!
सचिन ऊपर से हट कर एक साइड हो गया।
अशोक- वो तो हट गया साली छिनाल अब तू भी तो मेरे ऊपर से हट… अब क्या दोबारा चुदाने का इरादा है?
रचना ऊपर से हट कर बड़बड़ाती है।
रचना- उहह तेरे से कौन चुदेगा… बोलता था, मैं ऐसी रंडी के साथ नहीं करूँगा.. अब क्यों मज़े लेकर चोद रहे थे?
अशोक- चुप साली मादरचोद… मैंने कब तेरे को कहा कि आओ चुदो… साली मैं तो आराम से सो रहा था… तू खुद आई चुदने के लिए। अब चूत में लौड़ा घुसने
के बाद कोई पागल ही होगा जो चोदने को मना करे।
ललिता- आ भाई मज़ा आ रहा है… जल्दी करो मेरे अशोक को गुस्सा आ रहा है, मैं उनका लौड़ा मुँह में लेके उनको शान्त करूँगी…!
शरद- अब बन्द करो ये लड़ाई… कुत्तों की तरह भौंक रहे हो सब के सब…!
सचिन- मैं तो चला बाथरूम।
सचिन के जाने के बाद अशोक भी दूसरे रूम के बाथरूम में चला जाता है। इधर अमर भी ललिता की गाण्ड को पानी से भर देता है और एक साइड लेट जाता है।
रचना उठकर शरद के पास आकर उसके लौड़े को चूसने लगती है।
शरद- उफ्फ तेरी यही अदा तो मुझे पसन्द है साली क्या चूसती हो।
अमर- भाई मुझे घर जाना होगा, पापा का फ़ोन आने वाला है हम सब यहाँ हैं.. कहीं उनको कुछ शक ना हो जाए साली नौकरानी बोल देगी कल से
हम गायब हैं…!
शरद- अबे साले तीनों के फ़ोन तो यहाँ हैं घर पर क्यों…!
ललिता- वो दरअसल बात ये है शरद जी पापा मोबाइल पर नहीं घर के फ़ोन पर फ़ोन करते हैं ताकि उन्हें पता रहे कि हम सब घर में ही हैं वो हमें ज़्यादा
बाहर जाने से मना करते हैं…!
अमर- मैं जाऊँगा तो उनसे बात कर लूँगा, इनके बारे में पूछेंगे तो कह दूँगा सो रही हैं या बाथरूम में हैं।
रचना लौड़े को मुँह से निकाल लेती है।
रचना- मुझे भी साथ ले चलो भाई, पापा मेरे से बात करने की ज़िद करेंगे। तुम तो जानते हो ना मेरे से बात किए बिना उनको चैन ना आएगा।
शरद- साली छिनाल कोई चाल तो नहीं चल रही है ना मेरे साथ…!
रचना- नहीं शरद मैं कोई पागल नहीं हूँ आपके पास इतने वीडियो हैं, पेपर साइन किया हुआ धरम अन्ना के पास है। मैं आपसे दोबारा माफी मांगती हूँ मैं शर्मिन्दा हूँ कि मेरी जलन की वजह से सिम्मी की जान गई। आप चाहो तो अब भी मुझे मार दो, मैं उफ्फ नहीं करूँगी, पर पहले माफ़ कर दो बाद में मार देना…!
ललिता- शरद जी दीदी सही कह रही हैं, इनकी आँखों में आए आँसू इनकी सच्चाई की गवाही दे रहे हैं..!
शरद- अच्छा तुम दोनों चले जाओगे तो मेरे इस खड़े लौड़े का क्या होगा…!
ललिता- मैं हूँ ना शरद जी आपकी लिटल जान.. अभी इसको शान्त कर देती हूँ।
सब उसकी बात पर हँसने लगते हैं। तभी सचिन और अशोक भी आ जाते हैं।
शरद- तुम दोनों वो सारे वीडियो नष्ट कर दो मैं नहीं चाहता किसी के हाथ लगें और कोई उनका मिस यूज़ करे और उन कुत्तों का क्या करना है मैं बाद में
बताऊँगा। अभी उनको वहीं रहने दो… समझ गए ना जाओ…!
अशोक- ओके भाई जैसा आप कहो…!
शरद- और ललिता तुम भी जाओ पहले फ्रेश हो जाओ। मैं बाद में तुम्हें आराम से चोदूँगा.. साली पता नहीं क्या जादू कर दिया है तुम दोनों बहनों ने, लौड़ा है कि बैठने का नाम ही नहीं लेता।
सचिन- भाई ये चूतें नहीं भूल-भुलैयां हैं… हम सब के लौड़े खो गए हैं इनमें….!
सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगते हैं। सब के जाने के बाद शरद एलईडी में कुछ देखता है और बेड पर लेट जाता है। पन्द्रह मिनट में ललिता फ्रेश होकर नंगी ही बाहर आ जाती है।
शरद- अबे साली कपड़े तो पहन कर आती, ऐसे ही आ गई..!
ललिता- लो जी अब कपड़े पहनने की मेहनत करूँ आप निकालने की मेहनत करो… आख़िर में होना तो नंगी ही है, तो ऐसे में क्या बुराई है… हाँ..!
शरद- साली पक्की रंडी है तू, इतना चुद कर भी तेरे को सब्र नहीं…!
ललिता- ओ हैलो… मेरी चूत और गाण्ड की बैंड-बाजी हुई है। ये तो आपका लौड़ा खंबे जैसा खड़ा है। इसके लिए बोल रही हूँ।
शरद- आजा मेरी रानी यहाँ बैठ इसका इलाज बाद में करना पहले मेरे दिमाग़ में जो चल रहा है, उसका इलाज कर…!
ललिता- क्या शरद जी…!
शरद- देख धरम अन्ना मेरा दोस्त है और उसने ऐसा क्या किया है जिसकी तू गवाह है?
ललिता- रहने दो ना, आपने कहा वो आपका दोस्त है तो अब क्यों उसके राज को जानना चाहते हो?
शरद- देखो ललिता तुम अच्छे से जानती हो इस घर के कोने-कोने में कैमरे लगे हैं, मुझे इतना तो पता है कुछ तो उसने गलत किया, पर आदमी की फ़ितरत ही ऐसी होती है कि उसको पूरी बात जानने की खुजली होती है। अब बता भी दे ना क्या बात है..!