Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास - Page 5 - SexBaba
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Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास

रचना- उहह कुत्ता बोलता है कि मेरे साथ सेक्स नहीं करेगा। अभी बताती हूँ हरामी को।
रचना धीरे से अशोक को सीधा कर देती है और उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगती है। अशोक गहरी नींद में था, उसको पता भी नहीं चला कि उसका लौड़ा रचना चूस रही है। दो मिनट में ही वो अकड़ कर अपने आकार में आ गया। दोस्तों आदमी भले ही नींद में हो, पर ये लंड बड़ी कुत्ती चीज होता है। जरा सा अहसास हुआ नहीं कि अकड़ने लगता है। जब लौड़ा पूरा कड़क हो गया, तो रचना बेड पर आ गई और अशोक के दोनों तरफ पैर निकाल कर लौड़े को चूत मैं डाल लिया और खुद उकडूँ बैठ कर ऊपर-नीचे होने लगी और धीरे-धीरे बोलने लगी।
रचना- आ..हह.. उई ले कुत्ते मैंने तेरा लौड़ा चूत में डाल लिया, अब बोल क्या बोलता है…!
अशोक को अब कुछ अहसास हुआ तो उसकी नींद टूटी उसने आँखें खोल दीं, तभी रचना झट से उसके ऊपर लेट गई और उसके बोलने से पहले उसके होंठों को
अपने होंठों से जकड़ कर चूसने लगी। अब अशोक क्या करता लौड़ा चूत में है और नर्म मुलायम होंठ उसके होंठों पर, सो लग गया वो भी, नीचे से झटके मारने और रचना का किस में साथ देने। अब कोई कुछ भी कहे ऐसी पोजीशन में आदमी का दिमाग़ कहाँ काम करता है। बस लौड़ा अपना काम करता है। जो कर भी रहा है। अशोक को मज़ा आने लगा था। वो नीचे से गाण्ड उठा कर झटके मार रहा था। बेड हिलने लगा था।
रचना- आआ उ फक मी आह फक मी उ फास्ट फास्ट आ..हह.. मज़ा आ गया…!
बेड के हिलने से सब की आँख खुल गई और ये नजारा देख कर सब के लौड़े कड़क होने लगे। ललिता अभी भी सो रही थी।
सचिन- ये साली रंडी कब उठी और उठते ही चुदने लगी.. रुक राण्ड मैं आता हूँ…!
सचिन ने अपने लौड़े पर थूक लगाया और रचना की गाण्ड में पीछे से धक्का मार दिया। बेचारी दर्द से तिलमिला गई। कहाँ अमर के 6″ लौड़े से गाण्ड मरवाई थी, अब ये लौड़ा तो दर्द ही करेगा न..! सचिन ने एक ही झटके से पूरा अन्दर डाल दिया था। ‘फ़च्छ’ की आवाज़ के साथ लौड़ा गाण्ड में समा गया। अब दोनों धका-धक चोद रहे थे। अमर की नज़र शरद पर गई। उसका लौड़ा भी अपने शबाब पर आ गया था। अमर अपने लौड़े को हाथ से सहला रहा था और ललिता को देख रहा था। वो
करवट लेकर सोई हुई थी। उसकी गाण्ड अमर को अपनी और आकर्षित कर रही थी।
शरद- अबे साले गंदी नाली के कीड़े … सोच क्या रहा है बहनचोद, दिल में तेरे इसकी गाण्ड मारने की तमन्ना है। लौड़ा तेरा तना हुआ है अब क्या इस रंडी के उठने
का इंतजार करेगा… डाल दे साली की गाण्ड में दर्द होगा तो अपने आप उठ जाएगी…!
अमर- बात तो आपने सही की, लेकिन बम्बू तो आपका भी तना हुआ है उसका क्या करोगे…!
शरद- अबे साले ये तेरी गाण्ड में डालूँगा…. चल चुपचाप गाण्ड मार उसकी। मेरा मन तो मेरी जान रचना की गाण्ड मारने को कर रहा है बड़ी जालिम
है साली…!
अमर- ही ही ही आप भी ना कसम से पक्के चोदू हो, मेरी दोनों बहनों की चूत का भोसड़ा बना दिया, अब गाण्ड की गंगोत्री बनाने पर तुले हुए हो…!
अशोक- अहहुह उहह भाई आ मज़ा आ रहा है साली रंडी की चूत बहुत मस्त है आ आ…!
सचिन- आ आ..हह.. भाई मेरा पानी निकलने ही वाला है आ..हह.. आ जाओ आप आराम से मार लो साली की गाण्ड आ आ..हह…..!
अशोक- मेरा भी निकलने वाला है उफ्फ अब चाहे चूत मारो या गाण्ड सब आपका है…!
रचना- ओह फास्ट यू बास्टर्ड आह मेरी गाण्ड को खोल दो अभी तुम्हारा बाप मोटा लौड़ा डालेगा उसके लिए जगह बनाओ आ..हह.. फास्ट उफ्फ सीसी आ..हह…..!
सचिन- उहह उहह ले रंडी आ..हह.. साली गाली देती है मादरचोद ले आ उह उह…!
तेज झटकों की बौछार रचना की चूत और गाण्ड पर होने लगी। वो बर्दाश्त ना कर पाई और झड़ गई। वो दोनों भी झड़ गए थे। अब सुकून में आ गए थे।
इधर अमर इन लोगों की चुदाई देख कर बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसने लौड़े पर थूक लगाया और ललिता की गाण्ड में ठोक दिया। ललिता को दर्द हुआ तो उसकी आँख खुल गई। तब तक अमर झटके मारने लगा था।
ललिता- आ आ..हह.. उई भाई आ..हह.. क्या है ठीक से सोने भी नहीं देते उफ्फ सीईई उईई अब आ..हह.. फास्ट करो ना आ…!
रचना- हटो भी दोनों पानी निकाल कर भी मेरे ऊपर ही पड़े हो… मेरे राजा शरद को आने दो उनका लौड़ा तना हुआ है, उनको मेरी गाण्ड मारने दो अब…!
सचिन ऊपर से हट कर एक साइड हो गया।
अशोक- वो तो हट गया साली छिनाल अब तू भी तो मेरे ऊपर से हट… अब क्या दोबारा चुदाने का इरादा है?
रचना ऊपर से हट कर बड़बड़ाती है।
रचना- उहह तेरे से कौन चुदेगा… बोलता था, मैं ऐसी रंडी के साथ नहीं करूँगा.. अब क्यों मज़े लेकर चोद रहे थे?
अशोक- चुप साली मादरचोद… मैंने कब तेरे को कहा कि आओ चुदो… साली मैं तो आराम से सो रहा था… तू खुद आई चुदने के लिए। अब चूत में लौड़ा घुसने
के बाद कोई पागल ही होगा जो चोदने को मना करे।
ललिता- आ भाई मज़ा आ रहा है… जल्दी करो मेरे अशोक को गुस्सा आ रहा है, मैं उनका लौड़ा मुँह में लेके उनको शान्त करूँगी…!
शरद- अब बन्द करो ये लड़ाई… कुत्तों की तरह भौंक रहे हो सब के सब…!
सचिन- मैं तो चला बाथरूम।
सचिन के जाने के बाद अशोक भी दूसरे रूम के बाथरूम में चला जाता है। इधर अमर भी ललिता की गाण्ड को पानी से भर देता है और एक साइड लेट जाता है।
रचना उठकर शरद के पास आकर उसके लौड़े को चूसने लगती है।
शरद- उफ्फ तेरी यही अदा तो मुझे पसन्द है साली क्या चूसती हो।
अमर- भाई मुझे घर जाना होगा, पापा का फ़ोन आने वाला है हम सब यहाँ हैं.. कहीं उनको कुछ शक ना हो जाए साली नौकरानी बोल देगी कल से
हम गायब हैं…!
शरद- अबे साले तीनों के फ़ोन तो यहाँ हैं घर पर क्यों…!
ललिता- वो दरअसल बात ये है शरद जी पापा मोबाइल पर नहीं घर के फ़ोन पर फ़ोन करते हैं ताकि उन्हें पता रहे कि हम सब घर में ही हैं वो हमें ज़्यादा
बाहर जाने से मना करते हैं…!
अमर- मैं जाऊँगा तो उनसे बात कर लूँगा, इनके बारे में पूछेंगे तो कह दूँगा सो रही हैं या बाथरूम में हैं।
रचना लौड़े को मुँह से निकाल लेती है।
रचना- मुझे भी साथ ले चलो भाई, पापा मेरे से बात करने की ज़िद करेंगे। तुम तो जानते हो ना मेरे से बात किए बिना उनको चैन ना आएगा।
शरद- साली छिनाल कोई चाल तो नहीं चल रही है ना मेरे साथ…!
रचना- नहीं शरद मैं कोई पागल नहीं हूँ आपके पास इतने वीडियो हैं, पेपर साइन किया हुआ धरम अन्ना के पास है। मैं आपसे दोबारा माफी मांगती हूँ मैं शर्मिन्दा हूँ कि मेरी जलन की वजह से सिम्मी की जान गई। आप चाहो तो अब भी मुझे मार दो, मैं उफ्फ नहीं करूँगी, पर पहले माफ़ कर दो बाद में मार देना…!
ललिता- शरद जी दीदी सही कह रही हैं, इनकी आँखों में आए आँसू इनकी सच्चाई की गवाही दे रहे हैं..!
शरद- अच्छा तुम दोनों चले जाओगे तो मेरे इस खड़े लौड़े का क्या होगा…!
ललिता- मैं हूँ ना शरद जी आपकी लिटल जान.. अभी इसको शान्त कर देती हूँ।
सब उसकी बात पर हँसने लगते हैं। तभी सचिन और अशोक भी आ जाते हैं।
शरद- तुम दोनों वो सारे वीडियो नष्ट कर दो मैं नहीं चाहता किसी के हाथ लगें और कोई उनका मिस यूज़ करे और उन कुत्तों का क्या करना है मैं बाद में
बताऊँगा। अभी उनको वहीं रहने दो… समझ गए ना जाओ…!
अशोक- ओके भाई जैसा आप कहो…!
शरद- और ललिता तुम भी जाओ पहले फ्रेश हो जाओ। मैं बाद में तुम्हें आराम से चोदूँगा.. साली पता नहीं क्या जादू कर दिया है तुम दोनों बहनों ने, लौड़ा है कि बैठने का नाम ही नहीं लेता।
सचिन- भाई ये चूतें नहीं भूल-भुलैयां हैं… हम सब के लौड़े खो गए हैं इनमें….!
सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगते हैं। सब के जाने के बाद शरद एलईडी में कुछ देखता है और बेड पर लेट जाता है। पन्द्रह मिनट में ललिता फ्रेश होकर नंगी ही बाहर आ जाती है।
शरद- अबे साली कपड़े तो पहन कर आती, ऐसे ही आ गई..!
ललिता- लो जी अब कपड़े पहनने की मेहनत करूँ आप निकालने की मेहनत करो… आख़िर में होना तो नंगी ही है, तो ऐसे में क्या बुराई है… हाँ..!
शरद- साली पक्की रंडी है तू, इतना चुद कर भी तेरे को सब्र नहीं…!
ललिता- ओ हैलो… मेरी चूत और गाण्ड की बैंड-बाजी हुई है। ये तो आपका लौड़ा खंबे जैसा खड़ा है। इसके लिए बोल रही हूँ।
शरद- आजा मेरी रानी यहाँ बैठ इसका इलाज बाद में करना पहले मेरे दिमाग़ में जो चल रहा है, उसका इलाज कर…!
ललिता- क्या शरद जी…!
शरद- देख धरम अन्ना मेरा दोस्त है और उसने ऐसा क्या किया है जिसकी तू गवाह है?
ललिता- रहने दो ना, आपने कहा वो आपका दोस्त है तो अब क्यों उसके राज को जानना चाहते हो?
शरद- देखो ललिता तुम अच्छे से जानती हो इस घर के कोने-कोने में कैमरे लगे हैं, मुझे इतना तो पता है कुछ तो उसने गलत किया, पर आदमी की फ़ितरत ही ऐसी होती है कि उसको पूरी बात जानने की खुजली होती है। अब बता भी दे ना क्या बात है..!
 
ललिता उसके लंड पर हाथ रख कर सहलाती हुई बोलती है।
ललिता- सही कहा आपने, ये चूत की खुजली होती ही ऐसी है कि आदमी से क्या से क्या करवा देती है।
शरद- अरे यार मैं अपने दिमाग़ की बात कर रहा हूँ तू चूत की खुजली को लेके बैठी है।
ललिता- आप समझे नहीं मैं आपको वो ही बता रही हूँ आप बात को समझे नहीं…!
शरद- अरे साली ये लौड़े को छेड़ना बन्द कर अभी खड़ा हो जाएगा तो बात बीच में अधूरी रह जाएगी।
ललिता- ओके बाबा नहीं हाथ लगाती, आप धरम अन्ना की बात सुनो कि कैसे वो मुझसे डरता है।
शरद- ओके… बता तू।
ललिता- शरद जी मैं आपको शुरू से बताती हूँ हमारा फ्रेंड-ग्रुप है जिसमें मेरे खास फ्रेंड का आपको नाम बताती हूँ। सबसे बेस्ट फ्रेंड टीना उम्र 18.. उसके
विसल, स्वाती, रागिनी, राजू, आशा, और मैं… हम सब अच्छे घरों से हैं और थोड़े बिगड़े हुए भी… हमको बाहर वाइन, सिगरेट इन सब की लत लग गई, तो हम अक्सर पार्टी करते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं। सेक्स के बारे मैं हमने कभी सोचा नहीं, हाँ कई बार स्वीमिंग के समय सब लड़कियां ब्रा-पैन्टी में और लड़के चड्डी में होते, तो सेक्सी कमेंट्स पास कर देते थे। राजू कभी-कभी हम लड़कियों के मम्मों को टच करता था, बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं…!
शरद- गुड ये तो तुम सब दोस्तों की बात हुई धरम अन्ना का रोल बताओ इस कहानी में।
ललिता- आप सुनो तो, हम सब किसी ऐसी जगह पार्टी करते हैं जहाँ कोई ना हो, इसलिए कभी किसी दोस्त के यहाँ तो कभी किसी के यहाँ..! ऐसे ही एक शाम हम
सब टीना के फार्म पर गए पार्टी करने। हम लोगों ने एक-एक राउंड बाहर का लगा कर स्वीमिंग करने का सोचा और सब एक साथ वहाँ नहाने चले गए।
उस दिन राजू और अशोक नहीं आए थे। बस हम लड़कियां ही थीं। सो हम हंसी-मजाक में लग गए। इसी बीच आशा ने मेरी ब्रा निकाल दी मैं उसको मारने उसके पीछे भागी। तभी दो आदमी मेन-गेट से अन्दर आ गए। जिनमें एक धरम अन्ना था। दोस्तों ऐसे ललिता के मुँह से सुनकर मज़ा नहीं आ रहा हो, तो चलो हम उस दिन
क्या हुआ वहीं चलते हैं तो ज़्यादा मज़ा आएगा।
धरम अन्ना और उसका दोस्त अन्दर आ जाते हैं। उनकी नज़र आशा और ललिता पर जाती है। ललिता का गोरा बदन पानी से भीगा हुआ देख कर दोनों के लौड़े तन जाते
हैं और ऊपर से ललिता सिर्फ़ पैन्टी मेंथी उसके बड़े-बड़े मम्मे उनका ईमान खराब करने के लिए काफ़ी थे। उनको देखते ही ललिता ज़ोर से चिल्ला कर वहाँ से भाग जाती है। आशा भी उसके पीछे-पीछे भाग जाती है।
टीना- अरे क्या हुआ ऐसे चिल्ला कर क्यों भागी तुम दोनों…!
आशा- वो वो वहाँ कोई दो आदमी आ रहे हैं..!
टीना- ओह माय गॉड शायद पापा होंगे चलो सब जल्दी से अन्दर.. कपड़े पहनो नहीं तो आज खैर नहीं हमारी…!
सब भाग कर अन्दर चली जाती हैं। धरम अन्ना को दूर से सब दिख जाती हैं।
धरम अन्ना- अईयो नीलेश… ये क्या जी ये सब छोकरी पागल होना जी.. कैसे आधा नंगा होकर नहाना जी..!
नीलेश- बच्चियां हैं धरम अन्ना भाई, इनको क्या पता हम आ जाएँगे, चलो अब अन्दर सबने कपड़े पहन लिए होंगे…!
शरद- चुप क्यों हो गई आगे बोलो क्या हुआ।
ललिता- हा हा हा आपके लौड़े को देख रही हूँ बात सुन कर कैसे अकड़ रहा है। कहो तो पहले ठंडा कर दूँ, उसके बाद बता दूँगी आगे की बात…!
शरद- नहीं, इसको आदत है ऐसी बातों से कड़क होने की… तू पूरी बात बता…!
ललिता- ओके बाबा बताती हूँ, हम सब वहाँ से सीधे रूम में चले गए। मैं आपको बता दूँ, वैसे तो ये अपने मुँह अपनी तारीफ होगी, मगर हमारे ग्रुप में सबसे सुंदर मैं ही हूँ और हॉट एंड सेक्सी भी पार्टी के समय हमारा ड्रेस कोड होता है। कभी क्या कभी क्या… उस दिन सबने येल्लो टॉप और पिंक स्कर्ट पहना था। बस मैं सबसे हटके थी, तो मैंने ऊपर से ब्लू-जैकेट भी डाला हुआ था।
शरद- हम्म ये बात तो पक्की है कि तुम हो बड़ी झक्कास आइटम… उसके बाद क्या हुआ…?
ललिता- ओके, अब बीच में मत बोलना, बस सुनते रहो…!
ललिता बताना शुरू करती है कि आगे क्या हुआ तो चलो दोस्तों हम भी सीधे वहीं चलते है।
धरम अन्ना- टीना कहाँ हो, बाहर आओ बेबी…!
टीना और सब डरते-डरते रूम के बाहर आए, उनसे एक गलती हो गई थी। वाइन और बियर जिस कार्टून में थीं, वो बाहर हॉल में ही रखा हुआ था और शायद धरम अन्ना और उसके दोस्त ने सब देख लिया था।
टीना- जी अप्पा, आप कैसे आ गए यहाँ…!
धरम अन्ना- हमको पता चला तुम अपनी फ्रेंड के साथ इधर होना, गणेश ने फ़ोन पर बताया कि सब नौकर को तुम छुट्टी दिया इसलिए हम देखने आया कि तुम इधर क्या करता?
टीना- सॉरी अप्पा, हम बस स्वीमिंग कर रहे थे…!
धरम अन्ना- ये कोई तरीका होना..! सब लड़कियाँ अकेली हो, नौकर तो रखना चाहिए ना.. तुम लोगों का सेफ्टी के लिए…!
नीलेश- अरे जाने दो, धरम अन्ना बच्चे हैं मस्ती मजाक कर रहे हैं चलो हमारा यहाँ क्या काम..!
नीलेश बोलते समय बस ललिता को घूर रहा था। हालाँकि ललिता ने कपड़े पहने थे, मगर उसे अब भी उसके मम्मों नंगे ही दिख रहे थे। उसकी पैन्ट का उभार साफ बता रहा था कि उसके मन में क्या है।
ललिता- हाँ अंकल सॉरी हमें ऐसे नहीं करना चाहिए था।
ललिता के बोलते ही नीलेश जल्दी से आगे बढ़ा और उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया।
नीलेश- अरे नहीं तुम लोग डरो मत, एन्जॉय करो… हम जाते हैं बस ये बताओ कब तक यहाँ रुकोगे…!
टीना- वो हम सोच रहे थे, आज रात यहीं रहेंगे सुबह चले जाएँगे।
धरम अन्ना- ओह बेबी, तुम सब बहुत छोटा होना जी कोई सेफ्टी नहीं.. इधर पार्टी के बाद सब घर जाओ, यहाँ ठीक नहीं बाबा…!
नीलेश- अरे धरम अन्ना जी आप भी ऐसे ही डरते हो.. घर में कैसा डर… चलो यहाँ से, इनको मज़ा करने दो… ओके बच्चों कोई बात नहीं मज़े करो सब.. चलो धरम अन्ना हम भी चलते हैं।
दोस्तों नीलेश बात के दौरान अपना हाथ ललिता के कंधे से नीचे ले आया था। उसकी ऊँगलियाँ मम्मों को टच कर रही थीं। जाते-जाते भी उसने मम्मों को
हल्का सा दबा दिया।
शरद- साला हरामी.. तुमने कुछ कहा नहीं, उसको जब उसने तेरे मम्मों को टच किया?
ललिता- ओहो शरद जी उस समय मैंने इतना ध्यान नहीं दिया और इतनी तो पागल मैं भी नहीं हूँ समझ तो सब आ रहा था मुझे, पर उसने मुझे
बिना ब्रा के देखा था। मेरी उससे नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी और वैसे भी वो वहाँ से जल्दी चले गए थे।
शरद का लौड़ा झटके खाने लगा था। उसको कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।
ललिता- हा हा हा आप क्यों परेशान हो रहे हो, मेरी बातें आपको सेक्सी लग रही हैं क्या? देखो तो कैसे लौड़ा झटके मार रहा है…!
शरद- हाँ साली एक तो नंगी इसके सामने बैठी है और ऊपर से ऐसी बातें मेरी उत्तेजना बढ़ा रही है, चल घोड़ी बन जा पहले इसको ठंडा करता हूँ, बाद में तेरी कहानी सुनूँगा।
ललिता- बन जाऊँगी मेरे शरद… पहले मुझे इसको चूसने तो दो… कैसी बूँदें झलक रही हैं… इसका स्वाद तो लेने दो…!
शरद- लेले साली तेरा ही तो है… आजा चूस.. नीचे बैठ जा मैं ऐसे ही बेड पर बैठा रहूँगा…!
ललिता झट से शरद के पैरों के पास बैठ कर लौड़े पर जीभ घुमाने लगती है।
शरद- उफ्फ साली क्या गर्म होंठ है तेरे… मज़ा आ गया, पता नहीं तेरे बाप ने क्या खाकर तेरी माँ को चोदा होगा, जो ऐसी हॉट आइटम पैदा हुई…!
ललिता कुछ ना बोली बस आँखों से इशारा कर दिया, जैसे उसको हँसी आ रही हो और वो लौड़े को चूसने लगी।
शरद- आ..हह.. चूस साली उफ्फ चूस इतने सालों में कभी इस लौड़े ने इतने मज़े नहीं किए, जितने इन कुछ दिनों में कर लिए कककक आ काट मत रंडी…
आराम से पूरा मुँह में ले.. उफ्फ हाँ ऐसे उफ्फ होंठों को टाइट करके अन्दर-बाहर कर… मज़ा आ रहा है आ..हह.. उफ़फ्फ़ ऐसा लग रहा है जैसे चूत चोद रहा हूँ
उफ्फ…!
 
दस मिनट तक ललिता लौड़े को चूस-चूस कर मज़ा लेती रही, अब उसका मुँह दुखने लगा था, तो उसने मुँह हटा लिया।
शरद- थक गई क्या… मेरी जान, आजा मेरी गोद में बैठ जा.. आज तुझे नई स्टाइल से चोदता हूँ..!
ललिता दोनों पैर शरद के साइड से निकाल कर बैठ जाती है। शरद अपने हाथ से लौड़ा पकड़ कर चूत पर सैट कर देता है, जैसे ही ललिता बैठी, लौड़ा चूत में घुस जाता है।
ललिता- ओई उफफफ्फ़…!
शरद- साली इतनी बार चुद चुकी है, अब भी उई उई कर रही है…!
ललिता- आ..हह.. क्या करूँ मैं कौन सा रोज चुदती हूँ? कल रात से लेकर अब तक चुदाई तो बहुत हो गई, पर चूत सूज कर ‘बड़ा-पाव’ बन गई है और आपका
लौड़ा कोई मामूली तो है नहीं, घोड़े जैसा मोटा है दर्द तो होता ही है।
शरद नीचे से झटके मारने लगता है ललिता को दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आ रहा था, वो भी लौड़े पर उछल रही थी और शरद ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया था। रूम में बड़ा ही रोमांच पैदा हो रहा था। दस मिनट तक शरद गोद में बैठा कर ललिता को चोदता रहा। उसकी जांघें दुखने लगीं, तब उसने ललिता को बेड पर लेटा दिया और कंधे पे पैर डालकर चोदने लगा।
ललिता- आ आ..हह.. उफ्फ शरद तेज और तेज आ..हह.. मेरा पानी निकलने वाला है ओई उ उफ्फ मई गईई…!
शरद पहले से ही उत्तेज़ित था, इतनी देर की लंड चुसाई और चूत चुदाई के बाद उसका पानी बस निकालने ही वाला था कि ललिता ने उसकी उत्तेजना और बढ़ा दी।
वो धका-धक लौड़ा पेलने लगा और दोनों एक साथ झड़ गए। काफ़ी देर तक शरद उसके ऊपर पड़ा हांफता रहा।
दोस्तों इनको थोड़ा आराम करने दो, चलो हम अमर और रचना को देख आते है कि वो अब तक घर पहुँचे या नहीं…!
दोनों घर पहुँच गए थे और रूम में बैठे बात कर रहे थे।
अमर- बहुत थकान हो रही है आज, तो वैसे रचना तुमने क्या सोचा है, अब क्या करना है…!
रचना- क..क्या करना से तुम्हारा क्या मतलब है… थके हुए हो, फिर भी चुदाई से मन नहीं भरा क्या…!
अमर- ओह अरे नहीं रे, आप समझी नहीं, मेरे कहने का मतलब है कि शरद ने जो इतना बड़ा गेम खेला है, उसको जवाब तो देना पड़ेगा ना…!
रचना- चुप रहो अमर, इतना सब होने के बाद भी तुमको समझ नहीं आया क्या..! मैंने जो किया उसका मुझे पछतावा है और शरद ने जो किया वो तो
आप भी चाहते थे।
अमर- अरे मेरे पर इल्जाम क्यों लगा रही हो? मैंने क्या किया..? मैं क्या चाहता था… हाँ..!
रचना- शर्म करो भाई, थोड़ी तो शर्म करो… मान लो शरद बदला नहीं लेना चाहता था, सिम्मी की बात को एक तरफ रख दो, उसके बाद सोचो आपने ही शरद
के साथ प्लान किया था ना.. कि मुझे फिल्म का झांसा देकर आप मुझे चोदना चाहते थे और शरद को किसने कहा था कि तुम भी चूत का स्वाद
चख लेना…!
अमर- व..व्व..वो तो बस तुम हाँ.. इसमें तुम्हारी ही ग़लती है, पता है घर में जवान भाई है और तुम इतने सेक्सी कपड़े पहनती थी, खेल में मेरा लौड़ा टच करती थी… तुम खुद चुदना चाहती थी या आसान शब्दों में कहूँ तो तुम अपनी चूत की प्यास मिटाना चाहती थीं..!
रचना- अब बस भी करो, इस ज़िद-बहस का कोई फायदा नहीं है। तुम चोदना चाहते थे और मैं चुदाना… तो शरद ने क्या गलत कर दिया..! अब बस सब
भूल जाओ, आज के बाद सब मिलकर प्यार से चुदाई करेंगे…!
अमर- ओके मान जाता हूँ, पर उस साले सचिन और धरम अन्ना की कौन सी बहन थी सिम्मी, उन लोगों ने फ्री में मज़े लिए। उनसे तो बदला लूँगा मैं और हाँ
ललिता के पास कुछ तो राज़ है धरम अन्ना का, तभी साला चुपचाप चला गया, वरना हरामी वो ललिता के भी मज़े लेता।
रचना- अच्छा बाबा ले लेना बदला, पर सिर्फ़ उनके घर की किसी लड़की को चोद कर… बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं ओके…!
अमर- ओके बहना… अच्छा मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. पापा का फ़ोन आए तो आवाज़ देना…!
रचना- अच्छा ठीक है जाओ…!
अमर बाथरूम चला जाता है और रचना वहीं बेड पर बैठी सुसताने लगती है।


दोस्तों यहाँ कुछ मज़ा नहीं आ रहा, चलो वापस ललिता के पास चलते हैं, वहाँ शायद कुछ मज़ा मिले।
शरद बेड पर लेटा हुआ था, ललिता बाथरूम में पेशाब करने गई हुई थी।
शरद- अरे मेरी जान अब आ भी जाओ, मुझे आगे की बात जाननी है, अब तो लौड़ा भी शान्त हो गया।
ललिता हँसती हुई बाहर आती है।
ललिता- लो आ गई खुश…!
शरद- अरे साली रंडी, अब भी नंगी ही आई है कपड़े क्यों नहीं पहने…!
ललिता- ओह आप क्या मेरे पीछे पड़ गए, खुद तो नंगे बैठे हो मुझे नसीहत दे रहे हो.. नहीं चुदना अब आपसे, मैं बहुत थक गई हूँ … बस चूत में दर्द है, इसलिए हवा लगा रही हूँ।
शरद- अच्छा अच्छा ठीक है आ जा मेरी रानी मेरा लौड़ा भी थक गया। अब मुश्किल ही खड़ा होगा। आ जा बता आगे क्या हुआ?
ललिता- ओके बाबा सुनो, उन लोगों के जाने के बाद सब की सब रिलेक्स हो गईं, पर मुझे उन पर शक हुआ, क्योंकि वो कारटून एकदम साफ-साफ दिखाई दे रहा था,
जिसमें वाइन और बियर थी, मगर उन दोनों ने कोई रिएक्ट नहीं किया। आशा ने तो बोतल निकाल कर पीना शुरू कर दिया, पर मुझे किसी बुराई का अंदेशा हो
रहा था। मैंने बहुत न के बराबर पी, बाकी सब की सब टल्ली हो गई थीं और रूम में एक बड़ा डबल बेड था, उस पर लम्बलेट हो गईं। हम लोग हमेशा ऐसे
ही करते हैं… एक साथ एक ही बेड पर सोते हैं एक-दूसरे में घुस कर मज़ा आता है।
शरद- सब सो गईं, तुम क्या कर रही थीं?
ललिता- मैं बस वही सोच रही थी कि उन लोगों ने इग्नोर क्यों किया होगा। मुझे नींद नहीं आ रही थी फिर भी जबरदस्ती मैं सो गई…! रात कोई 11 बजे कमरे के बाहर आहट हुई, तो मेरी आँख खुल गई। बाहर वो दोनों ही थे।
शरद- तुमको कैसे पता वो ही थे।
ललिता- ओह वो एक-दूसरे का नाम लेकर बात कर रहे थे।
शरद- तो ठीक से बता ना, क्या बात कर रहे थे?
ललिता- अब आप चुप रहो सवाल पे सवाल अब मई ठीक से सब बताती हूँ…!
ललिता- बाहर उन दोनों की आवाज़ मैंने गौर से सुनी।
धरम अन्ना- अईयो नीलेश तुम पागल हो गया जी ऐसे चोरों के जैसा हमको हमारा ही घर में लाया तुम…!
नीलेश- अरे यार धरम अन्ना तुमको मैंने कहा था ना.. ये आज फुल पार्टी करेगी देख कार्टून खाली पड़ा है, सब पीकर टल्ली हो गई हैं।
धरम अन्ना- हम जानता जी लेकिन हमारा बेटी टीना भी अन्दर होना जी…!
नीलेश- ओह मैं जानता हूँ धरम अन्ना, हम तो बस उस लड़की के मज़े लेंगे… साली क्या पटाखा आइटम है।
धरम अन्ना- हमको डर होना जी… कहीं कुछ हो गया तो…!
नीलेश- अरे यार कुछ नहीं होगा, मैंने साली को चैक कर लिया था, वो खुद ऐसी ही है, बड़े आराम से चूचे दबवा रही थी।
धरम अन्ना- अईयो वो मेरी बेटी की फ्रेंड होना जी… अगर कुँवारी हुई तो पंगा हो जाएगा यार…!
नीलेश- अरे पक्का वो चुदी हुई होगी, साली बिगड़ी हुई लड़की है चुदे बिना नहीं रह पाती, अगर कुँवारी हुई भी तो, क्या हुआ नशे में धुत है सील टूटने का पता भी नहीं चलेगा। खून-वून आएगा तो हम साफ करके साली को वापस कपड़े पहना कर वापस रूम में सुला देंगे और चले जाएँगे, सुबह उठेगी तो चूत में दर्द होगा, मगर पता कैसे लगाएगी कि हमने चोदा है और मेरे ख्याल से तो उसको ऐसा लगेगा कि बस ऐसे ही कोई दर्द है, पक्का बोलता हूँ..!
धरम अन्ना- अईयो तुमको कितना भूख होना जी… मेरे को अब भी डर लगता जी अन्दर सब सोए हैं, उसको पहचानोगे कैसे..? लाइट ऑन करेगा तो क्या पता कोई जाग
जाएगा…!
नीलेश- तू मत आना अन्दर, मैं ले आऊँगा लाइट कौन पागल चालू करेगा..! मेरे को पता है साली को आराम से ले आऊँगा सब से अलग जैकेट पहना है
उसने और अगर नंगी भी सोई होगी तो भी उसके चूचे पकड़ कर देख लूँगा। अच्छे से मैंने नाप लिया था साली का।
धरम अन्ना- ओके जी हम को थोड़ा डर होना, तुम जाओ हम दूसरे रूम में शराब पीता, वहीं ले आना उसको…!
शरद- ओह माय गॉड साला धरम अन्ना इतना कमीना निकला, उसकी बेटी अन्दर है और वो उस कुत्ते को अन्दर भेज रहा है, जो कहता है कि मम्मे दबा कर पता कर
लेगा कि तुम कहाँ सोई हो..! ऐसे तो वो सबके मम्मे दबा कर मज़ा ले सकता है।
ललिता- हाँ शरद जी वो ही तो आप आगे तो सुनिए, उस कुत्ते की करतूत…!
 
शरद- अच्छा बता, मेरा तो दिमाग़ घूम रहा है तू बच कैसे गई उनसे क्योंकि ये तो 100% मैं जानता हूँ तेरी चूत की सील मैंने तोड़ी है, अब बता उस दिन क्या हुआ? कैसे बची?
ललिता- आप सुनो तो सही..!
शरद- अच्छा ठीक है, बता..बता मैं कुछ भी नहीं बोलूँगा।
ललिता- उनकी बातें सुनकर मेरा तो सर चकरा गया, मैंने जल्दी से अपना जैकेट निकाल और बेड पर गिरा दिया और खुद बेड के लास्ट में जाकर सो गई ताकि वो आए भी तो मेरा नम्बर लास्ट में आए शायद किसी तरह बच जाऊँ।
शरद- गुड… आगे…!
ललिता- हाँ बता रही हूँ… डोर खुला तो नीलेश धीरे से अन्दर आया, रूम में अंधेरा था मगर डोर खुलने से बाहर की हल्की रौशनी अन्दर आ रही थी। सारी लड़कियाँ आराम से सो रही थीं। नीलेश धीरे से बेड के पास आया, उसकी निगाह जैकेट वाली लड़की को ढूँढ़ रही थी, तभी उसकी नज़र जैकेट पे गई और उसने धीरे से बोला।
नीलेश- बेबी ने जैकेट निकाल कर साइड में रखा है, गर्मी लग रही होगी। आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा मैं।
नीलेश धीरे से बेड पर थोड़ा ऊपर आया और जैकेट हटा कर किसी एक के मम्मे दबा कर देखा।
नीलेश- वाह क्या निशाना है मेरा, बराबर तेरे मम्मों पर ही हाथ आया, क्या मस्त बड़े-बड़े मम्मे हैं तेरे… और क्या कड़क भी हैं।
शरद- उसके बाद क्या हुआ, किसके मम्मे दबाए उसने..!
ललिता- आप भी ना बहुत उतावले हो, सुनो अब..!
शरद- ओके बाबा सॉरी रहा नहीं जा रहा यार…!
ललिता- उसने किसके मम्मे दबाए, ये तो मुझे भी पता नहीं चला, अंधेरा था ना वहाँ पर… उस कुत्ते ने एक लड़की को गोद में उठाया और आराम से बाहर
ले गया। मेरी तो जान में जान आई कि मैं तो बच गई, पर पता नहीं वो किसको ले गया।
नीलेश के जाने के बाद मेरे मन में ये ख्याल आया कि मैं तो बच गई, मगर पता नहीं, वो किस को ले गया। अब उसको कैसे बचाऊँ? मेरे दिमाग़ में एक आइडिया
आया। मैंने जल्दी से रूम के नाइट लैंप का तार निकाला दाँत से काटकर उसका प्लग कट करके दोनों तार एक साथ सॉकेट में डाल कर स्विच ऑन कर दिया।
पूरे फार्म की लाइट ट्रिप हो गई।
शरद- ओह माय गॉड… इतना रिस्क लिया तुमने और तुमको कैसे पता ये करने से लाइट ट्रिप हो जाएगी?
ललिता- बस क्या शरद जी मेरे को ऐसा-वैसा समझा है क्या? मेरी उमर कम है, पर दिमाग़ बहुत तेज़ चलता है, मेरा ये सब मुझे पता था मेरी फ्रेंड के पापा इलेक्ट्रिक का काम करते हैं तो उनकी बेटी को शौक है लाइट का काम सीखने का… बस उसी से मैंने सीखा…!!
शरद- साली दिखती कितनी मासूम सी हो और कारनामे बड़े-बड़े किए हैं तूने और मैं जानता हूँ दिमाग़ तो तेरे पास बहुत है, तभी तो अशोक को चूत दिखा कर अपने वश में कर लिया। वो सिम्मी की मौत को भूल कर तुम्हारे साथ हो लिया और मुझे भी अपनी बातों के जाल में फँसा लिया तूने….!
ललिता- नहीं शरद जी ये कोई जाल-वाल नहीं था हाँ मैं बस रचना को बचाना चाहती थी और मेरी कही एक-एक बात सही थी। रियली मेरा कोई कसूर नहीं था। बेगुनाह होते हुए भी मैं सब से चुदी, तो बस अपनी बहन को बचाने के लिए। वो ज़िद्दी है घमण्डी है, पर दिल की बहुत साफ है।
शरद- जानता हूँ इसी लिए तो मैंने उसको माफ़ कर दिया, उसकी जगह तुम होती तो कभी मेरे जाल में नहीं फँसती, वो भोली है इसी लिए जल्दी झाँसे में आ गई। अब उसकी बात कुंए में डाल तू। आगे क्या हुआ वो बता ना यार…!
ललिता- हाँ बताती हूँ लाइट जाने के बाद मैं जल्दी से उठी और डोर को धीरे से खोला, नीलेश वहाँ से जा चुका था। मैं धीरे-धीरे अंधेरे में रूम से बाहर निकली तो धरम अन्ना की आवाज़ सुनाई दी। वो शायद नशे में था। उसके बोलने के तरीके से अंदाज लगाया मैंने। वो कुछ ऐसे बोल रहा था।
धरम अन्ना- अईयो ये लाइट को क्या हुआ जी साला पूरा नशा खराब हो गया…!
नीलेश- अरे धरम अन्ना धीरे बोलो बुलबुल को मैं ले आया हूँ मेरी गोद में है। लाइट का क्या आचार डालोगे? मोबाइल है ना अब चुप रहो… नशे में है ये, लगता है बहुत ज़्यादा पी है साली को होश भी नहीं है…!
धरम अन्ना- अच्छा तुम बराबर देख कर लाया ना हिच…हिच साला मेरा बेटी भी हिच… अन्दर होना…!
नीलेश- हाँ धरम अन्ना अच्छे से चैक करके लाया हूँ जैकेट भी देखा और मम्मे भी दबा कर देखे, अब बस साली की चूत देखना बाकी है, बस दो मिनट रुको, अभी साली को नंगी करता हूँ…!
ललिता- उन कुत्तों के आगे मैं बेबस हो रही थी, एक तो अंधेरा इतना था और दूसरा वो किस को लाए, ये भी पता नहीं था मेरे को, अब अपनी दोस्त को बचाऊँ तो कैसे… अगर मैं कुछ बोलती तो मेरी इज़्ज़त को खतरा था। दोनों नशे में थे, क्या पता क्या करते मेरे साथ..! तो मैं बस चुप रही और उस रूम के डोर को हल्का सा खोल कर अन्दर देखने लगी। बड़ी मुश्किल से मैंने अंधेरे में नजरें जमाईं। धरम अन्ना कुर्सी पर बैठा अब भी पी रहा था और नीलेश ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे और अब मेरी फ्रेंड को नंगा कर रहा था, इतना साफ तो नहीं मगर दिख सब रहा था मुझे, लेकिन वो कुत्ता लाया किसको था, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था। अब नीलेश ने उसके पूरे कपड़े निकाल दिए थे और अपने हाथों से उसके मम्मों और चूत का मुआयना कर रहा था। मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया, मैंने अपने मोबाइल में रेकॉर्डिंग चालू कर दी। मैंने फ्लश ऑफ कर लिया था, ताकि उनको मेरे वहाँ होने का पता ना चले..! कुछ धुंधला सा रेकॉर्ड होने लगा, पर हाँ उनकी आवाज़ बराबर रिकॉर्ड हो रही थी।
नीलेश- उफ्फ साली क्या मक्खन जैसा बदन है धरम अन्ना आ जाओ, देखो क्या मस्त माल है?
धरम अन्ना- साला कुत्ता है तू, मेरे ही घर में मेरी ही बेटी की दोस्त के साथ गंदा कर रहा है। मुझे तो अब भी अच्छा नहीं लग रहा। कहीं कुछ हो गया तो, मैं अपनी बेटी के सामने कैसे जाऊँगा जी।
नीलेश- जाने दे तू मत आ मैं ही मज़ा ले लेता हूँ…!
धरम अन्ना- अबे रुक साले, शराब पीकर मेरे लौड़े में तनाव आ गया जी.. अब जो होगा देखा जाएगा… हम आता…!
धरम अन्ना भी उठकर बेड पर आ गया। अब दोनों उसके मम्मों और चूत से खेल रहे थे। धरम अन्ना मम्मों को चूस रहा था और नीलेश चूत को चाट रहा था।
इस दोहरे हमले से मेरी फ्रेंड को थोड़ा होश आया तो उसको अहसास हुआ कि ये क्या हो रहा है.. और वो ज़ोर से चीखी, “नहीं… आआ छोड़ दो… कौन हो… तुम उूउउ…. ललिता बचाओ… आशा मुझे बचाओ आआ…!”
नीलेश- अरे बन्द कर साली का मुँह जल्दी से…!
 
उस आवाज़ को सुनकर धरम अन्ना के होश उड़ गए वो टीना थी, धरम अन्ना की बेटी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या हो गया? धरम अन्ना अपनी ही बेटी के साथ छिछी… सोच कर ही घिन आ गई…!
धरम अन्ना को जब समझ आ गया तो जल्दी से उठकर नीलेश के कान में कहा, “चुपचाप बाहर की तरफ भागो… अपने कपड़े साथ लेकर ये मेरी बेटी टीना है…!”
एक मिनट के अन्दर दोनों दरवाजे की तरफ लपके, मैं एक कोने में खड़ी हो गई। जब वो भागे उनकी नज़र मेरे पर गई, नीलेश कपड़े हाथ में लिए आगे था
और धरम अन्ना पीछे मुझे देख कर उसने मुँह छुपाने की कोशिश की, पर मुझे तो सब पता था।
शरद- गॉड… धरम अन्ना अपनी बेटी के मम्मों को चूस रहा था..! कैसा फील हुआ होगा उसको… जब उसको पता चला…!
ललिता- उस कुत्ते के साथ सही हुआ ना.. जाने कितनी लड़कियों के साथ उसने गंदा किया होगा…!
शरद- अच्छा उनके जाने के बाद क्या हुआ?
ललिता- उनके जाने के बाद भी टीना चिल्ला रही थी। मैं जल्दी से अन्दर गई उसको संभाला, वो बहुत डरी हुई थी, मैं नहीं चाहती थी कि उसको पता चले कि उसका बाप ही वो वहशी था।
मैंने कहा- तेरे पापा को फ़ोन कर देती हूँ कि यहाँ ऐसा हो गया..!
टीना- नहीं नहीं तुम पागल हो क्या.. हमारा घूमना-फिरना सब बन्द हो जाएगा, तुम ऐसा कुछ मत करो और किसी को भी बताना मत जो हुआ…!
मैंने उसको कहा- अपने कपड़े पहन लो मैं लाइट ऑन करके आती हूँ, वो कपड़े पहनने लगी और मैंने मेन लाइन ऑन कर दी और हम जाकर सो गए।
शरद- लेकिन धरम अन्ना को कैसे पता चला तुमने वीडियो बनाई है?
ललिता- आप सुनो तो, उस रात के दो दिन बाद टीना के घर में मेरा सामना धरम अन्ना से हो गया। उस समय मैंने बहुत सेक्सी ड्रेस पहना था, उसकी आँखों की चमक
देख कर मेरा मूड खराब हो गया। मैंने उसको सुना दिया और बता भी दिया कि मुझे सब पता है। सब सुनकर उसके तो होश उड़ गए। उस दिन के बाद कई बार उसने मेरे पर हमला करवाया, ताकि मैं डर कर वो वीडियो उसको दे दूँ।
शरद- लेकिन धरम अन्ना मान कैसे गया कि तुमने वीडियो बनाई होगी।
ललिता- मैंने उसको हर वो बात बताई जो उन दोनों के बीच हुई थी, तब उसको मानना पड़ा और बस मेरे पीछे पड़ गया। तब मैंने राजू को झूठमूट का गुंडा बनाकर धरम अन्ना को फ़ोन पर धमकी दिलाई कि वीडियो मेरे पास है, अगर ललिता को टच भी किया ना, तो गर्दन काट दूँगा। बस धरम अन्ना आ गया लाइन पर…!
शरद- यार मान गया तेरे दिमाग़ को, साली तू रंडी ही नहीं माइंडेड भी है। तूने अशोक को भी अपने जाल में फँसा लिया। वैसे अच्छा ही किया तूने। मुझे दो खूबसूरत हसीनाओं को मारना पड़ता। अब मैं तुम दोनों बहनों को नहीं मारूँगा, बल्कि तुम्हारी मारूँगा हा हा हा हा…!
ललिता- हा हा हा सही कहा आपने, अब आप प्लीज़ वो पेपर धरम अन्ना से ले लो और उसको समझा दो, मेरे से दूर रहे, वरना टीना को सब बता दूँगी।
शरद- अच्छा अच्छा ठीक है, चल कपड़े पहन तेरे को घर छोड़ कर आता हूँ… चुदाई बहुत हो गई, अब थोड़ा काम करने दो…!
ललिता और शरद रेडी होकर निकल जाते हैं। ललिता को घर छोड़ कर शरद धरम अन्ना के पास उससे पेपर लेने के लिए जाता है और धरम अन्ना को सब बता देता है कि उसने उनको कैसे माफ़ कर दिया।
धरम अन्ना- अच्छा किया जी ऐसे बदला लेना ठीक नहीं… उनको सज़ा तो मिल ही गई, लो जी हम पहले ही रेडी रखा सब…!
शरद- थैंक्स, मैं इसे उन लोगों के सामने सब जला दूँगा। अच्छा धरम अन्ना एक बात तो बताओ, ललिता और तुम्हारा क्या है? तुमने कुछ बताया नहीं?
धरम अन्ना- अईयो शरद हमको शर्मिंदा मत करो जी हम अच्छे से जानता, तुम सब पता लगा कर आया जी…!
शरद- सॉरी धरम अन्ना, मेरा इरादा तुमको दर्द देने का नहीं था, मगर वो नीलेश कौन था? तुम जैसा समझदार आदमी ऐसी ग़लती कर बैठा।
धरम अन्ना- अईयो अब क्या बोलेगा जी, बस हो गई ग़लती लेकिन उस कुत्ते को हम सबक़ सिखा दिया जी, जो पापा हम किया उसकी सज़ा उस कुत्ते को देदी जी।
शरद- क्या मतलब उसका क्या किया?
धरम अन्ना- भगा दिया साला हरामी, उसकी वजह से हम अपनी बेटी को अब देख भी नहीं सकता जी इसी लिए पूरा फैमिली को गाँव भेज दिया जी। हमको बहुत
बुरा लगना जी। बस उस लड़की से वो वीडियो लेलो जी। हमारा एक ही बेटी, अगर उसको ये पता चला तो हम मर जाएगा जी…!
शरद- मैं वादा करता हूँ, ऐसा कुछ नहीं होगा मैं ललिता से वो वीडियो ले लूँगा। बस मेरा आख़िरी काम कर दो। कोई दो भाड़े से काले आदमी दे दो, जिनका
लौड़ा पावरफुल हो। उन दो लड़कों की गाण्ड मारनी है। सालों को जान से नहीं मार सकता, कम से कम सज़ा तो देनी ही होगी न… ताकि जिंदगी में याद
रखें।
धरम अन्ना अपने दो काले-कलूटे आदमी शरद के साथ भेज देता है। धरम अन्ना को समझा कर शरद दोनों आदमियों को लेकर वहाँ से चला जाता है। जब शरद फार्म पर पहुँचता है, तब अशोक और सचिन वहीं बाहर मिल जाते हैं।
अशोक- अरे यार कहाँ चला गया था? ललिता कहाँ है और ये दोनों कौन हैं?
शरद- सब बताता हूँ अन्दर तो चलो यारों।
सब के सब बेसमेंट में जाते हैं।
सुधीर- भाई प्लीज़ हमें जाने दो प्लीज़।
शरद- जाने दूँगा पहले दोनों नंगे हो जाओ।
दोनों ‘ना-नुकुर’ करते हैं, तो शरद उनको धमकाता है और दोनों नंगे हो जाते हैं।
सचिन- यार तुम कर क्या रहे हो बताओ तो…?
शरद- तू कैमरा ला, सब समझ आ जाएगा।
सचिन के जाने के बाद शरद उन दो हैवानों को इशारा करता है। दोनों नंगे हो जाते हैं, उनके काले नाग जैसे लौड़े देख कर सुधीर की हालत खराब हो जाती है। बहुत बड़े और मोटे जो थे।
अंकित- भाई ये क्या हो रहा है?
शरद- सालों तुमने बहुत मज़े लिए ना.. अब ये दोनों तुम्हारी गाण्ड मारेंगे और हम देख कर मज़ा लेंगे।
दोनों की हालत खराब हो जाती है। रोने लगते हैं पर उनके सामने कहाँ उनकी चलती। सचिन कैमरा ले आता है और अब उसको अपने सवाल का जबाव मिल गया था।
सचिन- बहुत खूब भाई… ये आइडिया अच्छा है सालों की गाण्ड मारने के लिए आदमी तो तगड़े लाए हो आप…!
वो दोनों आदमी उनको डरा-धमका कर उनकी गाण्ड मारने लगते है। एक घंटा तक दोनों की गाण्ड बदल-बदल कर मारते हैं और उनका दर्द के मारे बुरा हाल
हो जाता है। सचिन पूरा वीडियो बना लेता है, जब वो थक कर चूर हो गए, तब शरद ने उन दो आदमियों को बापस भेज दिया और उन दोनों को भी धमकी देकर
भगा दिया कि अब अगर कभी भी किसी की मजबूरी का फायदा उठाया तो ये वीडियो आम हो जाएगा। सब तुम्हारे इस कार्यक्रम को देख कर हँसेंगे।
वो दोनों भी हाथ जोड़कर माफी माँगते हुए वहाँ से भाग जाते हैं।
दोस्तों अब सब ठीक हो गया था। ये सब फ्रेंड बन गए थे और दोनों बहनों की रोज चुदाई करते थे। अब तो अमर घर पर भी दोनों बहनों को नंगी करके
उन दोनों के साथ ही सोता और चोद कर मज़े भी लेता। अब ये तो आप खुद समझदार हो कि अमर चोदता है या वो दोनों अमर को और हाँ अशोक और
सचिन भी इनके घर आने-जाने लगे हैं। अब तो बस सब को चुदाई का मज़ा मिलता है। अमर के दिल में था कि धरम अन्ना की बेटी या सचिन की बहन को
चोदे, पर सचिन तो अनाथ निकला, उसके आगे पीछे कोई है ही नहीं और टीना आपने गाँव में है, तो उसको चोदना भी मुमकिन नहीं। आप सोच रहे
होंगे, उसको टीना का कैसे पता चला, तो यारों ललिता ने बताया और कैसे पता होगा।
अब तो कभी-कभी इनमें ग्रुप-सेक्स भी होता है। ललिता का स्टेमिना रचना से ज़्यादा है। वो आजकल तो चारों को एक साथ ठंडा करने लगी है।
आइए उस दिन के एक महीने बाद क्या हुआ आपको बताती हूँ? शरद और अमर नंगे अपने लौड़े ललिता के मुँह में डाल रहे थे, तभी अशोक और सचिन भी आ जाते हैं।
अशोक- अरे वह भाई आपने तो प्रोग्राम शुरू भी कर दिया। रूको हम भी कपड़े निकाल कर आते हैं। आज साली रचना की चूत तो चोदने लायक नहीं है।
खून फेंक रही है रंडी…!
सचिन- अरे यार ये तो हर महीने का रोना है कभी ललिता तो कभी रचना साली दोनों का कभी एक साथ हो गया ना.. तो मज़ा खराब हो जाएगा….!
वो दोनों भी नंगे होकर ललिता को लौड़ा चूसने लगते है।
शरद- आआ आह चूस रानी आ..हह.. मज़ा आ रहा है उफ़फ्फ़ आ…!
अमर- उफ्फ साली मेरी बहन होकर मेरे लौड़े को कम चूस रही है..! आ..हह.. साली पक्की रंडी है तू, आ आ..हह.. हाँ बस ऐसे ही चूस आ..हह.. अरे क्या हुआ..!
बस इतना ही..! शिट साली… अशोक का ले लिया मुँह में उफ्फ मज़ा आ रहा था…!
सचिन से बर्दाश्त नहीं हुआ, तो वो नीचे लेट गया और लौड़ा चूत में डाल दिया। अब ललिता उकडूँ बैठी चुद भी रही थी और लौड़े चूस भी रही थी।
ललिता- आह आआआ..हह.. आईईइ फक मी ह ह ह छोड़ो आह सब चोदो आह मेरी चूत और गाण्ड का भुर्ता बना दो अहह आआआअ…!

समाप्त
 
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