hotaks444
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रचना ने आपने मोबायल से पूरी क्लिप बना ली थी, मगर वो खुद भी काफ़ी गर्म हो गई थी। उसकी चूत रिसने लगी थी, मन तो उसका हुआ चुदने का, पर वो इन दोनों को आपने लायक नहीं समझती थी और वो मौका देख कर चुपके से वहाँ से निकल गई।
अमर वहीं बाहर खड़ा था। रचना को जाता देख कर वो चुपके से अन्दर घुस गया।
अंकित- क्यों यार चोद दिया क्या साली को..! अब मेरी बारी है।
सुधीर- हाँ आजा यार साली बेहोश हो गई है, मैंने झटका मारा तो गई काम से…!
अमर- अबे सालों ये क्या है, क्या कर रहे हो तुम सिम्मी के साथ…!
अमर को देख कर दोनों चौंक जाते हैं।
अंकित- त..तू यहाँ कैसे…!
अमर- मैंने कहा था न… मेरी नज़र तुम दोनों पर है।
सुधीर- अरे सब बातें छोड़… ये देख सिम्मी की जवानी तुझे आवाज़ दे रही है, जा मज़े कर डाल दे चूत में लौड़ा…!
अमर- नहीं यार इसकी गाण्ड मुझे बहुत पसन्द है… मैं तो गाण्ड ही मारूँगा और रचना यहाँ इतनी देर तक क्या कर रही थी…!
सुधीर- अरे कुछ नहीं इसका एमएमएस बना रही थी।
अमर- भाड़ में जाने दो सब.. यार इसके मम्मे क्या मस्त खड़े हैं आ..हह.. मैं तो पहले इनका रस पीऊँगा…!
अमर ने पहले कपड़े उतारे और सीधा बेड पर लेट कर सिम्मी के मम्मे चूसने लगा। वो दोनों भी कहाँ पीछे थे, वो भी साथ हो लिए अंकित चूत चाटने लगा और सुधीर उसके होंठों पर लौड़ा फेरने लगा।
सिम्मी को होश आने लगा था। अमर का लौड़ा भी तन गया था। उन तीनों ने सिम्मी के जिस्म पर जगह-जगह काट लिया था, जिसके कारण उसके शरीर पर निशान पड़ गए थे।
अमर- बस अब लौड़ा बहुत गर्म हो गया है। साली की गाण्ड को फाड़ता हूँ अभी, मेरी बहन से ज़्यादा खूबसूरत बनने की सज़ा तो इसको मिलनी ही चाहिए…!
अमर उसको पेट के बल लेटा देता है और लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर गाण्ड पर टिका देता है। सुधीर गाण्ड का होल ऊँगली से खोलकर उसकी मदद करता है।
सुधीर- डाल दे अमर…. कुँवारी गाण्ड है। मज़ा आ जाएगा।
अमर एक ही झटके में लौड़ा गाण्ड में घुसा देता है। सिम्मी का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया था। वो चीख भी नहीं पाई और फिर से बेहोश हो गई।
अमर ज़्यादा समय गाण्ड की गर्मी बर्दाश्त ना कर सका और झड़ गया।
अमर- आ मज़ा आ गया.. क्या टाइट गाण्ड थी साला पानी जल्दी निकल गया, मज़ा खराब हो गया।
अंकित- कोई बात नहीं राजा, अभी देख लौड़ा कैसे डालते है।
सुधीर- हाँ देख हम दोनों साथ में डालते हैं आगे और पीछे..!
दोस्तों सिम्मी बेहोश थी, उसकी हार्ट-बीट कम हो गई थी, वो पहली बार चुद रही थी।
अमर- आ..हह.. मैं थक गया हूँ… तुम चोदो मैं तो जाता हूँ अब 3 बार मेरा पानी निकल गया अब हिम्मत नहीं है।
सुधीर- हाँ जाओ हम भी थक गए, थोड़ा रेस्ट करेंगे, उसके बाद दोबारा इसको चोदेंगे।
अमर वहाँ से चला गया और सिम्मी बेहोश पड़ी थी। थोड़ी उसको पूरी तरह होश आ गया था, बदन पूरा अकड़ गया था। चूत और गाण्ड का ऐसा हाल था कि जरा सा हिलाने से जान निकल रही थी।
आख़िर पूरी हिम्मत जुटा कर बैठ गई। तभी सुधीर की आँख खुल गई, उसने अंकित को भी उठा दिया।
अंकित- क्यों रानी… कहाँ जा रही हो, मज़ा आया न.. चुदाई में साली बेहोश बहुत होती है तू… आ..हह.. बदन अकड़ गया तेरे को चोदते-चोदते पर साली प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती। साली मेरा मन था, एक बार और तेरी गाण्ड मारूँगा… उठ साली कपड़े पहन और निकल यहाँ से…!
सिम्मी- मेरी हिम्मत नहीं हो रही, मुझे कपड़े पहनने दो ना प्लीज़…!
सुधीर- क्यों साली अकड़ निकल गई सारी… चल मैं पहना देता हूँ अब जब हम बुलाएं चुपचाप आ जाना। एमएमएस याद है ना, सब को पता चल जाएगा की तू रंडी है।
सुधीर उसको कपड़े पहना देता है उसकी हालत ठीक करके उसको चलने के लिए बोलता है। आधा घंटे की मेहनत के बाद वो उसको थोड़ा चलने के काबिल बना देता है।
अंकित- अरे यार क्या नाटक है, साली को धक्का मार कर बाहर निकाल दे न….!
सुधीर- नहीं यार काम की चीज है, बेचारी की चूत और गाण्ड फट गई है, कहाँ चल पाएगी? इसलिए इसको बाइक पर छोड़ कर आता हूँ। तू घर को लॉक कर देना ओके.. चल जानेमन अब बाहर तक तो चल सकती है न…!
सिम्मी बड़ी मुश्किल से चल कर बाहर तक गई। सुधीर किसी तरह उसको उसके घर कर तक ले गया। वहाँ उस समय कोई नहीं था, वो उसको अन्दर ले गया। रूम में बेड पर लिटा कर वो जाने लगा।
सुधीर और अंकित पूरी बात शरद को बता देते हैं लास्ट में सुधीर बोलता है।
सुधीर- बस भाई यही कहानी है, इतना बोलकर मैं वहाँ से निकल गया था। रात को पता चला उसने अपने आप को खत्म कर लिया। हम बहुत डर गए थे इसलिए कई दिन तक छुपे रहे।
ये सब सुनकर शरद की आँखों में आँसू आ गए, सचिन को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो आगे बढ़ा तो वक़्त रहते शरद ने उसको रोक दिया।
सचिन- नहीं भाई मैं इन कुत्तों को…!
शरद- हाँ सचिन इन्होंने मेरी सिम्मी को इतनी तकलीफ़ दी, उस बेचारी को कैसे नोचा है। इनको इतनी आसान सजा देना, सिम्मी का बदला नहीं होगा और सबसे बड़ी बात उस रंडी ने जिसने सिर्फ़ जलन में अंधी होकर ये कांड करवाया, उसको तो ऐसी सज़ा दूँगा कि दोबारा कोई ऐसा करने की सोचेगा भी नहीं…!
अंकित- हमें माफ़ कर दो, प्लीज़.. जो आप कहोगे, हम करेंगे प्लीज़ उसने हमारे साथ धोखा किया है।
सुधीर- हाँ भाई पूनम के साथ ये सब करने के बाद हमने उससे पैसे माँगें, तब हमें पता चला कि उस समय वो गई नहीं थी, उसने हमारा वीडियो बना लिया था।
वो हमें बोल रही थी कि तुम्हारी औकात से ज़्यादा तुमको मिल गया है अब ज़्यादा बात की तो पुलिस को ये वीडियो दिखा दूँगी रेप और मर्डर के चार्ज में अन्दर हो जाओगे दोनों… अब जाओ यहाँ से। भाई प्लीज़ प्लीज़ माफ़ कर दो ना…!
शरद- ठीक है, मगर जिस तरह सिम्मी के साथ किया उससे भी ज़्यादा रचना के साथ करना, उसको तड़पाना…! मैं उसको तड़पता हुआ देखना चाहता हूँ। उसे
सिम्मी के दर्द का अहसास दिलाना चाहता हूँ।
अंकित- हम तैयार हैं भाई बस आप बताओ, हमें क्या करना होगा…?
सचिन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब कौन सा गेम बाकी है। सब तो पता चल गया है हमें, वो कुछ बोलना चाहता है, पर शरद आँखों से उसको इशारा कर देता है और वो चुप हो जाता है।
एक मिनट बाद ही शरद का फ़ोन बज उठता है। शरद फ़ोन उठा कर हैलो बोलता है।
धरम अन्ना- तुम कहाँ होना जी.. हम गेट के अन्दर आ गया जी…!
शरद- बस पाँच मिनट रूको मैं आता हूँ।
सचिन- भाई इनका क्या करना है…?
शरद- इन दोनों ने जो किया उसके लिए इनको माफ़ करना तो नामुमकिन है, पर रचना को सबक़ सिखाने के लिए हमें इनका गुनाह भूलना होगा।
सुधीर- हाँ भाई प्लीज़ हमें माफ़ कर दो…!
शरद- ओके ओके… लेकिन अभी तुम यहीं रहो मैं बाहर सम्भालता हूँ जब बुलाऊँ, तब आना सचिन तुम भी यहीं इनके साथ रहो।
शरद बाहर चला जाता है। धरम अन्ना पाँच-सात लोगों के साथ बाहर खड़ा था। कैमरा वगैरह भी उनके पास था और पता नहीं बॉक्स में क्या था।
धरम अन्ना- हैलो जी कैसा होना तुम..! हम सब संभाल लिया जी, बस वो छोकरा थोड़ा टेढ़ा होना जी। उसके कारण हमको थोड़ा समय होना जी..!
शरद- अच्छा किया, ये लोग भरोसे के तो है ना…!
धरम अन्ना- क्या बात करता जी ये 100% पूरे हम अपने आप पर शक कर सकता, इन पर नहीं जी…!
शरद- आओ सब अन्दर आओ।
बाहर शरद के भी आदमी थे। उनको कोल्ड ड्रिंक्स का कह कर वो सब अन्दर अलग
रूम में बैठ जाते हैं और नॉर्मल बातें करने लगते हैं।
दोस्तों इनको ठंडा-वंडा पीने दो, हम ललिता और रचना के पास चलते हैं। जब शरद ललिता को छोड़ कर गया। उसके बाद वहाँ क्या बातें हुईं, वो जानते हैं।
रचना- ललिता शरद जी कहाँ थे और तुम इतनी देर बाद क्यों आई…!
ललिता- ओह्ह दीदी शरद जी बाहर के गेट पर धरम अन्ना का वेट कर रहे थे। मैं रूम्स में ढूंढ रही थी, तो समय लग गया।
रचना- अच्छा अभी तो तेरे को चलने में तकलीफ़ हो रही थी, अब कैसी है चूत…!
ललिता- अब ठीक है दर्द तो, पर एक बात कहूँ दीदी आप के हाथ और पैर पर
चमक नहीं है आप हेयर-रिमूव करके आओ। क्या पता आज शूटिंग के समय धरम अन्ना को अच्छा ना लगे।
रचना- अरे कहाँ है.. कल ही तो किए थे मैंने…!
ललिता- ओह्ह शूटिंग आज है, आपकी मर्ज़ी वैसे उस बड़े कैमरे में ये साफ दिखेंगे।
रचना- ओके यार मैं बाथरूम जाती हूँ।
ललिता- हाँ अच्छे से कर आओ, मैं दूसरे रूम के बाथरूम में गर्म पानी से चूत को सेक आती हूँ।
रचना- ओके जाओ।
रचना बाथरूम में घुस जाती है और ललिता रूम से बाहर निकल कर ऊपर जाने लगती है और एक रूम के बाहर जाकर रुक जाती है। दोस्तों ये वही रूम है, जहाँ से अशोक इनको देख रहा है।
ललिता रूम नॉक करती है।
अशोक- कौन है… रूको, एक मिनट आता हूँ..!
जब अशोक डोर खोलता है उसके होश उड़ जाते हैं। ललिता यहाँ कैसे आ गई..!
वो कुछ बोलता इसके पहले ललिता अन्दर आ जाती है। लेकिन अशोक ने डोर खोलने के पहले वीडियो बन्द कर दिया था।
ललिता- मुझे आप से जरूरी बात करनी है, प्लीज़ डोर बन्द कर दो।
अशोक डोर बन्द कर देता है और चुपचाप ललिता को देखने लगता है।
ललिता- अशोक मेरी बात ध्यान से सुनना और प्लीज़ पूरी सुनना। उसके बाद जो तुम्हारा मन हो से वो करना।
अशोक- तुम यहाँ कैसे आ गईं..!
और.. वो आगे कुछ बोलता इसके पहले।
ललिता- पहले मेरी बात सुन लो, उसके बाद सब समझ आ जाएगा। आप वहाँ आराम से बैठो।
अशोक बेड पर बैठ जाता है।
ललिता- मैं जानती हूँ तुम पूनम के भाई हो और तुम सब उसकी मौत का बदला लेने के लिए यहाँ आए हो।
अशोक ये सुनकर बेड से उठ जाता है।
ललिता- प्लीज़ आप बैठ जाओ, मेरी पूरी बात तो सुन लो पहले प्लीज़…!
अशोक- ओके कहो…!
ललिता- आप ये मत सोचो कि मैंने तुम लोगों की बात सुन ली हैं। मुझे पहले से सब पता है, डरो मत, मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है, बस तुमसे ये कहने आई हूँ कि पूनम की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है। उसके साथ क्या
हुआ, ये भी मैं नहीं जानती हूँ। हाँ अभी सुधीर और अंकित जब बता रहे थे, तब थोड़ी बात मैंने सुनी थी और मेरी बस एक ग़लती है कि मैंने उस दिन रचना दीदी को ये कह दिया था कि उस पर तेज़ाब डलवा दो, पर आप मेरा यकीन करो मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैंने तो बस ऐसे ही कह दिया था। उसके पीछे कुछ और ही वजह थी। अब आप चाहो तो मुझे मार दो मैं उफ्फ तक नहीं करूँगी और चाहो तो मुझे माफ़ कर दो मैं आप लोगों का साथ दूँगी। रचना दीदी को सज़ा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने काम ही ऐसा किया है।
अशोक- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम क्या बोल रही हो। हाँ शक तो मुझे हुआ, जब तुमने रचना से झूट कहा कि शरद बाहर था, जबकि तुम
जानती हो हम सब कहाँ थे। दूसरी बात तुमने सुधीर और अंकित का नाम भी
नहीं लिया। मैं कब से बैठा यही सोच रहा हूँ कि आख़िर चक्कर क्या है…!
ललिता- मैं जानती हूँ आप लाइव वीडियो में देख रहे हो, ये बात भी मुझे
पता है। आप सब बहुत सावधानी से सब कुछ कर रहे हो, पर मैं सब जानती हूँ और कैसे जानती हूँ ये अभी नहीं बताऊँगी। पहले आप अपना फैसला
बताओ कि मेरे साथ क्या करना है। चाकू मारकर मेरा पेट फाड़ना है या लौड़ा
डालकर मेरी चूत… फैसला आपका है, पर मैं बेकसूर हूँ… ये याद रखना बस…!
अशोक को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है।
ललिता उसके करीब जाकर उसके लौड़े पर हाथ घुमाने लगती है।
ललिता- आप अगर मुझे मारना चाहते हो, तो पहले इसकी प्यास बुझा लो मैं समझूँगी मरने से पहले आपके कुछ तो काम आई।
अशोक चुपचाप बैठा रहता है। इससे ललिता का हौसला और बढ़ जाता है।
वो लौड़े को अब दबाने लगती है। अशोक के मुँह से ‘उफ्फ’ निकल जाती है।
ललिता उसकी पैन्ट खोलने लगती है तो अशोक उसका हाथ पकड़ लेता है।
ललिता- अशोक प्लीज़ ज़्यादा मत सोचो मेरी बात मान लो।
ललिता पैन्ट का हुक खोल देती है। अशोक कुछ नहीं बोलता है। अब ललिता समझ जाती है कि अशोक को मज़ा आ रहा है, वो जल्दी से उसका लौड़ा बाहर निकाल लेती है, जो धीरे-धीरे कड़क हो रहा था। ललिता बिना कुछ सोचे जल्दी से उसको मुँह में ले लेती है और बड़ी अदा के साथ उसको चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ सीईई ललिता हटो आ..हह…..!
ललिता बात को अनसुना कर देती है। लौड़ा अपने आकार में आ जाता है। पूरा 8″ का लौड़ा ललिता चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ आ..हह.. ललिता हटो आ..हह.. आह…!
दोस्तों चाहे कुछ भी हो एक जवान लड़की और खास कर ललिता जैसी सेक्सी आइटम लौड़ा चूसे तो उसे मना करना मुमकिन नहीं है। यही हाल अशोक का था, वो बस बोल रहा था कि हट जाओ ये ठीक नहीं है, मगर मज़ा पूरा ले रहा था और ललिता भी शातिर थी। होंठों को भींच कर लौड़े को ऐसे अन्दर-बाहर कर रही थी, जैसे लौड़ा चूत में जा रहा हो।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ फक यू बेबी आ गुड यू… कसम से पहली बार पता आ..हह.. चला कि देखने में और करने में कितना फ़र्क है उफ्फ…!
अशोक बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो जाता है और अपने हाथ से लौड़े को हिलाने लगता है।
ललिता- क्या हुआ जानू फास्ट चाहिए मैं हूँ ना रूको।
इतना कहकर ललिता स्पीड से लौड़े को हाथ से हिलाने लगती है और मुँह से चूसने लगती है। अब तो अशोक की हालत खराब हो गई थी। मुँह और हाथ के
मज़े में वो डूबता चला गया। उसका बाँध टूटने वाला था।
अशोक- ह ह उफ़फ्फ़ ललिता आई एम कमिंग आ आई एम कमिंग…!
ललिता ने आँखों से इशारा किया, “आने दो” अशोक के लौड़े ने पिचकारी पर पिचकारी मारनी शुरू कर दी। ललिता का पूरा मुँह वीर्य से भर गया सारा पानी वो गटक गई। अशोक ने लंबी सांस लेते हुए लौड़ा बाहर निकाला और बेड पर बैठ गया।
ललिता- क्यों जानू मज़ा आया ना…!
अशोक- हाँ जान बहुत मज़ा आया, तेरे मुँह में इतना मज़ा आया तेरी चूत में कितना आएगा…!
ललिता- वो भी आजमा कर देख लो, कहो तो निकालूँ कपड़े…!
अशोक- नहीं अभी रहने दो और तुम चाहती क्या हो वो बताओ इतना तो मैं समझ गया कि तुम जितनी मासूम दिखती हो, उतनी हो नहीं…!
ललिता- मेरी चाहत तो बहुत है, फिलहाल बस मेरी एक बात मान लो मुझे अपने इन्तकाम से आज़ाद कर दो, मैंने कुछ नहीं किया है और बाकी जो करना चाहो, सो करो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।
अशोक- मैं कैसे मान लूँ कि इसमें तुम्हारी कोई चाल हुई तो…!
ललिता- चाल होती, तो मैं यहाँ नहीं आती, सीधे पुलिस के पास जाती समझे..! मुझे पता है, दीदी ने गलत किया है पर मेरा तो कोई कसूर नहीं है न…! बस यही समझाने आई हूँ।
अशोक- ये बात तो तुम शरद को भी बता सकती थी, फिर मेरे पास क्यों आई हो…!
ललिता- जानती हूँ, शरद को बताती, तो वो मेरी बात आराम से मान लेते पर तुमको ये लगता कि शरद को क्या फ़र्क पड़ता है, उसको तो सिम्मी गई और मिल गई…। बहन तो तुम्हारी खोई है, इसलिए मैंने सोचा तुम मान गए तो सब मान जाएँगे।
अशोक- ओके ठीक है, पर अभी किसी को कुछ मत बताना, मैं शरद को मौका
देख कर खुद बता दूँगा। अब तुम जाओ यहाँ से।
ललिता- ओके जानू बाय थैंक्स मुझे माफ़ करने के लिए एंड आई लव यू।
अशोक- ओके लव यू टू जान, जाओ अब…!
ललिता ये सुनकर ख़ुशी से अशोक से लिपट जाती है और उसके होंठों पर चुम्बन कर के वहाँ से चली जाती है।
अमर वहीं बाहर खड़ा था। रचना को जाता देख कर वो चुपके से अन्दर घुस गया।
अंकित- क्यों यार चोद दिया क्या साली को..! अब मेरी बारी है।
सुधीर- हाँ आजा यार साली बेहोश हो गई है, मैंने झटका मारा तो गई काम से…!
अमर- अबे सालों ये क्या है, क्या कर रहे हो तुम सिम्मी के साथ…!
अमर को देख कर दोनों चौंक जाते हैं।
अंकित- त..तू यहाँ कैसे…!
अमर- मैंने कहा था न… मेरी नज़र तुम दोनों पर है।
सुधीर- अरे सब बातें छोड़… ये देख सिम्मी की जवानी तुझे आवाज़ दे रही है, जा मज़े कर डाल दे चूत में लौड़ा…!
अमर- नहीं यार इसकी गाण्ड मुझे बहुत पसन्द है… मैं तो गाण्ड ही मारूँगा और रचना यहाँ इतनी देर तक क्या कर रही थी…!
सुधीर- अरे कुछ नहीं इसका एमएमएस बना रही थी।
अमर- भाड़ में जाने दो सब.. यार इसके मम्मे क्या मस्त खड़े हैं आ..हह.. मैं तो पहले इनका रस पीऊँगा…!
अमर ने पहले कपड़े उतारे और सीधा बेड पर लेट कर सिम्मी के मम्मे चूसने लगा। वो दोनों भी कहाँ पीछे थे, वो भी साथ हो लिए अंकित चूत चाटने लगा और सुधीर उसके होंठों पर लौड़ा फेरने लगा।
सिम्मी को होश आने लगा था। अमर का लौड़ा भी तन गया था। उन तीनों ने सिम्मी के जिस्म पर जगह-जगह काट लिया था, जिसके कारण उसके शरीर पर निशान पड़ गए थे।
अमर- बस अब लौड़ा बहुत गर्म हो गया है। साली की गाण्ड को फाड़ता हूँ अभी, मेरी बहन से ज़्यादा खूबसूरत बनने की सज़ा तो इसको मिलनी ही चाहिए…!
अमर उसको पेट के बल लेटा देता है और लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर गाण्ड पर टिका देता है। सुधीर गाण्ड का होल ऊँगली से खोलकर उसकी मदद करता है।
सुधीर- डाल दे अमर…. कुँवारी गाण्ड है। मज़ा आ जाएगा।
अमर एक ही झटके में लौड़ा गाण्ड में घुसा देता है। सिम्मी का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया था। वो चीख भी नहीं पाई और फिर से बेहोश हो गई।
अमर ज़्यादा समय गाण्ड की गर्मी बर्दाश्त ना कर सका और झड़ गया।
अमर- आ मज़ा आ गया.. क्या टाइट गाण्ड थी साला पानी जल्दी निकल गया, मज़ा खराब हो गया।
अंकित- कोई बात नहीं राजा, अभी देख लौड़ा कैसे डालते है।
सुधीर- हाँ देख हम दोनों साथ में डालते हैं आगे और पीछे..!
दोस्तों सिम्मी बेहोश थी, उसकी हार्ट-बीट कम हो गई थी, वो पहली बार चुद रही थी।
अमर- आ..हह.. मैं थक गया हूँ… तुम चोदो मैं तो जाता हूँ अब 3 बार मेरा पानी निकल गया अब हिम्मत नहीं है।
सुधीर- हाँ जाओ हम भी थक गए, थोड़ा रेस्ट करेंगे, उसके बाद दोबारा इसको चोदेंगे।
अमर वहाँ से चला गया और सिम्मी बेहोश पड़ी थी। थोड़ी उसको पूरी तरह होश आ गया था, बदन पूरा अकड़ गया था। चूत और गाण्ड का ऐसा हाल था कि जरा सा हिलाने से जान निकल रही थी।
आख़िर पूरी हिम्मत जुटा कर बैठ गई। तभी सुधीर की आँख खुल गई, उसने अंकित को भी उठा दिया।
अंकित- क्यों रानी… कहाँ जा रही हो, मज़ा आया न.. चुदाई में साली बेहोश बहुत होती है तू… आ..हह.. बदन अकड़ गया तेरे को चोदते-चोदते पर साली प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती। साली मेरा मन था, एक बार और तेरी गाण्ड मारूँगा… उठ साली कपड़े पहन और निकल यहाँ से…!
सिम्मी- मेरी हिम्मत नहीं हो रही, मुझे कपड़े पहनने दो ना प्लीज़…!
सुधीर- क्यों साली अकड़ निकल गई सारी… चल मैं पहना देता हूँ अब जब हम बुलाएं चुपचाप आ जाना। एमएमएस याद है ना, सब को पता चल जाएगा की तू रंडी है।
सुधीर उसको कपड़े पहना देता है उसकी हालत ठीक करके उसको चलने के लिए बोलता है। आधा घंटे की मेहनत के बाद वो उसको थोड़ा चलने के काबिल बना देता है।
अंकित- अरे यार क्या नाटक है, साली को धक्का मार कर बाहर निकाल दे न….!
सुधीर- नहीं यार काम की चीज है, बेचारी की चूत और गाण्ड फट गई है, कहाँ चल पाएगी? इसलिए इसको बाइक पर छोड़ कर आता हूँ। तू घर को लॉक कर देना ओके.. चल जानेमन अब बाहर तक तो चल सकती है न…!
सिम्मी बड़ी मुश्किल से चल कर बाहर तक गई। सुधीर किसी तरह उसको उसके घर कर तक ले गया। वहाँ उस समय कोई नहीं था, वो उसको अन्दर ले गया। रूम में बेड पर लिटा कर वो जाने लगा।
सुधीर और अंकित पूरी बात शरद को बता देते हैं लास्ट में सुधीर बोलता है।
सुधीर- बस भाई यही कहानी है, इतना बोलकर मैं वहाँ से निकल गया था। रात को पता चला उसने अपने आप को खत्म कर लिया। हम बहुत डर गए थे इसलिए कई दिन तक छुपे रहे।
ये सब सुनकर शरद की आँखों में आँसू आ गए, सचिन को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो आगे बढ़ा तो वक़्त रहते शरद ने उसको रोक दिया।
सचिन- नहीं भाई मैं इन कुत्तों को…!
शरद- हाँ सचिन इन्होंने मेरी सिम्मी को इतनी तकलीफ़ दी, उस बेचारी को कैसे नोचा है। इनको इतनी आसान सजा देना, सिम्मी का बदला नहीं होगा और सबसे बड़ी बात उस रंडी ने जिसने सिर्फ़ जलन में अंधी होकर ये कांड करवाया, उसको तो ऐसी सज़ा दूँगा कि दोबारा कोई ऐसा करने की सोचेगा भी नहीं…!
अंकित- हमें माफ़ कर दो, प्लीज़.. जो आप कहोगे, हम करेंगे प्लीज़ उसने हमारे साथ धोखा किया है।
सुधीर- हाँ भाई पूनम के साथ ये सब करने के बाद हमने उससे पैसे माँगें, तब हमें पता चला कि उस समय वो गई नहीं थी, उसने हमारा वीडियो बना लिया था।
वो हमें बोल रही थी कि तुम्हारी औकात से ज़्यादा तुमको मिल गया है अब ज़्यादा बात की तो पुलिस को ये वीडियो दिखा दूँगी रेप और मर्डर के चार्ज में अन्दर हो जाओगे दोनों… अब जाओ यहाँ से। भाई प्लीज़ प्लीज़ माफ़ कर दो ना…!
शरद- ठीक है, मगर जिस तरह सिम्मी के साथ किया उससे भी ज़्यादा रचना के साथ करना, उसको तड़पाना…! मैं उसको तड़पता हुआ देखना चाहता हूँ। उसे
सिम्मी के दर्द का अहसास दिलाना चाहता हूँ।
अंकित- हम तैयार हैं भाई बस आप बताओ, हमें क्या करना होगा…?
सचिन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब कौन सा गेम बाकी है। सब तो पता चल गया है हमें, वो कुछ बोलना चाहता है, पर शरद आँखों से उसको इशारा कर देता है और वो चुप हो जाता है।
एक मिनट बाद ही शरद का फ़ोन बज उठता है। शरद फ़ोन उठा कर हैलो बोलता है।
धरम अन्ना- तुम कहाँ होना जी.. हम गेट के अन्दर आ गया जी…!
शरद- बस पाँच मिनट रूको मैं आता हूँ।
सचिन- भाई इनका क्या करना है…?
शरद- इन दोनों ने जो किया उसके लिए इनको माफ़ करना तो नामुमकिन है, पर रचना को सबक़ सिखाने के लिए हमें इनका गुनाह भूलना होगा।
सुधीर- हाँ भाई प्लीज़ हमें माफ़ कर दो…!
शरद- ओके ओके… लेकिन अभी तुम यहीं रहो मैं बाहर सम्भालता हूँ जब बुलाऊँ, तब आना सचिन तुम भी यहीं इनके साथ रहो।
शरद बाहर चला जाता है। धरम अन्ना पाँच-सात लोगों के साथ बाहर खड़ा था। कैमरा वगैरह भी उनके पास था और पता नहीं बॉक्स में क्या था।
धरम अन्ना- हैलो जी कैसा होना तुम..! हम सब संभाल लिया जी, बस वो छोकरा थोड़ा टेढ़ा होना जी। उसके कारण हमको थोड़ा समय होना जी..!
शरद- अच्छा किया, ये लोग भरोसे के तो है ना…!
धरम अन्ना- क्या बात करता जी ये 100% पूरे हम अपने आप पर शक कर सकता, इन पर नहीं जी…!
शरद- आओ सब अन्दर आओ।
बाहर शरद के भी आदमी थे। उनको कोल्ड ड्रिंक्स का कह कर वो सब अन्दर अलग
रूम में बैठ जाते हैं और नॉर्मल बातें करने लगते हैं।
दोस्तों इनको ठंडा-वंडा पीने दो, हम ललिता और रचना के पास चलते हैं। जब शरद ललिता को छोड़ कर गया। उसके बाद वहाँ क्या बातें हुईं, वो जानते हैं।
रचना- ललिता शरद जी कहाँ थे और तुम इतनी देर बाद क्यों आई…!
ललिता- ओह्ह दीदी शरद जी बाहर के गेट पर धरम अन्ना का वेट कर रहे थे। मैं रूम्स में ढूंढ रही थी, तो समय लग गया।
रचना- अच्छा अभी तो तेरे को चलने में तकलीफ़ हो रही थी, अब कैसी है चूत…!
ललिता- अब ठीक है दर्द तो, पर एक बात कहूँ दीदी आप के हाथ और पैर पर
चमक नहीं है आप हेयर-रिमूव करके आओ। क्या पता आज शूटिंग के समय धरम अन्ना को अच्छा ना लगे।
रचना- अरे कहाँ है.. कल ही तो किए थे मैंने…!
ललिता- ओह्ह शूटिंग आज है, आपकी मर्ज़ी वैसे उस बड़े कैमरे में ये साफ दिखेंगे।
रचना- ओके यार मैं बाथरूम जाती हूँ।
ललिता- हाँ अच्छे से कर आओ, मैं दूसरे रूम के बाथरूम में गर्म पानी से चूत को सेक आती हूँ।
रचना- ओके जाओ।
रचना बाथरूम में घुस जाती है और ललिता रूम से बाहर निकल कर ऊपर जाने लगती है और एक रूम के बाहर जाकर रुक जाती है। दोस्तों ये वही रूम है, जहाँ से अशोक इनको देख रहा है।
ललिता रूम नॉक करती है।
अशोक- कौन है… रूको, एक मिनट आता हूँ..!
जब अशोक डोर खोलता है उसके होश उड़ जाते हैं। ललिता यहाँ कैसे आ गई..!
वो कुछ बोलता इसके पहले ललिता अन्दर आ जाती है। लेकिन अशोक ने डोर खोलने के पहले वीडियो बन्द कर दिया था।
ललिता- मुझे आप से जरूरी बात करनी है, प्लीज़ डोर बन्द कर दो।
अशोक डोर बन्द कर देता है और चुपचाप ललिता को देखने लगता है।
ललिता- अशोक मेरी बात ध्यान से सुनना और प्लीज़ पूरी सुनना। उसके बाद जो तुम्हारा मन हो से वो करना।
अशोक- तुम यहाँ कैसे आ गईं..!
और.. वो आगे कुछ बोलता इसके पहले।
ललिता- पहले मेरी बात सुन लो, उसके बाद सब समझ आ जाएगा। आप वहाँ आराम से बैठो।
अशोक बेड पर बैठ जाता है।
ललिता- मैं जानती हूँ तुम पूनम के भाई हो और तुम सब उसकी मौत का बदला लेने के लिए यहाँ आए हो।
अशोक ये सुनकर बेड से उठ जाता है।
ललिता- प्लीज़ आप बैठ जाओ, मेरी पूरी बात तो सुन लो पहले प्लीज़…!
अशोक- ओके कहो…!
ललिता- आप ये मत सोचो कि मैंने तुम लोगों की बात सुन ली हैं। मुझे पहले से सब पता है, डरो मत, मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है, बस तुमसे ये कहने आई हूँ कि पूनम की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है। उसके साथ क्या
हुआ, ये भी मैं नहीं जानती हूँ। हाँ अभी सुधीर और अंकित जब बता रहे थे, तब थोड़ी बात मैंने सुनी थी और मेरी बस एक ग़लती है कि मैंने उस दिन रचना दीदी को ये कह दिया था कि उस पर तेज़ाब डलवा दो, पर आप मेरा यकीन करो मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैंने तो बस ऐसे ही कह दिया था। उसके पीछे कुछ और ही वजह थी। अब आप चाहो तो मुझे मार दो मैं उफ्फ तक नहीं करूँगी और चाहो तो मुझे माफ़ कर दो मैं आप लोगों का साथ दूँगी। रचना दीदी को सज़ा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने काम ही ऐसा किया है।
अशोक- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम क्या बोल रही हो। हाँ शक तो मुझे हुआ, जब तुमने रचना से झूट कहा कि शरद बाहर था, जबकि तुम
जानती हो हम सब कहाँ थे। दूसरी बात तुमने सुधीर और अंकित का नाम भी
नहीं लिया। मैं कब से बैठा यही सोच रहा हूँ कि आख़िर चक्कर क्या है…!
ललिता- मैं जानती हूँ आप लाइव वीडियो में देख रहे हो, ये बात भी मुझे
पता है। आप सब बहुत सावधानी से सब कुछ कर रहे हो, पर मैं सब जानती हूँ और कैसे जानती हूँ ये अभी नहीं बताऊँगी। पहले आप अपना फैसला
बताओ कि मेरे साथ क्या करना है। चाकू मारकर मेरा पेट फाड़ना है या लौड़ा
डालकर मेरी चूत… फैसला आपका है, पर मैं बेकसूर हूँ… ये याद रखना बस…!
अशोक को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है।
ललिता उसके करीब जाकर उसके लौड़े पर हाथ घुमाने लगती है।
ललिता- आप अगर मुझे मारना चाहते हो, तो पहले इसकी प्यास बुझा लो मैं समझूँगी मरने से पहले आपके कुछ तो काम आई।
अशोक चुपचाप बैठा रहता है। इससे ललिता का हौसला और बढ़ जाता है।
वो लौड़े को अब दबाने लगती है। अशोक के मुँह से ‘उफ्फ’ निकल जाती है।
ललिता उसकी पैन्ट खोलने लगती है तो अशोक उसका हाथ पकड़ लेता है।
ललिता- अशोक प्लीज़ ज़्यादा मत सोचो मेरी बात मान लो।
ललिता पैन्ट का हुक खोल देती है। अशोक कुछ नहीं बोलता है। अब ललिता समझ जाती है कि अशोक को मज़ा आ रहा है, वो जल्दी से उसका लौड़ा बाहर निकाल लेती है, जो धीरे-धीरे कड़क हो रहा था। ललिता बिना कुछ सोचे जल्दी से उसको मुँह में ले लेती है और बड़ी अदा के साथ उसको चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ सीईई ललिता हटो आ..हह…..!
ललिता बात को अनसुना कर देती है। लौड़ा अपने आकार में आ जाता है। पूरा 8″ का लौड़ा ललिता चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ आ..हह.. ललिता हटो आ..हह.. आह…!
दोस्तों चाहे कुछ भी हो एक जवान लड़की और खास कर ललिता जैसी सेक्सी आइटम लौड़ा चूसे तो उसे मना करना मुमकिन नहीं है। यही हाल अशोक का था, वो बस बोल रहा था कि हट जाओ ये ठीक नहीं है, मगर मज़ा पूरा ले रहा था और ललिता भी शातिर थी। होंठों को भींच कर लौड़े को ऐसे अन्दर-बाहर कर रही थी, जैसे लौड़ा चूत में जा रहा हो।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ फक यू बेबी आ गुड यू… कसम से पहली बार पता आ..हह.. चला कि देखने में और करने में कितना फ़र्क है उफ्फ…!
अशोक बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो जाता है और अपने हाथ से लौड़े को हिलाने लगता है।
ललिता- क्या हुआ जानू फास्ट चाहिए मैं हूँ ना रूको।
इतना कहकर ललिता स्पीड से लौड़े को हाथ से हिलाने लगती है और मुँह से चूसने लगती है। अब तो अशोक की हालत खराब हो गई थी। मुँह और हाथ के
मज़े में वो डूबता चला गया। उसका बाँध टूटने वाला था।
अशोक- ह ह उफ़फ्फ़ ललिता आई एम कमिंग आ आई एम कमिंग…!
ललिता ने आँखों से इशारा किया, “आने दो” अशोक के लौड़े ने पिचकारी पर पिचकारी मारनी शुरू कर दी। ललिता का पूरा मुँह वीर्य से भर गया सारा पानी वो गटक गई। अशोक ने लंबी सांस लेते हुए लौड़ा बाहर निकाला और बेड पर बैठ गया।
ललिता- क्यों जानू मज़ा आया ना…!
अशोक- हाँ जान बहुत मज़ा आया, तेरे मुँह में इतना मज़ा आया तेरी चूत में कितना आएगा…!
ललिता- वो भी आजमा कर देख लो, कहो तो निकालूँ कपड़े…!
अशोक- नहीं अभी रहने दो और तुम चाहती क्या हो वो बताओ इतना तो मैं समझ गया कि तुम जितनी मासूम दिखती हो, उतनी हो नहीं…!
ललिता- मेरी चाहत तो बहुत है, फिलहाल बस मेरी एक बात मान लो मुझे अपने इन्तकाम से आज़ाद कर दो, मैंने कुछ नहीं किया है और बाकी जो करना चाहो, सो करो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।
अशोक- मैं कैसे मान लूँ कि इसमें तुम्हारी कोई चाल हुई तो…!
ललिता- चाल होती, तो मैं यहाँ नहीं आती, सीधे पुलिस के पास जाती समझे..! मुझे पता है, दीदी ने गलत किया है पर मेरा तो कोई कसूर नहीं है न…! बस यही समझाने आई हूँ।
अशोक- ये बात तो तुम शरद को भी बता सकती थी, फिर मेरे पास क्यों आई हो…!
ललिता- जानती हूँ, शरद को बताती, तो वो मेरी बात आराम से मान लेते पर तुमको ये लगता कि शरद को क्या फ़र्क पड़ता है, उसको तो सिम्मी गई और मिल गई…। बहन तो तुम्हारी खोई है, इसलिए मैंने सोचा तुम मान गए तो सब मान जाएँगे।
अशोक- ओके ठीक है, पर अभी किसी को कुछ मत बताना, मैं शरद को मौका
देख कर खुद बता दूँगा। अब तुम जाओ यहाँ से।
ललिता- ओके जानू बाय थैंक्स मुझे माफ़ करने के लिए एंड आई लव यू।
अशोक- ओके लव यू टू जान, जाओ अब…!
ललिता ये सुनकर ख़ुशी से अशोक से लिपट जाती है और उसके होंठों पर चुम्बन कर के वहाँ से चली जाती है।