hotaks444
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उसकी आँख कुछ घंटों में खुली. उसने अपने को मेरी मांसल भुजाओं में लिपटा पाया. मैंअभी भी सो रहा था . मेरे थोड़े से खुले होंठों से गहरी सांस उसके मुंह से टकरा रही थी. उसको मेरी साँसों की गरमी बड़ी अच्छी लग रही थी. मेरे नथुने बड़ी गहरी सांस के साथ-साथ फ़ैल जाते थे. मेरी गहरी सांस कभी खर्राटों में बदल जाती थी. उसको मेरा पुरूषत्व से भरा खूबसूरत चेहरा उसको पहले से भी ज़्यादा प्यारा लगा, और मेरा वोह चेहरा उसके दिल में बस गया. उसने अब आराम से मेरे वृहत्काय शरीर को प्यार से निरीक्षण किया. मेरे घने बालों से ढके चौड़े सीने के बाद मेरा बड़ा सा पेट भी बालों से ढका था. उसकी दृष्टी मेरे लंड पर जम गयी. मेरा लंड शिथिल अवस्था में भी इतना विशाल था की उसको मुझसे घंटों चुदने के बाद भी विश्वास नहीं हुआ की मेरा अमानवीय वृहत लंड उसकी चूत में समा गया था. वो मेरे सीने पर अपना चेहरा रख कर मेरे ऊपर लेट गयी. मैने नींद में ही उसको अपनी बाँहों में पकड़ लिया.
उसका बच्चों जैसा छोटा हाथ स्वतः मेरे मोटे शिथिल लंड पर चला गया. उसने अपनी ठोढ़ी मेरे सीने पर रख कर मेरे प्यारे मूंह को निहारती, लेटी रही. कुछ ही देर में मेरा लंड धीरे-धीरे उसके हाथ के सहलाने से सूज कर सख्त और खड़ा होने लगा. उसका पूरा हाथ मेरे लंड के सिर्फ आधी परिधी को ही घेर पाता था. मैने नीद में उसको बाँहों में भरकर अपने ऊपर खींच लिया. वो हलके से हंसी और मेरे खुले मुंह को चूम लिया. मेरी नीद थोड़ी हल्की होने लगी.
उसने संतुष्टी से गहरी सांस ली और मेरे बालों से भरे सीने पर अपना चेहरा रख कर आँखे बंद कर ली. उसका हाथ मेरे लंड को निरंतर सहलाता रहा. शायद वो फिर से सो गयी थी. उसकी आँख खुली तो मैं जगा हुआ था और उसको प्यार से पकड़ कर उसके मूंह को चूम रहा था.
"मम्म्मम्म.. मैंआप तो बहुत थक गए," उसने प्यार से मेरी नाक को चूमा.
" बेटा, यह थकान नहीं, तुम्हारी चूत मारने के बाद के आनंद और संतुष्टी की घोषणा थी," मैने हमेशा की तरह उसके सवाल को मरोड़ दिया.
"अब क्या प्लान है, मास्टर जी," उसने अल्ल्हड़पन से पूछा.
मैने उसकी नाक की नोक की चुटकी लेकर बोला, "पहले नेहा बेटी की चूत मारेंगें, फिर नहा धोकर डिनर खायेंगे," मैं अपने वाक्य के बीच में उसको अपने से लिपटा कर करवट बदल कर उसके ऊपर लेट गया, " उसके आगे की योजना हम आपके ऊपर छोड़ते हैं." मैं उसके खिलखिला कर हँसते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर उसको चूमने लगा.
उसकी अपेक्षा अनुसार मैने अपनी टांगों से उसकी दोनों टांगों को अलग कर फैला दिया. मैनेअपना लोहे जैसा कठोर लंड उसकी चूत के द्वार पर टिका कर हलके धक्के से अपना बड़ा सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. उसकी ऊंची सिसकारी ने मेरे लंड के चूत पर सन्निकट हमले की घोषणा सी कर दी.
मैने दृढ़ता से अपने विशाल लंड को उसके फड़कती हुई चूत में डाल दिया. उसने अपने होंठ कस कर दातों में दबा लिए. उसको आनंदायक आश्चर्य हुआ की मेरे हल्लवी मूसल से उसको सिवाय बर्दाश्त कर सकने वाले दर्द के अलावा जान निकल देने वाली पीड़ा नहीं हुई. उसकी चूत में मेरे लंड के प्रवेश ने उसकी वासना की आग को हिमालय की चोटी तक पहुचा दिया.
उसका बच्चों जैसा छोटा हाथ स्वतः मेरे मोटे शिथिल लंड पर चला गया. उसने अपनी ठोढ़ी मेरे सीने पर रख कर मेरे प्यारे मूंह को निहारती, लेटी रही. कुछ ही देर में मेरा लंड धीरे-धीरे उसके हाथ के सहलाने से सूज कर सख्त और खड़ा होने लगा. उसका पूरा हाथ मेरे लंड के सिर्फ आधी परिधी को ही घेर पाता था. मैने नीद में उसको बाँहों में भरकर अपने ऊपर खींच लिया. वो हलके से हंसी और मेरे खुले मुंह को चूम लिया. मेरी नीद थोड़ी हल्की होने लगी.
उसने संतुष्टी से गहरी सांस ली और मेरे बालों से भरे सीने पर अपना चेहरा रख कर आँखे बंद कर ली. उसका हाथ मेरे लंड को निरंतर सहलाता रहा. शायद वो फिर से सो गयी थी. उसकी आँख खुली तो मैं जगा हुआ था और उसको प्यार से पकड़ कर उसके मूंह को चूम रहा था.
"मम्म्मम्म.. मैंआप तो बहुत थक गए," उसने प्यार से मेरी नाक को चूमा.
" बेटा, यह थकान नहीं, तुम्हारी चूत मारने के बाद के आनंद और संतुष्टी की घोषणा थी," मैने हमेशा की तरह उसके सवाल को मरोड़ दिया.
"अब क्या प्लान है, मास्टर जी," उसने अल्ल्हड़पन से पूछा.
मैने उसकी नाक की नोक की चुटकी लेकर बोला, "पहले नेहा बेटी की चूत मारेंगें, फिर नहा धोकर डिनर खायेंगे," मैं अपने वाक्य के बीच में उसको अपने से लिपटा कर करवट बदल कर उसके ऊपर लेट गया, " उसके आगे की योजना हम आपके ऊपर छोड़ते हैं." मैं उसके खिलखिला कर हँसते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर उसको चूमने लगा.
उसकी अपेक्षा अनुसार मैने अपनी टांगों से उसकी दोनों टांगों को अलग कर फैला दिया. मैनेअपना लोहे जैसा कठोर लंड उसकी चूत के द्वार पर टिका कर हलके धक्के से अपना बड़ा सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. उसकी ऊंची सिसकारी ने मेरे लंड के चूत पर सन्निकट हमले की घोषणा सी कर दी.
मैने दृढ़ता से अपने विशाल लंड को उसके फड़कती हुई चूत में डाल दिया. उसने अपने होंठ कस कर दातों में दबा लिए. उसको आनंदायक आश्चर्य हुआ की मेरे हल्लवी मूसल से उसको सिवाय बर्दाश्त कर सकने वाले दर्द के अलावा जान निकल देने वाली पीड़ा नहीं हुई. उसकी चूत में मेरे लंड के प्रवेश ने उसकी वासना की आग को हिमालय की चोटी तक पहुचा दिया.