Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 2 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

टीना ने अपने दोनों हाथों से बेड की चादर पकड़ ली। नेहा मस्ती से किस करते-करते नीचे जा रही थी, और तभी नेहा के मुँह में कुछ बाल आ गये।

नेहा- टीना, तू अपनी चूत के बाल साफ नहीं करती है?

टीना- करती हूँ 15 दिन में।

फिर नेहा ने अपने होंठ टीना की चूत पर टिका दिए।

टीना- यहां नही कर किस्स।

मगर नेहा ने चूत के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया, और बड़े ही प्यार से चूसने लगी, जैसे चूत से कोई रस निकल रहा हो, और आज सारा रस नेहा पी जायेगी। टीना का एक हाथ अपने आप नेहा के सिर पर पहुँच गया,
और सिर पर अपने हाथों से अपनी चूत की तरफ दबाने लगी।

टीना की आवाजें बढ़ती जा रही थीं- “अहह... आहह... इसस्स्स उम्म्म्म ... पता नहीं कैसी आवाजें निकल रही थीं "नेहा ये क्या कर दिया तूने? बहुत बेचेनी हो गई है कुछ कर अब..."

नेहा ने अपने होंठ हटा लिए और एक उंगली चूत पर छुवा दी, और चूत की फांकों के बीच में रगड़ने लगी। टीना ऐसे तड़प रही थी जैसे बिन पानी के मछली। फिर नेहा अपनी उंगली टीना की चूत की गहराई में डालने लगी। आधी उंगली को अंदर-बाहर कर रही थी। टीना की चूत से रस निकल रहा था।

नेहा- कैसा लग रहा है टीना?

टीना- “मत पूछ, कितना मजा आ रहा है.."

नेहा- मेरे साथ इतना मजा आ रहा है तो सोच बायफ्रेंड के साथ कितना आयेगा?

टीना- तू सही कह रही है वो मजा भी लेकर देखेंगे मगर बायफ्रेंड कहां मिलेगा?

नेहा- एक आईडिया है।

टीना- क्या?

नेहा- “समीर शर्त हार चुका है। उससे कहो की एक रात तुझे टीना के साथ सोना है.."

टीना- क्या तू पागल हो गई है? समीर से ये काम? नहीं ये मैं नहीं करवा सकती।

नेहा- क्यों समीर के पास लण्ड नहीं है क्या?

टीना- वो मेरे भाई जैसा है।
 
नेहा- भाई जैसा है, भाई तो नहीं।

टीना- वो मानेगा मेरे साथ सोने को?

नेहा- जब शर्त हारा है तो जरूर मानेगा।

टीना- अगर किसी ने देख लिया तो?

नेहा- ये काम तब होगा जब अंकल और आँटी घर पर नहीं होंगे। तब समीर तेरे साथ सोयगा।

टीना- “तब की तब देखेंगे, अब तो कुछ कर.."

टीना की चूत में नेहा अपनी उंगली अंदर-बाहर कर रही थी, और टीना भी नेहा की चूचियां चूस रही थी। रूम में तूफान सा आ गया था, और ये तूफान टीना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, जिश्म में अकड़ाहट होने लगी, जैसे जिश्म से कुछ निकलना चाह रहा हो, और टीना ने ढेर सारा पानी उड़ेल दिया। टीना शांत हो चुकी थी।

नेहा- क्या हुआ तुझे?

टीना- मजा आ गया यार। नेहा मेरी जान आई लोव यू, तो बहुत अच्छी है।

नेहा- “मेरा भी तो कुछ कर ना..."

फिर टीना ने नेहा की चूत पर अपने होंठ टिका दिए। नेहा की चूत एकदम सफाचट थी। टीना चूत के बाहर-बाहर किस कर रही थी।

नेहा- बाहर-बाहर ही करेगी या अंदर भी करेगी?
और टीना ने अपनी जीभ जितनी हो सकती थी नेहा की चूत में घुसा दी।

नेहा- "हाय... ये हुई ना कुछ बात..." और लगी चाटने। नेहा बहुत गरम हो चुकी थी। ज्यादा देर टिकना मुश्किल था, और नेहा भी झड़ गई। सारा पानी टीना के मुंह पर उड़ेल दिया।

टीना- ये क्या किया तूने? मुझे सारा गंदा कर दिया।

नेहा- तौलिया से साफ कर ले।

दोनों तृप्त हो चुके थे। एक दूजे की बाहों में लिपटकर नंगे ही सो गये।
***

 

नेहा- "हाय... ये हुई ना कुछ बात..." और लगी चाटने। नेहा बहुत गरम हो चुकी थी। ज्यादा देर टिकना मुश्किल था, और नेहा भी झड़ गई। सारा पानी टीना के मुंह पर उड़ेल दिया।

टीना- ये क्या किया तूने? मुझे सारा गंदा कर दिया।

नेहा- तौलिया से साफ कर ले।

दोनों तृप्त हो चुके थे। एक दूजे की बाहों में लिपटकर नंगे ही सो गये।
***

अजय को सुबह जल्दी उठने की आदत थी। सुबह 5:00 बजे उठकर ऊपर छत पर सरत किया करता था। आज भी अजय 5:00 बजे उठ गया और ऊपर जाने लगा की टीना को देखने का खयाल आ गया, और नेहा के रूम था। मगर दरवाजा अंदर से बंद था। अजय बुझे मन से ऊपर चला गया। करीब 6:00 बजे तक अजय ने कसरत की और नीचे आया तो किचेन में टीना पानी पी रही थी।

अजय भी किचेन में पहुँच गया, और कहा- “अरे... बेटा तुम उठ गये?

टीना- जी अंकल प्यास लगी थी, पानी पीने आई थी।

अजय- टीना प्यास तो हमें भी लगी है, हमारी भी प्यास बुझा दो।

टीना- "जी अंकल लीजिये..." और टीना ने एक ग्लास पानी भरकर अजय को पकड़ाया।

अजय ने टीना की उंगलियों को पकड़ते हए ग्लास पकड़ा। टीना की टी-शर्ट में चूचियों के निप्पल साफ नजर आ रहे थे। अजय की नजं सिर्फ चूचियों पर ही टिकी थीं। अजय ने हाफ पाजमा पहना हुआ था। टीना का ऐसा नजारा देखकर अजय के छोटे मियां अब बड़े मियां बन चुके थे।

टीना किचेन से बाहर निकलने लगी, तो अजय दरवाजे से लगा हुआ था। टीना को किचेन से निकलते हुए अजय के लण्ड की रगड़ टीना की गाण्ड पे लगती चली गई। उफफ्फ... क्या ह ल हआ इस वक्त अजय और टीना का। टीना ने लण्ड की रगड़ साफ महसूस की थी।

टीना- “अच्छा अंकल, मैं चलती हूँ.." नेहा उठ जाय तो बोल देना मैं चली गई हैं।

अजय- "बेटा चाय पीकर चले जाना..."

टीना- नहीं, फिर कभी पिएंगे आपकी चाय।

अजय की नजर किचेन में बास्केट में रखे फलों पर गई तो कहा- "अच्छा तो कम से कम फल ही खाकर चली जाना..."

टीना- “ओके अंकल। लाओ मैं निकालती हूँ फल..."

अजय- बेटा कौन सा फल पसंद है तुम्हें?

टीना- जी केला, और आपको?

अजय- “मुझे तो आम चूसने में मजा आता है। तुम केलअ कैसे खाती हो?"

टीना- जी काटकर खाती हूँ।

अजय- कभी पूरा खाकर देखना, उसमें ज्यादा टेस्ट आता है।
 
टीना किचेन की सेल्फ के पास खड़ी होकर फलों को प्लेट में रख रही थी, तो अजय को टीना के चूतड़ की पूरी
शेप नजर आने लगी। लण्ड ने बड़ा जोर से अजय को झटका सा दिया।

अजय टीना के करी या, और कहा- "बेटा और क्या-क्या पसंद है तुम्हें?" अजय ने अपने लण्ड को एक पल के लिए टीना की गाण्ड पर रगड़ते हुए पूछा।

टीना समझ चुकी थी अंकल मुझ पर चान्स मार रहे हैं। टीना भी बहुत चुलबुली थी। मजा लेना उसे भी आता
था। टीना बोली- “अंकल मुझे ना लंबी-लंबी चीजें ज्यादा पसंद हैं, जैसे गन्ना, केला, खीरा, ककड़ी, बैगन लौक्की, तोरी। और आपको अंकल?"

अजय- “बेटा मुझे तो मोटी-मोटी ज्यादा पसंद हैं, जैसे पपीता, आम, खरबूजा। मेरा तो एक में काम नहीं चलता। जब भी खाता हूँ तो जोड़े के साथ ही खाता हूँ.."

अजय हिम्मत करके टीना के पीछे खड़ा हो गया। टीना और अजय ने अंदर कुछ नहीं पहना था। अबकी बार अजय का लण्ड गाण्ड की दरार में टीना को साफ महसूस हुआ। टीना जरा भी नहीं हिली। शायद टीना भी लण्ड को महसूस करना चाहती थी, और अजय का हौसला बढ़ाना चाहती थी शायद। मगर इस वक्त यहां किचेन में बड़ा रिस्क था। अंजली या नेहा किसी भी वक्त उठकर आ सकती थी।

अजय को लगने लगा की ये चिड़िया मेरे जाल में फंस चुकी है। कोई मोका हाथ लग जाय तो टीना की कुंवारी चूत मिल सकती है। मगर ये काम बहुत खतरनाक है।
 
अजय को लगने लगा की ये चिड़िया मेरे जाल में फंस चुकी है। कोई मोका हाथ लग जाय तो टीना की कुंवारी चूत मिल सकती है। मगर ये काम बहुत खतरनाक है।

टीना ने फल काटकर एक प्लेट में रखे- “लीजिए अंकल.." और पलट गई। अजय का लण्ड टीना की गाण्ड की दरार से बाहर निकल गया। उफफ्फ... क्या हाल था इस वक्त अजय का। टीना के हाथों में फल की प्लेट थी। अजय फट से फल खाने लगा।

अजय- टीना तुम भी खाओ।

टीना- “अंकल, आप प्लेट पकड़ोगे। तभी तो मैं खऊँगी..."

अजय- “आहह.. लाओ मैं भी कैसा पागल हो गया हूँ.."

टीना ने फल की प्लेट अजय को पकड़ दी, और बास्केट से एक केला निकालकर खाने लगी- “अंकल मझे तो फल ऐसे ही खाने में मजा आता है...” और केला छीलकर अजय की तरफ स्माइल डाल लिया।

अजय को क्या सीन लग रहा था उफफ्फ... जैसे टीना ने अजय का लण्ड मुँह में डाला हो। अजय बोला- “तुमको केला इतना पसंद है?"

टीना- "जी अंकल, मुझे केला बहुत पसंद है। आई लव बनाना.."

अंजली भी तभी उठकर किचेन में आ गई, और कहा- “क्या हो रहा है यहां पर?"

अजय- "टीना बिना नाश्ता किए जा रही थी, तो मैंने कहा नाश्ता करके जाना..."

अंजली- हाँ बेटा, बिना नाश्ता किए नहीं जाओगी। चलो में नाश्ता तैयार करती
नेहा और समीर को उठा दो..."

टीना नेहा के रूम में चली गई।

अंजली- “सुनो, कम से कम अपना लोवर तो चेंज कर लेते। नीचे अंडरवेर भी नहीं पहना है। घर में जवान बेटियां हैं, कुछ तो शर्म किया करो। जाओ जाकर जल्दी से चेंज कर लो, तब तक मैं नाश्ता तैयार करती हूँ..."

अजय कुछ बोल नहीं पाया और सीधा अपने रूम में जाकर कपड़े चेंज किए, और नाश्ता करके दुकान पर पहुँच गया। टीना- अच्छा नेहा, अब मैं चलती हूँ। तू समीर से बात कर लेना और मुझे बताना।

नेहा- ओह बड़ी जल्दी में है समीर के साथ सोने में? थोड़ा सबर रख गरम-गरम खायेगी तो मुँह जल जायेगा।

टीना- यार रात में तूने बड़ा बेचैन कर दिया। मुझे तो लण्ड की चाहत सी हो गई है।

नेहा- चल, मैं कोशिश करती हैं।
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अजय अपनी दुकान पर पहुँच चुका था मगर आज अजय का दिल नहीं लग रहा था। बार-बार टीना का चेहरा नजर आ जाता। अजय की दुकान पर दो लड़के काम करते थे- रोहित और अमित। अजय ने मोबाइल उठाया
और विजय के घर का नंबर मिला दिया। फोन किरण ने उठाया।

किरण- हेलो।

अजय- भाभीजी प्रणाम, मैं अजय बोल रहा हूँ।

किरण- अरे.. भाई साहब आप... नमस्ते।

अजय- और भाभी कैसी हैं आप?

किरण- बढ़िया है।

अजय- और रात तो आपने बैगन खाये होंगे?

किरण- जी भाई साहब बड़े स्वादिष्ट बने थे।

अजय- अकेले-अकेले खाते हो। हमें भी याद कर लिया करो। अभी क्या कर रही हो?

किरण- गजर पकड़ रखी है, सोच रही हूँ आज इसी की सब्जी बना लूँ।

अजय- क्या बात है, कल बैगन, और आज गजर?

किरण- "हाँ भाई साहब, रोज-रोज एक ही टेस्ट में मजा नहीं आता, मन ऊब जाता है। आप रोज एक ही सब्जी
खाते हो क्या?"

अजय- भाभी क्या करूं अंजली रोज वही सब्जी परोस देती है। कभी आप ही खिला देना। मेरा भी स्वाद बदल जायेगा..."
.
किरण- "आप आते ही नहीं, मैं तो आज भी खिला दूं। बस आप मार्केट से ताजी और लंबी मूली लेते आना, खाने
में टेस्ट आ जायेगा..."

अजय-आज तो नहीं आ सकता, कल का प्रोग्राम रखते हैं।

किरण- बोलो किसी टाइम आओगे? मुझे तैयारी भी करनी पड़ेगी।

अजय- लंच टाइम में आ जाऊँगा।
*****
*****
 
अंजली- नेहा समीर कहां है?

नेहा- अपने रूम में फाइल बना रहे हैं।

अंजली- मैं मार्केट से सब्जियां लेने जा रही हूँ, तू तब तक सफाई कर ले।

नेहा- जी मम्मी।

अंजली मार्केट चली गई, तो नेहा के चेहरे पर एक सेक्सी स्माइल आ गई। जैसे एकदम से दिमाग में प्लान ने जन्म लिया हो। नेहा ने मुख्य दरवाजा बंद किया और अपने रूम में जाकर शार्ट कमीज पहन ली, और समीर के रूम में पहुंच गई।

नेहा- क्या कर रहे हो भइया?

समीर बिना नेहा की तरफ नजर उठाए- “फाइल बना रहा हूँ.."

नेहा- कैसी फाइल बना रहे हो? क्या हल्प करूं?

समीर- नहीं, ये एक प्राजेक्ट फाइल है। कंप्यूटर से कापी कर रहा हूँ।

नेहा- इससे क्या होगा।

समीर- मुझे जाब मिलेगी।

नेहा- भइया कितना काम बाकी है?

समीर- बस 5 मिनट में तैयार हो जायेगी।

नेहा- चाय पियोगे?

समीर- “क्या बात है आज..." और इस बार समीर की नजरें नेहा की तरफ चली गईं। समीर नेहा की हालत देखकर चौंक गया, और कहा- "ये सब क्या पहन रखा है तूने? शर्म नहीं आई इस हालत में मेरे सामने आते हए? जा अभी चेंज कर ये सब..."

नेहा- "क्या भइया... टीना भी तो ऐसे ही कपड़े पहनती है। उसे तो कभी टोका नहीं। आज मैंने पहन लिए तो कितना डाँट रहे हो? और मेरी आँखों से आँसू निकल जायेंगे..."

समीर- “देख मेरी प्यारी बहना, लड़की जितनी ठकी-छुपी होती है उतना ही अच्छा है। जिश्म की नुमाइश करने से कुछ नहीं होता। बाहर वाले सब गंदी-गंदी नजरों से देखेंगे तो तुझे ये सब अच्छा लगेगा? कोई तेरा हाथ पकड़ ले और गंदे कामेंट मारे।

नेहा- “मैं कोई बाहर थोड़ी ही ऐसे कपड़े पहनकर जा रही हूँ। घर में मेरे और आपके अलावा कौन है? क्या घर में भी ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती? अपने दिल की खावहिश पूरी नहीं कर सकती?" और नेहा सुबकने लगी, आँसू की बूंदें गालों पर बहने लगीं।

समीर- “अच्छा बाबा सारी... अब रो क्यों रही है? मगर सिर्फ घर पर ही पहनना ऐसे कपड़े..."

नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई, और समीर के हाथ पकड़कर- “थॅंक यू भइया...' कहा।

समीर- चल जा चाय बना ला। तब तक मेरी फाइल भी कम्प्लीट हो जायेगी।

फिर नेहा किचेन से चाय बना लाई।
 
नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई, और समीर के हाथ पकड़कर- “थॅंक यू भइया...' कहा।

समीर- चल जा चाय बना ला। तब तक मेरी फाइल भी कम्प्लीट हो जायेगी।

फिर नेहा किचेन से चाय बना लाई।

समीर- मम्मी ने तुझे कुछ नहीं कहा इन कपड़ों में देखकर?

नेहा- वो तो मार्केट गई हैं।

समीर- तभी तुझे ये सब करने की सूझी।

नेहा- भइया आप कल शर्त भी तो हार गये थे?

समीर- हाँ बोल, क्या करना है मुझे?

नेहा- आपको गुस्सा तो बहुत जल्दी आ जाता है।

समीर- ऐसा क्या करना चाहती है मुझसे?

नेहा- पहले प्रामिस करो मुझे डाँटोगे नहीं।

समीर- “अच्छा बाबा प्रामिस... अब बोल..."

नेहा- टीना एक रात आपके रूम में सोयेगी।

समीर- "ये क्या बकवास है? तेरा कोई दिमाग तो नहीं चल गया? डाक्टर के पास चली जा...”

नेहा- “मुझे पागल बना दिया। क्या मैं तुम्हें पागल दिखती हैं? ऐसे ही शर्त लगाते हो जब पूरी नहीं कर सकते.."

समीर- नेहा ये सब गलत है। तू समझती क्यों नहीं?

नेहा- "सिर्फ सोने के लिए ही तो बोल रही हूँ, उल्टा सीधा कुछ करने को तो नहीं बोला मैंने। एक रात की ही तो बात है। आगे से शर्त पूरी ना कर सको तो लगाना भी मत.."

समीर को अब जैसे चेलेंज सा मिल रहा था। अब मना करने का सवाल ही नहीं उठता। समीर बोला- "अच्छा अगर मैं कहूँ की टीना मेरे साथ सो सकती है, तो टीना इस बात के लिए तैयार होगी?"

नेहा- वो सब मुझ पर छोड़ दो।

समीर- तू जरूर किसी दिन मुझे मरवायेगी।

नेहा- “मरें आपके दुश्मन.." और नेहा ने समीर को हग कर लिया।
 
समीर- तू जरूर किसी दिन मुझे मरवायेगी।

नेहा- “मरें आपके दुश्मन.." और नेहा ने समीर को हग कर लिया।

इस हालत में नेहा का समीर से कोली भरना, किसी बुड्ढे का भी लण्ड खड़ा हो जाय। समीर तो एक जवान लड़का शायद पूरे मुहल्ले में ऐसी बाडी किसी की हो। आज तक जिसने कभी मूठ तक नहीं मारी, आज उसके लण्ड ने पहली बार झटका मार ही दिया। सीने से चिपटी हुई नेहा की चूचियां समीर को महसूस हुई तो समीर एक झटके से अलग हो गया।

समीर- नेहा मेरी बहन ये सब तू क्या कर रही है? ये सब गलत है।

नेहा- भइया मेरा दिल ये सब करना चाहता है।

समीर- "अच्छा तू बैठ मेरे पास, में तुझे समझाता हूँ। इस उमर में ऐसा हो जाता है। तू अपना मन पढ़ाई में लगा। ये सब करने का तेरा भी वक्त आयेगा। जब तेरी शादी होगी, तब अपने पति से रात दिन प्यार करना। चल अब मेरी फाइल भी कंप्लीट हो गई है। मुझे इंटरव्यू के लिए जाना है..."

नेहा अपना सिर झुकाये समीर की बातें सुनती रही, जैसे समीर भइया सही कह रहे हों।

समीर- “जा जाकर कपड़े चेंज कर ले। मम्मी ने इस हालत में तुझे देख लिया, तो बड़ी डाँट मिलेगी। मैं भी कंपनी जा रहा हैं। एक टाय कंपनी में मैनेजर की नौकरी का ओफर मिला था समीर को। उसी की फाइल कम्प्लीट करके कंपनी चला गया। इस कंपनी की मलिक का नाम संजना कपूर था।

संजना 35 साल की शादीशुदा औरत थी, जिसके पति की किडनी खराब हो चुकी थी। अभी तक कोई वारिश नहीं था, और ना ही कोई उम्मीद थी। बस संजना की एक छोटी बहन थी दिव्या, वही साथ रहती थी। संजना ने आज अपनी कंपनी को बहुत ऊंचे लेवेल पर पहुँचा दिया था। समीर इंटरव्यू के लिए आफिस में मेडम के सामने बैठा था।

संजना मेडम- “हाँ तो समीर, तुम्हें कितना अनुभव है?"

समीर- "मेडम में पहली बार जाब के लिए आया हूँ। मगर मुझे अपने पर इतना कान्फिडेंट है की आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी। मुझे इस जाब पर एक महीना रखकर देखिये.."

संजना को समीर की बातों में दम लग रहा था, और फिर समीर था भी ऐसा की जो एक बार देखे वो उसकी तरफ खिंचता चला जाता है। संजना बोली- “तो फिर हम भी तुम्हें अपनी कंपनी में रख लेते हैं। तुम कल से कंपनी जान कर सकते हो..."

समीर- "थॅंक यू मेडम...” और समीर ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर संजना से हाथ मिलाया, और फिर एक मिठाई की दुकान से मिठाई लेकर घर पहुंचा।

शाम के 7:00 बज चुके थे। पापा भी घर पर थे। पापा ने ये खुशखबरी सुनकर अपने गले से लगा लिया, और मम्मी भी बहुत खुश थी। मम्मी ने पहले मिठाई का टुकड़ा मेरे मुँह में डाला उसके बाद पापा को खिलाई। मुझे नेहा नजर नहीं आई।

समीर- मम्मी नेहा कहां है?

अंजली- इस लड़की का मन ही नहीं लगता घर में। टीना के पास जा रही हैं, बोलकर गई है।

समीर- "मम्मी इस साल इसका फाइनल साल है। कोई अच्छा सा रिश्ता देखकर इसकी शादी कर दो.."
 
अंजली- “बेटा, मैं तो सोच रही हूँ दोनों की शादी एक साथ करूंगी। कैसी लड़की चाहिए तुझे बोल?"

समीर- "क्या मम्मी तुम भी ना... मैं नेहा को कह रहा हूँ और तुम मेरे पीछे ही पड़ गई.."

अंजली- “बता दे... फिर अगर हमने पसंद कर लिया किसी को तो फिर तेरी पसंद का मोका नहीं मिलेगा, या कोई लड़की है तेरी नजर में?"

समीर- मम्मी, मैं अभी दो साल शादी नहीं करूँगा। पहले कछ बन तो जाऊँ, अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँ... अच्छा मम्मी, मैं नेहा को मिठाई टीना के यही खिला आऊँ?"

अंजली- हाँ बेटा चले जाओ।

समीर टीना के घर या। समीर ने डोरबेल बजाई। टीना ने दरवाजा खोला। समीर को एक और जोर का झटका लगा। टीना ने ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी हुई थी।

टीना- आओ समीर भइया, कैसे हो?

समीर- अंकल आंटी कहा हैं?

टीना- एक पार्टी में गये हुए हैं।

समीर- नेहा कहां है?

टीना- मेरे बेडरूम में है, क्यों क्या हुआ?

समीर- और ये कैसी ड्रेस पहनती हो तुम?

टीना- क्या भइया, तुम भी कौन सी दुनियां में जी रहे हो? ये तो आजकल आम सा फैशन है।

समीर- तुम और तुम्हारा फैशन। बस इस फैशन को नेहा से दूर ही रखो। मैं ये मिठाई खिलाने आया था, मेरी नौकरी लग गई है..." तभी नेहा भी रूम से बाहर आ गई।

नेहा- भइया आप... और ये मिठाई कैसी है?

समीर- मेरी नौकरी लग गई है।

नेहा- वाउ... भइया ये तो बड़ी खुशी की बात है। हमें तो पार्टी चाहिए।

समीर- हाँ हाँ क्यों नहीं?

टीना- भइया मुझे तो मूवी देखनी है,

समीर- ओके ओके... जैसी चाहो ले लेना पार्टी। चल नेहा घर पर मम्मी पापा डिनर पर इंतेजार करते होंगे।

टीना- “यही रुक जाओ आज भइया...” ललचाई नजरों से देखकर।

समीर- “नहीं, मुझे सुबह कंपनी जाय्न करनी है। मेरा कल पहला दिन है..”
 
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