Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 3 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

समीर जानता था की अगर आज रात टीना के घर रुक गया तो इज्जत लुट सकती है, और नेहा और समीर अपने घर के लिए निकल गये।

समीर- नेहा

नेहा- जी भइया।

समीर- तू नेहा का साथ छोड़ दे। मुझे ये लड़की सही नहीं लगती।

नेहा- “क्या भइया, तुम हमेशा ये मत करो, वो मत करो, इससे मत मिलो। क्या मेरी लाइफ मेरी नहीं है? मैं अपनी जिंदगी आजादी से नहीं जी सकती? मेरे अंदर भी फीलिंग्स आती हैं। तुम क्या चाहते हो? क्या मैं उनका गला घोटती रहूँ? मैं कोई घर का समान हूँ जिसे जैसा चाहा इश्तेमाल कर लिया? क्या आपने कालेज में, पार्क में, रेस्टोरेंट में कभी लड़के लड़कियों को नहीं देखा की किस तरह चिपके रहते हैं? क्या उनके भाई नहीं हैं?"

समीर- नेहा, मेरा मतलब तुझे हार्ट करने का नहीं है।

नेहा- बस रहने दो। तुम चाहते हो की मैं घर के किसी कोने में दुबकी छुपी बैठी रहूँ? किसी की नजर भी मुझे पे ना पड़ जाय।

समीर को अपनी गलती लगने लगी, शायद कुछ ज्यादा ही कह दिया। समीर बोला- "ओहह... मेरी प्यारी बहना सारी... यार माफ कर दे अपने भाई को..."

नेहा- एक शर्त पर माफी मिलेगी। मेरी शर्त पूरी करो पहले। .

समीर- “चल ठीक है। मैं तेरी शर्त पूरी करने को तैयार हूँ.." और बातें करते हुए दोनों घर आ गये।

सबने मिलकर डिनर किया। समीर अपने बेड पर लेटा नेहा के बारे में सोच रहा था- “क्या मेरा नेहा को रोकना गलत है? क्या सचमच नेहा जवान हो गई है? कहीं ऐसा तो नहीं की नेहा और टीना में समलैंगिंग संबंध हों? मुझे ही नेहा को इस जंजाल से निकलना होगा, और उसके लिए मुझे पहले टीना की आग ठंडी करनी पड़ेगी..."

और पता नहीं कब समीर को नींद ने अपनी आगोश में ले लिया।
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सुबह समीर कंपनी चला गया।

अजय तो आज कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। आज बाथरूम में नहाने के साथ अपने लण्ड के बाल भी साफ किए और आज जीन्स और टी-शर्ट पहन ली। आज अजय ऐसे तैयार हो रहे थे, जैसे दूल्हा तैयार होता है।

अंजली- क्या बात है, आज कहां की तैयारी हो रही है?

अजय ने जैसे सोच रखा था की अंजली जरूर टोकेगी। अजय ने कहा- “आज हमारे बेटे की नौकरी लगी है। इसी खुशी में आज तो तुम्हें भी खुशियां मनानी चाहिए। शाम को छोटी सी डिनर पार्टी कर लो..."

अंजली- ठीक है जैसा आप चाहें।

अजय- "तुम शाम की तैयारी करो.." और अजय दुकान के लिए निकल गया। पहले विजय के पास जाकर शाम का प्रोग्राम बताया की सबको डिनर साथ करना है, और अपनी दुकान पर आ गया।

अजय एक-एक पल किरण से मिलने को तड़प रहा था, और फिर किरण का नंबर मिला दिया।

अजय- हेलो किरण कैसी हो?

किरण- हेलो भाई साहब मैं तो अच्छी हूँ। बस आपकी सब्जी तैयार कर रही हूँ।

अजय- “सच में... आप भी मुझे सब्जी खिलाने को तड़प रही हैं?"

किरण- "और नहीं तो क्या?" टीना भी नहीं है। नेहा का फोन आया था शाम को पार्टी है आपके यहा..."

अजय- तो आप इस वक्त अकेली हैं।

किरण- “जी भाई साहब, बस सब्जी तैयार है। आपके आने की देर है। मैंने तो आपके लिए आम भी धोकर रखे हैं, आपको आम चूसना अच्छा लगता है ना?"

अजय- भाभीजी मुझे दूध भी पसंद है।

किरण- अरें... भाई साहब आप जल्दी आ जाओ, आपको दूध भी मिलेगा। मेरे लिए कुछ लेते आना।

अजय- “ठीक है, मैं मूली लेता आऊँगा..."

अब अजय से एक पल और रुकना नामुमकिन था। किरण अजय को खुला आफर दे रही थी। लण्ड पैंट में बार बार झटके मार रहा था, और फिर अजय किरण के घर के लिए निकल पड़ा। रास्ते में एक गलाब और चाकलेट

और किरण के लिए प्यारी सी नाइटी पैक करा ली। अजय बस रास्ते भर यही सोचता जा रहा था की बात कैसे शुरू करनी है? अजय ने किरण के घर पर डोरबेल बजाई।

किरण शायद दरवाजे के पास ही खड़ी थी। उसने अजय का स्वागत किया। अपना हाथ आगे बढ़ाकर अजय से हाथ मिलाया। किरण ने कहा- 'आज तो बड़े खूबसूरत लग रहे हो.."

अजय- आपने भी तो कयामत ढा रही हैं।

किरण ने बिना दुपट्टे के कमीज पहनी हुई थी, जिसमें से किरण की आधी चूची चमक रही थी। अजय अंदर सोफे पर आकर बैठ गया और किरण ने दरवाजा बंद कर लिया।

किरण- क्या लेना चाहोगे पहले, ठंडा या गरम?

अजय- भाभी पहले मुझे दूध पिला दीजिए।

किरण- “अभी लाई...” कहकर किरण किचेन में जाने लगी।

अजय ने उठकर किरण का हाथ पकड़ लिया- “अरे... भाभी सुनिए तो, मुझे एकदम ताजा दूध पीना है..."

किरण- "भाई साहब एकदम ताजा दूध कहा से लाऊँ?"

अजय- ये आप जानो। जब आपने हमें दावत पर इन्वाइट किया है तो इंतजाम भी आपको ही करना पड़ेगा। आज हमें एकदम शुद्ध दूध पिलाओ।

किरण- कैसे पीना पसंद करोगे?

अजय- कैसे मतलब?

किरण ने एक सेक्सी मुश्कान के साथ अपनी साड़ी का पल्लू खिसका दिया- “मतलब ग्लास में पियोगे या... ..."

अजय- या मतलब?

किरण स्माइल के साथ- “चमड़े से पियोगे...'

अजय भी पूरे जोश में आ गया, और किरण को बाहों में भर लिया, और कहा- "हमें तो चूसकर पीना है ताजा ताजा दूध..."
 
अजय भी पूरे जोश में आ गया, और किरण को बाहों में भर लिया, और कहा- "हमें तो चूसकर पीना है ताजा ताजा दूध..."

धर किरण के निप्पल तन गये, जैसे कह रहे हों की आओ और चूस लो सारा दूध। ये सब तुम्हारे लिए है। अब अजय का सबर का बाँध टूट चुका था। अजय की नजरें तने हुए निप्पल को देखकर अपने हाथ वहां पर टिका दिए।

किरण- "हाईईई... उईई... उम्म्म्म ... सस्स्सी ... हाँ भाईई सहब चूस्स लो सारा दूध... आपके लिये ही है सब..."

अजय ने अपने होंठों को निप्पल से लगा लिया, और चूसने लगा। अजय को बड़ा मजा मिल रहा था।

किरण- "हाय भाई साहब ऐसे ही... ओहह... ओहह... हाँ हाँ...” कहकर किरण भी पूरी मस्ती में चूचियां चुसवा रही
थी। किरण पूरी गरम हो चुकी थी।

किरण- "भाई साहब, मेरा दिल भी कुछ खाने को कर रहा है। आप मेरे लिए कुछ लाए हो?"

अजय- क्या खाना चाहती हो?

किरण- मेरा दिल तो इस वक्त केला खाने को कर रहा है।

अजय- “वो तो है मेरे पास, मगर छोटा नहीं है। ज्यादा बड़ा केला है आपके मुँह में कैसे जायेगा?"

किरण- भाई साहब मुझे बड़े केले ही पसंद हैं।

अजय- "जैसी आपकी मर्जी..." और अजय ने किरण का हाथ पकड़कर अपनी पैंट की जिप पर रख दिया।

किरण- बाप रे ये केला है या साँप है?

अजय- खुद ही देख लो।

किरण- ना बाबा ना... मुझे तो डर लगता है, कही इस लिया तो?

अजय- "भाभी जान, आप तो बेकार में डर रही हो। सच में केला ही है, खोलकर देख लो.." किरण ने पैंट की जिप खोल दी, तो लण्ड बाहर आ चुका था।

किरण- अरे... हाँ भाई साहब ये तो सचमुच केला ही है। वैसे बहुत बड़ा केला है आपके पास।

अजय- तुम तो बेकार में डर रही थी। अब जैसे मर्जी खाना है खा लो। सिर्फ आपके लिए ही लाया हूँ."

किरण बड़ी ही दक्ष लग रही थी लण्ड चूसने में।

"उफफ्फ..” अजय की हल्की सिसकारी निकल गई- “हाय भाभी, क्या केला चूसती हो... मजा आ गया...”

अजय- लगता है आपको केला बहुत पसंद है?

किरण- जी भाई साहब।

अजय- विजय भी खिलाता है आपको केला?

किरण- “कभी-कभी जब मैं जिद करती हूँ तब। नहीं तो बस सब्जी में ही डालकर खाना पड़ता है..” कहकर किरण लण्ड को मुँह में गहराई तक लेजाकर फिर बाहर कर देती।

अजय भी पूरी मस्ती से अपना लण्ड चुसवा रहा था, कहा- “भाभी विजय आपकी सब्जी कैसे-कैसे खाते हैं?"

किरण- बस जब भी सब्जी खाने आते हैं, कौव्वे के तरह चोंच मारकर खाते हैं, और सो जाते हैं

अजय- ओहह... बुरा लगा। इतनी अच्छी सब्जी को भला ऐसे खाया जाता है?

किरण- तो फिर कैसे खाते हैं?
 
किरण- तो फिर कैसे खाते हैं?

अजय- "चलो मैं बताता हूँ की सब्जी कैसे खाई जाती है?" और अजय ने किरण की सलवार उतार फेंकी और टाँगें फैलाकर चूत को निहारा- हाय क्या मस्त चूत थी किरण की और अपने होंठ चूत की फांकों पर टिका दिए।

किरण की- “उईई.. इस्स्स... भाइ साहब...” की सिसकारी फूटने लगी।

अजय बड़ी ही शिद्दत से चूत की चुसाई में लग गया। ये अहसास किरण को पहले कभी नहीं मिला था। अजय भी किरण को पूरी तरह संतुष्ट करना चाहता था। अजय को कोई जल्दी नहीं थी। आज अपनी मर्दानगी साबित करनी थी।

किरण की बेचैनी इस कदर बढ़ चुकी थी की बिना लण्ड लिए झड़ गई, और अजय भी बिना हिचकिचाहट सारा चूत-रस पी गया। ये देखकर किरण अजय की दीवानी हो चुकी थी।

किरण- "भाई साहब, सब्जी की कदर तो कोई आपसे सीखे..."

अजय- हीरे की कदर जौहरी ही जानता है।

किरण अपनी इतनी तारीफ सुनकर मारे खुशी के अजय से लिपट गई। बाँहे गले में डालकर होंट से होंट मिला दिए, जैसे अजय का शुक्रिया कर रही हो। इस वक्त अजय का लण्ड किरण की चूत को छू रहा था।

अजय- भाभी मुझे तो और भूख लगी है।

किरण- भाई साहब, सब्जी तो खतम हो गई।

अजय- फिर तो हम भूखे ही रह जायेंगे।

किरण- आप बर्तन साफ कर लो, हंडिया में चिपकी होगी।

अजय- भाभी, चम्मच से निकल लूँ?

किरण भी जोश में आ चुकी थी। चूत का दबाव लण्ड पर डालने लगी। अजय ने भी किरण से लिपटे-लिपटे बेड पर लिटा दिया और अपना लण्ड चूत में सरका दिया। किरण की हल्की सी आss निकल गई। अब अजय बस रफ़्तार बढ़ाना चाह रहा था।

अजय- "ही भाभी, मजा आ रहा है आज तो, आपकी दावत खाकर।

किरण- "भाई साहब मैं तो ऐसी दावत आपको रोज खिला दूं.."

तभी अजय ने जोश में आकर एक जोर का झटका मार दिया।

किरण- "उईई माँ... धीरेss..."

अजय- क्या हुआ भाभी?

किरण- आपका चमचा।

अजय- "क्या भाभी, अब तो सीधे सीधे लण्ड ही बोल दो...”
 
किरण के चेहरे पर स्माइल दौड़ गई। किरण बोली- “जी भाई साहब, आपका लण्ड मेरी चूत में धीरे-धीरे डालिये..."

अजय- “वाह भाभी... आज आपको पाकर में धन्य हो गया.. और लण्ड चूत की गहराई नापने लगा।

किरण की सिसकारी निकलने लग गई- “आहह... उहह... औचह..."

अजय- कैसा लग रहा है किरण भाभी?

किरण- “आहह... बस्स अब कुछ मत कहो... ओर जोर-जोरर से करो... सस्स्सी मजा बहुत मज्जा आ रहा है."

अजय भी आज अपनी पूरी मर्दानगी दिखना चाहता था, और फिर शाट पर शाट। क्या जबरदस्त क्या जबरदस्त चुदाई चल रही थी। बस दोनों चरम पर पहुँचने वाले थे की तभी किरण का मोबाइल बज उठा। मगर इस वक्त आखिरी स्टेज चल रही थी। दोनों में से कोई भी हटना नहीं चाहता था, और मोबाइल की रिंग बाजती रही। अजय को इस कदर जकड़ लिया किरण ने की पीठ पर नाखून तक चुभने लगे, और अब अजय का भी सैलाब बह निकला। अजय ने किरण की चूत में सारा माल छोड़ दिया। क्या ओर्गेज्म हुआ किरण को। किरण की अपनी पूरी लाइफ में ऐसी चुदाई नहीं हुई थी।

मोबाइल अभी तक बज रहा था। किरण ने उठकर मोबाइल उठाया तो विजय का फोन था, बोली- “हेलो.."

विजय- “कहां हो? इतनी देर से मिला रहा हूँ। और इतना क्यों हाँफ रही हो?"

किरण- बाथरूम में थी, जल्दी भागकर आई हूँ इसलिए।

विजय- शाम को अजय के यहां पार्टी है। जल्दी तैयार हो जाना। बस मैं भी निकल रहा हूँ।

किरण- हाँ, मेरे पास नेहा का फोन आया था और टीना भी नेहा के यहां चली गई है।

विजय- चलो ठीक है रखता हूँ।

किरण ने घड़ी की तरफ देखा तो शाम के 4:00 बज चुके थे।

अजय ने किरण को पीछे से बाँहो में भरकर गर्दन पर किस करने लगा।

किरण- भाई साहब, लगता है अभी आपका मन नहीं भरा है।

अजय- "तुम चीज ही ऐसे हो। जी करता है आपके साथ सुबह से लेकर शाम तक, शाम से लेकर रात तक, और रात से लेकर सुबह तक तुझे प्यार करूं.."

किरण- ओहह... आपकी तारीफ करने की अदा पर ही तो अपना दिल आप पर आया है।

अजय के लण्ड में फिर से तनाच आने लगा, और किरण की गाण्ड की दरार में घुसने की कोशिश करने लगा।

किरण- ये आपके छोटे मियां गलत रूम में एंट्री कर रहे हैं।

अजय- "ये समझा की आपने पूरे घर में घूमने की इजाजत दे दी है..."।

किरण- "हाँ जी... अब तो पूरा घर आपका है जहां चाहे घुस जाओ। मगर इस रूम को देखने के लिए आपको फिर आना पड़ेगा..."

अजय अपने घर के लिए निकल गया। घर पर अंजली किचेन में खाना बना रही थी। अजय किचेन के दरवाजे पर खड़ा अंजली की गाण्ड निहारने लगा। उसे पास से अंजली की गाण्ड ही नजर आ रही थी। आज जाने क्यों अजय को गाण्ड की तलब सी उठ गई, और अजय के लण्ड की आग फिर भड़क गई।

अंजली अपनी मस्ती में कम कर रही थी। अजय के आने तक की आहट नहीं हई। अजय को घर में कोई दिखाई नहीं दिया, तो धीरे से अजय ने अंजली को पीछे से बाहों में भर लिया। लण्ड भी सीधा गाण्ड की दरार में। अंजली एकदम घबरा गई। अंजली ने पलटकर देखा तो अजय उससे छिप रहा था।

अंजली- “ये सब क्या है? बच्चे घर ो शर्म किया करो..."

अजय फिर भी लिपटा हुआ लण्ड का दबाव गाण्ड पर डालता रहा। अंजली पलट गई और अजय को धकेलते हुए किचेन से बाहर कर दिया।

अंजली- “कहीं भी लग जाते हो। ये काम रात को रूम में भी कर सकते हो..."

तभी नेहा और टीना भी किचेन में आ गई। क्या ड्रेस पहनती है टीना। अजय का लण्ड तो पहले से ही खड़ा था।

 
अजय फिर भी लिपटा हुआ लण्ड का दबाव गाण्ड पर डालता रहा। अंजली पलट गई और अजय को धकेलते हुए किचेन से बाहर कर दिया।

अंजली- “कहीं भी लग जाते हो। ये काम रात को रूम में भी कर सकते हो..."

तभी नेहा और टीना भी किचेन में आ गई। क्या ड्रेस पहनती है टीना। अजय का लण्ड तो पहले से ही खड़ा था।
टीना- हेलो अंकल।

अजय- हेलो बेटा कैसी हो?

टीना- एकदम मस्त... आप सुनाइए?

अजय भी टीना के उभारों को घूरता हुआ- “हम भी बढ़िया हैं...”

तभी टीना की नजर अजय की पैंट की जिप पर चली गई। इस वक्त अजय के लण्ड ने पैंट में तंबू बनाया हुआ था।

अंजली अजय से- “अब आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ, मेहमान भी आने वाले हैं, और नेहा तू समीर को बुला वो अपने रूम में क्या कर रहा है?"

नेहा फल काट रही थी तो नेहा टीना से- "टीना तुम बुला लाओ..”

टीना समीर के रूम में पहुँच गई। समीर कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था। टीना बोली- “भइया आपको आँटी बुला रही हैं.”

समीर टीना को देखता है, अफफ्फ... क्या ड्रेस पहनती है टीना।

समीर- तु कभी तो ढंग के कपड़े पहना कर?

टीना- क्यों मैं अच्छी नहीं लगती इन कपड़ों में?

समीर- लगती हो, मगर कोई तुम्हें ऐसी हालत में सही नजर से नहीं देखेगा।

टीना- आप किस नजर से देखते हो?

समीर- मेरी नजर तो ठीक है फिलहाल। ऐसे ही रही तो एक दिन जरूर मेरी नजर भी बदल जायेगी।

टीना- मुझे तो ऐसे ही पसंद है।

समीर रूम से निकलता हुआ बड़बड़ाता है- “मेरी तरफ से तुम नंगी घूमो, बस नेहा से दूर रहो..."
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शाम को विजय-किरण और अजय-अंजली और कुछ मेहमानों ने मिलकर पार्टी एंजाय की। आज जब भी किरण और अजय की नजरें मिलती, दोनों के चेहरे पर मुश्कान दौड़ जाती। और ये मुश्कान समीर ने भी नोट की। रात 11:00 बज चुके थे।

विजय- भाई अब हमें चलना चाहिए।

नेहा- अंकल टीना सुबह चली जायेगी।

विजय- ठीक है..." और दोनों चले गये।

समीर भी उठकर अपने रूम में चला गया, और बेड पर लेटा सोचने लगा- “ये नेहा कभी टीना को रोक लेती है और कभी कहती है। इन दोनों के बीच क्या चल रहा है? कही ये दोनों लेस्बियन तो नहीं? हो भी सकता है। आज मुझे इस बात का पता लगाना है। यू ही लेटे-लेटे 12:00 बज गये।

समीर अपने बेड से उठकर नेहा के रूम की तरफ चल दिया। मगर तभी मम्मी के रूम से एक दर्द भरी मगर बहुत धीमी आवाज आई, जो समीर को मजबूर कर गई की देखू यहां क्या हो रहा है? इतना तो समीर जानता था की ये सब आवाजें सेक्स के टाइम निकलती हैं। और समीर के पैर अपने आप मम्मी के रूम की तरफ चल दिए। दरवाजा अंदर से बंद था। समीर झिरी से अंदर झाँकता है।

अजय ने अंजली की गाण्ड में लण्ड डाला हआ था। मम्मी को बड़ा दर्द हो रहा था। ये सब देखकर समीर की हालत खराब हो गई। अफफ्फ ऐसा भी होता है?

मम्मी दर्द में बुदबुदा रही थी- “तुम पर आज ये गाण्ड का भूत कहां से सावर हो गया? मेरी तो जान निकल रही है। मुझसे नहीं होगा, निकालो यहां से..."

अजय- बस थोड़ा सा और।

अंजली- “नहीं बस आगे से कर लो..." और अंजली ने लण्ड अपनी गाण्ड से निकाल दिया।

अजय को बहुत गुस्सा आया, और उठकर नखरे में लेट गया।

अंजली- क्या बात है, चूत में डाल लो अपना लण्ड?

अजय- तुमने आज तक गाण्ड में नहीं डलवाया। आज तो मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है।

अंजली- सच में आज बहुत दर्द हो रहा है, यहां फिर कभी कर लेना। अगर मेरी चीख निकल गई तो?

अजय- हर बार बहाना कर देती हो, जब डालता हूँ।

अंजली- जिस दिन घर पर कोई नहीं होगा, उस दिन तुम मेरी गाण्ड मार लेना। प्रामिस अब प्लीज़्ज... अपना लण्ड चूत में डालो..."

अजय मान गया, अंजली के ऊपर आकर अपना लण्ड पकड़ा और चूत पर टिका दिया।
 
अंजली- जिस दिन घर पर कोई नहीं होगा, उस दिन तुम मेरी गाण्ड मार लेना। प्रामिस अब प्लीज़्ज... अपना लण्ड चूत में डालो..."

अजय मान गया, अंजली के ऊपर आकर अपना लण्ड पकड़ा और चूत पर टिका दिया।

समीर ये सब देख रहा था। समीर का लण्ड टाइट हो चुका था। अंदर अजय ताबड़तोड़ शाट मार रहा था। समीर बड़ी गौर से ई का सीन देख रहा था। 5 मिनट बाद पापा धम्म से मम्मी के ऊपर गिर गये। समीर पैंट में लण्ड रगड़ता हुआ हट गया, और नेहा के रूम की तरफ चल दिया।

आज समीर को एक और तगड़ा झटका लगना बाकी था।

समीर दरवाजे से नेहा के रूम में देखने की कोशिश करने लगा। मगर यहां से कुछ दिखाई नहीं दिया। फिर उसे ध्यान आया की स्टोर से नेहा के रूम में भी दरवाजा है, और समीर स्टोर में पहुँच गया। यहां से पूरा रूम दिखाई देता है। अभी रूम की लाइट ओन थी, दोनों अपने कपड़े चेंज कर रही थीं।

टीना- यार तेरा भाई किस मिट्टी का बना है, जब देखो टोकता रहता है?

नेहा- पता नहीं कौन सी सदी में जी रहे हैं?

टीना- यही तो मजा करने की उमर है, और हमें अभी बच्ची ही समझते हैं।

नेहा- उन्हें क्या पता की ये कली फूल बनने के लिये कितना तड़प रही है?

टीना- कहीं ऐसा तो नहीं तेरे भाई के पास लण्ड हो ही नहीं। हम बेकार में उनपर ट्राई कर रहे हैं।

समीर को इनकी बातों से अपनी इतनी जिल्लत बेइज्जती महसूस हुई। मगर मैं चुपचाप सुनता रहा, और सोच रहा था इस की टीना की ऐसी हालत बनाऊँगा की ये तोबा ना कर ले तो मेरा नाम नहीं, और मैं उनकी रासलीला छोड़कर अपने रूम में आ गया।

समीर बेड पर लेटा सोचने लगा- “मझे आज मेरी ही बहनें नामर्द बोल रही हैं। मेरे लिए कितनी डूब मरने की बात है। क्या मैं उनको अपना लण्ड दिखा दूं? जब ये दोनों इतनी आगे निकल चुकी है तो अब इन्हें रोकना नामुमकिन है..."

समीर का हाथ अपने लण्ड पर जा पहुँचा- “उफफ्फ... इसे क्या हुआ?” लण्ड एकदम पूरा टाइट खड़ा था। आज समीर अपने लण्ड की हालत देखकर खद हैरान था इतना लंबा मोटा लण्ड वो भी खुद का, और समीर ने अपना लोवर उतार फेंका तो लण्ड एक झटके में कुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया, और समीर के हाथ अपने लण्ड पर पहुँच गये।

उफफ्फ... क्या मजा आया समीर को लण्ड पकड़ने में। ये सब आज पहली बार हो रहा था, और समीर अपने लण्ड से खेलने लगा, सहलाने लगा। और ऐसा करना समीर को किसी दूसरी दुनियां में ले गया। समीर के हाथ अपने आप लण्ड को आगे-पीछे करने लगे। ये वाला कदम ऐसा था, जैसे लण्ड हाथ में ना होकर किसी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। समीर की आँखें बंद मुँह से सिसकारी- “सस्स्सी ... अहह... अहह... आअहह इसस्स... उम्म्म्म ..." निकलने लगी

हाथ तो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, जैसे उन्हें मालूम था की ऐसा करने से मंजिल मिल जायेगी, और फिर समीर के लण्ड ने वीर्य की धार छोड़ दी। समीर के हाथों में वीर्य भर गया- “ओहह... आहह... मज्ज... आ गया...'

और समीर ने अपने अंडरवेर से वीर्य साफ किया, और फिर समीर नींद की आगोश में पहुँच गया।
***
**
 
अजय सुबह 6:00 बजे उठकर छत पर टहल रहा था। अजय ने लोवर बनियान पहना था। थोड़ी देर बाद अजय को जाल में से टीना दिखाई दो, जो फ्रिज़ से पानी की बोतल निकाल रही थी। ऐसे शार्ट कपड़े पहने थे टीना ने की अजय का लण्ड तन गया। अजय फौरन नीचे हाल में आ गया। लोवर में लण्ड का उभार साफ नजर आ रहा था।

अजय- हेलो टीना गुड मार्निंग।

टीना- गुड मार्निग अंकल।

तभी टीना ने अजय के लोवर में टेंट का उभार देखा तो टीना की आँखें घबराहट में फैल गई। अजय भी समझ चुका था की टीना कहां देख रही है?

अजय- आज फल नहीं खाओगी?

टीना- आज तो केला खाने का मन कर रहा है।

अजय- देखो किचेन में होगा।

टीना- अंकल मैं देख चुकी हूँ आज केले नहीं हैं।

अजय- “एक केला है मेरे पास अगर तुम्हें पसंद आए तो?" और अजय ने अपने लण्ड पर हाथ से रगड़ लिया।

टीना एक स्माइल के साथ- "वो तो खाकर ही पता चलेगा..."

अजय- यहां पर तो मुश्किल है, ये केला तुमको छत पर खिला सकता हूँ।

टीना- “केला खाने के लिए तो मैं टावर पर भी चढ़ जाऊँ.."

अजय और टीना छत पर पहुँच गये।

टीना- लाइए अंकल अब केला खिला दीजिये।

अजय- मेरी पैंट में है, नीचे बैठकर निकाल लो।

टीना ने नीचे बैठकर केला बाहर निकाल लिया और गप्प से मुँह में भर लिया।

"ओहह... माई गोड..." ऐसा तो अजय ने सोचा भी नहीं था की टीना इतनी जल्दी लण्ड चूसेगी। और टीना भी ऐसे
चूस रही थी जैसे इस खेल की खिलाड़ी हो।

अजय- कैसा टेस्ट है टीना?

टीना- वाउ अंकल... बड़ा ही स्वादिष्ट केला है आपका। मेरा तो चाटकर खाने का दिल कर रहा है।

अजय- अब तो ये केला तुम्हारा है, जैसे मर्जी खा सकती हो।

टीना लण्ड को लालीपोप की तरह चूसने लगी। अजय को परम आनंद की अनुभूति मिल रही थी। टीना भी जैसे आज अपनी बरसों की तमन्ना पूरी कर रही थी। दोनों को मजा आ रहा था। अजय टीना के सिर को सहलाने लगा और अपने लण्ड को अंदर-बाहर हिलाने लगा। टीना भी मस्ती में लण्ड अंदर आधे से ज्यादा अंदर ले चुकी थी।

अजय से अब कंट्रोल करना मुश्किल था, और अजय ने टीना से कहा- "मेरा होने वाला है, बाहर निकाल लूँ?"

टीना को शायद अभी वीर्य निकलने का ज्ञान नहीं था। टीना को जैसे कुछ सुनाई नहीं दिया, और अजय की पिचकारी गले में उतरती चली गई। टीना को अजय के वीर्य से नमकीन स्वाद आया जो टीना के गले में सारा उतर चुका था। एक बूंद भी बाहर नहीं निकली थी। अजय को आज तक ऐसा ब्लो-जोब किसी ने नहीं दिया था। टीना जो इस खेल में एकदम नई थी।

अजय- "टीना तुमने आज ऐसा केला खाया की मुझे भी स्वर्ग में पहुँचा दिया.."

टीना अपने घर जा चुकी थी।
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समीर का नौकरी का पहला दिन समीर का आज कंपनी में पहला दिन था। फ्रेश होकर टाइम से कंपनी पहुँच गया, और बड़ी लगन से कंपनी की फाइलें चेक करने बैठ गया। समीर जिस कम में लगता है उसे बड़े दिल से करता है, और यूँ ही फाइल देखते देखते कब लंच हुआ, पता ही नहीं चला।

टेबल पर ही समीर ने लंच किया, और फिर फाइलों में बिजी हो गया। तभी एक फाइल में समीर के गड़बड़ नजर आई। ये तो आर्डर फाइल है, और इसकी आर्डर का माल भी रिसीव नहीं है, जबकी पेमैंट हो चुकी है। समीर को कुछ गड़बड़ नजर आई और समीर फाइल लेकर संजना मेम के आफिस में जा पहुँचा।

समीर- "मेम ये आर्डर फाइल है। इसमें हमारी कंपनी ने जो माल का आर्डर मल्होत्रा कंपनी को दिया था, उसकी रिसीव भी नहीं है और पेमेंट हो चुकी है। आप देखिए मेम..."

संजना- "बिल पास तो अमित शर्मा करता है। अकाउंटस से अमित को बुलाओ..."

अमित आ जाता है।
संजना- हाँ तो मिस्टर अमित ये बिल कैसे पास हुआ मल्होत्रा कंपनी का?

अमित घबरा गया। करीब 40 लाख का घोटाला हआ था। संजना ने अमित को पोलिस में दे दिया, और मल्होत्रा पर केस कर दिया।

संजना- “आई आम प्राउड आफ यू। वेल डन समीर। तुमने मेरा दिल जीत लिया..”

संजना समीर से बहुत प्रभावित हुई। एक ही दिन में समीर संजना को भा गया। समीर की भी शायद किश्मत खुल गई थी। वक्त समीर को कहां से कहां ले जायेगा।

तभी एक बहत ही प्यारी सी लड़की संजना के आफिस में आती है। समीर तो जैसे उस लड़की को देखकर नजरें हटाना ही नहीं चाहता था।

संजना- अरे... दिव्या आओ, कैसे आना हुआ?

दिव्या- दीदी आज आपने कोई प्रोग्राम बनाया था, भूल गई। .

संजना- ओहह... हाँ आज हमें आपको शापिंग करानी थी। यहां कंपनी में कुछ गड़बड़ हो गई थी। इसलिए याद नहीं रहा। अच्छा हुआ तुम आ गई। इनसे मिलो, ये हैं हमारी कंपनी के नये मैनेजर समीर।

समीर- हेलो मेडम।

दिव्या ने हाथमिलाया। समीर के हाथों में इस वक्त दिव्या के नरम-नरम हाथ थे। दिव्या के चेहरे पर भी बड़ी
सक्सी स्माइल आ रही थी।

संजना- चलो दिव्या चलते हैं।

समीर का दिल उस हसीन लड़की पर आ चुका था, एकदम पहली नजर का प्यार।
 
समीर का दिल उस हसीन लड़की पर आ चुका था, एकदम पहली नजर का प्यार।

समीर घर पहँच चका था, और अपने रूम में कपड़े चेंज कर रहा था। तभी नेहा ने रूम में एंट्री की। समीर इस वक्त सिर्फ अंडरवेर में था, और हाथ में लोवर पकड़े पहनने वाला था। नेहा की नजर अंडरवेर में लण्ड की शेप को देख रही थी। शायद समीर भी नेहा की नजर का पीछा करते हुए समझ चुका था और जल्दी से लोवर पहन लिया।

नेहा कातिल मुश्कान के साथ- “भइया कैसा रहा आज कंपनी का पहला दिन?"

समीर- बहुत अच्छा रहा और मम्मी कहां है? नजर नहीं आ रही।

नेहा- “वो मौसा जी का फोन आया था। आपके लिए कोई लड़की बता रहे थे। मम्मी भी फौरन तैयार हो गई। उसी लड़की को देखने गई हैं..."

समीर- पहले मुझसे तो पूछ लिया होता? मुझे अभी शादी नहीं करनी।

नेहा- क्यों भइया?

समीर- ऐसे ही... पहले तेरी शादी हो जाय, उसके बाद सोचेंगे।

नेहा- भइया मैं खाना लगा दूं?

समीर- हाँ लगा दे।

फिर दोनों ने मिलकर खाना खाया। और यू ही बातें करते हुए रात के 10:00 बज गये।

समीर- जाओ तुम अब अपने रूम में जाकर सो जाओ।

नेहा उठकर अपने रूम में चली गई, और नाइट ड्रेस पहनकर बेड पर लेट गई। मगर आज नेहा को नींद नहीं आने वाली थी। पापा मम्मी के घर में ना होने से भी एक डर सा लग रहा था। सोने की बहुत कोशिश कर रही थी, मगर आज तो नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी।

नेहा करीब 11:30 बजे अपने बेड से उठी और समीर के रूम में पहँच गई। समीर बेड पर लेटा मोबाइल में कैंडी गेम खेल रहा था। नेहा पर नजर गई, अफफ्फ... क्या नाइटी पहनकर आई थी नेहा।

नेहा- भइया मुझे आज अपने रूम में डर लग रहा है। क्या मैं आपके पास सो जाऊँ?

समीर- हाँ लेट जाओ।

नेहा समीर के साथ बेड पर लेट गई, और कहा- “भइया आपको अकेले नींद आ जाती है?"

समीर- हाँ आ जाती है।
 
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