hotaks444
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पड़ोसन का प्यार – भाग 1
(लेखक – कथा प्रेमी)
"तुम तो मुझसे कितनी ज़्यादा बड़ी हो उम्र मे शोभा दीदी. अच्छि ख़ासी ऊँची पूरी भी हो. मुझसे तीन चार इंच हाइट भी ज़्यादा है, वजन मुझसे दस बारह किलो ज़्यादा होगा. फिर भी तुम्हारा फिगर देखो कितना आकर्षक है" प्राची शोभा के भरे पूरे मासल शरीर की ओर प्रशंसा के भाव से देखते हुए बोली.
"वैसा कुछ नही है प्राची, हां मैं टिप टॉप रहती हूँ, कपड़े और ख़ासकर अंदर के कपड़े याने लिंगरी ठीक से चुनती हूँ, आधा काम बस ईसीसे हो जाता है" शोभा मुस्करा कर बोली.
दोनो औरतें दोपहर को प्राची के घर मे बैठ कर गप्पें लड़ा रही थी. शोभा को प्राची के बाजू वाले फ्लट मे रहने को आकर बस चाह महीने हुए थे. शोभा के पति दुबई मे काम पर थे. शोभा और उसकी सौतेली लड़की नेहा दोनो अकेले यहाँ रहते थे. यह फ्लॅट ख़ासकर नेहा के पापा ने इसी लिए लिया था कि अच्छि सोसाइटी थी और उन दोनो औरतों को अकेले वहाँ रहने मे कोई परेशानी नही होगी ऐसा उन्होने सोचा था.
प्राची ने अभी तीन महीने पहले अपनी बॅंक की नौकरी से इस्तीफ़ा दिया था, उसे अच्छ वीआरएस मिल गया था. प्राची के पति भी बॅंक मे थे और उनकी पोस्टिंग कानपुर मे हो गयी थी. इसलिए उनका यहाँ मुंबई आना बस साल मे तीन चार
बार होता था. उनके पुत्र दर्शन ने अभी अभी इंजिनियरिंग के पहले साल मे प्रवेश लिया था. प्राची बेचारी इसलिए दिन भर अकेली रहती थी. नयी सोसायटि होने के कारण उनके फ्लोर पर और कोई नही था, सब फ्लॅट खाली थे. प्राची को खाली समय काटने को दौड़ता था.
इसलिए शोभा जब से उसके पड़ोस मे रहने आई थी, तब से वह खुश थी. दोपहर को गप्पें मारने को कोई साथ तो मिल गया था. नेहा सुबह कॉलेज को निकल जाती थी तब शोभा भी अकेली रहती थी. इसलिए अब दोनो पड़ोसनों की अच्छि पटने लगी थी.
प्राची सैंतीस साल की थी. दिखने मे साधारण मझली उम्र की स्त्रियों जैसी ठीक ठाक थी. हां काफ़ी गोरी थी. शरीर मझोले किस्म का था, ना ज़्यादा मोटा ना पतला. असल मे प्राची काफ़ी स्लिम थी, पर उसके कूल्हे काफ़ी चौड़े थे. अपने स्थूल भारी भरकम नितंबों की वजह से वह थोड़ी मोटि दिखती थी, उसके बाकी के छरहरे बदन का इस वजह से पता नही चलता था.
(लेखक – कथा प्रेमी)
"तुम तो मुझसे कितनी ज़्यादा बड़ी हो उम्र मे शोभा दीदी. अच्छि ख़ासी ऊँची पूरी भी हो. मुझसे तीन चार इंच हाइट भी ज़्यादा है, वजन मुझसे दस बारह किलो ज़्यादा होगा. फिर भी तुम्हारा फिगर देखो कितना आकर्षक है" प्राची शोभा के भरे पूरे मासल शरीर की ओर प्रशंसा के भाव से देखते हुए बोली.
"वैसा कुछ नही है प्राची, हां मैं टिप टॉप रहती हूँ, कपड़े और ख़ासकर अंदर के कपड़े याने लिंगरी ठीक से चुनती हूँ, आधा काम बस ईसीसे हो जाता है" शोभा मुस्करा कर बोली.
दोनो औरतें दोपहर को प्राची के घर मे बैठ कर गप्पें लड़ा रही थी. शोभा को प्राची के बाजू वाले फ्लट मे रहने को आकर बस चाह महीने हुए थे. शोभा के पति दुबई मे काम पर थे. शोभा और उसकी सौतेली लड़की नेहा दोनो अकेले यहाँ रहते थे. यह फ्लॅट ख़ासकर नेहा के पापा ने इसी लिए लिया था कि अच्छि सोसाइटी थी और उन दोनो औरतों को अकेले वहाँ रहने मे कोई परेशानी नही होगी ऐसा उन्होने सोचा था.
प्राची ने अभी तीन महीने पहले अपनी बॅंक की नौकरी से इस्तीफ़ा दिया था, उसे अच्छ वीआरएस मिल गया था. प्राची के पति भी बॅंक मे थे और उनकी पोस्टिंग कानपुर मे हो गयी थी. इसलिए उनका यहाँ मुंबई आना बस साल मे तीन चार
बार होता था. उनके पुत्र दर्शन ने अभी अभी इंजिनियरिंग के पहले साल मे प्रवेश लिया था. प्राची बेचारी इसलिए दिन भर अकेली रहती थी. नयी सोसायटि होने के कारण उनके फ्लोर पर और कोई नही था, सब फ्लॅट खाली थे. प्राची को खाली समय काटने को दौड़ता था.
इसलिए शोभा जब से उसके पड़ोस मे रहने आई थी, तब से वह खुश थी. दोपहर को गप्पें मारने को कोई साथ तो मिल गया था. नेहा सुबह कॉलेज को निकल जाती थी तब शोभा भी अकेली रहती थी. इसलिए अब दोनो पड़ोसनों की अच्छि पटने लगी थी.
प्राची सैंतीस साल की थी. दिखने मे साधारण मझली उम्र की स्त्रियों जैसी ठीक ठाक थी. हां काफ़ी गोरी थी. शरीर मझोले किस्म का था, ना ज़्यादा मोटा ना पतला. असल मे प्राची काफ़ी स्लिम थी, पर उसके कूल्हे काफ़ी चौड़े थे. अपने स्थूल भारी भरकम नितंबों की वजह से वह थोड़ी मोटि दिखती थी, उसके बाकी के छरहरे बदन का इस वजह से पता नही चलता था.