hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
पड़ोसन का प्यार – भाग 5
(लेखक – कथा प्रेमी)
दर्शन की नींद रात को बारह बजे के करीब खुली. उसे बहुत भूख लगी थी. सिरहाने रखे सैंडविच और दूध देखकर उसे लगा कि शोभा मौसी सो गयी होगी. मा आई या नही इसका भी अंदाज़ा नही लग रहा था. खापीकर वह कमरे के बाहर निकला. सब तरफ अंधेरा था. कुछ घन्टे के आराम से उसकी सारी थकान दूर हो गयी थी. लंड भी फिर से खड़ा हो गया था. मा आज आने वाली है और उसके आने के बाद शोभा अपने वायदे के अनुसार मा के साथ उसका मिलन करवाएगी यह सोच सोच कर उसे और उत्तेजना हो रही थी. बस यही परेशानी थी कि मा को तो अब तक आ जाना था, पता नही कहाँ रहा गयी.
अचानक उसे शोभा के बेडरूम के दरवाजे के नीच से आती हुई हल्की रोशनी दिखी. याने शोभा मौसी जाग रही है अब तक! मज़ा आ गया. मा नही आई हो फिर भी मौसी के साथ तो आगे मस्ती करने को मिलेगी! उसने दरवाजा धकेला और अंदर घुस कर फिर लगा लिया.
"ले प्राची, आ गया तेरा लाड़ला. अब जमेगी जोड़ियाँ ठीक से!" शोभा की आवाज़ सुन कर उसने मूड कर कमरे मे देखा. उसकी नज़र डबल बेड पर गयी. शोभा ने उसे मा के बारे मे सब बता दिया था इसलिए उसे इतना शॉक भले ना लगा
हो फिर भी नारी नारी संभोग का वह दृश्य देखकर उसकी साँस ऊपर की ऊपर रह गयी. लंड और कुलबुला उठा. शोभा बिस्तर पर चित पड़ी थी और नेहा उसपर चढ़ कर डबल डिल्डो अपनी कमर मे बाँध कर उसे चोद रही थी. दोनो नंगी थी. काला काला रबड़ का डिल्डो शोभा की चूत मे सटासट अंदर बाहर हो रहा था. नेहा का वह नग्न सुंदर रूप देखकर उसके दिल मे ऐसी मीठी टीस उठी कि उसे वह सहन नही हुई. यह तो अप्सरा है अप्सरा उसने मन मे सोचा. डिल्डो सामने बँधा होने से भले ही नेहा की चूत ना दिख रही हो, उसकी वे गोरी चिकनी जांघें, वी मतवाले गोल मटोल नितंब और जवानी के जोश मे तन कर खड़ी ठोस चूचियाँ किसी विश्व सुंदरी के रूप से कम नही लग रहे थे. और उन दोनो के बगल मे प्राची, उसकी मा, अर्धनग्न अवस्था मे बैठी हुई थी. उसने काली ब्रा और पैंटी पहनी थी और झुक कर वह शोभा के चुंबन लेते हुए उसके मम्मे दबा रही थी. शोभा प्राची के होंठ चूसते हुए अपने हाथ को प्राची की पैंटी मे डालकर प्राची की बुर को सहला रही थी. माँ का यह मतवाला रूप देखकर दर्शन का लंड और ज़ोर से खड़ा गया. गोरे गोरे बदन पर फबती काली ब्रा और पैंटी के कारण मा उसे स्वर्ग की अप्सरा या देवी जैसी लग रही थी जो इस धरती पर सिर्फ़ उसे सुख देने को उतर आई हो.
शोभा ने उसे इशारे से पास बुलाया. दर्शन जाकर चुपचाप बिस्तर पर प्राची से थोड़ा दूर बैठ गया. मा की नज़रों से नज़रे मिलाने की हिम्मत उसे अभी नही हो रही थी. शोभने उसे अपने पास खींचा और ज़ोर से चूंम लिया "अब अपनी मा को ऐसा ही प्यारा चुंबन दे. अब क्यों शरमा रहा है? मेरे सामने तो मा के बारे मे क्या क्या बोलता था तू"
दर्शन ने शरमाते हुए प्राची की ओर देखा. प्राची तो अब इतनी गरम गयी थी कि शोभा और अपने बेटे के बीच की चूमा चाटि भी उसे सहन नही हो रही थी.
शोभा ने उसे जान बूझ कर पिछले दो घन्टे से प्यासा रखा था. "अब तो अपनी सब भूख प्यास अपने बेटे के लिए रख प्राची, वही बुझाएगा आज तेरे बदन की आग" ऐसा कहकर उसने प्राची को छेड़ा था. जान बूझ कर उसने प्राची को पूरा नंगा भी नही होने दिया था, ब्रा और पैंटी पहने रहने को कहा था. "यह तेरे अंतर्वस्त्र अब तेरा बेटा ही उतारेगा मेरी जान" उसने प्राची को समझाया था "बचपन मे कैसे उसे तू कैडबरि चाकलेट देती थी तो वो बड़े उत्साह से उसका रैपर निकालता था. अब तेरे इन अंतर्वस्त्रों के रैपर मे लिपटे तेरे गोरे चिकने बदन की यह एक बड़ी कैडबरि चाकलेट ही तो है तेरे बेटे के लिए, इस संसार की सबसे मीठी चाकलेट"
शोभा की इस बात को याद करते हुए प्राची ने दर्शन की ओर देखा और उसका मन एक अजीब सुख से मचल उठा. दर्शन की आँखों मे बिल्कुल ऐसी ही भावना थी. उसकी शरम को देखकर आख़िर प्राची ने ही पहल की. दर्शन को उसने अपने आगोश मे खींच लिया और उसे चूमने लगी "मेरे लाड़ले, मेरे लाल, सच मे मैं तुझे इतनी अच्छि लगती हूँ? अरे भोन्दु मुझे पहले क्यों नही कहा? शोभा ना बताती तो मुझे कभी विश्वास नही होता कि तू मुझपर इतना मरता है. और शोभा मौसी बता रही थी कि तू दो दिन मे एकदम एक्सपर्ट हो गया है?"
(लेखक – कथा प्रेमी)
दर्शन की नींद रात को बारह बजे के करीब खुली. उसे बहुत भूख लगी थी. सिरहाने रखे सैंडविच और दूध देखकर उसे लगा कि शोभा मौसी सो गयी होगी. मा आई या नही इसका भी अंदाज़ा नही लग रहा था. खापीकर वह कमरे के बाहर निकला. सब तरफ अंधेरा था. कुछ घन्टे के आराम से उसकी सारी थकान दूर हो गयी थी. लंड भी फिर से खड़ा हो गया था. मा आज आने वाली है और उसके आने के बाद शोभा अपने वायदे के अनुसार मा के साथ उसका मिलन करवाएगी यह सोच सोच कर उसे और उत्तेजना हो रही थी. बस यही परेशानी थी कि मा को तो अब तक आ जाना था, पता नही कहाँ रहा गयी.
अचानक उसे शोभा के बेडरूम के दरवाजे के नीच से आती हुई हल्की रोशनी दिखी. याने शोभा मौसी जाग रही है अब तक! मज़ा आ गया. मा नही आई हो फिर भी मौसी के साथ तो आगे मस्ती करने को मिलेगी! उसने दरवाजा धकेला और अंदर घुस कर फिर लगा लिया.
"ले प्राची, आ गया तेरा लाड़ला. अब जमेगी जोड़ियाँ ठीक से!" शोभा की आवाज़ सुन कर उसने मूड कर कमरे मे देखा. उसकी नज़र डबल बेड पर गयी. शोभा ने उसे मा के बारे मे सब बता दिया था इसलिए उसे इतना शॉक भले ना लगा
हो फिर भी नारी नारी संभोग का वह दृश्य देखकर उसकी साँस ऊपर की ऊपर रह गयी. लंड और कुलबुला उठा. शोभा बिस्तर पर चित पड़ी थी और नेहा उसपर चढ़ कर डबल डिल्डो अपनी कमर मे बाँध कर उसे चोद रही थी. दोनो नंगी थी. काला काला रबड़ का डिल्डो शोभा की चूत मे सटासट अंदर बाहर हो रहा था. नेहा का वह नग्न सुंदर रूप देखकर उसके दिल मे ऐसी मीठी टीस उठी कि उसे वह सहन नही हुई. यह तो अप्सरा है अप्सरा उसने मन मे सोचा. डिल्डो सामने बँधा होने से भले ही नेहा की चूत ना दिख रही हो, उसकी वे गोरी चिकनी जांघें, वी मतवाले गोल मटोल नितंब और जवानी के जोश मे तन कर खड़ी ठोस चूचियाँ किसी विश्व सुंदरी के रूप से कम नही लग रहे थे. और उन दोनो के बगल मे प्राची, उसकी मा, अर्धनग्न अवस्था मे बैठी हुई थी. उसने काली ब्रा और पैंटी पहनी थी और झुक कर वह शोभा के चुंबन लेते हुए उसके मम्मे दबा रही थी. शोभा प्राची के होंठ चूसते हुए अपने हाथ को प्राची की पैंटी मे डालकर प्राची की बुर को सहला रही थी. माँ का यह मतवाला रूप देखकर दर्शन का लंड और ज़ोर से खड़ा गया. गोरे गोरे बदन पर फबती काली ब्रा और पैंटी के कारण मा उसे स्वर्ग की अप्सरा या देवी जैसी लग रही थी जो इस धरती पर सिर्फ़ उसे सुख देने को उतर आई हो.
शोभा ने उसे इशारे से पास बुलाया. दर्शन जाकर चुपचाप बिस्तर पर प्राची से थोड़ा दूर बैठ गया. मा की नज़रों से नज़रे मिलाने की हिम्मत उसे अभी नही हो रही थी. शोभने उसे अपने पास खींचा और ज़ोर से चूंम लिया "अब अपनी मा को ऐसा ही प्यारा चुंबन दे. अब क्यों शरमा रहा है? मेरे सामने तो मा के बारे मे क्या क्या बोलता था तू"
दर्शन ने शरमाते हुए प्राची की ओर देखा. प्राची तो अब इतनी गरम गयी थी कि शोभा और अपने बेटे के बीच की चूमा चाटि भी उसे सहन नही हो रही थी.
शोभा ने उसे जान बूझ कर पिछले दो घन्टे से प्यासा रखा था. "अब तो अपनी सब भूख प्यास अपने बेटे के लिए रख प्राची, वही बुझाएगा आज तेरे बदन की आग" ऐसा कहकर उसने प्राची को छेड़ा था. जान बूझ कर उसने प्राची को पूरा नंगा भी नही होने दिया था, ब्रा और पैंटी पहने रहने को कहा था. "यह तेरे अंतर्वस्त्र अब तेरा बेटा ही उतारेगा मेरी जान" उसने प्राची को समझाया था "बचपन मे कैसे उसे तू कैडबरि चाकलेट देती थी तो वो बड़े उत्साह से उसका रैपर निकालता था. अब तेरे इन अंतर्वस्त्रों के रैपर मे लिपटे तेरे गोरे चिकने बदन की यह एक बड़ी कैडबरि चाकलेट ही तो है तेरे बेटे के लिए, इस संसार की सबसे मीठी चाकलेट"
शोभा की इस बात को याद करते हुए प्राची ने दर्शन की ओर देखा और उसका मन एक अजीब सुख से मचल उठा. दर्शन की आँखों मे बिल्कुल ऐसी ही भावना थी. उसकी शरम को देखकर आख़िर प्राची ने ही पहल की. दर्शन को उसने अपने आगोश मे खींच लिया और उसे चूमने लगी "मेरे लाड़ले, मेरे लाल, सच मे मैं तुझे इतनी अच्छि लगती हूँ? अरे भोन्दु मुझे पहले क्यों नही कहा? शोभा ना बताती तो मुझे कभी विश्वास नही होता कि तू मुझपर इतना मरता है. और शोभा मौसी बता रही थी कि तू दो दिन मे एकदम एक्सपर्ट हो गया है?"