Kamukta Story परिवार की लाड़ली - Page 2 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamukta Story परिवार की लाड़ली

काजल फिर से चीख पड़ी, पर उसको इस बार दर्द से ज्यादा सुख का अनुभव हो रहा था. वो दर्द और ख़ुशी के मिले जुले भाव में बोली- आह.. भैया..
रमेश- हाँ बहना..
काजल- चाहे मैं जितना भी रोऊँ.. चीखूँ.. मुझे जितना भी दर्द हो, आप रुकना मत.. आप चुदाई जारी रखना.. प्लीज..

रमेश उसकी इस बात से बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया और उसने जोर-जोर से धक्के मारना शुरू कर दिए. वो इतने जोर-जोर से धक्के मार रहा था कि काजल का पूरा शरीर इस चुदाई की वजह से आगे पीछे हो रहा था और उसकी कामुक सिसकारियों की आवाज़ भी काँप रही थी.
काजल- भाई.. आआहह.. आह.. पेलो.. बहुत मजा… आ… रहा.. है… प्लीज.. और जोर.. से.. चोदो.. अह.. मैं पागल हो जाऊँगी..

रमेश को काजल की ये बातें और उन्मादित करने लगी थीं और वो पूरे जोर की ताकत से धक्के लगाने लगा.
सुरेश और मयूरी अपना प्रेमालाप छोड़ कर रमेश और काजल की चुदाई का ये मनमोहक दृश्य एकटक देखे जा रहे थे. सुरेश अब मयूरी की मादक चूचियों पर अपनी जोर आजमाइश कर रहा था. वो अपनी पहली चुदाई में धीरे धीरे आगे बढ़ना चाहता था. वो अपने जीवन के सेक्स के ये पहले अनुभव को बड़े आराम से आनन्द लेना चाह रहा था. उसकी भाभी एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह इसमें उसका पूरा साथ दे रही थी. साथ ही साथ वो अपनी छोटी बहन की पहली चुदाई भी देखना और उसका लुत्फ़ उठाना चाह रहा था.

इधर करीब 15 मिनट की लगातार घनघोर चुदाई के बाद रमेश अब झड़ने वाला था. वो काजल को देखते हुए कहने लगा- काजल… मैं झड़ने वाला हूँ..
काजल- भाई.. आह आ… प्लीज.. मेरी चूत में ही झड़ना.. मैं आपके लंड के रस को अपनी चूत के अन्दर महसूस करना चाहती हूँ. तभी मेरी ये पहली चुदाई पूरी हो पाएगी.. प्लीज.. भैया…

काजल जैसे रमेश से अपनी चूत में झड़ने के लिए अनुरोध कर रही थी. उससे लग रहा था कि वो अपने सेक्स के इस अनुभव को पूरी तरह से एन्जॉय करना चाह रही थी.
रमेश के लिए ये चुदाई पहली नहीं थी, पर वो अपनी बहन की चूत को चोदते हुए सेक्स का एक अलग ही अनुभव कर रहा था. ऊपर से वो पहली बार किसी लड़की का सील तोड़ रहा था. उसने देखा कि उसके लंड पर थोड़ा थोड़ा खून लगा हुआ है, जो काजल की चूत की सील के टूटने के कारण लग गया था.

अब वो झड़ने वाला था. उसका शरीर धीरे धीरे अकड़ने लगा और उसने काजल की चूत में अपने प्यार की धारा को खोल दिया. उसने महसूस किया कि वो इससे ज्यादा कभी नहीं झड़ा. शायद मयूरी की चूत में भी कभी इतना नहीं झड़ा था.

उधर काजल को जैसे तृप्ति मिल गई हो. वो रमेश के लंड का पानी अपनी चूत में महसूस कर पा रही थी. उसने जोर से रमेश को पकड़ लिया और रमेश भी उसके ऊपर गिर गया. दोनों थक चुके थे.
 
इधर सुरेश ने अब अपने हाथों से मयूरी के चूत का रुख किया. उसने मयूरी की ब्लैक कलर की पैंटी को उसकी चूत के ऊपर से हटाया और देखा कि मयूरी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी. उसने आव देखा न ताव और अपनी भाभी की पैंटी को निकाल फेंका.
आज सुरेश को सौभाग्य से घर की दोनों औरतों की पैंटी खोलने का मौका मिला था.

मयूरी ने भी वक़्त न गंवाते हुए अपनी चूत को सुरेश के खड़े लंड पर सैट किया और ऊपर से ही सुरेश को चोदने लगी. सुरेश का लंड रमेश से थोड़ा बड़ा था और मयूरी बहुत चुदी होने के बावजूद भी एक टाइट चूत की मालकिन थी. उसको सुरेश का लंड अपनी चूत में लेने में थोड़ा सा दर्द हुआ, पर सुरेश का मोटा लंड एक ही बार में फिसलते हुए पूरा अन्दर चला गया.
अब धक्के लगाने की बारी मयूरी की थी. वो जोर-जोर से सुरेश की चुदाई करने लगी. सुरेश भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई के इस खेल में मयूरी का पूरा साथ देने लगा.

इधर काजल की बाँहों में पड़े पड़े थोड़ा सा आराम करने के बाद रमेश का लंड फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया. उसका लंड पहले की तरह फिर से खड़ा हो गया था.

रमेश काजल की आँखों में देखते हुए पूछने लगा- काजल, एक राउंड फिर से करें?
काजल- हाँ भैया, क्यों नहीं.. मैं तैयार हूँ. और मेरी चूत भी अपने भैया का लंड लेने के लिए रेडी है.

रमेश को जैसे ही काजल की तरफ से हरा सिग्नल मिला, उसने अपना लंड फिर से बहन की चूत पर सैट किया और एक झटका दे दिया. इस बार उसका लंड पहले झटके में ही बहन की चूत के अन्दर पूरा चला गया.

काजल उत्तेजना के मारे चिल्लाने लगी- आह.. माँआ… पूरा डाल दो भैया.. और जोर से चोदो मुझे.. फाड़ दो मेरी चूत को. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आज से ये चूत तुम्हारी है. मैं तुम्हारी बहन नहीं.. तुम्हारी दूसरी पत्नी हूँ. चाहो तो तुम मुझे अपनी रखैल बना लो.. पर जोर से चोदो मुझे..

कामुकता के प्रवाह में काजल बोली- मैं आज बहुत खुश हूँ कि मेरे बड़े भाई ने मुझे चोद कर मेरी सील खोली
काजल उत्तेजना के मारे कुछ भी बड़बड़ा रही थी. उसे अभी सिर्फ चुदाई चाहिए थी, वो भी निर्मम चुदाई.

अब इस घर के हॉल में लगे सोफे पर दो जोड़े जबरदस्त चुदाई में लगे हुए थे. दोनों जोड़ों की चुदाई के कारण हॉल में हच हच.. की आवाज़ें गूंज रही थीं. इन दो जोड़ों में एक भाई-बहन थे और दूसरा देवर-भाभी लंड चूत के खेल में लगे थे.
 
पर इस समय सब लोग सेक्स की भूख में अंधे हुए पड़े थे. उनको सिर्फ एक ही चीज़ चाहिए थी और वो थी चुदाई. उन्हें किसी बात की कोई परवाह नहीं थी.

पर उनको परवाह करनी चाहिए थी. उनको परवाह करनी चाहिए थी कि अब मोहनलाल (इन भाई-बहन का पिता और मयूरी का ससुर) घर आ चुका था और वो हॉल में दरवाज़े के पास खड़ा, ये दृश्य देख रहा था. वो देख रहा था कि उसके घर के अपने ही बच्चे आपस में चुदाई में व्यस्त थे.

इस घर के हॉल में लगे सोफे पर दो जोड़े जबरदस्त चुदाई में लगे हुए थे. दोनों जोड़ों की चुदाई के कारण हॉल में हच हच.. की आवाज़ें गूंज रही थीं. इन दो जोड़ों में एक भाई-बहन थे और दूसरा देवर-भाभी लंड चूत के खेल में लगे थे.

पर इस समय सब लोग सेक्स की भूख में अंधे हुए पड़े थे. उनको सिर्फ एक ही चीज़ चाहिए थी और वो थी चुदाई. उन्हें किसी बात की कोई परवाह नहीं थी.

पर उनको परवाह करनी चाहिए थी. उनको परवाह करनी चाहिए थी कि अब मोहन लाल (इन भाई-बहन का पिता और मयूरी का ससुर) घर आ चुका था और वो हॉल में दरवाज़े के पास खड़ा, ये दृश्य देख रहा था. वो देख रहा था कि उसके घर के अपने ही बच्चे आपस में चुदाई में व्यस्त थे.

अचानक काजल की नज़र अपने पापा पर पड़ी. उसके मुँह से आवाज़ ठीक से निकल नहीं पाई क्योंकि इस समय रमेश उसको बहुत ही तेज़ तेज़ धक्के लगाकर चोद रहा था. वो लगभग फिर से काजल की चूत में दुबारा झड़ने वाला था. पर काजल के मुँह से कांपती हुई आवाज़ निकली, जो डर और चुदाई की उत्तेजना से मिली जुली थी.

काजल- पा..पाआआ..?

रमेश की जोरदार चुदाई वाले धक्के की वजह से उसकी आवाज़ रुक रुक कर निकल पा रही थी. तभी, रमेश ने अपना वीर्य काजल की चूत में छोड़ दिया और उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसको अपने पिता के दर्शन हुए.

अब सुरेश और मयूरी भी दरवाजे की तरफ खड़े अपने पिता और ससुर को देखने लगे.

आज इस घर में बहुत बार अप्रत्याशित घटनाएं हो रही थीं. सुरेश और काजल के लिए ये तीसरी बार था, जब वो नाजायज चुदाई करते हुए पकड़े गए थे और रमेश के लिए दूसरी बार था.

सब फिर से चुप हो गए. कोई कुछ बोल नहीं रहा था. चुदाई और धक्के की आवाज़ें रुक गई थीं और सब एक दूसरे को देखने लगे.
 
आज इस घर में बहुत बार अप्रत्याशित घटनाएं हो रही थीं. सुरेश और काजल के लिए ये तीसरी बार था, जब वो नाजायज चुदाई करते हुए पकड़े गए थे और रमेश के लिए दूसरी बार था.

सब फिर से चुप हो गए. कोई कुछ बोल नहीं रहा था. चुदाई और धक्के की आवाज़ें रुक गई थीं और सब एक दूसरे को देखने लगे.

इस सन्नाटे के थोड़ी देर बाद मयूरी ने ही शुरुआत करने की सोची. इसके कई कारण थे. एक तो वो इस घर की बेटी नहीं थी, वो इस फैमिली से बाहर की लड़की थी, जबकि बाकियों के बीच में खून का रिश्ता था. दूसरा, वो ऐसे माहौल से निपटना पहले से ही जानती थी. उसको अपने मायके में अपने पिता और भाइयों से चुदाने के कारण इस तरह की स्थिति से निपटने का अनुभव था.

मयूरी धीरे से गम्भीरतापूर्वक ऐसे सामान्य लहजे में बोली, जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो- पापा.. आप आ गए?
फिर वो उठी और उसने अपनी ब्लैक कलर की पैंटी को उठा कर पहन लिया. उसने सबको शांत रहने का इशारा किया जैसे वो सब संभाल लेगी. फिर उसने पास ही पड़ा एक दुपट्टा उठाया जो 90% तक पारदर्शी था, उस दुपट्टे को उसने अपनी चूचियों पर डाला, जैसे उसको छुपाना चाहती हो. पर पारदर्शी होने के कारण कुछ भी नहीं छुपा और वो ये बात भली भांति जानती भी थी.

वो अपनी गांड मटकाते हुए मोहन लाल के पास गई और मुस्कुराते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली- आप आ गए पापा?

मयूरी मोहन लाल के इतने पास खड़ी थी कि वो चाहता तो उसकी चूचियों को पकड़ कर मसल देता, पर मोहन लाल ने ऐसा कुछ नहीं किया. वो कुछ भी नहीं बोला और चुपचाप खड़ा रहा पर उसकी आँखें नियत्रण में नहीं थीं. वो मयूरी की चूचियों को उसके पारदर्शी दुपट्टे के ऊपर से ताक रहा था.

मयूरी फिर बोली- दरवाज़ा अन्दर से बंद कर दिया पापा? क्योंकि मैं नहीं चाहती कि इस अवस्था में हमें कोई बाहर का आदमी देखे. ये हमारे घर की बात है, बाहर नहीं जानी चाहिए.
मोहन लाल कुछ नहीं बोला. वो एकटक मयूरी की उन दो मनमोहक चूचियों को देखता ही जा रहा था, ऐसे जैसे उनको नोंच खाएगा.

फिर मयूरी खुद ही दरवाज़े की तरफ बढ़ी और ऐसे झुकी जैसे पीछे से मोहन लाल को अपनी गांड के दर्शन करवाना चाहती हो और दरवाज़े को अन्दर से बंद करने की कोशिश करने लगी. इस कोशिश में उसने थोड़ा वक़्त लिया और अपनी गांड जानबूझ कर हिला हिला कर मटकाती रही.

मोहन लाल पीछे से मयूरी को ही देख रहा था. पैंटी में होने की वजह से उसको अपनी बहू की गांड इतनी कामुक लग रही थी कि अब तक उसके पायजामे के नीचे से उसका लंड टेंट बना चुका था.

मयूरी बहुत ही तेज़ तर्रार शातिर औरत थी. उसको मोहन लाल की स्थिति का पूरा पता चल गया था. उसने अंदाजा लगाया कि इस आदमी की उम्र 48 साल है और 7-8 साल पहले इसकी पत्नी गुजर चुकी है, इसका मतलब इसको बहुत सालों से चूत नहीं मिली है. ऐसे आदमी को अपने वश में करना बहुत मुश्किल काम नहीं था, ये बात मयूरी अच्छे तरह से जानती थी. चाहे वो उसका ससुर हो, पर सेक्स की भूख इंसान को रिश्तों को समझने के लायक नहीं छोड़ती.
 
मयूरी समझ गई थी कि इस 48 साल के आदमी ने अभी अभी अपने बच्चों आपस में सेक्स करते हुए देखा है और इसके मुँह से एक आवाज़ तक नहीं निकली थी, इसका मतलब ये जरूर कुछ न कुछ सोच रहा था, जोकि इस घर में हो रही चुदाई की पक्ष में था.

और मयूरी ने मोहन लाल के स्थिति का लगभग बिल्कुल सही अंदाजा लगाया था. वो बेचारा कई वर्षों से सेक्स का भूखा था. कुछ बात जिसका अंदाजा मयूरी नहीं लगा पा रही थी, वो था मोहन लाल का अतीत या उसका गुजरा हुआ कल.

मोहन लाल अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था. पर जब वो जवान थी तो उसको प्यार करने वाला वो अकेला इंसान नहीं था. मोहन लाल की पत्नी के पिता यानि के मोहन लाल के ससुर भी उसको उतना ही प्यार करते थे, जितना वो उसको करता था. मोहन लाल और उसकी पत्नी के पिता दोनों अक्सर मिल कर उसकी चुदाई किया करते थे. वैसे भी कई सालों तक मोहन लाल की पत्नी को दो लोगों से चुदने की आदत हो चुकी थी. वैसे वो चरित्रहीन नहीं थी, क्योंकि अपने पिता के एक दुर्घटना में गुजर जाने के बाद उसने किसी और मर्द की तरफ नज़र भी नहीं उठाया. पर जब तक वो जिन्दा थे, उसको चुदाई का मजा सबसे ज्यादा तभी आता था, जब उसके पिता और पति दोनों एक साथ उसको जोर जोर से चोदते थे.

मोहन लाल के इस राज का किसी को यहाँ पता नहीं था, क्योंकि उसकी पत्नी और ससुर पहले ही गुजर चुके थे. इन सब बातों की वजह से उसके लिए अपने परिवार के सदस्यों के बीच चुदाई कोई नई बात नहीं थी. वो इन सबको आपस में चुदाई करते हुए देख कर थोड़ा आश्चर्यचकित जरूर था, पर उसे कुछ बुरा नहीं लग रहा था.

इधर अपनी बहू मयूरी को देख देख कर वो अक्सर उसके नाम का मुठ मारा करता था. कितनी बार वो उसकी ब्रा पैंटी को चोरी-छुपे छू कर मजे लेते लेते मुठ मार लिया करता था.

और आज साक्षात् वही मयूरी उसके सामने नंगी खड़ी होकर उसको रिझा रही थी. उसको पता था कि थोड़ी ही देर में उसका लंड मयूरी की चूत की ठुकाई कर रहा होगा. ये सब उसके लिए जैसे सपने के साकार होने जैसा था.

कुछ पल बाद मयूरी दरवाजे को ठीक से अन्दर से बंद करने के बाद वापिस मोहन लाल के पास आई, उसने दुपट्टे का एक भाग अपने सर पर रखा और उसके पैर छूती हुई बोली.

मयूरी- बाबूजी, मुझे आशीर्वाद दीजिये.. अभी थोड़ी देर पहले ही मैं मंदिर से पूजा करके आई हूँ. बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद के बिना पूजा पाठ कभी पूरा नहीं होता.
मोहन लाल- बहू, ईश्वर तुमको दुनिया की सारी खुशियां दे.. तुम तो बहुत ही चरित्रवान हो, इस घर की देवी हो. अभी चुदाई करते करते भी तुमने मेरा कितना मान-सम्मान रखा. नंगी होने के वावजूद तुमने पहले अपनी पैंटी पहनी और अपनी चूचियों पर दुपट्टा डाला, उसके बाद ही मेरे पास आई. और अब इस अवस्था में भी मेरे से आशीर्वाद ले रही हो जबकि तुम्हें अच्छी तरह पता है कि कुछ ही देर में मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालकर तुम्हें जबरदस्त चोदने वाला हूँ. तुम्हें बहू के रूप में पाकर मैं धन्य हो गया!
 
मयूरी ने अपने ससुर का खड़ा लंड पकड़ते हुए कहा- बाबूजी, आप मुझे अपनी माशूका के रूप में पाकर और भी ज्यादा धन्य हो जाएंगे. बताइये बाबूजी, आप पहले मेरी चूचियों का मजा लेना चाहते हैं कि मैं आपके इस खड़े लंड को चूस चूस कर इसको सम्मान दूँ?
मोहन लाल- पहले मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का रस पियूँगा बहू. फिर उसके बाद ही कुछ करूँगा.

मोहन लाल ने अपने बच्चों की तरफ मुड़ते हुए कहा- काजल, तुम अपने दोनों भाइयों के लंड का मजा लो. मैं तुम्हारी चूत का शिकार थोड़ी देर में करूँगा. पहले मैं अपने सपने की इस परी से निपट लूँ.

यह सुन कर रमेश, सुरेश और काजल को मयूरी पर बड़ा ही गर्व महसूस हुआ और उन्होंने राहत की साँस ली. उन्होंने देखा कि मयूरी ने उनके पिता को पूरी तरह से अपने काबू में कर लिया है. अब घर में माहौल फिर से सामान्य हो गया था. यहाँ पर चुदाई का सैलाब आने वाला था.

अब दोनों भाइयों ने काजल को सोफे पर बीच में बिठाया और दोनों ने एक एक चूचियों को अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया. सुरेश ने काजल के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपनी जुबान उसके मुँह में डाल कर चलाने लगा. उसे थोड़ी देर पहले जो मयूरी ने सिखाया था, उस ज्ञान का वो सम्पूर्ण उपयोग कर रहा था.

इधर रमेश एक हाथ से काजल की चूत पर हमला किया जा रहा था और दूसरे हाथ से उसने उसकी एक चुची को संभाल रखा था. काजल अपने दोनों भाइयों के इस चौतरफे हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी. वो उत्तेजना के मारे जोर जोर से सांसे लेने लगी. उसकी धड़कनें अभी सड़क पर दौड़ती हुई किसी गाड़ी की रफ़्तार की तरह चल रही थीं. वो इस पल का पूरा आनन्द ले रही थी. उसको लग रहा था कि ईश्वर ने आज उसको छप्पर फाड़ के खुशियाँ दी हैं. उसको लग रहा था कि इतनी खुशियों की वजह से उसकी गांड फटने वाली है.

अगले ही पल सुरेश ने रमेश से कहा- भैया, मैं काजल की चूत में अपना लंड डाल कर उसको चोदना चाहता हूँ.
रमेश- जरूर मेरे भाई.. आज अपनी बहन को दिखा दो कि तुम उससे कितना प्यार करते हो.
और ऐसा कहकर रमेश ने काजल की चूत से हाथ हटा लिया.

सुरेश ने काजल की टांगों को फिर से फैलाया और उसकी चूत के छेद पर अपना लंड सैट करके धक्का लगाना चालू कर दिया. सुरेश का लंड रमेश के लंड से बड़ा होने की काजल के लिए फिर से थोड़ा मुश्किल हो रहा था, पर ज्यादा उत्तेजना के कारण वो फिर से झड़ गई और उसका चूत पानी से भर गया. इस वजह से उसकी चूत में चिकनाई बढ़ गई और सुरेश का बड़ा लंड आराम से अन्दर बाहर आने-जाने लगा. उसकी चूत से फिर से हच हच की आवाज़ आने लगीं.

रमेश ने काजल के मुँह का रुख किया और उसके मुँह पर बैठ गया. उसने काजल के मुँह में अपना लंड घुसाया और उसके मुँह को अपने लंड से चोदने लगा. अब काजल के मुँह और चूत दोनों लंड से घमासान चुदाई हो रही थी. वो तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी. क्योंकि ये दोनों लंड उसके अपने ही भाइयों के थे.
सुरेश उसकी चूत पर हमला करने के साथ साथ उसकी चूचियों को भी मसल रहा था. आज तीनों भाई बहन जैसे एक हो गए थे.
 
इधर मोहन लाल ने मयूरी के होंठों के रस का स्वाद लेते हुए पहले तो उसका दुपट्टा निकाल फेंका. फिर उसकी पैंटी को पकड़कर फाड़ दिया और उसके शरीर से अलग कर दिया. वो 48 साल का आदमी पता नहीं कहां से गजब की शारीरिक ताकत का प्रदर्शन कर रहा था.
मयूरी को ये सब कारगुजारियां एक नई उम्मीद दिला रही थीं कि ये नया लंड उसकी जम कर चुदाई करने वाला है.

फिर थोड़ी देर में मोहन लाल उसके नीचे बैठ गया. मयूरी को लगा कि शायद वो उसकी चूत चाटने वाला है. पर मोहन लाल के दिमाग में तो कुछ और चल रहा था. उसने मयूरी से कहा- बहू तुम पलट जाओ और झुक कर मुझे अपनी गांड की छेद के दर्शन करा दो..
मयूरी- जी बाबूजी..

मयूरी झट से पलट कर झुक गई और मोहन लाल को अपनी जानलेवा मक्खन जैसी गांड के दर्शन कराने लगी.
मोहन लाल ने मयूरी से कहा- बहू.. मैंने तेरी इस गांड के बहुत सपने देखे हैं. जिस दिन से मैंने तुमको रमेश के लिए पसंद किया था, उसी दिन से हमेशा ही सपना देखा है कि काश मुझे तुम्हारी ये गांड मारने को मिल जाए.
मयूरी- ओह बाबूजी.. मुझे आपकी इस भावना का जरा भी अंदाजा नहीं था, नहीं तो मैं आपको अपनी सुहागरात में ही अपनी गांड के दर्शन करवा देती. खैर अब ये पूरी तरह आपका छेद है और आपके लंड के सामने है.
 
मोहन लाल ने मयूरी की गांड के छेद को अपने दोनों हाथों से चौड़ा किया और उसको अपनी नाक नजदीक ले जाकर सूंघने लगा. उसकी गांड की गंध उसको एक अजीब सा नशे का एहसास कराने लगी. फिर ससुर मोहन लाल ने अपनी जुबान बहू मयूरी की गांड के छेद पर रख दी और जुबान गांड के छेद पर चलाने लगा.

मयूरी इस बात के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी, उसे इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि उसका बूढ़ा ससुर ऐसे पैंतरे भी अपनाएगा. वो एकदम से उत्तेजना के मारे पागल हो उठी और कामुक सिसकारियां लेने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… बाआ…बू…जी.. आप.. तो. मेरी. जान.. ही.. निकाल.. देंगे…
मोहन लाल- अभी कहां बहू.. अभी तो बहुत कुछ बाकी है.
यह कहते हुए मोहन लाल ने अपनी दो उंगलियां मयूरी की चूत में डाल दीं और और अन्दर बाहर करते हुए उंगलियों से उसकी चूत को चोदने लगा. साथ ही साथ वो उसकी गांड को अपनी जुबान से चाट भी रहा था.

इधर काजल की हालत ख़राब हुई जा रही थी. वो अब तक पता नहीं कितनी बार झड़ चुकी थी. उसकी चूत और मुँह दोनों एक साथ दो लंडों से, जो कि उसके अपने ही सगे भाइयों के लंड थे.. चुदाई हो रही थी.
फिर करीब 12-15 मिनट की लगातार चुदाई के बाद दोनों भाई एक साथ झड़ गए. रमेश ने अपनी लंड का पानी काजल के मुँह में ही निकाल दिया और काजल ने वो सारा वीर्य गटागट करके पी लिया. वो अपने बड़े भाई के लंड से निकला वीर्य का एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी, उसे ये वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. सुरेश ने भी अपना सारा वीर्य काजल की चूत में ही डाल दिया. काजल ने फिर से एक बार अपनी चूत में लंड से निकला हुआ गरमागर्म वीर्य महसूस किया, पर इस बार ये वीर्य उसके छोटे भैया के लंड से निकला हुआ था. दोनों भाई काजल के अगल बगल में गिर गए और अब तीनों भाई बहन आराम करने लगे थे.
इधर मोहन लाल की उंगलियों और जुबान के लगातार प्रहार से मयूरी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और और इतनी देर में एक बार झड़ चुकी थी. मोहन लाल ने उसकी चूत से निकले हुए पानी का एक-एक बूँद को चाट लिया था.

अब मोहन लाल ने लगभग आदेश देते हुए काजल को अपने पास बुलाते हुए कहा- काजल बेटी.
काजल- जी पापा?
मोहन लाल- अपने भाइयों को छोड़ो और इधर आओ. अपने बाप के लंड से भी थोड़ा परिचय कर लो.
काजल- जी पापा.. अभी आती हूँ.
 
यह कहते हुए काजल एक अच्छे बच्चे की तरह अपने पापा के आदेश का पालन किया. वो उठी और उनकी तरफ चल दी. फिर मोहन लाल के मन में कुछ ख्याल आया, वो मुस्कुराया और उसने काजल को रोका- पर रुको.. मैं ही वहां आता हूँ. चलो बहू.. सोफे के पास चलते हैं.
मयूरी- जी बाबू जी..

मयूरी ने मोहन लाल के कमर में हाथ डाला जैसे दोनों प्रेमी प्रेमिका हों और दोनों सोफे के तरफ बढ़े. रमेश और सुरेश ने अपने पापा के लिए वहां जगह बनाई और मोहन लाल बीच में बैठ गया. फिर मोहन लाल का आदेश जारी हुआ- बहू और काजल.. अब तुम दोनों मिलकर एक साथ मेरा लंड चूसो.. मैं अपनी बहू और बेटी दोनों को एक साथ अपना लंड चूसते हुए देखना चाहता हूँ.

काजल और मयूरी मोहन लाल के आदेश का पालन किया और उसके लंड को एक साथ चूसने लगीं. उनके होंठ कभी कभी आपस में टकरा रहे थे, पर दोनों जैसे प्रतिस्पर्धा कर रही थीं कि कौन ज्यादा से ज्यादा इस लंड को चूस सकती है.
मोहन लाल ने दोनों को चूसते हुए देखकर उनके सर पे हाथ रखते हुए कहा- सदा खुश रहो मेरे बच्चों.. आज तुम दोनों ने मुझे जीते जी स्वर्ग का एहसास करा दिया है.

फिर मोहन लाल ने रमेश और सुरेश को देखते हुए कहा- तुम्हें पता है? तुम्हारी माँ को मैं और तुम्हारे नाना एक साथ चोदा करते थे. और तुम्हारी माँ को हम दोनों से एक साथ चुदवाना बहुत अच्छा लगता था. आज अगर वो जिन्दा होती, तो ये सब देख कर बहुत खुश होती. वो तुम दोनों से भी चुदवाने की इच्छा रखती थी, पर ये बात वो कभी तुम्हें बता नहीं पाई और वक़्त से पहले ही गुजर गई.
सुरेश- पापा.. ये क्या कह रहे हैं आप? आप और नाना एक साथ माँ को चोदते थे?
रमेश- और माँ हमसे भी चुदना चाहती थी? तो ये बात उसने कभी बताया क्यों नहीं.. हम तो ख़ुशी-खुशी उसको चोद देते पापा..!
मोहन लाल- घर में एक बेटी भी थी और हम तुम लोगों के सामने कभी सेक्स को लेकर इतना सहज नहीं हो पाए बेटा. आज उसकी आत्मा को जरूर शांति मिल जाएगी.

इधर मयूरी सोच रही है कि ‘उसके अपने पापा और भाइयों से चुदना..’ और ‘उसके दोनों भाइयों का अपनी माँ को चोदना..’ कोई बड़ी बात नहीं थी. ये तो शायद हर घर में होता है, बस कोई किसी को बताता नहीं है. इतनी देर में उसको ये तो समझ आ गया था कि हर बाप अपनी जवान बेटी को चोदने की इच्छा रखता है, हर भाई अपनी बहन को चोदना चाहता है, हर बेटी और बहन अपने बाप और भाई से चुदवाना चाहती है. बस कोई शुरुआत नहीं कर पाता.
 
मोहन लाल ने आगे बोला- तुम्हारे नाना और मैं तुम्हारी माँ को इतना चोदते थे कि हमें आज तक नहीं पता कि तुम दोनों मेरे बेटे हो कि अपने नाना के हो. हाँ पर मुझे ये पता है कि काजल मेरी बेटी है क्योंकि इसके जन्म के 2 साल पहले ही तुम्हारे नाना गुजर गए थे.

रमेश और सुरेश को ये सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ. फिर कुछ सोचते हुए रमेश ने कहा- मतलब कि आप रिश्ते में हमारे पापा भी हो सकते है और जीजा भी. क्योंकि अगर हम नाना के वीर्य से पैदा हुए हैं तो हमारी माँ तो हमारी बहन भी हुई ना.. और इस हिसाब से आप हमारे जीजा जी हुए.
मोहन लाल- हाँ.. कह सकते हो.

सुरेश- तो जीजाजी साब.. आज बेटीचोद बनकर कैसा लग रहा है?
मोहन लाल ने थोड़ा असहज होते हुए कहा- क्या..??
सुरेश- देखो पापा, अगर आप हमारे जीजा हुए तो मैं आपको कभी कभी जीजा तो बुला ही सकता हूँ.. और आप मेरी माँ के पति हैं तो आप मेरे पिता भी हुए. फिर आप मेरे सामने ही अपनी बेटी की चुदाई कर रहे हैं तो आप बेटीचोद तो हुए ही..?
मोहन लाल- हाँ बेटा.. वैसे बात तो सही है.
रमेश ने मजाक में कहा- तो जीजा मोहन लाल जी.. कैसा लग रहा है बेटी को चोदते हुए??

सब हंसने लग लगे.. काजल और मयूरी भी लंड चूसना छोड़कर कर इस ठहाके में इनका साथ देने लगीं.

खैर, काजल और मयूरी फिर से मोहन लाल का लंड चूसने में लग गईं. मोहन लाल का लंड सुरेश के लंड के ही साइज का था. वो दोनों कभी उसका सुपारा चूसतीं, कभी लंड चचोरतीं.
काजल और मयूरी को अपने बाप का लंड चूसते हुए देख कर फिर से रमेश और सुरेश के लंड खड़े हो गए. उनके लंड फिर से एक बार चुदाई की मांग कर रहे थे.
रमेश काजल और मयूरी से बोला- काजल, मयूरी.. तुम दोनों प्लीज घोड़ी बन जाओ और उसी पोज़ में पापा का लंड चूसो.

दोनों ख़ुशी ख़ुशी घोड़ी बन गईं और अपनी अपनी गांड मटका मटका कर लंड चुसाई के मजे लगीं. रमेश ने अपनी बहन काजल की चूत में पीछे से लंड डाल दिया और सुरेश ने अपनी भाभी मयूरी की चूत में लंड पेल दिया.
अब दृश्य बड़ा ही मनमोहक हो गया था.

सबसे आगे बाप मोहन लाल सोफे पर बैठा था और उसकी बहू और बेटी घोड़ी बनके उसका लंड चूस रही थीं. दोनों की गोल-गोल चूचियां लटक रही थीं और और हिल रही थीं. उसके पीछे उसके दोनों बेटों में से एक अपनी बहन की चूत चोद रहा था और दूसरा अपनी भाभी की चूत मार रहा था. घोड़ी के स्टाइल में होने की वजह से दोनों की चूत थोड़ी और टाइट हो गई थी और उनको चोदने वाले लंड जल्दी ही लगभग 7-8 मिनट की चुदाई में ही झड़ गए.
 
Back
Top