hotaks444
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ये कहानी है एक भिखारी की काली जिंदगी के बारे मे...जिसका नाम है गंगू.. पर लोग इसे लंगड़ा भिखारी कहते हैं, क्योंकि वो अपने दाँये पैर से लंगड़ा कर चलता है, मैले -कुचेले कपड़े, घनी दादी, लंबे और उलझे हुए बॉल, चेहरा बिल्कुल काला , जिसे उसने ना जाने कितने समय से धोया ही नही है..
शहर के बीचो बीच बने रेलवे स्टेशन की पटरी से लगी हुई झुग्गी झोपड़ी की कॉलोनी मे वो रहता था, महीने के 1200 देकर..दिन भर मे जो भी वो भीख माँगकर कमाता, उसकी दारू पीता , जुआ खेलता, कभी-2 रंडियों के पास भी जाता ....
वो पूरे दिन चिलचिलाती धूप मे, सड़कों पर, रेड लाइट पर, ऑफिसों के बाहर भीख माँगता रहता था, कोई उसको खाने के लिए देता और कोई उसको पैसे देकर उसकी मदद करता..ऐसे ही चल रही थी उसकी जिंदगी..
पर एक दिन एक हादसे ने गंगू की जिंदगी ही बदल दी..
रात का समय था, लगभग 2 बजे थे, गंगू अपनी भीख से इकट्ठे हुए पैसों को शराब और चिकन मे उड़ा कर अपनी झोपड़ी की तरफ जा रहा था की अचानक उसने देखा की एक तेज रफ़्तार से आती हुई कार सड़क के बीचो बीच बने डिवाइडर से जा टकराई और बीच की रेलिंग तोड़ती हुई एक जगह पर जाकर रुक गयी ..
गंगू का सारा नशा हवा हो गया..
वो कार की तरफ भागने लगा की अचानक उसे एक लड़की के चीखने की आवाज़ आई, कार का अगला दरवाजा खुला और उसमे से एक लड़की, जो बुरी तरहा से लहू लुहान थी , वो निकली और उसके पीछे-2 एक मोटा सा आदमी भी निकला, जिसके सिर से भी हल्का खून निकल रहा था
उस मोटे आदमी ने लड़की की टाँग पकड़ी और उसकी सलवार पकड़ कर फाड़ डाली..उसकी गोटी-2 टांगे नंगी हो गयी, खून निकलने की वजह से वो कमजोर सी लग रही थी और सही ढंग से अपना बचाव भी नही कर पा रही थी..
गंगू समझ गया की वो मोटा आदमी उसका रेप करना चाहता है, और रेप शब्द उसके जहन मे आते ही उसका खून खोलने लगा और वो पागलो की तरह भागता हुआ उस तरफ आ गया, उसने एक्सीडेंट की वजह से टूटे हुए डिवाईडर के लोहे का सरिया उठा लिया और खींचकर उसने एक जोरदार प्रहार उस मोटे आदमी की पीठ पर कर दिया..
वो पहले से ही ज़ख्मी था, इस वार से वो तिलमिला उठा..
लड़की अपने ही खून मे लिपटी पड़ी थी, उसने एक नज़र भिखारी को देखा और फिर वो बेहोशी के आगोश मे डूबती चली गयी..
मोटे आदमी ने जब देखा की भिखारी उसे मारने के लिए फिर से अपना हाथ उठा रहा है तो वो अपनी कार मे बैठा और भाग खड़ा हुआ...
पीछे रह गयी वो लड़की..जिसके सिर से काफ़ी खून निकल रहा था.
उसने आस पास देखा, सड़क किनारे एक रिक्शे वाला सो रहा था, उसने जल्दी से जाकर उसे उठाया, पहले तो उसने एक्सीडेंट वाला केस समझ कर मना किया, पर गंगू ने जब अपना रुद्र रूप दिखाकर उसे डराया तो वो मान गया, और गंगू ने उस लड़की को उठा कर रिक्शे पर लादा और हॉस्पिटल ले गया
सरकारी अस्पताल था, इसलिए ज़्यादा पूछताछ नही हुई..लड़की को फर्स्ट ऐड देकर एक कमरे मे पहुँचा दिया गया, गंगू भी उसके साथ ही था..
अगली सुबह जब उसको होश आया तो डॉक्टर्स ने उसकी जाँच की, उसके बारे मे पूछा, पर वो चुपचाप लेटी रही, किसी भी बात का जवाब नही दिया उसने..बस अपनी आँखे शून्य मे घुमाती रही..
डॉक्टर ने गंगू को अपने केबिन मे बुलाया
डॉक्टर : "तुम कौन लगते हो इस लड़की के ...''
गंगू इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही था...उसके मुँह से अचानक निकल गया : "जी ...मेरी रिश्तेदार है ..''
डॉक्टर ने उसे उपर से नीचे तक देखा, डॉक्टर को विश्वास तो नहीं हुआ पर कुछ बोला भी नही..
कुछ देर बाद उसने एक एक्सरे स्क्रीन पर लगा कर दिखाया और बोला : "देखो, इसके सिर पर अंदर तक चोट आई है...वैसे तो घबराने की कोई बात नही है, पर मुझे लगता है की ये अपनी यादश्त खो बैठी है...इसको अपने बारे मे कुछ भी याद नही है ...''
गंगू की समझ मे कुछ भी नही आ रहा था...वो डॉक्टर की बातें सुनता रहा..
डॉक्टर : "अभी तो आप इसको घर ले जा सकते हैं, पर इसकी पट्टियां करवाने के लिए और चेकअप के लिए इसको हर दो दिन के बाद लेकर आना.."
वो चुपचाप उठा और वापिस उस लड़की के पास आ गया.
वो उसे देखकर कुछ याद करने की कोशिश कर रही थी ...पर सब बेकार..
आख़िर गंगू ने उससे पूछा : "तुम कौन हो ...क्या नाम है तुम्हारा ...''
लड़की ने पहली बार अपने मुँह से वो शब्द निकाले : "मुझे कुछ याद नही है ....मेरा नाम क्या है ...मुझे याद नही आ रहा ...''
और इतना कहकर वो अपना सिर पकड़कर रोने लगी...शायद उसे दर्द हो रहा था वहाँ..
गंगू उठकर उसके पास गया और उसे चुप कराया, उसे पानी का गिलास दिया.
शाम तक नर्स ने उसे देने की दवाइयाँ एक लिफाफे मे डाल कर दी और बोली की अब तुम लोग घर जा सकते हो.
गंगू उस लड़की को लेकर बाहर आ गया.
एक बार तो उसने सोचा की इसको लेकर पुलिस स्टेशन चले जाना चाहिए..पर फिर उसके दिमाग़ मे छुपे शैतान ने कहा की ऐसे माल को तू ऐसे ही अपने हाथ से क्यो जाने देना चाहता है ...ले चल इसको अपने घर..और मज़े ले इसके साथ..
और फिर गंगू ने मन ही मन निश्चय कर लिया और उसको लेकर अपने साथ चल पड़ा..
वो जहाँ रहता था, उसकी झोपड़ी के आस पास ज़्यादातर दूसरे भिखारियों की झोपडिया थी, जो अपने सिर और पैरों पर नकली चोट और पट्टियाँ लगाकर सहानभूति बटोरते और भीख माँगते थे..
उस लड़की की हालत भी कुछ ऐसी ही हो रही थी अभी..
सिर पर पट्टी बँधी थी..कपड़े मैले कुचेले से हो गये थे...सलवार की जगह एक पुराना सा पायज़ामा पहना हुआ था उसने जो हॉस्पिटल से ही मिला था ..कुल मिलाकर वो भी अब उनकी तरह ही लग रही थी..
फ़र्क था तो बस उसके गोरे रंग का..जो उसे अलग ही दर्शा रहा था .
गंगू उसको लेकर अपनी कॉलोनी मे पहुँच गया..
अंदर जाते हुए हर कोई उसको और उस लड़की को घूर रहा था..एक-दो ने तो पूछ भी लिया ''कहा से लाया है ये माल गंगू..''
पर उसने किसी की बात का जवाब नही दिया..और उसे लेकर अपने झोपडे पर पहुँच गया..
दरवाजा बंद करके उसने लड़की को चारपाई पर बिठाया और झोपड़ी मे कुछ खाने पीने का समान ढूंढने लगा...पर वहाँ कुछ होता तभी मिलता ना, वो ढूँढने की एक्टिंग कर ही रहा था की अचानक बाहर का दरवाजा खड़का, उसने जैसे ही दरवाजा खोला, बाहर लगी भीड़ को देखकर घबरा गया.
बाहर कॉलोनी का ठेकेदार यानी मालिक खड़ा था और साथ मे आस पड़ोस के काफ़ी लोग भी थे..
शहर के बीचो बीच बने रेलवे स्टेशन की पटरी से लगी हुई झुग्गी झोपड़ी की कॉलोनी मे वो रहता था, महीने के 1200 देकर..दिन भर मे जो भी वो भीख माँगकर कमाता, उसकी दारू पीता , जुआ खेलता, कभी-2 रंडियों के पास भी जाता ....
वो पूरे दिन चिलचिलाती धूप मे, सड़कों पर, रेड लाइट पर, ऑफिसों के बाहर भीख माँगता रहता था, कोई उसको खाने के लिए देता और कोई उसको पैसे देकर उसकी मदद करता..ऐसे ही चल रही थी उसकी जिंदगी..
पर एक दिन एक हादसे ने गंगू की जिंदगी ही बदल दी..
रात का समय था, लगभग 2 बजे थे, गंगू अपनी भीख से इकट्ठे हुए पैसों को शराब और चिकन मे उड़ा कर अपनी झोपड़ी की तरफ जा रहा था की अचानक उसने देखा की एक तेज रफ़्तार से आती हुई कार सड़क के बीचो बीच बने डिवाइडर से जा टकराई और बीच की रेलिंग तोड़ती हुई एक जगह पर जाकर रुक गयी ..
गंगू का सारा नशा हवा हो गया..
वो कार की तरफ भागने लगा की अचानक उसे एक लड़की के चीखने की आवाज़ आई, कार का अगला दरवाजा खुला और उसमे से एक लड़की, जो बुरी तरहा से लहू लुहान थी , वो निकली और उसके पीछे-2 एक मोटा सा आदमी भी निकला, जिसके सिर से भी हल्का खून निकल रहा था
उस मोटे आदमी ने लड़की की टाँग पकड़ी और उसकी सलवार पकड़ कर फाड़ डाली..उसकी गोटी-2 टांगे नंगी हो गयी, खून निकलने की वजह से वो कमजोर सी लग रही थी और सही ढंग से अपना बचाव भी नही कर पा रही थी..
गंगू समझ गया की वो मोटा आदमी उसका रेप करना चाहता है, और रेप शब्द उसके जहन मे आते ही उसका खून खोलने लगा और वो पागलो की तरह भागता हुआ उस तरफ आ गया, उसने एक्सीडेंट की वजह से टूटे हुए डिवाईडर के लोहे का सरिया उठा लिया और खींचकर उसने एक जोरदार प्रहार उस मोटे आदमी की पीठ पर कर दिया..
वो पहले से ही ज़ख्मी था, इस वार से वो तिलमिला उठा..
लड़की अपने ही खून मे लिपटी पड़ी थी, उसने एक नज़र भिखारी को देखा और फिर वो बेहोशी के आगोश मे डूबती चली गयी..
मोटे आदमी ने जब देखा की भिखारी उसे मारने के लिए फिर से अपना हाथ उठा रहा है तो वो अपनी कार मे बैठा और भाग खड़ा हुआ...
पीछे रह गयी वो लड़की..जिसके सिर से काफ़ी खून निकल रहा था.
उसने आस पास देखा, सड़क किनारे एक रिक्शे वाला सो रहा था, उसने जल्दी से जाकर उसे उठाया, पहले तो उसने एक्सीडेंट वाला केस समझ कर मना किया, पर गंगू ने जब अपना रुद्र रूप दिखाकर उसे डराया तो वो मान गया, और गंगू ने उस लड़की को उठा कर रिक्शे पर लादा और हॉस्पिटल ले गया
सरकारी अस्पताल था, इसलिए ज़्यादा पूछताछ नही हुई..लड़की को फर्स्ट ऐड देकर एक कमरे मे पहुँचा दिया गया, गंगू भी उसके साथ ही था..
अगली सुबह जब उसको होश आया तो डॉक्टर्स ने उसकी जाँच की, उसके बारे मे पूछा, पर वो चुपचाप लेटी रही, किसी भी बात का जवाब नही दिया उसने..बस अपनी आँखे शून्य मे घुमाती रही..
डॉक्टर ने गंगू को अपने केबिन मे बुलाया
डॉक्टर : "तुम कौन लगते हो इस लड़की के ...''
गंगू इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही था...उसके मुँह से अचानक निकल गया : "जी ...मेरी रिश्तेदार है ..''
डॉक्टर ने उसे उपर से नीचे तक देखा, डॉक्टर को विश्वास तो नहीं हुआ पर कुछ बोला भी नही..
कुछ देर बाद उसने एक एक्सरे स्क्रीन पर लगा कर दिखाया और बोला : "देखो, इसके सिर पर अंदर तक चोट आई है...वैसे तो घबराने की कोई बात नही है, पर मुझे लगता है की ये अपनी यादश्त खो बैठी है...इसको अपने बारे मे कुछ भी याद नही है ...''
गंगू की समझ मे कुछ भी नही आ रहा था...वो डॉक्टर की बातें सुनता रहा..
डॉक्टर : "अभी तो आप इसको घर ले जा सकते हैं, पर इसकी पट्टियां करवाने के लिए और चेकअप के लिए इसको हर दो दिन के बाद लेकर आना.."
वो चुपचाप उठा और वापिस उस लड़की के पास आ गया.
वो उसे देखकर कुछ याद करने की कोशिश कर रही थी ...पर सब बेकार..
आख़िर गंगू ने उससे पूछा : "तुम कौन हो ...क्या नाम है तुम्हारा ...''
लड़की ने पहली बार अपने मुँह से वो शब्द निकाले : "मुझे कुछ याद नही है ....मेरा नाम क्या है ...मुझे याद नही आ रहा ...''
और इतना कहकर वो अपना सिर पकड़कर रोने लगी...शायद उसे दर्द हो रहा था वहाँ..
गंगू उठकर उसके पास गया और उसे चुप कराया, उसे पानी का गिलास दिया.
शाम तक नर्स ने उसे देने की दवाइयाँ एक लिफाफे मे डाल कर दी और बोली की अब तुम लोग घर जा सकते हो.
गंगू उस लड़की को लेकर बाहर आ गया.
एक बार तो उसने सोचा की इसको लेकर पुलिस स्टेशन चले जाना चाहिए..पर फिर उसके दिमाग़ मे छुपे शैतान ने कहा की ऐसे माल को तू ऐसे ही अपने हाथ से क्यो जाने देना चाहता है ...ले चल इसको अपने घर..और मज़े ले इसके साथ..
और फिर गंगू ने मन ही मन निश्चय कर लिया और उसको लेकर अपने साथ चल पड़ा..
वो जहाँ रहता था, उसकी झोपड़ी के आस पास ज़्यादातर दूसरे भिखारियों की झोपडिया थी, जो अपने सिर और पैरों पर नकली चोट और पट्टियाँ लगाकर सहानभूति बटोरते और भीख माँगते थे..
उस लड़की की हालत भी कुछ ऐसी ही हो रही थी अभी..
सिर पर पट्टी बँधी थी..कपड़े मैले कुचेले से हो गये थे...सलवार की जगह एक पुराना सा पायज़ामा पहना हुआ था उसने जो हॉस्पिटल से ही मिला था ..कुल मिलाकर वो भी अब उनकी तरह ही लग रही थी..
फ़र्क था तो बस उसके गोरे रंग का..जो उसे अलग ही दर्शा रहा था .
गंगू उसको लेकर अपनी कॉलोनी मे पहुँच गया..
अंदर जाते हुए हर कोई उसको और उस लड़की को घूर रहा था..एक-दो ने तो पूछ भी लिया ''कहा से लाया है ये माल गंगू..''
पर उसने किसी की बात का जवाब नही दिया..और उसे लेकर अपने झोपडे पर पहुँच गया..
दरवाजा बंद करके उसने लड़की को चारपाई पर बिठाया और झोपड़ी मे कुछ खाने पीने का समान ढूंढने लगा...पर वहाँ कुछ होता तभी मिलता ना, वो ढूँढने की एक्टिंग कर ही रहा था की अचानक बाहर का दरवाजा खड़का, उसने जैसे ही दरवाजा खोला, बाहर लगी भीड़ को देखकर घबरा गया.
बाहर कॉलोनी का ठेकेदार यानी मालिक खड़ा था और साथ मे आस पड़ोस के काफ़ी लोग भी थे..