hotaks444
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इक़बाल बोला : "गंगू, मुझे टाइम और पैसे की उतनी ही कदर है, जितनी सही आदमी की..और तू एक सही आदमी है ,और मेरे पास एक ऐसा काम है जो तू अच्छी तरह से कर सकता है..''
गंगू पूरा ध्यान लगाकर उसकी बातें सुनने लगा..
इक़बाल ने अपनी जेब से हज़ार के नोटो की एक गड्डी निकाली और उसके सामने रख दी...
इक़बाल : "ये तू रख ले अभी...बाद मे और भी दूँगा..''
गंगू की आँखे फैल गई, एक लाख रुपए अपने सामने देख कर..वो बोला : "पर ... काम क्या है..''
इक़बाल : "पिछले महीने मैने एक लड़की खरीदी थी...दुबई से ...बिल्कुल कच्चा माल था वो...कुँवारी..खूबसूरत... और ऐसी ही लड़कियाँ मेरी कमज़ोरी है... पर वो जो थी ना, उस जैसा कोई हो ही नही सकता था... पूरे डेढ़ करोड़ मे खरीदा था उसको..और जब उसको लेकर वापिस इंडिया आया, तो रास्ते में ही वो भाग गयी... बस तब से उसके लिए तड़प रहा हूँ ...''
गंगू समझने की कोशिश करने लगा..वो बोला : "पर इसमे मैं क्या कर सकता हू...ये तो पुलिस का काम है...वो ज़्यादा जल्दी उसको ढूंड सकती है..''
उसकी बात सुनकर नेहाल और इक़बाल दोनो हँसने लगे , नेहाल बोला : "गंगू.... हमारे धंधे मे पुलिस की कोई मदद नही लेता... फिर चाहे वो काम लीगल ही क्यो ना हो... और ये काम तो वैसे भी काफ़ी पेचीदा है... ये लड़की कोई मामूली लड़की नही है...दिल्ली के एक बहुत बड़े घराने की इकलौती लड़की है...जो पता नही कैसे इन दुबई वालो के हत्ते चढ़ गयी...और वहीं से नीलामी मे इक़बाल भाई ने उसको खरीदा...इन्हे तो बाद मे उसकी स्टोरी पता चली थी की वो असल मे है कौन...पर तब तक देर हो चुकी थी..अब माल खरीदा था तो उसका मज़ा लेना भी तो बनता ही था ना..बस फिर क्या था...ये भाई तो रास्ते मे ही शुरू हो गये, अपने होटेल जाने तक का भी वेट नही किया...बस,साली रास्ते से ही भाग गयी....ये रही उसकी फोटो ...''
और नेहाल ने एक फोटो निकाल कर उसके सामने रख दी...जिसे देखते ही गंगू की समझ मे सब आ गया..
ये लड़की और कोई नही नेहा थी...जो उसके साथ उसकी झोपड़ी मे रह रही थी..
गंगू का दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा...नेहा जब उसको मिली थी तो काफ़ी सुबह का समय था, शायद वो सीधा एरपोर्ट से ही आ रहे थे...और उस समय वो मोटा आदमी जो उसकी इज़्ज़त लूटने की कोशिश कर रहा था, वो और कोई नही, ये इक़बाल ही था, इसलिए गंगू को उसका चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा था..पर शायद इक़बाल उसको नही पहचान पा रहा था,क्योंकि उस वक़्त वो भिखारी के वेश मे था...और अब वो टी शर्ट और जीन्स पहन कर खड़ा था उसके सामने..
ओहो...यानी, जो लड़की इतने दिनों से उसके साथ भिखारी की जिंदगी जी रही है, वो एक उँचे घराने की रईस औलाद है..और जिसकी कच्ची जवानी को चखने के लिए इक़बाल ने डेढ करोड़ रुपय खर्च कर दिए,उसकी जवानी को गंगू ने फ्री मे ही चोद दिया..
पर जो भी हुआ था नेहा के साथ, वो काफ़ी बुरा था..
गंगू ने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल किया की जो उसके मन मे चल रहा है, वो बाहर ना दिखे
वो बोला : "पर इसमें मैं क्या कर सकता हू...''
इक़बाल : "ये लड़की सेंट्रल मार्केट के पास से गायब हुई थी उस दिन..तू इसके आस पास के इलाक़े को पूरी तरह से छान डाल, तू तो एक भिखारी है,इसलिए हर घर मे जाकर चेक करना तेरे लिए काफ़ी आसान है...मेरे आदमी ये सब नही कर सकते..उनके पीछे तो वैसे भी पुलिस पड़ी है आजकल, इसलिए नये लड़को से काम करवाने पड़ रहे हैं आजकल,तभी तो उस दिन वाला काम भी तुझसे करवाया था भूरे ने..और जब मुझे पता चला की तू पेशे से एक भिखारी है तो मुझे लगा की मेरा ये काम तू ही कर सकता है...इसकी फोटो रख ले...और साथ मे ये फोन और ये पिस्टल भी...''
कहकर इक़बाल ने उसके सामने दोनों चीज़े रख दी..और बोला : "कही भी दिखाई दे तो बस मुझे कॉल कर दियो ..और इसके साथ कोई भी हो तो उसको वहीँ के वहीं टपका दियो ...बाकी मैं संभाल लूँगा..''
वो आगे बोला : "बस, एक बार ये शनाया मिल जाए...''
गंगू : "शनाया ???"
इक़बाल : "हाँ , शनाया, यही इसका नाम है...बस एक बार मिल तो जाए ...साली की ऐसी चुदाई करूँगा की महीने तक हिल भी नही सकेगी बिस्तर से...'' वो अपने लंड को मसलते हुए बोला
गंगू का तो खून ही खोल उठा ये सुनकर....पर फिर उसको आश्चर्य भी हुआ अपने आप पर, की नेहा यानी शनाया के लिए वो इतना पोसेसिव कैसे हो रहा है...उसके सामने एक लाख रूपए पड़े थे..वो अगर चाहता तो अभी के अभी ये बोलकर की वो लड़की तो उसके घर पर ही है,वो और भी रूपए कमा लेता, पर ना जाने क्यो वो अब तक चुप था, और अब इक़बाल की ये बात सुनकर तो वो गुस्से मे भी आ चुका था..पता नही क्या हो रहा था उसको...क्या फील कर रहा था वो इस वक़्त शनाया के बारे में, ये बात उसकी समझ मे नही आ रही थी अभी.
उसका एक मन तो किया की वो मना कर दे...पर अगर उसने मना कर दिया तो ये काम कोई और करेगा...क्या पता भूरे को ही मिल जाए ये काम और वो तो शनाया की फोटो देखते ही पहचान लेगा, और फिर शनाया के साथ-2 उसकी भी खैर नही होगी...वो गहरी सोच मे डूब गया की क्या किया जाए, कैसे निकला जाए इस मुसीबत से..
उसको गहरी सोच मे डूबा देखकर नेहाल बोला : "क्या सोचने लगे गंगू...इतना पैसा कमाने मे तुझे सालों लग जाएँगे...ये कम है तो ये ले, और पैसे ले, पर ये काम जल्द से जल्द कर दे..''
इतना कहते हुए नेहाल भाई ने हज़ार के नोटो की दो और गड्डियां निकाल कर रख दी उसके सामने..यानी अब गंगू के सामने पड़े थे पूरे तीन लाख रूपए ..
गंगू की समझ मे नही आ रहा था की नेहाल क्यो इतनी दिलचस्पी ले रहा है इस काम मे..पर अभी के लिए ज़्यादा सोचना सही नही था, उसने जल्दी से सामने रखा सारा समान अपने थेले मे भरा और बोला : "ठीक है , मैं आज से ही इस काम पर लग जाता हू..''
और वो बाहर निकल आया..
उसका उड़ा हुआ सा चेहरा देखकर बाहर बैठा भूरे बोला : "क्या हुआ गंगू...क्या काम बोले अंदर ..बोल ना..''
पर वो कुछ नही बोला, वो बाहर निकल ही रहे थे की मुम्मेथ ख़ान ने गंगू को इशारे से अपने पास बुलाया, वो भूरे को बाहर जाने का इशारा करके उसके पास गया, बाकी के सभी लोग काफ़ी दूर बैठे थे, मुम्मेथ फुसफुसा कर बोली : "अगली बार कब मिलेगा...जब से तूने वो चुदाई की है, सच मे किसी का भी लेने मे मज़ा नही आता...''
गंगू के माइंड मे अचानक एक आइडिया आया...वो बोला : "तुम अपना नंबर दे दो...मैं बात करके जल्द ही मिलता हू..''
उसने जल्दी से अपना नंबर एक पेपर टिश्यू पेपर पर लिखकर उसको दे दिया, और गंगू बाहर निकल आया..
भूरे ने लाख कोशिश कर ली, पर गंगू ने उसको बाद मे कुछ नही बताया की अंदर क्या काम मिला है..
वो अच्छी तरह से जानता था की जिस दिन भूरे को ये सब पता चल गया, उसी दिन शनाया इक़बाल के नीचे पहुँच जाएगी...और ये बात सुनकर की वो इतने दिनों से गंगू के साथ ही थी, और उस दिन भी उसको बचाने वाला गंगू ही था, वो उसको भी मार डालेंगे...
अब तो उसकी जान का फंदा बन चुकी थी ये शनाया ...उसको इक़बाल से बचाकर रखने मे ही उसकी भी भलाई थी...वो अब किसी भी कीमत पर शनाया को नही खोना चाहता था...पर वो ऐसा क्यो करना चाहता था, इसका जवाब उसको नही मिल रहा था.
अब उसके पास तीन लाख रुपए और एक रिवॉल्वर थी..एक बार तो उसके मन मे आया की शनाया को लेकर वो दूसरे शहर मे चला जाए..पर ये डर भी था की अगर इक़बाल के लोगो ने उसको वहाँ भी ढूंड लिया तो दोनो का क्या हश्र होगा..भागने वालो के लिए तो पूरी दुनिया छोटी पड़ जाती है..
गंगू को ध्यान आया की इक़बाल ने बताया था की वो दिल्ली के एक बड़े घर की लड़की है...तो ज़रूर उसके घर वालो ने कोई ना कोई इश्तिहार दिया होगा...अख़बारो में ..या कंप्लेंट कराई होगी...वहां से उसके बारे मे पता चल सकता है...और फिर उसको वापिस घर भेजकर वो उसकी जान बचा सकता है...और पुलिस को इक़बाल और नेहाल के बारे में बताकर अपना पीछा भी छुड़वा सकता है..
पर ये सब सोचने मे ही आसान लग रहा था, वो सब होगा कैसे..
पर सबसे पहले तो ये जानना था की इक़बाल के साथ-2 नेहाल भी क्यो इतना उतावला हो रहा था शनाया का पता जानने के लिए..और इसका पता सिर्फ़ एक इंसान ही लगा सकता है..
उसने जल्दी से अपना वो मोबाइल फोन निकाला जो इक़बाल ने दिया था और मुममेथ ख़ान का नंबर लगाया..
गंगू : "हेलो....मैं गंगू बोल रहा हू ...''
गंगू पूरा ध्यान लगाकर उसकी बातें सुनने लगा..
इक़बाल ने अपनी जेब से हज़ार के नोटो की एक गड्डी निकाली और उसके सामने रख दी...
इक़बाल : "ये तू रख ले अभी...बाद मे और भी दूँगा..''
गंगू की आँखे फैल गई, एक लाख रुपए अपने सामने देख कर..वो बोला : "पर ... काम क्या है..''
इक़बाल : "पिछले महीने मैने एक लड़की खरीदी थी...दुबई से ...बिल्कुल कच्चा माल था वो...कुँवारी..खूबसूरत... और ऐसी ही लड़कियाँ मेरी कमज़ोरी है... पर वो जो थी ना, उस जैसा कोई हो ही नही सकता था... पूरे डेढ़ करोड़ मे खरीदा था उसको..और जब उसको लेकर वापिस इंडिया आया, तो रास्ते में ही वो भाग गयी... बस तब से उसके लिए तड़प रहा हूँ ...''
गंगू समझने की कोशिश करने लगा..वो बोला : "पर इसमे मैं क्या कर सकता हू...ये तो पुलिस का काम है...वो ज़्यादा जल्दी उसको ढूंड सकती है..''
उसकी बात सुनकर नेहाल और इक़बाल दोनो हँसने लगे , नेहाल बोला : "गंगू.... हमारे धंधे मे पुलिस की कोई मदद नही लेता... फिर चाहे वो काम लीगल ही क्यो ना हो... और ये काम तो वैसे भी काफ़ी पेचीदा है... ये लड़की कोई मामूली लड़की नही है...दिल्ली के एक बहुत बड़े घराने की इकलौती लड़की है...जो पता नही कैसे इन दुबई वालो के हत्ते चढ़ गयी...और वहीं से नीलामी मे इक़बाल भाई ने उसको खरीदा...इन्हे तो बाद मे उसकी स्टोरी पता चली थी की वो असल मे है कौन...पर तब तक देर हो चुकी थी..अब माल खरीदा था तो उसका मज़ा लेना भी तो बनता ही था ना..बस फिर क्या था...ये भाई तो रास्ते मे ही शुरू हो गये, अपने होटेल जाने तक का भी वेट नही किया...बस,साली रास्ते से ही भाग गयी....ये रही उसकी फोटो ...''
और नेहाल ने एक फोटो निकाल कर उसके सामने रख दी...जिसे देखते ही गंगू की समझ मे सब आ गया..
ये लड़की और कोई नही नेहा थी...जो उसके साथ उसकी झोपड़ी मे रह रही थी..
गंगू का दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा...नेहा जब उसको मिली थी तो काफ़ी सुबह का समय था, शायद वो सीधा एरपोर्ट से ही आ रहे थे...और उस समय वो मोटा आदमी जो उसकी इज़्ज़त लूटने की कोशिश कर रहा था, वो और कोई नही, ये इक़बाल ही था, इसलिए गंगू को उसका चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा था..पर शायद इक़बाल उसको नही पहचान पा रहा था,क्योंकि उस वक़्त वो भिखारी के वेश मे था...और अब वो टी शर्ट और जीन्स पहन कर खड़ा था उसके सामने..
ओहो...यानी, जो लड़की इतने दिनों से उसके साथ भिखारी की जिंदगी जी रही है, वो एक उँचे घराने की रईस औलाद है..और जिसकी कच्ची जवानी को चखने के लिए इक़बाल ने डेढ करोड़ रुपय खर्च कर दिए,उसकी जवानी को गंगू ने फ्री मे ही चोद दिया..
पर जो भी हुआ था नेहा के साथ, वो काफ़ी बुरा था..
गंगू ने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल किया की जो उसके मन मे चल रहा है, वो बाहर ना दिखे
वो बोला : "पर इसमें मैं क्या कर सकता हू...''
इक़बाल : "ये लड़की सेंट्रल मार्केट के पास से गायब हुई थी उस दिन..तू इसके आस पास के इलाक़े को पूरी तरह से छान डाल, तू तो एक भिखारी है,इसलिए हर घर मे जाकर चेक करना तेरे लिए काफ़ी आसान है...मेरे आदमी ये सब नही कर सकते..उनके पीछे तो वैसे भी पुलिस पड़ी है आजकल, इसलिए नये लड़को से काम करवाने पड़ रहे हैं आजकल,तभी तो उस दिन वाला काम भी तुझसे करवाया था भूरे ने..और जब मुझे पता चला की तू पेशे से एक भिखारी है तो मुझे लगा की मेरा ये काम तू ही कर सकता है...इसकी फोटो रख ले...और साथ मे ये फोन और ये पिस्टल भी...''
कहकर इक़बाल ने उसके सामने दोनों चीज़े रख दी..और बोला : "कही भी दिखाई दे तो बस मुझे कॉल कर दियो ..और इसके साथ कोई भी हो तो उसको वहीँ के वहीं टपका दियो ...बाकी मैं संभाल लूँगा..''
वो आगे बोला : "बस, एक बार ये शनाया मिल जाए...''
गंगू : "शनाया ???"
इक़बाल : "हाँ , शनाया, यही इसका नाम है...बस एक बार मिल तो जाए ...साली की ऐसी चुदाई करूँगा की महीने तक हिल भी नही सकेगी बिस्तर से...'' वो अपने लंड को मसलते हुए बोला
गंगू का तो खून ही खोल उठा ये सुनकर....पर फिर उसको आश्चर्य भी हुआ अपने आप पर, की नेहा यानी शनाया के लिए वो इतना पोसेसिव कैसे हो रहा है...उसके सामने एक लाख रूपए पड़े थे..वो अगर चाहता तो अभी के अभी ये बोलकर की वो लड़की तो उसके घर पर ही है,वो और भी रूपए कमा लेता, पर ना जाने क्यो वो अब तक चुप था, और अब इक़बाल की ये बात सुनकर तो वो गुस्से मे भी आ चुका था..पता नही क्या हो रहा था उसको...क्या फील कर रहा था वो इस वक़्त शनाया के बारे में, ये बात उसकी समझ मे नही आ रही थी अभी.
उसका एक मन तो किया की वो मना कर दे...पर अगर उसने मना कर दिया तो ये काम कोई और करेगा...क्या पता भूरे को ही मिल जाए ये काम और वो तो शनाया की फोटो देखते ही पहचान लेगा, और फिर शनाया के साथ-2 उसकी भी खैर नही होगी...वो गहरी सोच मे डूब गया की क्या किया जाए, कैसे निकला जाए इस मुसीबत से..
उसको गहरी सोच मे डूबा देखकर नेहाल बोला : "क्या सोचने लगे गंगू...इतना पैसा कमाने मे तुझे सालों लग जाएँगे...ये कम है तो ये ले, और पैसे ले, पर ये काम जल्द से जल्द कर दे..''
इतना कहते हुए नेहाल भाई ने हज़ार के नोटो की दो और गड्डियां निकाल कर रख दी उसके सामने..यानी अब गंगू के सामने पड़े थे पूरे तीन लाख रूपए ..
गंगू की समझ मे नही आ रहा था की नेहाल क्यो इतनी दिलचस्पी ले रहा है इस काम मे..पर अभी के लिए ज़्यादा सोचना सही नही था, उसने जल्दी से सामने रखा सारा समान अपने थेले मे भरा और बोला : "ठीक है , मैं आज से ही इस काम पर लग जाता हू..''
और वो बाहर निकल आया..
उसका उड़ा हुआ सा चेहरा देखकर बाहर बैठा भूरे बोला : "क्या हुआ गंगू...क्या काम बोले अंदर ..बोल ना..''
पर वो कुछ नही बोला, वो बाहर निकल ही रहे थे की मुम्मेथ ख़ान ने गंगू को इशारे से अपने पास बुलाया, वो भूरे को बाहर जाने का इशारा करके उसके पास गया, बाकी के सभी लोग काफ़ी दूर बैठे थे, मुम्मेथ फुसफुसा कर बोली : "अगली बार कब मिलेगा...जब से तूने वो चुदाई की है, सच मे किसी का भी लेने मे मज़ा नही आता...''
गंगू के माइंड मे अचानक एक आइडिया आया...वो बोला : "तुम अपना नंबर दे दो...मैं बात करके जल्द ही मिलता हू..''
उसने जल्दी से अपना नंबर एक पेपर टिश्यू पेपर पर लिखकर उसको दे दिया, और गंगू बाहर निकल आया..
भूरे ने लाख कोशिश कर ली, पर गंगू ने उसको बाद मे कुछ नही बताया की अंदर क्या काम मिला है..
वो अच्छी तरह से जानता था की जिस दिन भूरे को ये सब पता चल गया, उसी दिन शनाया इक़बाल के नीचे पहुँच जाएगी...और ये बात सुनकर की वो इतने दिनों से गंगू के साथ ही थी, और उस दिन भी उसको बचाने वाला गंगू ही था, वो उसको भी मार डालेंगे...
अब तो उसकी जान का फंदा बन चुकी थी ये शनाया ...उसको इक़बाल से बचाकर रखने मे ही उसकी भी भलाई थी...वो अब किसी भी कीमत पर शनाया को नही खोना चाहता था...पर वो ऐसा क्यो करना चाहता था, इसका जवाब उसको नही मिल रहा था.
अब उसके पास तीन लाख रुपए और एक रिवॉल्वर थी..एक बार तो उसके मन मे आया की शनाया को लेकर वो दूसरे शहर मे चला जाए..पर ये डर भी था की अगर इक़बाल के लोगो ने उसको वहाँ भी ढूंड लिया तो दोनो का क्या हश्र होगा..भागने वालो के लिए तो पूरी दुनिया छोटी पड़ जाती है..
गंगू को ध्यान आया की इक़बाल ने बताया था की वो दिल्ली के एक बड़े घर की लड़की है...तो ज़रूर उसके घर वालो ने कोई ना कोई इश्तिहार दिया होगा...अख़बारो में ..या कंप्लेंट कराई होगी...वहां से उसके बारे मे पता चल सकता है...और फिर उसको वापिस घर भेजकर वो उसकी जान बचा सकता है...और पुलिस को इक़बाल और नेहाल के बारे में बताकर अपना पीछा भी छुड़वा सकता है..
पर ये सब सोचने मे ही आसान लग रहा था, वो सब होगा कैसे..
पर सबसे पहले तो ये जानना था की इक़बाल के साथ-2 नेहाल भी क्यो इतना उतावला हो रहा था शनाया का पता जानने के लिए..और इसका पता सिर्फ़ एक इंसान ही लगा सकता है..
उसने जल्दी से अपना वो मोबाइल फोन निकाला जो इक़बाल ने दिया था और मुममेथ ख़ान का नंबर लगाया..
गंगू : "हेलो....मैं गंगू बोल रहा हू ...''