hotaks444
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अब आगे
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इक़बाल : "साले ...तूने मुझे कितना बड़ा जख्म दिया है...तुझे तो पता भी नही है...तेरी वजह से मेरा बदला उस दिन अधूरा रह गया था...पर आज वो तेरे सामने ही पूरा करूँगा मैं ...''
भूरे बीच मे बोला : "बदला .....किस बात का बदला ....''
उसकी भी समझ मे कुछ नही आ रहा था की इक़बाल किस बदले के बारे मे बात कर रहे हैं..
वो कुछ बोल पाता , इससे पहले ही गंगू बोल पड़ा : "बदला ....इक़बाल की बेइजत्ती का....जो इसे लेना था , इसके बाप भुवन चौधरी से....वही भुवन , जो कुछ साल पहले तक अंडरवर्ल्ड का राजा था...और जिसके तलवे चाटकार ये इक़बाल बड़ा हुआ था ....पर वो इक़बाल को एक नौकर की तरह रखता था, इसलिए वो अपने आपको बेइज्जत महसूस करता था,वही भुवन, जिसने अपने परिवार के कहने पर सारे बुरे काम छोड़ दिए थे...सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी बेटी की खातिर...और यही बात इस इक़बाल को चुभ गयी...भुवन ने अपनी कुर्सी तो इसे दे दी...पर इक़बाल को हमेशा यही डर लगा रहता था की कहीं भुवन पुलिस को इक़बाल और अपने सारे नेटवर्क के बारे में ना बता दे...इसलिए इसने और नेहाल ने एक चाल चली...एक इंटरनेशनल गैंग की मदद से भुवन की लड़की शनाया को किडनॅप करवाकर दुबई पहुँचा दिया...और वहाँ से इक़बाल ने इसे मुँह माँगी कीमत पर खरीद लिया..ताकि भुवन की बेटी को वो पूरी जिंदगी अपनी रखेल बनकर अपने पास रखे, अपनी नौकर वाली जिंदगी का बदला ले सके और वक़्त आने पर इसका इस्तेमाल करके भुवन को डरा सके...ताकि वो इन काले धंधो के बारे मे पुलिस को या किसी और को ना बताए...''
गंगू ने एक ही साँस मे वो सब ऐसे बोल दिया जैसे वो सब उसके सामने हुआ हो...
और उसकी ये सब बाते सुनकर इक़बाल और नेहाल भी आश्चर्यचकित रह गये..
इक़बाल ने गन फिर से उसके सिर पर लगा दी : "बोल कौन है तू .... पोलीस वाला है क्या... जासूस है कोई .... या फिर भुवन का आदमी है तू ...बोल साले ...तुझे ये सारी बातें कैसे पता ....किसने बताया तुझे ..........''
धांए ....
एक फायर हुआ....और इस बार इक़बाल का हाथ लहू लुहान हुआ ...और उसके हाथ से गन निकल कर नीचे गिर गयी..
और एक भारी भरकम आवाज़ आई : "मैने ..... मैने बताया इसे ये सब ....''
और अंधेरे मे से निकल कर एक लंबा चोडा आदमी सफेद लिबास मे सबके सामने आ गया...
नेहाल ने उस तरफ देखा और चिल्लाया : "चौधरी साहब ...... आप ..... ''
भुवन : "हाँ ....मैं ....तुम्हारा बाप ....''
नेहाल के एक आदमी ने अपनी पिस्टल उसकी तरफ घुमाई ही थी की उसका सिर उड़ा दिया भुवन ने..और अगली चार गोलियाँ भी उसके बचे हुए आदमियों के सीने मे उतार दी...और वो भी पलक झपके ही..
भुवन : "तुम्हारी वजह से मैने आज एक बार फिर अपने हाथो मे ये हथियार उठाया है....मैने इन्हे छोड़ दिया था...पर इन्हे चलाना नही भूला था...आज तुम्हारे नापाक इरादो की वजह से एक बार फिर मेरे हाथ खून से रंग गये...''
उसके चेहरे पर इतना गुस्सा था की उसका चेहरा लाल सुर्ख हो चुका था.
अब बोलने की बारी गंगू की थी : "मैने तो मुम्मेथ से पहले से ही शनाया के परिवार के बारे मे पता चला लिया था...उसने ही इनका फोन नंबर भी दिया था मुझे ...और जब इन्हे फोन करके मैने वो सब बताया तो मुझे ये पूरी कहानी पता चली...''
फिर भुवन की तरफ इशारा करके गंगू बोला : "इन्होने तो अपने परिवार की खातिर ये सब छोड़ दिया था...अपना सब कुछ तुम लोगो को सौंप कर शांति भरी जिंदगी जी रहे थे...पर तुमने इनकी ही बेटी को अगवा करवाकर इन्हे फिर से जगा दिया...अपनी बेटी को पाने के लिए बुरी तरह से तड़प रहे थे ये...फिर मैने इन्हे सब बताया की इनकी बेटी मेरे पास सुरक्षित है...और तुम्हारे बारे में भी...इसलिए ये फ़ौरन चले आए...''
गंगू ने शनाया की तरफ इशारा करते हुए कहा : "चौधरी साहब...ये रही आपकी बेटी...''
अपनी बेटी को देखकर एक पल के लिए तो भुवन की आँखे ही भर आई...पर शनाया तो अपने बाप को पहचान भी नही रही थी..
गंगू : "पर , एक हादसे मे इसकी यादश्त चली गयी है...''
वो आगे कुछ बोलने ही वाला था की नेहाल ने भुवन का ध्यान दूसरी तरफ भटकते देखकर पास ही पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उसकी तरफ उछाल दिया, जो सीधा जाकर भुवन की आँख मे लगा..और वो भी बिलबिलाता हुआ सा नीचे गिर गया..
और ये मौका पाकर अपने ज़ख्मी हाथ से इक़बाल ने पास ही पड़ा एक पेड़ का मोटा सा तना उठाया और भुवन के सिर पर दे मारा...
अंधेरा था, इसलिए नीचे गिरी गन किसी को भी नज़र नही आ रही थी...
दो चार बार मारने के बाद भुवन वहीं ढेर हो गया...और फिर इक़बाल गंगू की तरफ पलटा : "साले ......अब तेरी बारी है....''
और इतना कहकर उसने ज़ख्मी गंगू के सिर पर उतनी ही ताक़त से प्रहार किया...पर एकदम से नेहा बीच में आ गयी
"नहियीईईईईईईईईईईईई...... मत मारो मेरे पति को ...''
और इतना कहते हुए वो गंगू के उपर गिर गयी...और इक़बाल का वो वार सीधा नेहा यानी शनाया के सिर पर पड़ा...और वो भी लहू लुहान सी होकर एक तरफ लुडक गयी..
नेहा के सिर से खून निकलता देखकर गंगू तो जैसे पागल ही हो गया : "नेहाआआआआआआअ ........''
और उसने अपनी सारी शक्ति समेट कर एक जोरदार मुक्का इक़बाल के पेट मे जड़ दिया...वो वहीँ गिर पड़ा, नेहाल भागता हुआ आया और उसने वो पेड़ का तना उठाने की कोशिश की तो गंगू ने उसके चेहरे पर भी एक घूंसा मारकर उसे नीचे गिरा दिया..
अब आगे
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इक़बाल : "साले ...तूने मुझे कितना बड़ा जख्म दिया है...तुझे तो पता भी नही है...तेरी वजह से मेरा बदला उस दिन अधूरा रह गया था...पर आज वो तेरे सामने ही पूरा करूँगा मैं ...''
भूरे बीच मे बोला : "बदला .....किस बात का बदला ....''
उसकी भी समझ मे कुछ नही आ रहा था की इक़बाल किस बदले के बारे मे बात कर रहे हैं..
वो कुछ बोल पाता , इससे पहले ही गंगू बोल पड़ा : "बदला ....इक़बाल की बेइजत्ती का....जो इसे लेना था , इसके बाप भुवन चौधरी से....वही भुवन , जो कुछ साल पहले तक अंडरवर्ल्ड का राजा था...और जिसके तलवे चाटकार ये इक़बाल बड़ा हुआ था ....पर वो इक़बाल को एक नौकर की तरह रखता था, इसलिए वो अपने आपको बेइज्जत महसूस करता था,वही भुवन, जिसने अपने परिवार के कहने पर सारे बुरे काम छोड़ दिए थे...सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी बेटी की खातिर...और यही बात इस इक़बाल को चुभ गयी...भुवन ने अपनी कुर्सी तो इसे दे दी...पर इक़बाल को हमेशा यही डर लगा रहता था की कहीं भुवन पुलिस को इक़बाल और अपने सारे नेटवर्क के बारे में ना बता दे...इसलिए इसने और नेहाल ने एक चाल चली...एक इंटरनेशनल गैंग की मदद से भुवन की लड़की शनाया को किडनॅप करवाकर दुबई पहुँचा दिया...और वहाँ से इक़बाल ने इसे मुँह माँगी कीमत पर खरीद लिया..ताकि भुवन की बेटी को वो पूरी जिंदगी अपनी रखेल बनकर अपने पास रखे, अपनी नौकर वाली जिंदगी का बदला ले सके और वक़्त आने पर इसका इस्तेमाल करके भुवन को डरा सके...ताकि वो इन काले धंधो के बारे मे पुलिस को या किसी और को ना बताए...''
गंगू ने एक ही साँस मे वो सब ऐसे बोल दिया जैसे वो सब उसके सामने हुआ हो...
और उसकी ये सब बाते सुनकर इक़बाल और नेहाल भी आश्चर्यचकित रह गये..
इक़बाल ने गन फिर से उसके सिर पर लगा दी : "बोल कौन है तू .... पोलीस वाला है क्या... जासूस है कोई .... या फिर भुवन का आदमी है तू ...बोल साले ...तुझे ये सारी बातें कैसे पता ....किसने बताया तुझे ..........''
धांए ....
एक फायर हुआ....और इस बार इक़बाल का हाथ लहू लुहान हुआ ...और उसके हाथ से गन निकल कर नीचे गिर गयी..
और एक भारी भरकम आवाज़ आई : "मैने ..... मैने बताया इसे ये सब ....''
और अंधेरे मे से निकल कर एक लंबा चोडा आदमी सफेद लिबास मे सबके सामने आ गया...
नेहाल ने उस तरफ देखा और चिल्लाया : "चौधरी साहब ...... आप ..... ''
भुवन : "हाँ ....मैं ....तुम्हारा बाप ....''
नेहाल के एक आदमी ने अपनी पिस्टल उसकी तरफ घुमाई ही थी की उसका सिर उड़ा दिया भुवन ने..और अगली चार गोलियाँ भी उसके बचे हुए आदमियों के सीने मे उतार दी...और वो भी पलक झपके ही..
भुवन : "तुम्हारी वजह से मैने आज एक बार फिर अपने हाथो मे ये हथियार उठाया है....मैने इन्हे छोड़ दिया था...पर इन्हे चलाना नही भूला था...आज तुम्हारे नापाक इरादो की वजह से एक बार फिर मेरे हाथ खून से रंग गये...''
उसके चेहरे पर इतना गुस्सा था की उसका चेहरा लाल सुर्ख हो चुका था.
अब बोलने की बारी गंगू की थी : "मैने तो मुम्मेथ से पहले से ही शनाया के परिवार के बारे मे पता चला लिया था...उसने ही इनका फोन नंबर भी दिया था मुझे ...और जब इन्हे फोन करके मैने वो सब बताया तो मुझे ये पूरी कहानी पता चली...''
फिर भुवन की तरफ इशारा करके गंगू बोला : "इन्होने तो अपने परिवार की खातिर ये सब छोड़ दिया था...अपना सब कुछ तुम लोगो को सौंप कर शांति भरी जिंदगी जी रहे थे...पर तुमने इनकी ही बेटी को अगवा करवाकर इन्हे फिर से जगा दिया...अपनी बेटी को पाने के लिए बुरी तरह से तड़प रहे थे ये...फिर मैने इन्हे सब बताया की इनकी बेटी मेरे पास सुरक्षित है...और तुम्हारे बारे में भी...इसलिए ये फ़ौरन चले आए...''
गंगू ने शनाया की तरफ इशारा करते हुए कहा : "चौधरी साहब...ये रही आपकी बेटी...''
अपनी बेटी को देखकर एक पल के लिए तो भुवन की आँखे ही भर आई...पर शनाया तो अपने बाप को पहचान भी नही रही थी..
गंगू : "पर , एक हादसे मे इसकी यादश्त चली गयी है...''
वो आगे कुछ बोलने ही वाला था की नेहाल ने भुवन का ध्यान दूसरी तरफ भटकते देखकर पास ही पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उसकी तरफ उछाल दिया, जो सीधा जाकर भुवन की आँख मे लगा..और वो भी बिलबिलाता हुआ सा नीचे गिर गया..
और ये मौका पाकर अपने ज़ख्मी हाथ से इक़बाल ने पास ही पड़ा एक पेड़ का मोटा सा तना उठाया और भुवन के सिर पर दे मारा...
अंधेरा था, इसलिए नीचे गिरी गन किसी को भी नज़र नही आ रही थी...
दो चार बार मारने के बाद भुवन वहीं ढेर हो गया...और फिर इक़बाल गंगू की तरफ पलटा : "साले ......अब तेरी बारी है....''
और इतना कहकर उसने ज़ख्मी गंगू के सिर पर उतनी ही ताक़त से प्रहार किया...पर एकदम से नेहा बीच में आ गयी
"नहियीईईईईईईईईईईईई...... मत मारो मेरे पति को ...''
और इतना कहते हुए वो गंगू के उपर गिर गयी...और इक़बाल का वो वार सीधा नेहा यानी शनाया के सिर पर पड़ा...और वो भी लहू लुहान सी होकर एक तरफ लुडक गयी..
नेहा के सिर से खून निकलता देखकर गंगू तो जैसे पागल ही हो गया : "नेहाआआआआआआअ ........''
और उसने अपनी सारी शक्ति समेट कर एक जोरदार मुक्का इक़बाल के पेट मे जड़ दिया...वो वहीँ गिर पड़ा, नेहाल भागता हुआ आया और उसने वो पेड़ का तना उठाने की कोशिश की तो गंगू ने उसके चेहरे पर भी एक घूंसा मारकर उसे नीचे गिरा दिया..