Long Sex Kahani बजाज की उपन्यास - SexBaba
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Long Sex Kahani बजाज की उपन्यास

hotaks444

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दोस्तों बजाज का सफरनामा को आगे बढ़ाते हुए में रोज़ नई नावेल साइज कहानियो के लिए ये टॉपिक बनाया ह इसकी सभी कहानियो का अपडेट रक दिन में ही update रहेगा ताकि आपको इंतज़ार न करणा पड़े
 
प्रमोशन
दोस्तों में संजय एक कहानी लेके आया हु जो मेरे दोस्त की उसी के जुबानी लिख रहा हु उसने कैसे अपना प्रोमाशम लिया उसकी कहानी है।

सर्दियो का मौसम था मेरी एक फाइनेन्स कंपनी मे नई नई जॉब लगी थी ओर वो काफ़ी अच्छी ओर बड़ी कंपनी है मुझे अभी ऑफीस जाते हुये 2 महीने पूरे नही हुये थे लेकिन अपनी चार्मिंग लुक्स ओर स्वभाव से ऑफीस मे काफ़ी फेमस हो गया था. लड़कियो के साथ मेरी बचपन से अच्छी बनती आई है तो मुझे लड़कियो से दोस्ती करने मे ज्यादा टाइम नहीं लगता था ओर मैने वहा काफ़ी अच्छी दोस्ती बना ली थी ओर काफ़ी लड़कियां मुझ पर फिदा भी थी लेकिन में पहले से प्लान कर चुका था की ऑफीस मे अगर किसी पर हाथ मारूँगा तो किसी बड़ी चीज़ पर जिस से कुछ फायदा भी हो तो बस अपने उसी प्लान के मुताबित चल रहा था.



लेकिन मेरी नाइट शिफ्ट थी ओर उसमे कोई ज्यादा ख़ास ओर माल लड़की नही थी तो प्लान पूरा होने मे टाइम लग रहा था लेकिन किस्मत ने साथ दिया ओर मेरे अच्छे काम को देख कर मुझे सुबह की शिफ्ट में कर दिया गया क्योकि सुबह की शिफ्ट मे ज्यादा लड़कियां होती थी ओर उनसे काम करना आसान नही होता था तो मुझे ये काम दिया गयाओर जब पहले दिन मे सुबह को तेयार हो कर ऑफीस पहुचां तो मुझे मेरी सीनियर से मिलने को भेजा गया उसके केबिन मे मुझे उसके ही नीचे काम करना था जैसे ही में केबिन मे अन्दर गया तो सेन्ट की मस्त सी खुशबू आ रही थी वो सामने कुर्सी पर बैठी थी ओर फोन पर बात कर रही थी उसने मुझे बैठने का इशारा किया में कुर्सी पर बैठ गया ओर वो फोन पर थी.

मैने केबिन मे जाने से पहले सोचा की वो बड़ी सी उम्र वाली लेडी होगी लेकिन मेरी तो किस्मत अच्छी चल रही थी वो देखने मे मेरी उम्र की ही लग रही थी उसका कलर बिल्कुल फेयर नही था लेकिन चॉकलेट कलर की स्किन थी उसकी हेयर स्टाइल बहुत अच्छी थी वो दिखने मे बहुत हॉट और सेक्सी थी उसकी लम्बाई ज्यादा नहीं थी लगभग 5 फीट और 4 इंच थी ओर बॉडी पर्फेक्ट शेप मे थी उस दिन उसने हल्के नीले कलर की ऑफीशियल शर्ट ओर ग्रे कलर की पेन्ट पहनी थी उसकी शर्ट मे ही उसके बूब्स टाइट शेप मे दिख रहे थे ओर उसकी ब्रा भी हल्की हल्की दिख रही थी पहली नज़र मे देखने से ही पता चल रहा था की उसके बूब्स 34 साइज़ के थे बाकी कुर्सी पर बैठे होने की वजह से उसकी कमर ओर गांड का साइज़ पता नही चल रहा था.

उसने मेरे आने के बाद उसने 10 मिनिट तक बात फोन पर जारी रखी जिस बीच मे मैने जो कुछ बताया था वो सब चेक आउट कर लिया था ओर इसी बीच शायद उसे लग रहा था की में उसे देख रहा हूँ तो उसने फोन पर बात करते हुये मुझ से इशारे मे पूछा “क्या हुआ” ओर मैने कुछ नही का इशारा कर दिया.लगभग 10 मिनिट के बाद उसने फोन रख दिया ओर मेरी तरफ़ स्माइल करके हाथ आगे बढ़ा कर कहा “हाय आई एम प्रिया” ओर मैने भी हाथ मिलाते हुये कहा अपना परिचय दिया ओर फिर उसने मुझे काम बताया ओर कहा की आज उसे जल्दी जाना है तो में काम संभाल लूँ ओर में काम मे व्यस्त हो गया कुछ दिन काम करता रहा ओर इसी बीच मेरे दिमाग़ की बत्ती भी जल गई थी की पटाना है तो प्रिया को ही पटाना है.

फिर एक टीम मे काम करते हुये हमारी बाते होने लगी ओर इसी बीच मुझे पता लगा की वो मेरे ही आगे की है ओर उपर से जिस मोहल्ले मे मेरा घर था वो वही रूम ले कर रहती थी जो की मेरे लिये प्लस पॉइंट था इस वजह से हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी अब ऑफीस ख़त्म होने के बाद हम साथ मे घर जाया करते जब वो मेरे पीछे बाइक पर बैठती थी तो खुद ही काफ़ी चिपक कर बेठती थी ओरउसके बूब्स मेरी पीठ से टच हो जाते थे ओर उस 15 मिनिट के सफ़र मे मेरा लंड खड़ा ही रहता था ओर मुझे रोज घर आ कर मुट्ठ मार कर उसे शांत करना पड़ता था.
 
इसी बीच एक दिन हम ऑफीस मे लेट तक काम कर रहे थे तो उसने मुझसे मस्ती मे पूछ लिया की “प्रेम मुझे लगता है की तुमकुछ छुपाते हो मुझ से जब मुझे घर ड्रॉप करते हो तुम” उसके चेहरे पर एक छोटी सी स्माइल थी ओर वो मेरी तरफ देख रही थी में भी कमीना ही हूँ मैने भी तपाक से बोल दिया की “अगर ना छुपाऊ तो तुम जाने थोड़े दोगे फिर घर” ओर स्माइल दी ओर उसने मेरे पास आ कर पूछा “क्यो जी ऐसा क्या छुपाते हो” मैने कहा “मौका आने पर पता चल जायेगा” ओर उठ कर बाहर आ गया उस दिन काम ज्यादा था तो हमने ऑफीस मे ही खाना खा लिया था तो मैने घर पर फोन करके खाना बनाने के लिये मना कर दिया था ओर तभी प्रिया ने मुझसे कहा की घर पर बोल दे की शायद आज ऑफीस मे ही रुकना पड़े तो मैने ये भी बोल दिया ओर फिर काम निपटाने लगे काम टाइम से पहले ही ख़त्म हो गया तो मैने सोचा घर चला जाता हूँ.


प्रिया ओर में बाइक पर निकले रात के करीबन 11 बजे थेठंड ज्यादा थी तो प्रिया मुझ से कुछ ज्यादा ही चिपक कर बैठी थी ओर मेरे सीने पर अपने हाथो को फेर भी रही थी ओर उसकी गर्म साँसे मेरे कानो को छू रही थी ओर उसकी चुचियां मेरी पीठ मे गढ़ी हुई थी स्वेटर पहने होने के बावजूद मुझे उसके बूब्स अच्छी तरह फील हो रहे थे ओर मेरा लंड ठंड मे भी खड़ा हो गया था मैने प्रिया के घर के बाहर बाइक रोकी और उसे उतरने को कहा और वो उतर गयी ओर मुझ से कहने लगी “प्रेम तुमने तो घर आने को मना कर दिया था तो अब तो घर वालो ने दरवाजा बन्द कर दिया होगा फिर क्या करोगे”.
 
हुआ यूँ की मैने कह दिया की “जगाना पड़ेगा उन्हे अब” उसने मेरे हाथ पर हाथ रखते हुये कहा की “एक काम करो आज मेरे यहा ही रुक जाओ परिवार को क्यों तंग करना” मैने भी ठीक हे कहा ओर अपने ऑफिस बेग से

अपने खड़े लंड को छुपाते हुये बाइक को बरामदे मे पार्क करने लगा बेग को आगे लटका कर बाइक पार्क करने मे दिक्कत हो रही थी जो प्रिया ने नोटीस कर लिया ओर उसने कहा की बेग मुझे पकड़ा दो मैने मना किया लेकिन फिर भी उसने बेग मुझसे ले लिया ओर जैसे ही बेग हटाया तो लाइट की रोशनी मे मेरा तने हुये लंड का तंबू उसे दिख गया ओर उसने झट से पूछा प्रेम ये क्या है मैने हँसते हुये कहा वही है जो रोज छुपाता हूँ ओर आज तुम ने पकड़ ही लिया.ओर उसने हँसते हुये कहा लल्लू अभी पकड़ा कहा है अभी तक तो हाथ भी नही लगाया. ओर मेरे पास आ कर मेरे कान में धीरे से बोली प्रेम मेरे ज़रा से चिपकने से तुम्हारा ये हाल है तो बाकी से क्या हाल होगा.

मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने पास खींचते हुये बोला की “ट्राइ कर के देख लो क्या हाल होगा” ओर उसके होठों को चुमने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी ओर ज़ोर ज़ोर से होठों को चूस रही थी मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था वो उसकी टांगो के बीच मे उसकी चूत के ऊपर रगड़ रहा था जिससे वो ओर टाइट हो गया. मैने उसको घुमाया ओर उसकी गांड को बाइक पर टीका कर उसे चुमने लगा ओर उसके एक बोबे को अपने हाथो से दबाने लगा वो गर्म होने लगी थी ओर मुझे ओर ज़ोर से किस करने लगी थी ओर अपनी जीभ मेरे मुँह मे घुसेड़ने लगी ओर अपना हाथ मेरे हाथ पर रखकर अपने बोबे दबवाने लगी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ओर वो भी अपनी गांड हिलाने लगी थी लेकिन तभी दूर से आती एक गाड़ी की लाइट पड़ी तो हम अलग हो गये ओर वो रूम का लॉक खोलने लगी ओर में बाइक पार्क करके अंदर आ गया.


उसका रूम काफ़ी अच्छा था उसने ज़मीन पर ही अच्छे से बिस्तर लगा रखा था जो काफ़ी नरम था.अंदर आते ही वो सीधा बाथरूम मे चली गयी ओर मुझे अंदर से आवाज़ लगा कर कहा “में फ्रेश हो कर आती हूँ तुम भी तब तक बैठ जाओ” मुझे कहा आराम आना था मेरा तो डंडा खड़ा था ओर झटके मार रहा था मैने भी जल्दी से अपने कपड़े उतारे ओर केवल चड्डी मे बाथरूम के पास गया ओर प्रिया को आवाज़ लगाई ओर कहा की मुझे भी मन कर रहा है नहाने का आ जाऊ. ओर उसने कोई जवाब नही दिया बस दरवाजा खोल दिया मैं भी झट से अंदर घुस गया ओर देखा वो सफेद पेन्टी ओर ब्रा मे शावर के नीचे खड़ी थी गर्म पानी के छीटे उस पर से हो कर मुझ पर गिर रहे थे पानी उसके सर से होता हुआ उसकी ब्रा मे उसके बोबो के बीच की धारी मे जा रहा था ओर सफेद रोशनी मे भीगी हुई क्या लग रही थी यार बता नही सकता उसने मुझसे कहा की “मेरे बाहर आने तक का वेट नही हो रहा था जो अभी नहाना था.
मेंने झट से उसे अपनी बाहों मे भर कर बिना कुछ कहे उसकी गर्दन पर किस करने लगा ओर चूसने लगा पानी उसकी गर्दन से बहता हुआ मेरे मुँह मे जा रहा था जो नमकीन सा लग रहा था वो भी मेरे बालो मे उंगलियां डाल कर सहला रही थी. मैने उसके होठों को चुमना शुरू कर दिया ओर वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरे होठ चुसने लगी मैने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुये उसकी ब्रा का हुक खोल दिया ओर उसने जल्दी से अपनी ब्रा अपने कंधो से अलग कर दी ओर मेरेसामने उसके नंगे बोबे थे क्या चीज़ थी वो यार बिल्कुल तने हुये हार्ड थे ओर उस पर भूरे कलर के निप्पल कमाल लग रहे थे मैने झट उन्हे मसलना शुरू कर दिया ओर अब वो आँहे भरने लगी अहह सस्स्स्स्स्सस्स की आवाज़े निकालने लगी.
 
मैने उसके निपल को मुँह मे लेकर चुसना शुरू कर दिया ओर वो पागल हो गयी अपने बोबो को मेरे मुँह मे ओर ज़ोर से दबाने लगी ओरअपनी चूत को मेरे लंड पे रगड़ने लगी. क्या सीन था दोस्तो में तो बस उसके रसीले बोबे चुखते ही उनको खा ही जाना चाहता था.मैने अब उसे बाथरूम की दीवार के सहारे खड़ा किया ओर अब दोनो हाथो से उसके बोबो को नींबू की तरह निचोड़ रहा था ओर वो आवाजे कर रही थी सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहह की आवाजे निकाल रही थी फिर मैने एक हाथ उसकी गांड पर फेरना शुरू कर दिया ओर पेन्टी में हाथ डाल कर उसकी गांड दबाने लगा ओर उसे अपनी तरफ खींच कर अपने लंड से उसकी चूत रगड़ने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी ओर अपनी चूत लंड पर रगड़ रही थी. मैने उसे पेन्टी उतारने को कहा उसने एक हाथ से पेन्टी नीचे की ओर की फिर टांगो से बाहर निकाल दी क्या चूत थी उसकी यार एक दम डबल रोटी के जैसी फूली हुई ओर एक भी बाल नही था पूरी क्लीन शेव थी मैने अपना हाथ उसके ऊपर फेरना शुरू किया तो वो काँप उठी ओर मेरे होठों को काटने लगी.

मैने उसकी चूत के अंदर उंगली डाल कर हिलाना शुरू कर दिया वो बिल्कुल टाइट थी ओर बहुत गर्म थी वो भी अपनी गांड हिला हिला कर उंगली अंदर ले रही थी ओर आह्ह्ह आह्ह्ह की आवाज़े निकाल रही थी मेरा लंड तो अब खड़े खड़े दर्द करने लगा था ओर शायद उसे ये पता लग गया उसने मुझे घुमा दिया ओर दीवार के साइड कर दिया ओर झट से नीचे झुक कर मेरा अंडरवेयर उतार कर मेरे लंड को हाथो मे ले कर सहलाने लगी ओर एक बार मेरी ओर देख कर उसे मुँह मे ले लिया ओर चूसने लगी. ओह माई गॉड क्या फीलिंग थी यार उसका गर्म गर्म थूक मेरे लंड पर चिकना सा लग रहा था उसके मुँह मे लंड आधा ही जा रहा था लेकिन वो उसे पूरा गले तक लेने की कोशिश कर रही थी में बता नही सकता यार की वो कितने अच्छे से लंड चूसती थी
 
अब वो मेरे लंड को पागलो की तरह चूस रही थी मानो जैसे आज ही उसे पूरा निगल जायेगी उसके चूसने से पुचूक पुचूक जैसी आवाज़े निकल रही थी जो मुझे

ओर पागल बना रही थी अब मुझ से रहा नही जा रहा था मैने उसके सर को पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा ओर वो भी मेरा लंड पूरे गले तक ले रही थी ओर एक हाथ से अपनी चूत सहला रही थी 10 मिनिट तक उसका मुँह चोदने के बाद में उसके मुँह मे ही झड़ गया ओर मैने देखा की वो मेरा सारा माल पी गयी ओर फिर मेरे लंड को चाटने लगी. ओर फिर मैने उसे गले लगा लिया ओर किस करने लगा मेरा लंड अभी भी खड़ा था ओर मुझे ओर करना था तो मैने उसे टावल से लपेटा उसे गोद मे उठाया ओर बेड पर ले गया ओर उसे बेड पर लिटा कर उसका टावल उतार दिया ओर उसके नंगे बदन को चुमने लगा वो कसमसा रही थी में उसके बोबे दबा रहा था ओर मसल रहा था ओर वो तड़प रही थी.


फिर मैने उसकी टांगो को फैला कर उसकी फूली हुई चूत को चुमना शुरू किया ओर वो अहह करने लगी ओर अपनी टांगो को ओर फैला दिया ओर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया मैने अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल कर उसे चाटने लगा ओर चुसने लगा वो पागलो की तरह “अहह अहह ओर चुसो ओर चुसो जान पूरी जीभ अंदर डालो ” बोल रही थी ओर अपनी गांड उठा उठा कर मेरे मुँह को दबा रही थी और जितने में वो फिर झड़ गयी ओर मेरे मुँह मे नमकीन सा पानी आ गया जो अच्छा भी लग रहा था. फिर उसने कहा “प्रेम डाल दो मेरे अंदर मुझ से रहा नही जा रहा प्लीज” मैने कहा जैसा तुम कहो जान.



मैने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया ओर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ कर उसे गीला किया ओर अपना टोपा उसकी चूत के मुँह पर रखा ओर धीरे से अंदर घुसा दिया उसे थोड़ा सा दर्द हुआ ओर उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया ओर बोलने लगी की दर्द हो रहा है मैने भी लंड को ऐसे ही रहने दिया ओर इतने मे ही उसे धीरे धीरे हिलाने लगा उसे भी थोड़ा सा अच्छा लगने लगा था ओर वो अपनी टाँगे खोलने लगी थी ओर उसकी चूत ओर गीली हो गयी थी में धीरे धीरे लंड उसके अन्दर करता जा रहा था मेरा लंड थोड़ा ओर अंदर चला गया था वो मज़े ले रही थी ओर में इतने मे ही उसे चोद रहा था ओर पचक पचक की आवाज़ आ रही थी फिर मैने उसके होठों को चुसना शुरू कर दिया ओर अपनी स्पीड भी बड़ा दी ओर फिर ज़ोर लगा कर लंड को ओर अन्दर कर दिया.
 
वो दर्द से छटपटा रही थी उसने अपनी टाँगे टाइट कर दी थी जिस से लंड अटक गया था ओर वो गहरी साँसे ले रही थी मैने उसके होठों को चुमा ओर उससे कहा की जान टाँगे ढीली छोड़ो वरना ज्यादा दर्द होगा वो नही मानी फिर थोड़ा समझने के बाद उसने अपने आप को ढीला छोड़ा ओर मैने तुरंत एक झटके मे पूरा लंड उसके अंदर डाल दिया वो चिल्लाने लगी ओर मुझे अपने से चिपका कर जकड़ लिया में उसे लगातार स्पीड से चोदता जा रहा था वो अभी भी आआआआआ आआआआ आआआआआहह कर चिल्ला रही थी ओर गहरी गहरी सांसे ले रही थी 5 मिनिट तक में उसे ऐसे ही चोदता रहा फिर वो थोड़ा शांत हुई ओर अब उसकी आवाज़ भी हल्की सी चेंज हो गयी थी ओर वो सिसकारियां लेने लगी थी. 


वो अब अपनी गांड उठा कर मेरा साथ देने लगी थी ओर ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी पूरे रूम मे पचक-पचक की आवाज़े आने लगी थी सर्दियो का मौसम होने के बावजूद हम दोनो पसीने से भीग चुके थे में अब पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर डाल रहा था जो उसे बहुत अच्छा लग रहा था ओर वो हर बार भारी आवाज़ मे कह रही थी “फक ऊहह फुक्कककक फुक्ककक मे जाआअन्णन्न् फुक्ककककककक मे ओर ओर अंदर डालो. ऊऊऊओह एससस्स ओएसस्स” ऐसी आवाज़े सुन कर मेरा झड़ने का मूड नही कर रहा था मन कर रहा था की पूरी रात उसे ऐसे ही चोदता रहूँ लेकिन 30 मिनिट तक ऐसे ही जंगली चुदाई के बाद मेरा माल निकल गया ओर मैने सारा उसकी चूत मे ही डाल दिया ओर उसके ऊपर से हटने लगा लेकिन प्रिया ने मुझे हटने नही दिया ओर मुझसे लिपटी रही हम कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे फिर में उठा. 

मैने देखा की उसकी चूत से खून निकला हुआ था जो मेरे माल के साथ मिल कर उसकी चूत से बह रहा था वो ऐसे ही टाँगे फैलाये लेटी हुई थी मैने उसे देखने को कहा तो उसने एक स्माइल के साथ कहा “ये तो होना ही था आज में औरत जो बन गयी हूँ” ओर मैने उसे फिर से किस किया. उससे उठा नही जा रहा था तो में उसे उठा कर बाथरूम तक ले गया उसने अपनी चूत को गर्म पानी से साफ करने को कहा जिससे उसे थोड़ा आराम भी मिला मैने तब तक बेडशीट चेंज कर दी थी वो बाहर आई तो फिर में उसे उठा कर बेड तक ले गया.
 
[size=large]प्रगति की आत्मकथा- १
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प्रगति एक ३५ साल की शादी शुदा महिला है जिसका पति, मुरली, पुलिस में कांस्टेबल है। प्रगति एक सुन्दर औरत है जो दिखने में एक २०-२२ साल की लड़की की तरह दिखती है। ५' २" ऊंचा कद, छोटे स्तन, गठीला सुडौल शरीर, रसीले होंट, काले लम्बे बाल ओर मोहक मुस्कान। उनके एक बेटा था जो १३ साल की उम्र में भगवन को प्यारा हो गया था। इस हादसे से प्रगति को बहुत आघात लगा था। इसके बाद बहुत कोशिशों के बाद भी उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था।

मुरली एक शराबी कबाबी किस्म का आदमी था जो की पत्नी को सिर्फ एक सेक्स का खिलौना समझता था। उसकी आवाज़ में कर्कशता और व्यवहार में रूखापन था। वोह रोज़ ऑफिस से आने के बाद अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता था। पुलिस में होने के कारण उसका मोहल्ले में बहुत दबदबा था। उसको शराब और ब्लू फिल्म का शौक था जो उसे अपने पड़ोस में ही मुफ्त मिल जाते थे।

रोज़ वोह शराब पी के घर आता और ब्लू फिल्म लगा कर देखता। फिर खाना खा कर अपनी पत्नी से सम्भोग करता। यह उसकी रोज़ की दिन चर्या थी।

बेचारी प्रगति का काम सिर्फ सीधे या उल्टे लेट जाना होता था। मुरली बिना किसी भूमिका के उसके साथ सम्भोग करता जो कई बार प्रगति को बलात्कार जैसा लगता था। उसकी कोई इच्छा पूर्ति नहीं होती थी ना ही उस से कुछ पूछा जाता था। वह अपने पति से बहुत तंग आ चुकी थी पर एक भारतीय नारी की तरह अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। पहले कम से कम उसके पास अपना बेटा था पर उसके जाने के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई थी। उसका पति उसका बिलकुल ध्यान नहीं रखता था। सम्भोग भी क्रूरता के साथ करता था। न कोई प्यारी बातें ना ही कोई प्यार का इज़हार। बस सीधा अपना लिंग प्रगति की योनि में घुसा देना। प्रगति की योनि ज्यादातर सूखी ही होती थी और उसे इस तरह के सम्भोग से बहुत दर्द होता था। पर कुछ कह नहीं पाती थी क्योंकि पति घर में और भी बड़ा थानेदार होता था। इस पताड़ना से प्रगति को महीने में पांच दिन की छुट्टी मिलती थी जब मासिक धर्म के कारण मुरली कुछ नहीं कर पाता था। मुरली की एक बात अच्छी थी की वो पुलिसवाला होने के बावजूद भी पराई औरत या वेश्या के पास नहीं जाता था।

प्रगति एक कंपनी में सेक्रेटरी का काम करती थी। वह एक मेहनती और ईमानदार लड़की थी जिसके काम से उसका बॉस बहुत खुश था। उसका बॉस एक ५० साल का सेवा-निवृत्त फौजी अफसर था। वह भी शादीशुदा था और एक दयालु किस्म का आदमी था। कई दिनों से वह नोटिस कर रहा था कि प्रगति गुमसुम सी रहती थी। फौज में उसने औरतों का सम्मान करना सीखा था। उसे यह तो मालूम था कि उसका बेटा नहीं रहा पर फिर भी उसका मासूम दुखी चेहरा उसको ठेस पहुंचाता था। वह उसके लिए कुछ करना चाहता था पर क्या और कैसे करे समझ नहीं पा रहा था। वह उसके स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता था। उधर प्रगति अपने बॉस का बहुत सम्मान करती थी क्योंकि उसे अपने बॉस का अपने स्टाफ के प्रति व्यवहार बहुत अच्छा लगता था। बॉस होने के बावजूद वह सबसे इज्ज़त के साथ बात करता था और उनकी छोटी बड़ी ज़रूरतों का ध्यान रखता था। सिर्फ प्रगति ही नहीं, बाकी सारा स्टाफ भी बॉस को बहुत चाहता था।

एक दिन, जब सबको महीने की तनख्वाह दी जा रही थी, बॉस ने सबको जल्दी छुट्टी दे दी। सब पैसे ले कर घर चले गये, बस प्रगति हिसाब के कागजात पूरे करने के लिए रह गई थी। जब यह काम ख़त्म हो गया तो वह बॉस की केबिन में उसके हस्ताक्षर लेने गई। बॉस, जिसका नाम शेखर है, उसका इंतज़ार कर रहा था। उसने उसे बैठने को कहा और उसका वेतन उसे देते हुए उसके काम की सराहना की। प्रगति ने झुकी आँखों से धन्यवाद किया और जाने के लिए उठने लगी।

शेखर ने उसे बैठने के लिए कहा और उठ कर उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। उसने प्यार से उस से पूछा कि वह इतनी गुमसुम क्यों रहती है? क्या ऑफिस में कोई उसे तंग करता है या कोई और समस्या है?

प्रगति ने सिर हिला कर मना किया पर बोली कुछ नहीं। शेखर को लगा कि ज़रूर कोई ऑफिस की ही बात है और वह बताने से शरमा या घबरा रही है। उसने प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा कि उसे डरने की कोई ज़रुरत नहीं है और वह बेधड़क उसे सच सच बता सकती है। प्रगति कुछ नहीं बोली और सिर झुकाए बैठी रही। शेखर उसके सामने आ गया और उसकी ठोडी पकड़ कर ऊपर उठाई तो देखा कि उसकी आँखों में आँसू थे।

शेखर ने उसके गालों से आँसू पौंछे और उसे प्यार से अपने सीने से लगा लिया। इस समय प्रगति कुर्सी पर बैठी हुई थी और शेखर उसके सामने खड़ा था। इसलिए प्रगति का सिर शेखर के पेट से लगा था और शेखर के हाथ उसकी पीठ और सिर को सहला रहे थे। प्रगति अब एक बच्चे की तरह रोने लग गई थी और शेखर उसे रोने दे रहा था जिस से उसका मन हल्का हो जाये। थोड़ी देर बाद वह शांत हो गई और अपने आप को शेखर से अलग कर लिया। शेखर उसके सामने कुर्सी लेकर बैठ गया। पास के जग से
 
जग से एक ग्लास पानी प्रगति को दिया। पानी पीने के बाद प्रगति उठकर जाने लगी तो शेखर ने उसे बैठे रहने को कहा और बोला कि अपनी कहानी उसे सुनाये। क्या बात है ? क्यों रोई ? उसे क्या तकलीफ है ?


प्रगति ने थोड़ी देर इधर उधर देखा और फिर एक लम्बी सांस लेकर अपनी कहानी सुनानी शुरू की। उसने बताया किस तरह उसकी शादी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ एक गंवार, क्रूर,शराबी के साथ करा दी थी जो उम्र में उस से १५ साल बड़ा था। उसके घरवालों ने सोचा था कि पुलिस वाले के साथ उसका जीवन आराम से बीतेगा और वह सुरक्षित भी रहेगी। उन्होंने यह नहीं सोचा कि अगर वह ख़राब निकला तो उसका क्या होगा? प्रगति ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अपने दाम्पत्य जीवन की कड़वाहट भी बता डाली। किस तरह उसका पति उसके शरीर को सिर्फ अपने सुख के लिए इस्तेमाल करता है और उसके बारे मैं कुछ नहीं सोचता। किस तरह उसके साथ बिना किसी प्यार के उसकी सूखी योनि का उपभोग करता है, किस तरह उसका वैवाहिक जीवन नर्क बन गया है। जब उसने अपने १३ साल के बेटे के मरने के बारे में बताया तो वह फिर से रोने लगी। किस तरह से उसके घरवाले उसे ही उसके बेटे के मरने के लिए जिम्मेदार कहने लगे। किस तरह उसका पति एक और बच्चे के लिए उसके साथ ज़बरदस्ती सम्भोग करता था और अपने दोस्तों के सामने उसकी खिल्ली उड़ाता था।

शेखर आराम से उसकी बातें सुनता रहा और बीच बीच में उसका सिर या पीठ सहलाता रहा। एक दो बार उसको पानी भी पिलाया जिस से प्रगति का रोना कम हुआ और उसकी हिम्मत बढ़ी। धीरे धीरे उसने सारी बातें बता डालीं जो एक स्त्री किसी गैर मर्द के सामने नहीं बताती। प्रगति को एक आजादी सी महसूस हो रही थी और उसका बरसों से भरा हुआ मन हल्का हो रहा था। कहानी ख़त्म होते होते प्रगति यकायक खड़ी हो गई और शेखर के सीने से लिपट गई और फिर से रोने लगी मानो उसे यह सब बताने की ग्लानि हो रही थी।

शेखर ने उसे सीने से लगाये रखा और पीठ सहलाते हुए उसको सांत्वना देने लगा। प्रगति को एक प्यार से बात करने वाले मर्द का स्पर्श अच्छा लग रहा था और वह शेखर को जोर से पकड़ कर लिपट गई। शेखर को भी अपने से १५ साल छोटी लड़की-सी औरत का आलिंगन अच्छा लग रहा था। वैसे उसके मन कोई खोट नहीं थी और ना ही वह प्रगति की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था। फिर भी वह चाह रहा था कि प्रगति उससे लिपटी रहे।

थोड़ी देर बाद प्रगति ने थोड़ी ढील दी और बिना किसी हिचकिचाहट के अपने होंट शेखर के होंटों पर रख दिए और उसे प्यार से चूमने लगी। शायद यह उसके धन्यवाद करने का तरीका था कि शेखर ने उसके साथ इतनी सुहानुभूति बरती थी। शेखर थोड़ा अचंभित था। वह सोच ही रहा था कि क्या करे !

जब प्रगति ने अपनी जीभ शेखर के मुँह में डालने की कोशिश की और सफल भी हो गई। अब तो शेखर भी उत्तेजित हो गया और उसने प्रगति को कस कर पकड़ लिया और जोर से चूमने लगा। उसने भी अपनी जीभ प्रगति के मुँह में डाल दी और दोनों जीभों में द्वंद होने लगा। अब शेखर की कामुकता जाग रही थी और उसका लिंग अंगडाई ले रहा था। एक शादीशुदा लड़की को यह भांपने में देर नहीं लगती। सो प्रगति ने अपना शरीर और पास में करते हुए शेखर के लिंग के साथ सटा दिया। इस तरह उसने शेखर को अगला कदम उठाने के लिए आमंत्रित लिया। शेखर ने प्रगति की आँख में आँख डाल कर कहा कि उसने पहले कभी किसी पराई स्त्री के साथ ऐसा नहीं किया और वह उसका नाजायज़ फायदा नहीं उठाना चाहता।

अब तो प्रगति को शेखर पर और भी प्यार आ गया। उसने कहा- आप थोड़े ही मेरा फायदा उठा रहे हो। मैं ही आपको अपना प्यार देना चाहती हूँ। आप एक अच्छे इंसान हो वरना कोई और तो ख़ुशी ख़ुशी मेरी इज्ज़त लूट लेता। शेखर ने पूछा कि वह क्या चाहती है, तो उसने कहा पहले आपके गेस्ट रूम में चलते हैं, वहां बात करेंगे।
 
ऑफिस का एक कमरा बतौर गेस्ट-रूम इस्तेमाल होता था जिसमें बाहर से आने वाले कंपनी अधिकारी रहा करते थे। उधर रहने की सब सुविधाएँ उपलब्ध थीं। प्रगति, शेखर का हाथ पकड़ कर, उसे गेस्ट-रूम की तरफ ले जानी लगी। कमरे में पहुँचते ही उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया और शेखर के साथ लिपट गई।


उसकी जीभ शेखर के मुँह को टटोलने लगी। प्रगति को जैसे कोई चंडी चढ़ गई थी। उसे तेज़ उन्माद चढ़ा हुआ था। उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारने शुरू किए और थोड़ी ही देर में नंगी हो गई। नंगी होने के बाद उसने शेखर के पांव छुए और खड़ी हो कर शेखर के कपड़े उतारने लगी। शेखर हक्काबक्का सा रह गया था। सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।

वह मंत्र-मुग्ध सा खड़ा रहा। उसके भी सारे कपड़े उतर गए थे और वह पूरा नंगा हो गया था। प्रगति घुटनों के बल बैठ गई और शेखर के लिंग को दोनों हाथों से प्रणाम किया। फिर बिना किसी चेतावनी के लिंग को अपने मुँह में ले लिया। हालाँकि शेखर की शादी को २० साल हो गए थे उसने कभी भी यह अनुभव नहीं किया था। उसके बहुत आग्रह करने के बावजूद भी उसकी पत्नी ने उसे यह सुख नहीं दिया था। उसकी पत्नी को यह गन्दा लगता था। अर्थात, यह शेखर के लिए पहला अनुभव था और वह एकदम उत्तेजित हो गया। उसका लिंग जल्दी ही विकाराल रूप धारण करने लगा।

प्रगति ने उसके लिंग को प्यार से चूसना शुरू किया और जीभ से उसके सिरे को सहलाने लगी। अभी २ मिनट भी नहीं हुए होंगे कि शेखर अपने पर काबू नहीं रख पाया और अपना लिंग प्रगति के मुँह से बाहर खींच कर ज़ोरदार ढंग से स्खलित हो गया। उसका सारा काम-मधु प्रगति के स्तनों और पेट पर बरस गया। शेखर अपनी जल्दबाजी से शर्मिंदा था और प्रगति को सॉरी कहते हुए बाथरूम चला गया।

प्रगति एक समझदार लड़की थी और आदमी की ताक़त और कमजोरी दोनों समझती थी। वह शेखर के पीछे बाथरूम में गई और उसको हाथ पकड़ कर बाहर ले आई। शेखर शर्मीला सा खड़ा था। प्रगति ने उसे बिस्तर पर बिठा कर धीरे से लिटा दिया। उसकी टांगें बिस्तर के किनारे से लटक रहीं थीं और लिंग मुरझाया हुआ था। प्रगति उसकी टांगों के बीच ज़मीन पर बैठ गई और एक बार फिर से उसके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मुरझाये लिंग को पूरी तरह मुँह में लेकर उसने जीभ से उसे मसलना शुरू किया।

शेखर को बहुत मज़ा आ रहा था। प्रगति ने अपने मुँह से लिंग अन्दर बाहर करना शुरू किया और बीच बीच में रुक कर अपने थूक से उसे अच्छी तरह गीला करने लगी। शेखर ख़ुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। उसके हाथ प्रगति के बालों को सहला रहे थे। धीरे धीरे उसके लिंग में फिर से जान आने लगी और वह बड़ा होने लगा। अब तक प्रगति ने पूरा लिंग अपने मुँह में रखा हुआ था पर जब वह बड़ा होने लगा तो मुँह के बाहर आने लगा। वह उठकर बिस्तर पर बैठ गई और झुक कर लिंग को चूसने लगी। उसके खुले बाल शेखर के पेट और जांघों पर गिर रहे थे और उसे गुदगुदी कर रहे थे।

अब शेखर का लिंग बिलकुल तन गया था और उसकी चौड़ाई के कारण प्रगति के दांत उसके लिंग के साथ रगड़ खा रहे थे। अब तो शेखर की झेंप भी जाती रही और उसने प्रगति को एक मिनट रुकने को कहा और बिस्तर के पास खड़ा हो गया। उसने प्रगति को अपने सामने घुटने के बल बैठने को कहा और अपना लिंग उसके मुँह में डाल दिया। अब उसने प्रगति के साथ मुख-मैथुन करना शुरू किया। अपने लिंग को उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा। शुरू में तो आधा लिंग ही अन्दर जा रहा था पर धीरे धीरे प्रगति अपने सिर का एंगल बदलते हुए उसका पूरा लिंग अन्दर लेने लगी। कभी कभी प्रगति को ऐसा लगता मानो लिंग उसके हलक से भी आगे जा रहा है।
 
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