hotaks444
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शशांक की आँखें भी नम हो जाती हैं और फिर वो बोलता है
" तुम ने भी तो मुझे अपना सब कुछ कितने प्यार से दे दिया शिवानी ...बे झिझक ..पूरी तरेह ...मुझे भी कितना अच्छा लगा ..मुझे तुम ने कभी भी अपने दर्द और पीड़ा का अहेसास ही नहीं होने दिया .. .मैने तुम्हें दर्द दिया तुम ने उसे प्यार से स्वीकार किया ...मेरे प्यार को समझा , उसे इज़्ज़त दी ....हां शिवानी ...आइ आम रियली सो हॅपी ..आइ फील सो फुलफिल्ड ... "
थोड़ी देर दोनों फिर एक दूसरे की ओर खामोशी से देखते हैं ..
शिवानी खामोशी तोड़ती है ..और फिर पूछती है
" अच्छा भैया ..एक बात पूछूँ..?"
" हां पूछो ना शिवानी ..." शशांक उसकी ओर देखते हुए कहता है
" बूरा तो नहीं मनोगे ना ..??"
" अब देख पहेलियाँ मत बूझा , वरना ज़रूर बूरा मान जाऊँगा ...जल्दी पूछ ना .." शशांक अपनी बेसब्री जाहिर करते हुए बोलता है ..
" तुम किसे ज़्यादा प्यार करते हो..मुझे या मोम को..?" और ऐसा कहते अपना सर उसके सीने में छुपा लेती है ....
थोड़ी देर शशांक चूप रहता है , कुछ नहीं कहता ... शिवानी सोचती है शायद उसे बूरा लगा होगा , उसे मनाने के लिए बोल उठती है
" देखो बूरा लगा ना भैया ..ठीक है मत बोलो अगर बूरा लगा हो तो ...मुझे किसी से क्या लेना देना ..मेरा भैया मुझे प्यार करता है ना ..बस मैं खुश हूँ ...."
" अरे नहीं नहीं शिवानी ऐसी कोई बात नहीं ..मुझे तेरे सवाल का कोई बूरा नहीं लगा ..मैं तो सिर्फ़ सोच रहा था तुझे कैसे समझाऊं ..तुम दोनों का फ़र्क ..अच्छा हां तो सुन ..और सच पूछो तो मैं खुद चाहता था तुम्हें यह बताना..."
शिवानी उठ कर बैठ जाती है ..और अपना पूरा ध्यान उसकी ओर लगाते हुए कहती है ..
" अच्छा ..?? फिर तो जल्दी बताओ ना भैया ..प्लीज़ जल्दी.." और फिर उसके गले में बाहें डाल अपना चेहरा उपर कर लेती है और फिर से बोलती है " हां बोलो ना .."
शशांक उसकी ठुड्डी अपनी उंगलियों से उपर करता है और बोलता है
" देख शिवानी ..प्यार तो प्यार ही होता है ना बहना ..कोई किसी से कम यह ज़्यादा कैसे कर सकता है ?..प्यार की कोई सीमा भी होती है क्या ..?? तुम्हारे लिए यह किसी और के लिए होगा शिवानी ..मेरे लिए नहीं ..मैं किसी को कम या ज़्यादा प्यार नहीं कर सकता..सिर्फ़ प्यार कर सकता हूँ बे-इंतहा ....और मैं तुम दोनों को प्यार करता हूँ शिवानी ..बे-इंतहा ...."
और फिर चुप हो जाता है ....
" तुम ने भी तो मुझे अपना सब कुछ कितने प्यार से दे दिया शिवानी ...बे झिझक ..पूरी तरेह ...मुझे भी कितना अच्छा लगा ..मुझे तुम ने कभी भी अपने दर्द और पीड़ा का अहेसास ही नहीं होने दिया .. .मैने तुम्हें दर्द दिया तुम ने उसे प्यार से स्वीकार किया ...मेरे प्यार को समझा , उसे इज़्ज़त दी ....हां शिवानी ...आइ आम रियली सो हॅपी ..आइ फील सो फुलफिल्ड ... "
थोड़ी देर दोनों फिर एक दूसरे की ओर खामोशी से देखते हैं ..
शिवानी खामोशी तोड़ती है ..और फिर पूछती है
" अच्छा भैया ..एक बात पूछूँ..?"
" हां पूछो ना शिवानी ..." शशांक उसकी ओर देखते हुए कहता है
" बूरा तो नहीं मनोगे ना ..??"
" अब देख पहेलियाँ मत बूझा , वरना ज़रूर बूरा मान जाऊँगा ...जल्दी पूछ ना .." शशांक अपनी बेसब्री जाहिर करते हुए बोलता है ..
" तुम किसे ज़्यादा प्यार करते हो..मुझे या मोम को..?" और ऐसा कहते अपना सर उसके सीने में छुपा लेती है ....
थोड़ी देर शशांक चूप रहता है , कुछ नहीं कहता ... शिवानी सोचती है शायद उसे बूरा लगा होगा , उसे मनाने के लिए बोल उठती है
" देखो बूरा लगा ना भैया ..ठीक है मत बोलो अगर बूरा लगा हो तो ...मुझे किसी से क्या लेना देना ..मेरा भैया मुझे प्यार करता है ना ..बस मैं खुश हूँ ...."
" अरे नहीं नहीं शिवानी ऐसी कोई बात नहीं ..मुझे तेरे सवाल का कोई बूरा नहीं लगा ..मैं तो सिर्फ़ सोच रहा था तुझे कैसे समझाऊं ..तुम दोनों का फ़र्क ..अच्छा हां तो सुन ..और सच पूछो तो मैं खुद चाहता था तुम्हें यह बताना..."
शिवानी उठ कर बैठ जाती है ..और अपना पूरा ध्यान उसकी ओर लगाते हुए कहती है ..
" अच्छा ..?? फिर तो जल्दी बताओ ना भैया ..प्लीज़ जल्दी.." और फिर उसके गले में बाहें डाल अपना चेहरा उपर कर लेती है और फिर से बोलती है " हां बोलो ना .."
शशांक उसकी ठुड्डी अपनी उंगलियों से उपर करता है और बोलता है
" देख शिवानी ..प्यार तो प्यार ही होता है ना बहना ..कोई किसी से कम यह ज़्यादा कैसे कर सकता है ?..प्यार की कोई सीमा भी होती है क्या ..?? तुम्हारे लिए यह किसी और के लिए होगा शिवानी ..मेरे लिए नहीं ..मैं किसी को कम या ज़्यादा प्यार नहीं कर सकता..सिर्फ़ प्यार कर सकता हूँ बे-इंतहा ....और मैं तुम दोनों को प्यार करता हूँ शिवानी ..बे-इंतहा ...."
और फिर चुप हो जाता है ....