Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़ - Page 3 - SexBaba
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Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़

अपडेट : 12



आज फिर एक सुबेह होती है शिव-शांति के घर .... पर आज की सुबेह और कल की सुबेह में कितना फ़र्क था ....

एक ही दिन में कितना कुछ बदल गया था ...

आज सब से खुश थी शिवानी.....उसने तो मानों दुनिया जीत ली थी ....भैया का उसके होंठों का चूमना....... उसके होंठ अभी भी याद कर फडक उठ ते ....उसके पावं तो ज़मीन पे पड़ते ही नहीं थे ...झूम रही थी शिवानी ....अपने लूज टॉप और लूज स्लॅक्स में बहोत ही प्यारी लग रही थी ...उसकी गदराई चूचियाँ टॉप के अंदर उसकी ज़रा भी हरकत से हिल उठ ती ...बाहर निकलने को तैयार ...

आज दीवाली की सुबेह उसकी जिंदगी में रोशनी भरी थी ...जगमगा उठी थी ...मन में फुलझारियाँ फूट रहीं थीं ... और चूत में पटाखे .......


इधर शशांक भी अपने आप को बड़ा हल्का महसूस कर रहा था....उस ने मोम के सामने अपने प्यार का इज़हार कर दिया था..बिल्कुल ख़ूले लफ़्ज़ों में ....उसे अपने गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ की पूरी आशंका थी.....पर थप्पड़ के बजाय उसे मिली मोम की चुप्पी.... और यह मोम का चूप रहना भी शशांक के लिए मोम की स्वीकृति से कम नहीं थी..उस ने ठान लिया था कि अब वो अपने किसी भी हरकत से मोम को परेशान नहीं करेगा...कल शाम किचन वाली हरकत तो किसी भी सूरत में नहीं ...वो अपने मोम को साबित कर देगा उसका प्यार सिर्फ़ वासना नहीं ....एक पूजा है ...
 
और शांति भी खुश है..उसके चेहरे पर एक शूकून है....जो किसी असमांजस की स्थिति से बाहर आ एक निष्कर्ष पर पहूंचने के बाद चेहरे पर आती है ...शांति , शशांक और अपने संबंधो के बारे एक फ़ैसले पर पहून्च चूकि थी ....कोई कन्फ्यूषन नहीं था अब..

सभी अपने अपने कमरों से तैय्यार हो कर डाइनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आते हैं....


शिव और शांति तो पूरी तरेह से तैय्यार हैं दूकान जाने को ...शांति आज जीन्स और टॉप में थी..इस उम्र में भी अच्छी फिगर के चलते बहोत सूट करता था उसके बदन पर... उसका ड्रेस सेन्स भी लाजवाब था ..जीन्स ना बहोत टाइट था ना लूज..बस सिर्फ़ उसके अंदर की आकृति की झलक दीख जाती ...और टॉप भी बस वैसा ही ..उसके दूध से सफेद सीने का उभार लोगों के मन में हलचल पैदा कर देता ... इतना भी नीचा नहीं कि चूचियाँ बाहर नीकल आयें ....बस घाटी तक पहून्च कर थामा था टॉप का गला ..लोगों को उसके अंदर नायाब गोलाई का अंदाज़ा दे देती....

दोनों , बच्चों से गले मिलते हैं और एक दूसरे को दीवाली की शुभकामनायें देते हैं...


शशांक मोम से गले मिलता है , उसके गाल चूमता है ,और दीवाली विश करता है...

शशांक चौंक जाता है..मोम का रवैया कुछ बदला बदला सा था ... ... रोज सुबेह जब वो मोम से गले मिलता और उसके गाल चूमता ....मोम एक मूरत की तरेह खड़ी रहती और छोटी सी बस निभाने वाली मुस्कान ले आती... मानो यह भी एक ज़रूरी काम हो ..बस निबटा दो ...
 
पर आज तो मोम ने खुद ही अपने गाल उसकी तरफ किए ...बड़े प्यार से मुस्कुराया और काफ़ी देर तक उसके होंठों से अपने गाल लगाए रखा..उसकी मुस्कुराहट में भी एक चमक सी नज़र आई . शशांक को कुछ समझ नहीं आ रहा था ..आख़िर एक रात में ही क्या हुआ मोम को..???

शिव और शांति अपने बच्चों की तरफ हाथ हिलाते हुए बाहर निकल जाते हैं .....


पर जाते जाते शांति दोनों बच्चों को हिदायत देना नहीं भूलती " देखो तुम दोनों ज़रा ख़याल रखना ...और शिवानी तुम दिया वग़ैरह जला देना ..शशांक तुम भी शिवानी को हेल्प कर देना ..हो सकता है हमें आने में कुछ देर हो जाए .."

" यस मोम ...सब हो जाएगा डॉन'ट वरी " शिवानी बोलती है ...


जैसे ही पापा और मोम कार से निकलते हैं शिवानी से रहा नहीं जाता , वो उछलते हुए शशांक के गले से लिपट जाती है और अपने पैर उसकी कमर के गिर्द लपेटे हुए उसे चूमती है , बार बार , कभी गले को , कभी गाल को और कभी शशांक के होंठो को , वो पागल हो जाती है

" ओह भैया ,,भैया यू आर छो स्च्वीत ...आइ लव यू ....दीवाली मुबारक हो ...."


शशांक इस अचानक हमले से बौखला जाता है


" यह लड़की ..उफफफफ्फ़ ...पटाखे से भी ज़्यादा ही फट रही है ..."

" हां भैया ..तुम ने ठीक कहा पटाखे से भी ज़्यादा ... "


"ओके ओके ....आइ नो आइ नो " ..और वो भी एक प्यारा सा किस उसके होंठों पर जड़ देता है , उसे अपनी मजबूत बाहों से थामते हुए उसे पास रखी एक कुर्सी पर बिठा देता है ..और खुद भी एक कुर्सी खींच उसके बगल बैठ जाता है....

शिवानी उत्तेजना से हाँफ रही थी .....


शशांक भी शिवानी के इस प्यारे से हमले से अपने आप को पूरी तरह बचा नहीं पाया था, उसके उभरे हुए बॉक्सर का शेप इसकी बात की चीख चीख कर गवाही दे रहा था ...

थोड़ी देर तक कोई कुछ नहीं बोलता ...एक दूसरे को देखते रहते हैं ...


शिवानी की साँस नॉर्मल होती है ..शशांक चूप्पि तोड़ता हुआ बोलता है


" अच्छा शिवानी तू तो अब मेरी फिलॉसफर , गाइड और बेस्ट फ्रेंड है ना ...??" शशांक थोड़ा माखन लगाता है ..

" हां वो तो हूँ .." शिवानी अपना सीना तानते हुए कहती है ..
 
" ह्म्म्मी तो फिर बता ना ..आज मोम को अचानक क्या हो गया ..तुम ने देखा ना कितने प्यार से मुझे देख रही थी और कितनी देर तक मुझे अपनी गाल चूमने दिया ..??" शशांक पूछता है

" देखा ना भैया ..मैने कहा था ना मोम को टाइम दो ..एक ही रात में कितना बदलाव आ गया ..जस्ट वेट फॉर सम मोर टाइम माइ बिलव्ड ब्रो' ...सम मोर टाइम ...और तुम देखोगे और कितना बदलाव आता है.." शिवानी प्यार से उसकी ओर देखते हुए कहती है ....उसकी आँखों में भैया का प्यार और चाहत झलक रहे थे...

" हां शिवानी तू ठीक ही कहती है ..." शशांक भी उसकी ओर देखता है ..


दोनों की नज़रें टकराती है ...शिवानी के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है....


इस बार शशांक को शिवानी कुछ और भी नज़र आती है ..सिर्फ़ एक पटाखा बहेन नहीं ...


शिवानी के लूज टॉप के अंदर उसकी तेज़ साँसों और दिल की तेज़ धड़कनों के साथ हिलती हुई उसकी गदराई चूचियाँ , उसके गोरे और लाली लिए गाल , बड़ी बड़ी आँखें और सब से ज़्यादा उसकी शेप्ली नाक ...आज शशांक को अपनी बहेन की जवानी के उभार भी दिखते हैं ...

वो एक टक उसे देखता है...... शिवानी का मन शशांक के अगले कदम की कल्पना में झूम उठ ता है ..उसकी सांस और तेज़ हो जाती है ..शरीर में झूरजूरी सी महसूस होती है...

उसका सीना धौंकनी की तरेह उपर नीचे हो रहा था ...उसकी चूचियाँ भी साथ साथ उछल रही थीं ..
 
शशांक खड़ा हो जाता है .. हाई उसे एक बच्चे की तरेह अपने गोद में उठा लेता है ....उसका सर अपने कंधे पर रख लेता है और उसके कान में फुसफुसाते हुए कहता है ..

" शिवानी .."


" हां भैया ..क्याअ .??." उसकी आवाज़ भर्राई हुई थी


" आइ लव यू टू..."


यह चार शब्द शिवानी को उसके होश-ओ - हवास खो देने पर मजबूर कर देते हैं..

शिवानी , शशांक से बूरी तरेह चीपक जाती है ..उसके कमर को अपने पैरों से और गले को अपने हाथों से और भी जाकड़ लेती है ... उस से ऐसे चिपकती है जैसे किसी पेड़ से लता ...शिवानी के स्लॅक्स इतने पतले हैं कि शशांक को अपनी कमर के गिर्द शिवानी की जांघों की गर्मी , उसका मुलायम और मांसल स्पर्श इस तरेह लगता है मानों वो नंगी है....

दोनों एक दूसरे को चूमते जा रहे हैं ....चाट ते जा रहे हैं ..कहाँ , कितना और कब किसी को कुछ होश नहीं रहता ..पागल हो गये हैं दोनों...


शिवानी हाँफ रही थी... तभी वो अपना एक हाथ नीचे करते हुए भैया के बॉक्सर पर ले जाती है और वहाँ कड़क उभार को जोरों से दबाती है ....मुट्ठी में भर लेती है , और अपनी उखड़ी उखड़ी सी आवाज़ में सर उठा कर शशांक की ओर देखते हुए कहती है

" भैया ..."


"हां शिवानी बोल ना .." शशांक भी उसकी आँखों में झाँकता हुआ कहता है..


शिवानी और जोरो से उसके बॉक्सर के उभार को दबाती हुई बोलती है

" मुझे यह चाहिए ..मेरी दीवाली गिफ्ट , दो ना भैया..." अपनी ज़ुबान में जितनी मीठास , प्यार और चाहत ला सकती थी शिवानी ने लाते हुए कहा ...और फिर नज़रें झूका लीं ...

शशांक पहले तो आँखें तरेरते हुए उसे देखता है .....फिर उसके चेहरे को अपनी हथेली से थामते हुए अपने चेहरे के सामने करता हुआ कहता है


" शिवानी ..अभी नहीं ..अभी नहीं .....मेरी बहना ....अभी नहीं ....तुम्हें बहोत दर्द होगा ..मैं यह दर्द तुम्हें नहीं दे सकता ...प्लीज़ अभी नहीं.."

" प्लीज़ भैया ..मैं यह दर्द हंसते हंसते झेल लूँगी .. आप का दिया दर्द भी तो मेरे लिए दवा से भी बढ़ के है .." शिवानी उसकी मिन्नत करती है ....
 
" कुछ तो समझो शिवानी ..बस कुछ दिन और रुक जाओ ....प्लीज़.." शशांक समझाने की कोशिश करता है


" ठीक है भैया ..मुझे बस दीवाली गिफ्ट चाहिए ...वरना मैं अपने अंदर मोम बत्ती डाल कर , आप के लिए रास्ता सॉफ करूँगी अभी के अभी ..फिर जो दर्द होगा मुझे ..आप बर्दाश्त कर लेना ..." शांति ने एमोशनल ब्लॅकमेल का रास्ता अपनाया.. .उसकी इस .धमकी ने कुछ असर किया ..

शशांक जानता था शिवानी के लिए यह कुछ मुश्किल काम नहीं था ..अपनी ज़िद में कुछ भी कर सकती थी ...और उसकी संकरी सी..पतली सी चूत में कॅंडल अंदर जाना और उसकी झिल्ली का फटना ...यह सोच कर ही शशांक कांप उठा ..

वो बनावटी गुस्सा दिखाता हुआ उसके चेहरे पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाता है


" तू पूरी पागल है ..पूरी ...."


" हां मैं पागल हूँ भैया ..मैं हूँ पागल .... बस मुझे दीवाली गिफ्ट चाहिए और अभी चाहिए ..अभी चाहिए ..भैया प्लीज़ अभी चाहिए .." वो शशांक की गोद में कांप रही थी ....और बार बार शशांक के उभार को दबाती जा रही थी ..शशांक भी उसकी इस हरकत से सीहर उठ ता है

वो फिर से शिवानी का चेहरा अपनी तरफ करता है ....उसकी आँखों में देखता है ....उसे ऊन आँखों में एक बड़ी बेताबी , हसरत और ललक दिखाई दी ... मानो भैया से गिफ्ट की भीख माँग रही हो...

" उफफफफ्फ़..यह लड़की ...." शशांक अपने मन ही मन कहता है ..


उसे अपने सीने से चीपका लेता है ....गोद में भर लेता है ...उसके होंठों को अपने होंठों से जाकड़ लेता है ..उन्हें चूस्ते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ता जाता है ....

शिवानी अपने आप को उसके मजबूत कंधों और चौड़े सीने पर छोड़ देती है...... अपने आप को भैया के सुपुर्द कर देती है ..... उसका पूरा शरीर ढीला है शशांक की बाहों में ....

आनेवाले पलों की कल्पना मात्र से शिवानी झूम रही है ..सीहर रही है ....


शशांक अपने कमरे का दरवाज़ा अपने पैर से धकेलते हुए पूरा खोल देता है और शिवानी को अपने कंधों पर लिए अंदर प्रवेश करता है.....

शशांक धीरे धीरे चलता हुआ अपने बेड तक पहूंचता है ...अभी भी बिस्तर बेतरतीब हैं ....सुबेह उठने के बाद वैसे का वैसे ही पड़ा था उसका बीस्तर .....शशांक उसे लिटा देता है , उसके हाथ शिवानी के गले को थामे लिटा ता है..शिवानी की गर्दन तकिये पर है और उसके बीखरे बाल तकिये के बाहर और भी बीखर जाते हैं ... ... बिछी चादर , सलवटें पड़ीं और उस पर शिवानी अपने चमकते ,काले और महेकते बीखरे बालों सहित लेटी...ऐसा लग रहा था शिवानी भी शशांक के बीस्तर से कोई अलग चीज़ नहीं ..उसके बीस्तर का ही हिस्सा हो....उसके के जीवान का ही एक हिस्सा ...शिवानी के होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट और आँखें बंद थीं ..
 
शिवानी के हाथ फैले हुए हैं ..दोनों टाँगें सीधी और थोड़ी फैली .... शशांक के अगले कदम की प्रतीक्षा में ....


स्लॅक्स के अंदर उसकी गीली पैंटी सॉफ दीख रही थी ...

शशांक उस से लगता हुआ उसकी ओर चेहरा किए बगल में लेट जाता है ...थोड़ी देर तक उसे निहारता रहता है..... उसके होंठों को चूमता है ...और शिवानी के बालों को सहलाता हुआ कहता है ...

" शिवानी ....."


" हां भैया ..बोलो ना .." दोनों की आवाज़ भर्राई सी है....


" तू क्यूँ ज़िद पे आडी है बहना ...अपने भाई को क्यूँ तकलीफ़ देने पर आमादा है..??"

" भैया ...मैं जानती हूँ दर्द मुझे होगा और तकलीफ़ आप को .... पर कभी ना कभी तो होना ही है ना ..?क्या मैं जिंदगी भर कुँवारी रहूं ..?"


" शिवानी कुछ दिन और रुक जा ना..थोड़ी और बड़ी हो जाएगी ना ...फिर आसानी होगी..."

" नहीं भैया ..मैं और नहीं रुक सकती ..बस मुझे आज चाहिए ..और भैया ...मुझे अपने से ज़्यादा आप पर भरोसा है..मैं जानती हूँ आप मुझे कुछ भी दर्द महसूस नहीं होने दोगे .... इतने प्यार से , हिफ़ाज़त से मेरे कुंवारेपन को और कौन तोड़ेगा भैया ... मुझे इतना अच्छा , प्यारा और यादगार गिफ्ट कौन देगा भैया ....प्लीज़ आप मुझे इस पल के महसूस से मत रोको .प्लीज़...."

और फिर शिवानी करवट लेती हुई शशांक के उपर आ जाती है ..उस से लिपट जाती है , अपने टाँगों के बीच उसके बॉक्सर के उभार को जकड़ती है और अपनी गीली पैंटी से बूरी तरेह दबाती जाती है


शशांक कराह उठा ता है इस अचानक मस्ती के झोंके से ....
" उफफफफफफफ्फ़..शिवानी...शिवानी तू क्या कर रही है.....आआआः ...तू बहोत ज़िद्दी है ....."

" हां भैया ....मेरे प्यारे भैया .... आज मैं अपनी ज़िद मनवा के रहूंगी ......" वो शशांक को चूमती जाती है और अपनी गीली पैंटी से और जोरों से दबाती है ....

शशांक का उभार कड़ा और कड़ा होता जाता है..उसे ऐसा महसूस होता है उसके बॉक्सर को फाड़ते हुए उसका कड़ा लंड कभी भी बाहर आ जाएगा .....

वो सिहर जाता है...और धीमी आवाज़ में कहता है ..


" पर शिवानी मैने भी तो आज तक यह काम नहीं किया ....तुम्हें बहोत दर्द होगा बहना ....."


" मैं जानती हूँ भैया ..आज हम दोनों अपना अपना कुँवारापन एक दूसरे को गिफ्ट करेंगे ...उफफफफ्फ़ ...उुउउहह .भैया कितना अच्छा कोयिन्सिडेन्स है ...... "

अपनी गदराई चूचियों को शशांक के सीने से रगड़ते हुए शिवानी बोलती है...

शशांक की हिचक और विरोध कमजोर पड़ते जा रहे थे ..... वो भी इस आनंद और मस्ती के ल़हेर में बहता जा रहा था ....

अपनी टूट ती आवाज़ में शशांक कराहता है

" अयाया शिवानी ....ऊवू ..तू यह क्या कर रही है बहना ..उफ़फ्फ़..देख ऐसा मत सोचना मेरा दिल नहीं करता ...बहोत दिल करता है शिवानी ..बहोत ...पर फिर तेरा दर्द ..??"

" कम ऑन भैया ...दर्द तो होना ही है भैया ....पर आप का दिया दर्द भी तो कितना मीठा होगा ...आप यह मीठा दर्द मुझे महसूस करने दो ना ..प्लीज़ ..."


और अब तक लोहे के समान हो चूके कड़े उभार को शिवानी अपने एक हाथ से जोरों से जकड़ते हुए अपनी गीली पैंटी पर दबाते हुए रगड़ देती है ....
 
शशांक का पूरा बदन झन झना उठता है...सीहर जाता है , उसकी रही सही रुकावट का बाँध फूट जाता है ....

वो आआहएं भरता है " आआआआआआः ..शिवाााआआआआआअनी..."


और फिर वो भी उसे अपने में जाकड़ लेता है पूरी तरेह...शिवानी उसकी जाकड़ में खो जाती है ...अपने आप को भूल जाती है उसकी मजबूत बाहों में..... ..कुछ देर तक उसके सीने पर अपना सर रखे उसे निहारती रहती है ...फिर कुछ सोचती है ..और .शिवानी अपने को अलग करती है , एक झटके में अपना टॉप और स्लॅक्स उतार देती है ....

नंगी हो जाती है बिल्कुल...और घूटनों के बल , जंघें फैलाए शशांक के सामने बैठ जाती है ..


शशांक के सामने उसकी गदराई और अनछुइ जवानी बे-परदा है ...सिर्फ़ शशांक के लिए ....सिर्फ़ शशांक से मिलनेवाले मीठे दर्द के अहसास के लिए ...

थोड़ी देर दोनों एक दूसरे को देखते हैं ..दोनों की आँखों में आग सुलग रही थी ... एक ऐसी आग जिसकी लपट में दोनों झुलसने को बेताब हो उठ ते है...यह थी जवानी की आग.....

शशांक के सामने शिवानी का मक्खन जैसा पेट , जांघों के बीच टाइट फाँक , फाँक के बीच गीलापन , कड़क उछलती हुई गथीली चूचियाँ , फड़कते हुए रस से भरपूर होंठ ...बड़ी बड़ी आँखें हसरत , ललक और चाहत से भरी .....

शिवानी ने अपने को पूरी तरेह उसके सामने रख दिया.....कुछ भी बाकी नहीं था अब ...यह .शशांक की मर्दानगी को शिवानी की चुनौती थी ....


शशांक उठ ता है और खुद भी नंगा हो जाता है .. वो भी घूटनों के बल शिवानी के सामने बैठ जाता है...

उसकी मर्दानगी भी नंगी हो जाती है ... ऐसी मर्दानगी जिसके आगोश में कोई भी औरत हंसते हुए अपना सब कुछ लुटा दे ..शिवानी बस आँखें फाडे उसे देखती है ..चौड़ा सीना , गठिला बदन ..मजबूत बाहें और फनफनाता और कडेपन से हिलता हुआ 8" का लंड ..

शशांक ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली ....


वो उस से लिपट जाती है ...उसके सीने पर सर रखे , अपनी बाहों से उसे जाकड़ लेती है ...आँखें बंद और सर सीने में छुपा ....उसकी औरत ने आत्मसमर्पण कर दिया उस मर्द को ....शिवानी कांप रही थी

शशांक उसे फिर से अपनी गोद में उठाता है ..और उसे लिटा देता है ...


पहली बार दोनों को नंगे शरीर से स्पर्श का अद्भुत और रोमांचक अनुभव होता है ...नंगे शरीर की गर्मी , उसकी कोमलता , उसकी मांसलता का अहसास होता है.... शिवानी इस आनंद से चीख उठ ती है ....

उसकी चूत से पानी रिस रहा था ..उसकी चूचियाँ शशांक के हाथों के स्पर्श मात्र से कड़ी हो गयी थी...उसकी घुंडिया कड़ी हो गयी थी...


शशांक उसके उभरे स्तन को मुँह मे लेता हुआ घूंड़ी के उपर अपनी जीभ फिराता है..शिवानी कांप उठ ती है .... उसका सर दबाती है अपनी चूची की तरेफ ....शशांक उसे अपने मुँह में भर लेता है ..चूस्ता है ..शिवानी को ऐसा महसूस होता है उसका सब कुछ अब बाहर निकल जाएगा '..उसके चूतड़ अपने आप उछल पड़ते हैं .... शशांक का लंड शिवानी की जांघों के बीच टकराता जाता है ...

शशांक का भी बूरा हाल है....


उसका कडपन अब उस से सहेन नहीं होता ..उसे लगता है इसे अब गर्मी चाहिए ...उसे अब किसी कोमल घर्षण की ज़रूरत है ..और यह कोमल और मुलायम घर्षण उसे शिवानी के अंदर ही मिल सकता है ...उफ़फ्फ़ यह कितना नॅचुरल रिक्षन था ...किसी को बताने की ज़रूरत नहीं होती ..अपने आप होता जाता है...

वो शिवानी के चूतड़ो को उठाता है ..उसके नीचे तकिया रखता है ..शिवानी पैर फैलाती है ..उसकी कसी चूत में पतली सी फाँक दीखती है ..गुलाबी फाँक ...बिल्कुल गीली ...

शशांक उसकी जांघों के बीच आ जाता है , अपना कड़क हिलता हुआ लंड हाथों में लेता है ..शिवानी अगले कदम की कल्पना से सीहर उठती है ..आँखें बंद कर लेती है ..


शशांक सुपाडे को उसकी पतली फाँक पर लगाता है .... लंड की गर्मी शिवानी को महसूस होती है ..चूत बहोत गीली है , बहोत फिसलन है , बहोत कसी है ..लंड पर ज़ोर लगाता है शशांक , सुपडा अंदर जाता है ....शिवानी की जाँघ फैल जाती हैं ... शशांक थोड़ा थूक लगाता है ....और ज़ोर लगाता है ...शिवानी भी टाँगें पूरी फैला देती है....चूतड़ उपर उठाती है ...उसका लंड और भी अंदर जाता है ...

उफफफफफ्फ़ कितनी गर्म है , कितना टाइट है शिवानी की चूत , शशांक को ऐसा महसूस होता है मानो किसी के हथेलियों ने उसके लंड को बूरी तरेह जाकड़ रखा हो ..करीब आधे से ज़्यादा लंड अंदर है ...

शिवानी की आँखों में पीड़ा है ..दर्द है पर होठों पर मुस्कान ..दर्द भरी मुस्कान ...

शिवानी की आँखों से दर्द से भरे आँसू टपकते हैं ..पर होठों पर अभी भी मुस्कान है ....दर्द आख़िर मीठा है ना ....
शशांक उसकी ओर देखता है .....उसके आँसू को चूम लेता है ..चाट जाता है ...
शिवानी आत्मविभोर है ....
 
शशांक फिर से धक्का लगाता है अब पूरा लंड जड़ तक अंदर है , शिवानी का शरीर अकड़ जाता है ...

शिवानी की जाँघ थरथरा रही हैं ... चूत की फांके फडक रही हैं ... आँखों से आँसू बह रहे हैं और होंठों पे फिर भी मुस्कान है.... दर्द भरी मुस्कान

शशांक उसे अपने सीने से लगाए उसे चूम रहा है ..लंड अंदर ही है ...

अंदर ही अंदर चूत रिस रहा है ..खून और रस से भरा .... शशांक का लंड और गीला होता है और उसकी चूत थोड़ी और ढीली हो जाती है ...
शशांक अपना लंड आधा बाहर निकालता है और फिर धीरे धीरे अंदर करता है ..इस बार उतनी कसी नहीं थी ,लंड पतली फाँक को चीरते हुए पर आराम से अंदर जाता है ...

शिवानी का दर्द कम होता जा रहा है ....

उफ़फ्फ़ यह कैसा दर्द है ....दवा से भी ज़्यादा कारगर ...


अब शशांक के धक्के ज़ोर पकड़ते हैं ....शिवानी सिहर उठ ती है ... हर धक्के पर , कांप उठ ती है

शशांक की कमर को अपने पैरों से जाकड़ लेती है ..और अपनी चूत की तरफ खींचती है ...बार बार चूतड़ उपर करती है ....शशांक के धक्कों से ताल मिलाते हुए ...


शशांक अब उसकी चूतड़ को नीचे से थामता हुआ थोड़ा और ज़ोर लगाता है अपने धक्के में ....शिवानी अब उछल रही है

शशांक को चूत के अंदर की गर्मी , उसके फांकों की कसी हुई पकड़ , और शिवानी का यह मचलता , मदमाता और मस्ती से भरा रूप पागल कर देता है उसे....


उसके धक्के ज़ोर और तेज हो जाते हैं ...शिवानी भी पागल हो जाती है ..वो जैसे हवा में तैर रही थी ...हर धक्के में उछल जाती और चीत्कार उठ ती .है ...दर्द और मस्ती के मिले जुले अहसास से ...

शशांक के हर धक्के में वो आनंद विभोर हो उठती है......दर्द अपनी सीमायें लाँघता हुआ अब एक आनंद से भरी अनुभूति की ओर पहूंचता है ..शिवानी मस्ती की उँचाइयों पर है ....

शशांक के धक्के तेज होते हैं और तेज ..शिवानी को कुछ होश नहीं रहता .वो किल्कारियाँ लेती है ,कभी सिसकियाँ लेती है ..कभी चिल्ला उठ ती है ...उसे समझ नहीं आता यह कैसा दर्द है जिसमें सिर्फ़ मस्ती ही मस्ती है ....उफफफफ्फ़..यह क्या हो रहा है ......और वो जोरों से फिर से चिल्लाति है .."भैय्ाआआआआआआआअ ..ऊओह....."

शशांक भी शिवानी की मस्ती से पागल हो उठ ता है ...


दोनों एक दूसरे से लिपट जाते हैं ...शशांक अंदर ही अंदर चूत में झटके खाते हुए झाड़ता जाता है ..झाड़ता जाता है ....

शिवानी आँखें बंद किए अपने भैया के गर्म गर्म वीर्य की फूहार को महसूस करती है अपनी चूत में .इस गर्म से अहसास से शिवानी का पूरा शरीर गंगना उठता है ...उसका भी रस निकलता है ...चूतड़ उछलते है ..टाँगें काँपति हैं ..जंघें बार बार थरथराती हैं..

दोनों एक दूसरे से लिपटे ...हान्फते हुए .. एक दूसरे की बाहों में सारी दुनिया से बेख़बर पड़े हैं ..मानों उन्हें सब कुछ मिल गया हो .... सब कुछ ...एक चरम सूख की अनुभूति है उनकी आँखों में...उनके चेहरे में ...

खोए हैं , सब कुछ भूल कर ...इस पल उन्हें सिर्फ़ एक दूसरे का अहसास है ...हम तुम और कुछ नहीं...

सारा संसार बस उन दोनों में सिमट कर रह गया है...

थोड़ी देर बाद दोनों वापस हक़ीकत की दुनिया में लौट आते हैं ...


शशांक , शिवानी के थके थके से पर मुस्कुराते चेहरे पर नज़र डालता है ..उसके होंठों को चूमता है

" बहुत दर्द हुआ...???" शशांक पूछता है , उसकी आवाज़ में शिवानी के दर्द का अहसास भरा था ..


" भैया ...." शिवानी का गला रुंधा हुआ था और उसकी आँखों में फिर आँसू थे ....पर यह दर्द के नहीं , चरम सूख के आँसू थे .. " यह दर्द जब तुम्हारे जैसे मर्द से मिलता है ना ....इस दर्द का अहसास उस औरत की जिंदगी का सहारा बन जाता है भैया .....ऊओह भैया ..भैया आइ लव यू सो मच.."

और शिवानी अपने भैया से फिर से लिपट जाती है ..उसके सीने में सर रखे सिसकती है और यह सिसकना अपने आप हो जाता है ..उसकी अंदर की भावना फूट पड़ती है ..एक औरत अपने को पूरी तरह समर्पित कर देती है ...अपने मर्द का आभार मानती है ....

शशांक उसके सर पर हाथ फेरता है ..उसका चेहरा अपनी हथेली से थामता हुआ उपर उठाता है ,उसके होंठ चूम लेता है , उसकी आँखों से आँसू पोंछता है उसे गले लगाता है और बोलता है..


" आइ लव यू टू , शिवानी ....आइ लव यू सो मच ...."
 
अपडेट 14 :


शशांक और शिवानी दोनों का यह पहला अनुभव उनके जीवन का एक यादगार पल था....ऐसे यादगार पल कम लोगों को ही नसीब होते हैं... ख़ास कर लड़कियों के लिए ...


शिवानी को इतने प्यार , लगाव और कोमलता से कौन उसके कुंवारेपन को तोड़ता ....कोई दूसरा अपनी मर्दानगी दीखाने की कोशिश में ही जुटा रहता और उसे देता सिर्फ़ बेशुमार दर्द और पीड़ा ... पर शशांक के प्यार ने इस दर्द और पीड़ा को एक सुखद , मादक और आनंद से भरे महसूस में बदल दिया था ...

और शशांक की बात करें तो शिवानी ने भी अपने दर्द और पीड़ा का उसे अहेसास नहीं होने दिया ..उसका संपूर्ण आत्मसमर्पण और उसके लिए शिवानी के प्यार ने उसकी मर्दानगी का पूरा सम्मान करते हुए उसे अपने पूरे दिल से अपनाया ..कहीं कोई हिचक नहीं थी ..कोई भी झीझक नहीं था ...एक दूसरे में दोनों कितने खो गये थे...एक दूसरे का कितना ख़याल था ...

काफ़ी देर तक दोनों पड़े रहते हैं ...चूप चाप ..मानों उस बीते हुए क्षणों को...उस गुज़रे हुए पलों को अपने जहेन में समाए जा रहे हों ...उस मीठी याद को संजोए जा रहे हों ...एक अद्भुत अनुभव का स्वाद मन मश्तिस्क में बिठाते जा रहें हो ...

शशांक चूप्पि तोड़ते हुए कहता है


" कैसी लगी मेरी दीवाली गिफ्ट ..शिवानी..?"


शिवानी उसकी ओर देखती है.... उसे गले लगाती है और फिर आंसूओं की धारा फूट पड़ती है ....सिसकती है और अपने रूंधे गले से भर्राइ आवाज़ में बोलती है

" भैया बता नहीं सकती .
...मेरे पास शब्द नहीं है भैया ..देख नहीं रहे मेरे आँसू बोल रहे हैं ....मेरा रोम रोम सिसक रहा है तुम्हारे आभार से ? तुम ने जो दिया ना भैया मुझे , किसी भी औरत के लिए इस से नायाब तोहफा और कुछ नहीं हो सकता ..कुछ नहीं ...तुम ने एक औरत को उसके औरत होने पर फक्र करने का मौका दिया ..हां भैया ....इस से ज़्यादा मुझे और क्या मिलेगा ...बोलो ना ..बोलो ना भैया ..?"

और वो फिर उस से लिपट कर बहोत भावक हो जाती है और उसकी आँखों से लगातार आँसू की धारा बहती है यह उसके आभार के आँसू थे ...एक औरत का अपने मर्द का आभार.
 
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