hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
सूरज की पहली किरणों के साथ ही आज शशांक के जीवन में भी एक सुनहरे सवेरे का उदय होता है... एक ऐसी सुबेह जो उसकी जिंदगी में खुशियाँ , प्यार और मुस्कुराहटो का खजाना ले आती है ..उसके जीवन में रंगिनियाँ भर देती है ...
उसका दिल-ओ-दिमाग़ , दीवाली के फूल्झड़ियों की चमक , दियों की शीतल रोशनी और पटाखो की चकाचौंध से जगमगा उठा था....दिल की गहराइयों तक पटाखो के धमाके गूँज रहे थे ...
शांति और शिवानी के प्यार ने उसकी झोली , बे-इंतहा और बेशुमार खुशियों से भर दी थी ...
उसकी नींद खुलती है ....अपने उपर चद्दर रखी हुई पाता है..उसकी आँखें मोम की ममता भरे लाड से आँखे नम हो जाती हैं ....वो कितना खुशनसीब है , कल रात मोम ने अपनी औरत का प्यार और माँ की ममता दोनों शशांक पर लूटा दी थी..... शशांक के प्यार को इतने ख़ूले दिल से स्वीकार कर लिया था ...समेट लिया था..कुछ भी तो मोम ने बाकी नहीं रखा ..पूरे का पूरा उन्होने अपने में समा लिया और बदले में जो उन्होने दिया ..शायद शशांक समेट भी ना सके जीवन भर ... उसकी औरत के प्यार का तो बदला चूका सकता था शशांक..पर माँ की ममता ..?? इसका बदला क्या कभी चूका सकता था ????
" मोम ....यू आर ग्रेट ..मोम आइ आम सो लकी ... लेकिन मोम ..मैं आप के आँचल को कभी भी मैला नहीं होने दूँगा मोम ..कभी नहीं ...." उसकी आँखों से लगातार आभार के आँसू टपकते हैं...
वो पूरी तरेह जाग जाता है , अपने बदन से चादर हटा ता है , आँसू पोंछता है और अपनी हालत देख एक लंबी मुस्कुराहट उसके होंठों पर आ जाती है ...
शशांक बिल्कुल नंगा था....उसका लंड भी सुबेह की ताज़गी को अपने लंबे , कड़क और हिलते हुवे आकार से सलामी दे रहा था ...
तभी उसका दरवाजा एक जोरदार झटके के साथ ख़ूलता..है..वो झट अपनी चादर ओढ़ फिर से आँखें बंद कर सोने का नाटक करता है ...
उसका लंड चादर के अंदर ही तंबू बनाए लहरा रहा था ..'
शिवानी अंदर आती है ...शशांक के तंबू पर उसकी नज़र जाती है ..उसके होंठों पर एक बड़ी शरारती मुस्कान आ जाती है...वो फ़ौरन दरवाज़ा बोल्ट करते हुए ...वापस उसके बगल खड़ी हो कर एक टक उसके लहराते हुए लंड को निहारती है ...
फिर उसके बगल बैठ जाती है ..चादर के अंदर हाथ डालती है और शशांक के लंड को बूरी तरेह अपने हथेली से जाकड़ लेती है ...उसे सहलाती हुई बोलती है ..
" गुड मॉर्निंग भैया ....वाह क्या बात है ..दीवाली की फूल्झड़ी अभी भी लहरा रही है ..."
और तेज़ी से उसके लंड की चमड़ी उपर नीचे करती है ...
शशांक सीहर उठ ता है
" उफफफफफफफफफ्फ़.यह लड़की ...ना सुबेह देखती है ना शाम , बस हमेशा एक ही काम .." शशांक प्यार से झुंझलाता हुआ जुमला कसता है....
" क्या बात है , क्या बात है..सुबेह सुबेह इतना शायराना मूड ..? " शिवानी के हाथ और तेज़ चलते हैं
" शिवानी ..अरे बाबा यह सुबेह सुबेह .?? कुछ तो सोचो मोम कभी भी आ जाएँगी चाइ ले कर ....मुझे कपड़े तो पहेन ने दे ना यार.." वो खीझता हुआ कहता है ...पर उसकी आवाज़ खोखली है ....वो भी मज़े में था ..
" अरे मोम की चिंता मत करो भोले राजा ..आज दीवाली के दूसरे दिन दूकान बंद है ..भूल गये क्या..? मोम और पापा आज देर से उठेंगे ....अभी तो सिर्फ़ 7 बजे हैं..9-10 बजे से पहले कोई चान्स नहीं उनके उठने का .." वो मुस्कुराती हुई उसकी आँखों में देखती है ..पर अचानक अपने हथेली में कुछ खटकता है ... हाथ की हरकत रोक लेती है ... उसके लंड को देखती है ..जिस पर उसका वीर्य सूख कर पपड़ी बना था ..और उसकी जड़ तक कुछ और पपड़िया भी थीं ..जो चूत में अंदर जाने पर ही आती हैं ...चूत रस से भींगे होने पर ...
वो सोचती है " मैं तो कल रात इसके पास आई नहीं ..फिर कौन हो सकता है ...क्या मोम ..?? कोई तीसरी का तो कोई चान्स ही नहीं था,उसे इतना तो शशांक पर विश्वास था..ज़रूर कल रात मोम आई थी यहाँ ""
इस कल्पना से शिवानी बहोत खुश हो जाती है...उसके भैया की पूजा सफल हुई ...
वो फिर से उसके लंड को बड़े प्यार से सहलाती है और शशांक से बोलती है
" भैया ....??"
" अब क्या है....?" शशांक उसका सहलाना अचानक बंद होने से थोड़ा झल्ला गया था
"अरे बाबा झल्लाओ मत ना ..इतने प्यार से तो तुम्हें सुबेह जगाने आई हूँ ...अच्छा यह बताओ कल रात मोम आई थीं क्या आप के पास..?"
शशांक इस सवाल से अपने चेहरे पर कोई भी भाव नहीं आने देता , जैसे कुछ नहीं हुआ ...
" अरे नहीं बाबा ..कोई नहीं आया ...पर टू क्यूँ पूछ रही है.."
शिवानी उसके लंड को सहलाना फिर से बंद करती है और उसे थामे उसे दिखाती हुई बोलती है
" फिर यह आप के वीर्य की पपड़ी..??" और फिर लंड की जड़ में अपनी उंगली लगाती है " और यह चूत के रस की जमी हुई पपड़ी ..? भैया झूट मत बोलो ..मेरे और मोम के अलावा यहाँ और कोई तो है नहीं ....डरो मत भैया . मुझे तो खुशी होगी ...आपकी पूजा सफल हुई .."
शशांक समझ गया अब और कोई बहाना अपनी बहेन के सामने नहीं चलनेवाला
उसका दिल-ओ-दिमाग़ , दीवाली के फूल्झड़ियों की चमक , दियों की शीतल रोशनी और पटाखो की चकाचौंध से जगमगा उठा था....दिल की गहराइयों तक पटाखो के धमाके गूँज रहे थे ...
शांति और शिवानी के प्यार ने उसकी झोली , बे-इंतहा और बेशुमार खुशियों से भर दी थी ...
उसकी नींद खुलती है ....अपने उपर चद्दर रखी हुई पाता है..उसकी आँखें मोम की ममता भरे लाड से आँखे नम हो जाती हैं ....वो कितना खुशनसीब है , कल रात मोम ने अपनी औरत का प्यार और माँ की ममता दोनों शशांक पर लूटा दी थी..... शशांक के प्यार को इतने ख़ूले दिल से स्वीकार कर लिया था ...समेट लिया था..कुछ भी तो मोम ने बाकी नहीं रखा ..पूरे का पूरा उन्होने अपने में समा लिया और बदले में जो उन्होने दिया ..शायद शशांक समेट भी ना सके जीवन भर ... उसकी औरत के प्यार का तो बदला चूका सकता था शशांक..पर माँ की ममता ..?? इसका बदला क्या कभी चूका सकता था ????
" मोम ....यू आर ग्रेट ..मोम आइ आम सो लकी ... लेकिन मोम ..मैं आप के आँचल को कभी भी मैला नहीं होने दूँगा मोम ..कभी नहीं ...." उसकी आँखों से लगातार आभार के आँसू टपकते हैं...
वो पूरी तरेह जाग जाता है , अपने बदन से चादर हटा ता है , आँसू पोंछता है और अपनी हालत देख एक लंबी मुस्कुराहट उसके होंठों पर आ जाती है ...
शशांक बिल्कुल नंगा था....उसका लंड भी सुबेह की ताज़गी को अपने लंबे , कड़क और हिलते हुवे आकार से सलामी दे रहा था ...
तभी उसका दरवाजा एक जोरदार झटके के साथ ख़ूलता..है..वो झट अपनी चादर ओढ़ फिर से आँखें बंद कर सोने का नाटक करता है ...
उसका लंड चादर के अंदर ही तंबू बनाए लहरा रहा था ..'
शिवानी अंदर आती है ...शशांक के तंबू पर उसकी नज़र जाती है ..उसके होंठों पर एक बड़ी शरारती मुस्कान आ जाती है...वो फ़ौरन दरवाज़ा बोल्ट करते हुए ...वापस उसके बगल खड़ी हो कर एक टक उसके लहराते हुए लंड को निहारती है ...
फिर उसके बगल बैठ जाती है ..चादर के अंदर हाथ डालती है और शशांक के लंड को बूरी तरेह अपने हथेली से जाकड़ लेती है ...उसे सहलाती हुई बोलती है ..
" गुड मॉर्निंग भैया ....वाह क्या बात है ..दीवाली की फूल्झड़ी अभी भी लहरा रही है ..."
और तेज़ी से उसके लंड की चमड़ी उपर नीचे करती है ...
शशांक सीहर उठ ता है
" उफफफफफफफफफ्फ़.यह लड़की ...ना सुबेह देखती है ना शाम , बस हमेशा एक ही काम .." शशांक प्यार से झुंझलाता हुआ जुमला कसता है....
" क्या बात है , क्या बात है..सुबेह सुबेह इतना शायराना मूड ..? " शिवानी के हाथ और तेज़ चलते हैं
" शिवानी ..अरे बाबा यह सुबेह सुबेह .?? कुछ तो सोचो मोम कभी भी आ जाएँगी चाइ ले कर ....मुझे कपड़े तो पहेन ने दे ना यार.." वो खीझता हुआ कहता है ...पर उसकी आवाज़ खोखली है ....वो भी मज़े में था ..
" अरे मोम की चिंता मत करो भोले राजा ..आज दीवाली के दूसरे दिन दूकान बंद है ..भूल गये क्या..? मोम और पापा आज देर से उठेंगे ....अभी तो सिर्फ़ 7 बजे हैं..9-10 बजे से पहले कोई चान्स नहीं उनके उठने का .." वो मुस्कुराती हुई उसकी आँखों में देखती है ..पर अचानक अपने हथेली में कुछ खटकता है ... हाथ की हरकत रोक लेती है ... उसके लंड को देखती है ..जिस पर उसका वीर्य सूख कर पपड़ी बना था ..और उसकी जड़ तक कुछ और पपड़िया भी थीं ..जो चूत में अंदर जाने पर ही आती हैं ...चूत रस से भींगे होने पर ...
वो सोचती है " मैं तो कल रात इसके पास आई नहीं ..फिर कौन हो सकता है ...क्या मोम ..?? कोई तीसरी का तो कोई चान्स ही नहीं था,उसे इतना तो शशांक पर विश्वास था..ज़रूर कल रात मोम आई थी यहाँ ""
इस कल्पना से शिवानी बहोत खुश हो जाती है...उसके भैया की पूजा सफल हुई ...
वो फिर से उसके लंड को बड़े प्यार से सहलाती है और शशांक से बोलती है
" भैया ....??"
" अब क्या है....?" शशांक उसका सहलाना अचानक बंद होने से थोड़ा झल्ला गया था
"अरे बाबा झल्लाओ मत ना ..इतने प्यार से तो तुम्हें सुबेह जगाने आई हूँ ...अच्छा यह बताओ कल रात मोम आई थीं क्या आप के पास..?"
शशांक इस सवाल से अपने चेहरे पर कोई भी भाव नहीं आने देता , जैसे कुछ नहीं हुआ ...
" अरे नहीं बाबा ..कोई नहीं आया ...पर टू क्यूँ पूछ रही है.."
शिवानी उसके लंड को सहलाना फिर से बंद करती है और उसे थामे उसे दिखाती हुई बोलती है
" फिर यह आप के वीर्य की पपड़ी..??" और फिर लंड की जड़ में अपनी उंगली लगाती है " और यह चूत के रस की जमी हुई पपड़ी ..? भैया झूट मत बोलो ..मेरे और मोम के अलावा यहाँ और कोई तो है नहीं ....डरो मत भैया . मुझे तो खुशी होगी ...आपकी पूजा सफल हुई .."
शशांक समझ गया अब और कोई बहाना अपनी बहेन के सामने नहीं चलनेवाला