Maa Sex Kahani माँ का आशिक - Page 16 - SexBaba
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शादाब शहनाज़ की इस बात से इतना खुश हुआ कि अपने होंठ उसके होठों पर टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके होंठो को चूसने लगी। शादाब पूरी तरह से शहनाज़ के उपर छाया हुआ था जिससे दोनो की टांगे आपस में टकरा रही थी। शहनाज़ किस करते करते ही अपनी टांगे शादाब की टांगो से रगड़ने लगी और शादाब ने जोश में आकर अपनी जीभ शहनाज़ के मुंह में घुसा दी तो शहनाज़ ने उसकी जीभ को लपक लिया और चूसने लगी। दोनो मा बेटे एक दूसरे का रस चूसने लगे। शादाब का लंड फिर से अपना सिर उठाने लगा और शहनाज़ के जिस्म में भी आग सुलगने लगी। किसे करते हुए ही शादाब ने शहनाज़ की चुचियों को अपनी मजबूत छाती से रगड़ना शुरू कर दिया। शहनाज़ और शादाब दोनो के होंठ अलग हुए और शादाब ने अपने होंठ शहनाज़ की गरदन पर रख दिए और चाटने लगा। शहनाज़ के लिए से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शादाब ने शहनाज़ की चुचियों को हाथो में भर लिया और प्यार से सहलाने लगा तो शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से तप गया और चूत से रस एक बार फिर से बाहर आने लगा।

शादाब का लंड एक बार फिर से अपनी पूरी औकात में अा गया और शहनाज़ की चूत से अड गया। शादाब ने जैसे ही शहनाज़ की चुचियों को मुंह में भरा तो शहनाज़ ने अपने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर शादाब के लंड पर लगा कर उसे पूरी तरह से चिकना कर दिया। शादाब भी एक महीने से शहनाज़ की चुदाई के लिए तड़प रहा था इसलिए वो जोर जोर से अपनी अम्मी की चूची चूसने लगा और शहनाज़ ने शादाब की आंखो से देखते हुए उसका एक पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और शादाब की एक उंगली को खुद ही अपनी चूत में घुसा दिया और सिसक पड़ी

" आह शादाब मेरे बेटे, मनाले अपनी अम्मी के साथ चांद रात

शादाब शहनाज़ की इतनी तड़प देखकर जोश में आ गया और उसकी चूत को जोर से रगड़ते हुए अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने तगड़े लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका दिया और शहनाज़ ने मुंह से कुछ बोले बिना ही अपना निचला होंठ अपने दांतो में दबाकर शादाब को एक कामुक स्माइल दी और अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे को चूत के जैसे बनाकर उसमे एक उंगली घुसा दी। शादाब ने अपने लंड का एक जोरदार धक्का लगाया और सुपाड़ा चूत के होंठो को रगड़ते हुए अंदर घुस गया तो शहनाज़ दर्द भरी सिसकारियां लेने लगी और शहनाज़ ने जोर से अपनी बांहे शादाब के गले में लपेट दी। शादाब ने बहुत तगड़ा धक्का लगाया और लंड शहनाज़ की चूत को अंदर तक रगड़ते हुए जड़ तक घुस गया तो शहनाज़ के मुंह से दर्द भरी सिसकारियां निकल पड़ी

" आह शादाब मेरे राजा चांद रात मुबारक हो मेरे शौहर

शादाब ने जोर से शहनाज़ को कस लिया और लंड को चूत में अंदर ही रगड़ते हुए बोला:'

" तुम्हे भी मुबारक हो मेरी जान शहनाज, चांद रात पर अपने बेटे का लंड मुबारक हो।

दोनो एक साथ स्माइल कर दिए और शादाब ने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर से एक ही धक्के में जड़ तक शहनाज़ की चूत में घुसा दिया तो शहनाज़ फिर से दर्द भरी मस्ती से सिसक उठी और शादाब ने बिना देर किए शहनाज़ की चूत में लंड को तेजी से पेलना शुरू कर दिया और दोनो चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा।

शहनाज़ का जिस्म हर झटके पर उछल रहा था और शहनाज़ की चूत में अब लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था जिससे शहनाज़ मस्ती से मचल रही थी, सिसक रही थी, उछल रही थी।

शादाब के लंड की रगड़ आज शहनाज़ की चूत को हर धक्के पर सिसकने के लिए मजबूर कर रही थी और पूरे कमरे में शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां गूंज रही थी। अगर सीढ़ियों का गेट और कमरे का गेट ठीक से बन्द नहीं होता तो दादा दादी सब सुन लेते।

शादाब ने शहनाज़ की आंखो में देखते हुए दोनो हाथो से उसके गले को पकड़ लिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। शहनाज़ की चूत अब पूरी तरह से चिकनी हो गई थी जिससे लंड तूफान की स्पीड से घुस रहा था। हर धक्के पर बेड हिल रहा था।

शहनाज़ की चूत शादाब के धक्के बर्दाश्त नहीं कर पाई और वो सिसकते हुए झड़ गई

" आह शादाब उफ्फ, गई मेरी चूत, हाय मा चुद गई मैं तो।

शादाब बिना रुके धक्के लगाता
रहा और उसने शहनाज़ को उठाकर घोड़ी बना दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह से उभर कर अा गई और शादाब ने एक ही झटके में फिर से लंड को जड़ तक उतार दिया। शहनाज़ को एक अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसका मुंह मस्ती से खुलता चला गया

" आह शादाब उफ्फ कितना अच्छा लग रहा हैं कहां से सीखा तूने हाय मेरे राजा ?

शादाब ने जोर से लंड को बाहर निकाला और फिर से जड़ तक घुसा दिया तो लंड सीधे बच्चेदानी से जा लगा।

" आह शादाब मेरी बच्चेदानी में घुस गया तेरा लोला, घोड़ी सी बना दिया है तूने मुझे कमीने

शादाब ने शहनाज़ के बाल पकड़ लिए और जोर जोर से लंड घुसाने लगा। शहनाज़ की चूत एक बार फिर से गर्म हो गई और वो अपने आप अपने अपनी चूत को लंड पर धकेलने लगीं ।

" आह शादाब पूरा रगड़ रहा था मेरी चूत तेरा ये लोला, उफ्फ और चोद मुझे मार चूत।

शादाब ने पूरी ताकत से लंड को बाहर निकाला और एक तगड़ा धक्का शहनाज़ की चूत में लगा दिया तो शहनाज़ के पैर उखड़ गए और वो बेड पर आगे को गिर पड़ी और शादाब उसके उपर गिरा जिससे लंड उसकी चूत में घुसता चला गया।

" आह शादाब, उफ्फ मर गई हाय मा री,

शादाब ने शहनाज़ को जकड़ लिया और तूफान की गति से उसकी चूत में धक्के लगाते हुए बोला:"

" आह शहनाज़ देख मेरा लोला कैसे तेरी चूत का भोसड़ा बनाएगा अब ।

इतना कहकर शादाब ने अपना पूरा दम लगाते हुए तेज तेज धक्के लगाने शूरु कर दिए

शहनाज़ को बहुत मजा आने लगा और बोली:"

" आह शादाब, यूआईआईआई उफ्फ सआईआईआईआई तेरा लोला मेरी चूत मार रहा है
 
शहनाज़ एक बार फिर से जोर से सिसकते हुए झड़ गई और पूरी ताकत से बेड शीट को दबोच लिया। शादाब बिना रुके तूफानी रफ्तार से धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ की चूत का हाल बेहाल हो गया और वो दर्द से कराह उठी

" आह शादाब कमीने छोड़ दे मुझे, ये मेरी चूत हैं औखली नहीं,

शादाब ने उसे जोर से कस लिया और तेज तेज धक्के लगाते हुए बोला:" आह शहनाज़ आज तेरी चूत की तली निकाल दूंगा, हाय तेरी चूत।

शहनाज़ आगे को खिसकी तो लंड बाहर निकल गया तो शादाब ने उसे फिर से पीछे को खींच लिया और लंड को उसकी चूत पर टिका दिया तो शहनाज़ ने एक बार शादाब की तरफ देखा तो शादाब ने जोर का धक्का लगाया और लन को फिर से चूत में घुसा दिया और धक्के पर धक्का लगाने लगा जिससे शहनाज़ फिर से सिसक उठी

" आह शादाब हट जा मेरे राजा, मार ही डालेगा क्या मुझे आऊ च उफ्फ हाय मा

शादाब ने एक हाथ से शहनाज़ की गर्दन को थाम लिया और दूसरे से उसकी गांड़ दबाते हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा।

गांड़ दबाए जाने से जैसे जादू हो गया और शहनाज़ की चूत फिर से सुलग उठी और वो मस्ती से सिसकते हुए बोली:_

": आह शादाब दबा मेरी गान्ड, उफ्फ ये गांड़ दबवाने के लिए ही तो मैं तुझसे चुद गई राजा,

शादाब ने अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को दबोच लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मस्ती से उछलने लगा और वो मजे से सिसकती हुई बोली:_

" आह शादाब उफ्फ मेरी चूत फिर से झड़ जाएगी निकाल देे मेरी चूत की तली मेरे राजा !!

शहनाज़ ने अपनी कमर और मुंह को उपर उठा लिया और हर धक्के पर उसका जिस्म हिलने से उसके बाल लहरा रहे थे और शहनाज़ पूरी जोर जोर से सिसक रही थी। पूरे कमरे में दोनो की मस्त मादक सिसकियां गूंज रही थी। शादाब ने अपने जिस्म की सारी ताकत समेट ली और शहनाज़ की चूत में लंड तूफान मचा दिया तो शहनाज़ एक बार फिर से सिसकते हुए झड़ गई

" आह शादाब गई मेरी चूत, हाय राजा बस कर

शादाब के लंड में भी उबाल आने लगा और उसके धक्के किसी पागल सांड की तरह पड़ने लगे। शहनाज़ की चूत से फाच फाच की मधुर आवाज गूंज रही थी। शादाब ने पूरी ताकत से एक आखिरी धक्का लगाया और लंड किसी रॉकेट की तरह शहनाज़ की चूत में जड़ तक घुस गया और शहनाज़ की बच्चेदानी के एक सिरे को दूसरे में घुसा दिया तो शहनाज़ दर्द से कराह उठी

" आह शादाब फाड़ दी मेरी चूत,उफ्फ मेरी चूत की तली निकल गई मेरी मा

शादाब जोर से सिसकते हुए शहनाज़ की पीठ पर ढेर हो गया

" आह शहनाज़ मेरी अम्मी।

शादाब के लंड ने एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी की झड़ी सी शहनाज़ की चूत में लगा दी और शहनाज़ की लंड की मार से जलती हुई चूत को ठंडक मिलने लगी और वो मस्ती से शादाब का मुंह चूमने लगी मानो उसे इस दमदार चुदाई के लिए इनाम दे रही हो।

शादाब ने चांद रात की इस रात को पूरी तरह से यादगार बनाने के लिए शहनाज़ को और दो बार चोदा और उसके बाद दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

अगले दिन सुबह कोई पांच बजे शहनाज की आंख खुली और उसने शादाब को भी उठा लिया और उसे बांहों में भर कर बोली:"

" ईद मुबारक हो मेरी जान शादाब।

शादाब ने शहनाज़ का गाल चूम लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आपको भी मुबारक हो मेरी नाज़।

शादाब और शहनाज़ दोनो एक दूसरे से चिपके हुए थे और ईद की मुबारकबाद दे रहे थे।

शहनाज़:"शादाब जल्दी से उठ जाओ, मैं भी नहाने जाती हूं फिर बहुत सारे काम भी करने हैं। खीर बनानी है, चाट पकौड़ी, और छोले चावल आदि।

शादाब:' ठीक हैं अम्मी मैं आपकी मदद करूंगा और जल्दी से सब काम हो जाएगा।
 
शहनाज़ ने उसका गाल चूम लिया और टॉवेल लेकर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई और जल्दी ही अच्छे से नहाकर अपने बदन पर टॉवेल लपटेकर अा गई तो गीले बालो से टपकती हुई पानी की बूंदे उसकी सुन्दरता को पूरी तरह से बढ़ा रही थी।

शादाब उसकी सुन्दरता में फिर से खो गया तो शहनाज़ ने उसकी आंखों के आगे चुटकी बजाई और बोली:" कहां खो गए मेरे राजा ?

शादाब जैसे नींद से जागा और जल्दी से बोला:" आपको देख रहा था कि मेरी अम्मी सच में बहुत खूबसूरत हैं। मैं कितना खुशनसीब हूं जो मुझे मेरी खुबसुरत मा बीवी के रूप में मिली है।

शहनाज़ अपनी तारीफ सुनकर शर्मा गई और बोली:'"

" चल ठीक हैं बेटा, अब तुम जल्दी से नहाकर आओ, तब तक मैं चाय बना देती हूं।

शादाब बाथरूम में घुस गया और शहनाज़ चाय बनाने के लिए किचेन में चली गई। जब तक शादाब नहाकर आया तो चाय बन चुकी थीं ।

शहनाज़ ने चाय कप में कर दी और सादाब चाय लेकर नीचे चला गया। दादी और दादा दोनो शादाब को देख कर मुस्करा दिए और दादा बोले:"

"सालो के बाद घर की पहली ईद मुबारक हो शादाब।

शादाब ने चाय की ट्रे को टेबल पर रख दिया और दादा दादी दोनो को गले लगा लिया और बोला:"

" आपको भी ईद मुबारक हो दादा दादी जी।

शादाब ने उन्हें चाय दी और उपर की तरफ चल दिया। शहनाज़ खीर बनाने में जुटी हुई थी और शादाब उसकी हेल्प करने लगा ।

शहनाज़:" शादाब तुम अपने दादा जी को लेकर ईदगाह चले जाओ और नमाज पढ़ आओ। सारे काम में खुद खत्म कर लूंगी ।

शादाब ने शहनाज़ की बात मानते हुए अपने नए कपड़े पहन लिए और शहनाज़ को सबसे पहले आकर सलाम किया

" सलाम अम्मी! देखो मैंने नए कपड़े पहन लिए हैं।

शहनाज़ ने देखा कि शादाब कुर्ते पायजामा में बहुत खूबसूरत लग रहा था इसलिए बोली:

" मेरे प्यारे सनम आज अम्मी नहीं शहनाज़ कहकर सलाम करो मुझे

शादाब ने शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया और उसकी आंखों में देखते हुए बोला:"

" सलाम मेरी अम्मी शहनाज़ मेरी बीवी मेरी जान।

शहनाज़ समझ गई कि शादाब उसे अम्मी कहना नहीं छोड़ने वाला इसलिए उसका गाल पकड़ कर जोर से खींच लिया और बोली:"

" तू कभी नहीं सुधरने वाला मेरे राजा शादाब।

शादाब भी स्माइल करते हुए शहनाज़ का गाल चूम कर नीचे चला गया और दादा दादी को सलाम किया तो दोनो ने एक बार फिर से शादाब को गले लगा लिया।शादाब दादा जी को अपने साथ गाड़ी में लेकर ईदगाह चला गया और जल्दी ही दोनो नमाज पढ़ कर वापिस अा गए।

शादाब दौड़ता हुआ उपर चला गया और शाहनाज जो कि अभी किचन में काम कर रही थी उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया।
 
शादाब ने शहनाज की पीठ सहलाते हुए चुपके से अपनी जीभ से चॉकलेट निकाल लिया और शहनाज की आंखों के आगे लहरा दिया तो शहनाज़ खुशी के मारे पलट गई और शादाब ने शरारत करते चॉकलेट को शहनाज़ की ब्रा में डाल दिया तो शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" तू सचमुच बहुत शैतान हो गया है शादाब।

शादाब कुछ बोलता उससे पहले ही नीचे से दादा जी की आवाज़ अाई तो खाने के लिए कुछ मांग रहे थे। खीर बन चुकी थी इसलिए शहनाज़ ने जल्दी से एक ट्रे में कुछ कटोरिया रखी और उनमें खीर डाल दी और शादाब से बोली:"

" जाओ बेटा शादाब अपने दादा दादी जी को खीर दे आओ।

शादाब शहनाज़ की ब्रा से झांकती चॉकलेट देखते हुए बोला:"

" मुझे तो पहले अपनी मिल्क चॉकलेट खानी थी।

शहनाज़ के होंठो पर एक कामुक स्माइल अा गई और बोली:"

" चॉकलेट तो सुना था ये मिल्क चॉकलेट क्या होती हैं सादाब ?

शादाब ने आगे होकर उसकी चूचियां सूट के उपर से ही पकड़ ली और हल्का सा दबाते हुए बोला:"

" आपको मस्त चुचियों में मिलकर चॉकलेट अब मिल्क चॉकलेट बन गई है।

शहनाज़ ने उसका हाथ जोर से दबा दिया और बोली:"

" आजकल तो बड़ी बड़ी बाते करने लगा हैं शादाब।

शादाब उसकी चूत पर लंड का दबाव बनाते हुए बोला:"

" सिर्फ बाते ही नहीं काम भी बड़े बड़े करता हूं मेरी जान।

शहनाज़ उसके लंड पर अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली:"

" जब तेरे पास इतना बड़ा हैं तो इससे तो अपने आप ही बड़े बड़े काम हो जाएंगे।

शादाब ने अपनी जीभ को निकाल कर शहनाज़ की गरदन को चाट लिया और बोला:"

" वैसे अगर आपकी इजाज़त हो तो कुछ बड़ा कर दू अभी ?

इतना कहकर सादाब ने शहनाज़ का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और इससे पहले की शहनाज़ कुछ करती नीचे से दादा जी की आवाज़ फिर से अाई तो शहनाज़ ने एक झटके के साथ अपना हाथ हटा लिया और बोली:

" जा जल्दी से खीर लेकर जा दो बार तेरे दादा जी आवाज लगा चुके हैं।

शादाब ने खीर की ट्रे हाथ में उठाते हुए कहा:" ठीक है लेकिन काम अपनी मिल्क चॉकलेट मैं खुद ही निकालूंगा आकर ।

शहनाज़ उसकी तरफ देखते हुए बोली:" तू ना पक्का मुझसे मार खाएगा जा अब जल्दी से नीचे जा।

शादाब ने खीर की ट्रे उठाई और शहनाज़ की तरफ जीभ निकालते हुए बोला:"

" उफ्फ क्या दादागिरी हैं ये शहनाज़, कोई बीवी अपने शौहर को मारती है क्या ?

शहनाज़ ने रसोई में रखा हुआ बेलन उठा लिया और शादाब को दिखाते हुए बोली:"

" अब मा से शादी करेगा तो पिटाई का खतरा तो रहेगा ना मेरे राजा ।

शहनाज़ और शादाब दोनो एक साथ हंस पड़े और शादाब डरने का नाटक करते हुए ट्रे लेकर नीचे की तरफ भाग गया। शहनाज़ ये देख कर बहुत जोर जोर से किसी छोटे बच्चे की तरह हंस रही थी। शहनाज़ को प्यार क्या होता हैं इसका एहसास अब जाकर हो रहा था।
 
शादाब खीर लेकर नीचे अा गया और ट्रे दादा दादी के सामने करते हुए बोला:"

";लीजिए दादा दादी जी आपकी खिदमत में ईद के दिन की खीर हाज़िर हैं, एक दम ताजे दूध और मावे से बनी हुई।

दादा दादी दोनो मुस्करा उठे और खीर की कटोरिया उठा ली और खाने लगे। दादी बोली:"

" अरे शादाब तुमने भी खीर खाई या नहीं अभी ?

शादाब अपना पेट पकड़ते हुए बोला:" अभी नहीं दादी अम्मी, भूख के मारे मेरे तो पेट में भी दर्द हो रहा है।

दादी उसकी नौटंकी समझ गई और बोली:" अरे मेरे बच्चे को भूख लगी हैं आजा इधर अा मेरे पास मैं खिलाऊंगी तुझे।

शादाब किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह दादी के पास चला गया और दादी ने एक चम्मच में खीर लेकर शादाब के मुंह के सामने करी तो जैसे ही शादाब ने अपना मुंह खोला तो दादी ने उसको ठेंगा दिखाते हुए खीर खुद खा ली और शादाब का मुंह देखने लायक था।शादाब दादा जी से शिकायत करते हुए बोला:"

" देखिए ना दादा जी, दादी मुझे सता रही हैं।

दादा:" अब बेटा अगर तू झूठ मूठ का ड्रामा करेगा तो फिर तो ऐसा ही होगा, तुम क्यों इस उम्र में भी शादाब के साथ बच्ची बन रही हो

दादी स्माइल करते हुए बोली:"

" इसको मजाक करते हुए देखकर अच्छा लगा और मैं अपने बचपन में पहुंच गई।

दादी की बात सुनकर सभी मुस्कुरा उठे और दादी बोली:"

" अच्छा चल मुंह खोल शादाब, इस बार पक्का खिला दूंगी तुझे।

शादाब ने अपना मुंह खोल दिया और दादी ने उसे खीर खिलाई, शादाब दो चम्मच खीर खाकर ऊपर अा गया और शहनाज़ को ढूंढने लगा। शहनाज़ अपने कमरे में थी और वो अपने ईद के नए कपड़े पहन कर सज चुकी थी।

शाहनाज ने एक गहरे लाल रंग का सूट पहना हुआ था और बहुत खूबसूरत लग रही थी। शादाब उसे प्यार से बिना पलके झपकाए देखता रहा तो शहनाज़ बोली:"

" बस कर सादाब, नजर लगाएगा क्या मुझे ?

शादाब ने उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया और बोला:'

" आशिक की नजर नहीं लगती बल्कि उससे हुस्न और ज्यादा निखरता हैं जैसे आपका हर रोज निखरता जा रहा है।

इतना कहकर शादाब ने अपने शहनाज़ के होंठो पर रख दिए और शहनाज़ ने मदहोश होकर अपनी बांहे उसके गले में लपेट दी और दोनो एक दूसरे के होंठ चूमने लगे।किस अभी शुरू ही हुआ था कि शादाब का फोन बज उठा। जैसे ही शादाब फोन निकलने लगा तो शहनाज़ ने उसका हाथ पकड़ लिया और जोर से दबा दिया तो शादाब ने अपने दोनो हाथ किस करते हुए ही शहनाज़ की गांड़ पर रख दिए और दबाने लगा तो शहनाज़ अपनी सुध बुध खोते हुए शादाब के पैरो पर चढ़ गई और उसके मुंह में अपनी जीभ घुसा दी तो शादाब उसकी जीभ मजे से किसी कुल्फी की तरह चूसने लगा। फोन बजता रहा लेकिन दोनो मा बेटे को जैसे उसकी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी । काफी देर के बाद उनकी किस खतम हुई तो शहनाज़ ने अपनी कोहनी का दबाव अपनी चूची पर हल्का सा दिया तो उसकी चूचियों बाहर को उभर कर गले से झांकने लगी जिससे ब्रा में रखी हुई चॉकलेट साफ नजर आने लगी।

शादाब की आंखों में चमक अा गई और उसने अपना हाथ आगे बढाया और शहनाज़ की चुची पर रख दिया तभी उसका मोबाइल फिर से बज उठा तो शादाब ने शहनाज़ की आंखों में देखा तो शहनाज़ ने उसकी जेब से मोबाइल निकालकर उसकी तरफ बढ़ा दिया। अजय का कॉल था तो शादाब ने पिक किया

अजय:_" कितनी देर से तुझे फोन कर रहा हूं, कहां था तू?

शादाब:" अरे भाई सोरी, फोन साइलेंट पर था, अभी देखा।

अजय:" फोन क्या मुझे तो आज कल तू ही साइलेंट पर लगता हैं। अच्छा ईद की मुबारकबाद मेरे भाई। तेरे लिए एक गुड न्यूज़ हैं शादाब।

शादाब ने खुश होकर शहनाज़ का गाल चूम लिया और बोला;"

" तुझे भी ईद मुबारक हो अजय, बता भाई जल्दी बता क्या न्यूज हैं ?

अजय": कल हमारा होवार्ड यूनिवर्सिटी का एग्जाम हैं।

शादाब के चेहरे एक पल के लिए खुशी की लहर दौड़ गई लेकिन अगले ही पल जैसे शहनाज़ का ख्याल आते ही गायब हो गई।शहनाज़ सब सुन रही थी और वो शादाब से कसकर लिपट गई मानो उसे अपने दूर नहीं जाने देगी। शादाब की तो जैसे आवाज ही गुम हो गई थी।

अजय:" अबे क्या हुआ अच्छा नहीं लगा क्या सुनकर ?
 
शादाब:" भाई वो इतने दिनों के बाद घर आया था इसलिए दिल नहीं कर रहा हैं आने के लिए वापिस, मैंने एक हफ्ते की छुट्टी तो ली हैं।

अजय:" कैसी पागलों जैसी बात कर रहा है, जल्दी से तैयार होकर आजा, एग्जाम देकर फिर घर चले जाना, एक ही दिन की तो बात हैं।

शादाब ने शहनाज़ की तरफ देखा जिसकी आंखे शादाब के जाने की बात सुनकर भर अाई थी । शादाब बोला:" चल ठीक हैं भाई, मैं देखता हूं।

अजय:" देखना वेखना कुछ नहीं जल्दी से निकल और हान मेरे लिए खीर जरूर लेते आना।

इतना कहकर अजय ने फोन काट दिया तो शादाब ने आंसुओ से भीगा हुआ शहनाज़ का चेहरा साफ किया और बोला:"

" अम्मी आप दुखी मत हो, मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा मेरी जान ।

शहनाज़ ने अपने बेटे का गाल चूम लिया और बोली:"नहीं शादाब, तुम जाने की तैयारी करो, मैं अजय के लिए खीर पैक करती हूं। एक ही रात की तो बात हैं कल तुम फिर से मेरी बांहों में होंगें

शादाब शहनाज़ से कसकर लिपट गया और शहनाज़ भी अपने बेटे की बांहों में फिर से समा गई।

दोनो काफी देर तक ऐसे ही एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनते रहे और आखिरकार शादाब अपनी अम्मी की बात नहीं टाल पाया और तैयार होकर नीचे दादा दादी जी पूरी बात बताई तो दोनो उदास हुए लेकिन इस बात की खुशी की थी अगर एग्जाम पास हो गया तो शादाब उनका नाम सारी दुनिया में रोशन कर देगा।

शहनाज़ उपर से बैग लेकर अा गई और आखिरकार शादाब के जाने का पल अा गया और जैसे ही वो घर से निकलने वाला था तभी घर में उसकी बुआ रेशमा दाखिल हुई और सबको सलाम किया।

रेशमा:" सलाम अम्मी अब्बू, सभी को ईद मुबारक हो।

इतना कहकर रेशमा दादा की बांहों में समा गई क्योंकि उसे अब सच में अपने मा बाप से बड़ा लगाव हो गया था। अपनी बेटी को ऐसे बच्चे की तरह खुद से चिपकते देखकर दादा जी की भी आंखे नम हो गईं और दादी ने रेशमा की पीठ थपथपाई।

शादाब ये नजारा देख कर भावुक हो गए और समझ गया कि सच में रेशमा बदल गई है और उसे अपनी बुआ से हमदर्दी हुई। दादी दादा से अलग होने के बाद रेशमा शहनाज़ के गले लग गई और ईद की मुबारकबाद दी। शहनाज़ को रेशमा का ऐसे अपने गले लगना अच्छा नहीं लग रहा था और वो उदास नजरो से शादाब की तरफ देखने लगी तो शादाब ने उसे एक स्माइल दी। जैसे ही रेशमा शहनाज़ से अलग हुई तो शहनाज़ ने सुकून की सांस ली। शहनाज़ से गले मिलने के बाद रेशमा शादाब के गले लग गई तो शादाब ने भी अपनी बुआ को गले लगा लिया और शहनाज़ की छाती पर तो जैसे सांप लेट गया।

रेशमा शादाब से अलग हुईं और बोली:"

" कहीं जा रहे हो क्या शादाब ?

शादाब :" वो बुआ मेरा एग्जाम हैं कल इसलिए मुझे आज ही जाना होगा।

रेशमा ने आगे बढ़कर शादाब का गाल चूम लिया और बोली:"

" जा बेटा, ऑल द बेस्ट।
 
इसके बाद शादाब ने सबको बाय किया और घर से निकल गया। पता नहीं क्यों आज उसका मन घर से जाने को नहीं कर रहा था लेकिन उसकी मजबूरी थी इसलिए वो चल पड़ा।

रात को करीब 10 बजे तक शादाब शहर पहुंच गया और अजय ने उसे गले लगा कर ईद की मुबारकबाद दी तो शादाब ने अपने बैग से खीर निकाली और अजय को दी तो अजय मजे से खीर खाने लगा।

अजय:" सच में बहुत टेस्टी खीर बनाई है आंटी ने शादाब, मजा आ गया।

शादाब ने इसे स्माइल दी और उसके बाद सफर से थका होने के कारण उसके एक बार शहनाज़ को कॉल करके बताया कि वो ठीक पहुंच गया है और अब सो जायेगा ।शहनाज़ से बात करने के बाद शादाब आराम से सो गया।

रेशमा शादाब के जाने के बाद घर पर ही रुक गई और दादा जी दादी और शाहनाज से बात करती रही। पहले उसकी बातो में घमंड और नखरा जैसे पूरी तरह से शामिल होता था जबकि अब शहनाज ने रेशमा के व्यवहार में बदलाव साफ तौर पर महसूस किया। शाम को उसने जिद करके शहनाज़ को चाय बनाने से रोका और खुद सबके लिए चाय बनाई।सबने रात में खाना खाया और रेशमा नीचे ही दादा दादी के पास सो गई।

अगली सुबह जैसे रेहाना और काजल दोनो बहनों के लिए खुशियों का पैग़ाम लेकर अाई और मोहन सिंह ने कोर्ट में सरकारी वकील को बगले झांकने के लिए मजबुर कर दिया।आखिरकार आज फैसला रेहाना के पक्ष में आया और उसकी जमानत याचिका मंजूर हो गई।

रेहाना ने जैसे ही जेल से बाहर कदम रखा तो दुनिया की ताजी हवा ने उसका स्वागत किया और रेहाना के होंठो पर एक ज़हरीली मुस्कान फैल गई।

काजल भी उसका साथ देने हुए मुस्कुरा उठी और बोली:"

" क्या हुआ रेहाना आज बड़ी खुश नजर आ रही है ?

रेहाना:" काजल मैं एक महीने से ज्यादा जेल में बंद थी और ये सब उस कमीनी शहनाज़ और उसके बेटे की वजह से हुआ है। अब देखना मैं उनका क्या हाल करूंगी।

काजल:' ओह तो आपको उन पर तरस भरी हंसी अा रही हैं मेरी बहन, मेरा तो खून खोल रहा हैं

रेहाना:' काजल बस रात हो जाने दे फिर तू मेरा कमाल देखना, उसके सारे परिवार को खत्म कर दूंगी ताकि आज के बाद कोई रेहाना से टकराने की हिम्मत ना करे काजल।

काजल:' ठीक हैं मैं उसकी तबाही का सब इंतजाम करती हूं।

इतना कहकर उसने अपना फोन निकाल लिया और अपने आदमियों को रात की प्लैनिंग के बारे में समझाने लगीं।

उधर शादाब और अजय दोनो दोनो एग्जाम देने चले गए थे और कोई दो बजे के आस पास उनका एग्जाम हुआ तो शादाब बोला:'

" अजय मुझे घर जाना होगा एक हफ्ते की छुट्टी ली हुई है मैने।

अजय:" अरे शादाब मैं भी तो घर जाऊंगा अब, बस एग्जाम की वजह से ही तो रुका हुआ था। एक काम करो मेरे साथ ही चलो मैं तुम्हे छोड़ते हुए आगे चला जाऊंगा।

शादाब को उसकी बात अच्छी लगी और अजय ने अपनी कार निकाली और दोनो उसमे घर की तरफ चल पड़े। अभी करीब 3 बजे थे और रात के 11 बजे तक शादाब को अपने घर पहुंच जाना था।

जैसे जैसे शाम होती जा रही थी वैसे वैसे रेहाना की आंखो में आग सुलगती जा रही थी। 9 बज चुके थे और रेहाना, काजल दोनो अपने आदमियों को साथ शादाब के घर की तरफ निकल पड़ीं।

गांव में जल्दी ही सब लोग सो गए थे और रेहाना दबे पांव अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने शिकार की तरफ बढ़ रही थी जबकि दादा दादी और रेशमा नीचे आराम से सो रहे थे और शहनाज उपर लेटी हुई शादाब के आने का इंतजार बड़ी बेताबी से कर रही थी।

करीब 10:30 के आस पास दरवाजे पर दस्तक हुई तो दादा जी खुशी के मारे नींद से उठ गए और गेट खोल दिया। रेहाना अपने गुंडों के साथ घर के अंदर घुस गई।

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जैसे ही रेहाना अपने गुण्डो के साथ घर के अंदर घुसी तो नहीं उसने सबसे पहले गेट को अंदर से बंद कर दिया। दादा जी उसे इतनी रात गए देख कर चौंक गए और बोले :"

" रेहाना तुम इस इतनी रात को ? क्या हुआ सब ठीक तो है ?

रेहाना से पहले ही काजल बोल उठी:" रुक बुड्ढे पहला तेरा ही काम करती हूं

इतना कहकर काजल ने अपनी बात साइलेंसर युक्त पिस्टल निकाल कर दादा की तरफ निशाना लगाया। दादा जी ये सब देख कर डर के मारे कांप उठे और कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला तो काजल के पिस्टल से निकली गोली ने उनके मुंह को हमेशा के लिए बंद कर दिया और उनके मुंह से एक दर्द भरी चींख निकल पड़ी और वो धड़ाम से नीचे गिर पड़े।

दादा के नीचे गिरने से जोर की आवाज हुई और दादी मा एक झटके के साथ उठ गई और अपने अपने दादा जी की लाश देख कर दहाड़े मार मार कर रोने लगी ।

रेहाना:" बहुत हल्ला कर रही है ये हरामजादी बुढ़िया, इसकी आवाज हमेशा के लिए बंद कर दो।

रेहाना के इतना बोलने की देर थी बस उसके बाद काजल और पप्पू के पिस्टल से निकली हुई गोलियों ने दादी का भी काम तमाम कर दिया और वो भी एक कटे हुए पेड़ की तरह लहराकर दादा जी के उपर गिर पड़ी।

रेशमा जो कि दिन में काम करने की वजह से थक कर सो गई थी उसे शहनाज़ समझकर रेहाना ने बेड में एक जोरदार लात मारी और बोली:

" उठ हरामजादी देख तेरी मौत अाई हैं

लात लगने से रेशमा दूर जा गिरी और उसकी आंख खुल गई तो अपने मा बाप की लाशे देखकर वो दुख के मारे बेहोश हो गई।

रेहाना उसकी सूरत देखकर समझ गई कि ये शहनाज़ नहीं हैं इसलिए वो उपर की तरफ भागी। उपर जब शहनाज़ ने अपनी सास की आवाज सुनी तो वो खुद ही दौड़ती हुई नीचे की तरफ अा गई। सीढ़ियों में हल्का अंधेरा था इसलिए दोनो टकरा गई जिसका नतीजा ये हुआ कि दोनो सीढ़ियों से लुढ़कती हुई नीचे आ गिरी।

सीढ़ियों में लुढ़कने से रेहाना को काफी चोट अाई और उसके सिर से खून आने लगा तो वो अपना खून देखकर गुस्से से पागल हो गई और एक जोरदार लात शहनाज़ के पेट में मारी जो कि अपने सास ससुर की लाशों को पथराई हुई आंखो से देख रही थी।

लात लगते ही शहनाज़ के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और वो अपना पेट पकड़कर फर्श पर ही दर्द से दोहरी हो गई।

काजल ने अपनी पिस्टल शहनाज़ पर तान दी और जैसे ही ट्रिगर दबाने वाली थी रेशमा की आंखे खुल गई और उसने एक भूखी शेरनी की तरह झपटते हुए काजल पर धावा बोल दिया जिससे उसकी पिस्टल नीचे गिर गई और काजल दूर जा गिरी। काजल या रेहाना किसी को भी रेशमा से एक हमले की उम्मीद नहीं थी। इससे पहले कि काजल अपने आपको संभालती रेशमा ने एक के बाद एक उसे थप्पड़ जड़ने शुरू कर दिए।

ये सब देख कर पप्पू और उसके गुंडों ने रेशमा को पकड़ लिया और रेहाना और काजल दोनो ने उसे बेरहमी से मारना शुरू कर दिया।
 
काजल उसके बाल पकड़ कर खीचती हुई:" हरामजादी कुटिया मुझ पर हाथ उठाती है ये ले मजा

इतना कहकर काजल ने रेशमा के मुंह पर वार कर दिया। शहनाज़ को गुण्डो ने पकड़ लिया और वो पूरी तरह से कोशिश कर रही थी छूटने की लेकिन कामयाब नहीं हो पा रही थी।

शहनाज़:" उसे छोड़ दो रेहाना, तुम्हारी लड़ाई मुझसे हैं।

रेहाना किसी चुड़ैल की तरह खूंखार हंसी हंसती हुई बोली:_

"। हा हा हा, इसे बहुत शौक चढ़ा हैं मा झांसी की रानी बनने का, पप्पू मारो साली को अच्छे से।

रेहाना के बोलने की देर थी कि चार पांच गुंडे रेशमा पर पिल पड़े और उसको जानवरो की तरह बेरहमी से मारने लगे। रेशमा की दर्द भरी चीखे गूंज रही थी और वो फिर भी बोली:'

" हरामजादी एक बार मुझे छोड़ दे बस अपने आदमियों को बोल, फिर देख मै तेरा खून पी जाऊंगी

शहनाज़ रोती हुई रेहाना के आगे हाथ जोड़ देती हैं और बोली:"

" रेहाना इसे मत मारो, ये बेचारी तो मेहमान हैं, मुझसे ले ले अपना बदला।

रेहाना ने एक नजर रेशमा पर डाली जो बुरी तरह से पिट रही थी लेकिन फिर भी झुकने के लिए तैयार नहीं थी। रेहाना:"

" माफ कर दू और इसे नखरे तो देख हरामजादी के, कौन हैं ये ?

शहनाज़ के पेट में लात लगने के कारण बहुत तेज दर्द हो रहा था इसलिए वो दर्द से कराहते हुए बोली:" ये शादाब की बुआ हैं।

रेहाना के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:" ओह इसलिए इतनी गर्मी दिखा रही है ये, कहां हैं वो हरामजादा

इतना कहकर रेहाना ने एक जोरदार थप्पड़ शहनाज़ के गाल पर जड़ दिया तो शहनाज़ फिर से दर्द से कराह उठी

:' आह, वो एग्जाम देने गया है।

रेहाना:' ओह इसका मतलब वो कुत्ते का पिल्ला घर में नहीं हैं ?

रेशमा:": जुबान संभाल कर बोल, अगर वो होता तो अब तक तेरी लाश यहां पड़ी हुई होती।

रेहाना और काजल रेशमा की बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगे और और बोली:"

" जरा मिला तो उस हीरो का नंबर काजल,

शहनाज़ डर के मारे थर थर कांपने लगी क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि शादाब यहां आएं। काजल ने नंबर मिला कर रेहाना की तरफ मोबाइल बढ़ा दिया।

रेहाना:" सुन शादाब, मैं रेहाना तेरी मा और बुआ को अपने साथ ले जा रही हूं मुझसे दुश्मनी लेकर तूने बहुत गलत किया हैं।

शादाब ये सुनकर पूरी तरह से परेशान हो गया और बोला:"

" रेहाना अगर मेरे परिवार का बाल भी बांका हुआ तो तेरा वो हाल करूंगा जो तूने सपने में भी नहीं सोचा होगा।

रेहाना ठहाका मारकर हंसती हुई बोली:" जा घर जाकर देख कर कुछ लाशे तेरा इंतजार कर रही हैं। अगर तेरे मैं दम हैं तो कल तक आकर अपनी मा और बुआ को बचा लेना ।

इतना कहकर रेहाना ने फोन काट दिया और बोली:'

" पप्पू इनके दोनो के हाथ पैर और मुंह बांध कर उठा ले चलो।

पप्पू और उसके आदमी ने दोनो को बांध दिया और उठाकर गाड़ी में ले गए। रेशमा और शहनाज़ पूरी छटपटाई लेकिन कुछ नहीं कर पाई।

दूसरी तरफ शादाब को तो जैसे लकवा सा मार गया और उसकी आंखो में खून उतरने लगा और जबड़े किसी शेर की मानिंद कसते चले गए।

अजय :" क्या हुआ शादाब, ? सब ठीक तो है भाई ?

शादाब ने गुस्से में अपना मुक्का गाड़ी पर दे मारा और बोला:"

" कुछ गुंडे मेरी मा और बुआ को उठाकर ले गए हैं अजय, गाड़ी तेज चला मुझे जल्दी से घर जाना है।

शादाब की बात सुनकर अजय की आंखे भी लाल सुर्ख हो गई और उसकी रगो में बहता हुआ खून उबाल मारने लगा। "(अजय मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट था ये बात शादाब को नहीं पता थी।

अजय आंधी तूफान की तरह गाड़ी को उड़ाता हुआ शादाब के घर पहुंच गया तो वहां जमा हुई भारी भीड़ को देखकर शादाब का दिल बहुत जोर जोर से धड़कने लगा और वो गाड़ी से बाहर निकला तो लोग उसे देखते ही आपस में बात करने लगे।

शादाब घर के अंदर घुसा और नीचे बैठक में ही उसे अपने दादा दादी की लाशे पड़ी हुई नजर आईं और उसकी आंखो के आगे अंधेरा सा फ़ैल गया। अजय ने उसे सहारा दिया और शादाब अपने दादा दादी को देखकर दहाड़ मारकर रोने लगा।

उसका पूरा चेहरा आंसुओ से भीग हुआ था और सिसकियां तो जैसे तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। अजय ने जैसे तैसे करके शादाब को संभाल लिया और तभी वहां पुलिस की जीप आकर रूकी ।

इंस्पेक्टर हसन बाहर निकला और सारे हालत का जायजा लिया और बोला:_

" कैसे हुआ ये सब ?

शादाब:" मुझे नहीं पता कुछ भी, मैं तो अभी एग्जाम देकर आया तो घर में लाशे देखी। मेरी अम्मी और बुआ भी थी जो मिल नहीं रही हैं।

हसन:" इन्हे गोली मारी गई है, तुम्हारी किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी ?

अजय कुछ बोलना चाहता था लेकिन शादाब ने उसका हाथ दबा दिया और अजय चुप हो गया।

शादाब:" नहीं दादा जी की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी।

हसन पड़ोसियों से बोला:"

" आपमें से किसी को कुछ पता हैं क्या ये सब कैसे हुआ ?

पड़ोसी:" साहब मैं जब गोलियों की आवाज सुनकर सुनकर बाहर आया तो वो लोग जा चुके थे।

हसन समझ गया कि ये मामला बहुत ज्यादा उलझा हुआ हैं इसलिए वो शादाब से बोला:

" तुम पुलिस स्टेशन आकर रिपोर्ट लिखा देना, पुलिस अपने तरीके से कार्यवाही करेगी। और मैं कुछ पुलिस वाले तेरे घर के बाहर सुरक्षा के लिए लगा देता हूं।

शादाब ने हान में सिर हिलाया और चुप चाप बैठ गया। हसन चला गया और एक एक करके सभी लोग चले गए। अब घर में बस अजय और शादाब बच गए थे। शादाब ने अपना चेहरा घुटनो में छुपा रखा था।

अजय:" भाई मैं तेरा दर्द समझ सकता हूं, अब हमे सबसे पहले अम्मी और बुआ को बचाना होगा
 
शादाब ने अपना चेहरा उपर उठाया तो उसकी आंखे किसी आग के गोले की तरह दहक रही थी। शादाब ने अपना मोबाइल निकाला और रेहाना का नंबर डायल किया

रेहाना जोर जोर से हंसते हुए बोली:" उम्मीद हैं घर पहुंचते ही पहला तोहफा तुझे मिल गया होगा शादाब।

शादाब का खूबसूरत चेहरा सख्त होता चला गया और बोला:"

" सीधी तरह बता मुझे कहां आना हैं ?

रेहाना:" बड़ी जल्दी काम कि बात पर अा गया तो सुन तू गाजियाबाद बाय पास पर आजा और उम्मीद हैं तू पुलिस के पास जाने की गलती नहीं करेगा।

शादाब ने फोन काट दिया और अजय को बोला:"

" अजय तुम घर पर ही रुको मैं मा और बुआ को लेकर आता हूं।

अजय :" नहीं शादाब मैं भी तुम्हारे साथ आऊंगा, तुम्हे मेरी जरूरत हैं।

शादाब उसका हाथ थामकर बोला:_ शुक्रिया अजय, लेकिन ये लड़ाई मेरी हैं और मैं खुद ही इसे लड़ूंगा। मैं नहीं चाहता कि तुम्हे मेरी वजह से कोई भी खरोच आए भाई।

अजय:_ भाई भी बोलता हैं और भाई का फ़र्ज़ निभाने से भी रोकता हैं शादाब, तूने टाइगर का नाम सुना हैं तो मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हैं।

शादाब चौंकते हुए:" हान सुना हैं और आज तक उसका चेहरा किसी ने नहीं देखा हैं। लेकिन तू ये क्यों पूछ रहा है मुझसे ?

अजय ने अपने जेब से एक मास्क निकाला और उसको लगा लिया और अपनी दोनो आंखे अलग अलग दिशा में एक साथ घुमाई तो शादाब को जैसे यकीन ही नहीं हुआ और बोला:_

" क्या अजय तू टाइगर हैं ,

अजय:" हान भाई मैं ही टाइगर हूं हिंदुस्तान का सबसे बड़ा फाइटर लेकिन मेरी मा और बहन को ये सब पसंद नहीं है इसलिए छुप कर रहता हूं।

शादाब:" ठीक हैं हम दोनों यहां से पैदल जाएंगे ताकि पुलिस वालो को लगे की हम घर में ही हैं।

अजय:" ठीक हैं हम लोग पीछे के दरवाजे से ही बाजार जाएंगे।

उसके बाद दोनो धीरे से पीछे के दरवाजे से बाहर निकल गए। बाय पास यहां से कोई 15 किलोमीटर था और दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और दौड़ लगा दी।

कोई आधे घंटे में वो बाय पास अा चुके थे और अब दोनो ने अपना चहेरा ढक लिया था और किसी जंगली शेर की तरह घात लगाकर आगे बढ़ रहे थे।

दूसरी तरफ शादाब के घर के बाहर पुलिस वाले ताश खेलने में व्यस्त थे और उन्हें बिल्कुल भी नहीं पता था शादाब घर से निकल चुका था।

रेहाना ने बाय पास पर एक बड़े खंडहर में रेशमा और शहनाज़ को बंधक बनाया हुआ था और रहकर उन्हें बेदर्दी से पीट रही थी। मार की वजह से दोनो के कपड़े आधे से ज्यादा फट गए थे जिनमें से चोट की वजह से पड़े हुए लाल निशान साफ नजर आ रहे थे। चेहरे पूरी तरह से सूज गया था और आंखो के नीचे काले काले रंग के निशान पड़ गए थे।

दोनो दर्द से बुरी तरह से तड़प रही थी और उनके पास खड़े हुए पप्पू और उसके गुंडे उन्हें वासना भारी नजरो से घूर रहे थे। ये सब देख कर रेहाना और काजल दोनो मुस्कुरा उठी। रेहाना ने अपनी पिस्टल को जोर शहनाज़ के सिर में मारा और उसका सिर फट गया जिससे उसकी दर्द भरी चींखें निकलने लगी। शहनाज़ का खूबसूरत चेहरा उसके सिर से निकले हुए खून से लाल हो गया था।

शहनाज़ की दर्द भरी चींखें सुनकर शादाब का खून खौल उठा और दोनो आवाज की दिशा में आगे बढ़ गए। रेहाना ने चारो तरफ गुण्डो का पहरा बिठा रखा था इसलिए शादाब और अजय धीरे धीरे रेंगते हुए आगे बढ़ रहे थे। चारो तरफ चांद की हल्की रोशनी फैली हुई थी जिसमें सब को धुंधला धुंधला नजर आ रहा था। अजय और शादाब दोनो खंडहर के करीब पहुंच गए और उन्हें रेहाना के गुंडे अब साफ दिख रहे थे क्योंकि अंदर से बाहर की तरफ लाइट पड़ रही थी।

अजय और शादाब दोनो ने दो गुण्डो के ठीक पीछे आते हुए उनकी गर्दन दबोच ली और मुंह पर हाथ रख कर एक झटके के साथ गर्दन मरोड़ दी और दोनो ने गुण्डो के कपड़े पहन लिए और मुंह पर उनका मास्क लगा दिया।
 
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