Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना - Page 11 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना

अपडेट 100


कुछ समय बाद……….
मैं हितेश आज हमारी शादी को आठ साल हो गये है मेरी माँ जो आज मेरी पत्नी है शादी के दो साल में उन्होंने एक प्यारी बेटी को जन्म दिया हमने उसका नाम दीया रखा है बहोत प्यारी है बिल्कुल अपनी माँ की कार्बन कॉपी बिल्कुल वही नैन नक्श वही हँसी आज वह नर्सरी में पढ़ती है नाना नानी अहमदाबाद छोड़कर मुम्बई में रहते है पर हर महीने दस दिन हमारे साथ रहते है या हम उनके पास जाते है मेरे नाना ने जो निर्णय लिया था हमारी फैमिली के लिए उसकी वजह से हम सब बहुत खुश है माँ पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई है उम्र मानो रुकसी गई हो हमारी सुहागरात के बाद दूसरे ही दीन मैने अपने ऑफिस में पूरे स्टाफ को अपनी शादी के बारे में बताया और संडे को सबको शादी की दावत पे बुलाया रविवार पूरा स्टाफ हमारे घर पर आया सबने हमे शादी की मुबारकबाद दी इतनी सुंदर पत्नी मिलने पर मेरे दोस्तोने मुझे मुबारकबाद दी सबने मेरी पत्नी की खूब तारीफ की सचमुच मंजू शादी के ड्रेस में क्या खूब लग रही थी, मेरी तो नजर ही हट रही थी, नाना नानी भी आये थे, वह हमें खुश देखकर बहोत खुश हो गए, आखिर बच्चो की खुशी में ही सब की खुशी है, हनिमून के लिए हम माउंटअबु गये पूरे बिस दिन के लिए, माँ बहोत शर्मा रही थी पर हनीमून के लिये ना कह रहि थी, पर मेरे कारण मान गई वह बिस दिन हमारी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन थे, हम सिर्फ एक दूसरे में ही खो गये थे जैसे सारी दुनिया मे सिर्फ हम दोनों ही है दूसरा कोई नही है पूरा माहौल रूमानी सा हो गया था, हम भूल गए है कि हम कभी माँ और बेटा थे, अब हम सिर्फ दो प्रेमी थे और कुछ नही.मैंने अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ मंजू को चाहा है वही मेरी जिंदगी है मेरा प्यार है मेरे सपनों की रानी सब कुछ वह ही है
मंजू
आज हमारी शादी को आठ साल हो गए है पर लगता है कल की बात हो जब माँ ने मुझे हितेश के साथ शादी के लिये पूछा था मेरे कानों पर यकीन ही नही था कि माँ ऐसा भी पूछ सकती है कि माँ अपने ही बेटे के साथ जिसे उसने ही जन्म दिया हो पूरे बिस साल पाल पोसकर बड़ा किया और उस बेटे के साथ ही शादी करे कोई सोच भी नही सकता ऐसा कभी हुआ है ना खभी सुना है मैं पूरी तरह शॉक हो गई थी दो दिन तो मेरी समझ मे ही नही आया कि मैं क्या कर रही हु क्या नही उसपर मैं ने बहुत सोचा पर जब मेरे रुम में रखे हितेश और मेरे फोटो को देखा हस्ता मुस्कुराता हितेश कितना सुंदर और प्यारा लग रहा था बिल्कुल अपने पापा पर गया था वही रंगरूप शरीर की बनावट एक लड़की की नजर से देखा तो कोई भी लड़की जैसा जीवन साथी चाहती है जैसा अपने सपनो का राजकुमार चाहती है हितेश वैसा ही बांका सजीला जवान था जिसके साथ कोई भी अपना पूरा जीवन बिताना चाहेगी उसकी बाहो में सुकून ढूंढेगी आज मुझे हितेश के पिता सतीश की बहुत याद आई मैं उन्हें बहुत प्यार करती थी उनके बिना मैं किसी और के बारे में सोच भी नही सकती इसी लिए मैंने दूसरी शादी भी नही की मेरे लिये उनकी यादें ही बहोत है हमारा साथ सिर्फ चार साल का रहा पर उन्होंने मुझे इतना प्यार दीया की वही प्यार पुरी जिंदगी के लिए काफी था फिर उनकी आखरी निशानी हितेश के रूप में मेरे पास थी मुझे ऐसा लगा जैसे हितेश के रूप में वही मेरे साथ है उसको पालने पोसने मैं मैं अपने आप को पूरी तरह भूल गई कि मेरी भी कुछ इच्छाये थी कुछ अरमान थे जो हर पत्नी के होते है कि उसे अपने पति का प्यार मिले दिनभर तो काम मे मैं बिजी होने पर सब भूल जाती पर रात में जब बेड पर अकेली होती तब उनकी बहुत याद आती और मन बहुत व्यकुल हो जाता खुद को अकेला पाती फिर हितेश का मुस्कुराता चेहरा सामने आता और मैं सब भूल जाती और आज माँ ने यह क्या पूछ लिया घर की खुशी के लिए हम सब की खुशी के लिये मुझे हितेश के साथ शादी करनी होगी पर यह कैसे मुमकिन है क्या हितेश यह मानेगा पर उसके पहले तो मुझे अपने आप से लड़ना था दिमाग कह रहा था कि यह गलत है एक माँ और बेटे के बीच यह नही हो सकता कितना पवित्र रिश्ता है माँ और बेटा और हम यह क्या कर ना चाहते है दिल कहता मुझे भी खुश रहने का हक है तकदीर मुझे दूसरा मौका दे रही है किसी को दूसरा मौका नही मिलता जो इच्छाये आकांक्षाए अधूरी रह गई थी शायद किस्मत को मुझ पर रहम आया था मेरी इतने सालों की तपस्या का फल मुझे मिलने वाला है और मैं उसे ठुकरा रही हु मुझे हितेश जैसा दूसरा जीवनसाथी नही मिलने वाला और मैंने यह भी सोचा कि मेरे मम्मी पापा अब बूढ़े हो गए है और कितने दिन जियेंगे कल जब हितेश की शादी होगी पता नही बहु कैसे मिलेगी मैं जानती हूं हितेश मुझसे बहुत प्यार करता है पर बीवी और माँ के बीच मे पीसकर रह जायेगा बेचारा आखिर दिल और दिमाग की जंग में दिल जीत लिया पर सवाल फिर भी था हितेश मेरे बारे में क्या सोचेगा उसके खुद के अरमान होंगे सपने होंगे
 
इसलिए मैंने माँ को मेरी और से हा कहा पर यह भी कहा हितेश से कोई जबरदस्ती नही करेगा वह अगर ना करना चाहे तो हम वह भी सहर्ष स्वीकार करेंगे पर हम यही गलत थे हितेश तो न जाने कब से मुझे प्यार करते थे एक माँ की तरह नही वह तो मन ही मन मुझे चाहते थे मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई और शर्म भी आई कि अब मैं हितेश का सामना कैसे करूंगी अब हमारे बीच रिश्ता बदल चुका था अब वह मेरे सपनों का राजकुमार था कितने खूबसूरत थे बिल्कुल अपने पिता की तरह अब मैने दिल और दिमाग से उन्हें स्वीकार किया था उनका स्पर्श उनके बाहो में समाना बहुत रूमानी होता था कितना प्यार करते है मुझसे सोचकर ही खुद पर नाज होता है शादी के वह दिन किसी ख्वाब की तरह थे फिर हमारी सुहागरात में उनकी हालत पर दूसरे दिन उनका लाजवाब प्यार करना वह आज भी उसी तरह प्यार करते है फिर हमारा हनीमून मैने कितना मना किया था हनिमून के लिए पर वह नही माने और हम हनीमून के लिऐ माउंटआबू गये वहा के वह बिस दिन आज भी हमारे जीवन के सबसे अच्छे दिन है वहा उन्होंने मेरी कैसी हालत कर दी थी पांच दिन तो रूम से बाहर ही नही निकले सिर्फ प्यार करते रहे हम अपने मे ही गुम रहे फिर वहा की हसीन वादियोमे खो गये वहां हम ना पति पत्नी ना माँ बेटा थे सिर्फ प्रेमी प्रेमिका थे हमे हमारे सिवा कुछ होश नही था मेरे लीये तो यह एक ख़्वाबसा है और मैं इस ख्वाब से बाहर नही आना चाहती आज हमारी शादी को आठ साल हो गये है पर आज भी वही जोश वही प्यार है कितना प्यार करते है मुझे बिल्कुल एक प्रेमी की तरह मैं बहुत खुश हूं आज हमे एक बेटी है दीया हमारे घर मे हम तीन लोग ही है मैंने मम्मी पापा को कितना कहा कि हमारे साथ रहो पर व नही मानते और अहमदाबाद छोड़कर मुम्बई में रहते है पर अबभी हर महीने मिलने आते है और कभी हम मिलने जाते है मैं अपनी जिंदगी से अब बहुत खुश हूं जिसने मुझे दूसरा मौका दीया इतना प्यार करनेवाला पति दीया प्यारी बेटी दी मुझे और कुछ नही चाहिए
दोस्तो
मैंने इस कहानी में अन्य लेखकों की तरह एक भी अपशब्द नहीं लिखा और यकीन मानिए उस रूपसी से संभोग के दौरान भी नहीं कहा क्योंकि मैं उसे प्रेम करता था, वह मुझसे प्रेम करती थी. मैं उसकी और उसके प्रेम दोनों की पूजा करता था. मेरे लिए उसका प्रेम आज भी पवित्र और निर्मल है इसलिए उसके और उसके प्रेम के लिए अपशब्द या यूं कहें गंदे शब्द उपयोग करना उस देवी के प्रेम की तौहीन होगी.

यदि आपको उन अश्लील शब्दों के बिना इस सच्ची कहानी में मजा ना आया हो तो मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं क्योंकि मैं आपके झूठे आनन्द के लिए उस देवी के प्रेम को अश्लील शब्दों से गंदा नहीं कर सकता.
वह मुझ पर लुटी थी मैं उस पर लुटा था यही इस कहानी का सार था!
दोस्तो, एक औरत भगवान से ज्यादा भरोसा करके अपने आपको किसी मर्द को सौंपती है. या यूं कहें कि अपना सर्वस्व लुटाने को समर्पण करती है. उस समर्पित लड़की या महिला के लिए या कामक्रीड़ा के दौरान उसको कहे जाने वाले रंडी, कुतिया, छिनाल, रांड जैसे शब्द प्रयोग करके आप उस उस महिला का शरीर तो पा सकते हैं लेकिन आत्मा या पूर्ण समर्पण नहीं. यदि वो आपके भरोसे की कद्र करती है तो आप भी उसके समर्पण की कद्र करें.

मैं तेरी फाड़ दूंगा, चोद दूँगा, चोद चोद कर भोसड़ा बना दूँगा जैसे शब्दों से आप केवल झूठी मर्दानगी का अहसास करते हैं क्योंकि चमड़ी से चमड़ी कभी नहीं कटती या फटती है, मानव लिंग मूत्र व सम्भोग तो अवश्य करता है परंतु चीर फाड़ नहीं.

और ये आप बार बार मनगढ़ंत कहानियों में लिखते हैं कि आपका लिंग अंदर जाते ही वो रोने लगी, चिल्लाने लगी उसके आँसू आ गए तो समझिए या तो वो जबरदस्ती है या झूठ है. औरत केवल जबरदस्ती में रोती है, रजामंदी में तो प्रेम के हिलौरें खाती है.

कुछ लोग लिखते हैं कि वो मेरा लन्ड देखते ही चुदने को तैयार हो गयी… भाइयो, यूँ देख कर कोई औरत तैयार होती हो तो सबसे ज्यादा मौज सड़क पर मूतने वाले की हो जाती.
कुछ लिखते हैं मेरे कमरे में आते ही उसने साड़ी उठा दी या सलवार खोल दी या यूं बोली- चोद ले मेरे राजा!
तो आपकी गलतफहमी दूर कर दूँ कि मजबूरी में वेश्यावृत्ति करने वाली हिंदुस्तानी औरत भी कभी पहल नही करती.

और एक भ्रम जो कुछ लोग फैलाते हैं कि उसकी तो इतनी टाइट थी मेरा अंदर ही नहीं जा रहा था, दोस्तो, यह गलतफहमी निकाल दीजिये, एक बार योनि गीली होने के बाद आसानी से लिंग को अंदर ले लेती है.

एक और देखा देखी सभी गुदा यानि गांड मारने के शौकीन हुए जा रहे हैं और औरत का चित्रण भी ऐसे पेश करते हैं कि वो तो गांड मरवाने को तैयार ही बैठी रहती है.
गुदा मैथुन पूर्णतया अप्राकृतिक है व अपराध की श्रेणी में आता है. और ना ही किसी औरत को गुदा मैथुन से मजा आता है अपितु इससे उसे तकलीफ ज्यादा होती है, और फिर भी यदि आपको यकीन ना आये तो
गुदा यानि गांड तो आपके पास भी है एक बार प्रयोग करके देख लो खुद समझ आ जायेगा.

और यदि केवल गांड मारने से ही सम्भोग होता तो महिला की जरूरत ही क्या थी, ये तो पुरुषों में सम्भव था.

आप यदि अपनी महिला साथी से प्यार करते हैं तो क्यों उसे बाजारु बनाकर पेश करते हैं. औरत इस कुदरत की सबसे अनमोल और सुंदर कलाकृति है, उसे प्यार की जरूरत है. रही बात कुछ लोगों के झूठे मर्दानेपन और सुपरमैन बनने के झूठ की… तो मैं केवल ये कहना चाहूंगा कि यदि औरत अपनी वाली पे आ जाये तो एक औरत एक साथ कई मर्दों को संतुष्ट कर सकती है लेकिन एक मर्द एक औरत को भी सन्तुष्ट नही कर सकता.

मेरा आप सभी से निवेदन है कि अपनी महिला साथी को प्रेम दें इज़्ज़त दें और उसके विश्वास को कभी ना तोड़ें और ना ही उसे बाजारू बनाने की कोशिश करें.

दोस्तो यह कहानी यही ख़तम होती है आपको यह कहानी कैसे लगी जरूर बताना यह कहानी मूल लेखक ने आधे में ही छोड़ दी थी मैन इसे अपने तरीकेसे विस्तारित किया हैउसमे मैं कितना सफल हुआ हूं यह तो आप जैसे कद्रदान ही बता पाएंगे अच्छे हो या बुरे कहानी के बारे में अपने विचार जरूर व्यक्त करें
दोस्तो उन्हें उनके विवाहित जीवन के लिये शुभ कामनाएं दे
 
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