hotaks444
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उफ़ कैसी प्यारी मुस्कान थी उसकि, राहुल का दिल पिघल जाता है. वो चाय का कप कस कर पकड़ लेता है. एक बारगी तोह उसका दिल किया के वो आगे बढ़कर उसे अपने सीने से कस कर लगा ले और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दे.
सलोनी राहुल की कुरसी अपनी तरफ घुमति है. रोटेटिंग चेयर होने के कारन राहुल का रुख टेबल से घूम कर अपनी मम्मी की तरफ हो जाता है. वो उसकी और कडवी नज़र से देखने की कोशिश करता है मगर सलोनी मुस्कराती हुयी उसके घुटनो के पास निचे बैठ जाती है. उफ़ उफ़ कैसी प्यारी मुस्कान थी उसकि, राहुल का दिल पिघल जाता है. वो चाय का कप कस्स कर पकड़ लेता है. एक बारगी तोह उसका दिल किया के वो आगे बढ़कर उसे अपने साइन से कस्स कर लगा ले और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दे.
सलोनी अपने बेटे के सामने फर्श पर घुटनो के बल बैठि थी और वो दूसरी तरफ को मुंह किये चाय की चुस्कियाँ ले रहा था जैसे उसे उसके वहां होने न होने से कोई फरक ही नहीं पढता था. सलोनी मुस्कराती अपने हाथ बेटे की जांघो पर रखती है और उन्हें सरकाती धीरे धीरे ऊपर की और लेजाने लगती है. उसके होंठो की मुस्कान गहरी होती जा रही थी. वो अपनी उँगलियाँ राहुल के पयजामे की एल्सटिक में फँसती है और उसे निचे खींचने लगती है. पायजामा थोड़ा सा ही निचे सरकाता है. राहुल उधर खाली कप अपने होंठो से लगाए अपने बदन की सीहरन को कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा था मगर लगता था उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था. सलोनी ज़ोर से पायजामा निचे खींचती उसकी जांघो को हिलाकर इशारा करती है. राहुल चाय का कप टेबल पर रख देता है. और अपनी मम्मी की और देखता है.
"उठो भी, मुझे पायजामा उतारना है" सलोनी उसे मुस्कराती कहती है. राहुल हल्का सा उठता है और वो झटके से पायजामा निचे खींच देती है. राहुल का बुरी तरह तना हुआ लंड सलोनी के चेहरे के सामे झटके खा रहा था.
"ओ माय गॉड..........यह तोह पहले से ही पूरी तरह तैयार है" सलोनी हंस पड़ती है. राहुल शर्मिंदा होकर मुंह फेर लेता है.
"साला दगाबाज" वो अपने लंड को मन ही मन गली दे रहा था. इतना कुछ करने के बाद भी उसने उसका साथ नहीं दिया था. सही मायनो में राहुल को पता भी नहीं चला था के कब उसका लंड फिरसे खड़ा हो गया था, वो तोह अपनी सलोनी के दमकते हुस्न में ही खो गया था.
सलोनी अपने नरम मुलायम हाथों से जैसे ही लंड को थामती है लंड के झटके और भी तेज़ हो जाते है.
"देखो तोह कैसे फड़फड़ा रहा है. लगता है इसके पर कतरने ही पडेंगे वर्ना यह तोह दिन पर दिन बदमाश होता जा रहा है" सलोनी लंड को अपने हाथों से कोमलता से सहलाती कहती है. लंड उसके हाथों में पहुंचते ही और भी भयंकर रूप धारण करते जा रहा था. राहुल किसी तरह अपनी भारी साँसों को नियंतरण में करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी सभी कोशिशें बेकार हो जाती हैं जब सलोनी धीरे से लंड पर अपने सुलगते होंठ रख देती है.
"उन्ह हुनः.........." सलोनी के तपते होंठ अपने सुपडे पर महसूस करते ही राहुल के मुंह से सिसकि निकल जाती है. वो अपने हाथों से कुरसी के हत्थों को कस्स कर पकड़ लेता है. उसके हाथ हरकत में आने के लिए बेताब हो रहे थे.
"उम हुम्............." होंठो में सुपडा दबाये जैसे ही सलोनी उस पर अपनी जीव्हा फेरती है, राहुल के होंठो से लम्बी सिसकि फूटती है. वो कितना भी चाहता खुद को सिस्कने से रोक नहीं सकता था. सलोनी के होंठ लंड पर आगे पीछे होने लगते है. वो लंड के सुपडे को रगड़ती उसे अपने मुख के गिलेपन में गर्माहट देती चूस, चाट रही थी. राहुल कुरसी के हत्थों को और भी कस कर पकड़ लेता है. उसे अपने कुल्हे कुरसी की सतह पर दबाकर रखने पड़ रहे थे. उसे डर था के कहीं वो अपनी मम्मी के मुंह में अपना लंड न पेल दे. चाहे कुछ भी हो जाये जब तक वो माफी नहीं मांगती राहुल उसका साथ देणे वाला नहीं था. मगर सलोनी को जैसे कोई परवाह ही नहीं थी. वो तेज़ी से लंड पर मुंह चलाती उसे आगे पीछे कर रही थी. कभी वो लंड को मुंह से निकाल उस पर अपनी जीव्हा रगडने लगती कभी सुपाडे के छेद को अपनी जीव्हा की नोंक से कुरेदती. एक हाथ से बेटे के टट्टे सहलाती वो लंड को फिर से मुंह में भर लेती है और गहरायी तक उसे चुस्ने लगती है. राहुल बिना हिले डुले अपनी मम्मी के मुंह को चोद रहा था. उसने अपना पूरा जिस्म अकड़ाया हुआ था खुद को रोकने की कोशिश में फिर भी वो असफ़ल होता जा रहा था. हर पल उसके मुंह से सिसकियाँ फूट रही थी
सलोनी राहुल की कुरसी अपनी तरफ घुमति है. रोटेटिंग चेयर होने के कारन राहुल का रुख टेबल से घूम कर अपनी मम्मी की तरफ हो जाता है. वो उसकी और कडवी नज़र से देखने की कोशिश करता है मगर सलोनी मुस्कराती हुयी उसके घुटनो के पास निचे बैठ जाती है. उफ़ उफ़ कैसी प्यारी मुस्कान थी उसकि, राहुल का दिल पिघल जाता है. वो चाय का कप कस्स कर पकड़ लेता है. एक बारगी तोह उसका दिल किया के वो आगे बढ़कर उसे अपने साइन से कस्स कर लगा ले और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दे.
सलोनी अपने बेटे के सामने फर्श पर घुटनो के बल बैठि थी और वो दूसरी तरफ को मुंह किये चाय की चुस्कियाँ ले रहा था जैसे उसे उसके वहां होने न होने से कोई फरक ही नहीं पढता था. सलोनी मुस्कराती अपने हाथ बेटे की जांघो पर रखती है और उन्हें सरकाती धीरे धीरे ऊपर की और लेजाने लगती है. उसके होंठो की मुस्कान गहरी होती जा रही थी. वो अपनी उँगलियाँ राहुल के पयजामे की एल्सटिक में फँसती है और उसे निचे खींचने लगती है. पायजामा थोड़ा सा ही निचे सरकाता है. राहुल उधर खाली कप अपने होंठो से लगाए अपने बदन की सीहरन को कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा था मगर लगता था उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था. सलोनी ज़ोर से पायजामा निचे खींचती उसकी जांघो को हिलाकर इशारा करती है. राहुल चाय का कप टेबल पर रख देता है. और अपनी मम्मी की और देखता है.
"उठो भी, मुझे पायजामा उतारना है" सलोनी उसे मुस्कराती कहती है. राहुल हल्का सा उठता है और वो झटके से पायजामा निचे खींच देती है. राहुल का बुरी तरह तना हुआ लंड सलोनी के चेहरे के सामे झटके खा रहा था.
"ओ माय गॉड..........यह तोह पहले से ही पूरी तरह तैयार है" सलोनी हंस पड़ती है. राहुल शर्मिंदा होकर मुंह फेर लेता है.
"साला दगाबाज" वो अपने लंड को मन ही मन गली दे रहा था. इतना कुछ करने के बाद भी उसने उसका साथ नहीं दिया था. सही मायनो में राहुल को पता भी नहीं चला था के कब उसका लंड फिरसे खड़ा हो गया था, वो तोह अपनी सलोनी के दमकते हुस्न में ही खो गया था.
सलोनी अपने नरम मुलायम हाथों से जैसे ही लंड को थामती है लंड के झटके और भी तेज़ हो जाते है.
"देखो तोह कैसे फड़फड़ा रहा है. लगता है इसके पर कतरने ही पडेंगे वर्ना यह तोह दिन पर दिन बदमाश होता जा रहा है" सलोनी लंड को अपने हाथों से कोमलता से सहलाती कहती है. लंड उसके हाथों में पहुंचते ही और भी भयंकर रूप धारण करते जा रहा था. राहुल किसी तरह अपनी भारी साँसों को नियंतरण में करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी सभी कोशिशें बेकार हो जाती हैं जब सलोनी धीरे से लंड पर अपने सुलगते होंठ रख देती है.
"उन्ह हुनः.........." सलोनी के तपते होंठ अपने सुपडे पर महसूस करते ही राहुल के मुंह से सिसकि निकल जाती है. वो अपने हाथों से कुरसी के हत्थों को कस्स कर पकड़ लेता है. उसके हाथ हरकत में आने के लिए बेताब हो रहे थे.
"उम हुम्............." होंठो में सुपडा दबाये जैसे ही सलोनी उस पर अपनी जीव्हा फेरती है, राहुल के होंठो से लम्बी सिसकि फूटती है. वो कितना भी चाहता खुद को सिस्कने से रोक नहीं सकता था. सलोनी के होंठ लंड पर आगे पीछे होने लगते है. वो लंड के सुपडे को रगड़ती उसे अपने मुख के गिलेपन में गर्माहट देती चूस, चाट रही थी. राहुल कुरसी के हत्थों को और भी कस कर पकड़ लेता है. उसे अपने कुल्हे कुरसी की सतह पर दबाकर रखने पड़ रहे थे. उसे डर था के कहीं वो अपनी मम्मी के मुंह में अपना लंड न पेल दे. चाहे कुछ भी हो जाये जब तक वो माफी नहीं मांगती राहुल उसका साथ देणे वाला नहीं था. मगर सलोनी को जैसे कोई परवाह ही नहीं थी. वो तेज़ी से लंड पर मुंह चलाती उसे आगे पीछे कर रही थी. कभी वो लंड को मुंह से निकाल उस पर अपनी जीव्हा रगडने लगती कभी सुपाडे के छेद को अपनी जीव्हा की नोंक से कुरेदती. एक हाथ से बेटे के टट्टे सहलाती वो लंड को फिर से मुंह में भर लेती है और गहरायी तक उसे चुस्ने लगती है. राहुल बिना हिले डुले अपनी मम्मी के मुंह को चोद रहा था. उसने अपना पूरा जिस्म अकड़ाया हुआ था खुद को रोकने की कोशिश में फिर भी वो असफ़ल होता जा रहा था. हर पल उसके मुंह से सिसकियाँ फूट रही थी