desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
मैं उसकी बांह पकड़ कर तेजी से अन्दर ले गया. “जल्दी चलो, नहीं तो कोई देख लेगा.”
जाहिर सी बात है की वह थोड़ा डरी हुई थी. थोड़ी देर में हमलोग अपने घोंसले में आ गए. मैंने चादर बिछाई, एक मोमबत्ती जलाई. वह चारो तरफ घुमती हुई बोली – “वाह बाबु, इन्तेजाम तो बढ़िया किया है. आज की रात मैं याद रखूंगी.”
मै उसकी पतली कमर को कसकर पकड़ते हुए बोला – “मेरी रानी, आज मेरा लंड और तेरी चूत रात भर सुहागरात मनाएंगे.” कहकर मैंने उसकी होंठ पर होंठ लगा दिया. उसने भी होंठो को खोलकर मेरी पहल का जवाब दिया. हमलोग एक-दुसरे की जीभ का स्वाद ले रहे थे और हमारे लार आपस में घुलकर एक नया स्वाद बना रहे थे. चुम्मा करते-करते हमलोग चादर में बैठ गए और एक-दुसरे की जिस्म को टटोलने लगे.
सोमा शायद कुछ ज्यादा ही चुदासी हो रही थी. चुमते-चूसते वह मेरी शर्ट की निकलने की कोशिश कर रही थी. मैंने खुद उसकी मदद करते हुए अपनी शर्ट-बनियान को निकल दी और पेंट भी उतार दी. मेरा लंड पहलवान मेरी जॉकी की अंडरवियर को फाड़ने को था. हमलोग 20 मिनट से एक-दुसरे का रस चूस रहे थे. सोमा एक हाथ से मेरे माथे को पकड़कर मुझे चूम रही थी और दुसरे हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी. अचानक वह रुक गयी. उसकी आखों में वासना तैर रही थी. मेरा लंड अब भी उसकी हाथ की पकड़ में था. वह धीरे से बोली – “बाबु, याद है, तुम्हारा उधार बाकी है.”
अब मुझे सुबह की बात याद आई. उसने मेरा लंड चूसा था, अब मुझे भी उसकी चूत चूसकर उसे झड़ाना होगा.
वह खड़े होकर ऑंखें मटकाते हुए बोली – “तुम्हे कुछ दिखाना है.”
मैं सवालिया नजरो से उसको देखा, वह मंद-मंद मुस्कुराते हुए अपनी साड़ी पेटीकोट समेत कमर से ऊपर तक उठा दी.
“ओ साली!!” मेरा मुँह पूरा का पूरा खुला रह गया.
सोमा ने अपनी चूत को बड़ी अच्छे से सफाई की हुई थी, जो मोमबत्ती की रौशनी में चमक रही थी. इतनी चिकनी चूत मैंने पहले कहीं नहीं देखी थी. मेरे मुँह से तो लार निकल रही थी. साली, ऐसी चूत अगर चाटने को मिले तो मैं दिनभर चूत में मुँह लगाकर पड़ा रहूँ! यह जरूर पार्लर का काम है.
सोमा कमर मटकाते हुए मेरे करीब आई और कमर को मेरे मुँह से सटा दी. फिर फरमान वाली आवाज में बोली – “चलो, अब अपना उधार चुकाओ. खास तुम्हारे लिए आज पार्लर में मैं सफाई कराइ है अपनी मुनिया की.”
मैंने कमर को पकड़ कर चूत की होंठो को चूम लिया. चूत से अभी भी क्रीम की मीठी महक आ रही थी. मैंने उसको चादर पर लेटाया और उसकी साड़ी,पेटीकोट को ऊपर उठाकर उसकी चूत के दरार को ऊँगली से मसलने लगा. वह हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी. अब मैंने ढेर सारा थूक ले उसकी चूत में ऊँगली करने लगा.
सोमा सिसकारी लेते हुए धीरे से बोली – “बाबु, इसको चुसो ना. आज चूस-चूसकर इसकी पानी निकल दो. मेरा कर दो... आहा...आआह्हह्हह...आआह...”
मैंने फ़ौरन जीभ से चाटना शुरू किया. सोमा तो सातवे असमान पर थी, जैसे सुबह से ही इसका इंतज़ार कर रही हो. मैं पहले चूत के आस-पास को चाटना शुरू किया, फिर चूत की फटी दरार को चाटना शुरू किया. मेरा खुरदुरा जीभ कमाल कर रही थी, जिसका अंदाज़ा सोमा की सिसकारी से चल रहा था, जो अब तेज हो रही थी. तेज सिसकारी के साथ उसका पूरा शरीर बरि तरह से कांप रहा था. इधर मेरा भी बुरा हाल था. मेरा लोहे जैसा लंड खम्भा जैसा खड़ा था और काफी तकलीफ दे रहा था. सोम आँख बंद लिए सिसकारी मर रही थी. मज़बूरी में मुझे एक हाथ से अपने लंड को झटके देना पड़ा. मैं सोमा की चूत को जीभ से चोद भी रहा था और खुद मुठ भी मार रहा था. उसकी चूत आब गीली हो रही थी. उसकी सिसकी धीमी हो रही थी लेकिन शरीर तेजी से झटके दे रहा था. मैंने जीभ को और अन्दर डालकर ज्यादा लार से चुसना चालू किया. कमरे में सोमा की सिसकारी और चुसाई की सुडुप-सुडुप की आवाज भर रही थी. अचानक सोमा जोर से चीखी – “आःह्ह्ह.....माई रीईई....मेरा हो गयाआआ...बाबुऊऊउ.........” उसकी चूत ने रस का बांध खोल दिया और मेरा मुँह उसकी प्रेमरस से भर गया. अजीब नमकीन सा स्वाद था उसकी चूत का पानी का. सोमा का बदन झटके मर शांत हो गया. वह आँखें बंद कर ‘उम्म्मम्म.....उम्म्मम्म’ कर रही थी लेकिन मेरा अभी भी नहीं हुआ था. मैं उसकी टांगो के बीच घुटनों के बल बैठकर जोर जोर से मुठ मरने लगा. मेरा लंड भी कुछ झटको के बाद छुट गया. तेज पिचकारी के साथ लंड का माल सोमा की चूत में जा गिरा. मैं भी धड़ाम से सोमा के बगल में जा गिरा. हमदोनो चुपचाप आँखें बंद कर लेटे रहे. प्यास से गला सुख रहा था