MmsBee कोई तो रोक लो - Page 10 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

MmsBee कोई तो रोक लो

81
अभी उन डॉक्टर को आने मे हफ़्ता दस दिन का समय बाकी था. ऐसे मे हमारे वहाँ रुकने का कोई मतलब नही था. इसलिए दूसरे दिन हम वापस रायपुर आ गये.

रायपुर आने के बाद आकाश अपने आप मे ही खोया खोया और उदास सा रहने लगा था. मुझसे उसका यूँ उदास रहना देखा नही जा रहा था.

मैने पद्मि नी से इस बारे मे बात करने का फ़ैसला किया. आकाश उस समय घर पर नही था. मैने पद्मिहनी से कहा.

मैं बोला “देखो बेटी, मैं तुमसे आकाश के बारे मे कुछ ज़रूरी बात करना चाहता हूँ. तुम जानती हो कि, आकाश प्रकाश की माँ उनको बचपन मे ही छोड़ कर भगवान के पास चली गयी थी. तब से मैने ही उन दोनो को माँ बाप दोनो का प्यार देकर बड़ा किया है. लेकिन आकाश अपने अंदर की कमी को महसूस करने के बाद, अंदर ही अंदर टूटता जा रहा है. ऐसे मे तुमको उसको संभालना चाहिए. नही तो वो फिर से, अपने आपको नुकसान पहुचने की कोसिस कर सकता है.”

पद्मिरनी बोली “पिताजी, मैने उनको समझाने की बहुत कोसिस की है. लेकिन वो है कि, इस बात को अपने दिल से निकल ही नही पा रहे है. उन्हो ने अब एक नयी रट लगा रखी है. वो कहते है कि, मैं तुम्हे शारीरिक सुख नही दे सकता. तुम मुझसे तलाक़ लेकर अलग हो जाओ. मेरे साथ रह कर अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो. अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ. उन्हे कैसे समझाओ कि, वो जैसे भी है. मैं उनके साथ खुश हूँ. मुझे उन से कोई शिकायत नही है.”

मैं बोला “बेटी बात तो आकाश ने सही की है. तुम्हारे सामने अभी सारी जिंदगी पड़ी है. अभी तक हमने जितने भी डॉक्टर को दिखाया है. सब का एक ही जबाब रहा है कि, आकाश सही नही हो सकता. क्या तुम आकाश की ऐसी हालत मे भी सारी जिंदगी. उसके साथ खुशी खुशी बिता सकोगी.”

पद्मिखनी बोली “ये आप कैसी बात कर रहे है पिताजी. मैने एक दो बार गुस्से मे उनको ग़लत ज़रूर बोल दिया है. लेकिन इसका मतलब ये नही है कि, मैं उनसे अलग होना चाहती हूँ. वो जैसे भी है. मैं उनके साथ खुश हूँ. सिर्फ़ एक कमी की वजह से उनके प्यार और अपनेपन को भुला दूं. ये मुझसे नही होगा. मैं उनसे अलग होना तो दूर, इस के बारे मे कभी सोच भी नही सकती. मैं डोली मे बैठ कर इस घर मे आई थी और अब आरती मे बैठ कर ही इस घर से बाहर निकुलुगी.”

मैं बोला “तुम धन्य हो बेटी. तुम जैसी बहू आज के जमाने मे मिलना मुश्किल है. आकाश ने ज़रूर पिच्छले जनम मे बहुत पुन्य किए होगे. तभी उसे इस जनम मे तुम्हारी जैसी पत्नी मिली है.”

पद्मिोनी बोली “पिताजी यदि आपको सच मे ऐसा लगता है तो, प्लीज़ उनको रोकिए. वो अभी मेरे मना करने के बाद भी, तलाक़ के लिए वकील के पास गये है.”

मैं बोला “क्यो, क्या अभी फिर से तुम लोगो का झगड़ा हुआ है.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, अब मैने उनसे कोई झगड़ा नही किया है. मैने उनसे तलाक़ लेने से मना कर दिया तो, वो खुद तलाक़ के लिए वकील के पास चले गये है.”

मैं बोला “तुम चिंता मत करो. उसे आने दो, मैं उसे सम्झाउन्गा.”

अभी हमारी बात चल रही थी. तभी आकाश आ गया. मैने उस से पुछा.

मैं बोला “तुम अभी इस समय कहाँ से आ रहे हो.”

आकाश बोला “मैं वकील के पास गया था.”

मैं बोला “क्यो, तुम्हे वकील के पास जाने की क्या ज़रूरत आ गयी थी.”

आकाश बोला “मैं पद्मिकनी को तलाक़ दे रहा हूँ.”

मैं बोला “क्यो पद्मि्नी ने ऐसा क्या कर दिया, जो तुम उसे तलाक़ देना चाहते हो.”

आकाश बोला “उसने कुछ भी नही किया है. लेकिन मैं उसकी जिंदगी बर्बाद नही करना चाहता. मैं उसे जिंदगी भर घुट घुट कर मरते नही देख सकता.”

मैं बोला “लेकिन जिसकी जिंदगी का तुम फ़ैसला कर रहे हो. उस से ये तो पुच्छ लेना चाहिए था कि, वो क्या चाहती है.”

मैने तो बड़े ही शांत तरीके से आकाश से ये बात पुछि थी. लेकिन आकाश ने, मुझ पर खीजते हुए कहा.

आकाश बोला “क्या कोई खुशी खुशी ख़ुदकुशी करना चाहें तो, उसे करने दिया जाए. कमी मेरे अंदर है तो, इसकी सज़ा इसको क्यो मिले. अभी इसकी उमर ही क्या है. इसे कोई ना कोई अच्छा लड़का मिल हो जाएगा. लेकिन आपको ये सब दिखाई नही देगा. क्योकि ये आपकी बेटी नही है. यदि ये आपकी बेटी होती. तब शायद आपने भी इस से यही कहा होता, जो मैं कह रहा हूँ.”

आकाश ने बड़े ही तल्ख़ लहजे मे अपनी बात कही थी. उसकी बात कड़वी ज़रूर थी. मगर उसकी बात ग़लत हरगिज़ नही थी. मेरे पास उसकी इस बात का कोई जबाब नही था.

जिंदगी मे पहली बार आकाश ने मुझसे उँची आवाज़ मे बात की थी. इसके बाद भी मैं उस से नाराज़ नही था. एक मर्द के लिए उसकी मर्दानगी ही सब कुछ होती है और जिस से उसकी मर्दानगी ही छिन गयी हो.उस से भला कोई शांत रहने की उम्मीद ही कैसे कर सकता है.

मैं उसकी इस बात के सामने बेबस होकर खामोश रह गया. लेकिन पद्मिोनी के पास उसकी इस बात का जबाब था. उसने आकाश से कहा.

पद्मिसनी बोली “आप पिताजी को क्यो दोष दे रहे है. वो तो वही बोल रहे है. जो मैने उन से कहा है. आप मुझे तलाक़ देना चाहते है तो, शौक से दे दीजिए. मैं आपकी पत्नी नही तो, पिताजी की बेटी बनकर इस घर मे रहूगी. आप मुझे इस घर से मेरे मरने के पहले बाहर नही निकाल सकते.”

आकाश बोला “तुम समझती क्यो नही हो. मैं जो कुछ कर रहा हूँ. तुम्हारे भविश्य और तुम्हारी भलाई के लिए ही कर रहा हूँ. वरना आज नही तो कल, तुम्हे अपने निर्णय के लिए पछ्ताना होगा.”

पद्मिीनी बोली “मैं अपने किसी निर्णय के लिए कभी नही पछताउंगी. मैने आपके साथ सात फेरे लेकर जिंदगी भर सुख दुख मे साथ निभाने की कसम खाई है. मैं यदि ऐसा ना कर सकी, तब ज़रूर मैं इसके लिए जिंदगी भर पछ्ताउंगी.”

आकाश बोला “तुम्हे जो ठीक लगे तुम कर सकती हो. मुझे जो ठीक लग रहा है. मैं वो कर रहा हूँ. मैने वकील साहब को बोल दिया है. कल वो तलाक़ के सारे पेपर तैयार कर के ला रहे है. अब आगे तुम्हारी मर्ज़ी.”

इतना बोल कर आकाश अपने कमरे मे चला गया और पद्मिकनी आकर मेरे पास बैठ कर रोते हुए कहने लगी.

पद्मिबनी बोली “आपने देख लिया ना पिताजी. वो मेरी एक बात भी सुनने को तैयार नही है. लेकिन मैं फिर कहती हूँ कि, मैं मर जाउन्गी. लेकिन उनको छोड़ कर नही जाउन्गी.”

उस समय वो बिल्कुल किसी छोटी बच्ची की तरह से ज़िद करके रो रही थी. जैसे कोई उसका सबसे प्यारा खिलौना छिन रहा हो. मैने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

मैं बोला “बेटी तू चिंता मत कर. मैं वकील साहब से मिल कर, इसका कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकाल लुगा. तू उसकी बात का बुरा मत मान. तू तो जानती है कि, वो अभी किस दौर से गुजर रहा है.”

मेरी बात से उसे कुछ राहत मिली. उसने मुझसे कहा.

पद्मिबनी बोली “पिताजी, वो विदेशी डॉक्टर आने वाले थे. उनका कुछ पता चला कि, वो कब आ रहे है.”

मैं बोला “उन्हो ने 10 दिन बाद पता करने को कहा था. आज 10 दिन हो चुके है. मैं कल ही फोन करके पता करता हूँ.”

इसके बाद हमारी आकाश को लेकर ही बातें होती रही. हमारी आखरी उम्मीद बस वो विदेशी डॉक्टर ही थे. जो शायद आकाश को ठीक कर सकते थे.

मैने अगले दिन मुंबई कॉल लगा कर पता किया तो, पता चला कि वो विदेशी डॉक्टर का दल आ चुका है. मैने पद्मि नी और आकाश से मुंबई चलने की तैयारी करने को कहा.

लेकिन अगले दिन आकाश की कोई बिज़्नेस मीटिंग थी. जिसकी वजह से उसने मुझसे कहा कि, आप और पद्मिशनी वहाँ पहुच कर डॉक्टर से मिल कर, उन्हे पिच्छली रिपोर्ट दिखाइए. दूसरे दिन मैं भी पहुच जाउन्गा.

मुझे उसका ये मशवरा अच्छा लगा. क्योकि उसके ना रहने पर हम डॉक्टर को उसके साथ होने वाले वकियात के बारे मे भी खुल कर बता सकते थे. इसलिए अगले दिन मैं और पद्मि नी मुंबई के लिए निकल गये.

वहाँ पहुच कर हम विदेशी डॉक्टर से मिले और उनको आकाश की अभी तक की सारी रिपोर्ट दिखाई. उन्हो ने रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि, उनके पास फिलहाल आकाश की इस बीमारी का कोई इलाज नही है. लेकिन साल दो साल मे हो सकता है कि, इसका इलाज हो पाना संभव हो जाए. क्योकि उनके देश मे इस बीमारी की खोज जारी है.

उन डॉक्टर ने भी हमे निराश ही किया. लेकिन साथ ही साथ इस बात की उम्मीद भी बँधाई की, साल दो साल बाद आकाश का इलाज हो पाना संभव हो सकता है. मगर आकाश को ये बात समझा पाना हमे बहुत ही मुस्किल लग रहा था.

तब मैने डॉक्टर को आकाश के साथ पेश आए अभी तक के वकियात बताए तो, उन्हो ने कहा कि “आप घबराईए मत. आप उन्हे कल ले आइए. हम उन्हे कुछ दवाइयाँ दे देगे. जिसे खाने के बाद उनके लिंग मे कुछ समय के लिए उत्तेजना आ जाया करेगी. जिस से उन्हे यही महसूस होगा कि, वो ठीक हो रहे है. हम उनसे कह देगे कि, उन्हे ठीक होने मे साल दो साल का समय लगेगा. जिस से आपकी ये समस्या एक दो साल के लिए टल जाएगी और हो सकता है कि, इस बीच इस का इलाज भी आ जाए.”

डॉक्टर की बातों से हमे इस बात की राहत मिली कि, अब कुछ समय तक आकाश को बहलाया जा सकता है. लेकिन अब हम इस बात को अच्छी तरह से जान चुके थे कि, आकाश की मर्दानगी वापस नही आ सकती.

मैने घर वापस आने के बाद पद्मििनी से कहा.

मैं बोला “बेटी तुमने तो अपने कानो से सब कुछ सुन लिया है. अब तुम जानती हो कि, आकाश कभी ठीक नही हो सकता. क्या तुम अब भी अपने इरादे पर अटल हो.”

पद्मि नी बोली “पिताजी, मुझे ये जान कर दुख ज़रूर हुआ है. लेकिन इसके बाद भी मेरा फ़ैसला वही है. जो पहले था. आप बस ये सोचिए कि हमे आगे करना क्या है.”

मैं बोला “अभी तो हमे वही करना है. जो डॉक्टर ने कहा है. कल आकाश को डॉक्टर के पास लेकर जाएगे. फिर उसके बाद हम सोचेगे कि, आकाश को किस तरह से इस सच का सामना करने के लिए तैयार किया जाए. वैसे भी हमारे पास डॉक्टर के कहे अनुसार इस सब के लिए, एक दो साल का समय तो रहेगा ही.”

पद्मिएनी भी मेरी बात से सहमत हो गयी. अगले दिन आकाश आया और हम उसे लेकर डॉक्टर के पास गये. डॉक्टर ने वही किया जो हम से कहा था. डॉक्टर से मिलने के बाद आकाश के मन मे ठीक होने की एक उम्मीद जाग गयी. जो उसके चेहरे से साफ झलक रही थी.

उसके अगले दिन हम वापस रायपुर आ गये. एक दो दिन के अंदर आकाश फिर पहले की तरह हँसमुख हो गया. अब वो एक नयी उम्मीद के सहारे अपना नया जीवन सुरू कर रहा था.

लेकिन ऐसी बातें लोगों से चाहे कितना भी छुपाओ. उन्हे किसी ना किसी तरह से पता चल ही जाती है. ऐसा ही कुछ आकाश के बारे मे भी हुआ.

एक तो आकाश की शादी को 2 साल होने को आए थे और वो अभी तक बाप नही बन सका था, उपर से डॉक्टर के यहाँ के बार बार चक्कर लगना. इन बातों को लेकर लोगों ने, आकाश के बारे मे, बातें बनाना सुरू कर दिया था.

मुझे लोगों की बातों की कोई परवाह नही थी. परवाह थी तो, सिर्फ़ आकाश की थी. मुझे डर लगने लगा था कि, कही ये बातें आकाश के कानो तक ना पहुच जाए और वो फिर से ना टूट जाए.

मैने इस बारे मे पद्मिरनी से सलाह करना ठीक समझा. मैने उस से कहा.

मैं बोला “बेटी, आज कल आकाश को लेकर लोगों मे तरह तरह की बातें हो रही है. मुझे डर है कि, कही आकाश के कानो तक ये बातें पहुच कर फिर उसे तोड़ ना दे.”

पद्मिकनी बोली “पिताजी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है. लेकिन हम लोगों का मूह बंद तो कर नही सकते है.”

मैं बोला “लेकिन बेटी, हमे कुछ तो करना ही पड़ेगा. कहीं ऐसा ना हो कि, लोगों की बातों से हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाए.”

पद्मिोनी बोली “पिताजी, क्यो ना हम अपने मुंबई वाले घर मे चल कर रहे. वहाँ हमे कोई जानता भी नही है और आपका सारा बिज़्नेस भी तो वही है. आपको भी बार बार यहाँ आना जाना नही करना पड़ेगा.”

मैं बोला “बात तो तेरी सही है बेटी. लेकिन ये सब कैसे हो पाएगा. आकाश ने अभी अभी यहाँ अपना बिज़्नेस जमाया है और फिर यहाँ हमारी इतनी सारी ज़मीन है. उसकी देख भाल कौन करेगा.”

पद्मि नी बोली “आप उनकी चिंता मत कीजिए. उनका बिज़्नेस अभी नया है. वो अपना बिज़्नेस मुंबई मे फिर से जमा लेगे. रही ज़मीनो की बात तो, हम यहाँ की अपनी सारी ज़मीन बेच देते है. वैसे भी आपका ज़्यादातर समय अपने बिज़्नेस की वजह से मुंबई मे गुज़रता है. आप ना तो अपना ज़्यादा समय इन ज़मीनो की वजह से ना तो मुंबई मे दे पाते है और ना ही अपने बिज़्नेस की वजह से अपना समय यहाँ दे पाते है. इन ज़मीनो को बेच देने से आप अपना समय अपने बिज़्नेस को दे सकेगे और हम सब साथ भी रह सकेगे.”

मैं बोला “जैसा तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. तुम आकाश से बात करके देख लो. यदि वो इसके लिए तैयार है तो, मेरी तरफ से भी इसके लिए कोई रोक नही है.”

पद्मिकनी बोली “आप उनकी चिंता ना करे. मैं उन्हे इसके लिए तैयार कर लुगी.”

इसके बाद रात को डिन्नर पर पद्मिैनी ने इस बारे मे आकाश से बात की. कुछ ना नुकुर करने के बाद पद्मिसनी के समझाने पर आकाश इस सब के लिए तैयार हो गया.

उसी समय ठाकुर जगत प्रताप सिंग अपने पिता के साथ बनारस से रहने यहाँ आए थे. उनके पिता यहाँ ज़मीने खरीद रहे थे. जगत प्रताप सिंग की आकाश से अच्छी दोस्ती थी.

जब आकाश ने अपनी ज़मीने बेचने की बात उनसे की तो, उन्हो ने अपने पिता से इस बारे मे बात की और उनके पिता हमारी सारी ज़मीने खरीदने को तैयार हो गये.

कुछ ही दिनो मे हमारी सारी ज़मीनो का सौदा ठाकुर जगत प्रताप सिंग के पिता के साथ हो गया. दो चार दिन मे आकाश ने वहाँ से अपना बिज़्नेस भी समेत लिया और फिर हम लोग मुंबई आ गये.
 
82

मुंबई आ जाने के बाद आकाश यहाँ पर भी अपना अलग से बिज़्नेस सुरू करना चाहता था. लेकिन मैने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. मैने उसे समझाया कि अब उसे अलग से कोई बिज़्नेस करने की ज़रूरत नही है.

मेरा इतना बड़ा बिज़्नेस है और जब वो यहाँ आ ही गया है. तब उसे ही इसको संभाल लेना चाहिए. उसने मेरी बात पर ज़्यादा कोई सवालात नही किए और अगले दिन से मेरा बिज़्नेस संभालना सुरू कर दिया.

कुछ ही दिनो मे आकाश का मन, मेरे बिज़्नेस मे पूरी तरह से लग गया. अब वो एक सामान्य जीवन जीने लगा था. आकाश के बिज़्नेस संभाल लेने से मुझे भी काम से थोड़ा बहुत आराम मिल गया था.

उस समय मेरी उमर 46 साल थी. मैं रायपुर के इज़्ज़तदार लोगों मे गिना जाता था और मेरा जीवन वहाँ पर बहुत ही सादा था. मगर असल जीवन मे मैं ऐसा नही था. हर मर्द की तरह मेरे शरीर की भी कुछ ज़रूरतें थी. जिन्हे मैं अपनी पत्नी के मरने के बाद से, मुंबई मे रुक कर, वहाँ की कॉल गर्ल से पूरी किया करता था.

लेकिन आकाश और पद्मि नी के मुंबई आ जाने से मेरी सारी आज़ादी ख़तम हो गयी थी. मैं ऐसा कोई कदम नही उठाना चाहता था. जिस से मेरी इज़्ज़त मेरे बेटे और बहू की नज़र मे कम हो जाए. इसलिए मैने इन सब बातों से किनारा करने का मन बना लिया.

कुछ दिन तक तो मैं ऐसा करने मे कामयाब रहा. मगर फिर एक दिन आकाश और पद्मिननी को अपने किसी दोस्त की शादी मे, रायपुर जाने का प्रोग्राम बना. उन्हो ने मुझसे जाने की इजाज़त माँगी तो, मैने उन्हे जाने की इजाज़त दे दी.

लेकिन पद्मिोनी को मेरे अकेले रहने की चिंता सता रही थी. क्योकि उन लोगों को रायपुर मे कम से कम 3-4 दिन रुकना था. मैने उसे समझाया कि, उनके आने के पहले भी मैं अकेला ही यहाँ रहा करता था. तब जाकर वो जाने के लिए तैयार हुई.

दूसरे दिन सुबह सुबह वो रायपुर के लिए निकल गये. उनके जाते ही मुझे फिर से आज़ादी मिल गयी थी. मैने एक दिन तो जैसे तैसे सराफ़त के साथ गुज़ार लिया था.

लेकिन दूसरे दिन मेरे अंदर का मर्द जाग गया. मैने सोचा कि अभी 2-3 दिन तो मैं अकेला हूँ. यदि ऐसे मे, मैं थोड़ा मौज मस्ती कर लूँ, तो इसमे बुरा ही क्या है.

मैने इस आज़ादी का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोची और शाम को अपनी मनपसंद कॉल गर्ल को कॉल लगा कर, घर आने को कह दिया.

वो मुंबई की सबसे मशहूर कॉल गर्ल थी.उसका कॉल गर्ल का नाम अलीशा था. वो 25 साल की बेहद सुंदर और सेक्सी लड़की थी. इतनी कम उमर मे इस धंधे मे आ जाने के कारण, उसका रेट बहुत हाइ था और वो अपनी मर्ज़ी से अपना ग्राहक चुना करती थी.

मेरे उसके साथ पिच्छले 5 साल से सेक्स समबन्ध थे. उसके पहले मेरे बहुत सी कॉल गर्ल के साथ सबंध रह चुके थे. लेकिन उन मे से ऐसी कोई नही थी. जिस से एक बार संबंध बनाने के बाद, मुझे कोई दूसरी लड़की पसंद ना आई हो.

लेकिन जब से मैने अलीशा के साथ सेक्स सबंध बनाए थे. तब से लेकर आज तक मैं सिर्फ़ उसी के साथ जुड़ा हुआ था. एक तरह से मैं उसके साथ एक भावनात्मक लगाव से जुड़ा हुआ था और शायद उसके साथ भी ऐसा ही कुछ था.

उसे भी मेरा साथ बहुत पसंद आता था. उसने आज तक कभी मेरे साथ आने मे मनाही नही की थी. उल्टे मेरी वजह से अपने काई ग्राहको को मना कर चुकी थी. आज भी उसने ऐसा ही कुछ किया था.

आज उसकी बुकिंग किसी और ग्राहक के साथ थी. लेकिन मेरा कॉल जाते ही उसने अपनी उस बुकिंग को कॅन्सल कर दिया और उस ग्राहक को फिर कभी आने का बोल दिया.

मैने अलीशा को पीने के लिए कुछ विस्की अपने साथ ले आने को कहा और फिर खाने के लिए एक होटेल मे ऑर्डर करने के बाद, मैं बेचेनी से अलीशा के आने का वेट करने लगा.

शाम के ठीक 7 बजे डोरबेल बजी. मैं समझ गया कि, अलीशा आ गयी है. मैने जल्दी से दरवाजा खोला. सामने अलीशा ही खड़ी थी. उसके हाथ मे एक कॅरी बॅग था. उसमे शायद वो, विस्की की बॉटल थी.

वो एक मिनी स्कर्ट टॉप मे थी और उसके टॉप से उसके सीने की गोलाई सॉफ नज़र आ रही थी. मैने उसे सर से पाँव तक देखा और वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसे देखते ही मेरे लिंग ने सालामी देना सुरू कर दिया.

वो मुस्कुराते हुए घर के अंदर आई और मैने दरवाजा बंद करते ही उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने भी मेरी हालत को समझते हुए, अपने एक हाथ से मेरे लिंग को पॅंट के उपर से मसल दिया.

उसकी इस हरकत से मेरे मूह से आह निकल गयी और मैने उसे ज़ोर से अपने सीने से भींच लिया और स्कर्ट के उपर से ही उसके कुल्हों को मसल्ने लगा.

मेरी इस हरकत पर अलीशा ने मुस्कुराते हुए मेरे लिंग को ज़ोर से मसल दिया और कहा.

अलीशा बोली “थोड़ा तो सबर करो सेठ. मैं कोई भागी नही जा रही हूँ. रात भर के लिए मैं तुम्हारे साथ हूँ.”

मैं तो पहले से ही गरम था. उसकी इस हरकत ने मुझे और भी गरम कर दिया था. मैने अपने एक हाथ को उसके सीने पर रखा और उसके बूब्स को मसल्ते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “नही, मैने तुम्हे सिर्फ़ दो घंटे के लिए बुलाया है. उसके बाद तुम जहाँ जाना चाहो जा सकती हो.”

अलीशा बोली “सेठ ये कैसी बात करता है. आज तक ऐसा कभी हुआ है कि, अपुन तेरे पास आने के बाद फिर किसी के पास गयी हो.”

मैने उसके उसे अपनी गोद मे उठा लिया और उसे छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “बात ये है कि, आज मेरे पास तुम्हे देने के लिए उतने पैसे नही है. मैं तुम्हे रात भर अपने पास रहने के पैसे नही दे सकता.”

अलीशा बोली “क्यो अपुन के अरमानो पे पानी फेर रहा है सेठ. अपुन तेरे से पैसे की बात कब की है. तेरे को पैसे नही देना तो मत दे मगर अपुन के दिल पर पैसे की बोल कर ठेस तो मत लगा.”

मैं समझ गया कि, अलीशा को मेरे पैसे वाली बात अच्छी नही लगी है. मैने उसे सोफा पर बैठाया और उसके पास बैठते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मैं तो मज़ाक कर रहा था. तुम मेरी बात का बुरा मत मानना.”

अलीशा बोली “नही मानेगी सेठ. लेकिन अब ये बताओ कुछ खाने के लिए ऑर्डर भी दिया है, या वो भी अपुन को ही लाना था. क्योकि अपुन तो सिर्फ़ बोतल लेकर ही आई है.”

मैं बोला “खाने का मैने बोल दिया है. खाना अभी आता होगा. मैं फ्रेश हो चुका हूँ. तुम फ्रेश होना चाहो तो हो सकती हो.”

अलीशा बोली “ओके सेठ. अपुन अभी फ्रेश होकर आती है. तब तक तुम चाहो तो एक दो पेग ले सकते हो.”

ये कह कर उसने कॅरी बॅग मेरी तरफ बढ़ा दिया और खुद उठ कर मेरे कमरे की तरफ फ्रेश होने चली गयी.

मैं उसे जाते हुए देखता रहा और उसके अंदर चले जाने के बाद मैने कॅरी बॅग से विस्की की बॉटल निकली और पेग बनाने लगा. तभी डोरबेल बजी.

मैने दरवाजा खोला तो खाना आ चुका था. मैने खाना लिया और दरवाजा बंद करने के बाद खाना डाइनिंग टेबल मे जमाने लगा.

थोड़ी देर बाद अलीशा फ्रेश होकर आ गयी. उस समय वो मेरा गाउन पहने हुई थी. उसने अंदर शायद कुछ नही पहना था. क्योकि उसके चलने से उसकी जांघे सॉफ नज़र आ रही थी.
 
83
उसे देखते ही मेरा लिंग फिर सलामी देने लगा. वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मेरी गोद मे आकर बैठ गयी. मैने उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने मेरे हाथों से मेरा पेग ले लिया और फिर मुझे अपने हाथों से पिलाने लगी.

मेरे अंदर उसकी जवानी और शराब दोनो का नशा छाने लगा. लेकिन मैने अपने उपर सायं रखते हुए कहा.

मैं बोला “पहले एक राउंड लगाना पसंद करोगी या फिर पहले खाना खाओगी.”

अलीशा बोली “अपुन के पास सारी रात पड़ी है. अभी अपुन खाना खा लेते है. फिर आराम से रात का मज़ा लूटेगे.”

ये कह कर वो मेरी गोद से उठ गयी और हम खाना खाने लगे. लेकिन अब मेरे अंदर उस से दूर रहने का सब्र नही था. मैने उसे खीच कर अपनी गोद मे बैठा लिया और अपने लिंग को उसके कुल्हों से मसल्ते हुए खाना खाने लगा.

हम दोनो अपनी मस्ती मे ही मस्त होकर खाना खाने मे व्यस्त थे. तभी फिर से डोरबेल बजी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, इतने समय कौन आ सकता है. मेरे उपर अलीशा के हुश्न और शराब दोनो का नशा छाया हुआ था.

मैने सोचा कि डोरबेल बजने दो. जो भी होगा दरवाजा खुलते ना देख कर चला जाएगा. लेकिन डोरबेल बराबर बजती रही. जिस वजह से ना चाहते हुए भी मुझे दरवाजा खोलने उठना पड़ा.

मैने अलीशा को कुछ देर के लिए अंदर जाने को कहा और अलीशा के अंदर जाने के बाद दरवाजा खोलने चला गया. मैने दरवाजा खोला तो, मेरे सामने पद्मिानी खड़ी थी.

पद्मि नी को अपने सामने देख कर, मेरा सारा नशा उडान छु हो गया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि, ये अचानक यहाँ वापस कैसे आ गयी. मैं ठगा सा दरवाजे पर खड़ा रह गया.

दरवाजा खुलते ही पद्मिेनी अंदर आई और कहने लगी.

पद्मिानी बोली “पिताजी मैं कब से बेल बजा रही हूँ. आपको दरवाजा खोलने मे इतना समय क्यो लगा.”

मैं कुछ बोल पाता, उसके पहले ही उसकी नज़र डाइनिंग टेबल पर रखी शराब की बॉटल पर पड़ गयी. उसे दरवाजा खोलने मे होने वाली देरी की वजह का पता चल गया. उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

पद्मिहनी बोली “पिताजी, ये सब क्या चल रहा था. आप अकेले मे शराब पी रहे थे. लगता है आप अकेले रहना इसी लिए पसंद करते है. ताकि आपको ये सब करने की आज़ादी मिल सके.”

मैं बोला “नही बेटी, ऐसी कोई बात नही है. मैं तो बस अकेलापन मिटाने के लिए कभी कभी घर मे ऐसे ही पी लेता हूँ. लेकिन यदि तुम्हे पसंद नही है तो, आज के बाद नही पियुगा.”

पद्मिीनी बोली “ठीक है, ये आपकी पहली ग़लती है इसलिए मैं ये बात अपने तक ही रखुगी. लेकिन आज के बाद ऐसा नही होना चाहिए.”

मैं बोला “थॅंक्स बेटी, आज के बाद ऐसा नही होगा. लेकिन तुम तो 3-4 दिन का बोल कर गयी थी. फिर अचानक कैसे वापस आ गयी. क्या आकाश भी वापस आ गया है.”

पद्मिचनी बोली “नही वो नही आए है. मुझे आपकी फिकर लगी थी. इसलिए मैं वापस आ गयी.”

मैं बोला “तुमने खाना नही खाया होगा. थोड़ा बहुत कुछ खा लो. मैने होटेल से खाना मँगवाया है.”

पद्मिोनी बोली “ठीक है पिताजी, आप ये शराब की बोतल वहाँ से अलग कीजिए. तब तक मैं फ्रेश होकर आती हूँ.”

ये कह कर वो उपर अपने कमरे मे चली गयी. मैने जल्दी जदली शराब की बोतल उठाई और एक प्लेट मे खाना लगा कर, उन्हे लेकर अपने कमरे मे आ गया.

वहाँ पर अलीशा मेरे बड़ी बेचेनी से मेरे आने का इंतजार कर रही थी. वो शायद पद्मि्नी के आ जाने से घबरा गयी थी और अपने कपड़े पहन चुकी थी. मेरे अंदर पहुचते ही उसने कहा.

अलीशा बोली “ये कौन है सेठ. क्या ये तुम्हारी बेटी है. अब अपुन का क्या होगा.”

मैं बोला “वो मेरी बहू है. वो अभी बाहर से आ रही है. खाना खाकर अपने कमरे मे आराम करने चली जाएगी. उसका कमरा उपर है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. बस जब तक वो यहाँ नीचे रहती है. तब तक चुप चाप तुम मेरे कमरे मे रहना.”

अलीशा बोली “अब क्या अपुन को जाना पड़ेगा.”

मैं बोला “नही, मैं तुम्हे सुबह घर छोड़ डुगा. आज की रात तुम मेरे साथ ही रहोगी.”

अलीशा बोली “लेकिन सेठ, तेरी बहू के रहते. क्या अपुन का यहाँ रुकना ठीक होगा.”

मैं बोला “कुछ नही होगा. वो थकि हुई है. इसलिए खाना खाकर अपने कमरे मे जाकर सो जाएगी और सुबह के पहले नही जागेगी.”

अलीशा बोली “सेठ अपुन को तो बहुत डर लग रहा है. अपुन नही चाहती कि, अपुन की वजह से तेरे घर मे कोई बखेड़ा खड़ा हो.”

मैं बोला “तुम चिंता मत करो. ऐसा कुछ भी नही होगा. तुम आराम से खाना खाओ. मैं पद्मिजनी के साथ खाना खाकर अभी आता हूँ.”

ये कह कर मैं अपने कमरे से बाहर आ गया. बाहर आकर मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और पद्मि नी के आने का इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर बाद पद्मि नी फ्रेश होकर नीचे आ गयी. मुझे मेरी चोरी पकड़े जाने से थोड़ी सी शर्मिंदगी ज़रूर थी. लेकिन अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात, पद्मि नी को पता ना होने की वजह से, कुछ राहत भी थी.

पद्मिेनी ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए, खाना लगाते हुए कहा.

पद्मिेनी बोली “पिताजी, मुझे आपसे बोलने का हक़ तो नही है. फिर भी यदि आपकी इजाज़त हो तो, मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ.”

मैं बोला “बेटी, मैने तुम्हे अपनी बहू नही, हमेशा अपनी बेटी ही समझा है. तुम्हे जो भी कहना है. दिल खोल कर कह सकती हो. इसके लिए तुम्हे मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत नही है.”

पद्मिोनी बोली “पिताजी, आपको यदि माँ जी की कमी ज़्यादा अखरती है तो, आप दोबारा शादी कर लीजिए. लेकिन आपको ये सब हरकतें शोभा नही देती है.”

पद्मिजनी की बात सुन कर तो मेरे सर से आधा नशा उतर गया. मुझे समझ नही आया कि, अचानक वो ये सब क्यो बोल रही है. मुझे लगा कि, वो मेरे शराब पीने की बात के उपर से ये सब बोल रही है. इसलिए मैने उस को समझाते हुए कहा.

मैं बोला “बेटी, ये नशा तो, मैं कभी कभी अपना अकेलापन दूर करने के लिए कर लेता हूँ. यदि तुम्हे ये पसंद नही है तो, आज के बाद ऐसा नही करूगा. इसमे शादी करने वाली बात कहाँ से आ गयी.”

पद्मिेनी बोली “पिताजी, मैं सिर्फ़ शराब का नशा करने की बात नही कर रही हूँ. बल्कि मैं उस नशे की बात कर रही हूँ. जिसे आप अपने कमरे मे छुपा कर रखे है.”

उसकी ये बात सुनकर तो मेरा सर ही चकरा गया. मैं समझ नही पा रहा था कि, पद्मिसनी किस चीज़ की बात कर रही है. क्या उसे अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात का पता लग गया है.

बिना कारण पता किए ही मैं हथियार डाल चुका था. मेरे मूह से अपनी सफाई मे एक शब्द भी नही निकला. मुझे खामोश देख कर पद्मिीनी ने कहा.

पद्मििनी बोली “पिताजी, आप से हम लोगों को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है. आप हमारे आदर्श है. आपको ऐसा नीचे गिरते हुए हम नही देख सकते. आज ये बात मुझे पता चली है. हो सकता है कल उनको भी पता चल जाए. तब सोचिए, उनकी नज़रों मे, आपकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी.”

अब मुझे पक्का यकीन हो चुका था कि, पद्मिीनी अलीशा के बारे मे ही बात कर रही है. फिर भी मैने अपना शक़ दूर करने के लिए उस से पुच्छ ही लिया.

मैं बोला “बेटी, मुझे समझ मे नही आ रहा कि, तुम किस बारे मे बात कर रही हो. मैने ऐसा किया क्या है.”

पद्मिहनी बोली “पिताजी, मैं उस लड़की के बारे मे बात कर रही हूँ. जो इस समय आपके कमरे मे है. मैं अभी आपसे सर दर्द की दवा लेने नीचे आई थी. तब मैने आपके कमरे मे आपकी और उस लड़की की बातें सुनी थी. इसलिए मैं कह रही हूँ कि, आप शादी कर लीजिए. रही उनको मनाने की बात तो, उनको मैं मना लूँगी.”

पद्मितनी की इस बात के बाद मेरा तो गला सूख कर रह गया. मैने पानी पिया और बड़ी हिम्मत जुटा कर अपनी सफाई देते हुए कहने लगा.

मैं बोला “बेटी, तुम्हारी सास मुझे, आज से प्रकाश के जनम के 3 साल बाद ही छोड़ कर चली गयी थी. मैने अपने बच्चों को सौतेली माँ लाकर देने से अच्छा, खुद उनकी माँ बनकर पालना बेहतर समझा था. लेकिन धीरे धीरे वक्त के साथ बच्चे बड़े होते चले गये और मैं अकेला पड़ता गया. इसलिए कभी कभी इस अकेलेपन को मिटाने के लिए, ये सब कर लेता हूँ. लेकिन अब मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूँ कि, आगे से ऐसा कुछ नही होगा.”

पद्मिदनी बोली “पिताजी, मैं आपकी भावनाओं का गला घोटना नही चाहती. मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि, आप बाजारू औरतो की जगह, अपना अकेलापन मिटाने के लिए, एक जीवन साथी का सहारा लीजिए. यदि आप ऐसा करते है तो, इसमे कोई बुराई नही होगी.”

मैं बोला “नही बेटी, ये नही हो सकता. अब मेरी उमर घर मे बच्चों की बहू लाने की है, ना की बच्चों के लिए उनकी नयी माँ लाने की है. लोग देखेगे तो, सब हसेगे.”

पद्मिएनी बोली “लोग हंसते है तो, उन्हे हँसने दीजिए. लोगों का तो काम ही ये बन गया है. उनसे किसी की खुशी देखी नही जाती. इन्ही लोगों का ख़याल करके हमे, रायपुर छोड़ना पड़ा था. आख़िर कब तक हम लोगों की परवाह करके अपनी खुशियों का गला घोंटते रहेगे. मैं उनके आते ही, उनसे आपकी शादी की बात करती हूँ.”

मैं बोला “नही बेटी, तुम ऐसा कुछ नही करोगी. तुम्हे मेरी कसम है. मैं तुमसे वादा करता हूँ कि, आज के बाद तुम्हे मुझसे कोई शिकायत नही होगी.”

ये कह कर मैं उठ कर अपने कमरे मे चला गया. अंदर अलीशा वैसे ही बैठी थी. जैसे मैं उसे छोड़ कर गया था. उसने खाने को हाथ तक नही लगाया था. शायद वो हमारी सारी बात सुन चुकी थी. इसलिए मेरे पहुचते ही वो उठ कर खड़ी हो गयी. मैने उसकी प्लेट को वैसा ही रखा देखा तो, उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. तुमने अभी तक खाना नही खाया.”

पद्मिोनी बोली “सेठ, अपुन का पेट तो, तेरी बहू का बात सुन कर ही भर गया. वो सच बोलती है. तेरे जैसे सरीफ़ लोगों को, अपुन जैसी बाजारू औरतों से दूर रहना चाहिए.”

मेरा दिमाग़ पहले ही पद्मिेनी की बातों से खराब हो गया था. उस पर अलीशा की जाली कटी बातें सुन कर मेरा दिमाग़ और भी ज़्यादा खराब हो गया. मैने उस की बात का खरा सा जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “इसमे बुरा मानने वाली बात क्या है. जो तुम हो, उसने वही तो बोला है. आख़िर तुम एक बाजारू औरत ही तो हो.”

मेरी बातों से अलीशा की आँखों मे आँसू आ गये. मैं नही समझ सका कि ऐसा क्यो हुआ. लेकिन उसने भी अपने दिल का गुबार बाहर निकालते हुए कहा.

अलीशा बोली “सेठ, अपुन को तेरी बहू का बात उतना बुरा नही लगा. जितना तेरी ये बात बुरा लगा. अपुन तेरे को कभी अपुन का ग्राहक समझ के तेरे पास नही आई. अपुन को तेरे मे एक अछा इंसान नज़र आता था. इसी वास्ते अपुन तेरे पास आती थी. लेकिन ये अपुन की भूल थी. तू भी उन्ही मर्द लोगां की माफिक है. अब अपुन चलती है. आज के बाद अपुन तेरे से कभी नही मिलेगी. जो भी कहा सुना हो, माफ़ करना.”

ये कह कर अलीशा बिस्तर से उठी और बिना मेरा जबाब सुने कमरे से बाहर निकल गयी. अब मेरे कुछ भी समझ मे नही आ रहा था कि, ये क्या हो रहा है.

मेरा अलीशा के दिल को, चोट पहुचने का ज़रा भी इरादा नही था. फिर भी मैने उसके दिल को ठेस लगा दी थी. मैं एक के बाद एक ग़लती करता गया था.

अब अलीशा मेरे कमरे से बाहर जा चुकी थी. बाहर जाते ही उसका सामना पद्मि नी से होगा. ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैं भी बाहर आ गया.

लेकिन तब तक अलीशा पद्मिानी के सामने से होते हुए, मुख्य दरवाजे तक पहुच चुकी थी. मेरी पद्मि नी के सामने उस से कुछ बोलने की हिम्मत ही नही हुई.

वो दरवाजा खोल कर बाहर निकल पाती. उसके पहले ही पद्मिसनी की आवाज़ से उसके कदम रुक गये. पद्मि नी ने उस से कहा.

पद्मि.नी बोली “आए ज़रा सुनो.”

अलीशा ने पलट कर देखा और पद्मििनी के बोलने का इंतजार करने लगी. पद्मिउनी ने कहा.

पद्मि नी बोली “ज़रा यहाँ आना, मुझे तुमसे कुछ बात करना है.”

उसकी बात सुनकर अलीशा ने उसके पर आते हुए कहा.

अलीशा बोली “हाँ बोलो मेम साब, आपको अपुन से क्या बात करना माँगता.”

पद्मि नी बोली “मैं ये जानना चाहती हूँ कि, तुम इतना गिरा हुआ काम क्यो करती हो. क्या तुम कोई इज़्ज़त वाला काम नही कर सकती.”

पद्मिजनी की बात सुनकर अलीशा ने हंसते हुए कहा.

अलीशा बोली “मेम साब, अपुन के बारे मे ये सब जानने से अच्छा होता कि, आपने, ये जानने का कोसिस किया होता की, आपका ससुर ये सब काम क्यो किया.”

पद्मि नी बोली “मुझे पिताजी के बारे मे कुछ भी जानने की ज़रूरत नही है. मैं समझ सकती हूँ की, उन्हो ने ऐसा क्यो किया है. मैं सिर्फ़ तुम्हारे ये सब करने की वजह जानना चाहती हूँ.”

अलीशा बोली “मेम साब, अपुन की तो दो लाइन की कहानी है. अपुन को एक सारीफ़ जादे ने प्यार मे धोका देकर इस दल दल मे धकेल दिया. जब अपुन के सामने जीने का कोई रास्ता नही बचा तो, अपुन को मजबूरी मे ये रास्ते पर चलना ही पड़ा.”

पद्मिोनी बोली “क्या तुम इस सब से बाहर निकलना नही चाहती.”

अलीशा बोली “चाहने से क्या होता. अपुन इस रास्ते से बाहर निकल भी आई तो क्या कोई शरीफ जादा अपुन का हाथ थाम लेगा.”

पद्मिजनी बोली “ये सब तो मैं नही जानती मगर मेरे पास एक रास्ता ज़रूर है. जिस से तुम ये सब करने से बच सकती हो. यदि तुम ऐसा करना चाहती हो तो मैं तुम्हे रास्ता बताऊ.”

अलीशा बोली “इज़्ज़त का जिंदगी कौन नही चाहता. आप रास्ता बताओ. यदि अपुन को ठीक लगा तो, अपुन उस रास्ते पर ज़रूर चलेगी.”

पद्मिोनी बोली “एक मिनट रूको. मैं तुम्हारे साथ चलती हूँ. तुम्हे घर भी छोड़ दूँगी और रास्ते मे तुम्हे सारी बात भी समझा दूँगी.”

इसके बाद पद्मितनी ने मुझसे जताया कि, वो अलीशा के साथ जा रही है और फिर वो अलीशा के साथ घर के बाहर निकल गयी. मैं किसी बच्चे की तरह उन्हे अपने सामने से जाते हुए देखता रहा.

मुझे पद्मिबनी का ये सब करना समझ मे नही आया था. फिर भी उस से कुछ भी पूछने की मेरी हिम्मत नही हुई थी. उन दोनो के जाने के बाद मैं अपने कमरे मे आकर लेट गया.

लेकिन अभी भी ये सब बातें मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी. जिस से परेशान होकर मैने एक के बाद एक, दो पेग शराब के पी लिए. इस से मुझे कुछ शांति मिली और मैं आँख बंद करके लेट गया.

आँख बंद करते ही मुझे नींद ने घेर लिया और मुझे पता ही नही चला कि कब मेरी नींद लग गयी. मुझे पता नही मैं कितनी देर ऐसे ही सोता रहा.

नींद मे मुझे मेरे चेहरे पर किसी के हाथों का कोमल स्पर्श महसूस हुआ, और मेरी नींद एक झटके मे खुल गयी.

मैने आँख खोल कर देखा तो, सामने का दृश्य देख कर, मुझे अपनी आँखों पर विस्वास नही हो रहा था.
 
84

मेरी आँखों के सामने अलीशा थी. उसे देख कर मुझे लगा कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ. इसलिए मैने अपनी आँखों को मला और फिर से उसकी तरफ देखा.

लेकिन अब भी वो मेरी आँखों के सामने थी. मेरी ऐसी हालत देख कर वो मुस्कुरा रही थी. मैने उस से पुछा.

मैं बोला “तुम और इस वक्त यहाँ. क्या तुम घर नही गयी.”

अलीशा बोली “गयी थी लेकिन वापस आ गयी.”

मैं बोला “कैसे, पद्मि नी तो तुम्हे खुद छोड़ने गयी थी. क्या वो ही तुम्हे वापस ले आई है.”

अलीशा बोली “अपुन घर गयी ही कहाँ थी. अपुन यहाँ से घर जाने के लिए ही निकली थी. लेकिन फिर हम लोगो की, गाड़ी मे बैठे बैठे बात चलती रही. जिसके बाद उसने अपुन को यहीं रुक जाने को बोला.”

मैं बोला “लेकिन तुम दोनो मे ऐसी क्या बात हुई है. जिसके बाद पद्मिननी ने तुम्हे खुद यहाँ रुकने को कह दिया.”

अलीशा बोली “हम दोनो मे बहुत देर तक तेरे को और अपुन को लेके बात होती रही. पद्मिननी जानना चाहती थी कि, तेरा अपुन के साथ क्या चक्कर है. तब अपुन ने साफ साफ बता दिया कि, अपुन तो धंधा करने वाली है और तू अपुन का पार्मेनेंट ग्राहक है. अपुन तेरे साथ पिच्छले 5 साल से है और तेरी फॅमिली के बारे मे बहुत कुछ जानती है.”

“तब उसने अपुन से पुछा की, अपुन इस धंधे मे क्यों है. अपुन सच्ची सच्ची बता दी कि, अपुन के साथ अपुन के बाय्फ्रेंड ने धोका किया और अपुन को यहाँ लाकर बेच दिया. अब एक मजबूर लड़की खुद के जिस्म को बेचती नही तो और क्या करती.”

मैं बोला “तब वो क्या बोली.”

अलीशा बोली “वो क्या बोलेगी. वो एक घरेलू और सीधी सच्ची औरत है. उसको अपनी जान से प्यारी अपनी इज़्ज़त होती है. उसने यही कहा कि, तुम्हारी जगह यदि मैं होती तो, अपना जिस्म बेचने से बेहतर मर जाना पसंद करती.”

मैं बोला “तो तुमने उसे क्या जबाब दिया.”

अलीशा बोली “पद्मिउनी की बात सुन कर, मेरे अंदर की सोई हुई लड़की जाग गयी. मेरा दर्द मेरी आँखों से बह निकला. मैने उसे बताया कि, मैं अपना घर बार उस लड़के के प्यार मे छोड़ आई थी. मैने अपनी इज़्ज़त भी, उसके प्यार मे पागल होकर, उसको पहले ही सौप चुकी थी. मैने उस लड़के को सच्चा प्यार किया था. उसके बदले मे मुझे प्यार मे धोका और बाजार मे जिस्म के बाजार मे अपने प्यार के हाथो बिकना पड़ा.”

“प्यार मे धोका खाने और फिर उसी प्यार के हाथो बिक जाने के बाद, मेरे पास भी मर जाने के सिवा कोई रास्ता नही बचा था. मैं एक सीधी सच्ची लड़की थी. मैने भी मर जाने का ही रास्ता चुना.”

“जिन लोगों ने मुझे खरीदा था. उन्हो ने मुझे एक अंधेरे कमरे मे बंद करके रखा था. लेकिन मेरे उपर बराबर नज़र रखी जा रही थी. मुझे जिस्म बेचने के लिए तैयार करने के लिए, तरह तरह की समझाइश और यातनाए दी जा रही थी. मगर मैं अपना जिस्म बेचने को तैयार नही थी.”

“मैं रोज रोज यातनाए सहते सहते तंग आ चुकी थी. मुझे अपने वहाँ से निकल पाने का कोई रास्ता भी नज़र नही आ रहा था. मेरी मौत के सिवा मुझे वहाँ से बच निकलने का कोई रास्ता भी नज़र नही आ रहा था. फिर एक दिन मैने सब की नज़र बचा कर, ख़ुद को ख़तम करने की कोसिस की, मगर यहा भी मेरी किस्मत ने मेरा साथ नही दिया.”

“मुझे एक आदमी ने ऐसा करते देख लिया. उसने मुझे मरने से तो बचा लिया. लेकिन फिर वो मेरे बाल पकड़ कर, मुझे घसीटते हुए, उस सेठ के पास ले गया. जिसने मुझे खरीदा था.”

“उस समय सेठ अपने कुछ लोगो के साथ, धंधे का हिसाब किताब कर रहा था. वहाँ सेठ के अलावा 5 और लोग भी थे. मुझे बाल पकड़ कर घसीटते हुए, जब वो आदमी सेठ के पास पहुचा. तब सेठ ने उस से पूछा.”

सेठ बोला “क्या हुआ कल्लू. इस नयी चिड़िया को इतनी बेरहमी से क्यो घसीट कर ला रहा है.”

तब मुझे पता चला कि, मुझे वहाँ घसीट कर लाने वाले का नाम कल्लू है. उसने सेठ के सवाल के जबाब मे कहा.

कल्लू बोला “सेठ ये नयी चिड़िया, हमारी क़ैद से छूटने के लिए मरने की कोसिस कर रही थी. मैं पहले ही बोल रहा था कि, इस साली के पर कुतर दो. तभी ये सीधे रास्ते मे आएगी.”

कल्लू की बात सुनते ही सेठ, गुस्से से आग बाबूला हो गया. उसने पहले मुझ पर लात जुतो की बौछार कर दी. फिर गुर्राते हुए अपने चम्चो से कहा.

सेठ बोला “कल्लू तेरा बहुत दिल आया है ना इस चिड़िया पर, आज तू ही इसके पर कुतरेगा. आज तू इस चिड़िया के साथ सुहागरात मनाएगा. लेकिन देख इसके जिस्म पर कोई खरॉच ना आए. क्योकि हमे इसकी चमड़ी के ही दाम मिलना है. साली की बड़ी गोरी चमड़ी है.”

सेठ की बात सुनते ही वहाँ खड़े सभी लोग हँसने लगे और मैं थर थर काँपने लगी. मैं उनसे रहम की भीख माँगने लगी और खुद को छोड़ देने की विनती करने लगी. लेकिन मेरी बात पर वो लोग ठहाके लगा रहे थे.

मैने उन पर अपनी विनती का कुछ असर पड़ते ना देख कर फिर वहाँ से भागने की कोसिस की और कल्लू के हाथ पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मेरे दाँत गाढ़ने से कल्लू ने मुझे छोड़ दिया और मैं भागने लगी. लेकिन तभी एक दूसरे आदमी ने मुझे पकड़ लिया. उसने ले जाकर मुझे सेठ के सामने ला कर पटक दिया.”

सेठ गुस्से मे मेरे शरीर पर अपने लात जूते बरसाने लगा. मैं दर्द से तिलमिलाने लगी. लेकिन सेठ को मुझ पर ज़रा भी रहम नही आ रहा था. जब वो मुझे मारते मारते थक गया. तब उसने मुझे बाल पकड़ कर उठाया और कहने लगा.

सेठ बोला “लड़की तूने हमारी क़ैद से भागने की कोसिस करके, बहुत बड़ी ग़लती की है. हम तुझे इसकी ऐसी सज़ा देगे कि, तू जिंदगी भर याद रखेगी. अब तेरे साथ कल्लू अकेला नही, बल्कि ये ललवा और भीकू भी सुहागरात मनाएगे. वो भी एक साथ. ले जा ललवा इसे और जाके तुम लोग, जी भर कर इसके जिस्म का मज़ा लो.”

सेठ की बात सुनते ही जिस आदमी ने मुझे कल्लू के हाथों से छूटने के बाद पकड़ा था. उसने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया. मैं उसकी पकड़ से छूटने की कोसिस करने लगी. लेकिन वो बहुत हॅटा कट्टा और काला भीलॅंग, किसी हब्सि की तरह था. वो मुझे दबोचे एक कमरे की तरफ जाने लगा. उसके पिछे पिछे कल्लू और एक आदमी और आने लगा. वो तीनो मुझे लेकर एक कमरे मे आ गये. ललवा ने मुझे बेड पर लाकर पटक दिया.”
 
85
मैने उठने की कोशिस की लेकिन तब तक उन तीनो ने मुझे घेर लिया. मुझे अपना सब कुछ लूटते नज़र आया तो, मेरी आँखों से आँसू बहने लगे. मैं उन लोगों को भगवान का वास्ता देकर, अपने आपको छोड़े देने की भीख माँगने लगी. लेकिन उन पर, मेरे रोने गिडगिडाने, या किसी बात का कोई असर नही पड़ रहा था. वो मेरी इस हालत पर क़हक़हे लगाते रहे.

मुझे उनकी आँखों मे वासना की चमक सॉफ नज़र आ रही थी. मैं अपने साथ होने वाली घटना का सोच सोच कर कांप रही थी. मैं समझ चुकी थी कि अब मुझे उन तीनो के हाथों से बर्बाद होने से कोई नही बचा सकता. फिर भी मैं मन ही मन भगवान से, उन दरिंदों से बचा लेने की प्राथना कर रही थी.

मैं भगवान से किसी चमत्कार करने की उम्मीद लगाए हुए थी. मैं नही जानती थी कि, कैसे लेकिन मैं चाहती थी कि, भगवान ने जैसे द्रोपदि की लाज बचाई थी. वैसे ही आकर मेरी लाज भी रख ले. मुझे बर्बाद होने से बचा ले.

लेकिन मैं द्रोपदि तो थी नही. जो मेरी लाज बचाने खुद भगवान आते. भगवान ने मेरी फरियाद नही सुनी. बल्कि ऐसा लगा जैसे भगवान ने खुद मेरी फरियाद अपनी जगह उन दरिंदो तक पहुचा दी हो. क्योकि मेरे फरियाद करने के बाद उन मे से कल्लू ने हंसते हुए कहा.

कल्लू बोला “आज तुझे भगवान भी चाहे तो, हमारे हाथों बर्बाद होने से नही बचा सकता. भगवान ने तुझे मरने से नही बचाया तो, अब वो तेरी लाज कैसे बचाएगा. तुझे मरने से मैने बचाया है और अब तेरे उपर मेरा हक़ है. मैं अपने दोस्तों के साथ आज तुझे कली से फूल बनाउन्गा.”

ये कहते हुए कल्लू ने अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाए लेकिन मैने उसके हाथ को झटक दिया. तभी भीकू नाम के आदमी ने मेरे पास आकर, मेरे दोनो हाथ पकड़ लिए और हबसी से दिखने वाले ललवा ने मेरे दोनो पैर पकड़ लिए. अब कल्लू किसी गधे की तरह, अपना सर हिलाते हुए मेरे पास आया और अपने दोनो हाथ, मेरे सीने पर रख कर कर मेरे स्तनो को मसल्ने लगा. तभी ललवा ने कल्लू को झिड़कते हुए कहा.

ललवा बोला “अबे क्या हम तेरी शादी मे आए है. जो तू अपनी जोरू के दूध दबा कर हमारा दिल बहला रहा है. साली के कपड़े उतार और जो करना है, जल्दी से कर डाल.”

ललवा की बात सुनते ही कल्लू ने मेरी कुरती को उतारने की कोशिस की लेकिन कुरती बहुत चुस्त थी. उस से उतर नही रही थी. जब उस से कुरती उतरते नही बनी तब भीकू ने उस से कुरती फाड़ देने को कहा.

भीकू की बात सुनते ही मैं चीखने चिल्लाने लगी और उन लोगों से रहम की भीख माँगने लगी. लेकिन कल्लू पर मेरी बात का कोई असर नही पड़ा. उसने एक झटके मे पहले मेरी कुरती को फाड़ कर अलग किया और फिर मेरी सलवार को फाड़ कर अलग कर दिया.

मैं लाल ब्रा और पैंटी मे उनके सामने छटपटा रही थी. मेरे गोरे जिस्म को लाल ब्रा और पैंटी मे देख कर तीनो के मूह से लार टपकने लगी. ललवा पागलों की तरह मेरे दोनो पैरों को चाटने लगा और भीखू मेरे सर के पास आकर मेरे दोनो हाथो को पकड़े मेरे गालों को चाटने लगा. कल्लू बड़ी बेरहमी से ब्रा के उपर से मेरे स्तनो को मसल रहा था. मेरे लिए ये पीड़ा सहना असहनीय हो रही थी. मैं कसमसाने और चिल्लाने के सिवा कुछ नही कर पा रही थी.

मैं उन से छूटने के लिए छट्पटाती और चीखती चिल्लाति रही. मगर मेरा छटपटाना और चीखना चिल्लाना उनका जोश ऑर भी ज़्यादा बड़ा रहा था. उन तीनो की हरकते और भी ज़्यादा जोशीली होती जा रही थी.

इसी जोश मे कल्लू ने अपने पूरे कपड़े उतार फेके और पूरा नंगा हो गया. उसका लिंग अकड़ के खड़ा हुआ था. उसने मेरी मेरी ब्रा अलग कर दी और मेरे स्तनो पर अपना मूह लगा दिया.

कल्लू मेरे स्तनो को नीबू की तरह निचोड़ कर पी रहा था तो, ललवा मेरे पैरो के पंजो को चूस रहा था. भीकू का भी जोश बढ़ा हुआ था और वो ज़बरदस्ती मेरे होंठो को चूसे जा रहा था.

बहुत देर तक तीनो से मेरे जिस्म को चूमते चाटते रहे और मैं उनसे संघर्ष करती रही. लेकिन कुछ समय बाद मैं निढाल हो गयी.

मुझे शांत पड़ता देख कल्लू ने अपने हाथ मेरी पैंटी पर रखा और एक झटके मे मेरी पैंटी को उतार फेका और अपनी एक बड़ी बेरहमी से मेरी योनि मे डाल दी. मैं दर्द से चिल्ला उठी.

लेकिन मेरे चीखने से उनका जोश और भी बढ़ रहा था. कल्लू बड़ी तेज़ी से मेरी योनि उंगली अंदर बाहर करता रहा और कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ गया. मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया.

मगर उनके जोश मे कोई कमी नही आई. भीकू मेरे स्तन को चूसने लगा था और अब कल्लू ने मेरी योनि पर अपने होठ लगा दिए. वो मेरी योनि को चूसने लगा और थोड़ी ही देर मे मैं फिर से गरम हो गयी.

अब कल्लू ने देर करना ठीक नही समझा. वो मेरी दोनो टाँगों के बीच आ गया और मेरी दोनो टाँगों को फैला दिया. मैं आगे की सोच कर छटपटाने लगी. लेकिन उसने मेरी योनि की दोनो फांकों को अलग किया और अपना लिंग मे योनि से लगा कर एक जोरदार धक्का दिया.

कल्लू का लिंग मेरी योनि की दीवारों से रगड़ता हुआ अंदर चला गया. मैं चीख पाती उस से पहले ही भीकू ने मेरे होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए. मैं दर्द से तिल्ल्मिला कर रह गयी और मेरी आँखों से आँसू आ गये.

लेकिन तभी कल्लू ने दूसरा धक्का मारा और उसका लिंग पूरा मेरी योनि मे समा गया. मेरा दर्द असहनीय हो गया था. ऐसे मे कल्लू ने जोरदार धक्के लगाना सुरू कर दिया. जिस से मेरा दर्द और भी बढ़ गया.

मैं जितना ज़्यादा छटपटा रही थी. कल्लू के झटके उतने तेज होते जा रहे थे. थोड़ी देर बाद उसने हान्फते हुए मेरी योनि मे ही पानी छोड़ दिया और निढाल होकर मेरे उपर गिर गया.

उसके शांत पड़ जाने से मुझे कुछ राहत महसूस हुई. लेकिन तभी उसे अलग करके ललवा मेरे उपर आ गया. उसने कब अपने कपड़े उतार दिए मुझे पता ही नही चला था. लेकिन उसका काला कलूटा और लंबा मोटा लिंग देख कर तो मेरी जान ही सूख गयी.

उसने बिना देर किए अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया. मैं एक बार फिर दर्द से तिलमिला उठी. लेकिन उस हबसी ने बिना मेरी परवाह किए धक्के मारना शुरू कर दिया. मेरी चीखे कमरे मे गूंजने लगी.

तभी भीकू ने अपना लिंग निकाल कर मेरे मूह मे डाल दिया. मैं गन गुन करने के सिवा कुछ ना कर सकी और थोड़ी देर बाद भीकू का लिंग मेरे हलक तक उतार गया. मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.

मगर ना तो भीकू रुका और ना ही ललवा रुका. भीकू मेरे मूह मे लिंग को अंदर बाहर कर रहा था और ललवा मेरी योनि मे लिंग के जोरदार धक्के लगा रहा था. मैं दर्द से कराह भी नही पा रही थी.

मेरा विरोध अब पूरी तरह से ख़तम हो गया था और अब मेरे साथ जो हो रहा था. मैं उसे होने दे रही थी. दोनो के धक्के तेज़ी से लग रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद भीकू ने मेरे मूह मे ही पानी छोड़ दिया और अपने लिंग को निकाल कर मेरे चेहरे पर रगड़ने लगा.

उधर ललवा बड़ी बेदर्दी से मेरी योनि मे धक्के लगाए जा रहा था. उसके धक्को की रफ़्तार अब और ज़्यादा बढ़ गयी थी. कुछ देर बाद उसने भी काँपते हुए मेरी योनि मे पानी छोड़ दिया और मेरे उपर ही लेट गया.

लेकिन तब तक भीकू तैयार हो चुका था. उसने ललवा को मेरे उपर से हटाया और मेरी योनि मे अपना लिंग डाल दिया और धक्के लगाने लगा और जब तक भीकू शांत पड़ा तब तक कल्लू तैयार हो चुका था.

ये सिलसिला पूरी रात चलता. तीनो एक के बाद एक मेरे जिस्म से खिलोने की तरह खेलते रहे लेकिन मैने इस खेल मे उनका साथ पल भर के लिए भी नही दिया.

सुबह होते ही तीनो ने मुझे वही बॅड से बाँध दिया और चले गये. फिर दो लड़कियाँ आई और उन्हो ने मुझे खोला. लेकिन उनको ये हिदायत दी गयी थी कि, मुझे पल भर के लिए भी अकेला ना छोड़ा जाए.

उन लड़कियों ने मुझे समझाया कि मेरे लिए उन लोगों की बात मान लेने मे ही भलाई है. लेकिन मैं किसी भी हालत मे अपने जिस्म को बेचने तैयार नही थी.

जिसका नतीजा ये निकला कि दूसरे दिन भी मेरे साथ वही सब हुआ जो पहले दिन हुआ था. मगर मैं इस पर भी उनकी बात मानने को तैयार नही थी. फिर तो ये रोज का ही काम बन गया था. रोज रत को वो लोग मेरे शरीर को रौन्द्ते और फिर सुबह दो लड़कियों की निगरानी मे छोड़ कर चले जाते.

जब सेठ ने देखा कि इतना सब कुछ होने के बाद भी, मैं उनकी बात मानने को तैयार नही हूँ. तब सेठ ने मेरे पास आकर कहा की, मैं खुशी खुशी धंधा करने के लिए हाँ कह दूं तो, सेठ मुझे अपनी मर्ज़ी से ग्राहक चुनने और अपना रेट तय करने की आज़ादी दे देगा. जिसके साथ मैं नही जाना चाहूँगी. उसके साथ मुझे जाने के लिए मजबूर नही किया जाएगा.


सेठ के जाने के बाद एक लड़की ने मुझे समझाया कि यदि तुम्हे उनकी क़ैद से बाहर निकलना है. तब तुम्हे उनकी बात मान लेनी चाहिए. क्योकि ऐसे तो तुम कभी बाहर नही निकल पाओगी. जबकि यदि तुम उनकी बात मान लेती हो तो, कभी ना कभी तुम्हे उनकी क़ैद से छूटने का मौका मिल ही जाएगा.

मुझे उस लड़की की बात सही लगी और मैने उसे उस काम के लिए हाँ कह दिया. उसने ये बात सेठ को जाकर कही तो, सेठ ने मेरे साथ ज़बरदस्ती करवाना बंद कर दिया. लेकिन मेरी निगरानी चालू रखी.

फिर कुछ दिन बाद जब उन्हे लगने लगा कि, मैं कुछ नही करूगी. तब उन्हो ने मुझे धंधे पर बैठाने का सोचा और इत्तफाक से मेरे पहले ग्राहक तुम ही निकले. मैने तुमसे अपना रेट बहुत हाइ बताया था.

लेकिन तुमने मुझे उस रेट पर भी मुझे ले लिया. फिर मैं जब तुम्हारे साथ आई. तब तुमने मेरे साथ सेक्स करने की जगह प्यार भरी बातें की और मुझसे मेरे इस धंधे मे आने के बारे मे जानना चाहा. ये सब बातें मुझे तुम्हारी अच्छि लगी.

फिर इसके बाद मेरे पास जो भी ग्राहक आए. उनको सिर्फ़ मेरे शरीर से मतलब था. किसी ने मेरे बारे मे जानने की कभी कोशिस नही की थी. लेकिन मैं जब भी तुम्हारे पास आती थी. तुम मुझसे एक बार इस बारे मे जानने की कोशिश ज़रूर करते थे.

मैने तुम्हे अपने बाय्फ्रेंड के द्वारा मुझे बेचे जाने की कहानी बताई तो, तुमने मुझे इस से बाहर निकालने की बात भी कही थी. लेकिन तब तक मुझे सेठ की ताक़त का पता चल चुका था और मुझे तुमसे प्यार सा हो गया था.

जिसकी वजह से मैने तुम्हे इस सब मे फसाना ठीक नही समझा. मैं नही चाहती थी कि, मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी मे कोई परेशानी आए. लेकिन आज तुम्हारे मूह से अपने लिए बाजारू औरत सुना तो, मुझे बहुत बुरा लगा और मैं तुम्हे वो सब बातें बोल गयी.

उन बातों को पद्‍मिनी ने भी सुन लिया था. इसलिए उसने मुझसे बात करने की सोची थी. फिर उसने इन सब बातों को मेरे मूह से कुबूलवा लिया. आख़िर वो एक औरत है और एक औरत के मन को अच्छी तरह से समझ सकती है.

इतना कह कर अलीशा चुप हो गयी. लेकिन पद्‍मिनी का ये सब करना मेरे लिए अभी भी राज बना हुआ था. मैने अलीशा से पुछा.

मैं बोला “लेकिन मेरे समझ मे ये बात नही आ रही है कि, पद्‍मिनी ने तुम्हे घर क्यो नही जाने दिया.”

अलीशा बोली “ये बात तो अभी उसने मुझे अभी भी नही बताई है. उसने बस इतना कहा है कि, अभी तुम जिस काम के लिए आई हो. वो काम करो. बाकी बातें हम सुबह करेगे.”

मैं बोला “तुमको क्या लगता है. पद्‍मिनी ने तुम्हे यहाँ क्यो रोका है.”

अलीशा बोली “शायद उसके पास मुझे इस सब से निकालने का कोई रास्ता है. उसने तुम्हारे सामने ही तो कहा था कि, वो मुझे इस सब से बाहर निकालने का रास्ता जानती है.”

मैं बोला “ये तो अब कल ही पता चलेगा कि, पद्‍मिनी के मन मे क्या है. अभी तो तुम ये बताओ कि, तुम्हे यहाँ रुकना है या फिर घर जाना है.”

अलीशा बोली “पद्‍मिनी ने यही रुकने को कहा है. इसलिए मैं यही रूकूगी.”

मैं बोला “ठीक है. चलो मैं तुम्हे तुम्हारा कमरा दिखा देता हूँ.”

अलीशा बोली “कमरा क्यो. अब तो पद्‍मिनी ने भी बोल दिया है कि, मैं जिस काम से आई हूँ अभी वो काम करूँ.”

मैं बोला “उसके बोल देने बस से क्या होता है. क्या मेरे अंदर ज़रा भी शरम लिहाज नही है. वो मेरी बहू है. मैं उसके सामने ये सब नही कर सकता. तुम्हे इस कमरे मे रहना है तो, तुम यही रहो. मैं दूसरे कमरे मे चला जाता हूँ.”

अलीशा बोली “नही, तुम मुझे मेरा कमरा बता दो. मैं ही चली जाती हूँ.”

मैं बोला “क्या तुमको मेरा ऐसा करना बुरा लग रहा है.”

अलीशा बोली “नही, मुझे ज़रा भी बुरा नही लग रहा है. मैं ही ग़लत बात बोल गयी थी.”

मैं बोला “अब इन बातों को छोड़ो और चलो मैं तुम्हे तुम्हारा कमरा बता देता हूँ.”

ये बोल कर मैं अलीशा को दूसरे कमरे मे ले गया. वहाँ उसको छोड़ने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. अपने कमरे मे आकर में लेटे लेटे पद्‍मिनी के इस सब को करने का कारण सोचता रहा.

लेकिन मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर वो क्या करना चाहती है. यही सब बातें सोचते सोचते पता नही कब मुझे नींद आ गयी.

फिर मेरी नींद सुबह पद्‍मिनी के जगाने पर खुली. वो मेरे लिए चाय लेकर आई थी. लेकिन रात को जो सब कुछ हुआ था. उस वजह से अब मैं उस से नज़र नही मिला पा रहा था.

मगर उसने इन सब बातों की परवाह किए बिना हंसते हुए मुझसे कहा.

पद्‍मिनी बोली “पिताजी, मुझे आप से ज़रूरी बातें करना है. आप जल्दी से तैयार होकर बाहर आ जाइए.”

मैं बोला “क्या बात करना है. जो भी बोलना है अभी बोल दो. उसके लिए मेरे तैयार होने की क्या ज़रूरत है.”

पद्‍मिनी बोली “नही आप चाय पीकर तैयार हो जाइए फिर हम आराम से बैठ कर बातें करेगे.”

इतना बोल कर वो चली गयी और मैं चाय पीने लगा. चाय पीने के बाद मैं फ्रेश हुआ और फिर तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ गया.
 
86
मैं बाहर आया तो पद्मिaनी और अलीशा बैठी चाय पी रही थी. मैं जाकर उनके पास बैठ गया और अलीशा से कहा.

मैं बोला “तुम अभी तक गयी नही.”

अलीशा की जगह जबाब पद्मि नी ने देते हुए कहा.

पद्मि नी बोली “इनको जाने से मैने ही रोका है पिताजी.”

मैं बोला “लेकिन क्यो.”

पद्मिोनी बोली “मुझे आपसे और इनसे कुछ ज़रूरी बातें करना है.”

मैं बोला “देखो बेटी, कल मैं नशे मे था. जिसकी वजह से तुमने जो कुछ भी अलीशा के बारे मे कहा. वो मैं चुप चाप सुनता रहा. क्योकि अलीशा को यहाँ बुलाने मे मेरी ग़लती थी. लेकिन आज मैं नशे मे नही हूँ. इसलिए मैं तुम से एक बात साफ कह देना चाहता हूँ. अलीशा को तुम जैसा सोच रही हो. ये वैसी लड़की नही है.”

पद्मिीनी बोली “आपको क्या लगता है पिताजी. मैं इनको कैसी लड़की समझ रही हूँ.”

मैं बोला “तुम्हे लगता है कि अलीशा एक बाजारू लड़की है और तुम इसे पैसो का लालच देकर कुछ भी करवा सकती हो. लेकिन ऐसा नही है. ये एक बाजारू लड़की ज़रूर है मगर इसे पैसो की कोई कमी नही है और ना ही ये पैसो की वजह से ये सब काम करती है. किस्मत ने इसके साथ बहुत बड़ा मज़ाक किया है. जिसकी वजह ये सब काम करना इसकी मजबूरी बन गयी.”

पद्मिमनी बोली “आप जैसा सोच रहे है. मैं ऐसा कुछ भी नही सोच रही पिताजी. मैं तो सच मे इनकी मदद करना चाहती हूँ.”

मैं बोला “फिर भी बेटी कुछ भी करने से पहले तुम्हे अलीशा की मजबूरी को अच्छे से समझ लेना चाहिए. यदि उसका वहाँ से निकल पाना इतना ही आसान होता तो, वो खुद वहाँ से कब की निकल चुकी होती. मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ ये था कि, तुम कोई भी वादा करने से पहले सारी बातें अच्छि तरह से समझ लो. फिर आगे कोई कदम बढ़ाओ.”

पद्मि नी बोली “आपका कहना ठीक है पिताजी. मैने भी आप दोनो को इसीलिए यहाँ बुलाया है. मैं जानती हूँ कि, इनका वहाँ से निकल पाना इतना आसान नही है. लेकिन हर समस्या का कोई ना कोई हल ज़रूर होता है. हम सब को मिलकर बस उसी हल को ढूँढना है.”

मैं बोला “इसका मतलब तो ये हुआ कि, तुम्हारे पास इस समस्या का कोई हल नही है.”

पद्मिोनी बोली “मेरे पास इस समस्या का हल है. लेकिन पहले मैं आप दोनो के मूह से इस समस्या का हल जान लेना चाहती हूँ.”

मैं बोला “मेरी नज़र मे तो इसका एक ही हल है कि, ये इस शहर को ही छोड़ कर कहीं चली जाए. लेकिन ऐसा कर पाना इसके अकेले के बस की बात नही है. क्योकि इसके गायब होते ही इसे ढूँढने वाले लग जाएगे और हमेशा इसके पकड़े जाने का ख़तरा बना रहेगा.”

अलीशा बोली “ये बात सही है. मैं कहीं भी चली जाउ. वो लोग मेरे पिछे लगे रहेगे. क्योकि इस धंधे मे लड़की के अंदर आने का रास्ता तो है. लेकिन बाहर निकलने का रास्ता नही है.”

पद्मिमनी बोली “मैं जानती हूँ कि, उन से भाग पाना मुस्किल काम होगा. लेकिन उनके इस धंधे को तो ख़तम किया जा सकता है.”

अलीशा बोली “ये इतना आसान काम नही है. उन लोगों की पहुच बहुत उपर तक है. पोलीस भी उन पर हाथ डालने से पिछे हटती है. ऐसे मे उनके धंधे को ख़तम करने के बारे मे सोचना भी बेकार है.”

पद्मि नी बोली “आपकी बात सही है कि, पोलीस उनका कुछ नही बिगड़ सकती. लेकिन हम ये काम सीआइडी से करवायगे. मेरी एक सहेली सीआइडी मे है. कल मेरी उस से बात हुई. उसने कहा कि, मैं पहले आपको तैयार कर लूँ. यदि आप तैयार है तो, वो अपने आला अफ़सरों से इस कार्यवाही की अनुमति ले लेगी और इसमे आपका नाम भी गुप्त रखा जाएगा.”

पद्मिवनी की बात सुन कर अलीशा ने मेरी तरफ देखा. मैने उसका उत्साह बढ़ाते हुए कहा.

मैं बोला “तुम जिस आज़ादी को पाने का इतने दिन से रास्ता देख रही थी. मुझे लगता है उसका समय आ गया है. तुम किसी बात की चिंता मत करो. हम तुम्हारे साथ है. पद्मिफनी जैसा कह रही है. तुम वैसा करती जाओ.”

अलीशा बोली “ठीक है, मैं तैयार हूँ. मुझे क्या करना होगा.”

पद्मि नी बोली “आपको उनके सभी ठिकानो का पता बताना होगा और बाकी की बात मेरी सहेली आपको समझा देगी. मैं आज ही उस से बात कर लेती हूँ. अब आप दो दिन बाद यहाँ आईएगा. तब तक मैं उस से मिल कर सारी बात कर लूँगी और वो भी यहाँ आ जाएगी.”

अलीशा पद्मिसनी की सब बात मानने को तैयार हो गयी. पद्मिँनी ने अपनी सहेली से बात की और फिर उसकी सहेली ने अपने आला अफसरों से कार्यवाही करने की अनुमति भी हासिल कर ली. अलीशा की मदद से उन लोगों के सभी ठिकानो पर छापा मारा गया और सभी लोग गिरफ्तार कर लिए गये.

अलीशा को भी बाकी लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया. लेकिन ये सिर्फ़ दिखावे के लिए था. ताकि किसी को उस पर शक़ ना हो. कुछ दिन बाद बाकी लड़कियों के साथ अलीशा को भी छोड़ दिया गया. अलीशा अब क़ानून की गिरफ़्त के साथ साथ अपनी जिंदगी मे भी आज़ाद हो चुकी थी.

वो रिहाई के बाद पद्मिलनी से मिलने आई. पद्मिीनी ने उस से अपनी आगे की जिंदगी के बारे मे पुछा तो, उसके पास कोई जबाब नही था. उसकी दुनिया तो बहुत पहले ही उजड़ चुकी थी. वो भला पद्मिकनी की इस बात का क्या जबाब दे पाती.

लेकिन उसकी इस समस्या का हल भी पद्मि्नी ने पहले से ही सोच रखा था. उसने अलीशा के सामने मुझसे शादी करने का प्रस्ताव रख दिया. जिसे सुन कर मैं और अलीशा दोनो ही चौक पड़े.

अलीशा इसके जबाब मे कुछ नही बोली लेकिन मैने शादी करने से साफ मना कर दिया. लेकिन पद्मि नी ने अलीशा को जाने नही दिया. उसने अलीशा को घर मे ही रोक लिया और फिर इस रिश्ते के लिए आकाश को भी तैयार कर लिया.

अब पद्मिेनी के साथ साथ आकाश भी मेरे उपर शादी करने का दबाब डालने लगा. अंत मे मुझे दोनो की ज़िद के आगे झुकना पड़ा और शादी के लिए हाँ कहना पड़ा. सादे रीति रिवाज से मेरी और अलीशा की शादी कर दी गयी.

अलीशा के रूप मे मुझे नयी जीवन साथी मिल गयी थी. मैं अलीशा को पाकर बहुत खुश था और मेरी वीरान जिंदगी मे एक बार फिर से बहार लौट आई थी. मेरे जीवन का सूनापन ख़तम हो चुका था.

ये सब पद्मिजनी का किया हुआ था. लेकिन उसकी खुद की जिंदगी किसी सुनेपन से कम नही थी. फिर भी वो सब कुछ हँस कर सहती जा रही थी. अलीशा को धीरे धीरे उसके और आकाश के रिश्ते की सारी हक़ीकत पता चल गयी थी. लेकिन इसमे वो भी कुछ नही कर सकती थी.

किस्मत ने पद्मिहनी जैसी सुशील लड़की को ऐसा जख्म दिया था. जिसकी दवा हम मे से किसी के पास भी नही थी. फिर भी पद्मिलनी अपने दर्द को छुपाये सारे समय हँसती रहती थी.

लेकिन एक दिन फिर से आकाश और पद्मि‍नी के कमरे से मुझे उनके झगड़ने की आवाज़ आई. आकाश के जाने के बाद अलीशा ने पद्मि नी से इसके बारे मे पुछा तो पद्मिझनी ने बताया कि आकाश को लगने लगा है कि वो कभी ठीक नही हो सकता. मैं यही बात उनको समझा रही थी कि उनको ठीक होने मे कुछ समय लगेगा.

लेकिन वो इस बात को मानने को तैयार ही नही है. उनका कहना है कि वो कभी बाप नही बन सकते. इसी बात को लेकर वो मुझसे अभी लड़ झगड़ रहे थे. ऐसा लगता है कि उन्हे फिर से ये बात परेशान करने लगी है.

अलीशा ने जब ये बात मुझे बताई. तब मैं भी सोच मे पड़ गया. मेरे पास भी आकाश और पद्मि नी की इस समस्या का अब कोई हल नही था. समय तेज़ी से बीत रहा था. ऐसे मे आकाश का पिता ना बन पाना उसे परेशान कर रहा था.

हम सभी इस बात को लेकर परेशान थे. सब जानते थे कि इस परेशानी का कोई हल नही है. फिर भी सब इस परेशानी का हल ढूँढने मे लगे थे. ऐसे मे अलीशा ने मेरे सामने एक रास्ता रखा. जिसे सुन कर मुझे अलीशा पर गुस्सा आ गया.

 
87
मैने गुस्से मे अलीशा से कहा.

मैं बोला “तुम्हारी अकल तो ठिकाने पर है. मेरे जवान बेटा और बहू एक औलाद के लिए तरस रहे है और तुम मुझ बूढ़े से इस बुढ़ापे मे बाप बनने के लिए बोल रही हो. ये बोलते हुए तुम्हे ज़रा भी शरम नही आई.”

अलीशा बोली “आप मेरी बात को समझे नही. मैने ये कहा कि, क्या हुआ जो आकाश बाप नही बन सकता. आप तो बाप बन सकते है. आप उनको एक संतान दे दीजिए. उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”

मैं बोला “इसमे समझने वाली बात क्या है. तुम वही तो बोल रही हो. जो मैं समझ रहा हूँ और मेरे बाप बनने से उनकी समस्या तो ज्यों की त्यों बनी रहेगी.”

अलीशा बोली “नही आप वो नही समझ रहे है. जो मैं कह रही हूँ. मेरे कहने का मतलब था कि, आप पद्‍मिनी की कोख मे अपना बीज बो दीजिए. पद्‍मिनी के माँ बनते ही उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”

मैं बोला “तुम सच मे पागल हो गयी हो. अच्छा हुआ तुम्हारी ये बात पद्‍मिनी ने नही सुनी. यदि वो सुन लेती तो पता नही वो हमारे बारे मे क्या सोचती.”

मैं अभी अपनी बात कह ही रहा था कि, तभी मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी. वहाँ पद्‍मिनी खड़ी हमारी बातें सुन रही थी. मुझसे नज़र मिलते ही वो मुड़कर वापस चली गयी. ये देख कर मैने अलीशा से कहा.

मैं बोला “ये लो हमारी बात पद्‍मिनी ने सुन ली. अब पता नही वो हमारे बारे मे क्या सोच रही होगी. तुमने ये ज़रा भी अच्छा नही किया.”

अलीशा बोली “आप पद्‍मिनी की चिंता मत कीजिए. मैं उसको समझा दूँगी कि, इस सब मे आपका कोई दोष नही है. मैने ही ये बात शुरू की थी. मैं बस आपके मन की बात जानना चाहती हूँ.”

मैं बोला “मैं तुम्हारी तरह पागल नही हूँ. जो इस सब के लिए तैयार हो जाउ.”

अलीशा बोली “आपको क्या लगता है कि, मैं कोठे से आई हूँ इसलिए ये बेसिर पैर की बातें कर रही हूँ.”

मैं बोला “मैने तो ऐसा नही कहा. तुम खुद ही कुछ का कुछ बाकी जा रही हो.”

अलीशा बोली “मैं बक नही रही हूँ. जो आज की ज़रूरत है वो बात कर रही हूँ. माना कि मैं आकाश की माँ नही हूँ. लेकिन आपसे शादी करके मेरा उस से जो रिश्ता बना है. उसी रिश्ते की वजह से मुझे उसकी फिकर है. यदि मैं उसकी सग़ी माँ भी होती तब भी मैं आपसे यही कदम उठाने को कहती.”

मैं बोला “सिर्फ़ तुम्हारे सोच लेने बस से क्या होता है. सवाल सिर्फ़ आकाश का नही है. तुम्हारी इस बात मे पद्‍मिनी की जिंदगी पर भी असर पड़ रहा है. वो भला इस समय क्या सोच रही होगी.”

अलीशा बोली “आपको पद्‍मिनी की फिकर है ना. मैं आपकी ये फिकर भी दूर कर देती हूँ. मैं अब पद्‍मिनी से बात करने के बाद ही आप से इस बारे मे कोई बात करूगी.”

ये बोल कर अलीशा कमरे से बाहर निकल गयी. कुछ देर बाद वो वापस लौटी तो, मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या हुआ. क्या पद्‍मिनी का गुस्सा शांत हो गया.”

अलीशा बोली “हाँ मैने उसे समझा दिया. बहुत ना नुकुर करने के बाद उसे मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया. अब यदि तुम्हे ठीक लगे तो, जो मैने कहा है वो हो सकता है.”

मैं बोला “तुम्हारे कहने का मतलब क्या है.”

अलीशा बोली “मैने पद्‍मिनी को उस बात के लिए भी तैयार कर लिया है. वो उस बात के लिए भी तैयार हो गयी है. लेकिन उसने सब कुछ आपकी मर्ज़ी पर छोड़ दिया है.”

मैं बोला “ऐसा कैसे हो सकता है. पद्‍मिनी इस सब के लिए तैयार कैसे हो गयी.”

अलीशा बोली “सवाल उसके पति की जिंदगी का था. उसे तो तैयार होना ही था. अब आपके उपर है कि, आप अपने बेटे की जिंदगी के लिए ये सब करने को तैयार है या नही.”

मैं बोला “मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ. वो मेरी बहू है और बेटी के बराबर है.”

अलीशा बोली “लेकिन आप ये क्यो भूल रहे है कि, आकाश आपका बेटा है और अपनी नमार्दानगी को लेकर वो अपने आपको ख़तम भी कर सकता है. यदि उसने ऐसा कर लिया तब आप क्या करेगे.”

मैं बोला “मेरे तो कुछ समझ मे नही आ रहा है कि, मैं क्या करूँ. बस इतना समझ मे आ रहा है कि, जो तुम करने को बोल रही हो वो सही नही है.”

अलीशा बोली “आप इस सही ग़लत के चक्कर मे ना पड़े. बस इतना सोचे कि आप जो करने जा रहे है. वो सिर्फ़ अपने बेटे की भलाई के लिए कर रहे है.”

मैं बोला “लेकिन ये सब होगा कैसे और यदि ये सब आकाश को पता चल गया तो, उस पर क्या बीतेगी.”

अलीशा बोली “ये सब कैसे होगा. ये आप मुझ पर छोड़ दीजिए. रही बात आकाश को पता चलने की तो, जब तक हम मे से कोई उसे बताएगा नही. तब तक ये बात उसे पता नही चलेगी और हम मे कोई ये बात किसी को नही बताएगा.”

मैं बोला “ठीक है, जो तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. मैं अपने बेटे बहू की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ. मुझे कब क्या करना है तुम बता देना.”

अलीशा बोली “मैने सब सोच लिया है. मैं आकाश को लेकर प्रकाश से मिलने के लिए चली जाउन्गी. वहाँ से हमे लौटने मे 3-4 दिन लगेगे. उस बीच आप लोगों को ये काम करना होगा.”

मैं बोला “लेकिन मैं पद्‍मिनी के सामने जाने की हिम्मत नही कर पाउन्गा. मुझे समझ मे नही आ रहा कि मैं ये सब कैसे कर पाउन्गा.”

अलीशा बोली “आप दोनो के पास 3-4 दिन का समय रहेगा. आप चिंता मत कीजिए. जाने के पहले मैं पद्‍मिनी को भी सब कुछ फिर से समझा दुगी.”

इसके बाद अलीशा मे आकाश के आने पर उस से प्रकाश से मिलने की इच्छा जताई और आकाश से साथ चलने को कहा. आकाश ने पहले काम का बहाना बना कर उसको मेरे साथ जाने को कहा तो, अलीशा ने कहा कि, वो आकाश को इसलिए ले जाना चाहती है क्योकि उसे प्रकाश के लिए लड़की देखनी है.

आख़िर मे आकाश को अलीशा की बात मानना पड़ी और वो उसके साथ जाने को तैयार हो गया. फिर 2 दिन बाद अलीशा और आकाश, प्रकाश से मिलने के लिए निकल गये. जाने से पहले अलीशा पद्‍मिनी को बहुत सी बातें समझा कर गयी थी.

उसने जाते समय मुझे भी बहुत सी बातें समझाई थी. लेकिन उसके जाते ही मेरी हिम्मत जबाब दे गयी. मुझसे किसी भी बात मे कोई पहल करते नही बनी और सारा दिन ऐसे ही बीत गया.

रात को भी हमने डिन्नर किया तब भी मुझसे पद्‍मिनी से ना कुछ कहते बना और ना कुछ करते बना. डिन्नर करने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. मैं समझ चुका था कि मुझसे कुछ नही हो सकेगा.

मैं अपने कमरे मे ये ही सब सोच रहा था. तभी पद्‍मिनी दूध का गिलास ले कर आ गयी. मैं समझ नही पा रहा था कि मैं उस से क्या कहूँ और क्या ना कहूँ. मेरी हालत तो ऐसी थी कि, मैं उस से नज़र तक नही मिला पा रहा था.
 
88
पद्मि नी ने मुझे दूध का गिलास दिया और कहने लगी.

पद्मि नी बोली “पिताजी, माँ जाते समय, मुझे आपके पास ही सोने को बोल कर गयी थी. क्या मैं आपके पास सो सकती हूँ.”

मैं बोला “हाँ सो सकती हो.”

पद्मिोनी बोली “ठीक है मैं अभी कपड़े बदल कर आती हूँ.”

ये बोल कर पद्मिीनी कपड़े बदलने चली गयी. पद्मितनी का इस तरह मेरे साथ सोना ये तो साबित कर रहा था कि, वो सब कुछ करने को तैयार है. इसके बाद भी मैं कोई पहल करने की हालत मे नही था.

मैने अलीशा के पहले कयि कम उमर की लड़कियों के साथ संबंध बनाए थे. लेकिन पद्मि नी की उमर उन सब से बहुत कम थी. वो महज 20 साल की थी और मैं 45 साल का था.

इस सब के अलावा वो मेरी बहू भी थी. ऐसे मे मैं उसके साथ अपने आपको किसी भी तरह से सहज महसूस नही कर पा रहा था. मैं कुछ भी समझ नही पा रहा था. मैं इन्ही सोच मे गुम था. तभी पद्मि नी कपड़े बदल कर वापस आ गयी.

अब वो एक ब्लॅक शॉर्ट नाइटी पहने हुई थी. जिसमे से उसका गोरा गोरा बदन झलक रहा था. जिसमे वो बेहद सुंदर लग रही थी. उसने दूध का गिलास वैसे ही रखा देखा तो मुझसे कहा.

पद्मि नी बोली “ये क्या पिताजी, आपने अभी तक दूध नही पिया.”

ये कह कर उसने दूध का गिलास फिर से मुझे पकड़ा दिया और मेरे बाजू मे आकर लेट गयी. मैं चुप चाप दूध पीने लगा. दूध पीने के बाद मैने पद्मि नी की तरफ देखा तो वो आँख बंद करके लेटी हुई थी.

थोड़ी देर बाद मैं भी लेट गया और सोने की कोसिस करने लगा. लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी, और कुछ ही देर बाद मुझे अजीब सी बेचेनी होने लगी. इसी बेचेनी मे मैं करवटें बदलने लगा.

मेरी नज़र पद्मिैनी के चेहरे पर पड़ी तो, उसके चेहरे पर ऐसी मुस्कान थी. जैसे वो नींद मे कोई प्यारा सा सपना देख रही हो. मैं उसके चेहरे को देखता रहा और फिर मेरी नज़र उसके सीने पर पड़ी.

नाइटी मे से उसके सीने के गोल गोल उभार बाहर को निकलते से नज़र आ रहे थे. मैं ना चाहते हुए भी उन्हे टकटकी लगा कर देखने लगा और मेरे लिंग मे तनाव आने लगा.

मेरी नज़र उसके सीने से होते हुए उसकी जांघों पर गयी. शॉर्ट नाइटी मे से बाहर निकली, उसकी जाँघो ने मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ा दिया. अब मेरा खुद पर से काबू खो चुका था और मैं पायजामे के उपर से ही अपने लिंग को मसलने लगा.

अभी मैं पद्मिरनी की जाँघो को देख कर अपने लिंग को मसल ही रहा था. तभी पद्मि नी ने करवट बदली और उसका चेहरा मेरी तरफ हो गया. मैने भी उसकी तरफ करवट ले ली.

अब उसके सीने की दोनो गोलाइयाँ मेरी आँखों के सामने थी. मेरी बेचेनी हद से ज़्यादा बढ़ चुकी थी, और मैने इस बेचेनी की हालत मे अपने एक हाथ को धीरे से उसके सीने पर रख दिया.

फिर पद्मि नी की तरफ देखा तो, वो अभी भी आँख बंद किए ही लेटी हुई थी. मुझे लगा कि वो गहरी नींद मे है. मैं धीरे धीरे एक हाथ से उसके सीने की गोलाईयों को और दूसरे हाथ से अपने लिंग को मसल्ने लगा.

लेकिन ऐसा करने से मेरी बेचेनी और भी ज़्यादा बढ़ गयी. मैने उसकी नाइटी को उसके पेट के उपर सरका दिया और उसकी जांघों पर हाथ फेरने लगा. अब मैं एक हाथ से पद्मिननी के सीने की गोलाईयों को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी जांघों पर फेर रहा था.

मेरी उत्तेजना इतनी ज़्यादा बढ़ गयी थी कि, अब मैं अपने दोनो हाथों से, ज़ोर ज़ोर से पद्मि नी के सीने की गोलाइयाँ को मसलने लगा. मेरे ऐसा करने से पद्मि नी ने कसमसाते हुए अपनी आँखे खोल दी.

उसको जागता देख मैं अपने हाथों को उसके सीने से अलग करने लगा. लेकिन तभी पद्मि नी ने अपने दोनो हाथ मेरे हाथों पर रख दिए और उन्हे अपने सीने पर दबाने लगी.

पद्मिदनी की ये सहमति मिलते ही मैं फिर से उसके सीने की गोलाईयों को दबाने लगा और वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी. उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गरम हो गया.

मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने पास खिचा और उसकी कमर पर अपना एक पैर रख कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. अब मेरे लिंग की चुभन पद्मि नी को अपनी जाँघो पर महसूस होने लगी थी.

वो भी पूरी तरह से गरम हो गयी थी और किस करने मे मेरा पूरा साथ देने लगी थी. मैने किस करते करते उसकी नाइटी को कमर के उपर सरका दिया और अपना एक हाथ नाइटी के अंदर डाल कर उसके निप्पल्स से खेलने लगा.

मेरे ऐसा करने से वो और भी ज़्यादा कसमसाने लगी और मेरे बलों पर हाथ फेरने लगी. उसकी उतेजना देखकर मेरी उतेज्जना भी चरम पर पहुच गयी थी. मैने उसे उठा कर बेड पर बैठा दिया.

फिर एक झटके मे नाइटी उतार कर अलग कर दी. अब वो सिर्फ़ पैंटी मे थी. उसने नाइटी के उतरते ही अपनी आँखे बंद कर ली और दोनो हाथों से अपने चेहरे को छुपा लिया.

वो बिल्कुल किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह, शरम से अपना चेहरा छुपाये, मेरे सामने बैठी थी. मैं उसके अंग अंग को टकटकी लगाए देख रहा था. उसे उस रूप मे अपने सामने देख कर मैं सब कुछ भूल चुका था.

मैं अपलक उसे देख रहा था और वो अपने हाथो से अपना चेहरा छुपाए बैठी थी. मेरे अंदर सेक्स की ज्वाला भड़क रही थी और पद्मिअनी के इस शरमाने से मुझे उस पर बेहद प्यार भी आ रहा था.

मैने एक झटके मे अपना पायजामा कुर्ता उतार दिया. अब मैं सिर्फ़ अंडर वेअर मे था. मैने पद्मिेनी के चेहरे से उसके दोनो हाथों को अलग करने की कोशिश की, मगर उसने अपने चेहरे से हाथ अलग नही किए. मैने उस से धीरे से कहा.

मैं बोला “पद्मि नी, अपनी आँखे तो खोलो. ऐसे चेहरा छुपा कर क्यो बैठी हो.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, मुझे शरम आ रही है.”

मैं बोला “यदि तुम्हे पसंद नही है तो, हम ये सब नही करते है.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, ऐसी बात नही है. आपको जो करना है कीजिए. लेकिन मुझे देखने के लिए मत बोलिए. मुझे शरम आ रही है.”

मैं बोला “ठीक है, मैं तुम्हे देखने के लिए नही बोलता. लेकिन तुम मेरा साथ तो दोगि ना.”

पद्मिोनी बोली “जी पिताजी.”

ये बोल कर वो चुप हो गयी और अभी भी अपना चेहरा छुपाकर बैठी रही. मैने उसके कंधे को पकड़ कर, उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके एक तरफ आकर बैठ गया. थोड़ी देर तक मैं उसे सर से लेकर पाँव तक देखता रहा.

वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लॅक पैंटी मे लेटी हुई थी. उसका अंग अंग किसी फूल की तरह खिला हुआ था. उसके गोरे और नंगे बदन को देख कर, एक बार फिर मेरे लिंग ने अंगड़ाई लेना सुरू कर दी. मैने धीरे से अपना एक हाथ पद्मिदनी के एक नंगे बूब्स पर रख दिया.

मेरे हाथ रखते ही पद्मि्नी को एक झटका सा लगा और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा हिलाया. मैं आहिस्ता आहिस्ता उसके एक बूब्स को मसल्ने लगा. मैं कभी उसके बूब्स को मसलता तो, कभी उसके निप्पल्स को उंगलियों से मसल देता. मेरी हर हरकत से पद्मिबनी कसमसा जाती और अपने सर को इधर उधर हिलाने लगती. मगर अभी भी उसका चेहरा उसके हाथों से ढका हुआ था.

मैने उसके बूब्स को मसल्ते हुए, अपने होंठ उसके एक बूब्स पर लगाए और उसके निप्पल्स को चूसने लगा. अपने दूसरे हाथ से मैं उसके दूसरे बूब्स को मसल्ने लगा. मैं बड़ी तेज़ी से उसके निप्पल्स को चूस रहा था और बूब्स को मसल रहा था.

मेरे ऐसा करने से पद्मि नी कसमसाने लगी और उसने अपने हाथो को अपने चेहरे से हटा कर, मेरे सर पर रख दिया. वो मेरे चेहरे को अपने बूब्स पर दबाने लगी. लेकिन अभी भी उसकी आँखे बंद थी. उसके ऐसा करने से मुझे भी जोश आ गया और मैं तेज़ी से उसके निप्पल्स चूसने लगा और ज़ोर से उसके बूब्स मसल्ने लगा.

मैं उसके बूब्स को कभी चूस रहा था तो, कभी मसल रहा था. फिर मैं अपने एक हाथ को उसके पेट पर फेरते हुए, उसकी टाँगों की तरफ ले गया और पैंटी के उपर से उसकी पुसी को मसल्ने लगा. मेरे ऐसा करने से पद्मि नी ने अपनी दोनो टाँगों से मेरे हाथ को पुसी पर दबा लिया.

मैने उसके निप्पल्स को चूसना बंद किया और उसकी टाँगों के पास आ गया. पद्मिसनी अभी भी अपनी आँखे बंद किए हुए लेती थी. उसकी टाँगों के पास आकर मैने उसकी पैंटी को पकड़ा और उतारने की कोशिश करने लगा.

पद्मिेनी ने ऐसा करते देखा तो उसने अपने कुल्हों ( हिप्स) को थोड़ा सा उपर उठा लिया. मैने पैंटी को एक झटके मे नीचे उतार दिया और उसकी पुसी पर हाथ फेरने लगा. पुसी को मसल्ने लगा.

मैने अपने हाथ की एक उंगली को उसकी पुसी पर रगड़ना सुरू किया और फिर धीरे धीरे उंगली को उसकी पुसी मे डालने लगा. उसकी पुसी बहुत टाइट थी और इस समय पूरी गीली थी.

मेरी उंगली के अंदर जाने से पद्मि नी सिसियाने लगी और जब मेरी उंगली उसकी पुसी मे चली गयी. तब मैं धीरे धीरे उंगली को अंदर बाहर करने लगा. मेरे ऐसा करने से पद्मिीनी और कसमसाने लगी और अपनी पुसी को सिकोड़ने लगी.

उसकी साँसे तेज चल रही थी और मेरा लिंग पूरी तरह से अकड़ गया था. मेरी उंगली तेज़ी से पद्मिसनी की पुसी के अंदर बाहर हो रही थी. कुछ ही देर मे पद्मिानी पूरे जोश मे आ गयी.वो अपने दोनो हाथों से अपने बूब्स मसल्ने लगी और अपने कुल्हों को बार बार उपर उठा कर मेरा साथ देने लगी.

मैं भी पूरे जोश मे था. मैने एक पल मे उसकी पुसी से अपनी उंगली को बाहर निकाला और उसकी दोनो टाँगो को फैला कर अपना मूह उसकी पुसी मे लगा दिया. फिर मैने अपने होंठो से उसकी पुसी को चूस्ते हुए अपनी जीभ को उसकी पुसी मे डाल दिया.

मेरी जीभ के अंदर जाते ही पद्मि नी के मूह से एक सिसकारी निकली और उसने अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को अपनी पुसी पर दबा दिया. मैं उसकी पुसी मे जीभ को गोल गोल घुमाने लगा और तेज़ी से जीभ उसकी पुसी के अंदर बाहर करने लगा.

थोड़ी ही देर मे पद्मिीनी ने मुझे अपनी दोनो टाँगों से जाकड़ लिया और मेरे चेहरे को बुरी तरह से अपनी पुसी पर दबाने लगी. फिर बुरी तरह से मचलते हुए कहने लगी.

पद्मिपनी बोली “अयाया पिताजी, मेरा पानी छूटने वाला है.”

उसकी बात सुनकर मैं और भी तेज़ी से अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा. कुछ ही देर मे पद्मिबनी अकड़ने लगी और उसकी पुसी ने पानी छोड़ना सुरू कर दिया. मैं तब तक अपनी जीभ को अंदर बाहर करता रहा. जब तक की पद्मिननी की पुसी का पूरा पानी नही निकल गया और वो शांत नही पड़ गयी.

उसका पानी निकलते ही वो लंबी लंबी साँसे लेने लगी और मैं उसके पास आकर लेट गया. वो अभी भी अपनी आँखे बंद किए हुए लेटी थी. मैने उसके मानते को चूमा और उस से कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी कुछ नही बोली. बस मुस्कुरा दी. मैने फिर उस से कहा.

मैं बोला “तुम्हे मज़ा आया या नही. कुछ तो बोलो.”

पद्मिोनी बोली “जी आया.”

मैं बोला “तो फिर तुम अपनी आँख क्यो नही खोल रही हो.”

पद्मिोनी बोली “मुझे शरम आ रही है.”

पद्मिोनी का तो पानी निकल चुका था लेकिन मेरा लिंग अभी भी आकड़ा हुआ था. अब मुझे उसको भी शांत करना था. इसलिए मैने फिर से पद्मि नी को गरम करना शुरू कर दिया.
 
89
मैने पद्मिानी को अपनी तरफ खिचा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए. मैं कभी उसके उपर के होंठो को चूस्ता तो, कभी उसके नीचे के होंठो को चूस्ता. थोड़ी देर मे ही पद्मिउनी भी मेरा साथ देने लगी.

मैं अपने एक हाथ से बारी बारी से पद्मिसनी के दोनो बूब्स को मसल रहा था. मैं उसके होंठो को चूस रहा था और ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स मसल रहा था. थोड़ी ही देर मे पद्मिानी मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी.

वो धीरे धीरे गरम होने लगी थी. मैने उसे गरम होते देखा तो, मैने उसके बूब्स पर मूह लगा कर उसके निप्पल्स को चूसना सुरू कर दिया और उसकी पुसी पर हाथ फेरने लगा.

पुसी पर हाथ फेरने से पद्मिूनी फिर कसमसाने लगी और मैं उसकी पुसी को मसल्ने लगा. कुछ देर तक मैं पद्मिफनी के निप्पल्स चूस्ता रहा और पुसी को मसलता रहा.

जब पद्मिदनी ज़्यादा कसमसाने लगी. तब मैं उसके पास से उठ कर उसकी टाँगों के पास आ गया. मैने अपनी अंडर वेअर को उतारा और पद्मिलनी की दोनो टाँगों को फैला दिया. वो अभी भी आँख बंद किए हुए इंतजार कर रही थी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ.

मैने उसकी टाँगों को फैलाने के बाद अपना लिंग उसकी पुसी पर लगाया और उसे पुसी पर रगड़ने लगा. मेरे लिंग की रगड़ से पद्मिपनी सिसियाने लगी. थोड़ी देर मे लिंग को उसकी पुसी पर रगड़ता रहा.

फिर मैने उसकी पुसी के छेद पर अपने लिंग को लगाया और ज़ोर देकर अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा. लेकिन मेरा लिंग पुसी के अंदर नही जा रहा था. इसकी दो वजह थी, एक तो पद्मिपनी की पुसी बहुत टाइट और उसका छेद बहुत छोटा था. दूसरी मेरा लिंग बहुत बड़ा और मोटा था. जिस वजह से वो पद्मिकनी की पुसी मे नही जा पा रहा था.

पद्मिजनी उस समय आँख बंद किए हुए थी. इसलिए उसे मेरे लिंग की लंबाई और मोटाई का और उस के अंदर जाने से होने वाले का दर्द का कोई अंदाज़ा नही था. मैं उसे ज़्यादा दर्द नही देना चाहता था. इसलिए उसे आराम से अंदर करना चाहता था.

लेकिन मेरे लिंग के अंदर जाने के लिए पद्मिरनी का पूरे जोश मे होना ज़रूरी था. ताकि उसे लिंग के अंदर जाने पर ज़्यादा दर्द महसूस ना हो. इसलिए मैने लिंग को उसकी पुसी से अलग कर अपनी एक उंगली को पद्मि़नी की पुसी मे डाला और उसे अंदर बाहर करने लगा.

मेरे उंगली अंदर बाहर करने से कुछ ही देर मे पद्मिउनी के शरीर ने हरकत करनी शुरू कर दी. अब वो अपने दोनो हाथों से अपने बूब्स मसल रही थी और अपने कुल्हों को उपर उच्छल रही थी.

मैने जब पद्मिहनी को पूरे जोश मे देखा तो, अपनी उंगली को उसकी पुसी से बाहर किया और एक बार फिर लिंग को पुसी के छेद से लगाया. उसकी पुसी पूरी तरह से गीली थी. मैने लिंग का दबाब उसकी पुसी पर बनाया और फिर उसकी पुसी के छेद पर लिंग का एक जोरदार धक्का मारा.

एक ही झटके मे मेरे लिंग का टॉप पद्मिछनी की पुसी मे फस गया था. लेकिन पद्मिेनी इतने से ही धक्के से दर्द से तड़प उठी और अपने दोनो हाथ अपने चेहरे पर रख कर सर को इधर उधर हिला रही थी. शायद उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके बूब्स को मसल्ने लगा.

कुछ देर बाद जब पद्मि नी कुछ शांत सी समझ मे आई. तब मैने लिंग का दबाब उसकी पुसी पर बनाया और फिर एक जोरदार धक्का मारा. इस बार पद्मिआनी अपने आपको ना रोक सकी और उसकी चीख निकल गयी “हाए मर गयी पिताजी.”

धक्का इतना जोरदार था कि मेरा आधा लिंग पद्मिजनी की पुसी के अंदर चला गया था. जिसके होने वाले दर्द से पद्मिथनी तड़प उठी और उठ कर अपनी पुसी को देखने लगी. वो आँख फड़कर कभी अपनी पुसी को देखती तो कभी उसमे फसे मेरे लिंग को देखती. उसकी आँखों मे आँसू आ गये थे.

मैने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उनको चूसने लगा. कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होंठो को चूस्ता रहा. फिर जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैने उसे लिटा दिया और अब अपने आधे लिंग को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और वो भी अपने कूल्हे हिलाने लगी. धीरे धीरे मैने लिंग को अंदर बाहर करने की गति बढ़ाना सुरू कर दी और जब पद्मिेनी पूरी तरह से जोश मे आ गयी. तब मैने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लिंग पद्मिेनी की पुसी की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर तक समा गया.

इस बार पद्मिंनी और भी ज़ोर से चीख पड़ी और मुझसे मिन्नत करने लगी. “अया पिताजी मैं मर गयी. उसे बाहर निकालो, नही तो मैं सच मे मर जाउन्गी”

पद्मिरनी की पुसी की झिल्ली फट चुकी थी और उसमे से खून बह रहा था. वो दर्द से तड़प रही थी. लेकिन अभी उसने अपना खून नही देखा था. मैने उसे उठने ना दिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा.

लेकिन पद्मिखनी को दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा था. वो बार बार लिंग को बाहर निकालने को बोल रही थी. मगर मैं उसे समझा रहा था कि, पहली बार मे ऐसा दर्द होता ही है. मैं उसके बूब्स मसल रहा था और होंठ चूस रहा था.

जिस से कुछ देर बाद पद्मिानी को कुछ अच्छा महसूस होने लगा और मैं धीरे धीरे लिंग को अंदर बाहर करने लगा. कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और वो अपने कूल्हे उचकाने लगी.

जिसे देख कर मैने भी लिंग अंदर बाहर कररने की गति बढ़ा दी. पद्मिोनी को दर्द अभी भी हो रहा था. मगर अब उसे मज़ा भी आ रहा था. जिस की वजह से वो मुझे रोक नही रही थी. मगर उसके चेहरे पर दर्द और मज़ा दोनो के भाव साफ नज़र आ रहे थे.

कुछ ही देर मे पद्मि़नी जोश और बढ़ गया और अब वो अपने शरीर को उच्छाल उच्छाल कर कहने लगी. “अया पिताजी और ज़ोर से, पिताजी और ज़ोर से.”

मुझे भी उसकी बातों से और जोश चढ़ रहा था. मैं भी जोरदार धक्के मार रहा था. मेरे धक्को से पद्मिभनी का पूरा शरीर हिल रहा था और उसके बूब्स उपर नीचे हो रहे थे.

फिर जल्दी ही वो मुकाम भी आ गया. जब पद्मि्नी का शरीर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा और वो कहने लगी “ऊवू पिताजी, जल्दी करो. मेरा पानी छूटने वाला है. ज़ोर से करो पिताजी, ज़ोर से करो.”

मैने भी अपने धक्को की गति बढ़ा दी. मेरा लिंग जिस गति से बाहर आता. उस से भी तेज गति से पद्मिभनी की पुसी को चीरते हुए अंदर जा रहा था. पूरा कमरा पद्मिानी की आ उहह की आवाज़ों और मेरे धक्कों की आवाज़ों से गूँज रहा था.

कुछ ही पल बाद पद्मिवनी के शरीर ने अकड़ना सुरू कर दिया और उसकी पुसी ने पानी छोड़ना सुरू कर दिया. कुछ पल बाद ही पद्मि नी की चीख पुकार शांत पड़ गयी. मैं भी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुच चुका था.

मेरे धक्के चालू थे और फिर कुछ ही पल बाद मेरे लिंग ने भी झटके खाना सुरू कर दिया. मैने जोरदार तीन चार धक्के लगाए और फिर मेरे लिंग ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैं धक्का लगाता रहा और मेरा लिंग पानी छोड़ता रहा. मेरे लिंग ने 5-6 पिचकारी पद्मिकनी की पुसी मे छोड़ी और शांत पड़ गया.

मैं भी शांत पड़ कर पद्मिडनी के उपर ही ढेर हो गया. कुछ देर मैं वैसे ही पद्मि नी के उपर लेटा रहा. फिर उतर कर उसके पास लेट गया. मैने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके गाल को दो तीन बार चूम कर कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी कुछ नही बोली. तब मैने फिर कहा.

मैं बोला “अब तो तुम्हरा सब कुछ मैं देख चुका हूँ और मेरा सब कुछ तुम देख चुकी हो. अब क्यो शर्मा रही हो. बोलो ना मज़ा आया या नही.”

पद्मि नी ने मुस्कुराते हुए कहा.

पद्मि नी बोली “जी आया.”

मैं बोला “कितना मज़ा आया. थोड़ा या बहुत.”

पद्मिोनी बोली “बहुत मज़ा आया.”

मैं बोला “फिर करे.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, आज नही. आज बहुत दर्द हो रहा है.”

मैं बोला “पहली बार मे दर्द होता ही है.”

पद्मिोनी बोली “लेकिन पिताजी, मैं तो पहले भी कर चुकी हूँ. मुझे पहले इतना दर्द कभी नही हुआ. ना ही कभी इतना मज़ा आया.”

मैं समझ गया कि पद्मिआनी आकाश के साथ करने की बात कर रही है. मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या आकाश का लिंग भी मेरे जितना बड़ा है.”

पद्मिोनी ने मेरे लिंग की तरफ देखा और मेरे लिंग मे लगे खून को देख कर चीखती हुई कहने लगी.

पद्मिोनी बोली “पिताजी, आपके उस से तो खून निकल रहा है.”

मैने अपने लिंग को देखा और फिर हंसते हुए कहा.

मैं बोला “ये खून मेरा नही तुम्हारा है. ये तुम्हारी पुसी से निकला है.”

मेरे ये कहते ही पद्मिननी अपनी पुसी की तरफ देखने लगी. उसे पुसी पर और बेड पर बहुत सारा खून नज़र आया. वो खून देख कर कुछ घबरा सी गयी. मैने उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “घबराओ नही. लड़की जब पहली बार सेक्स करती है. तब उसकी पुसी की झिल्ली फटती है. उसी से ये खून निकलता है. तुम डरो मत, कुछ नही हुआ है. तुम्हारी पुसी सही सलामत है.”

मेरी बात सुनकर पद्मिउनी को कुछ राहत हुई. लेकिन वो अभी भी चुप थी. मैने उसका ध्यान उस तरफ से अलग करने के लिए उस से कहा.

मैं बोला “तुमने बताया नही. क्या आकाश का लिंग भी इतना ही बड़ा है.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, उनका ये तो बहुत छोटा है. बिल्कुल आपकी उंगली की तरह है और वो जब ये सब करते है तो उन्हे मुस्किल से 2-4 मिनिट ही लगते है और फिर वो सो जाते है.”

मैं बोला “मैं बोला शायद यही वजह है कि तुम आज तक माँ नही बन पाई. चलो कोई बात नही. अब तुम जल्दी माँ बन जाओगी.”

मेरी बात सुन कर पद्मिानी फिर से शर्मा गयी और मैने उसे अपने सीने से लगा लिया. मैने उसे एक बार फिर करने को कहा. लेकिन उसने दर्द होने की शिकायत करने का कहते हुए मना कर दिया. मैने भी उसे ज़्यादा ज़ोर नही दिया और फिर हम दोनो एक दूसरे से चिपके चिपके ऐसे ही सो गये.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो पद्मिजनी बिस्तर पर नही थी. मैं उठा और जाकर फ्रेश होने लगा. मैं फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर निकला तो पद्मि नी बिस्तर सही कर रही थी.

वो नहा धो चुकी थी और मेरे लिए चाय लेकर आई थी. वो बहुत खुश नज़र आ रही थी. उसने मुझे बाथरूम से बाहर निकलते हुए देखा तो, मुझे चाय देते हुए कहने लगी.

पद्मिमनी बोली “पिताजी, आज हम बाहर से खाना मॅंगा ले.”

मैं बोला “क्यो, क्या हुआ. क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नही है.”

पद्मिोनी बोली “तबीयत तो ठीक है पिताजी. बस थोड़ा सा दर्द हो रहा है. मुझसे चलते भी नही बन रहा है.”

मैं बोला “कोई बात नही. हम बाहर से खाना मंगा लेगे. तुम आराम करो.”

इसके बाद पद्मिननी आराम करने चली गयी. हमने बाहर से खाना मंगा कर खाया और फिर मैने पद्मिबनी को दर्द की कुछ दवाइयाँ दी. जिसे खाकर वो अपने कमरे मे आराम करने चली गयी.

सारा दिन यू ही बीत गया. रत को भी हमने बाहर से ही खाना मन्गा लिया था. खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. कुछ देर बाद पद्मि नी भी दूध लेकर आ गयी. उसने मुझे दूध दिया और वापस चली गयी.

कुछ देर बाद वो एक पिंक कलर की नाइटी पहन कर आ गयी और मेरे बाजू से लेट गयी. मैने दूध पिया और उस से पुछा.

मैं बोला “अब तुम्हारा दर्द कैसा है.”

पद्मिोनी बोली “सुबह से अब बहुत आराम है पिताजी.”

मैं बोला “ठीक है. अब तुम सो जाओ.”

पद्मिोनी बोली “ओके, गुड नाइट पिताजी.”

मैं बोला “गुड नाइट.”

इसके बाद पद्मि नी ने मेरी तरफ करवट ली और आँख बंद कर ली. थोड़ी देर बाद मैने भी पद्मिबनी की तरफ करवट ली और आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा.

मगर कुछ ही देर बाद, फिर मुझे कल की तरह अजीब सी बेचेनी होने लगी. मैने इस बेचेनी की हालत मे अपनी आँख खोल दी और पद्मि नी को देखने लगा. वो गहरी नींद मे मीठे सपनो मे खोई हुई लग रही थी.

उसके चेहरे पर एक मासूम सी मुस्कुराहट थी. जो उसकी खुशी को प्रकट कर रही थी. मैं कुछ देर उसको यू ही देखता रहा. फिर मेरा दिल उसे छुने को किया तो, मैने अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके गाल पर रख दिया और धीरे धीरे उसके कोमल गालों पर अपना हाथ फेरने लगा.

उसको छुते ही मेरे लिंग मे एक सनसनी सी हुई. मगर उसके दर्द का ख़याल आते ही मैने अपने आपको इस से आगे बादने से रोक लिया. मैं कुछ देर यू ही उसके गालों को सहलाता रहा. तभी पद्मिइनी ने एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख कर अपने गाल पर दबा लिया.

मैं समझ गया कि वो अभी भी जाग रही है. मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. नींद नही आ रही है क्या.”

वो कुछ नही बोली और आँख बंद किए हुए ही, मेरा हाथ पकड़ कर अपने गाल पर फेरने लगी. मैने उसके गालों को चूम लिया और उस से कहा.

मैं बोला “क्या आज करना है.”

उसने मुस्कुराते हुए सर हिलाकर ना मे जबाब दिया. उसकी मुस्कुराहट देख कर मेरी हिम्मत बढ़ा और मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्यो, क्या अभी भी दर्द हो रहा है.”

उसने मुस्कुराते हुए फिर ना मे सर हिला कर जबाब दिया. मैने फिर पुछा.

मैं बोला “फिर क्या हुआ. तुम्हारा मन क्यो नही कर रहा है.”

पद्मिोनी खामोश रही मगर मेरे हाथ को अपने गाल पर रगड़ती रही. जिसे देख कर मुझे थोड़ा हौसला मिला और मैने अपना एक हाथ उसके बूब्स पर रख कर उन्हे धीरे धीरे दबाना सुरू कर दिया.

पद्मि नी ने मुझे ऐसा करने से नही रोका तो, मैने अपने चेहरे को उसकी तरफ बढ़ाया और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. फिर मैं उसके होंठों को चूसने लगा और उसके बूब्स को मसल्ने लगा.

मैं बारी बारी से उसके दोनो बूब्स मसल रहा था और उसके होंठ चूस रहा था. कुछ देर बाद पद्मिानी भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी. मैने उसके होंठ चूस्ते चूस्ते एक हाथ से उसकी नाइटी को पकड़ कर पेट के उपर खिसका दिया और फिर अपना एक हाथ उसकी नाइटी के अंदर डाल कर उसके बूब्स पर ले गया.

अब मैं ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो बूब्स मसल्ने लगा और निप्पल्स को उंगलियों से पकड़ कर उमेठेने लगा. मेरी इस हरकत से पद्मिसनी के मूह से सिसकारी निकलने लगी और वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी.

मैने पद्मिरनी को उठा कर बैठा दिया और उसकी नाइटी को उतार दिया. अब उसके दोनो नंगे बूब्स मेरे सामने थे. मैने अपने होंठों को उसके बूब्स के निप्पल्स पर लगाया और उन्हे चूसने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मिीनी मेरे मूह को अपने बूब्स पर दबाने लगी. मेरा लिंग भी बहुत ज़्यादा जोश मे था. मैने अपने सारे कपड़े उतारे और फिर पद्मिदनी की पैंटी उतारने के बाद उसे बेड पर लिटा दिया.

मैं उसकी टाँगों के पास आ गया और उसकी पुसी पर हाथ फेरने लगा. पद्मिकनी सिसियाते हुए कभी मुझे देख रही थी तो, कभी मेरे तने हुए लिंग को देख रही थी. मैने अपने हाथ की एक उंगली पद्मिुनी की पुसी मे डाली और उसे अंदर बाहर करने लगा.

मैं अपनी उंगली पद्मिपनी की पुसी के अंदर बाहर कर रहा था और एक हाथ से उसके बूब्स मसल रहा था. कुछ ही देर मे पद्मिीनी अपने कुल्हों को उपर उचकाने लगी. ये देख कर मैने अपनी उंगली को उसकी पुसी से बाहर निकाला और फिर अपने तने हुए लिंग को उसकी पुसी के छेद पर लगाया.

पद्मिकनी ने भी अपनी दोनो टाँगें फैला दी थी. मैने लिंग के टॉप को धीरे धीरे पद्मिमनी की पुसी पर दबाया और जब लिंग सही जगह पर बैठा गया तो, मैने एक ज़ोर का धक्का मारा.

मेरे धक्का मारते ही पद्मिगनी की चीख निकल गयी. क्योकि उसकी पुसी अभी भी टाइट थी और मेरा लिंग उसकी पुसी मे आधे से कम अंदर जा चुका था. मैं कुछ देर रुका और फिर से एक धक्का मारा और मेरा आधे से ज़्यादा लिंग अंदर जा चुका था.

इस बार फिर पद्मि नी की चीख निकली लेकिन तब तक मैने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए थे और उन्हे चूस रहा था. कुछ देर तक मैं उसके होंठ चूस्ता रहा और बूब्स मसलता रहा. फिर देखा की पद्मिूनी शांत है तो, फिर मैं धीरे धीरे लिंग को अंदर बाहर करने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और फिर वो भी अपने कूल्हे उचकाने लगी. ये देख कर मैने फिर पद्मिपनी के होंठों पर अपने होंठ रखे और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा. इस बार मेरा सारा लिंग पद्मिदनी की पुसी मे था और वो चीख भी नही पाई थी.

कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होंठ चूस्ता रहा. फिर धीरे धीरे अपने लिंग को आगे पीछे करने लगा. जब पद्मिकनी को मज़ा आने लगा तो, वो अपने कूल्हे उचकाने लगी और मैं भी तेज़ी से लिंग को उसकी पुसी के अंदर बाहर करने लगा.

आज पद्मिपनी भी पूरे जोश मे थी और वो बार बार कह रही थी. “पिताजी और ज़ोर से करो, और ज़ोर से.” उसकी बातों से मेरा जोश भी बढ़ रहा था और मैं तेज़ी से लिंग को पुसी के अंदर बाहर कर रहा था.

आज ना पद्मिीनी के जोश मे कोई कमी थी और ना ही मेरे जोश मे कोई कमी थी. हम दोनो खुल कर इस सब का मज़ा ले रहे थे और ज़ोर ज़ोर धक्के लगा रहे थे. कुछ देर बाद पद्मिुनी के शरीर ने हलचल करना सुरू कर दी.

वो कहने लगी “पिताजी, जल्दी कीजिए. मेरा पानी निकलने वाला है. जल्दी जल्दी कीजिए.”

उसकी बात सुनते ही खुद ब खुद मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ गयी और फिर कुछ देर बाद ही पद्मिबनी की पुसी ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मगर मेरे धक्के लगातार जारी थे और फिर कुछ ही पलों मे मेरे लिंग ने भी पद्मि नी की पुसी मे 5-6 पिचकारी मारी और मैं पद्मिकनी के उपर ढेर हो गया.

मैं थोड़ी देर पद्मिगनी के उपर ऐसे ही लेटा रहा. फिर उतर कर उसके पास आकर लेट गया. मैने उसे गले से लगाया और उस से कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी बोली “जी आया.”

मैं बोला “तो फिर तुम करने से मना क्यो कर रही थी.”

पद्मिोनी बोली “जी मुझे शरम आती है.”

मैं बोला “ये लो, अब मेरे तुम्हारे बीच मे शरम वाली कौन सी बात बाकी रह गयी है. ना तो मेरा कुछ तुम से छुपा है और ना तुम्हारा कुछ मुझ से छुपा है.”

मेरी बात सुनकर पद्मिरनी फिर से शरमा गयी और मेरे सीने मे अपने आपको छुपा लिया. मैने उस से कहा.

मैं बोला “आज तुम्हे दर्द तो नही हो रहा.”

पद्मिोनी बोली “हल्का हल्का दर्द है.”

मैं बोला “चलो जितना दर्द होना था, आज हो गया. अब आज के बाद तुम्हे दर्द नही होगा.”

ये कहकर मैने पद्मिोनी को अपने सीने से चिपका लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.


 
90
हम दोनो बहुत देर तक, एक दूसरे से चिपके बात करते रहे और बात करते करते मैं, उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था. थोड़ी देर बाद मेरा लिंग फिर से तन गया और पद्मिैनी को उसकी चुभन अपनी टाँगों के बीच महसूस होने लगी.

मेरे लिंग की चुभन महसूस करते ही, शायद पद्मिरनी को भी कुछ होने लगा था. वो मेरे लिंग को अपनी टाँगों से दबाने लगी. मैं भी उसके कुल्हों पर हाथ फेरते हुए, उन्हे अपने हाथों से मसल्ने लगा. उसके मुलायम कुल्हों के अहसास से, मेरे लिंग का तनाव और भी ज़्यादा बढ़ गया.

मैं अपने लिंग को पद्मिुनी की टाँगों के बीच रगड़ने लगा. जिस से पद्मि नी भी जोश मे आकर उसे अपनी पुसी से सटाने की कोशिश करने लगी. हम दोनो एक बार फिर से, पूरी तरह से गरम हो चुके थे.

मैने पद्मिसनी को खीच कर अपने उपर कर लिया और उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया. मैं बेहताशा उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी खुल कर मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी पुसी को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी.

मैने एक हाथ उसके बूब्स पर रखा और उन्हे मसल्ने लगा. दूसरे हाथ से मैं उसके कुल्हों को अपने लिंग पर दबाने लगा. पद्मिउनी भी पूरे जोश मे थी और अपनी कमर को हिलाकर, उसका दबाव मेरे लिंग पर बना रही थी.

पद्मिलनी की हरकतों से मेरा भी जोश और ज़्यादा बढ़ गया, और मैने उसे दबोच कर अपने नीचे कर लिया. मैं अपने दोनो हाथों से उसके दोनो बूब्स मसल्ने लगा और उसकी गर्दन को चूमने लगा. पद्मियनी भी मेरे बालों और पीठ पर हाथ फेरने लगी.

मैं उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके बूब्स पर आ गया और उसके निप्पल्स को मूह मे लेकर चूसने लगा. पद्मितनी मेरे सर को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर अपने बूब्स पर दबाने लगी और उसके मूह से सिसकियाँ निकलने लगी.

मैं पूरे जोश से पद्मिेनी के निप्पल्स चूसने लगा और अपने लिंग को पद्मिबनी की पुसी पर रगड़ने लगा. पद्मिेनी भी अपनी कमर को उचका कर अपनी पुसी को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी.

मैं पद्मि नी के बूब्स को चूमते हुए नीचे सरक कर उसके पेट पर आ गया और अपने होंठ उसकी नाभि पर रख दिए. मैं अपनी जीभ से उसकी नाभि को चाटने लगा और उसकी पुसी को अपने हाथ से मसल्ने लगा. पद्मिपनी के मूह आहह उहह की आवाज़े निकलने लगी और वो मेरा सर अपनी नाभि पर दबाने लगी.

थोड़ी देर बाद मैं पद्मि नी की दोनो टाँगों के बीच आ गया और उसकी टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया. अब पद्मिदनी बेड पर लेटी हुई थी और दोनो टाँगें मेरे कंधे पर थी. उसकी पुसी बिल्कुल मेरे ताने हुए लिंग के सामने थी.

मैने पद्मिुनी के कुल्हों पर हाथ रखा और अपना लिंग उसकी पुसी के उपर रगड़ने लगा. मैं पुसी के छेद पर अपने लिंग को उपर नीचे रगड़ रहा था और पद्मि नी इस से जोश मे भरी हुई अपने बूब्स को मसल रही थी.

फिर मैने पद्मिपनी की पुसी के छेद मे अपने लिंग का टॉप लगाया और लिंग को पुसी पर दबाने लगा. मेरा लिंग जब पुसी के छेद पर बैठ गया. तब मैने एक ज़ोर का झटका मारा और लिंग अंदर चला गया.

मेरा लिंग आधा अंदर चला गया था और पद्मिेनी कसमसाते हुए. मेरे अगले कदम का इंतजार करने लगी. अब शायद उसे लिंग के अंदर जाने से ज़्यादा दर्द नही हुआ था. ये देख कर मैने एक और ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लिंग पद्मिजनी की पुसी मे चला गया.

मगर इस बार वो उउईईईई करके रह गयी. शायद इस बार उसे दर्द हुआ था. इसलिए मैं थोड़ी देर रुक गया और फिर पद्मिेनी की पुसी मे लिंग को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा. पद्मिेनी की पुसी के टाइट होने की वजह से मेरा लिंग अभी भी फस फस कर अंदर जा रहा था. जिस वजह से मुझे और भी मज़ा आ रहा था. जब पद्मि नी को पुसी मे लिंग के अंदर बाहर होने से मज़ा आने लगा तो, मैने तेज़ी से लिंग को अंदर बाहर करना सुरू कर दिया.

अब मैं पद्मि,नी के कूल्हे पकड़ कर, लिंग को तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था और पद्मिेनी भी जोश मे अपने कुल्हों को उचका उचका कर, मुझे ज़ोर से लिंग अंदर करने को बोल रही थी. मेरा लिंग पद्मिेनी की पुसी को चीरते हुए अंदर जा रहा था और बाहर निकल रहा था.

कुछ ही देर बाद पद्मि नी अपने शरीर को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और कहने लगी. “पिताजी, मेरा पानी निकलने वाला है. जल्दी करो और जल्दी करो.”

ये सुनते हुए मैने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही पलों बाद पद्मि नी की पुसी पानी छोड़ने लगी और फिर मेरे लिंग ने भी 5-6 पिचकारी छोड़ दी. मैं पद्मिपनी के उपर ही ढेर हो गया.

मैं पद्मिीनी के उपर कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा. फिर उसके उपर से उतर कर उसके पास आ गया. मेरी उस से इसी बारे मे बहुत देर तक बात चलती रही. बाद मे हम लोगों ने एक बार और सेक्स किया. फिर हम लोग देर रात को ऐसे ही सो गये.

सुबह मेरी नींद पद्मिहनी के जगाने पर खुली. वो पिंक कलर की पारदर्शी साड़ी मे थी. मैं उठा और उसे देख कर मुस्कुरा दिया. मैं अभी भी कुछ नही पहना था. उसने मुझे जागते देख कर कहा.

पद्मिेनी बोली “पिताजी, आप फ्रेश हो जाइए. मैं आपके लिए चाय लेकर आती हूँ.”

मैने उसे छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “बहू आज दर्द तो नही हो रहा है.”

मेरी बात सुनकर पद्मिआनी शरमा गयी और कुछ नही बोली. मैने उससे फिर से कहा.

मैं बोला “अरे शरमा क्यो रही हो. बताओ ना, आज तुम्हे दर्द तो नही हो रहा है.”

पद्मिोनी ने मुस्कुराते हुए कहा.

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, मुझे दर्द नही है. अब आप बात ही करते रहेगे या उठेगे भी.”

ये कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर बेड से उठा दिया. मैं भी हंसते हुए ऐसे ही बाथरूम मे चला गया. फ्रेश होने के बाद मैने बनियान और लूँगी पहन ली. मगर अभी भी मैने अंडर वेअर नही पहनी थी. कुछ देर बाद पद्मिेनी चाय लेकर आ गयी. उसने मुझे चाय दी और फिर कहा.

पद्मिथनी बोली “पिताजी, अभी माँ का फोन आया था. वो कह रही थी कि, वो लोग कल आ रहे है.”

मैं बोला “अलीशा ने बस इतना ही कहा है.”

पद्मिोनी बोली “हाँ, उन ने बस इतना ही कहा है कि, वो लोग कल आ रहे है.”

मैं बोला “ठीक है, वैसे आज तुम खाने मे क्या बना रही हो.”

पद्मिोनी बोली “जो भी आप कह दे.”

मैं बोला “रहने दो. आज भी हम बाहर से ही कुछ मॅंगा लेते है.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, बाहर से मगाने की क्या ज़रूरत है. मैं घर पर ही कुछ बना लेती हूँ.”

मैं बोला “तुम बेकार मे परेशान मत हो. घर पर हम दोनो बस ही तो है. तुम रहने दो. हम बाहर से ही कुछ मॅंगा लेते है.”

पद्मि नी बोली “ओके, जैसी आपकी मर्ज़ी.”

ये कह कर वो बाहर चली गयी और मैं चाय पीते हुए, पिच्छले दो दिन मे हुई बातों के बारे मे सोचने लगा. इन दो दिनो मे मेरे और पद्मि नी के बीच मे बहुत कुछ बदल चुका था. ये दो दिन मैने पद्मिोनी के साथ उसके पति की तरह बिताए थे और मुझे ये सब अच्छा लगने लगा था. मगर अब अलीशा लोगों के वापस आने की खबर सुनकर ना जाने क्यो मुझे अच्छा सा नही लग रहा था.

यही सब सोचते हुए मैने अपनी चाय ख़तम की और अपने कमरे से बाहर आ गया. बाहर आया तो पद्मिबनी वॉशिंग मशीन मे कपड़े धो रही थी. मेरी तरफ उसकी पीठ थी और इस समय उसकी साड़ी का पल्लू उसकी कमर मे ख़ुसा हुआ था.

उसका ब्लाउस भी इतना पतला था की, उसमे से उसकी ब्रा सॉफ झलक रही थी. मेरी नज़र उसके ब्लाउस से सरक्ति हुई, पहले उसकी कमर पर, फिर उसके कुल्हों पर गयी. जो ज़्यादा फैले हुए तो नही थे. लेकिन उनके उभार देख कर मेरे लिंग ने, फिर से अंगड़ाई लेना सुरू कर दी. मैने लूँगी के उपर से ही अपने लिंग को मसला और धीरे धीरे पद्मिेनी की तरफ बढ़ गया.

पद्मिेनी के पास पहुच कर मैने पीछे से उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. मेरे दोनो हाथ उसके पेट पर, आपस मे जाकर जुड़ गये और मैने अपना चेहरा उसके कंधे पर रख दिया. मैं धीरे धीरे अपने लिंग को उसके कुल्हों पर रगड़ने लगा.

पद्मिकनी ने मुझे देखा तो, उसने मेरे हाथों पर अपने हाथ रखे और मुझसे खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा.

पद्मि नी बोली “पिताजी, ये क्या कर रहे है. मुझे छोड़िए, मुझे कपड़े धोना है.”

मैने पद्मि नी को और ज़ोर से जाकड़ लिया और उसके कुल्हों पर लिंग रगड़ते हुए कहा.

मैं बोला “नही, तुम्हे कोई काम नही करना. अभी मेरा मूड कुछ और करने का है.”

मेरी बात सुनकर पद्मि‍नी ने हंसते हुए कहा.

पद्मिबनी बोली “लेकिन अभी तो आपने दूध भी नही पिया है. फिर आपका मूड कैसे करने लगा.”

मैं बोला “दूध पीने से मेरे मूड का क्या सबंध है.”

पद्मिोनी बोली “संबंध तो है पिताजी, माँ ने मुझे एक दवा दी थी और कहा था कि, रोज सोते समय, मैं वो दवा आपको दूध मे मिलाकर दूं. उस से आपका मूड कुछ करने को करेगा.”

पद्मिोनी की बात सुनकर मुझे सारी बात समझ मे आ गयी और मैने उस से कहा.

मैं बोला “अच्छा तो ये बात थी. तभी तो मैं कहूँ की, दूध पीने के बाद मुझे ये बेचेनी सी क्यो होने लगती है.”

मेरी बात सुनकर पद्मि नी फिर से हँसने लगी और मैने उसे कस कर दबोच लिया. मैं उसे अपनी बाहों मे जकड़े हुए, उसकी गर्दन को बेहताशा चूमने लगा. पद्मिैनी ने अभी अभी नहाया था और उसके बदन की खुश्बू मुझे पागल बना रही थी. मैने उसकी गर्दन को चूमते हुए, अपने दोनो हाथ ब्लाउस के उपर से ही पद्मिानी के बूब्स पर रख दिए और उन्हे मसल्ने लगा.

मैं बड़े ही जोश मे पद्मििनी की गर्दन और कान को चूमने लगा और फिर उसके गले को चूमते हुए मैने उसका ब्लाउस खोल कर अलग कर दिया. अब पद्मिकनी पिंक ब्रा मे थी. मैने बिना देर किए उसकी ब्रा को भी खोल कर अलग कर दिया.

अब पद्मिानी के बूब्स आज़ाद हो गये थे. मैने दोनो बूब्स को अपने हाथों मे भर लिया और उन्हे मसल्ते हुए, पद्मि नी की गर्दन को चूमने चाटने लगा. मेरे लिंग मे अब बहुत ज़्यादा तनाव आ गया था.

मैं अपने लिंग को पद्मिेनी के कुल्हों पर रगड़ने लगा. मेरे ये सब करने से पद्मि नी भी गरम हो चुकी थी. वो अपना हाथ मेरे सर पर रख कर मेरे बालों को सहलाने लगी और अपने कुल्हों को मेरे लिंग की तरफ दबाने लगी.

मैने पद्मिफनी की पीठ को चूमते हुए, उसकी सारी भी अलग कर दी. अब वो पेटिकोट मे थी. मैं उसके पेटिकोट के उपर से उसकी जांघों को पकड़ कर, उसे अपने लिंग की तरफ दबाने लगा. मेरा लिंग पद्मिोनी के कुल्हों की दरारों मे रगड़ रहा था.

मैने पद्मिोनी के पेटिकोट का नाडा पकड़ कर खोल दिया. पेटिकोट एक झटके मे ज़मीन पर गिर गया और फिर मैने अपनी उंगलियों को पद्मिानी की पैंटी के किनारों मे फसा कर, उसे भी उतार दिया और अपनी लूँगी बनियान भी अलग कर दी.

अब मैं अपने दोनो हाथों से पद्मिगनी के बूब्स मसल्ने लगा और अपने लिंग को पद्मि़नी के कुल्हों की दरारों मे रगड़ने लगा. मेरा जोश सातवे आसमान पर पहुच चुका था. मैने पद्मिेनी के दोनो हाथ पकड़ कर वॉशिंग मशीन पर टिका कर, सामने की तरफ झुका दिया.

शायद पद्मिरनी को समझ मे नही आया कि, मैं ये क्या कर रहा हूँ. इसलिए वो पलट कर मेरी तरफ देखने लगी. मैने झुक कर उसके दोनो बूब्स पकड़ लिए और निप्पल्स को, उंगलियों से उमेठेने लगा.

पद्मि नी के मूह से सिसकारी निकली और उसने वॉशिंग मशीन को ज़ोर से पकड़ लिया. मैने अपने लिंग को उसके कुल्हों की दरारों मे फसाया और फिर उसे दबाने लगा. मेरी इस हरकत से पद्मि नी चिहुक उठी. उसने फिर मेरी तरफ पलट कर देखा.

लेकिन मैने उसकी पीठ पर चूमते हुए, उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग पद्मि नी के कुल्हों के छेद के अंदर आधा चला गया. मगर पद्मिऔनी दर्द से चिल्ला उठी. “आअहह पिताजी, ये क्या कर रहे है. मैं मर जाउन्गी. उसे बाहर निकालिए.”

लेकिन मैने लिंग को उसकी कुल्हों से बाहर नही निकाला और पद्मि नी की पीठ पर, अपना सीना टिका कर, उसके दोनो बूब्स मसल्ने लगा और उसकी गर्दन पर चूमने लगा. कुछ देर यू ही करने के बाद, मैने धीरे धीरे पद्मिमनी के कुल्हों पर धक्का लगाना सुरू कर दिया.

कुछ देर बाद पद्मिैनी को मज़ा आने लगा और वो अपने कुल्हों को पीछे की तरफ धकेलने लगी. ये देख कर मैने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लिंग पद्मि्नी के कुल्हों की दरारों मे समा गया. मगर इस बार पद्मिानी और भी ज़ोर से चीख पड़ी. “आाआआई मर गयी पिताजी, मैं इसे नही ले पाउन्गी. प्लीज़ इसे बाहर निकाल लीजिए. नही तो मैं मर जाउन्गी.”

लेकिन अब मैने उसकी बात को अनसुनी करते हुए, उसकी पुसी मे एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद जब पद्मि,नी कुछ शांत हुई तो, मैं फिर से उसके कुल्हों पर ज़ोर दार धक्के लगाने लगा.

पद्मिकनी चीखने लगी. “पिताजी आगे से कर लीजिए. पीछे बहुत दर्द हो रहा है.” लेकिन मैं नही रुका और धक्के लगाता रहा और उसकी पुसी मे उंगली अंदर बाहर करता रहा. कुछ ही देर मे पद्मिऔनी के मूह से दर्द और मज़े की मिली जुली आवाज़े निकलने लगी और वो अपने कूल्हे पीछे कर के मेरा साथ देने लगी.

मैं जोरदार धक्के लगा रहा था और पद्मिजनी के बूब्स हर धक्के के साथ हवा मे उपर नीचे हो रहे थे. पद्मिोनी बार बार मुझे आगे से कर लेने के लिए कह रही थी. मगर मेरे उपर उसके कुल्हों ने ऐसा जादू कर दिया था कि, मैं रुकने का नाम ही नही ले रहा था.

पद्मिकनी मुझे जितना रुकने को कह रही थी. मैं उतनी ही तेज़ी से लिंग का धक्का उसके कुल्हों पर लगा रहा था. कुछ ही देर मे पद्मि नी की पुसी ने पानी छोड़ दिया था. लेकिन मेरे धक्के चालू रहे.

पद्मिहनी मुझे रुकने को बोलने लगी. लेकिन मेरा लिंग पूरे जोश मे था. उसके कुल्हों का छेद बहुत टाइट था. जिसमे मेरा लिंग फस कर अंदर जा रहा था और मुझे दुगुना मज़ा आ रहा था. मैं बिना रुके धक्का लगाता रहा.

अब पद्मिकनी का पानी निकल चुका था. इसलिए उसे इस सब मे ज़रा भी मज़ा नही आ रहा था. लेकिन मेरे लिंग के लिए ये एक नया ही अनुभव था और मैं उसके रोकने के बाद भी ज़ोर दार धक्के लगाए जा रहा था. मेरा लिंग सरसराते हुए अंदर जा रहा और बाहर निकल रहा था. फिर कुछ देर बाद मेरे लिंग ने भी पानी छोड़ना सुरू कर दिया.

मेरे लिंग के पानी छोड़ने के बाद मैं पद्मिकनी की पीठ पर ही सर रख कर लेट गया और उसके बूब्स से खेलने लगा. मेरे धक्के रुक जाने से पद्मि नी ने भी राहत की साँस ली और अब वो अपने आपको शांत करने मे लगी थी. मेरा लिंग अभी भी उसके कुल्हों की दरारों मे फसा हुआ था.

मैने अपने लिंग को पद्मिेनी के कुल्हों से निकाला और पद्मिरनी को सीधा करके अपने गले से लगाते हुए कहा.

मैं बोला “आज तो बहुत मज़ा आया.”

पद्मिोनी बोली “पिताजी, आप बहुत जालिम है. मैने आपसे कितना कहा कि, वहाँ मत कीजिए. लेकिन आपने मेरी बात नही मानी. मेरी तो दर्द के मारे जान ही निकल गयी थी.”

मैं बोला “सॉरी बहू, लेकिन मैं क्या करता. तुम्हारे कूल्हे इतने मस्त है कि, मैं अपने आपको रोक नही पाया.”

पद्मिानी बोली “मुझे तो लग रहा है कि, अब मैं चल भी नही पाउन्गी.”

मैं बोला “तुम्हे चलने की क्या ज़रूरत है. तुम्हे जहा जाना होगा, मैं उठा कर तुम्हे ले जाउन्गा.”

ये कह कर मैने पद्मिेनी को गोद मे उठा लिया और उसे अपने कमरे मे लाकर बेड पर लिटा दिया और मैं भी उसके पास ही लेट गया. मैं उसके बूब्स मसल रहा था और वो मुझसे शिकायत कर रही थी.

कुछ देर बाद उसका मूड सही हो गया मगर अब उसने मुझे दर्द की शिकायत करके कुछ भी करने से मना कर दिया. मैने उसे दर्द की कुछ दवा दी और फिर खाना मंगाने के लिए बाहर आ गया.

बाहर आकर मैने खाना मंगाने के लिए फोन किया. उसके बाद मैं अपने और पद्मि नी के कपड़े लेकर कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने अपने कपड़े पहने और पद्मिपनी भी अपने कपड़े पहन ने लगी.

कपड़े पहन ने के बाद मैं पद्मिेनी के पास ही बैठ गया और उस से कहा.

मैं बोला “बहू, मेरे लिंग ने तुम्हारे दो छेद का स्वाद तो चख लिया है. लेकिन एक छेद का स्वाद चखना बाकी है.”

मेरी बात सुनकर पद्मि”नी मेरी तरफ देखने लगी. उसे मेरी इस बात का मतलब समझ मे नही आया था. तब मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तुमने मेरे लिंग को अपनी पुसी और कुल्हों मे तो ले लिया. अब इसे अपने मूह मे कब लोगि.”

मेरी बात सुनते ही पद्मिेनी मुझे अपने हाथ का मुक्का मारते हुए कहने लगी.

पद्मिबनी बोली “आप बहुत गंदे हो. ना जाने क्या क्या करते रहते हो.”

मैं बोला “अरे इसमे गंदा होने वाली क्या बात है. सभी शादी शुदा लोग यही करते है. तुम्हारी माँ तो, मेरे लिंग को ऐसे चुस्ती है. जैसे उसे सच मे खा ही जाएगी.”

मेरी बात सुनकर पद्मि नी मुझे हैरत से देखने लगी. शायद उसे मेरी बात का यकीन नही आ रहा था. ये देख कर मैने उस से कहा.

मैं बोला “ऐसे क्या देख रही हो. मैं जो कह रहा हूँ, ये सच है. मैने अभी जो तुम्हारे साथ किया है. वो कोई गंदा काम नही है और जो करने को कह रहा हूँ. वो भी गंदा काम नही है. मैं भी तो तुम्हारी पुसी को चाट और चूमता हूँ. क्या तुम्हे उस मे मज़ा नही आता.”

मेरी बात सुन कर पद्मिऔनी फिर सोच मे पड़ गयी और तभी डॉरबेल बाज गयी. मैं उठ कर बाहर दरवाजा खोलने चला गया. खाना आ गया था. मैं खाना लेकर कमरे मे आ गया और फिर हम दोनो ने कमरे मे ही खाना खाया.

उसके बाद पद्मिेनी ने कमरे से बाहर जाने लगी तो, वो लंगड़ा कर चल रही थी. उस से सच मे चलते नही बन रहा था. उसे कपड़े भी धोना था. क्योकि कल सब वापस आ रहे थे और वो सबके आने के पहले गंदे कपड़े धो लेना चाहती थी.

लेकिन अब दर्द की वजह से उसे कपड़े धोने मे तकलीफ़ हो रही थी. इसलिए मैने कपड़े धोने मे उसकी मदद की और फिर उसे आराम करने को कहा. रात को भी हमने बाहर से ही मंगा कर खाना खाया और फिर सोने अपने कमरे मे आ गये.

लेकिन रात को जब पद्मि नी बिना दूध लिए ही कमरे मे आ गयी तो, मैने उस से पुछा.

मैं बोला “बहू, क्या हुआ. आज मेरा दूध कहाँ है.”

पद्मिोनी बोली “आपको दूध की क्या ज़रूरत है. आप तो बिना दूध पिए ही इतना सब कुछ कर लेते है.”

ये कह कर वो हँसने लगी और फिर बाहर चली गयी. कुछ देर बाद वो दूध लेकर आ गयी. मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या आज भी तुमने इस मे वो दवा मिलाई है.”

पद्मिोनी बोली “नही, आज मैने इसमे कोई दवा नही मिलाई.”

मैं बोला “क्यो, क्या आज तुम्हे कुछ नही करना.”

पद्मिोनी बोली “नही, आज मुझे बहुत दर्द है. आज मैं आपको कुछ नही करने दूँगी. मुझे अभी भी बहुत दर्द हो रहा है.”

मैं बोला “लेकिन हमारे पास कुछ करने के लिए आज की ही रात बस है. कल तो सब आ जाएगे.”

पद्मिोनी बोली “तो आपसे दिन मे वो सब करने के लिए किसने कहा था. ना तो आप दिन मे वो सब करते और ना ही मुझे इतना दर्द होता. पता नही, कल मैं सबके सामने ठीक से चल भी पाउन्गी या नही.”

मैं बोला “अरे पहली बार मे दर्द होता ही है. तुम चिंता मत करो. कल तक तुम ठीक से चलने फिरने लगोगी.”

पद्मि नी बोली “और यदि ना चल पाई तो.”

मैं बोला “ऐसा कुछ नही होगा. कल तक तुम ठीक से चलने फिरने लगोगी. फिर भी यदि कोई परेशानी हो तो, कह देना कि बाथरूम मे पैर फिसल गया था.”

मेरी बात पद्मिननी को जम गयी और वो आकर मेरे पास लेट गयी. मैने भी दूध पिया और उसके पास लेट गया. मगर आज उसका दर्द देख कर, मेरी भी उसके साथ कुछ करने की हिम्मत नही हो रही थी.

पद्मिीनी आँख बंद करके मेरी तरफ करवट लिए लेटी थी और मैं उसकी तरफ करवट लेकर लेटा था. मैं उसके चेहरे को देखने मे खोया हुआ था. उसके चेहरे पर वही जानी पहचानी मुस्कान थी. जो उसे बहुत सुंदर बना रही थी.
 
Back
Top