desiaks
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अभी उन डॉक्टर को आने मे हफ़्ता दस दिन का समय बाकी था. ऐसे मे हमारे वहाँ रुकने का कोई मतलब नही था. इसलिए दूसरे दिन हम वापस रायपुर आ गये.
रायपुर आने के बाद आकाश अपने आप मे ही खोया खोया और उदास सा रहने लगा था. मुझसे उसका यूँ उदास रहना देखा नही जा रहा था.
मैने पद्मि नी से इस बारे मे बात करने का फ़ैसला किया. आकाश उस समय घर पर नही था. मैने पद्मिहनी से कहा.
मैं बोला “देखो बेटी, मैं तुमसे आकाश के बारे मे कुछ ज़रूरी बात करना चाहता हूँ. तुम जानती हो कि, आकाश प्रकाश की माँ उनको बचपन मे ही छोड़ कर भगवान के पास चली गयी थी. तब से मैने ही उन दोनो को माँ बाप दोनो का प्यार देकर बड़ा किया है. लेकिन आकाश अपने अंदर की कमी को महसूस करने के बाद, अंदर ही अंदर टूटता जा रहा है. ऐसे मे तुमको उसको संभालना चाहिए. नही तो वो फिर से, अपने आपको नुकसान पहुचने की कोसिस कर सकता है.”
पद्मिरनी बोली “पिताजी, मैने उनको समझाने की बहुत कोसिस की है. लेकिन वो है कि, इस बात को अपने दिल से निकल ही नही पा रहे है. उन्हो ने अब एक नयी रट लगा रखी है. वो कहते है कि, मैं तुम्हे शारीरिक सुख नही दे सकता. तुम मुझसे तलाक़ लेकर अलग हो जाओ. मेरे साथ रह कर अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो. अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ. उन्हे कैसे समझाओ कि, वो जैसे भी है. मैं उनके साथ खुश हूँ. मुझे उन से कोई शिकायत नही है.”
मैं बोला “बेटी बात तो आकाश ने सही की है. तुम्हारे सामने अभी सारी जिंदगी पड़ी है. अभी तक हमने जितने भी डॉक्टर को दिखाया है. सब का एक ही जबाब रहा है कि, आकाश सही नही हो सकता. क्या तुम आकाश की ऐसी हालत मे भी सारी जिंदगी. उसके साथ खुशी खुशी बिता सकोगी.”
पद्मिखनी बोली “ये आप कैसी बात कर रहे है पिताजी. मैने एक दो बार गुस्से मे उनको ग़लत ज़रूर बोल दिया है. लेकिन इसका मतलब ये नही है कि, मैं उनसे अलग होना चाहती हूँ. वो जैसे भी है. मैं उनके साथ खुश हूँ. सिर्फ़ एक कमी की वजह से उनके प्यार और अपनेपन को भुला दूं. ये मुझसे नही होगा. मैं उनसे अलग होना तो दूर, इस के बारे मे कभी सोच भी नही सकती. मैं डोली मे बैठ कर इस घर मे आई थी और अब आरती मे बैठ कर ही इस घर से बाहर निकुलुगी.”
मैं बोला “तुम धन्य हो बेटी. तुम जैसी बहू आज के जमाने मे मिलना मुश्किल है. आकाश ने ज़रूर पिच्छले जनम मे बहुत पुन्य किए होगे. तभी उसे इस जनम मे तुम्हारी जैसी पत्नी मिली है.”
पद्मिोनी बोली “पिताजी यदि आपको सच मे ऐसा लगता है तो, प्लीज़ उनको रोकिए. वो अभी मेरे मना करने के बाद भी, तलाक़ के लिए वकील के पास गये है.”
मैं बोला “क्यो, क्या अभी फिर से तुम लोगो का झगड़ा हुआ है.”
पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, अब मैने उनसे कोई झगड़ा नही किया है. मैने उनसे तलाक़ लेने से मना कर दिया तो, वो खुद तलाक़ के लिए वकील के पास चले गये है.”
मैं बोला “तुम चिंता मत करो. उसे आने दो, मैं उसे सम्झाउन्गा.”
अभी हमारी बात चल रही थी. तभी आकाश आ गया. मैने उस से पुछा.
मैं बोला “तुम अभी इस समय कहाँ से आ रहे हो.”
आकाश बोला “मैं वकील के पास गया था.”
मैं बोला “क्यो, तुम्हे वकील के पास जाने की क्या ज़रूरत आ गयी थी.”
आकाश बोला “मैं पद्मिकनी को तलाक़ दे रहा हूँ.”
मैं बोला “क्यो पद्मि्नी ने ऐसा क्या कर दिया, जो तुम उसे तलाक़ देना चाहते हो.”
आकाश बोला “उसने कुछ भी नही किया है. लेकिन मैं उसकी जिंदगी बर्बाद नही करना चाहता. मैं उसे जिंदगी भर घुट घुट कर मरते नही देख सकता.”
मैं बोला “लेकिन जिसकी जिंदगी का तुम फ़ैसला कर रहे हो. उस से ये तो पुच्छ लेना चाहिए था कि, वो क्या चाहती है.”
मैने तो बड़े ही शांत तरीके से आकाश से ये बात पुछि थी. लेकिन आकाश ने, मुझ पर खीजते हुए कहा.
आकाश बोला “क्या कोई खुशी खुशी ख़ुदकुशी करना चाहें तो, उसे करने दिया जाए. कमी मेरे अंदर है तो, इसकी सज़ा इसको क्यो मिले. अभी इसकी उमर ही क्या है. इसे कोई ना कोई अच्छा लड़का मिल हो जाएगा. लेकिन आपको ये सब दिखाई नही देगा. क्योकि ये आपकी बेटी नही है. यदि ये आपकी बेटी होती. तब शायद आपने भी इस से यही कहा होता, जो मैं कह रहा हूँ.”
आकाश ने बड़े ही तल्ख़ लहजे मे अपनी बात कही थी. उसकी बात कड़वी ज़रूर थी. मगर उसकी बात ग़लत हरगिज़ नही थी. मेरे पास उसकी इस बात का कोई जबाब नही था.
जिंदगी मे पहली बार आकाश ने मुझसे उँची आवाज़ मे बात की थी. इसके बाद भी मैं उस से नाराज़ नही था. एक मर्द के लिए उसकी मर्दानगी ही सब कुछ होती है और जिस से उसकी मर्दानगी ही छिन गयी हो.उस से भला कोई शांत रहने की उम्मीद ही कैसे कर सकता है.
मैं उसकी इस बात के सामने बेबस होकर खामोश रह गया. लेकिन पद्मिोनी के पास उसकी इस बात का जबाब था. उसने आकाश से कहा.
पद्मिसनी बोली “आप पिताजी को क्यो दोष दे रहे है. वो तो वही बोल रहे है. जो मैने उन से कहा है. आप मुझे तलाक़ देना चाहते है तो, शौक से दे दीजिए. मैं आपकी पत्नी नही तो, पिताजी की बेटी बनकर इस घर मे रहूगी. आप मुझे इस घर से मेरे मरने के पहले बाहर नही निकाल सकते.”
आकाश बोला “तुम समझती क्यो नही हो. मैं जो कुछ कर रहा हूँ. तुम्हारे भविश्य और तुम्हारी भलाई के लिए ही कर रहा हूँ. वरना आज नही तो कल, तुम्हे अपने निर्णय के लिए पछ्ताना होगा.”
पद्मिीनी बोली “मैं अपने किसी निर्णय के लिए कभी नही पछताउंगी. मैने आपके साथ सात फेरे लेकर जिंदगी भर सुख दुख मे साथ निभाने की कसम खाई है. मैं यदि ऐसा ना कर सकी, तब ज़रूर मैं इसके लिए जिंदगी भर पछ्ताउंगी.”
आकाश बोला “तुम्हे जो ठीक लगे तुम कर सकती हो. मुझे जो ठीक लग रहा है. मैं वो कर रहा हूँ. मैने वकील साहब को बोल दिया है. कल वो तलाक़ के सारे पेपर तैयार कर के ला रहे है. अब आगे तुम्हारी मर्ज़ी.”
इतना बोल कर आकाश अपने कमरे मे चला गया और पद्मिकनी आकर मेरे पास बैठ कर रोते हुए कहने लगी.
पद्मिबनी बोली “आपने देख लिया ना पिताजी. वो मेरी एक बात भी सुनने को तैयार नही है. लेकिन मैं फिर कहती हूँ कि, मैं मर जाउन्गी. लेकिन उनको छोड़ कर नही जाउन्गी.”
उस समय वो बिल्कुल किसी छोटी बच्ची की तरह से ज़िद करके रो रही थी. जैसे कोई उसका सबसे प्यारा खिलौना छिन रहा हो. मैने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
मैं बोला “बेटी तू चिंता मत कर. मैं वकील साहब से मिल कर, इसका कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकाल लुगा. तू उसकी बात का बुरा मत मान. तू तो जानती है कि, वो अभी किस दौर से गुजर रहा है.”
मेरी बात से उसे कुछ राहत मिली. उसने मुझसे कहा.
पद्मिबनी बोली “पिताजी, वो विदेशी डॉक्टर आने वाले थे. उनका कुछ पता चला कि, वो कब आ रहे है.”
मैं बोला “उन्हो ने 10 दिन बाद पता करने को कहा था. आज 10 दिन हो चुके है. मैं कल ही फोन करके पता करता हूँ.”
इसके बाद हमारी आकाश को लेकर ही बातें होती रही. हमारी आखरी उम्मीद बस वो विदेशी डॉक्टर ही थे. जो शायद आकाश को ठीक कर सकते थे.
मैने अगले दिन मुंबई कॉल लगा कर पता किया तो, पता चला कि वो विदेशी डॉक्टर का दल आ चुका है. मैने पद्मि नी और आकाश से मुंबई चलने की तैयारी करने को कहा.
लेकिन अगले दिन आकाश की कोई बिज़्नेस मीटिंग थी. जिसकी वजह से उसने मुझसे कहा कि, आप और पद्मिशनी वहाँ पहुच कर डॉक्टर से मिल कर, उन्हे पिच्छली रिपोर्ट दिखाइए. दूसरे दिन मैं भी पहुच जाउन्गा.
मुझे उसका ये मशवरा अच्छा लगा. क्योकि उसके ना रहने पर हम डॉक्टर को उसके साथ होने वाले वकियात के बारे मे भी खुल कर बता सकते थे. इसलिए अगले दिन मैं और पद्मि नी मुंबई के लिए निकल गये.
वहाँ पहुच कर हम विदेशी डॉक्टर से मिले और उनको आकाश की अभी तक की सारी रिपोर्ट दिखाई. उन्हो ने रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि, उनके पास फिलहाल आकाश की इस बीमारी का कोई इलाज नही है. लेकिन साल दो साल मे हो सकता है कि, इसका इलाज हो पाना संभव हो जाए. क्योकि उनके देश मे इस बीमारी की खोज जारी है.
उन डॉक्टर ने भी हमे निराश ही किया. लेकिन साथ ही साथ इस बात की उम्मीद भी बँधाई की, साल दो साल बाद आकाश का इलाज हो पाना संभव हो सकता है. मगर आकाश को ये बात समझा पाना हमे बहुत ही मुस्किल लग रहा था.
तब मैने डॉक्टर को आकाश के साथ पेश आए अभी तक के वकियात बताए तो, उन्हो ने कहा कि “आप घबराईए मत. आप उन्हे कल ले आइए. हम उन्हे कुछ दवाइयाँ दे देगे. जिसे खाने के बाद उनके लिंग मे कुछ समय के लिए उत्तेजना आ जाया करेगी. जिस से उन्हे यही महसूस होगा कि, वो ठीक हो रहे है. हम उनसे कह देगे कि, उन्हे ठीक होने मे साल दो साल का समय लगेगा. जिस से आपकी ये समस्या एक दो साल के लिए टल जाएगी और हो सकता है कि, इस बीच इस का इलाज भी आ जाए.”
डॉक्टर की बातों से हमे इस बात की राहत मिली कि, अब कुछ समय तक आकाश को बहलाया जा सकता है. लेकिन अब हम इस बात को अच्छी तरह से जान चुके थे कि, आकाश की मर्दानगी वापस नही आ सकती.
मैने घर वापस आने के बाद पद्मििनी से कहा.
मैं बोला “बेटी तुमने तो अपने कानो से सब कुछ सुन लिया है. अब तुम जानती हो कि, आकाश कभी ठीक नही हो सकता. क्या तुम अब भी अपने इरादे पर अटल हो.”
पद्मि नी बोली “पिताजी, मुझे ये जान कर दुख ज़रूर हुआ है. लेकिन इसके बाद भी मेरा फ़ैसला वही है. जो पहले था. आप बस ये सोचिए कि हमे आगे करना क्या है.”
मैं बोला “अभी तो हमे वही करना है. जो डॉक्टर ने कहा है. कल आकाश को डॉक्टर के पास लेकर जाएगे. फिर उसके बाद हम सोचेगे कि, आकाश को किस तरह से इस सच का सामना करने के लिए तैयार किया जाए. वैसे भी हमारे पास डॉक्टर के कहे अनुसार इस सब के लिए, एक दो साल का समय तो रहेगा ही.”
पद्मिएनी भी मेरी बात से सहमत हो गयी. अगले दिन आकाश आया और हम उसे लेकर डॉक्टर के पास गये. डॉक्टर ने वही किया जो हम से कहा था. डॉक्टर से मिलने के बाद आकाश के मन मे ठीक होने की एक उम्मीद जाग गयी. जो उसके चेहरे से साफ झलक रही थी.
उसके अगले दिन हम वापस रायपुर आ गये. एक दो दिन के अंदर आकाश फिर पहले की तरह हँसमुख हो गया. अब वो एक नयी उम्मीद के सहारे अपना नया जीवन सुरू कर रहा था.
लेकिन ऐसी बातें लोगों से चाहे कितना भी छुपाओ. उन्हे किसी ना किसी तरह से पता चल ही जाती है. ऐसा ही कुछ आकाश के बारे मे भी हुआ.
एक तो आकाश की शादी को 2 साल होने को आए थे और वो अभी तक बाप नही बन सका था, उपर से डॉक्टर के यहाँ के बार बार चक्कर लगना. इन बातों को लेकर लोगों ने, आकाश के बारे मे, बातें बनाना सुरू कर दिया था.
मुझे लोगों की बातों की कोई परवाह नही थी. परवाह थी तो, सिर्फ़ आकाश की थी. मुझे डर लगने लगा था कि, कही ये बातें आकाश के कानो तक ना पहुच जाए और वो फिर से ना टूट जाए.
मैने इस बारे मे पद्मिरनी से सलाह करना ठीक समझा. मैने उस से कहा.
मैं बोला “बेटी, आज कल आकाश को लेकर लोगों मे तरह तरह की बातें हो रही है. मुझे डर है कि, कही आकाश के कानो तक ये बातें पहुच कर फिर उसे तोड़ ना दे.”
पद्मिकनी बोली “पिताजी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है. लेकिन हम लोगों का मूह बंद तो कर नही सकते है.”
मैं बोला “लेकिन बेटी, हमे कुछ तो करना ही पड़ेगा. कहीं ऐसा ना हो कि, लोगों की बातों से हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाए.”
पद्मिोनी बोली “पिताजी, क्यो ना हम अपने मुंबई वाले घर मे चल कर रहे. वहाँ हमे कोई जानता भी नही है और आपका सारा बिज़्नेस भी तो वही है. आपको भी बार बार यहाँ आना जाना नही करना पड़ेगा.”
मैं बोला “बात तो तेरी सही है बेटी. लेकिन ये सब कैसे हो पाएगा. आकाश ने अभी अभी यहाँ अपना बिज़्नेस जमाया है और फिर यहाँ हमारी इतनी सारी ज़मीन है. उसकी देख भाल कौन करेगा.”
पद्मि नी बोली “आप उनकी चिंता मत कीजिए. उनका बिज़्नेस अभी नया है. वो अपना बिज़्नेस मुंबई मे फिर से जमा लेगे. रही ज़मीनो की बात तो, हम यहाँ की अपनी सारी ज़मीन बेच देते है. वैसे भी आपका ज़्यादातर समय अपने बिज़्नेस की वजह से मुंबई मे गुज़रता है. आप ना तो अपना ज़्यादा समय इन ज़मीनो की वजह से ना तो मुंबई मे दे पाते है और ना ही अपने बिज़्नेस की वजह से अपना समय यहाँ दे पाते है. इन ज़मीनो को बेच देने से आप अपना समय अपने बिज़्नेस को दे सकेगे और हम सब साथ भी रह सकेगे.”
मैं बोला “जैसा तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. तुम आकाश से बात करके देख लो. यदि वो इसके लिए तैयार है तो, मेरी तरफ से भी इसके लिए कोई रोक नही है.”
पद्मिकनी बोली “आप उनकी चिंता ना करे. मैं उन्हे इसके लिए तैयार कर लुगी.”
इसके बाद रात को डिन्नर पर पद्मिैनी ने इस बारे मे आकाश से बात की. कुछ ना नुकुर करने के बाद पद्मिसनी के समझाने पर आकाश इस सब के लिए तैयार हो गया.
उसी समय ठाकुर जगत प्रताप सिंग अपने पिता के साथ बनारस से रहने यहाँ आए थे. उनके पिता यहाँ ज़मीने खरीद रहे थे. जगत प्रताप सिंग की आकाश से अच्छी दोस्ती थी.
जब आकाश ने अपनी ज़मीने बेचने की बात उनसे की तो, उन्हो ने अपने पिता से इस बारे मे बात की और उनके पिता हमारी सारी ज़मीने खरीदने को तैयार हो गये.
कुछ ही दिनो मे हमारी सारी ज़मीनो का सौदा ठाकुर जगत प्रताप सिंग के पिता के साथ हो गया. दो चार दिन मे आकाश ने वहाँ से अपना बिज़्नेस भी समेत लिया और फिर हम लोग मुंबई आ गये.
अभी उन डॉक्टर को आने मे हफ़्ता दस दिन का समय बाकी था. ऐसे मे हमारे वहाँ रुकने का कोई मतलब नही था. इसलिए दूसरे दिन हम वापस रायपुर आ गये.
रायपुर आने के बाद आकाश अपने आप मे ही खोया खोया और उदास सा रहने लगा था. मुझसे उसका यूँ उदास रहना देखा नही जा रहा था.
मैने पद्मि नी से इस बारे मे बात करने का फ़ैसला किया. आकाश उस समय घर पर नही था. मैने पद्मिहनी से कहा.
मैं बोला “देखो बेटी, मैं तुमसे आकाश के बारे मे कुछ ज़रूरी बात करना चाहता हूँ. तुम जानती हो कि, आकाश प्रकाश की माँ उनको बचपन मे ही छोड़ कर भगवान के पास चली गयी थी. तब से मैने ही उन दोनो को माँ बाप दोनो का प्यार देकर बड़ा किया है. लेकिन आकाश अपने अंदर की कमी को महसूस करने के बाद, अंदर ही अंदर टूटता जा रहा है. ऐसे मे तुमको उसको संभालना चाहिए. नही तो वो फिर से, अपने आपको नुकसान पहुचने की कोसिस कर सकता है.”
पद्मिरनी बोली “पिताजी, मैने उनको समझाने की बहुत कोसिस की है. लेकिन वो है कि, इस बात को अपने दिल से निकल ही नही पा रहे है. उन्हो ने अब एक नयी रट लगा रखी है. वो कहते है कि, मैं तुम्हे शारीरिक सुख नही दे सकता. तुम मुझसे तलाक़ लेकर अलग हो जाओ. मेरे साथ रह कर अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो. अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ. उन्हे कैसे समझाओ कि, वो जैसे भी है. मैं उनके साथ खुश हूँ. मुझे उन से कोई शिकायत नही है.”
मैं बोला “बेटी बात तो आकाश ने सही की है. तुम्हारे सामने अभी सारी जिंदगी पड़ी है. अभी तक हमने जितने भी डॉक्टर को दिखाया है. सब का एक ही जबाब रहा है कि, आकाश सही नही हो सकता. क्या तुम आकाश की ऐसी हालत मे भी सारी जिंदगी. उसके साथ खुशी खुशी बिता सकोगी.”
पद्मिखनी बोली “ये आप कैसी बात कर रहे है पिताजी. मैने एक दो बार गुस्से मे उनको ग़लत ज़रूर बोल दिया है. लेकिन इसका मतलब ये नही है कि, मैं उनसे अलग होना चाहती हूँ. वो जैसे भी है. मैं उनके साथ खुश हूँ. सिर्फ़ एक कमी की वजह से उनके प्यार और अपनेपन को भुला दूं. ये मुझसे नही होगा. मैं उनसे अलग होना तो दूर, इस के बारे मे कभी सोच भी नही सकती. मैं डोली मे बैठ कर इस घर मे आई थी और अब आरती मे बैठ कर ही इस घर से बाहर निकुलुगी.”
मैं बोला “तुम धन्य हो बेटी. तुम जैसी बहू आज के जमाने मे मिलना मुश्किल है. आकाश ने ज़रूर पिच्छले जनम मे बहुत पुन्य किए होगे. तभी उसे इस जनम मे तुम्हारी जैसी पत्नी मिली है.”
पद्मिोनी बोली “पिताजी यदि आपको सच मे ऐसा लगता है तो, प्लीज़ उनको रोकिए. वो अभी मेरे मना करने के बाद भी, तलाक़ के लिए वकील के पास गये है.”
मैं बोला “क्यो, क्या अभी फिर से तुम लोगो का झगड़ा हुआ है.”
पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, अब मैने उनसे कोई झगड़ा नही किया है. मैने उनसे तलाक़ लेने से मना कर दिया तो, वो खुद तलाक़ के लिए वकील के पास चले गये है.”
मैं बोला “तुम चिंता मत करो. उसे आने दो, मैं उसे सम्झाउन्गा.”
अभी हमारी बात चल रही थी. तभी आकाश आ गया. मैने उस से पुछा.
मैं बोला “तुम अभी इस समय कहाँ से आ रहे हो.”
आकाश बोला “मैं वकील के पास गया था.”
मैं बोला “क्यो, तुम्हे वकील के पास जाने की क्या ज़रूरत आ गयी थी.”
आकाश बोला “मैं पद्मिकनी को तलाक़ दे रहा हूँ.”
मैं बोला “क्यो पद्मि्नी ने ऐसा क्या कर दिया, जो तुम उसे तलाक़ देना चाहते हो.”
आकाश बोला “उसने कुछ भी नही किया है. लेकिन मैं उसकी जिंदगी बर्बाद नही करना चाहता. मैं उसे जिंदगी भर घुट घुट कर मरते नही देख सकता.”
मैं बोला “लेकिन जिसकी जिंदगी का तुम फ़ैसला कर रहे हो. उस से ये तो पुच्छ लेना चाहिए था कि, वो क्या चाहती है.”
मैने तो बड़े ही शांत तरीके से आकाश से ये बात पुछि थी. लेकिन आकाश ने, मुझ पर खीजते हुए कहा.
आकाश बोला “क्या कोई खुशी खुशी ख़ुदकुशी करना चाहें तो, उसे करने दिया जाए. कमी मेरे अंदर है तो, इसकी सज़ा इसको क्यो मिले. अभी इसकी उमर ही क्या है. इसे कोई ना कोई अच्छा लड़का मिल हो जाएगा. लेकिन आपको ये सब दिखाई नही देगा. क्योकि ये आपकी बेटी नही है. यदि ये आपकी बेटी होती. तब शायद आपने भी इस से यही कहा होता, जो मैं कह रहा हूँ.”
आकाश ने बड़े ही तल्ख़ लहजे मे अपनी बात कही थी. उसकी बात कड़वी ज़रूर थी. मगर उसकी बात ग़लत हरगिज़ नही थी. मेरे पास उसकी इस बात का कोई जबाब नही था.
जिंदगी मे पहली बार आकाश ने मुझसे उँची आवाज़ मे बात की थी. इसके बाद भी मैं उस से नाराज़ नही था. एक मर्द के लिए उसकी मर्दानगी ही सब कुछ होती है और जिस से उसकी मर्दानगी ही छिन गयी हो.उस से भला कोई शांत रहने की उम्मीद ही कैसे कर सकता है.
मैं उसकी इस बात के सामने बेबस होकर खामोश रह गया. लेकिन पद्मिोनी के पास उसकी इस बात का जबाब था. उसने आकाश से कहा.
पद्मिसनी बोली “आप पिताजी को क्यो दोष दे रहे है. वो तो वही बोल रहे है. जो मैने उन से कहा है. आप मुझे तलाक़ देना चाहते है तो, शौक से दे दीजिए. मैं आपकी पत्नी नही तो, पिताजी की बेटी बनकर इस घर मे रहूगी. आप मुझे इस घर से मेरे मरने के पहले बाहर नही निकाल सकते.”
आकाश बोला “तुम समझती क्यो नही हो. मैं जो कुछ कर रहा हूँ. तुम्हारे भविश्य और तुम्हारी भलाई के लिए ही कर रहा हूँ. वरना आज नही तो कल, तुम्हे अपने निर्णय के लिए पछ्ताना होगा.”
पद्मिीनी बोली “मैं अपने किसी निर्णय के लिए कभी नही पछताउंगी. मैने आपके साथ सात फेरे लेकर जिंदगी भर सुख दुख मे साथ निभाने की कसम खाई है. मैं यदि ऐसा ना कर सकी, तब ज़रूर मैं इसके लिए जिंदगी भर पछ्ताउंगी.”
आकाश बोला “तुम्हे जो ठीक लगे तुम कर सकती हो. मुझे जो ठीक लग रहा है. मैं वो कर रहा हूँ. मैने वकील साहब को बोल दिया है. कल वो तलाक़ के सारे पेपर तैयार कर के ला रहे है. अब आगे तुम्हारी मर्ज़ी.”
इतना बोल कर आकाश अपने कमरे मे चला गया और पद्मिकनी आकर मेरे पास बैठ कर रोते हुए कहने लगी.
पद्मिबनी बोली “आपने देख लिया ना पिताजी. वो मेरी एक बात भी सुनने को तैयार नही है. लेकिन मैं फिर कहती हूँ कि, मैं मर जाउन्गी. लेकिन उनको छोड़ कर नही जाउन्गी.”
उस समय वो बिल्कुल किसी छोटी बच्ची की तरह से ज़िद करके रो रही थी. जैसे कोई उसका सबसे प्यारा खिलौना छिन रहा हो. मैने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
मैं बोला “बेटी तू चिंता मत कर. मैं वकील साहब से मिल कर, इसका कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकाल लुगा. तू उसकी बात का बुरा मत मान. तू तो जानती है कि, वो अभी किस दौर से गुजर रहा है.”
मेरी बात से उसे कुछ राहत मिली. उसने मुझसे कहा.
पद्मिबनी बोली “पिताजी, वो विदेशी डॉक्टर आने वाले थे. उनका कुछ पता चला कि, वो कब आ रहे है.”
मैं बोला “उन्हो ने 10 दिन बाद पता करने को कहा था. आज 10 दिन हो चुके है. मैं कल ही फोन करके पता करता हूँ.”
इसके बाद हमारी आकाश को लेकर ही बातें होती रही. हमारी आखरी उम्मीद बस वो विदेशी डॉक्टर ही थे. जो शायद आकाश को ठीक कर सकते थे.
मैने अगले दिन मुंबई कॉल लगा कर पता किया तो, पता चला कि वो विदेशी डॉक्टर का दल आ चुका है. मैने पद्मि नी और आकाश से मुंबई चलने की तैयारी करने को कहा.
लेकिन अगले दिन आकाश की कोई बिज़्नेस मीटिंग थी. जिसकी वजह से उसने मुझसे कहा कि, आप और पद्मिशनी वहाँ पहुच कर डॉक्टर से मिल कर, उन्हे पिच्छली रिपोर्ट दिखाइए. दूसरे दिन मैं भी पहुच जाउन्गा.
मुझे उसका ये मशवरा अच्छा लगा. क्योकि उसके ना रहने पर हम डॉक्टर को उसके साथ होने वाले वकियात के बारे मे भी खुल कर बता सकते थे. इसलिए अगले दिन मैं और पद्मि नी मुंबई के लिए निकल गये.
वहाँ पहुच कर हम विदेशी डॉक्टर से मिले और उनको आकाश की अभी तक की सारी रिपोर्ट दिखाई. उन्हो ने रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि, उनके पास फिलहाल आकाश की इस बीमारी का कोई इलाज नही है. लेकिन साल दो साल मे हो सकता है कि, इसका इलाज हो पाना संभव हो जाए. क्योकि उनके देश मे इस बीमारी की खोज जारी है.
उन डॉक्टर ने भी हमे निराश ही किया. लेकिन साथ ही साथ इस बात की उम्मीद भी बँधाई की, साल दो साल बाद आकाश का इलाज हो पाना संभव हो सकता है. मगर आकाश को ये बात समझा पाना हमे बहुत ही मुस्किल लग रहा था.
तब मैने डॉक्टर को आकाश के साथ पेश आए अभी तक के वकियात बताए तो, उन्हो ने कहा कि “आप घबराईए मत. आप उन्हे कल ले आइए. हम उन्हे कुछ दवाइयाँ दे देगे. जिसे खाने के बाद उनके लिंग मे कुछ समय के लिए उत्तेजना आ जाया करेगी. जिस से उन्हे यही महसूस होगा कि, वो ठीक हो रहे है. हम उनसे कह देगे कि, उन्हे ठीक होने मे साल दो साल का समय लगेगा. जिस से आपकी ये समस्या एक दो साल के लिए टल जाएगी और हो सकता है कि, इस बीच इस का इलाज भी आ जाए.”
डॉक्टर की बातों से हमे इस बात की राहत मिली कि, अब कुछ समय तक आकाश को बहलाया जा सकता है. लेकिन अब हम इस बात को अच्छी तरह से जान चुके थे कि, आकाश की मर्दानगी वापस नही आ सकती.
मैने घर वापस आने के बाद पद्मििनी से कहा.
मैं बोला “बेटी तुमने तो अपने कानो से सब कुछ सुन लिया है. अब तुम जानती हो कि, आकाश कभी ठीक नही हो सकता. क्या तुम अब भी अपने इरादे पर अटल हो.”
पद्मि नी बोली “पिताजी, मुझे ये जान कर दुख ज़रूर हुआ है. लेकिन इसके बाद भी मेरा फ़ैसला वही है. जो पहले था. आप बस ये सोचिए कि हमे आगे करना क्या है.”
मैं बोला “अभी तो हमे वही करना है. जो डॉक्टर ने कहा है. कल आकाश को डॉक्टर के पास लेकर जाएगे. फिर उसके बाद हम सोचेगे कि, आकाश को किस तरह से इस सच का सामना करने के लिए तैयार किया जाए. वैसे भी हमारे पास डॉक्टर के कहे अनुसार इस सब के लिए, एक दो साल का समय तो रहेगा ही.”
पद्मिएनी भी मेरी बात से सहमत हो गयी. अगले दिन आकाश आया और हम उसे लेकर डॉक्टर के पास गये. डॉक्टर ने वही किया जो हम से कहा था. डॉक्टर से मिलने के बाद आकाश के मन मे ठीक होने की एक उम्मीद जाग गयी. जो उसके चेहरे से साफ झलक रही थी.
उसके अगले दिन हम वापस रायपुर आ गये. एक दो दिन के अंदर आकाश फिर पहले की तरह हँसमुख हो गया. अब वो एक नयी उम्मीद के सहारे अपना नया जीवन सुरू कर रहा था.
लेकिन ऐसी बातें लोगों से चाहे कितना भी छुपाओ. उन्हे किसी ना किसी तरह से पता चल ही जाती है. ऐसा ही कुछ आकाश के बारे मे भी हुआ.
एक तो आकाश की शादी को 2 साल होने को आए थे और वो अभी तक बाप नही बन सका था, उपर से डॉक्टर के यहाँ के बार बार चक्कर लगना. इन बातों को लेकर लोगों ने, आकाश के बारे मे, बातें बनाना सुरू कर दिया था.
मुझे लोगों की बातों की कोई परवाह नही थी. परवाह थी तो, सिर्फ़ आकाश की थी. मुझे डर लगने लगा था कि, कही ये बातें आकाश के कानो तक ना पहुच जाए और वो फिर से ना टूट जाए.
मैने इस बारे मे पद्मिरनी से सलाह करना ठीक समझा. मैने उस से कहा.
मैं बोला “बेटी, आज कल आकाश को लेकर लोगों मे तरह तरह की बातें हो रही है. मुझे डर है कि, कही आकाश के कानो तक ये बातें पहुच कर फिर उसे तोड़ ना दे.”
पद्मिकनी बोली “पिताजी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है. लेकिन हम लोगों का मूह बंद तो कर नही सकते है.”
मैं बोला “लेकिन बेटी, हमे कुछ तो करना ही पड़ेगा. कहीं ऐसा ना हो कि, लोगों की बातों से हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाए.”
पद्मिोनी बोली “पिताजी, क्यो ना हम अपने मुंबई वाले घर मे चल कर रहे. वहाँ हमे कोई जानता भी नही है और आपका सारा बिज़्नेस भी तो वही है. आपको भी बार बार यहाँ आना जाना नही करना पड़ेगा.”
मैं बोला “बात तो तेरी सही है बेटी. लेकिन ये सब कैसे हो पाएगा. आकाश ने अभी अभी यहाँ अपना बिज़्नेस जमाया है और फिर यहाँ हमारी इतनी सारी ज़मीन है. उसकी देख भाल कौन करेगा.”
पद्मि नी बोली “आप उनकी चिंता मत कीजिए. उनका बिज़्नेस अभी नया है. वो अपना बिज़्नेस मुंबई मे फिर से जमा लेगे. रही ज़मीनो की बात तो, हम यहाँ की अपनी सारी ज़मीन बेच देते है. वैसे भी आपका ज़्यादातर समय अपने बिज़्नेस की वजह से मुंबई मे गुज़रता है. आप ना तो अपना ज़्यादा समय इन ज़मीनो की वजह से ना तो मुंबई मे दे पाते है और ना ही अपने बिज़्नेस की वजह से अपना समय यहाँ दे पाते है. इन ज़मीनो को बेच देने से आप अपना समय अपने बिज़्नेस को दे सकेगे और हम सब साथ भी रह सकेगे.”
मैं बोला “जैसा तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. तुम आकाश से बात करके देख लो. यदि वो इसके लिए तैयार है तो, मेरी तरफ से भी इसके लिए कोई रोक नही है.”
पद्मिकनी बोली “आप उनकी चिंता ना करे. मैं उन्हे इसके लिए तैयार कर लुगी.”
इसके बाद रात को डिन्नर पर पद्मिैनी ने इस बारे मे आकाश से बात की. कुछ ना नुकुर करने के बाद पद्मिसनी के समझाने पर आकाश इस सब के लिए तैयार हो गया.
उसी समय ठाकुर जगत प्रताप सिंग अपने पिता के साथ बनारस से रहने यहाँ आए थे. उनके पिता यहाँ ज़मीने खरीद रहे थे. जगत प्रताप सिंग की आकाश से अच्छी दोस्ती थी.
जब आकाश ने अपनी ज़मीने बेचने की बात उनसे की तो, उन्हो ने अपने पिता से इस बारे मे बात की और उनके पिता हमारी सारी ज़मीने खरीदने को तैयार हो गये.
कुछ ही दिनो मे हमारी सारी ज़मीनो का सौदा ठाकुर जगत प्रताप सिंग के पिता के साथ हो गया. दो चार दिन मे आकाश ने वहाँ से अपना बिज़्नेस भी समेत लिया और फिर हम लोग मुंबई आ गये.