desiaks
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मैं शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था और कीर्ति से कुछ भी बोलने की हालत मे नही था. कीर्ति मुझे गौर से देख रही थी. जैसे कि कुछ समझने की कोशिस कर रही हो और फिर वो खुद ही इस खामोशी को तोड़ती हुई कहती है.
कीर्ति बोली “तू इतनी रात को कहाँ जा रहा है और तेरे कमरे से ये कैसी आवाज़े आ रही थी.?”
मगर मेरी काटो तो खून नही वाली हालत हो गयी थी और मुझे उसकी बातों का कोई जबाब ही नही सूझ रहा था. इसलिए मैं खामोश ही खड़ा रहा. मुझे खामोश देख कर, उसने फिर से मुझसे सवाल करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “यू सर झुकाए चुप चाप क्यो खड़ा है. कुछ बोलता क्यो नही.”
मैं कीर्ति के सवालों से परेशान था. लेकिन उसके सवालों का जबाब देना भी ज़रूरी था. वरना वो मेरा पिछा छोड़ने वालों मे से नही थी. इसलिए मैंने अपने आपको बचाने की कोशिस करते हुए कहा.
मैं बोला “मुझे नींद नही आ रही थी, इसलिए तेरे ही पास आ रहा था.”
कीर्ति बोली “हां इसी वजह से तो मैं भी तेरे पास आई हूँ. मुझे भी नींद नही आ रही थी, तो सोचा कुछ देर चल कर तुझ से बात कर लेती हूँ. मगर तू तो शायद किसी और ही काम मे व्यस्त था. क्या कर रहा था तू.”
मैं बोला “कुछ तो नही. तेरे तो कान ही बजते रहते है.”
कीर्ति बोली “चल मेरे कान ही बज रहे थे. अब मुझे अंदर भी आने देगा या यू ही दरवाजे पर ही खड़ा रखेगा.”
कीर्ति की बात सुनते ही, मैं दरवाजे के सामने से अलग हो गया. मैं समझ चुका था कि, इसने अपनी छुप कर सुनने की आदत का यहाँ भी इस्तेमाल किया है और मेरे कमरे से आ रही सारी आवाज़े सुन ली है.
लेकिन इसके बाद भी, मैं उसको झुठलाने के सिवा कर भी क्या सकता था. सही बात तो मैं उस से कह नही सकता था. मैं अभी इसी सब मे उलझा था कि, कीर्ति ने फिर मुझे टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं बैठ जाउ या वापस जाउ.”
मैं बोला “ये तेरा ही घर है. अब क्या तुझे यहाँ बैठने के लिए भी बोलना पड़ेगा.”
कीर्ति बेड के दूसरी तरफ पैर फैला कर बैठ गयी और मैं भी बैठ गया. हम दोनो बैठे रहे मगर कोई कुछ नही बोल रहा था. कुछ देर बाद कीर्ति ने, इस खामोशी को तोड़ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आज अमि निमी के ना होने से, घर कितना सुना सुना लग रहा है.”
मैं बोला “हां, उनके रहने से घर मे चहल पहल बनी रहती है.”
कीर्ति बोली “हाँ, वो तो है पर अब आगे का तूने क्या सोचा है.”
मैं बोला “किस बारे मे.”
कीर्ति बोली “नितिका को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के बारे मे.”
मैं बोला “मुझे नितिका मे कोई दिलचस्पी नही है. वो मेरी तरह की नही है.”
कीर्ति बोली “और रिया कैसी लगी तुझे.”
कीर्ति के मूह से रिया का नाम सुनकर मैं सन्न रह गया और मैं उसका चेहरा देखने लगा. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. लेकिन जब मैं कुछ बोला नही तो उसने कहा.
कीर्ति बोली “बता ना, मैं कौन सा रिया से बोलने जा रही हूँ.”
मैं बोला “रिया मुझे बहुत सुंदर है पर उसे तो तूने खुद राज के साथ.....”
इतना कह कर मैं चुप हो गया, मगर कीर्ति मेरे बिना कहे ही, मेरी आगे की बात समझ चुकी थी. उसने हंसते हुए अपना मोबाइल निकाला और कॉल लगाने लगी. उसे कही कॉल लगाते देख, मैंने उससे पुछा.
मैं बोला “क्या कर रही है. अब इतनी रात को, किसको फोन लगा रही है.”
कीर्ति बोली “नितिका को.”
तब तक दूसरी ओर से फोन उठ गया और फिर कीर्ति उस से बात करने लगी.
कीर्ति बोली “क्या हुआ, तुझे राज और रिया के बारे मे कुछ पता चला.”
नितिका “............” (नही यार, जैसा तू कह रही थी, उनके बीच ऐसा तो कुछ भी नही हुआ.)
कीर्ति बोली “हो सकता है कि, वो लोग ये सब अकेले मे ही करते हों.”
नितिका “................” (हां ये भी हो सकता है, क्योकि रिया तो मेरे साथ ही मेरे कमरे मे सो रही है और राज भैया का कमरा अलग है. वो सगे भाई बहन है. फिर वो पार्क मे खुले आम ऐसा करने की हिम्मत कैसे कर सकते है. तूने सच मे उन्ही को देखा है ना. कही तुझे कोई धोका तो नही हुआ.)
कीर्ति बोली “नही यार, मैंने उन्हे ही पार्क मे देखा है. मुझे कोई धोका नही हुआ और तू खुद ही सोच ना. ये सिटी उनके लिए नयी है और उन्हे इस सिटी मे पहचानता ही कौन है. मैंने भी जब उन्हे पार्क मे देखा था तो, मैं भी यही समझी थी कि वो कोई गर्लफ्रेंड और बाय्फ्रेंड है.”
नितिका “................” (हां तेरी बात तो सही है. उन्हे यहाँ जानता ही कौन है, मगर फिर भी पार्क मे ये सब करने की बात मुझे हजम नही हो रही है.)
कीर्ति बोली “अरे तू तो उस पार्क के बारे मे जानती है. फिर भी ऐसी बात कर रही है. वहाँ ये सब खुले आम होता है. हां ये बात अलग है कि, वो सब करने वाले सिर्फ़ गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड होते है.”
नितिका “...........” (लेकिन मेरे सामने तो, उन्हो ने ऐसा कुछ भी नही किया है.)
कीर्ति बोली “अरे यार, अभी उनने कुछ नही किया तो क्या हुआ, तू उन्हे थोड़ा अकेलापन दे, फिर तेरे सामने उनकी असलियत खुद आ जाएगी.”
नितिका “...........” (यार मैंने तो उन दोनो को अकेला रहने का बहुत मौका दिया पर राज भैया तो मेरे पीछे ही पड़े रहे. उन्हो ने तो रिया की तरफ ज़रा भी ध्यान नही दिया और रिया तो पूरे समय मम्मी और आंटी के साथ ही रही. मुझे तो कुछ समझ मे ही नही आ रहा है.)
कीर्ति बोली “लगता है, तेरा राज भैया तेरे साथ भी, वही सब करना चाहता है.”
नितिका “..........” (नही यार, मुझे ऐसी कोई बात नही लगती, क्योकि वो तो पूरे समय किसी ना किसी बहाने से तेरी ही बात करते रहे. यही सब जानने की कोशिस करते रहे कि, तू किस तरह की लड़की है. तेरा कोई बाय्फ्रेंड है या नही. तुझे किस तरह के लड़के पसंद है. मुझे तो लगता है कि, तू उन्हे बहुत पसंद आ गयी है. तू क्या कहती है.)
कीर्ति बोली “मैं क्या बोलू. मेरे कुछ सोचने से पहले ही, पुन्नू ने मुझसे कह दिया कि, राज अच्छा लड़का नही है. मैं उस से दूर ही रहूं तो अच्छा है. इसलिए तू अपने राज भैया से कह दे कि, मेरे बारे मे सोचना बंद कर दे.”
नितिका “...........” (यार उनकी बात छोड़ और ये बता, तेरी पुन्नू से मेरे बारे मे कोई बात हुई या नही हुई. मेरा उसके साथ चक्कर चलवा दे, मैं जिंदगी भर तेरी गुलाम बन के रहूगी.)
कीर्ति बोली “नही यार, मेरी अभी पुन्नू से तेरे बारे मे कोई बात नही हुई है. लेकिन मैं इतना कह सकती हूँ कि, उसके मन मे तेरे लिए कोई बात नही है. यदि उसके मन मे तेरे लिए कोई बात होती तो, उसने किसी ना किसी बहाने, मुझसे तेरे बारे मे कुछ तो पूछा होता. वैसे भी जहाँ तक मैं जानती हूँ, पुन्नू को रिया या शिल्पा जैसी लड़किया ही पसंद आती है और तू तो उनके जैसी है ही नही. इसलिए मुझे तो नही लगता कि, तेरी वहाँ कुछ दाल गलेगि.”
नितिका “............” (यार, तू तो जानती है की, मेरे पापा मम्मी को ये सब पसंद नही है. इसलिए मुझे इस तरह से रहना पड़ता है. मगर इसका मतलब ये तो नही है की, मैं रिया या शिल्पा से कुछ कम हू. तू एक बार उसे समझा कर तो देख, शायद मेरा काम बन जाए.)
कीर्ति बोली “ओके यार, मैं कोशिश करूगी. अब तू रख. मुझे नींद आ रही है. कल बात करते है. गुड नाइट.”
नितिका “..........” (ठीक है मेरी बात पुन्नू से करना मत भूलना. गुड नाइट.)
फिर कीर्ति फोन रख देती है और मुझसे कहती है.
कीर्ति बोली “ले सुन लिया ना. नितिका तो तेरी दीवानी हो गयी है. वो कह रही थी कि, मैं किसी भी तरह से उसका चक्कर तेरे साथ चलवा दूं. वो जिंदगी भर मेरी गुलामी करेगी.”
मैं बोला “तू तो जानती है कि, अब मुझे किसी लड़की मे कोई दिलचस्पी नही है.”
कीर्ति बोली “देख मैं अच्छे से जानती हूँ कि, तुझे रिया मे दिलचस्पी है. लेकिन तू अपने दिल की बात खुल कर नही कह पा रहा है. मगर तू इस बात को क्यो भूलता है कि, रिया कुछ दिन के लिए यहाँ आई है और यदि तू इस बीच मे उस से कोई रिश्ता बना भी लेता है तो, वो कुछ दिन तेरे साथ मौज मस्ती कर के चली जाएगी और तू शिल्पा की तरह उसकी यादों को भी दिल लगाए बैठा रहेगा. जबकि रिया मुंबई जाते ही, तुझे भूल कर अपनी दुनिया मे मस्त हो जाएगी.”
मैं बोला “होने को तो ये भी हो सकता है कि, उसे भी मुझसे प्यार हो जाए.”
कीर्ति बोली “ज़्यादा एमोशनल मत बन. बड़े शहर की लड़कियाँ, कपड़ो की तरह बाय्फ्रेंड भी बदलती रहती है और फिर जो चीज़ उसे बाय्फ्रेंड से मिलनी चाहिए, वो सारी चीज़ें तो, उसे उसका भाई ही दे रहा है. फिर वो भला क्यो किसी लड़के के प्यार मे पागल होगी.”
मैं बोला “इसीलिए तो मैं किसी लड़की के चक्कर मे पड़ना नही चाहता हूँ. तुझे अपने लिए कोई बाय्फ्रेंड ढूँढना है तो, तू ढूँढ ले. मगर मेरे लिए कोई गर्लफ्रेंड ढूंडना बंद कर दे.”
कीर्ति बोली “मुझे कोई बाय्फ्रेंड ढूँढने की ज़रूरत नही है. क्योकि राज खुद मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के चक्कर मे लगा हुआ है. मैं उसे पहली ही नज़र मे पसंद आ गयी हूँ.”
कीर्ति की बात सुनकर मुझे बुरा लगा. लेकिन मैंने सोचा कि, शायद जैसे मुझे रिया पसंद आ गयी है. वैसे ही इसे भी राज पसंद आ गया है. इसलिए मैंने उसी की बात, उसको समझाते हुए कहा.
मैं बोला “देख, इस राज के लफडे मे मत पड़. वो मुझे सही लड़का नही लगता. वैसे भी वो रिया का भाई है तो, रिया जैसा ही होगा. वो भी मौज मस्ती करके अपने घर चला जाएगा. बेहतर यही होगा कि, हम दोनो इन रिया और राज से दूर ही रहें.”
कीर्ति बोली “तू राज की चिंता मत कर. राज जैसे पचासों लड़के मेरे आगे पीछे घूमते रहते है. मैं उनको अपनी उंगलियों पर नचाना अच्छी तरह से जानती हूँ. मुझे तो तेरी चिंता है कि, कही तू रिया की सुंदरता मे दीवाना ना हो जाए.”
मैं बोला “ऐसा कुछ नही होगा. हाँ कुछ पल के लिए रिया मुझे अच्छी लगी थी. लेकिन तेरी बात सुनकर, अब मैं समझ चुका हूँ कि, रिया मेरे लायक नही है.”
कीर्ति बोली “तब तो ठीक है, अब थोड़ा नितिका के बारे मे भी सोच ले. मेरे ख़याल से तो, तेरे लिए उस से अच्छी लड़की कोई हो ही नही सकती.”
मैं बोला “अब तू अपनी बातों को यही पर ख़तम कर और जाकर सो जा. क्योकि अब बहुत ज़्यादा रात हो चुकी है.”
कीर्ति बोली “अब नींद तो मुझे भी आ रही है. लेकिन इतने बड़े घर मे, मुझे अकेले सोने मे डर लग रहा है. तू कहे तो मैं तेरे पास यही सो जाउ.”
मैं बोला “जैसी तेरी मर्ज़ी. तुझे जहाँ लगे, तू वहाँ सो जा, मगर अब सो जा. गुड नाइट.”
कीर्ति बोली “गुड नाइट.”
कीर्ति बोली “तू इतनी रात को कहाँ जा रहा है और तेरे कमरे से ये कैसी आवाज़े आ रही थी.?”
मगर मेरी काटो तो खून नही वाली हालत हो गयी थी और मुझे उसकी बातों का कोई जबाब ही नही सूझ रहा था. इसलिए मैं खामोश ही खड़ा रहा. मुझे खामोश देख कर, उसने फिर से मुझसे सवाल करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “यू सर झुकाए चुप चाप क्यो खड़ा है. कुछ बोलता क्यो नही.”
मैं कीर्ति के सवालों से परेशान था. लेकिन उसके सवालों का जबाब देना भी ज़रूरी था. वरना वो मेरा पिछा छोड़ने वालों मे से नही थी. इसलिए मैंने अपने आपको बचाने की कोशिस करते हुए कहा.
मैं बोला “मुझे नींद नही आ रही थी, इसलिए तेरे ही पास आ रहा था.”
कीर्ति बोली “हां इसी वजह से तो मैं भी तेरे पास आई हूँ. मुझे भी नींद नही आ रही थी, तो सोचा कुछ देर चल कर तुझ से बात कर लेती हूँ. मगर तू तो शायद किसी और ही काम मे व्यस्त था. क्या कर रहा था तू.”
मैं बोला “कुछ तो नही. तेरे तो कान ही बजते रहते है.”
कीर्ति बोली “चल मेरे कान ही बज रहे थे. अब मुझे अंदर भी आने देगा या यू ही दरवाजे पर ही खड़ा रखेगा.”
कीर्ति की बात सुनते ही, मैं दरवाजे के सामने से अलग हो गया. मैं समझ चुका था कि, इसने अपनी छुप कर सुनने की आदत का यहाँ भी इस्तेमाल किया है और मेरे कमरे से आ रही सारी आवाज़े सुन ली है.
लेकिन इसके बाद भी, मैं उसको झुठलाने के सिवा कर भी क्या सकता था. सही बात तो मैं उस से कह नही सकता था. मैं अभी इसी सब मे उलझा था कि, कीर्ति ने फिर मुझे टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं बैठ जाउ या वापस जाउ.”
मैं बोला “ये तेरा ही घर है. अब क्या तुझे यहाँ बैठने के लिए भी बोलना पड़ेगा.”
कीर्ति बेड के दूसरी तरफ पैर फैला कर बैठ गयी और मैं भी बैठ गया. हम दोनो बैठे रहे मगर कोई कुछ नही बोल रहा था. कुछ देर बाद कीर्ति ने, इस खामोशी को तोड़ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आज अमि निमी के ना होने से, घर कितना सुना सुना लग रहा है.”
मैं बोला “हां, उनके रहने से घर मे चहल पहल बनी रहती है.”
कीर्ति बोली “हाँ, वो तो है पर अब आगे का तूने क्या सोचा है.”
मैं बोला “किस बारे मे.”
कीर्ति बोली “नितिका को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के बारे मे.”
मैं बोला “मुझे नितिका मे कोई दिलचस्पी नही है. वो मेरी तरह की नही है.”
कीर्ति बोली “और रिया कैसी लगी तुझे.”
कीर्ति के मूह से रिया का नाम सुनकर मैं सन्न रह गया और मैं उसका चेहरा देखने लगा. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. लेकिन जब मैं कुछ बोला नही तो उसने कहा.
कीर्ति बोली “बता ना, मैं कौन सा रिया से बोलने जा रही हूँ.”
मैं बोला “रिया मुझे बहुत सुंदर है पर उसे तो तूने खुद राज के साथ.....”
इतना कह कर मैं चुप हो गया, मगर कीर्ति मेरे बिना कहे ही, मेरी आगे की बात समझ चुकी थी. उसने हंसते हुए अपना मोबाइल निकाला और कॉल लगाने लगी. उसे कही कॉल लगाते देख, मैंने उससे पुछा.
मैं बोला “क्या कर रही है. अब इतनी रात को, किसको फोन लगा रही है.”
कीर्ति बोली “नितिका को.”
तब तक दूसरी ओर से फोन उठ गया और फिर कीर्ति उस से बात करने लगी.
कीर्ति बोली “क्या हुआ, तुझे राज और रिया के बारे मे कुछ पता चला.”
नितिका “............” (नही यार, जैसा तू कह रही थी, उनके बीच ऐसा तो कुछ भी नही हुआ.)
कीर्ति बोली “हो सकता है कि, वो लोग ये सब अकेले मे ही करते हों.”
नितिका “................” (हां ये भी हो सकता है, क्योकि रिया तो मेरे साथ ही मेरे कमरे मे सो रही है और राज भैया का कमरा अलग है. वो सगे भाई बहन है. फिर वो पार्क मे खुले आम ऐसा करने की हिम्मत कैसे कर सकते है. तूने सच मे उन्ही को देखा है ना. कही तुझे कोई धोका तो नही हुआ.)
कीर्ति बोली “नही यार, मैंने उन्हे ही पार्क मे देखा है. मुझे कोई धोका नही हुआ और तू खुद ही सोच ना. ये सिटी उनके लिए नयी है और उन्हे इस सिटी मे पहचानता ही कौन है. मैंने भी जब उन्हे पार्क मे देखा था तो, मैं भी यही समझी थी कि वो कोई गर्लफ्रेंड और बाय्फ्रेंड है.”
नितिका “................” (हां तेरी बात तो सही है. उन्हे यहाँ जानता ही कौन है, मगर फिर भी पार्क मे ये सब करने की बात मुझे हजम नही हो रही है.)
कीर्ति बोली “अरे तू तो उस पार्क के बारे मे जानती है. फिर भी ऐसी बात कर रही है. वहाँ ये सब खुले आम होता है. हां ये बात अलग है कि, वो सब करने वाले सिर्फ़ गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड होते है.”
नितिका “...........” (लेकिन मेरे सामने तो, उन्हो ने ऐसा कुछ भी नही किया है.)
कीर्ति बोली “अरे यार, अभी उनने कुछ नही किया तो क्या हुआ, तू उन्हे थोड़ा अकेलापन दे, फिर तेरे सामने उनकी असलियत खुद आ जाएगी.”
नितिका “...........” (यार मैंने तो उन दोनो को अकेला रहने का बहुत मौका दिया पर राज भैया तो मेरे पीछे ही पड़े रहे. उन्हो ने तो रिया की तरफ ज़रा भी ध्यान नही दिया और रिया तो पूरे समय मम्मी और आंटी के साथ ही रही. मुझे तो कुछ समझ मे ही नही आ रहा है.)
कीर्ति बोली “लगता है, तेरा राज भैया तेरे साथ भी, वही सब करना चाहता है.”
नितिका “..........” (नही यार, मुझे ऐसी कोई बात नही लगती, क्योकि वो तो पूरे समय किसी ना किसी बहाने से तेरी ही बात करते रहे. यही सब जानने की कोशिस करते रहे कि, तू किस तरह की लड़की है. तेरा कोई बाय्फ्रेंड है या नही. तुझे किस तरह के लड़के पसंद है. मुझे तो लगता है कि, तू उन्हे बहुत पसंद आ गयी है. तू क्या कहती है.)
कीर्ति बोली “मैं क्या बोलू. मेरे कुछ सोचने से पहले ही, पुन्नू ने मुझसे कह दिया कि, राज अच्छा लड़का नही है. मैं उस से दूर ही रहूं तो अच्छा है. इसलिए तू अपने राज भैया से कह दे कि, मेरे बारे मे सोचना बंद कर दे.”
नितिका “...........” (यार उनकी बात छोड़ और ये बता, तेरी पुन्नू से मेरे बारे मे कोई बात हुई या नही हुई. मेरा उसके साथ चक्कर चलवा दे, मैं जिंदगी भर तेरी गुलाम बन के रहूगी.)
कीर्ति बोली “नही यार, मेरी अभी पुन्नू से तेरे बारे मे कोई बात नही हुई है. लेकिन मैं इतना कह सकती हूँ कि, उसके मन मे तेरे लिए कोई बात नही है. यदि उसके मन मे तेरे लिए कोई बात होती तो, उसने किसी ना किसी बहाने, मुझसे तेरे बारे मे कुछ तो पूछा होता. वैसे भी जहाँ तक मैं जानती हूँ, पुन्नू को रिया या शिल्पा जैसी लड़किया ही पसंद आती है और तू तो उनके जैसी है ही नही. इसलिए मुझे तो नही लगता कि, तेरी वहाँ कुछ दाल गलेगि.”
नितिका “............” (यार, तू तो जानती है की, मेरे पापा मम्मी को ये सब पसंद नही है. इसलिए मुझे इस तरह से रहना पड़ता है. मगर इसका मतलब ये तो नही है की, मैं रिया या शिल्पा से कुछ कम हू. तू एक बार उसे समझा कर तो देख, शायद मेरा काम बन जाए.)
कीर्ति बोली “ओके यार, मैं कोशिश करूगी. अब तू रख. मुझे नींद आ रही है. कल बात करते है. गुड नाइट.”
नितिका “..........” (ठीक है मेरी बात पुन्नू से करना मत भूलना. गुड नाइट.)
फिर कीर्ति फोन रख देती है और मुझसे कहती है.
कीर्ति बोली “ले सुन लिया ना. नितिका तो तेरी दीवानी हो गयी है. वो कह रही थी कि, मैं किसी भी तरह से उसका चक्कर तेरे साथ चलवा दूं. वो जिंदगी भर मेरी गुलामी करेगी.”
मैं बोला “तू तो जानती है कि, अब मुझे किसी लड़की मे कोई दिलचस्पी नही है.”
कीर्ति बोली “देख मैं अच्छे से जानती हूँ कि, तुझे रिया मे दिलचस्पी है. लेकिन तू अपने दिल की बात खुल कर नही कह पा रहा है. मगर तू इस बात को क्यो भूलता है कि, रिया कुछ दिन के लिए यहाँ आई है और यदि तू इस बीच मे उस से कोई रिश्ता बना भी लेता है तो, वो कुछ दिन तेरे साथ मौज मस्ती कर के चली जाएगी और तू शिल्पा की तरह उसकी यादों को भी दिल लगाए बैठा रहेगा. जबकि रिया मुंबई जाते ही, तुझे भूल कर अपनी दुनिया मे मस्त हो जाएगी.”
मैं बोला “होने को तो ये भी हो सकता है कि, उसे भी मुझसे प्यार हो जाए.”
कीर्ति बोली “ज़्यादा एमोशनल मत बन. बड़े शहर की लड़कियाँ, कपड़ो की तरह बाय्फ्रेंड भी बदलती रहती है और फिर जो चीज़ उसे बाय्फ्रेंड से मिलनी चाहिए, वो सारी चीज़ें तो, उसे उसका भाई ही दे रहा है. फिर वो भला क्यो किसी लड़के के प्यार मे पागल होगी.”
मैं बोला “इसीलिए तो मैं किसी लड़की के चक्कर मे पड़ना नही चाहता हूँ. तुझे अपने लिए कोई बाय्फ्रेंड ढूँढना है तो, तू ढूँढ ले. मगर मेरे लिए कोई गर्लफ्रेंड ढूंडना बंद कर दे.”
कीर्ति बोली “मुझे कोई बाय्फ्रेंड ढूँढने की ज़रूरत नही है. क्योकि राज खुद मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के चक्कर मे लगा हुआ है. मैं उसे पहली ही नज़र मे पसंद आ गयी हूँ.”
कीर्ति की बात सुनकर मुझे बुरा लगा. लेकिन मैंने सोचा कि, शायद जैसे मुझे रिया पसंद आ गयी है. वैसे ही इसे भी राज पसंद आ गया है. इसलिए मैंने उसी की बात, उसको समझाते हुए कहा.
मैं बोला “देख, इस राज के लफडे मे मत पड़. वो मुझे सही लड़का नही लगता. वैसे भी वो रिया का भाई है तो, रिया जैसा ही होगा. वो भी मौज मस्ती करके अपने घर चला जाएगा. बेहतर यही होगा कि, हम दोनो इन रिया और राज से दूर ही रहें.”
कीर्ति बोली “तू राज की चिंता मत कर. राज जैसे पचासों लड़के मेरे आगे पीछे घूमते रहते है. मैं उनको अपनी उंगलियों पर नचाना अच्छी तरह से जानती हूँ. मुझे तो तेरी चिंता है कि, कही तू रिया की सुंदरता मे दीवाना ना हो जाए.”
मैं बोला “ऐसा कुछ नही होगा. हाँ कुछ पल के लिए रिया मुझे अच्छी लगी थी. लेकिन तेरी बात सुनकर, अब मैं समझ चुका हूँ कि, रिया मेरे लायक नही है.”
कीर्ति बोली “तब तो ठीक है, अब थोड़ा नितिका के बारे मे भी सोच ले. मेरे ख़याल से तो, तेरे लिए उस से अच्छी लड़की कोई हो ही नही सकती.”
मैं बोला “अब तू अपनी बातों को यही पर ख़तम कर और जाकर सो जा. क्योकि अब बहुत ज़्यादा रात हो चुकी है.”
कीर्ति बोली “अब नींद तो मुझे भी आ रही है. लेकिन इतने बड़े घर मे, मुझे अकेले सोने मे डर लग रहा है. तू कहे तो मैं तेरे पास यही सो जाउ.”
मैं बोला “जैसी तेरी मर्ज़ी. तुझे जहाँ लगे, तू वहाँ सो जा, मगर अब सो जा. गुड नाइट.”
कीर्ति बोली “गुड नाइट.”