desiaks
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मुझे कमरे से बाहर निकलते ना देख कर कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ. अभी तक कमरे मे ही क्यो हो. पानी लेने क्यो नही जा रहे हो.”
मैं बोला “कैसे जाउ. किसी ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया है.”
कीर्ति बोली “ऐसा किसने किया होगा.”
मैं बोला “मेरे सोने के पहले प्रिया मेरे कमरे मे आई थी. शायद वो ही जाते जाते दरवाजा बाहर से बंद करके चली गयी.”
कीर्ति बोली “लेकिन उसने ऐसा क्यो किया होगा. उसे ऐसा करके क्या मिलेगा.”
मैं बोला “मुझे क्या मालूम. ये तो वो ही जाने.”
कीर्ति बोली “अब तुम क्या करोगे.”
मैं बोला “अब मैं सुबह होने का इंतजार करने के सिवा कर ही क्या सकता हूँ. सुबह निक्की मुझे जगाने आएगी. तब वो ही दरवाजा खोलेगी.”
कीर्ति बोली “तो क्या तुम सारी रात प्यासे ही रहोगे.”
मैं बोला “इसके सिवा मेरे पास रास्ता भी क्या है. अब इतनी रात को दरवाजा खटखटा कर, सबकी नींद तो खराब कर नही सकता.”
कीर्ति बोली “नही, मैं तुम्हे सारी रात प्यासा नही रहने दूँगी. तुम एक काम करो, निक्की को कॉल लगा कर दरवाजा खोलने को कह दो.”
मैं बोला “ये ठीक बात नही है. उस दिन भी निक्की को आधी रात को जगाया था. आज फिर उसको जगाना मुझे अच्छा नही लग रहा.”
कीर्ति बोली “तब फिर तुम प्रिया को कॉल करो. आख़िर दरवाजा भी तो, वो ही बंद करके गयी है.”
मैं बोला “प्रिया को तुम रहने ही दो. वो बहुत गहरी नींद मे सोती है. वो नही जागेगी.”
कीर्ति बोली “तुम कॉल लगाओ तो सही. वो जागती है या नही ये बाद मे देखेगे.”
मैं बोला “यदि वो जाग भी गयी तो, इतनी रात को मेरे दिमाग़ का दही बनाए बिना यहाँ से जाएगी नही. इसलिए अच्छा यही है कि उसे सोने ही दिया जाए. वैसे भी सिर्फ़ 4 घंटे की ही तो बात है. मैं किसी तरह से काट लुगा.”
कीर्ति बोली “नही मैं तुम्हारी कोई बात नही सुनूँगी. इन 4 घंटों मे तो तुम्हारा प्यास से और भी बुरा हाल हो जाएगा. मैं तुम्हे इस तरह प्यास से तड़प्ता नही देख सकती. प्लीज़ मेरी खातिर एक बार प्रिया को कॉल लगाओ.”
मैं बोला “तू कहती है तो मैं प्रिया को कॉल लगा देता हूँ. मगर वो नही उठी तो, फिर किसी को कॉल करने को मत बोलना और यदि उठ गयी तो, उसका तमाशा खुद ही देख लेना.”
कीर्ति बोली “तुम कॉल लगाओ ना. मुझे उम्मीद है कि वो ज़रूर उठ जाएगी.”
कीर्ति की बात सुनकर मैने प्रिया को कॉल लगा दिया और मेरे पहले ही कॉल मे प्रिया से कॉल उठा भी लिया. वो बहुत ज़्यादा नींद मे लग रही थी. उसने कॉल उठाते ही उनीदी सी आवाज़ मे कहा.
प्रिया बोली “हाँ बोलो, क्या हुआ. इतनी रात को मेरी याद कैसे आ गयी.”
मैं बोला “याद आई नही है. तुमने याद करने पर मजबूर कर दिया है.”
प्रिया बोली “क्यो, अब मैने ऐसा क्या कर दिया है.”
मैं बोला “तुम जाते जाते मेरे कमरे का दरवाजा बाहर से बंद करके चली गयी और अब मुझे प्यास लगी है तो, मैं पानी लेने भी बाहर नही जा पा रहा हूँ.”
मेरी बात सुनते ही प्रिया की सारी नींद भाग गयी. वो मुझे यकीन दिलाते हुए कहने लगी.
प्रिया बोली “कसम से मैने तुम्हारे कमरे का दरवाजा बंद नही किया है. मैं तो उसे ऐसे ही लटका कर आ गयी थी.”
मैं बोला “यदि तुमने दरवाजा बंद नही किया है तो, फिर किसने बंद किया है.”
प्रिया बोली “मुझे क्या मालूम. मैं तो तुम्हारे पास से सीधे अपने कमरे मे आकर सो गयी थी और अब तुम्हारे कॉल करने पर ही जागी हूँ.”
मैं बोला “चलो दरवाजा तुमने बंद नही किया है. लेकिन तुम अभी आकर दरवाजा खोल तो सकती हो ना.”
प्रिया बोली “हाँ हाँ, तुम रूको, मैं अभी आती हूँ.”
ये कह कर प्रिया ने फोन रख दिया. उसके फोन रखते ही कीर्ति ने पुछा.
कीर्ति बोली “क्या प्रिया आ रही है.”
मैं बोला “हाँ, वो आ रही है. लेकिन वो कह रही थी कि, दरवाजा उसने बंद नही किया है.”
कीर्ति बोली “यदि प्रिया ने दरवाजा बंद नही किया है तो, फिर दरवाजा किसने और क्यो बंद किया है.”
मैं बोला “अब ये तो दरवाजा बंद करने वाला ही जाने की उसने दरवाजा क्यो बंद किया है.”
मैं अभी कीर्ति से बात कर ही रहा था कि, मुझे दरवाजे पर किसी के होने की आहट हुई. मैं समझ गया कि प्रिया है. मैं बेड से उठ कर खड़ा हुआ. तभी प्रिया दरवाजा खोल कर अंदर आ गयी.
उसके हाथ मे पानी की बोतल थी. उसने मुझे पानी की बोतल दी और फिर बेड पर बैठ गयी. मैने पानी पिया और उस से कहा.
मैं बोला “सॉरी, तुम्हे इतनी रात को परेशान किया. यदि तुम्हारी नींद नही खुलती तो, सच मे मेरा प्यास के मारे बुरा हाल हो गया होता.”
प्रिया बोली “ऐसा कैसे हो सकता है कि, तुम मुझे जगाओ और मेरी नींद ना खुले. ये बात और है कि तुम कभी मुझे जगाते ही नही हो.”
मैं बोला “आज तो जगा दिया ना. अब तो खुश हो.”
प्रिया बोली “बहुत खुश हूँ. इसी खुशी मे सोच रही हूँ कि, यही तुम्हारे साथ ही सो जाउ.”
मैं बोला “अब इतनी रात को अपना नाटक शुरू मत करो. चुपचाप जाकर सो जाओ और मुझे भी सोने दो.”
प्रिया बोली “मैं तुम्हे सोने से कहाँ मना कर रही हू. मैं तो बस इतना ही बोल रही हूँ कि, मैं भी यही सो जाती हूँ.”
मैं बोला “तुम फिर शुरू हो गयी ना. इसी वजह से मैं तुम्हे जगाना नही चाहता था. तुम्हे जगा कर मैने सच मे ग़लती कर दी है.”
प्रिया बोली “अरे इतना भड़क क्यो रहे हो. मैं तो सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी. तुम्हे मेरा मज़ाक करना पसंद नही है तो, मैं अब कोई मज़ाक नही करूगी. अब बताओ क्या करना है.”
मैं बोला “कुछ नही करना है. तुमने इतनी रात को उठ कर मेरी मदद की, उसके लिए थॅंक्स. अब मेरे उपर एक अहसान और करो. मुझे चैन से सोने दो और खुद भी जाकर सो जाओ.”
प्रिया बोली “इसका मतलब कि तुम मुझे अपने कमरे से भगा रहे हो. सोच लो, ये तुम मेरे साथ अच्छा नही कर रहे हो.”
मैं बोला “यार मेरा कहने का तुम ग़लत मतलब निकाल रही हो. मैं तो सिर्फ़ इतना कहना चाहता था कि, अभी रात बहुत हो गयी है. मुझे सोना है और तुम भी अपने कमरे मे जाकर सो जाओ.”
प्रिया बोली “मैं सब समझती हूँ. तुम मुझे हमेशा अपने पास से भगाने की कोसिस करते हो और अभी मुझे अपने कमरे से निकाल रहे हो.”
मैं बोला “नही तुम मेरी बात को नही समझ रही हो. इतनी रात को तुम्हारा मेरे कमरे मे अकेले रहना अच्छी बात नही है. यदि किसी ने देख लिया तो, वो इसका ग़लत मतलब निकालेगा. प्लीज़ मेरे कहने का मतलब समझने की कोसिस करो.”
प्रिया बोली “ओके ओके, मैं समझ गयी. अभी तो मैं जाती हूँ. लेकिन बाद मे तुमसे इस बात का बदला लेकर रहूगी.”
ये कह कर प्रिया बेड से उठ कर खड़ी हो गयी और फिर जाने लगी. मैं भी उसके पिछे पिछे, उसे दरवाजे तक छोड़ने आया. दरवाजे पर पहुच कर उसने मुझे गुड नाइट कहा और फिर जाने लगी.
मैं उसे जाते हुए देख रहा था. तभी पापा के कमरे के सामने से गुज़रते हुए उसके कदम रुक गये. उसने पलट कर मेरी तरफ देखा. मैं समझा कि वो मुझे देख रही है कि, मैं अभी खड़ा हूँ या नही, इसलिए मैने उसे देख कर मुस्कुरा दिया.
लेकिन उसने मेरी मुस्कुराहट का कोई जबाब नही दिया और पापा के कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ गयी. वहाँ पहुच कर उसने दरवाजे पर अपने कान लगा दिए. मुझे उसकी ये हरकत अजीब लगी. इसलिए मैं भी ये देखने उसके पास आ गया की, ये क्या कर रही है.
उसने मुझे आते देख कर चुप रहने का इशारा किया और फिर से अपने कान दरवाजे पर लगा दिए. मैने उसे फिर से ऐसा करते देखा तो धीरे से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ. ये क्या कर रही हो.”
प्रिया ने भी धीरे से जबाब दिया.
प्रिया बोली “मुझे अभी अंकल के कमरे से किसी लड़की की आवाज़ आई.”
प्रिया की इस बात को सुनते ही मेरी आँखों मे रिया का चेहरा घूम गया. मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि, यदि सच मे प्रिया ने सच मे पापा के कमरे से किसी लड़की की आवाज़ सुनी है तो. वो लड़की रिया के सिवा कोई और नही हो सकती थी. लेकिन मैने प्रिया के सामने लापरवाही से कहा.
मैं बोला “इतनी रात को कोई लड़की भला यहाँ कहाँ से आ जाएगी. हो सकता है कि तुम्हे कोई वहम हुआ हो.”
प्रिया बोली “नही, मैने बिल्कुल साफ आवाज़ सुनी है. रूको अभी सब पता चल जाएगा.”
ये कह कर प्रिया दरवाजे से अलग हुई और फिर कमरे के पास बनी सीडियों की तरफ जाने लगी. जो शायद उपर छत पर जाने के लिए बनी थी. उसने मुझे भी साथ आने का इशारा किया तो, मैं भी उसके पिछे पिछे सीडियाँ चढ़ने लगा.
मुझे कमरे से बाहर निकलते ना देख कर कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ. अभी तक कमरे मे ही क्यो हो. पानी लेने क्यो नही जा रहे हो.”
मैं बोला “कैसे जाउ. किसी ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया है.”
कीर्ति बोली “ऐसा किसने किया होगा.”
मैं बोला “मेरे सोने के पहले प्रिया मेरे कमरे मे आई थी. शायद वो ही जाते जाते दरवाजा बाहर से बंद करके चली गयी.”
कीर्ति बोली “लेकिन उसने ऐसा क्यो किया होगा. उसे ऐसा करके क्या मिलेगा.”
मैं बोला “मुझे क्या मालूम. ये तो वो ही जाने.”
कीर्ति बोली “अब तुम क्या करोगे.”
मैं बोला “अब मैं सुबह होने का इंतजार करने के सिवा कर ही क्या सकता हूँ. सुबह निक्की मुझे जगाने आएगी. तब वो ही दरवाजा खोलेगी.”
कीर्ति बोली “तो क्या तुम सारी रात प्यासे ही रहोगे.”
मैं बोला “इसके सिवा मेरे पास रास्ता भी क्या है. अब इतनी रात को दरवाजा खटखटा कर, सबकी नींद तो खराब कर नही सकता.”
कीर्ति बोली “नही, मैं तुम्हे सारी रात प्यासा नही रहने दूँगी. तुम एक काम करो, निक्की को कॉल लगा कर दरवाजा खोलने को कह दो.”
मैं बोला “ये ठीक बात नही है. उस दिन भी निक्की को आधी रात को जगाया था. आज फिर उसको जगाना मुझे अच्छा नही लग रहा.”
कीर्ति बोली “तब फिर तुम प्रिया को कॉल करो. आख़िर दरवाजा भी तो, वो ही बंद करके गयी है.”
मैं बोला “प्रिया को तुम रहने ही दो. वो बहुत गहरी नींद मे सोती है. वो नही जागेगी.”
कीर्ति बोली “तुम कॉल लगाओ तो सही. वो जागती है या नही ये बाद मे देखेगे.”
मैं बोला “यदि वो जाग भी गयी तो, इतनी रात को मेरे दिमाग़ का दही बनाए बिना यहाँ से जाएगी नही. इसलिए अच्छा यही है कि उसे सोने ही दिया जाए. वैसे भी सिर्फ़ 4 घंटे की ही तो बात है. मैं किसी तरह से काट लुगा.”
कीर्ति बोली “नही मैं तुम्हारी कोई बात नही सुनूँगी. इन 4 घंटों मे तो तुम्हारा प्यास से और भी बुरा हाल हो जाएगा. मैं तुम्हे इस तरह प्यास से तड़प्ता नही देख सकती. प्लीज़ मेरी खातिर एक बार प्रिया को कॉल लगाओ.”
मैं बोला “तू कहती है तो मैं प्रिया को कॉल लगा देता हूँ. मगर वो नही उठी तो, फिर किसी को कॉल करने को मत बोलना और यदि उठ गयी तो, उसका तमाशा खुद ही देख लेना.”
कीर्ति बोली “तुम कॉल लगाओ ना. मुझे उम्मीद है कि वो ज़रूर उठ जाएगी.”
कीर्ति की बात सुनकर मैने प्रिया को कॉल लगा दिया और मेरे पहले ही कॉल मे प्रिया से कॉल उठा भी लिया. वो बहुत ज़्यादा नींद मे लग रही थी. उसने कॉल उठाते ही उनीदी सी आवाज़ मे कहा.
प्रिया बोली “हाँ बोलो, क्या हुआ. इतनी रात को मेरी याद कैसे आ गयी.”
मैं बोला “याद आई नही है. तुमने याद करने पर मजबूर कर दिया है.”
प्रिया बोली “क्यो, अब मैने ऐसा क्या कर दिया है.”
मैं बोला “तुम जाते जाते मेरे कमरे का दरवाजा बाहर से बंद करके चली गयी और अब मुझे प्यास लगी है तो, मैं पानी लेने भी बाहर नही जा पा रहा हूँ.”
मेरी बात सुनते ही प्रिया की सारी नींद भाग गयी. वो मुझे यकीन दिलाते हुए कहने लगी.
प्रिया बोली “कसम से मैने तुम्हारे कमरे का दरवाजा बंद नही किया है. मैं तो उसे ऐसे ही लटका कर आ गयी थी.”
मैं बोला “यदि तुमने दरवाजा बंद नही किया है तो, फिर किसने बंद किया है.”
प्रिया बोली “मुझे क्या मालूम. मैं तो तुम्हारे पास से सीधे अपने कमरे मे आकर सो गयी थी और अब तुम्हारे कॉल करने पर ही जागी हूँ.”
मैं बोला “चलो दरवाजा तुमने बंद नही किया है. लेकिन तुम अभी आकर दरवाजा खोल तो सकती हो ना.”
प्रिया बोली “हाँ हाँ, तुम रूको, मैं अभी आती हूँ.”
ये कह कर प्रिया ने फोन रख दिया. उसके फोन रखते ही कीर्ति ने पुछा.
कीर्ति बोली “क्या प्रिया आ रही है.”
मैं बोला “हाँ, वो आ रही है. लेकिन वो कह रही थी कि, दरवाजा उसने बंद नही किया है.”
कीर्ति बोली “यदि प्रिया ने दरवाजा बंद नही किया है तो, फिर दरवाजा किसने और क्यो बंद किया है.”
मैं बोला “अब ये तो दरवाजा बंद करने वाला ही जाने की उसने दरवाजा क्यो बंद किया है.”
मैं अभी कीर्ति से बात कर ही रहा था कि, मुझे दरवाजे पर किसी के होने की आहट हुई. मैं समझ गया कि प्रिया है. मैं बेड से उठ कर खड़ा हुआ. तभी प्रिया दरवाजा खोल कर अंदर आ गयी.
उसके हाथ मे पानी की बोतल थी. उसने मुझे पानी की बोतल दी और फिर बेड पर बैठ गयी. मैने पानी पिया और उस से कहा.
मैं बोला “सॉरी, तुम्हे इतनी रात को परेशान किया. यदि तुम्हारी नींद नही खुलती तो, सच मे मेरा प्यास के मारे बुरा हाल हो गया होता.”
प्रिया बोली “ऐसा कैसे हो सकता है कि, तुम मुझे जगाओ और मेरी नींद ना खुले. ये बात और है कि तुम कभी मुझे जगाते ही नही हो.”
मैं बोला “आज तो जगा दिया ना. अब तो खुश हो.”
प्रिया बोली “बहुत खुश हूँ. इसी खुशी मे सोच रही हूँ कि, यही तुम्हारे साथ ही सो जाउ.”
मैं बोला “अब इतनी रात को अपना नाटक शुरू मत करो. चुपचाप जाकर सो जाओ और मुझे भी सोने दो.”
प्रिया बोली “मैं तुम्हे सोने से कहाँ मना कर रही हू. मैं तो बस इतना ही बोल रही हूँ कि, मैं भी यही सो जाती हूँ.”
मैं बोला “तुम फिर शुरू हो गयी ना. इसी वजह से मैं तुम्हे जगाना नही चाहता था. तुम्हे जगा कर मैने सच मे ग़लती कर दी है.”
प्रिया बोली “अरे इतना भड़क क्यो रहे हो. मैं तो सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी. तुम्हे मेरा मज़ाक करना पसंद नही है तो, मैं अब कोई मज़ाक नही करूगी. अब बताओ क्या करना है.”
मैं बोला “कुछ नही करना है. तुमने इतनी रात को उठ कर मेरी मदद की, उसके लिए थॅंक्स. अब मेरे उपर एक अहसान और करो. मुझे चैन से सोने दो और खुद भी जाकर सो जाओ.”
प्रिया बोली “इसका मतलब कि तुम मुझे अपने कमरे से भगा रहे हो. सोच लो, ये तुम मेरे साथ अच्छा नही कर रहे हो.”
मैं बोला “यार मेरा कहने का तुम ग़लत मतलब निकाल रही हो. मैं तो सिर्फ़ इतना कहना चाहता था कि, अभी रात बहुत हो गयी है. मुझे सोना है और तुम भी अपने कमरे मे जाकर सो जाओ.”
प्रिया बोली “मैं सब समझती हूँ. तुम मुझे हमेशा अपने पास से भगाने की कोसिस करते हो और अभी मुझे अपने कमरे से निकाल रहे हो.”
मैं बोला “नही तुम मेरी बात को नही समझ रही हो. इतनी रात को तुम्हारा मेरे कमरे मे अकेले रहना अच्छी बात नही है. यदि किसी ने देख लिया तो, वो इसका ग़लत मतलब निकालेगा. प्लीज़ मेरे कहने का मतलब समझने की कोसिस करो.”
प्रिया बोली “ओके ओके, मैं समझ गयी. अभी तो मैं जाती हूँ. लेकिन बाद मे तुमसे इस बात का बदला लेकर रहूगी.”
ये कह कर प्रिया बेड से उठ कर खड़ी हो गयी और फिर जाने लगी. मैं भी उसके पिछे पिछे, उसे दरवाजे तक छोड़ने आया. दरवाजे पर पहुच कर उसने मुझे गुड नाइट कहा और फिर जाने लगी.
मैं उसे जाते हुए देख रहा था. तभी पापा के कमरे के सामने से गुज़रते हुए उसके कदम रुक गये. उसने पलट कर मेरी तरफ देखा. मैं समझा कि वो मुझे देख रही है कि, मैं अभी खड़ा हूँ या नही, इसलिए मैने उसे देख कर मुस्कुरा दिया.
लेकिन उसने मेरी मुस्कुराहट का कोई जबाब नही दिया और पापा के कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ गयी. वहाँ पहुच कर उसने दरवाजे पर अपने कान लगा दिए. मुझे उसकी ये हरकत अजीब लगी. इसलिए मैं भी ये देखने उसके पास आ गया की, ये क्या कर रही है.
उसने मुझे आते देख कर चुप रहने का इशारा किया और फिर से अपने कान दरवाजे पर लगा दिए. मैने उसे फिर से ऐसा करते देखा तो धीरे से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ. ये क्या कर रही हो.”
प्रिया ने भी धीरे से जबाब दिया.
प्रिया बोली “मुझे अभी अंकल के कमरे से किसी लड़की की आवाज़ आई.”
प्रिया की इस बात को सुनते ही मेरी आँखों मे रिया का चेहरा घूम गया. मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि, यदि सच मे प्रिया ने सच मे पापा के कमरे से किसी लड़की की आवाज़ सुनी है तो. वो लड़की रिया के सिवा कोई और नही हो सकती थी. लेकिन मैने प्रिया के सामने लापरवाही से कहा.
मैं बोला “इतनी रात को कोई लड़की भला यहाँ कहाँ से आ जाएगी. हो सकता है कि तुम्हे कोई वहम हुआ हो.”
प्रिया बोली “नही, मैने बिल्कुल साफ आवाज़ सुनी है. रूको अभी सब पता चल जाएगा.”
ये कह कर प्रिया दरवाजे से अलग हुई और फिर कमरे के पास बनी सीडियों की तरफ जाने लगी. जो शायद उपर छत पर जाने के लिए बनी थी. उसने मुझे भी साथ आने का इशारा किया तो, मैं भी उसके पिछे पिछे सीडियाँ चढ़ने लगा.