desiaks
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पहले तो निक्की को कुछ समझ मे नही आया कि, मैं उसे अपना मोबाइल क्यों दे रहा हूँ. लेकिन जब उसने मोबाइल हाथ मे लिया तो, उसे उस मे कीर्ति का एस.एम.एस दिखाई दिया. एस.एम.एस देखते ही निक्की समझ गयी की, किसी बात पर कीर्ति मुझसे नाराज़ हो गयी है. उसने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “अब क्या हुआ. फिर किसी बात पर आप दोनो लड़ गये क्या.”
मैं बोला “मैं कहाँ लड़ा, वो भी आपकी तरह ही, बिना किसी बात के, मुझसे नाराज़ हो गयी है.”
ये कह कर, मैने निक्की को, छोटी माँ से बात करते समय कीर्ति के कॉल आने की बात बता दी. जिसे सुनकर निक्की ने कहा.
निक्की बोली “ये तो कोई बड़ी बात नही है. आप उसे सारी सच्चाई बता दो. उसकी नाराज़गी दूर हो जाएगी.”
मैं बोला “सच्चाई तो तब बताउन्गा. जब वो मेरा कॉल उठाए. वो मेरा कॉल ही नही उठा रही है. इसलिए मैने उसे एस.एम.एस किया था. उसके बदले मे, उसका ये एस.एम.एस आया है.”
निक्की बोली “इस एस.एम.एस से तो, वो सच मे बहुत नाराज़ लग रही है. वैसे आपने उसको मनाने के लिए क्या एस.एम.एस किया था.”
मैने निक्की को अपना भेजा हुआ एस.एम.एस दिखाया तो, उसको हँसी आ गयी. उसने हंसते हुए मुझसे कहा.
निक्की बोली “आप उसको मना रहे थे, या फिर उसको उसकी ग़लती बता रहे थे.”
मैं बोला “मैं कोई शायर तो हूँ नही. मेरे पास मेहुल के मोबाइल से ली हुई जो शायरी थी. उसी मे से दो शायरी ढूँढ कर, आप दोनो को मनाने के लिए सेंड कर दी. अब मुझे क्या मालूम था कि, उसे मेरी भेजी शायरी पसंद नही आएगी.”
निक्की बोली “क्या शायरी भेजना ज़रूरी थी. यदि शायरी नही आती तो, सीधे एक सॉरी का एस.एम.एस कर देते. वो उसी मे खुश हो जाती.”
अभी मेरी निक्की इस बात का कोई जबाब दे पाता. उस से पहले ही कीर्ति का दूरा एस.एम.एस आ गया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“होंटो को मुस्कुराने की हसरत नही रही,
कोई हमे भी चाहे, ये चाहत नही रही,
दिल को है यक़ीन कि कोई ना आएगा मनाने को,
ये सोच कर अब रूठ जाने की आदत ही नही रही.”
कीर्ति का एस.एम.एस देख कर मुझे लगा कि वो मुझसे कुछ ज़्यादा ही नाराज़ है. मैने वो एस.एम.एस निक्की को दिखाया तो, निक्की हँसने लगी. मैने निक्की को हंसते हुए देखा तो कहा.
मैं बोला “भला ये क्या बात हुई. ऐसे समय मे आपको, कीर्ति को मनाने मे, मेरी मदद करना चाहिए तो, आप मेरी हालत पर हंस रही है.”
निक्की बोली “अब बात ही हँसने की है तो, हंस रही हूँ. मुझे लगता है कि, वो आपसे नाराज़ नही है. बस आपको थोड़ा सा सता रही है.”
मैं बोला “ऐसा क्यो. यदि वो नाराज़ नही है तो, फिर मुझे क्यो सता रही है.”
निक्की बोली “शायद वो चाहती है कि, आप उसे मनाओ. इसलिए तो वो बार बार मनाने वाले एस.एम.एस भेज रही है.”
मैं बोला “यदि ऐसी बात है तो, मैं अभी कॉल करके उसे मना लेता हू.”
ये कह कर मैं कीर्ति को कॉल करने को हुआ. मगर निक्की ने कॉल करने से रोकते हुए कहा.
निक्की बोली “रुकिये, ये क्या कर रहे है. उसको उसी के तरीके से मनाइए.”
मैं बोला “कैसे.”
निक्की बोली “लाइए, मोबाइल मुझे दीजिए.”
निक्की की बात सुनकर मैने निक्की को मोबाइल दे दिया. निक्की ने मोबाइल लेकर एक एस.एम.एस टाइप किया और कीर्ति को सेंड कर दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“मुझसे रूठना मत,
मुझे मनाना नही आता,
मुझसे दूर मत जाना,
मुझे बुलाना नही आता ,
तुम मुझे भूल जाओ,
ये तुम्हारी मर्ज़ी,
पर मैं क्या करूँ,
मुझे भूलना नही आता.”
निक्की के एस.एम.एस सेंड करने के कुछ ही देर बाद, कीर्ति का एस.एम.एस भी आ गया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“दर्द होता नही दुनिया को बताने के लिए,
हर कोई रोता नही आँसू बहाने के लिए,
रूठने का मज़ा तो तब है,
जब कोई अपना हो मनाने के लिए.”
कीर्ति का एस.एम.एस देखते ही, निक्की के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उसने मुझे एस.एम.एस दिखाते हुए कहा.
निक्की बोली “कीर्ति का एस.एम.एस देखा. उसने फिर मनाने वाला ही एस.एम.एस भेजा है.”
मैं बोला “वो तो ठीक है. लेकिन अब उसके इस एस.एम.एस का जबाब क्या दें.”
निक्की बोली “रुकिये,थोड़ा सोचने दीजिए.”
ये बोल कर निक्की कुछ सोचने लगी. थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने एक एस.एम.एस टाइप किया और कीर्ति को भेज दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“माना कि मोहब्बत जताना हम को आता नही,
शरारतों से अपनी मैं तुमको सताता नही,
सहता हूँ नाज़-नखरे तेरी मोहब्बत मे,
फिर ना कहना कि ये आशिक़ तुमको मनाता नही.”
निक्की के एस.एम.एस सेंड करने के कुछ ही देर बाद, कीर्ति का एस.एम.एस आ गया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“ये मेरा रूठना तुझ से, तेरा मुझ को मना लेना,
मोहब्बत की निशानी है, गले मुझको लगा लेना,
मोहब्बत जिस से होती है, उसी पे मान होता है,
जो मैं फिर रूठ जाउ तो, मुझे तुम फिर मना लेना,
आन से दूर ही रहना, कि ये सब कुछ मिटा देगी,
आन के खेल से खुद को, हर सूरत बचा लेना,
मोहब्बत के समंदर मे, कभी तूफान भी उठता है,
इस तूफान मे जान तुम, मुझे कश्ती बना लेना,
अगेर डूबेंगे हम दोनो, तो एक साथ ही डूबेंगे,
मेरा तुम से ये वादा है, मगर तुम भी साथ निभा लेना.”
निक्की ने कीर्ति का एस.एम.एस मुझे दिखया और फिर एक एस.एम.एस टाइप करके कीर्ति को भेज दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“जो किया है तुमने वादा, वो उमर भर निभाना,
मेरी ज़िंदगी है तुमसे, कहीं तुम बदल ना जाना,
जो छुपि थी बात दिल मे, वो लबों पे आ गयी है,
मेरे दिल की धड़कने है, तेरे प्यार का फसाना,
तेरे प्यार की निशानी, मुझे ज़िंदगी से प्यारी,
मेरे प्यार की गवाही, ये मेरा तुझे मनाना,
जो किया है तुमने वादा, वो उमर भर निभाना,
मेरी ज़िंदगी है तुमसे, कहीं तुम बदल ना जाना.”
निक्की के एस.एम.एस सेंड करने के कुछ ही देर बाद, कीर्ति का जबाब भी आ गया. निक्की ने एस.एम.एस देख कर मुस्कुराते हुए, मोबाइल मेरी तरफ बढ़ा दिया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“बात बात पर सताना अच्छा लगता है,
अपनी शरारतों से प्यार जताना अच्छा लगता है,
मनाते हो जब तुम इस शरारती अंदाज़ से,
वो वक्त बहुत ही सुहाना लगता है.”
मैने कीर्ति का एस.एम.एस देखा तो, मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. मैने वापस मोबाइल निक्की को दे दिया. निक्की ने फिर एक एस.एम.एस टाइप करके कीर्ति को भेज दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“कहते नही कुछ भी हम से वो सीधे-सीधे,
पर बात बात पर हज़ूर रूठ जाएँगे,
मनाओ जो उनको तो कहते है कि हम गुस्सा नही,
आँखों मे भर पानी, फिर गले लग जाएँगे,
प्यार का ये अंदाज़ भी उनका निराला है,
अभी हुई है सुलह, देखो अभी फिर से रूठ जाएँगे.”
थोड़ी ही देर मे फिर से कीर्ति का जबाब आ गया. निक्की ने एस.एम.एस देख कर मोबाइल मुझे दे दिया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“तुमसे रोज़ मिलने को दिल चाहता है,
कुछ सुनने सुनने को दिल चाहता है,
था तुम्हारे मनाने का अंदाज़ कुछ ऐसा,
कि फिर से रूठ जाने को दिल चाहता है.”
मैं कीर्ति का एस.एम.एस पढ़ने के बाद मोबाइल वापस निक्की को देने लगा तो, निक्की ने कहा.
निक्की बोली “अब बस, अभी के लिए इतना काफ़ी है. अब उसको कॉल करके बात कर लीजिए. यदि फिर वो नाराज़ हो जाए तो, मुझे बुला लीजिएगा. अब मैं चलती हूँ.”
ये बोल कर निक्की हंसते हुए, मेरे पास से उठ कर वापस वेटिंग लाउंज की तरफ चल दी. मैं निक्की को जाते हुए देखता रहा और जब निक्की मेरी नज़रों से ओझल हो गयी तो, मैने कीर्ति को कॉल लगा दिया.
मेरा कॉल आते देख कर, कीर्ति ने फ़ौरन मेरा कॉल काट कर, मुझे वापस कॉल लगा दिया. मैने जैसे ही कॉल उठाया, मुझे कीर्ति के गाना गाने की आवाज़ सुनाई दी.
वो बड़ी मस्ती मे ज़ोर ज़ोर से गा रही थी. ऐसा लग रहा था, जैसे कि वो गाना गाते गाते नाच भी रही थी. मैं चुप चाप उसका गाना सुनने लगा.
कीर्ति का गाना
“ये गोरे गोरे से छोरे,
ये गोरे गोरे से छोरे,
ये इश्क इश्क चिल्लाते है, ऊवू येआः,
ये गली गली मंडराते है, ऊवू येआः,
शादी की डगर ना जाए मगर,
ये गोरे गोरे से छोरे,
ये गोरे गोरे से छोरे,
अंदर से चाहे कुछ भी हो ये,
अदा मगर है हीरो वाली,
दिन रात किताबें पढ़ते है ये,
लड़की की तस्वीरों वाली,
कहीं जीवन मेला ओये शावा,
पर शादी जमेला ओये शावा,
दरवाजा इन्हे दिखलाओ ज़रा,
ये गोरे गोरे से छोरे,
ये गोरे गोरे से छोरे.”
कीर्ति का गाना सुनकर मुझे हँसी भी आ रही थी और उसे इस तरह खुश देख कर दिल को शुकून भी मिल रहा था. मैं खामोशी से उसका गाना सुनता रहा और उसकी उच्छल कूद को महसूस करता रहा.
जब वो गाना गाना बंद हुआ और उसकी उच्छल कूद रुकी तो, मैने उसे टोकते हुए कहा.
मैं बोला “ये सब क्या चल रहा था. मैं कब से फोन पर हूँ.”
लेकिन आज कीर्ति कुछ अलग ही मूड मे लग रही थी. उसने मेरी बात को अनसुना करके दूसरा गाना गाना सुरू कर दिया और मैं खुद भी उसके इस गाने को सुन कर किसी दूसरी दुनिया मे खो सा गया.
कीर्ति का गाना
“माए नि माए मुंधेर पे तेरी बोल रहा है काग़ा
जोगन हो गई तेरी दुलारी, मन जोगी संग लागा
छन माहिया छन माहिया मेरे ढोल सिपाहिया
छन माहिया छन माहिया मेरे ढोल सिपाहिया
चाँद की तरह चमक रही थी उस जोगी की काया
मेरे द्वारे आके उसने प्यार का अलख जगाया
अपने तन पे भस्म रामा के सारी रैन वो जागा
जोगन हो गयी तेरी दुलारी मन जोगी संग लागा
सुन हीरिए नाच हीरिए नाच के राग जमा
सुन हीरिए नाच हीरिए नाच के धूम मचा
मन्नत माँगी थी तूने एक रोज़ मैं जाऊं बिहाई
उस जोगी के संग मेरी तू कर दे अब कुरमाई
इन हाथों पे लगा दे महेंडी, बाँध शगुन का धागा
जोगन हो गयी तेरी दुलारी मन जोगी संग लागा
माए नि माए मुंधेर पे तेरी बोल रहा है काग़ा
जोगन हो गई तेरी दुलारी, मन जोगी संग लगा.”
कीर्ति की सुरीली आवाज़ मे ये गाना सुनकर मैं सपनो की दुनिया मे पहुच गया. मुझे दुल्हन के लिबास मे सजी सँवरी कीर्ति नज़र आ रही थी और मैं उसी के दीदार मे खो गया.
मुझे पता ही नही चला की, कब कीर्ति का गाना ख़तम हो गया और वो मुझे खामोश देख कर हेलो हेलो कर रही थी. जब मैने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया तो, उसने मेरे दूसरे मोबाइल पर कॉल लगा दिया.
दूसरे मोबाइल पर कॉल आने से, मैं अपने सपनो की दुनिया से बाहर आ गया. मगर अब भी मेरे उपर उस सपने की खुमारी छाइ हुई थी. मैने उसी खुमारी भरे अंदाज़ मे कीर्ति से कहा.
मैं बोला “आइ लव यू जान, आइ रियली मिस यू. मुउउहह.”
कीर्ति बोली “आइ लव यू सो मच जान. मुऊऊउऊहह.”
इतना बोलने के बाद दोनो तरफ से एक गहरी खामोशी छा गयी. मेरे दिल मे कीर्ति को देखने की तड़प ने, मुझे खामोश कर दिया था. शायद यही हाल कीर्ति का भी था और वो भी कुछ बोल नही पा रही थी.
अचानक ही एक खुशनुमा महॉल, एक संजीदा महॉल मे बदल गया था. मगर अब मुझे अपनी तड़प से ज़्यादा, कीर्ति की हँसी की परवाह सता रही थी. मैं नही चाहता था कि, कीर्ति की हँसी खुशी, एक पल के लिए भी उस से दूर रहे.
इसलिए मैने फ़ौरन अपने आपको संभाला और अपनी तड़प को छिपा कर, कीर्ति को छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “गुड, बहुत अच्छी बात है. तू यहाँ डॅन्स कर रही है और मैं तुझे नाराज़ देख कर बेकार मे ही परेशान हुआ पड़ा था.”
मेरी बात सुनते ही कीर्ति की हँसी छूट गयी. उसने मासूम बनते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं कहाँ तुमसे नाराज़ थी.”
मैं बोला “यदि नाराज़ नही थी तो, फिर मेरा कॉल क्यो नही उठा रही थी.”
कीर्ति बोली “वो तो मैने इसलिए नही उठाया था, क्योकि जब मैने तुमको कॉल लगाई थी तो, तुमने मेरा कॉल नही उठाया था.”
मैं बोला “तब मैं छोटी मा से बात कर रहा था. तुझे मेरा फोन बिज़ी देख कर समझ जाना चाहिए था कि, मैं किसी से बात कर रहा हूँ.”
कीर्ति बोली “वो तो मुझे मालूम था कि, तुम मौसी से बात कर रहे हो, इसीलिए तो मैं कॉल लगा रही थी.”
मैं बोला “जब तुझे मालूम था कि, मेरी छोटी माँ से बात चल रही है तो, फिर तुझे बार बार कॉल करने की ज़रूरत क्या थी.”
कीर्ति बोली “मुझे सुनना था कि, ऐसी क्या बात चल रही है, जिसे सुनकर मौसी रोने लगी थी.”
मैं बोला “अब तू छोटी माँ की जासूसी भी करने लगी है.”
कीर्ति बोली “इसमे जासूसी की बात कहाँ से आ गयी. मैं मौसी के कमरे मे काम से गयी थी तो, उन्हे फोन पर बात करते करते रोते देखा. उनकी बातों से समझ मे आया कि, वो तुमसे बात कर रही है. इसलिए मैने तुमको कॉल लगा रही थी. लेकिन तुमने मेरा कॉल उठाया ही नही.”
मैं बोला “तो इसमे कौन सी बड़ी भारी बात हो गयी थी. तू मुझसे बाद मे भी पुछ सकती थी. क्या कभी मैं तुझसे कोई बात छिपाता हूँ.”
कीर्ति बोली “नही छिपाते, लेकिन मेरा बात सुनने का मन था.”
मैं बोला “तू बात सुन भी लेती तो, उस से क्या हो जाता. यदि बात सुनने के बाद मैं तुझसे कुछ पुछ्ता तो, तू ये ही कहती कि, अब इसमे, मैं क्या बोलू, तुम्हे जो ठीक लगे, वो तुम करो.”
मेरी बात सुनते ही कीर्ति समझ गयी कि, उसने सुबह प्रिया की बात पर, जो जबाब मुझे दिया था, मैं उसी जबाब को, उसके सामने दोहरा रहा हूँ. उसने अपनी ग़लती मानने वाले अंदाज़ मे कहा.
कीर्ति बोली “सॉरी जान, मैं जानती हूँ कि, तुम्हे मेरी सुबह की बात बुरी लगी है.”
मैं बोला “मुझे तेरी इस बात का ज़रा भी बुरा नही लगा. मुझे तो बस ये बात खराब लगी कि, उस समय तेरे मन मे, कोई बात चल रही थी. मगर तूने वो बात मुझे नही बताई.”
कीर्ति बोली “जान इसके लिए भी सॉरी. मैने ग़लती की थी. मुझे अपने मन की बात, तुमसे बोल देनी चाहिए थी.”
मैं बोला “अब सॉरी सॉरी ही करती रहेगी या बताएगी भी कि, उस समय तुझे क्या बात परेशान कर रही थी, जो तूने मुझे इस तरह का जबाब दिया था.”
कीर्ति बोली “जान, प्रिया का रोना देख कर, मुझे उस पर बहुत दया आ रही थी. मेरा दिल कर रहा था कि, तुम उसकी बात मान कर, वही रुक जाओ. लेकिन तुमने मेरी वजह से उसकी बात नही मानी और उसे रोता हुआ छोड़ कर आ गये.”
“मेरे सामने उसका वही बिलख बिलख कर रोना घूम रहा था और मुझे लग रहा था. वो दिल की मरीज भी है और इस तरह से रोना उसके लिए ख़तरनाक भी हो सकता था. बस यही सब सोच कर मुझे लगने लगा था कि, उसकी ग़लती की उसे बहुत बड़ी सज़ा दी जा रही है.”
“उस समय मेरा मन प्रिया की हालत देख कर दुखी था. लेकिन तुमसे ये सब करने को भी तो, मैने ही कहा था. फिर मैं तुमसे ये बात किस मूह से कहती कि, तुमने उसकी बात ना मान कर ग़लत किया है. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मैं तुम्हारी बात का जबाब दूं. इसलिए मैने तुम्हे वो जबाब दे दिया था.”
इतना बोल कर कीर्ति चुप हो गयी. लेकिन उसके दिल की गहराई को देख कर मुझे उस पर बहुत प्यार आया और मैने उस से कहा.
मैं बोला “तेरा दिल सच मे सोने का है. जिसमे किसी के लिए भी, ज़रा सी खोट नही है.”
मेरी बात के पूरा होने के पहले ही कीर्ति ने मेरी बात को काटते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ओये, अब मस्का लगाना छोड़ो और ये बताओ कि, तुम आज दिन भर सोए क्यो नही. तुम्हे तो आज से रात को हॉस्पिटल मे रुकना था ना. यदि तुम अभी 7 बजे तक जाग रहे हो तो, फिर रात को हॉस्पिटल मे कैसे रुकोगे.”
कीर्ति की बात सुनकर मैने उसे प्रिया की तबीयत के बारे मे बता दिया. जिसे सुनकर उसे प्रिया की चिंता होने लगी और उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “जान, प्रिया ठीक तो हो जाएगी ना. उसे कुछ होगा तो नही.”
मेरे कीर्ति की बात का, कुछ जबाब दे पाने से पहले ही, मुझे निक्की मेरे पास आती दिखी तो, मैने कीर्ति को कुछ देर रुकने को कहा. तब तक निक्की मेरे पास आ चुकी थी. निक्की ने मेरे पास आते ही कहा.
निक्की बोली “प्रिया नींद से उठ गयी है और उसे जो साँस लेने मे परेशानी हो रही थी, वो भी अब ठीक हो गयी है. लेकिन उसके रक्त का दबाव (ब्लड प्रेशर) अभी भी सामान्य (नॉर्मल) से कम है. जिसे ठीक होने मे समय लगेगा. मगर डॉक्टर. ने एक एक करके सबको उस से मिलने की इजाज़त दे दी है. आप भी चल कर उस से मिल लीजिए.”
मैं बोला “ठीक है, जब आप मिलने जाए तो, मुझे भी बुला लीजिएगा.”
मेरी बात सुनकर निक्की वापस चली गयी. निक्की के जाते ही मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “तूने प्रिया की तबीयत के बारे मे सुना.”
कीर्ति बोली “हाँ, ये बहुत अच्छा हुआ कि, उसे कुछ नही हुआ. वरना मैं जिंदगी भर अपने आपको कोस्ती रहती.”
मैं बोला “अब तो प्रिया ठीक है. फिर तू क्यो ये सब बेकार की बात सोच रही है. ये सब सोचना बंद कर और जैसे अभी इसके पहले खुश थी, वैसे ही खुश रह.”
मेरी बात सुनकर कीर्ति ने अपना मूड सही करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ओक जान, प्रिया के ठीक होने की खुशी मे, तुमको एक गाना और सुनाती हूँ.”
इतना बोल कर कीर्ति ने, बिना मेरा कोई जबाब सुने, फिर से अपनी मस्ती और उच्छल कूद सुरू कर दी.
कीर्ति का गाना
“ऐसा जादू डाला रे, ऐसा जादू डाला रे,
सूरमाई है उजाला रे, ऐसा जादू डाला रे,
जो मेरी ज़ुल्फो से खेले रे, बाहो मे मुझको लेले रे,
ऐसा है कोई दिलवाला रे, ऐसा है कोई दिलवाला रे,
ऐसा है कोई दिलवाला रे, ऐसा है कोई दिलवाला रे.”
कीर्ति अपनी मस्ती मे मस्त थी. मगर मैने उसको बीच मे ही रोकते हुए कहा.
मैं बोला “चल अब अपनी नौटंकी बंद कर और फोन रख. मुझे प्रिया को देखने भी जाना है.”
कीर्ति बोली “ओके जान, रात को बात करते है. मुऊऊुउऊहह.”
मैं बोला “मुऊऊऊहह.”
इसके बाद कीर्ति ने फोन रख दिया और मैं उठ कर वेटिंग लाउन्ज मे चला गया. एक एक करके सब प्रिया से मिलने जा रहे थे. जब निक्की प्रिया से मिलने जाने लगी तो, मैं भी उसके साथ हो गया.
मैं और निक्की जब आइसीयू मे पहुचे तो, वहाँ पर प्रिया के पास आंटी थी. उन्हो ने मुझे और निक्की को एक साथ देखा तो, वो उठ कर बाहर आ गयी. क्योकि वहाँ पर 2 से ज़्यादा लोगों को रहने की इजाज़त नही थी.
आंटी के जाते ही निक्की प्रिया के पास जाकर बैठ गयी और मैं उन दोनो के पास जाकर खड़ा हो गया. प्रिया की हालत अभी भी ठीक नही लग रही थी. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और निक्की की तरफ देखने लगी.
निक्की ने बड़े प्यार से प्रिया के हाथ को पकड़ा और फिर उसके हाथ को सहलाते हुए, उस से कहा.
निक्की बोली “तूने तो हम सब की जान ही निकाल दी थी. तू तो आराम से सो रही थी, लेकिन यहा 4 घंटे तक हम लोगों की जान पर बनी थी.”
इतना बोल कर निक्की फिर से प्रिया के हाथ को प्यार से सहलाने लगी. प्रिया की हालत देख कर ऐसा लग रहा था कि, जैसे उसमे कुछ बोलने की भी ताक़त नही है. मगर प्रिया ने फीकी सी मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखा और फिर बड़ी ही धीमी सी आवाज़ मे, निक्की की बात का जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “कोई मुझे छोड़ कर भागने की कोशिश कर रहा था. लेकिन मैं भी इतनी जिद्दी हूँ कि, उसके पिछे पिछे यहाँ तक आ गयी. अब देखती हूँ कि, वो मुझे यहाँ से छोड़ कर कैसे भागता है.”
प्रिया की ये बात सुनकर निक्की के साथ साथ मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. निक्की ने प्रिया के गाल पर प्यार से एक चपत लगते हुए कहा.
निक्की बोली “तू नही सुधरेगी कमीनी. ऐसी हालत मे भी तुझे मज़ाक सूझ रहा है.”
प्रिया ने एक बार फिर से मेरी तरफ देखा और निक्की से कहा.
प्रिया बोली “हाँ, इतनी बुरी दिखने लगी हूँ कि, लोग मुझे देख कर मन ही मन मुस्कुरा रहे है.”
मैं और निक्की, दोनो ही प्रिया की बात का मतलब समझ गये थे. लेकिन मैं चुप ही रहा और प्रिया की बातों का मज़ा लेता रहा. जबकि निक्की ने फिर से प्रिया के गाल पर, प्यार से एक चपत मारी और उस से कहा.
निक्की बोली “कमीनी अब चुप भी कर, ज़्यादा मत बोल, अभी तुझे आराम की ज़रूरत है.”
मगर प्रिया तो प्रिया ही थी. वो भला इतनी आसानी से कहाँ चुप होने वाली थी. मुझे अपने पास पाकर उसके दिल को जो राहत मिली थी. अब वही राहत उसे, ऐसी हालत मे भी, बात करने की ताक़त दे रही थी और उसको उसके असली रंग मे वापस ला रही थी.
निक्की की बात, सुनने के बाद, प्रिया अपने हाथ को, धीरे से निक्की के हाथ से छुड़ाने लगी. इस से पहले कि, मैं और निक्की उसकी इस हरकत का कुछ मतलब समझ पाते, उसने अपने हाथ को निक्की के हाथ से छुड़ाया और फिर हाथ उठा कर, अपनी उंगली से मुझे अपने पास आने का इशारा किया.
पहले तो निक्की को कुछ समझ मे नही आया कि, मैं उसे अपना मोबाइल क्यों दे रहा हूँ. लेकिन जब उसने मोबाइल हाथ मे लिया तो, उसे उस मे कीर्ति का एस.एम.एस दिखाई दिया. एस.एम.एस देखते ही निक्की समझ गयी की, किसी बात पर कीर्ति मुझसे नाराज़ हो गयी है. उसने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “अब क्या हुआ. फिर किसी बात पर आप दोनो लड़ गये क्या.”
मैं बोला “मैं कहाँ लड़ा, वो भी आपकी तरह ही, बिना किसी बात के, मुझसे नाराज़ हो गयी है.”
ये कह कर, मैने निक्की को, छोटी माँ से बात करते समय कीर्ति के कॉल आने की बात बता दी. जिसे सुनकर निक्की ने कहा.
निक्की बोली “ये तो कोई बड़ी बात नही है. आप उसे सारी सच्चाई बता दो. उसकी नाराज़गी दूर हो जाएगी.”
मैं बोला “सच्चाई तो तब बताउन्गा. जब वो मेरा कॉल उठाए. वो मेरा कॉल ही नही उठा रही है. इसलिए मैने उसे एस.एम.एस किया था. उसके बदले मे, उसका ये एस.एम.एस आया है.”
निक्की बोली “इस एस.एम.एस से तो, वो सच मे बहुत नाराज़ लग रही है. वैसे आपने उसको मनाने के लिए क्या एस.एम.एस किया था.”
मैने निक्की को अपना भेजा हुआ एस.एम.एस दिखाया तो, उसको हँसी आ गयी. उसने हंसते हुए मुझसे कहा.
निक्की बोली “आप उसको मना रहे थे, या फिर उसको उसकी ग़लती बता रहे थे.”
मैं बोला “मैं कोई शायर तो हूँ नही. मेरे पास मेहुल के मोबाइल से ली हुई जो शायरी थी. उसी मे से दो शायरी ढूँढ कर, आप दोनो को मनाने के लिए सेंड कर दी. अब मुझे क्या मालूम था कि, उसे मेरी भेजी शायरी पसंद नही आएगी.”
निक्की बोली “क्या शायरी भेजना ज़रूरी थी. यदि शायरी नही आती तो, सीधे एक सॉरी का एस.एम.एस कर देते. वो उसी मे खुश हो जाती.”
अभी मेरी निक्की इस बात का कोई जबाब दे पाता. उस से पहले ही कीर्ति का दूरा एस.एम.एस आ गया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“होंटो को मुस्कुराने की हसरत नही रही,
कोई हमे भी चाहे, ये चाहत नही रही,
दिल को है यक़ीन कि कोई ना आएगा मनाने को,
ये सोच कर अब रूठ जाने की आदत ही नही रही.”
कीर्ति का एस.एम.एस देख कर मुझे लगा कि वो मुझसे कुछ ज़्यादा ही नाराज़ है. मैने वो एस.एम.एस निक्की को दिखाया तो, निक्की हँसने लगी. मैने निक्की को हंसते हुए देखा तो कहा.
मैं बोला “भला ये क्या बात हुई. ऐसे समय मे आपको, कीर्ति को मनाने मे, मेरी मदद करना चाहिए तो, आप मेरी हालत पर हंस रही है.”
निक्की बोली “अब बात ही हँसने की है तो, हंस रही हूँ. मुझे लगता है कि, वो आपसे नाराज़ नही है. बस आपको थोड़ा सा सता रही है.”
मैं बोला “ऐसा क्यो. यदि वो नाराज़ नही है तो, फिर मुझे क्यो सता रही है.”
निक्की बोली “शायद वो चाहती है कि, आप उसे मनाओ. इसलिए तो वो बार बार मनाने वाले एस.एम.एस भेज रही है.”
मैं बोला “यदि ऐसी बात है तो, मैं अभी कॉल करके उसे मना लेता हू.”
ये कह कर मैं कीर्ति को कॉल करने को हुआ. मगर निक्की ने कॉल करने से रोकते हुए कहा.
निक्की बोली “रुकिये, ये क्या कर रहे है. उसको उसी के तरीके से मनाइए.”
मैं बोला “कैसे.”
निक्की बोली “लाइए, मोबाइल मुझे दीजिए.”
निक्की की बात सुनकर मैने निक्की को मोबाइल दे दिया. निक्की ने मोबाइल लेकर एक एस.एम.एस टाइप किया और कीर्ति को सेंड कर दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“मुझसे रूठना मत,
मुझे मनाना नही आता,
मुझसे दूर मत जाना,
मुझे बुलाना नही आता ,
तुम मुझे भूल जाओ,
ये तुम्हारी मर्ज़ी,
पर मैं क्या करूँ,
मुझे भूलना नही आता.”
निक्की के एस.एम.एस सेंड करने के कुछ ही देर बाद, कीर्ति का एस.एम.एस भी आ गया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“दर्द होता नही दुनिया को बताने के लिए,
हर कोई रोता नही आँसू बहाने के लिए,
रूठने का मज़ा तो तब है,
जब कोई अपना हो मनाने के लिए.”
कीर्ति का एस.एम.एस देखते ही, निक्की के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उसने मुझे एस.एम.एस दिखाते हुए कहा.
निक्की बोली “कीर्ति का एस.एम.एस देखा. उसने फिर मनाने वाला ही एस.एम.एस भेजा है.”
मैं बोला “वो तो ठीक है. लेकिन अब उसके इस एस.एम.एस का जबाब क्या दें.”
निक्की बोली “रुकिये,थोड़ा सोचने दीजिए.”
ये बोल कर निक्की कुछ सोचने लगी. थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने एक एस.एम.एस टाइप किया और कीर्ति को भेज दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“माना कि मोहब्बत जताना हम को आता नही,
शरारतों से अपनी मैं तुमको सताता नही,
सहता हूँ नाज़-नखरे तेरी मोहब्बत मे,
फिर ना कहना कि ये आशिक़ तुमको मनाता नही.”
निक्की के एस.एम.एस सेंड करने के कुछ ही देर बाद, कीर्ति का एस.एम.एस आ गया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“ये मेरा रूठना तुझ से, तेरा मुझ को मना लेना,
मोहब्बत की निशानी है, गले मुझको लगा लेना,
मोहब्बत जिस से होती है, उसी पे मान होता है,
जो मैं फिर रूठ जाउ तो, मुझे तुम फिर मना लेना,
आन से दूर ही रहना, कि ये सब कुछ मिटा देगी,
आन के खेल से खुद को, हर सूरत बचा लेना,
मोहब्बत के समंदर मे, कभी तूफान भी उठता है,
इस तूफान मे जान तुम, मुझे कश्ती बना लेना,
अगेर डूबेंगे हम दोनो, तो एक साथ ही डूबेंगे,
मेरा तुम से ये वादा है, मगर तुम भी साथ निभा लेना.”
निक्की ने कीर्ति का एस.एम.एस मुझे दिखया और फिर एक एस.एम.एस टाइप करके कीर्ति को भेज दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“जो किया है तुमने वादा, वो उमर भर निभाना,
मेरी ज़िंदगी है तुमसे, कहीं तुम बदल ना जाना,
जो छुपि थी बात दिल मे, वो लबों पे आ गयी है,
मेरे दिल की धड़कने है, तेरे प्यार का फसाना,
तेरे प्यार की निशानी, मुझे ज़िंदगी से प्यारी,
मेरे प्यार की गवाही, ये मेरा तुझे मनाना,
जो किया है तुमने वादा, वो उमर भर निभाना,
मेरी ज़िंदगी है तुमसे, कहीं तुम बदल ना जाना.”
निक्की के एस.एम.एस सेंड करने के कुछ ही देर बाद, कीर्ति का जबाब भी आ गया. निक्की ने एस.एम.एस देख कर मुस्कुराते हुए, मोबाइल मेरी तरफ बढ़ा दिया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“बात बात पर सताना अच्छा लगता है,
अपनी शरारतों से प्यार जताना अच्छा लगता है,
मनाते हो जब तुम इस शरारती अंदाज़ से,
वो वक्त बहुत ही सुहाना लगता है.”
मैने कीर्ति का एस.एम.एस देखा तो, मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. मैने वापस मोबाइल निक्की को दे दिया. निक्की ने फिर एक एस.एम.एस टाइप करके कीर्ति को भेज दिया.
निक्की का एस.एम.एस
“कहते नही कुछ भी हम से वो सीधे-सीधे,
पर बात बात पर हज़ूर रूठ जाएँगे,
मनाओ जो उनको तो कहते है कि हम गुस्सा नही,
आँखों मे भर पानी, फिर गले लग जाएँगे,
प्यार का ये अंदाज़ भी उनका निराला है,
अभी हुई है सुलह, देखो अभी फिर से रूठ जाएँगे.”
थोड़ी ही देर मे फिर से कीर्ति का जबाब आ गया. निक्की ने एस.एम.एस देख कर मोबाइल मुझे दे दिया.
कीर्ति का एस.एम.एस
“तुमसे रोज़ मिलने को दिल चाहता है,
कुछ सुनने सुनने को दिल चाहता है,
था तुम्हारे मनाने का अंदाज़ कुछ ऐसा,
कि फिर से रूठ जाने को दिल चाहता है.”
मैं कीर्ति का एस.एम.एस पढ़ने के बाद मोबाइल वापस निक्की को देने लगा तो, निक्की ने कहा.
निक्की बोली “अब बस, अभी के लिए इतना काफ़ी है. अब उसको कॉल करके बात कर लीजिए. यदि फिर वो नाराज़ हो जाए तो, मुझे बुला लीजिएगा. अब मैं चलती हूँ.”
ये बोल कर निक्की हंसते हुए, मेरे पास से उठ कर वापस वेटिंग लाउंज की तरफ चल दी. मैं निक्की को जाते हुए देखता रहा और जब निक्की मेरी नज़रों से ओझल हो गयी तो, मैने कीर्ति को कॉल लगा दिया.
मेरा कॉल आते देख कर, कीर्ति ने फ़ौरन मेरा कॉल काट कर, मुझे वापस कॉल लगा दिया. मैने जैसे ही कॉल उठाया, मुझे कीर्ति के गाना गाने की आवाज़ सुनाई दी.
वो बड़ी मस्ती मे ज़ोर ज़ोर से गा रही थी. ऐसा लग रहा था, जैसे कि वो गाना गाते गाते नाच भी रही थी. मैं चुप चाप उसका गाना सुनने लगा.
कीर्ति का गाना
“ये गोरे गोरे से छोरे,
ये गोरे गोरे से छोरे,
ये इश्क इश्क चिल्लाते है, ऊवू येआः,
ये गली गली मंडराते है, ऊवू येआः,
शादी की डगर ना जाए मगर,
ये गोरे गोरे से छोरे,
ये गोरे गोरे से छोरे,
अंदर से चाहे कुछ भी हो ये,
अदा मगर है हीरो वाली,
दिन रात किताबें पढ़ते है ये,
लड़की की तस्वीरों वाली,
कहीं जीवन मेला ओये शावा,
पर शादी जमेला ओये शावा,
दरवाजा इन्हे दिखलाओ ज़रा,
ये गोरे गोरे से छोरे,
ये गोरे गोरे से छोरे.”
कीर्ति का गाना सुनकर मुझे हँसी भी आ रही थी और उसे इस तरह खुश देख कर दिल को शुकून भी मिल रहा था. मैं खामोशी से उसका गाना सुनता रहा और उसकी उच्छल कूद को महसूस करता रहा.
जब वो गाना गाना बंद हुआ और उसकी उच्छल कूद रुकी तो, मैने उसे टोकते हुए कहा.
मैं बोला “ये सब क्या चल रहा था. मैं कब से फोन पर हूँ.”
लेकिन आज कीर्ति कुछ अलग ही मूड मे लग रही थी. उसने मेरी बात को अनसुना करके दूसरा गाना गाना सुरू कर दिया और मैं खुद भी उसके इस गाने को सुन कर किसी दूसरी दुनिया मे खो सा गया.
कीर्ति का गाना
“माए नि माए मुंधेर पे तेरी बोल रहा है काग़ा
जोगन हो गई तेरी दुलारी, मन जोगी संग लागा
छन माहिया छन माहिया मेरे ढोल सिपाहिया
छन माहिया छन माहिया मेरे ढोल सिपाहिया
चाँद की तरह चमक रही थी उस जोगी की काया
मेरे द्वारे आके उसने प्यार का अलख जगाया
अपने तन पे भस्म रामा के सारी रैन वो जागा
जोगन हो गयी तेरी दुलारी मन जोगी संग लागा
सुन हीरिए नाच हीरिए नाच के राग जमा
सुन हीरिए नाच हीरिए नाच के धूम मचा
मन्नत माँगी थी तूने एक रोज़ मैं जाऊं बिहाई
उस जोगी के संग मेरी तू कर दे अब कुरमाई
इन हाथों पे लगा दे महेंडी, बाँध शगुन का धागा
जोगन हो गयी तेरी दुलारी मन जोगी संग लागा
माए नि माए मुंधेर पे तेरी बोल रहा है काग़ा
जोगन हो गई तेरी दुलारी, मन जोगी संग लगा.”
कीर्ति की सुरीली आवाज़ मे ये गाना सुनकर मैं सपनो की दुनिया मे पहुच गया. मुझे दुल्हन के लिबास मे सजी सँवरी कीर्ति नज़र आ रही थी और मैं उसी के दीदार मे खो गया.
मुझे पता ही नही चला की, कब कीर्ति का गाना ख़तम हो गया और वो मुझे खामोश देख कर हेलो हेलो कर रही थी. जब मैने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया तो, उसने मेरे दूसरे मोबाइल पर कॉल लगा दिया.
दूसरे मोबाइल पर कॉल आने से, मैं अपने सपनो की दुनिया से बाहर आ गया. मगर अब भी मेरे उपर उस सपने की खुमारी छाइ हुई थी. मैने उसी खुमारी भरे अंदाज़ मे कीर्ति से कहा.
मैं बोला “आइ लव यू जान, आइ रियली मिस यू. मुउउहह.”
कीर्ति बोली “आइ लव यू सो मच जान. मुऊऊउऊहह.”
इतना बोलने के बाद दोनो तरफ से एक गहरी खामोशी छा गयी. मेरे दिल मे कीर्ति को देखने की तड़प ने, मुझे खामोश कर दिया था. शायद यही हाल कीर्ति का भी था और वो भी कुछ बोल नही पा रही थी.
अचानक ही एक खुशनुमा महॉल, एक संजीदा महॉल मे बदल गया था. मगर अब मुझे अपनी तड़प से ज़्यादा, कीर्ति की हँसी की परवाह सता रही थी. मैं नही चाहता था कि, कीर्ति की हँसी खुशी, एक पल के लिए भी उस से दूर रहे.
इसलिए मैने फ़ौरन अपने आपको संभाला और अपनी तड़प को छिपा कर, कीर्ति को छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “गुड, बहुत अच्छी बात है. तू यहाँ डॅन्स कर रही है और मैं तुझे नाराज़ देख कर बेकार मे ही परेशान हुआ पड़ा था.”
मेरी बात सुनते ही कीर्ति की हँसी छूट गयी. उसने मासूम बनते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं कहाँ तुमसे नाराज़ थी.”
मैं बोला “यदि नाराज़ नही थी तो, फिर मेरा कॉल क्यो नही उठा रही थी.”
कीर्ति बोली “वो तो मैने इसलिए नही उठाया था, क्योकि जब मैने तुमको कॉल लगाई थी तो, तुमने मेरा कॉल नही उठाया था.”
मैं बोला “तब मैं छोटी मा से बात कर रहा था. तुझे मेरा फोन बिज़ी देख कर समझ जाना चाहिए था कि, मैं किसी से बात कर रहा हूँ.”
कीर्ति बोली “वो तो मुझे मालूम था कि, तुम मौसी से बात कर रहे हो, इसीलिए तो मैं कॉल लगा रही थी.”
मैं बोला “जब तुझे मालूम था कि, मेरी छोटी माँ से बात चल रही है तो, फिर तुझे बार बार कॉल करने की ज़रूरत क्या थी.”
कीर्ति बोली “मुझे सुनना था कि, ऐसी क्या बात चल रही है, जिसे सुनकर मौसी रोने लगी थी.”
मैं बोला “अब तू छोटी माँ की जासूसी भी करने लगी है.”
कीर्ति बोली “इसमे जासूसी की बात कहाँ से आ गयी. मैं मौसी के कमरे मे काम से गयी थी तो, उन्हे फोन पर बात करते करते रोते देखा. उनकी बातों से समझ मे आया कि, वो तुमसे बात कर रही है. इसलिए मैने तुमको कॉल लगा रही थी. लेकिन तुमने मेरा कॉल उठाया ही नही.”
मैं बोला “तो इसमे कौन सी बड़ी भारी बात हो गयी थी. तू मुझसे बाद मे भी पुछ सकती थी. क्या कभी मैं तुझसे कोई बात छिपाता हूँ.”
कीर्ति बोली “नही छिपाते, लेकिन मेरा बात सुनने का मन था.”
मैं बोला “तू बात सुन भी लेती तो, उस से क्या हो जाता. यदि बात सुनने के बाद मैं तुझसे कुछ पुछ्ता तो, तू ये ही कहती कि, अब इसमे, मैं क्या बोलू, तुम्हे जो ठीक लगे, वो तुम करो.”
मेरी बात सुनते ही कीर्ति समझ गयी कि, उसने सुबह प्रिया की बात पर, जो जबाब मुझे दिया था, मैं उसी जबाब को, उसके सामने दोहरा रहा हूँ. उसने अपनी ग़लती मानने वाले अंदाज़ मे कहा.
कीर्ति बोली “सॉरी जान, मैं जानती हूँ कि, तुम्हे मेरी सुबह की बात बुरी लगी है.”
मैं बोला “मुझे तेरी इस बात का ज़रा भी बुरा नही लगा. मुझे तो बस ये बात खराब लगी कि, उस समय तेरे मन मे, कोई बात चल रही थी. मगर तूने वो बात मुझे नही बताई.”
कीर्ति बोली “जान इसके लिए भी सॉरी. मैने ग़लती की थी. मुझे अपने मन की बात, तुमसे बोल देनी चाहिए थी.”
मैं बोला “अब सॉरी सॉरी ही करती रहेगी या बताएगी भी कि, उस समय तुझे क्या बात परेशान कर रही थी, जो तूने मुझे इस तरह का जबाब दिया था.”
कीर्ति बोली “जान, प्रिया का रोना देख कर, मुझे उस पर बहुत दया आ रही थी. मेरा दिल कर रहा था कि, तुम उसकी बात मान कर, वही रुक जाओ. लेकिन तुमने मेरी वजह से उसकी बात नही मानी और उसे रोता हुआ छोड़ कर आ गये.”
“मेरे सामने उसका वही बिलख बिलख कर रोना घूम रहा था और मुझे लग रहा था. वो दिल की मरीज भी है और इस तरह से रोना उसके लिए ख़तरनाक भी हो सकता था. बस यही सब सोच कर मुझे लगने लगा था कि, उसकी ग़लती की उसे बहुत बड़ी सज़ा दी जा रही है.”
“उस समय मेरा मन प्रिया की हालत देख कर दुखी था. लेकिन तुमसे ये सब करने को भी तो, मैने ही कहा था. फिर मैं तुमसे ये बात किस मूह से कहती कि, तुमने उसकी बात ना मान कर ग़लत किया है. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मैं तुम्हारी बात का जबाब दूं. इसलिए मैने तुम्हे वो जबाब दे दिया था.”
इतना बोल कर कीर्ति चुप हो गयी. लेकिन उसके दिल की गहराई को देख कर मुझे उस पर बहुत प्यार आया और मैने उस से कहा.
मैं बोला “तेरा दिल सच मे सोने का है. जिसमे किसी के लिए भी, ज़रा सी खोट नही है.”
मेरी बात के पूरा होने के पहले ही कीर्ति ने मेरी बात को काटते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ओये, अब मस्का लगाना छोड़ो और ये बताओ कि, तुम आज दिन भर सोए क्यो नही. तुम्हे तो आज से रात को हॉस्पिटल मे रुकना था ना. यदि तुम अभी 7 बजे तक जाग रहे हो तो, फिर रात को हॉस्पिटल मे कैसे रुकोगे.”
कीर्ति की बात सुनकर मैने उसे प्रिया की तबीयत के बारे मे बता दिया. जिसे सुनकर उसे प्रिया की चिंता होने लगी और उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “जान, प्रिया ठीक तो हो जाएगी ना. उसे कुछ होगा तो नही.”
मेरे कीर्ति की बात का, कुछ जबाब दे पाने से पहले ही, मुझे निक्की मेरे पास आती दिखी तो, मैने कीर्ति को कुछ देर रुकने को कहा. तब तक निक्की मेरे पास आ चुकी थी. निक्की ने मेरे पास आते ही कहा.
निक्की बोली “प्रिया नींद से उठ गयी है और उसे जो साँस लेने मे परेशानी हो रही थी, वो भी अब ठीक हो गयी है. लेकिन उसके रक्त का दबाव (ब्लड प्रेशर) अभी भी सामान्य (नॉर्मल) से कम है. जिसे ठीक होने मे समय लगेगा. मगर डॉक्टर. ने एक एक करके सबको उस से मिलने की इजाज़त दे दी है. आप भी चल कर उस से मिल लीजिए.”
मैं बोला “ठीक है, जब आप मिलने जाए तो, मुझे भी बुला लीजिएगा.”
मेरी बात सुनकर निक्की वापस चली गयी. निक्की के जाते ही मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “तूने प्रिया की तबीयत के बारे मे सुना.”
कीर्ति बोली “हाँ, ये बहुत अच्छा हुआ कि, उसे कुछ नही हुआ. वरना मैं जिंदगी भर अपने आपको कोस्ती रहती.”
मैं बोला “अब तो प्रिया ठीक है. फिर तू क्यो ये सब बेकार की बात सोच रही है. ये सब सोचना बंद कर और जैसे अभी इसके पहले खुश थी, वैसे ही खुश रह.”
मेरी बात सुनकर कीर्ति ने अपना मूड सही करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ओक जान, प्रिया के ठीक होने की खुशी मे, तुमको एक गाना और सुनाती हूँ.”
इतना बोल कर कीर्ति ने, बिना मेरा कोई जबाब सुने, फिर से अपनी मस्ती और उच्छल कूद सुरू कर दी.
कीर्ति का गाना
“ऐसा जादू डाला रे, ऐसा जादू डाला रे,
सूरमाई है उजाला रे, ऐसा जादू डाला रे,
जो मेरी ज़ुल्फो से खेले रे, बाहो मे मुझको लेले रे,
ऐसा है कोई दिलवाला रे, ऐसा है कोई दिलवाला रे,
ऐसा है कोई दिलवाला रे, ऐसा है कोई दिलवाला रे.”
कीर्ति अपनी मस्ती मे मस्त थी. मगर मैने उसको बीच मे ही रोकते हुए कहा.
मैं बोला “चल अब अपनी नौटंकी बंद कर और फोन रख. मुझे प्रिया को देखने भी जाना है.”
कीर्ति बोली “ओके जान, रात को बात करते है. मुऊऊुउऊहह.”
मैं बोला “मुऊऊऊहह.”
इसके बाद कीर्ति ने फोन रख दिया और मैं उठ कर वेटिंग लाउन्ज मे चला गया. एक एक करके सब प्रिया से मिलने जा रहे थे. जब निक्की प्रिया से मिलने जाने लगी तो, मैं भी उसके साथ हो गया.
मैं और निक्की जब आइसीयू मे पहुचे तो, वहाँ पर प्रिया के पास आंटी थी. उन्हो ने मुझे और निक्की को एक साथ देखा तो, वो उठ कर बाहर आ गयी. क्योकि वहाँ पर 2 से ज़्यादा लोगों को रहने की इजाज़त नही थी.
आंटी के जाते ही निक्की प्रिया के पास जाकर बैठ गयी और मैं उन दोनो के पास जाकर खड़ा हो गया. प्रिया की हालत अभी भी ठीक नही लग रही थी. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और निक्की की तरफ देखने लगी.
निक्की ने बड़े प्यार से प्रिया के हाथ को पकड़ा और फिर उसके हाथ को सहलाते हुए, उस से कहा.
निक्की बोली “तूने तो हम सब की जान ही निकाल दी थी. तू तो आराम से सो रही थी, लेकिन यहा 4 घंटे तक हम लोगों की जान पर बनी थी.”
इतना बोल कर निक्की फिर से प्रिया के हाथ को प्यार से सहलाने लगी. प्रिया की हालत देख कर ऐसा लग रहा था कि, जैसे उसमे कुछ बोलने की भी ताक़त नही है. मगर प्रिया ने फीकी सी मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखा और फिर बड़ी ही धीमी सी आवाज़ मे, निक्की की बात का जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “कोई मुझे छोड़ कर भागने की कोशिश कर रहा था. लेकिन मैं भी इतनी जिद्दी हूँ कि, उसके पिछे पिछे यहाँ तक आ गयी. अब देखती हूँ कि, वो मुझे यहाँ से छोड़ कर कैसे भागता है.”
प्रिया की ये बात सुनकर निक्की के साथ साथ मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. निक्की ने प्रिया के गाल पर प्यार से एक चपत लगते हुए कहा.
निक्की बोली “तू नही सुधरेगी कमीनी. ऐसी हालत मे भी तुझे मज़ाक सूझ रहा है.”
प्रिया ने एक बार फिर से मेरी तरफ देखा और निक्की से कहा.
प्रिया बोली “हाँ, इतनी बुरी दिखने लगी हूँ कि, लोग मुझे देख कर मन ही मन मुस्कुरा रहे है.”
मैं और निक्की, दोनो ही प्रिया की बात का मतलब समझ गये थे. लेकिन मैं चुप ही रहा और प्रिया की बातों का मज़ा लेता रहा. जबकि निक्की ने फिर से प्रिया के गाल पर, प्यार से एक चपत मारी और उस से कहा.
निक्की बोली “कमीनी अब चुप भी कर, ज़्यादा मत बोल, अभी तुझे आराम की ज़रूरत है.”
मगर प्रिया तो प्रिया ही थी. वो भला इतनी आसानी से कहाँ चुप होने वाली थी. मुझे अपने पास पाकर उसके दिल को जो राहत मिली थी. अब वही राहत उसे, ऐसी हालत मे भी, बात करने की ताक़त दे रही थी और उसको उसके असली रंग मे वापस ला रही थी.
निक्की की बात, सुनने के बाद, प्रिया अपने हाथ को, धीरे से निक्की के हाथ से छुड़ाने लगी. इस से पहले कि, मैं और निक्की उसकी इस हरकत का कुछ मतलब समझ पाते, उसने अपने हाथ को निक्की के हाथ से छुड़ाया और फिर हाथ उठा कर, अपनी उंगली से मुझे अपने पास आने का इशारा किया.