desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
132
अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….
मैं अजय की बातों को सुनने मे और अजय अपनी बात को बताने मे खोया हुआ था. इस से पहले की अजय ये बता पाता कि, उसे कातिल ना मानने वाली आवाज़ किसकी थी. हम दोनो के ही कानो मे एक आवाज़ गूँज गयी. “तुम एक कातिल हो.”
आवाज़ सुनते ही हम दोनो अपनी अपनी जगह पर खड़े हो गये और पीछे पलट कर देखा तो, पीछे शिखा और निक्की खड़ी थी. वो दोनो शायद हमारे लिए कॉफी लेकर आई थी. निक्की के हाथ मे 2 कॉफी थी और शिखा के हाथों की 2 कॉफी ज़मीन पर बिखरी पड़ी थी.
ये सब इतना अचानक हुआ था कि, मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा है. लेकिन शायद अजजी की समझ मे सब कुछ आ चुका था. इसलिए शिखा पर नज़र पड़ते ही उसने, किसी गुनहगार की तरह अपना सर झुका लिया.
वही शिखा की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे और वो अजजी को ऐसी नज़रों से देख रही थी, जैसे अजजी ने उसका सब कुछ लूट लिया हो. वो रोते हुए कुछ बोलने की कोशिस कर रही थी. लेकिन उसके मूह से बोल ही नही निकल रहे थे. उसके चेहरे पर दर्द सॉफ नज़र आ रहा था.
जब उस से कुछ बोलते नही बना तो, वो बेबस सी होकर, वापस जाने के लिए पलट गयी. निक्की आवाक और शर्मिंदा सी दिख रही थी. जैसे इस सब के लिए वो खुद को दोषी मान रही हो. लेकिन जब उसने शिखा को ऐसे जाते देखा तो, उसने शिखा को रोकते हुए कहा.
निक्की बोली “दीदी प्लीज़, रुक जाइए. अजय भैया की पूरी बात तो सुन लीजिए.”
निक्की की बात से शिखा के सबर का बाँध टूट गया और उसने बिना पीछे देखे, रोते हुए कहा.
शिखा बोली “क्या सुनूँ, किसकी बात सुनूँ. जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ, उसकी बात सुनूँ या जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा…..”
मगर शायद अपनी पूरी बात कहने की ताक़त शिखा मे नही थी. वो अपनी बात को अधूरा ही छोड़ कर, रोते हुए अंदर भाग गयी. सब उसे जाते हुए देखने के सिवा कुछ ना कर सके. थोड़ी देर के लिए वहाँ सन्नाटा छा गया. फिर इस सन्नाटे को तोड़ते हुए निक्की ने अजय से कहा.
निक्की बोली “सॉरी भैया, ये सब मेरी वजह से हुआ. ना मैं आप लोगों को कॉफी देने की बात करती और ना ही हम लोग यहाँ आए होते.”
निक्की की बात सुनकर, अजय ने एक ठंडी सी साँस ली और फिर एक फीकी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए निक्की से कहा.
अजय बोला “तुझे किसी बात के लिए सॉरी बोलने की ज़रूरत नही है. शायद मैं शिखा से ये बात कहने की कभी हिम्मत नही कर पाता. मगर आज इसी बहाने कम से कम शिखा को ये सचाई तो पता चल गयी कि, वो जिस इंसान से दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती है, वो इंसान मैं ही हूँ.”
अजय की इस बात मे एक कड़वी सच्चाई थी और उसकी मुस्कान मे एक दर्द छुपा था. लेकिन उस से भी ज़्यादा दर्द इस समय मुझे शिखा की बेबसी मे नज़र आ रहा था. जिसे महसूस करते ही मेरी आँखों मे नमी छा गयी.
अब ये बात तो पूरी तरह से साफ हो चुकी थी कि, अजय जिस लड़की से प्यार करता है, वो कोई और नही शिखा ही है. लेकिन शिखा की अधूरी रह गयी बात से ये भी समझ मे आ रहा था कि, वो भी अजय को प्यार करती है. मैने अपनी आँखों मे आई नमी को पोछ्ते हुए अजय से कहा.
मैं बोला “कौन सही है और कौन ग़लत है. इसका फ़ैसला कर पाना बहुत मुस्किल है. ये भी सच है कि शिखा दीदी जिस से नफ़रत करती हैं, वो तुम हो. लेकिन उनकी अधूरी बात यक़ीनन ये ही थी कि, वो दुनिया मे सबसे ज़्यादा प्यार भी तुमसे ही करती हैं. शायद यही वजह थी कि, आज तुम्हारी सच्चाई जानने के बाद, वो प्यार और नफ़रत के बीच फसि, बेबसी के आँसू बहाने के सिवा कुछ ना कर सकी.”
मेरी बात सुनकर, अजय ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराने लगा. ऐसे हालत मे उसका इस तरह से मुस्कुराना मुझे कुछ अजीब लगा और मैं उसको हैरानी से देखने लगा. मुझे हैरानी मे पड़ा देख अजय ने कहा.
अजय बोला “तुम ठीक कह रहे हो. उसके मुझ पर कोई गुस्सा ना कर पाने की वजह ये ही थी. लेकिन मुझे एक बात बताओ. तुमने उसको दीदी क्यों कहा. वो तो तुम्हारी भाभी लगी ना.”
अजय की इस बात से मुझे उसके मुस्कुराने की वजह समझ मे आ गयी और मैने उसकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “तुम जानते हो, मैं उनको कितना पसंद करता हूँ और अब जब उनके बारे मे इतना कुछ जाना तो, खुद ही उनके लिए मेरे मूह से दीदी निकल गया.”
अजय बोला “तुम दोनो ही एक से हो. उसको भी जब मैने तुम्हारे और राज के बीच हुई बातों का बताया तो, वो भी ये ही बोल रही थी कि, तुम उसके लिए छोटे भाई जैसे हो. यही वजह थी कि आज जब उसने तुम्हारे घर आकर खाना खाने की बात सुनी तो, बड़े प्यार से तुम्हारे लिए खाना बनाया था और रात को भी तुम्हे खाने पर बुलाने के लिए बोल रही थी.”
अजय की बात को सुनकर मुझे हैरानी हुई. लेकिन उसकी इस बात से ये बात भी साफ हो चुकी थी कि अजय, शिखा के घर मे ही रहता है. अजय के बारे मे इतना सब कुछ जानने के बाद भी, मुझे ये ही लग रहा था कि, अभी उसके बारे मे जानने के लिए बहुत कुछ बाकी है. लेकिन अभी ये सब सोचने का समय नही था. इसलिए मैने अजय से कहा.
मैं बोला “वो बहुत ज़्यादा नाराज़ है. ये सब जान कर उन्हे बहुत दुख हुआ है. हमें उनको मनाने की कोशिस करनी चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, अजय ने सोचते हुए कहा.
अजय बोला “तुम्हारा कहना सही है. मगर मुझे नही लगता कि, अब वो मेरी कोई बात सुनेगी. अभी बेहतर ये ही होगा कि तुम दोनो के उसके पास जाकर उसका दर्द कुछ कम करो. बाद मे देखते है कि, उस से कैसे बात की जाए.”
मुझे और निक्की को अजय की ये बात सही लगी. निक्की ने मुझे अंदर चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ हॉस्पिटल के अंदर आ गया. हम अंदर आकर शिखा के कॅबिन मे पहुचे तो, वो अपना चेहरा छुपा कर अभी भी रो रही थी.
हमारे आने की आहट पाते ही उसने अपना सर उठा कर देखा और हमें देखते ही अपने आँसू पोछने लगी. निक्की ने उस से अजय के बारे मे बात करने की कोशिश की तो, उसने निक्की की बात को बीच मे ही काटते हुए निक्की से कहा.
शिखा बोली “देखो निक्की, मैं उस इंसान के बारे मे किसी से कोई बात करना नही चाहती. जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ.”
शिखा की ये बात सुनकर, मुझे उस से कुछ कहने मे डर भी लग रहा था और कभी कोई बात ना करने की वजह से कुछ अटपटा भी लग रहा था. लेकिन उसको लेकर मेरे दिल मे जो अपनेपन की भावना थी. उस भावना की वजह से मैने हिम्मत करते हुए उस से कहा.
मैं बोला “दीदी, मेरा नाम पुनीत है. मैं प्रिया का फ्रेंड हूँ.”
मेरी इस बात का शिखा पर कोई असर नही हुआ और उसने बिना मेरी तरफ देखे ही, चिढ़ते हुए कहा.
शिखा बोली “तो मैं क्या करूँ. प्रिया के फ्रेंड हो तो, प्रिया के पास जाओ. मुझे क्यो बता रहे हो.”
मुझे ऐसी बात की शिखा से उम्मीद नही थी और ना ही ये बात शिखा के स्वाभाव से मेल खाती थी. इसलिए एक पल के लिए उसकी इस बात ने जहाँ मेरी बोलती बंद कर दी. वही निक्की का चेहरा भी उतर गया.
वो शिखा से कुछ बोलने ही वाली थी कि, मैने उसे चुप रहने का इशारा किया. मैं शिखा के दिल का हाल जानता था. इसलिए उसकी बात का बुरा माने बिना, फिर उस से बात करने की कोसिस करते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मैने क्या किया. मुझसे आपका रोना नही देखा गया था. बस इसलिए आपके पास आ गया था. लेकिन यदि आपको मेरा आना बुरा लगा है तो, मैं अभी यहाँ से चला जाता हूँ.”
इतना कह कर, मैं वापस जाने के लिए मूड गया. लेकिन शायद शिखा को मेरे इस तरह उसके पास से, उदास जाना अच्छा नही लगा. उसने रोते रोते अपना सर उठा कर मुझे देखते हुए कहा.
शिखा बोली “तुमको मेरी इतनी फिकर इसलिए हो रही है ना. क्योकि तुम उनके फ्रेंड हो.”
शिखा की इस बात को सुनकर, मुझे अहसास हुआ कि, इतना सब कुछ होने के बाद भी, शिखा अब भी अजय को इज़्ज़त देकर ही बात कर रही है. जिसका मतलब साफ था कि, उसके दिल मे अजय के लिए नफ़रत से ज़्यादा प्यार है.
शिखा ने मुझसे ये सवाल करके, मुझे बात करने का एक मौका दे दिया था. अब ये मेरे उपर था कि, मैं उस से कितनी देर बात कर सकता हूँ. मैने उसको उसकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, आपका ऐसा सोचना सही नही है. मुझे अभी आपको रोते देख कर ये बात पता चली कि, अजजी जिस लड़की को प्यार करता है, वो लड़की आप हो. जबकि आपके लिए मेरे दिल मे इज़्ज़त तो सुरू से ही है और इसी वजह से मुझे आपकी फिकर है.”
शिखा को शायद मेरी इस बात का विस्वास हो गया था या फिर इस समय वो मुझसे कोई बहस नही करना चाहती थी. इसलिए इसके बाद उसने मुझसे इस बात के लिए कोई सफाई नही माँगी और रोते हुए ही कहा.
शिखा बोली “मेरी फिकर मत करो और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. तुम लोग यहाँ से जाओ और अपने दोस्त से भी कह दो कि, अब मेरे घर, मेरी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए चला जाए.”
इतना बोल कर वो, सर झुका कर फिर रोने लगी. शिखा की आख़िरी बात सुनकर, मैं भी डर गया. लेकिन अभी सबसे ज़रूरी शिखा को संभालना था. मैं उसे शांत करने के लिए कुछ सोचने लगा.
तभी मुझे शिखा का रोना रोकने का एक तरीका समझ मे आया. मैने निक्की से कान मे अपनी बात कही और वो प्रिया के पास जाने की बोल कर चली गयी. निक्की के जाने के बाद मैने शिखा से कहा.
मैं बोला “दीदी, प्लीज़ रोना बंद कीजिए.”
शिखा बोली “मैने कहा ना, तुम जाओ यहाँ से, मुझे अकेला छोड़ दो.”
अभी शिखा इतना ही बोल पाई थी कि, तभी निक्की भागती हुई आई और शिखा से कहा.
निक्की बोली “दीदी, प्रिया की तबीयत सही नही लग रही. उसे घबराहट सी हो रही है.”
निक्की की बात सुनते ही शिखा ने जल्दी से अपने चेहरे पर हाथ फेरा और उठ कर प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गयी. उसके पीछे पीछे हम दोनो भी चलने लगे. हम प्रिया के कमरे मे पहुचे और शिखा उसका रक्त का दबाव (ब्लड प्रेशर) देखने लगी.
उधर प्रिया ने मुझे देख कर आँख मारी और फिर अपना ब्लड प्रेशर देख रही शिखा से कहा.
प्रिया बोली “दीदी, मुझे बहुत घबराहट हो रही है.”
प्रिया को घबराते देख, शिखा ने उसे समझाते हुए कहा.
शिखा बोली “घबराओ मत प्रिया. तुम्हे कुछ नही हुआ है. तुम्हारा ब्लड प्रेशर भी सही है.”
प्रिया बोली “दीदी मुझे बहुत डर लग रहा है. आप कही मत जाइए, मेरे पास ही रहिए.”
शिखा बोली “डरो मत, मैं कहीं नही जा रही. मैं तुम्हारे पास ही हूँ.”
ये कह कर शिखा प्रिया के पास ही बैठ गयी और प्रिया का दिल बहलाने की कोसिस करने लगी. मेरी शिखा का ध्यान बटाने की चाल तो कामयाब हो गयी थी. मैने निक्की को उनके साथ ही रहने को कहा और फिर मैं बाहर अजय के पास आ गया.
अजय बाहर अब भी परेसानी की हालत मे यहाँ वहाँ टहल रहा था. मैने उसे अंदर की सारी बातें बताई तो, उसने राहत की साँस ली. लेकिन शिखा की घर छोड़ने वाली बात सुनकर वो कुछ सोच मे पड़ गया.
मुझे भी समझ मे नही आ रहा था कि, अब ऐसी हालत मे उसे क्या करना चाहिए. जब मेरी कुछ समझ मे नही आया तो, मैने उस से ही पूछा.
मैं बोला “अब तुमने आगे क्या करने का सोचा है.”
मेरी बात का अजय ने सीधा सा जबाब देते हुए कहा.
अजय बोला “इसमे सोचना क्या है. घर उसका है, जिंदगी उसकी है. वो यदि चाहती है कि, मैं उसके घर से चला जाउ तो, मैं चला जाउन्गा.”
अजय का ये फ़ैसला किसी भी तरह से ग़लत नही था. लेकिन अजय के इस फ़ैसले से मुझे बहुत दुख हो रहा था. शायद अजय को भी मेरी इस हालत का अहसास हो गया था और उसने मुझसे कहा.
अजय बोला “तुम इस बात को लेकर दुखी क्यो होते हो. मैने उसके घर से चले जाने का फ़ैसला किया है. लेकिन अभी हार नही मानी है. उसको मनाने का कोई ना कोई रास्ता मिल ही जाएगा.”
अजय की इस बात से मुझे कुछ तसल्ली हुई. मैने उस से अंकल के पास से होकर आने की बात की और फिर मैं उपर चला गया. अंकल के पास से आने के बाद मैने कीर्ति से सो जाने को कहा तो, उसने कल अजय के घर जाने पर कॉल करने को कह कर कॉल रख दिया.
इसके बाद मैं अजय के साथ ही रहा. बीच बीच मे मैं अंकल के पास जाकर उन्हे देख आता था. इस बीच मैं दो तीन बार प्रिया के पास भी गया. वो शिखा को अपनी बातों मे तब तक उलझाए रखी, जब तक कि सुबह के 6 नही बज गये और शिखा का मरीजों को देखने का समय नही हो गया.
सुबह 6 बजे के पहले ही मैने मेहुल को कॉल लगा कर उठा दिया था और उसे 7 बजे के पहले हॉस्पिटल आने का कह दिया था. ऐसा मैने इसलिए किया था, ताकि अजय के साथ मैं भी शिखा के घर जा सकूँ.
मैं अजय के साथ बैठा मेहुल के आने का इंतजार कर रहा था और फिर 6:45 पर मेहुल आ गया. मुझसे थोड़ी बहुत बात करके, वो उपर अंकल के पास चला गया. उसके जाने के बाद मैने अजय से कहा.
मैं बोला “मुझे लगता है कि, आज शिखा दीदी तुम्हारे साथ घर नही जाएगी.”
अजय बोला “मुझे भी यही लग रहा है. लेकिन मुझे उसका इंतजार तो करना ही पड़ेगा.”
अजय की बात सुनकर, हम शिखा के आने का इंतजार करने लगे. थोड़ी ही देर मे शिखा निक्की के साथ बाहर आती दिखाई दी. लेकिन बाहर आने के बाद, वो यहाँ वहाँ टॅक्सी देखने लगी. मैं टॅक्सी से उतर कर, उसके पास गया और उस से अजय की टॅक्सी मे चलने को कहा तो उसने सॉफ मना कर दिया.
मैने उसे बहुत मानने की कोशिस की, लेकिन वो नही मानी और दूसरी टॅक्सी लेकर चली गयी. उसके जाने के बाद निक्की ने अजय से बताया कि, शिखा उसका घर आज के आज ही खाली करने की बात बोल कर गयी है.
ये बात बोलते बोलते निक्की की आँखे भर आई. अजय ने उसे दिलासा दिया कि, वो सब ठीक कर लेगा. इसके बाद अजय ने अमन को कॉल करके, उसका समान ले जाने के लिए गाड़ी भेजने को कहा और फिर हम शिखा के घर के लिए निकल गये.
करीब 8 बजे हम शिखा के घर पहुचे और फिर अजय अपना समान पॅक करने लगा. उसने मुझसे कहा कि, अमन समान के लिए गाड़ी भेजने वाला है, इसलिए मैं बाहर खड़ा होकर गाड़ी देखता रहूं.
मैं बाहर छत पर खड़ा होकर गाड़ी आने का वेट करने लगा. इसी बीच मैने कीर्ति को कॉल किया और उसे बताया कि, अजय शिखा का घर छोड़ कर जा रहा है. अभी मैं कीर्ति को इतना ही बोल पाया था कि, तभी मुझे शिखा के घर के बाहर एक कार रुकती दिखी.
मुझे लगा कि, अमन ने समान के लिए कार भेजी है और इतने सारे समान के लिए कार भेजना मुझे कुछ अजीब सा लगा. इसलिए मैने अजय को आवाज़ देते हुए कहा.
मैं बोला “घर के सामने एक कार आकर रुकी है.”
अजय बोला “मैने कार का नही बोला था. तुम जाकर देखो कि, कार मे कौन है.”
अभी अजय ने इतनी ही बात बोली थी कि, मुझे कार से एक लड़की उतरती दिखी. लड़की ने नीचे उतरते ही एक बार मेरी तरफ देखा. उस पर नज़र पड़ते ही मुझे एक जोरदार झटका सा लगा.
क्योकि लड़की की शकल इतनी भयानक लग रही थी कि, यदि कोई कमजोर दिल वाला उसे रात मे देख ले तो, उसको दिल का दौरा पड़ जाए. कुछ देर के लिए तो मैं भी उसकी शकल देख कर दहशत मे आ गया था.
अजय ने मुझे अब भी अपनी ही जगह पर खड़ा देखा तो, मुझे टोकते हुए कहा.
अजय बोला “क्या हुआ, तुम पता करने नही गये.”
मैं बोला “कार मे कोई लड़की है.”
ये बात सुनते ही अजय मेरे पास आया और नीचे देखने लगा. लड़की नीचे दरवाजे पर खड़ी सड़क की तरफ ऐसे देख रही थी. जैसे किसी के आने का इंतजार कर रही हो. उस लड़की पर अजय की नज़र पड़ते ही उस ने कहा.
अजय बोला “ये यहाँ कैसे आ गयी. लगता आज का दिन ही खराब है. चलो जल्दी नीचे चलो. इसे अंदर आने से रोकना होगा.”
ये कहते हुए अजय नीचे जाने के लिए बढ़ गया. उस लड़की की शकल देख कर, मैं पहले से ही एक गहरे से सदमे मे था. उस पर अजय का इस तरह से उस लड़की से डरने की बात ने मुझे और भी उलझन मे डाल दिया था. मैं किसी बुत की तरह अजय के पीछे पीछे नीचे आने लगा.
अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….
मैं अजय की बातों को सुनने मे और अजय अपनी बात को बताने मे खोया हुआ था. इस से पहले की अजय ये बता पाता कि, उसे कातिल ना मानने वाली आवाज़ किसकी थी. हम दोनो के ही कानो मे एक आवाज़ गूँज गयी. “तुम एक कातिल हो.”
आवाज़ सुनते ही हम दोनो अपनी अपनी जगह पर खड़े हो गये और पीछे पलट कर देखा तो, पीछे शिखा और निक्की खड़ी थी. वो दोनो शायद हमारे लिए कॉफी लेकर आई थी. निक्की के हाथ मे 2 कॉफी थी और शिखा के हाथों की 2 कॉफी ज़मीन पर बिखरी पड़ी थी.
ये सब इतना अचानक हुआ था कि, मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा है. लेकिन शायद अजजी की समझ मे सब कुछ आ चुका था. इसलिए शिखा पर नज़र पड़ते ही उसने, किसी गुनहगार की तरह अपना सर झुका लिया.
वही शिखा की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे और वो अजजी को ऐसी नज़रों से देख रही थी, जैसे अजजी ने उसका सब कुछ लूट लिया हो. वो रोते हुए कुछ बोलने की कोशिस कर रही थी. लेकिन उसके मूह से बोल ही नही निकल रहे थे. उसके चेहरे पर दर्द सॉफ नज़र आ रहा था.
जब उस से कुछ बोलते नही बना तो, वो बेबस सी होकर, वापस जाने के लिए पलट गयी. निक्की आवाक और शर्मिंदा सी दिख रही थी. जैसे इस सब के लिए वो खुद को दोषी मान रही हो. लेकिन जब उसने शिखा को ऐसे जाते देखा तो, उसने शिखा को रोकते हुए कहा.
निक्की बोली “दीदी प्लीज़, रुक जाइए. अजय भैया की पूरी बात तो सुन लीजिए.”
निक्की की बात से शिखा के सबर का बाँध टूट गया और उसने बिना पीछे देखे, रोते हुए कहा.
शिखा बोली “क्या सुनूँ, किसकी बात सुनूँ. जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ, उसकी बात सुनूँ या जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा…..”
मगर शायद अपनी पूरी बात कहने की ताक़त शिखा मे नही थी. वो अपनी बात को अधूरा ही छोड़ कर, रोते हुए अंदर भाग गयी. सब उसे जाते हुए देखने के सिवा कुछ ना कर सके. थोड़ी देर के लिए वहाँ सन्नाटा छा गया. फिर इस सन्नाटे को तोड़ते हुए निक्की ने अजय से कहा.
निक्की बोली “सॉरी भैया, ये सब मेरी वजह से हुआ. ना मैं आप लोगों को कॉफी देने की बात करती और ना ही हम लोग यहाँ आए होते.”
निक्की की बात सुनकर, अजय ने एक ठंडी सी साँस ली और फिर एक फीकी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए निक्की से कहा.
अजय बोला “तुझे किसी बात के लिए सॉरी बोलने की ज़रूरत नही है. शायद मैं शिखा से ये बात कहने की कभी हिम्मत नही कर पाता. मगर आज इसी बहाने कम से कम शिखा को ये सचाई तो पता चल गयी कि, वो जिस इंसान से दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती है, वो इंसान मैं ही हूँ.”
अजय की इस बात मे एक कड़वी सच्चाई थी और उसकी मुस्कान मे एक दर्द छुपा था. लेकिन उस से भी ज़्यादा दर्द इस समय मुझे शिखा की बेबसी मे नज़र आ रहा था. जिसे महसूस करते ही मेरी आँखों मे नमी छा गयी.
अब ये बात तो पूरी तरह से साफ हो चुकी थी कि, अजय जिस लड़की से प्यार करता है, वो कोई और नही शिखा ही है. लेकिन शिखा की अधूरी रह गयी बात से ये भी समझ मे आ रहा था कि, वो भी अजय को प्यार करती है. मैने अपनी आँखों मे आई नमी को पोछ्ते हुए अजय से कहा.
मैं बोला “कौन सही है और कौन ग़लत है. इसका फ़ैसला कर पाना बहुत मुस्किल है. ये भी सच है कि शिखा दीदी जिस से नफ़रत करती हैं, वो तुम हो. लेकिन उनकी अधूरी बात यक़ीनन ये ही थी कि, वो दुनिया मे सबसे ज़्यादा प्यार भी तुमसे ही करती हैं. शायद यही वजह थी कि, आज तुम्हारी सच्चाई जानने के बाद, वो प्यार और नफ़रत के बीच फसि, बेबसी के आँसू बहाने के सिवा कुछ ना कर सकी.”
मेरी बात सुनकर, अजय ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराने लगा. ऐसे हालत मे उसका इस तरह से मुस्कुराना मुझे कुछ अजीब लगा और मैं उसको हैरानी से देखने लगा. मुझे हैरानी मे पड़ा देख अजय ने कहा.
अजय बोला “तुम ठीक कह रहे हो. उसके मुझ पर कोई गुस्सा ना कर पाने की वजह ये ही थी. लेकिन मुझे एक बात बताओ. तुमने उसको दीदी क्यों कहा. वो तो तुम्हारी भाभी लगी ना.”
अजय की इस बात से मुझे उसके मुस्कुराने की वजह समझ मे आ गयी और मैने उसकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “तुम जानते हो, मैं उनको कितना पसंद करता हूँ और अब जब उनके बारे मे इतना कुछ जाना तो, खुद ही उनके लिए मेरे मूह से दीदी निकल गया.”
अजय बोला “तुम दोनो ही एक से हो. उसको भी जब मैने तुम्हारे और राज के बीच हुई बातों का बताया तो, वो भी ये ही बोल रही थी कि, तुम उसके लिए छोटे भाई जैसे हो. यही वजह थी कि आज जब उसने तुम्हारे घर आकर खाना खाने की बात सुनी तो, बड़े प्यार से तुम्हारे लिए खाना बनाया था और रात को भी तुम्हे खाने पर बुलाने के लिए बोल रही थी.”
अजय की बात को सुनकर मुझे हैरानी हुई. लेकिन उसकी इस बात से ये बात भी साफ हो चुकी थी कि अजय, शिखा के घर मे ही रहता है. अजय के बारे मे इतना सब कुछ जानने के बाद भी, मुझे ये ही लग रहा था कि, अभी उसके बारे मे जानने के लिए बहुत कुछ बाकी है. लेकिन अभी ये सब सोचने का समय नही था. इसलिए मैने अजय से कहा.
मैं बोला “वो बहुत ज़्यादा नाराज़ है. ये सब जान कर उन्हे बहुत दुख हुआ है. हमें उनको मनाने की कोशिस करनी चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, अजय ने सोचते हुए कहा.
अजय बोला “तुम्हारा कहना सही है. मगर मुझे नही लगता कि, अब वो मेरी कोई बात सुनेगी. अभी बेहतर ये ही होगा कि तुम दोनो के उसके पास जाकर उसका दर्द कुछ कम करो. बाद मे देखते है कि, उस से कैसे बात की जाए.”
मुझे और निक्की को अजय की ये बात सही लगी. निक्की ने मुझे अंदर चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ हॉस्पिटल के अंदर आ गया. हम अंदर आकर शिखा के कॅबिन मे पहुचे तो, वो अपना चेहरा छुपा कर अभी भी रो रही थी.
हमारे आने की आहट पाते ही उसने अपना सर उठा कर देखा और हमें देखते ही अपने आँसू पोछने लगी. निक्की ने उस से अजय के बारे मे बात करने की कोशिश की तो, उसने निक्की की बात को बीच मे ही काटते हुए निक्की से कहा.
शिखा बोली “देखो निक्की, मैं उस इंसान के बारे मे किसी से कोई बात करना नही चाहती. जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ.”
शिखा की ये बात सुनकर, मुझे उस से कुछ कहने मे डर भी लग रहा था और कभी कोई बात ना करने की वजह से कुछ अटपटा भी लग रहा था. लेकिन उसको लेकर मेरे दिल मे जो अपनेपन की भावना थी. उस भावना की वजह से मैने हिम्मत करते हुए उस से कहा.
मैं बोला “दीदी, मेरा नाम पुनीत है. मैं प्रिया का फ्रेंड हूँ.”
मेरी इस बात का शिखा पर कोई असर नही हुआ और उसने बिना मेरी तरफ देखे ही, चिढ़ते हुए कहा.
शिखा बोली “तो मैं क्या करूँ. प्रिया के फ्रेंड हो तो, प्रिया के पास जाओ. मुझे क्यो बता रहे हो.”
मुझे ऐसी बात की शिखा से उम्मीद नही थी और ना ही ये बात शिखा के स्वाभाव से मेल खाती थी. इसलिए एक पल के लिए उसकी इस बात ने जहाँ मेरी बोलती बंद कर दी. वही निक्की का चेहरा भी उतर गया.
वो शिखा से कुछ बोलने ही वाली थी कि, मैने उसे चुप रहने का इशारा किया. मैं शिखा के दिल का हाल जानता था. इसलिए उसकी बात का बुरा माने बिना, फिर उस से बात करने की कोसिस करते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मैने क्या किया. मुझसे आपका रोना नही देखा गया था. बस इसलिए आपके पास आ गया था. लेकिन यदि आपको मेरा आना बुरा लगा है तो, मैं अभी यहाँ से चला जाता हूँ.”
इतना कह कर, मैं वापस जाने के लिए मूड गया. लेकिन शायद शिखा को मेरे इस तरह उसके पास से, उदास जाना अच्छा नही लगा. उसने रोते रोते अपना सर उठा कर मुझे देखते हुए कहा.
शिखा बोली “तुमको मेरी इतनी फिकर इसलिए हो रही है ना. क्योकि तुम उनके फ्रेंड हो.”
शिखा की इस बात को सुनकर, मुझे अहसास हुआ कि, इतना सब कुछ होने के बाद भी, शिखा अब भी अजय को इज़्ज़त देकर ही बात कर रही है. जिसका मतलब साफ था कि, उसके दिल मे अजय के लिए नफ़रत से ज़्यादा प्यार है.
शिखा ने मुझसे ये सवाल करके, मुझे बात करने का एक मौका दे दिया था. अब ये मेरे उपर था कि, मैं उस से कितनी देर बात कर सकता हूँ. मैने उसको उसकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, आपका ऐसा सोचना सही नही है. मुझे अभी आपको रोते देख कर ये बात पता चली कि, अजजी जिस लड़की को प्यार करता है, वो लड़की आप हो. जबकि आपके लिए मेरे दिल मे इज़्ज़त तो सुरू से ही है और इसी वजह से मुझे आपकी फिकर है.”
शिखा को शायद मेरी इस बात का विस्वास हो गया था या फिर इस समय वो मुझसे कोई बहस नही करना चाहती थी. इसलिए इसके बाद उसने मुझसे इस बात के लिए कोई सफाई नही माँगी और रोते हुए ही कहा.
शिखा बोली “मेरी फिकर मत करो और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. तुम लोग यहाँ से जाओ और अपने दोस्त से भी कह दो कि, अब मेरे घर, मेरी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए चला जाए.”
इतना बोल कर वो, सर झुका कर फिर रोने लगी. शिखा की आख़िरी बात सुनकर, मैं भी डर गया. लेकिन अभी सबसे ज़रूरी शिखा को संभालना था. मैं उसे शांत करने के लिए कुछ सोचने लगा.
तभी मुझे शिखा का रोना रोकने का एक तरीका समझ मे आया. मैने निक्की से कान मे अपनी बात कही और वो प्रिया के पास जाने की बोल कर चली गयी. निक्की के जाने के बाद मैने शिखा से कहा.
मैं बोला “दीदी, प्लीज़ रोना बंद कीजिए.”
शिखा बोली “मैने कहा ना, तुम जाओ यहाँ से, मुझे अकेला छोड़ दो.”
अभी शिखा इतना ही बोल पाई थी कि, तभी निक्की भागती हुई आई और शिखा से कहा.
निक्की बोली “दीदी, प्रिया की तबीयत सही नही लग रही. उसे घबराहट सी हो रही है.”
निक्की की बात सुनते ही शिखा ने जल्दी से अपने चेहरे पर हाथ फेरा और उठ कर प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गयी. उसके पीछे पीछे हम दोनो भी चलने लगे. हम प्रिया के कमरे मे पहुचे और शिखा उसका रक्त का दबाव (ब्लड प्रेशर) देखने लगी.
उधर प्रिया ने मुझे देख कर आँख मारी और फिर अपना ब्लड प्रेशर देख रही शिखा से कहा.
प्रिया बोली “दीदी, मुझे बहुत घबराहट हो रही है.”
प्रिया को घबराते देख, शिखा ने उसे समझाते हुए कहा.
शिखा बोली “घबराओ मत प्रिया. तुम्हे कुछ नही हुआ है. तुम्हारा ब्लड प्रेशर भी सही है.”
प्रिया बोली “दीदी मुझे बहुत डर लग रहा है. आप कही मत जाइए, मेरे पास ही रहिए.”
शिखा बोली “डरो मत, मैं कहीं नही जा रही. मैं तुम्हारे पास ही हूँ.”
ये कह कर शिखा प्रिया के पास ही बैठ गयी और प्रिया का दिल बहलाने की कोसिस करने लगी. मेरी शिखा का ध्यान बटाने की चाल तो कामयाब हो गयी थी. मैने निक्की को उनके साथ ही रहने को कहा और फिर मैं बाहर अजय के पास आ गया.
अजय बाहर अब भी परेसानी की हालत मे यहाँ वहाँ टहल रहा था. मैने उसे अंदर की सारी बातें बताई तो, उसने राहत की साँस ली. लेकिन शिखा की घर छोड़ने वाली बात सुनकर वो कुछ सोच मे पड़ गया.
मुझे भी समझ मे नही आ रहा था कि, अब ऐसी हालत मे उसे क्या करना चाहिए. जब मेरी कुछ समझ मे नही आया तो, मैने उस से ही पूछा.
मैं बोला “अब तुमने आगे क्या करने का सोचा है.”
मेरी बात का अजय ने सीधा सा जबाब देते हुए कहा.
अजय बोला “इसमे सोचना क्या है. घर उसका है, जिंदगी उसकी है. वो यदि चाहती है कि, मैं उसके घर से चला जाउ तो, मैं चला जाउन्गा.”
अजय का ये फ़ैसला किसी भी तरह से ग़लत नही था. लेकिन अजय के इस फ़ैसले से मुझे बहुत दुख हो रहा था. शायद अजय को भी मेरी इस हालत का अहसास हो गया था और उसने मुझसे कहा.
अजय बोला “तुम इस बात को लेकर दुखी क्यो होते हो. मैने उसके घर से चले जाने का फ़ैसला किया है. लेकिन अभी हार नही मानी है. उसको मनाने का कोई ना कोई रास्ता मिल ही जाएगा.”
अजय की इस बात से मुझे कुछ तसल्ली हुई. मैने उस से अंकल के पास से होकर आने की बात की और फिर मैं उपर चला गया. अंकल के पास से आने के बाद मैने कीर्ति से सो जाने को कहा तो, उसने कल अजय के घर जाने पर कॉल करने को कह कर कॉल रख दिया.
इसके बाद मैं अजय के साथ ही रहा. बीच बीच मे मैं अंकल के पास जाकर उन्हे देख आता था. इस बीच मैं दो तीन बार प्रिया के पास भी गया. वो शिखा को अपनी बातों मे तब तक उलझाए रखी, जब तक कि सुबह के 6 नही बज गये और शिखा का मरीजों को देखने का समय नही हो गया.
सुबह 6 बजे के पहले ही मैने मेहुल को कॉल लगा कर उठा दिया था और उसे 7 बजे के पहले हॉस्पिटल आने का कह दिया था. ऐसा मैने इसलिए किया था, ताकि अजय के साथ मैं भी शिखा के घर जा सकूँ.
मैं अजय के साथ बैठा मेहुल के आने का इंतजार कर रहा था और फिर 6:45 पर मेहुल आ गया. मुझसे थोड़ी बहुत बात करके, वो उपर अंकल के पास चला गया. उसके जाने के बाद मैने अजय से कहा.
मैं बोला “मुझे लगता है कि, आज शिखा दीदी तुम्हारे साथ घर नही जाएगी.”
अजय बोला “मुझे भी यही लग रहा है. लेकिन मुझे उसका इंतजार तो करना ही पड़ेगा.”
अजय की बात सुनकर, हम शिखा के आने का इंतजार करने लगे. थोड़ी ही देर मे शिखा निक्की के साथ बाहर आती दिखाई दी. लेकिन बाहर आने के बाद, वो यहाँ वहाँ टॅक्सी देखने लगी. मैं टॅक्सी से उतर कर, उसके पास गया और उस से अजय की टॅक्सी मे चलने को कहा तो उसने सॉफ मना कर दिया.
मैने उसे बहुत मानने की कोशिस की, लेकिन वो नही मानी और दूसरी टॅक्सी लेकर चली गयी. उसके जाने के बाद निक्की ने अजय से बताया कि, शिखा उसका घर आज के आज ही खाली करने की बात बोल कर गयी है.
ये बात बोलते बोलते निक्की की आँखे भर आई. अजय ने उसे दिलासा दिया कि, वो सब ठीक कर लेगा. इसके बाद अजय ने अमन को कॉल करके, उसका समान ले जाने के लिए गाड़ी भेजने को कहा और फिर हम शिखा के घर के लिए निकल गये.
करीब 8 बजे हम शिखा के घर पहुचे और फिर अजय अपना समान पॅक करने लगा. उसने मुझसे कहा कि, अमन समान के लिए गाड़ी भेजने वाला है, इसलिए मैं बाहर खड़ा होकर गाड़ी देखता रहूं.
मैं बाहर छत पर खड़ा होकर गाड़ी आने का वेट करने लगा. इसी बीच मैने कीर्ति को कॉल किया और उसे बताया कि, अजय शिखा का घर छोड़ कर जा रहा है. अभी मैं कीर्ति को इतना ही बोल पाया था कि, तभी मुझे शिखा के घर के बाहर एक कार रुकती दिखी.
मुझे लगा कि, अमन ने समान के लिए कार भेजी है और इतने सारे समान के लिए कार भेजना मुझे कुछ अजीब सा लगा. इसलिए मैने अजय को आवाज़ देते हुए कहा.
मैं बोला “घर के सामने एक कार आकर रुकी है.”
अजय बोला “मैने कार का नही बोला था. तुम जाकर देखो कि, कार मे कौन है.”
अभी अजय ने इतनी ही बात बोली थी कि, मुझे कार से एक लड़की उतरती दिखी. लड़की ने नीचे उतरते ही एक बार मेरी तरफ देखा. उस पर नज़र पड़ते ही मुझे एक जोरदार झटका सा लगा.
क्योकि लड़की की शकल इतनी भयानक लग रही थी कि, यदि कोई कमजोर दिल वाला उसे रात मे देख ले तो, उसको दिल का दौरा पड़ जाए. कुछ देर के लिए तो मैं भी उसकी शकल देख कर दहशत मे आ गया था.
अजय ने मुझे अब भी अपनी ही जगह पर खड़ा देखा तो, मुझे टोकते हुए कहा.
अजय बोला “क्या हुआ, तुम पता करने नही गये.”
मैं बोला “कार मे कोई लड़की है.”
ये बात सुनते ही अजय मेरे पास आया और नीचे देखने लगा. लड़की नीचे दरवाजे पर खड़ी सड़क की तरफ ऐसे देख रही थी. जैसे किसी के आने का इंतजार कर रही हो. उस लड़की पर अजय की नज़र पड़ते ही उस ने कहा.
अजय बोला “ये यहाँ कैसे आ गयी. लगता आज का दिन ही खराब है. चलो जल्दी नीचे चलो. इसे अंदर आने से रोकना होगा.”
ये कहते हुए अजय नीचे जाने के लिए बढ़ गया. उस लड़की की शकल देख कर, मैं पहले से ही एक गहरे से सदमे मे था. उस पर अजय का इस तरह से उस लड़की से डरने की बात ने मुझे और भी उलझन मे डाल दिया था. मैं किसी बुत की तरह अजय के पीछे पीछे नीचे आने लगा.