desiaks
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मैं अपने आपको इस सब से बाहर निकालने की कोसिस कर रहा था. लेकिन चाह कर भी ऐसा कर नही पा रहा था. अभी मैं अपने आँसू रोकने की नाकाम कोसिस मे लगा था कि, तभी छोटी माँ और प्रिया आ गयी.
उन्हो ने मुझे ऐसी हालत मे देखा तो, वो दोनो भी मेरे पास ज़मीन पर ही बैठ गयी. छोटी माँ को अपने पास पाकर मैं अपने आपको संभाल नही पाया और उनसे लिपट कर रोने लगा. तभी बरखा भी वहाँ नेहा के साथ आ गयी. उसने मुझे फिर से रोते देखा तो, उसने छोटी माँ से कहा.
बरखा बोली “आंटी, ये दीदी के जाने के पहले से ही, इसी तरह से यहाँ बैठ कर रो रहा है. मैं तो इसे समझा समझा कर थक चुकी हूँ. अब आप ही इसे कुछ समझाइये कि, ये लड़कियों की तरह इस तरह रोना बंद करे. ऐसा तो कोई लड़की भी नही रोती है, जैसा ये रो रहा है.”
बरखा की बात सुनकर, छोटी माँ ने मेरे आँसू पोन्छे, लेकिन उन्हो ने मुझे कुछ समझने की जगह, उल्टे बरखा को ही समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “जैसा तुम सोच रही हो, ऐसा नही है. मेरा पुन्नू बहुत बहादुर है. लेकिन इसके साथ साथ ये बहुत भावुक भी है. शिखा को ये दिल से अपनी बहन मानता है. इसलिए उसकी दूरी इस से सहन नही हो रही है.”
“जिसे तुम मेरे बेटे की कमज़ोरी समझ रही हो, वो ही उसकी असली ताक़त है. जिसकी वजह से इसके अंदर किसी भी रिश्ते को समझने और उस रिश्ते को निभाने की क़ाबलियत हम सब से ज़्यादा है. मुझे अपने बेटे की इस क़ाबलियत पर बहुत नाज़ है.”
ये कह कर छोटी माँ ने मेरे माथे को चूमा और मुझे अपने गले से लगा लिया. छोटी की माँ की बातों को सुनकर, मैं भी अब कुछ सामान्य सा महसूस कर रहा था. वही बरखा को लगा कि छोटी माँ को उसकी बात बुरी लग गयी है. इसलिए उसने अपनी बात पर छोटी माँ को सफाई देते हुए कहा.
बरखा बोली “सॉरी आंटी, मैं अपनी किसी बात से आपको या पुन्नू को चोट पहुचाना नही चाहती थी. मैने तो वो बात सिर्फ़ मज़ाक मे और इसको चुप करने के लिए बोली थी.”
बरखा की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “मुझे तुम्हारी किसी भी बात का बुरा नही लगा है. क्योकि मैं जानती हूँ कि, तुमने वो बात सिर्फ़ पुन्नू को चुप करने के लिए कही थी. मैं तो तुमको सिर्फ़ ये समझाना चाहती थी कि, भले ही ये अपनी भावनाओं पर काबू नही रख पाता है, मगर इसकी यही बात इसे एक बेहतर इंसान बनाती है और इस से मिलने वाले हर एक को इस से प्यार करने पर मजबूर कर देती है.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और बरखा ने मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा बोली “आंटी, आपने इसके बारे मे ये बात तो बिल्कुल सही कही है. मेरे इस भाई मे ये खूबी तो ज़रूर है कि, ये एक बार जिस किसी से मिल ले, वो इसे जिंदगी भर भुला नही सकता.”
बरखा की इस बात पर सब एक बार फिर से मुस्कुरा दिए. लेकिन छोटी माँ ने सबकी इस मुस्कुराहट पर विराम लगाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “लेकिन इसके अंदर एक बुरी आदत भी है.”
छोटी माँ की इस बात ने सबके साथ साथ मुझे भी हैरान कर दिया था और सब हैरानी से उनकी तरफ देख रहे थे. वही प्रिया ने हैरत से कहा.
प्रिया बोली “वो बुरी आदत क्या है.”
प्रिया की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “वो आदत ये है कि, यदि इसे समय पर चाय ना मिले तो, इसका सर भारी हो जाता है और फिर ये पूरे समय सर दर्द से परेशान रहता है.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, सब हँसने लगे. लेकिन बरखा ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा.
बरखा बोली “ओह्ह शिट, दीदी ने मुझे ये बताया भी था, लेकिन मेरे दिमाग़ से ये बात निकल गयी. आंटी आप फ्रेश हो जाइए, मैं अभी चाय लेकर आती हूँ.”
ये कह कर बरखा, नेहा को खिचते हुए अपने साथ नीचे ले गयी. उनके जाने के बाद, छोटी माँ ने मुझे कुछ बातें समझाई और फिर वो फ्रेश होने चली गयी. छोटी माँ के जाने के बाद, मैने प्रिया से पद्मिकनी आंटी के बारे मे पुछा तो, उसने बताया कि, वो लोग घर चली गयी है.
अभी मेरी और प्रिया की बातें चल ही रही थी कि, तभी मेहुल आ गया. उसने राज के घर जाने की बात बताते हुए कहा.
मेहुल बोला “मैं राज के साथ घर जा रहा हूँ. आंटी की फ्लाइट 11 बजे की है और वो जाने के पहले पापा से मिलना चाहती है. इसलिए तुम आंटी को लेकर पहले हॉस्पिटल आ जाना. फिर वही से एरपोर्ट के लिए निकल जाना.”
मैने उसकी बात सुनकर, हां मे अपनी सहमति दी. इसके बाद उसने प्रिया से घर चलने का पुछा तो, वो फ्रेश होने की बात कह कर, उसके साथ चली गयी. उनके जाने के बाद, मैं भी फ्रेश होने चला गया.
मैं जब फ्रेश होकर आया तो, छोटी माँ तैयार हो चुकी थी और बरखा के साथ चाय नाश्ता कर रही थी. मैने भी तैयार होते हुए चाय नाश्ता करने लगा. छोटी माँ का चाय नाश्ता हो चुका था और अब वो अपने समान की पॅकिंग कर रही थी.
उनके समान की पॅकिंग होते होते, मेरा तैयार होना और चाय नाश्ता करना भी हो गया. इसके बाद, हमारी आपस मे बातें चलती रही. फिर 9:बजे मेहुल का कॉल आया कि, वो लोग हॉस्पिटल के लिए निकल रहे है.
मेहुल की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुझसे समान नीचे लेकर चलने को कहा और वो नीचे आकर आंटी से मिलने लगी. इस बीच मैने और बरखा ने आकर उनका समान कार मे रख दिया.
छोटी माँ के आंटी से मिल लेने के बाद, मैं बरखा और नेहा उनके साथ हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े. मैने बरखा से हीतू का पुछा तो, उसने बताया कि, हीतू को बहुत नींद आ रही थी. इसलिए वो विदा के बाद, ही घर चला गया. फिर कुछ ही देर मे हम हॉस्पिटल पहुच गये.
हम वहाँ पहुचे तो, हमे वहाँ निक्की, रिया, प्रिया, नितिका खड़ी नज़र आई. लेकिन अंकल, मेहुल और राज नज़र नही आए. हमने निक्की से मेहुल लोगों का पुछा तो, उसने बताया कि, वो अंकल को डॉक्टर को दिखा रहे है. निक्की की बात सुनकर हम सब उनके आने का इंतजार करने लगे.
कुछ ही देर मे मेहुल लोग बाहर आते दिखाई दिए. उनके आते ही छोटी माँ, राजेश अंकल से उनका हाल चाल पुच्छने लगी. उन्हो ने कुछ देर तक अंकल से बात की और फिर उनसे इजाज़त लेकर हम फ्लाइट पकड़ने के लिए निकल पड़े.
हम लोग 10:45 बजे एरपोर्ट पहुच गये. इस थोड़ी से समय मे ही छोटी माँ ने मुझे ढेर सारी बातें समझा दी. जब उनकी फ्लाइट का समय हो गया तो, वो सबसे मिलने लगी. इसके बाद उन्हो ने मुझे गले लगा कर, मेरा माथा चूमा और फिर हम सबको बाइ कह कर अपनी फ्लाइट की तरफ बढ़ गयी.
छोटी माँ के जाने से एक बार फिर मेरी आँखों मे नमी छा गयी थी. मैं उन्हे जाते हुए देख रहा था. अचानक उन्हो ने पलट कर हमारी तरफ देखा, उनकी आँखों मे नमी सी नज़र आ रही थी.
लेकिन उन्हो ने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए, मुझे आँसू ना बहाने का इशारा किया. जिसे देख कर मैने फ़ौरन अपनी आँखों को पोछ लिया. उन ने मुझे एक प्यारी सी मुस्कान दी. मगर फिर अचानक ही उनकी आँखे छलकने लगी. उन्हो ने फ़ौरन ही अपनी आँखों को पोन्छा और पलट कर तेज कदमो से अपनी फ्लाइट की तरफ बढ़ गयी.
कुछ ही देर मे वो हमारी नज़रो से ओझल हो गयी. मगर मेरा दिल अभी भी वहाँ से जाने का नही कर रहा था और मैं अपनी नम आँखें लिए, अभी भी उसी तरफ देखे जा रहा था, जिस तरफ छोटी माँ गयी थी. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे कि छोटी माँ फिर से मुस्कुराती हुई वापस आ जाएगी.
मैं अपने आपको इस सब से बाहर निकालने की कोसिस कर रहा था. लेकिन चाह कर भी ऐसा कर नही पा रहा था. अभी मैं अपने आँसू रोकने की नाकाम कोसिस मे लगा था कि, तभी छोटी माँ और प्रिया आ गयी.
उन्हो ने मुझे ऐसी हालत मे देखा तो, वो दोनो भी मेरे पास ज़मीन पर ही बैठ गयी. छोटी माँ को अपने पास पाकर मैं अपने आपको संभाल नही पाया और उनसे लिपट कर रोने लगा. तभी बरखा भी वहाँ नेहा के साथ आ गयी. उसने मुझे फिर से रोते देखा तो, उसने छोटी माँ से कहा.
बरखा बोली “आंटी, ये दीदी के जाने के पहले से ही, इसी तरह से यहाँ बैठ कर रो रहा है. मैं तो इसे समझा समझा कर थक चुकी हूँ. अब आप ही इसे कुछ समझाइये कि, ये लड़कियों की तरह इस तरह रोना बंद करे. ऐसा तो कोई लड़की भी नही रोती है, जैसा ये रो रहा है.”
बरखा की बात सुनकर, छोटी माँ ने मेरे आँसू पोन्छे, लेकिन उन्हो ने मुझे कुछ समझने की जगह, उल्टे बरखा को ही समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “जैसा तुम सोच रही हो, ऐसा नही है. मेरा पुन्नू बहुत बहादुर है. लेकिन इसके साथ साथ ये बहुत भावुक भी है. शिखा को ये दिल से अपनी बहन मानता है. इसलिए उसकी दूरी इस से सहन नही हो रही है.”
“जिसे तुम मेरे बेटे की कमज़ोरी समझ रही हो, वो ही उसकी असली ताक़त है. जिसकी वजह से इसके अंदर किसी भी रिश्ते को समझने और उस रिश्ते को निभाने की क़ाबलियत हम सब से ज़्यादा है. मुझे अपने बेटे की इस क़ाबलियत पर बहुत नाज़ है.”
ये कह कर छोटी माँ ने मेरे माथे को चूमा और मुझे अपने गले से लगा लिया. छोटी की माँ की बातों को सुनकर, मैं भी अब कुछ सामान्य सा महसूस कर रहा था. वही बरखा को लगा कि छोटी माँ को उसकी बात बुरी लग गयी है. इसलिए उसने अपनी बात पर छोटी माँ को सफाई देते हुए कहा.
बरखा बोली “सॉरी आंटी, मैं अपनी किसी बात से आपको या पुन्नू को चोट पहुचाना नही चाहती थी. मैने तो वो बात सिर्फ़ मज़ाक मे और इसको चुप करने के लिए बोली थी.”
बरखा की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “मुझे तुम्हारी किसी भी बात का बुरा नही लगा है. क्योकि मैं जानती हूँ कि, तुमने वो बात सिर्फ़ पुन्नू को चुप करने के लिए कही थी. मैं तो तुमको सिर्फ़ ये समझाना चाहती थी कि, भले ही ये अपनी भावनाओं पर काबू नही रख पाता है, मगर इसकी यही बात इसे एक बेहतर इंसान बनाती है और इस से मिलने वाले हर एक को इस से प्यार करने पर मजबूर कर देती है.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और बरखा ने मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा बोली “आंटी, आपने इसके बारे मे ये बात तो बिल्कुल सही कही है. मेरे इस भाई मे ये खूबी तो ज़रूर है कि, ये एक बार जिस किसी से मिल ले, वो इसे जिंदगी भर भुला नही सकता.”
बरखा की इस बात पर सब एक बार फिर से मुस्कुरा दिए. लेकिन छोटी माँ ने सबकी इस मुस्कुराहट पर विराम लगाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “लेकिन इसके अंदर एक बुरी आदत भी है.”
छोटी माँ की इस बात ने सबके साथ साथ मुझे भी हैरान कर दिया था और सब हैरानी से उनकी तरफ देख रहे थे. वही प्रिया ने हैरत से कहा.
प्रिया बोली “वो बुरी आदत क्या है.”
प्रिया की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “वो आदत ये है कि, यदि इसे समय पर चाय ना मिले तो, इसका सर भारी हो जाता है और फिर ये पूरे समय सर दर्द से परेशान रहता है.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, सब हँसने लगे. लेकिन बरखा ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा.
बरखा बोली “ओह्ह शिट, दीदी ने मुझे ये बताया भी था, लेकिन मेरे दिमाग़ से ये बात निकल गयी. आंटी आप फ्रेश हो जाइए, मैं अभी चाय लेकर आती हूँ.”
ये कह कर बरखा, नेहा को खिचते हुए अपने साथ नीचे ले गयी. उनके जाने के बाद, छोटी माँ ने मुझे कुछ बातें समझाई और फिर वो फ्रेश होने चली गयी. छोटी माँ के जाने के बाद, मैने प्रिया से पद्मिकनी आंटी के बारे मे पुछा तो, उसने बताया कि, वो लोग घर चली गयी है.
अभी मेरी और प्रिया की बातें चल ही रही थी कि, तभी मेहुल आ गया. उसने राज के घर जाने की बात बताते हुए कहा.
मेहुल बोला “मैं राज के साथ घर जा रहा हूँ. आंटी की फ्लाइट 11 बजे की है और वो जाने के पहले पापा से मिलना चाहती है. इसलिए तुम आंटी को लेकर पहले हॉस्पिटल आ जाना. फिर वही से एरपोर्ट के लिए निकल जाना.”
मैने उसकी बात सुनकर, हां मे अपनी सहमति दी. इसके बाद उसने प्रिया से घर चलने का पुछा तो, वो फ्रेश होने की बात कह कर, उसके साथ चली गयी. उनके जाने के बाद, मैं भी फ्रेश होने चला गया.
मैं जब फ्रेश होकर आया तो, छोटी माँ तैयार हो चुकी थी और बरखा के साथ चाय नाश्ता कर रही थी. मैने भी तैयार होते हुए चाय नाश्ता करने लगा. छोटी माँ का चाय नाश्ता हो चुका था और अब वो अपने समान की पॅकिंग कर रही थी.
उनके समान की पॅकिंग होते होते, मेरा तैयार होना और चाय नाश्ता करना भी हो गया. इसके बाद, हमारी आपस मे बातें चलती रही. फिर 9:बजे मेहुल का कॉल आया कि, वो लोग हॉस्पिटल के लिए निकल रहे है.
मेहुल की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुझसे समान नीचे लेकर चलने को कहा और वो नीचे आकर आंटी से मिलने लगी. इस बीच मैने और बरखा ने आकर उनका समान कार मे रख दिया.
छोटी माँ के आंटी से मिल लेने के बाद, मैं बरखा और नेहा उनके साथ हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े. मैने बरखा से हीतू का पुछा तो, उसने बताया कि, हीतू को बहुत नींद आ रही थी. इसलिए वो विदा के बाद, ही घर चला गया. फिर कुछ ही देर मे हम हॉस्पिटल पहुच गये.
हम वहाँ पहुचे तो, हमे वहाँ निक्की, रिया, प्रिया, नितिका खड़ी नज़र आई. लेकिन अंकल, मेहुल और राज नज़र नही आए. हमने निक्की से मेहुल लोगों का पुछा तो, उसने बताया कि, वो अंकल को डॉक्टर को दिखा रहे है. निक्की की बात सुनकर हम सब उनके आने का इंतजार करने लगे.
कुछ ही देर मे मेहुल लोग बाहर आते दिखाई दिए. उनके आते ही छोटी माँ, राजेश अंकल से उनका हाल चाल पुच्छने लगी. उन्हो ने कुछ देर तक अंकल से बात की और फिर उनसे इजाज़त लेकर हम फ्लाइट पकड़ने के लिए निकल पड़े.
हम लोग 10:45 बजे एरपोर्ट पहुच गये. इस थोड़ी से समय मे ही छोटी माँ ने मुझे ढेर सारी बातें समझा दी. जब उनकी फ्लाइट का समय हो गया तो, वो सबसे मिलने लगी. इसके बाद उन्हो ने मुझे गले लगा कर, मेरा माथा चूमा और फिर हम सबको बाइ कह कर अपनी फ्लाइट की तरफ बढ़ गयी.
छोटी माँ के जाने से एक बार फिर मेरी आँखों मे नमी छा गयी थी. मैं उन्हे जाते हुए देख रहा था. अचानक उन्हो ने पलट कर हमारी तरफ देखा, उनकी आँखों मे नमी सी नज़र आ रही थी.
लेकिन उन्हो ने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए, मुझे आँसू ना बहाने का इशारा किया. जिसे देख कर मैने फ़ौरन अपनी आँखों को पोछ लिया. उन ने मुझे एक प्यारी सी मुस्कान दी. मगर फिर अचानक ही उनकी आँखे छलकने लगी. उन्हो ने फ़ौरन ही अपनी आँखों को पोन्छा और पलट कर तेज कदमो से अपनी फ्लाइट की तरफ बढ़ गयी.
कुछ ही देर मे वो हमारी नज़रो से ओझल हो गयी. मगर मेरा दिल अभी भी वहाँ से जाने का नही कर रहा था और मैं अपनी नम आँखें लिए, अभी भी उसी तरफ देखे जा रहा था, जिस तरफ छोटी माँ गयी थी. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे कि छोटी माँ फिर से मुस्कुराती हुई वापस आ जाएगी.