hotaks444
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[size=large]चौधराइन
भाग 21 – नया चस्का 2
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[size=large]ग़ोपाल चुपचाप खड़ा था। उससे मदन ने दूसरा पैर दबाने के लिये कहा लेकिन वो खड़ा ही रहा।
"अरे ग़ोपाल, तुम खड़े हो क्यों, दूसरा पांव दबाते क्यों नहीं चलो दबाओ !" चौधराइन माया देवी ने जब अपनी सधी आवाज में आदेश दिया तो गोपाल दूसरे पांव को दबाने लगा। चौधराइन ने मदन को मुस्कुरा के आंख मारी।
" चौधराइन चाची, कहाँ कहाँ दर्द कर रहा है?"
"अरे पूछ मत बेटा, पावों में कमर के नीचे और छाती में दर्द है, खूब जोर से दबाओ।"
चौधराइन ने खुल कर जाँघों, चूतड़ों और बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाने का निमंत्रण दे दिया था। मदन पाँव से लेकर कमर तक मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि गोपाल सिर्फ घुटनों तक ही दबा रहा था। मदन ने गोपाल का हाथ पकड़ा और चौधराइन की जांघों के ऊपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से ऊपर तक दबाओ। वो हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी मायादेवी की शानदार सुडोल गुदाज जांघों लम्बी लम्बी टांगों को नीचे से ऊपर तक मसलने लगा।
2-3 मिनट तक इस तरह से मजा लेने के बाद मदन ने कहा,"चाची साड़ी उतार दें...तो और आसानी होगी..."
"अच्छा, बेटा,..."
"गोपाल, साड़ी खोल दे।" चौधराइन का आदेश गूँजा।
उसने चौधराइन की ओर देखा लेकिन साड़ी खोलने के लिये हाथ आगे नहीं बढ़ाया।
"गोपाल, शरमाते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी भाभी को नंगी चुदवाते देखा है...यहां तो सिर्फ साड़ी उतारनी है, चल खोल दे।" और चौधराइन ने का गोपाल का हाथ पकड़ कर साड़ी की गांठ पर रखा। उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मदन ने साड़ी चौधराइन के बदन से अलग कर दी। काले रंग के ब्लाऊज़ और साया में गजब की माल लग रही थी।
गोपाल को अपनी तरफ़ देखते देख चौधराइन मुस्कुराई, “क्या देख रहा है गोपाल?
"मालकिन, आप बहुत सुन्दर हैं..." अचानक गोपाल ने कहा और प्यार से जांघों को सहलाया।
"तू भी बहुत प्यारा है.." माया ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनों से ऊपर खींच लिया।
चौधराइन के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये काफी थे। वो दोनों पैर दबा रहे थे लेकिन उनकी नजर चौधराइन की मस्त, बड़ी बड़ी मांसल चूचियों पर थी। लग रहा था जैसे कि चूचियां ब्लाऊज़ को फाड़ कर बाहर निकल जायेंगी।
मदन का मन कर रहा था कि फटाफट चौधराइन को नंगा कर चूत मे लण्ड पेल दे। लण्ड भी चोदने के लिये तैयार हो चुका था। और इस बार घुटनों के ऊपर हाथ बढा कर मदन ने हाथ साया के अन्दर घुसेड़ दिया और मखमली जांघों को सहलाते हुये चूत पर हाथ रखा।
फ़ूली हुई खूब बड़ी सी करीब बित्ते भर की मुलायम चिकनी चूत। अच्छा तो चौधराइन ने झाँटे साफ़ कर दीं थीं। मदन से रहा नहीं गया मसल दिया।
एक नहीं, दो नहीं, कई बार लेकिन चौधराइन ने एक बार भी मना नहीं किया।
मदन ने महसूस किया सहलाने से उत्तेजित हो उनकी पुत्तियाँ उभर आयीं और चूत पानी छोड़ने लगी
चौधराइन साया पहने थी और चूत दिखाई नहीं पड़ रही थी। साया ऊपर नाभी तक बंधा हुआ था। मदन उनकी चिकनी की हुई चूत को देखना चाहता था। एक दो बार चूत को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया।
" चौधराइन चाची, साया बहुत कसा बंधा हुआ है, थोड़ा ढीला कर लो.. "
मदन ने देखा कि गोपाल अब आराम से मायादेवी की जांघों को सहला मसल रहा था। गोपाल से कहा कि वो साये का नाड़ा खोल दे। तीन चार बार बोलने के बाद भी उसने नाड़ा नहीं खोला तो मदन ने ही नाड़ा खींच दिया और साया ऊपर से ढीला हो गया।
मदन पांव दबाना छोड़कर चौधराइन की कमर के पास आकर बैठ गया और साये को नीचे की तरफ ठेला। पहले तो उसका चिकना पेट दिखाई दिया और फिर नाभि। मदन ने कुछ पल तो नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला।
अब उसकी कमर और चूत के ऊपर का फ़ूला हुआ भाग दिखाई पड़ने लगा। अगर एक इंच और नीचे करता तो चूत दिखने लगती।
"आह बेटा, छाती में बहुत दर्द है.." माया ने धीरे से कहा । साया को वैसा ही छोड़कर मदनने अपने दोनों हाथ चौधराइन के मस्त और गुदाज लंगड़ा आमों (चूचियों) पर रखे और दबाया। गोपाल के दोनों हाथ अब सिर्फ जांघो के ऊपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड़ कर देख रहा था कि ये लड़का कैसे चौधराइन की चूचियां दबा रहा है।
" चौधराइन चाची, ब्लाउज खोल दो तो और आसानी होगी" मदन ने दबाते हुए कहा।
"तो खोल दे न " उसने जबाब दिया और मदन ने झटपट ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और ब्लाउज और ब्रा को चौधराइन की चूचियों से अलग कर दिया।
ब्रा हटते ही लेटी हुई चौधराइन के नुकीले मस्त और गुदाज लंगड़ा आम अपने भार से गोल हो, बड़े बड़े खरबूजों में बदल गये, देख कर मदन झनझना गया और जम कर उन्हें दबाने मसलने लगा और ग़ोपाल से कहा,
"कितनी ठोस है, लगता है जैसे गेंद में किसी ने कस कर हवा भर दी है।" फ़िर घुन्डी को मसल के बोला " क्यों गोपाल कैसा लग रहा है?" मदन जोर जोर से चूचियों को दबा रहा था।
अचानक मदन ने देखा कि गोपाल का एक हाथ चौधराइन की दोनों जांघों के बीच साया के ऊपर घूम रहा है। मदन ने एक हाथ से चूची दबाते हुए गोपाल का वो हाथ पकड़ा और उसे चौधराइन की नाभि के ऊपर रख कर दबाया।
"देख, चिकना है कि नहीं?" ये कह मदन उसके हाथ को दोनों जांघों के बीच चूत की तरफ धकेलने लगा। अचानक मदन चौधराइन के ऊपर झुका और घुन्डी को चूसने लगा।
तभी चौधराइन ने फुसफुसाकर मदन के कान में कहा, "बेटा, तू थोड़ी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये.."
मदन ने निपल चूसते चूसते गोपाल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और गोपाल का हाथ चौधराइन के चूत पर आ गया। उसने गोपाल के हाथ को दबाया और गोपाल चूत को मसलने लगा । कुछ देर तक दोनों ने एक साथ चूत को मसला और फिर मदन खड़ा हो गया। ग़ोपाल का हाथ अभी भी चौधराइन की चूत पर था लेकिन साया के नीचे चूत दिख नहीं रही थी।
मदन ने अपना पजामा पहना और गोपाल से कहा,"जब तक मैं वापस नहीं आता, तू इसी तरह मालकिन को दबाते रहना। दोनों चूचियों को भी खूब दबाना।"
मदन दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दिया। आस पास कोई भी नहीं था। वो इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने की जगह ढूंढने लगा। जैसा हर घर में होता है, दरवाजे के बगल में एक खिड़की थी। उसके दोनों पल्ले बन्द थे। हलके से धक्का दिया और पल्ला खुल गया। बिस्तर साफ साफ दिख रहा था।
चौधराइन ने गोपाल से कुछ कहा तो वो शरमा कर गर्दन हिलाने लगा। मायादेवी ने फिर कुछ कहा और गोपाल सीधा बगल में खड़ा हो गया। माया ने उसके लण्ड पर पैंट के ऊपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के ऊपर से चूत को मसलने लगा। एक दो मिनट तक लण्ड के ऊपर हाथ फेरने के बाद माया ने पैंट के बटन खोल डाले और गोपाल का साढ़े सात इन्च लम्बा लण्ड फ़नफ़ना के बाहर आ गया। मदन ने सपने में भी नही सोचा था कि इस जरा से लड़के का लण्ड इतना बड़ा होगा । चौधराइन ने झट से उसका टनटनाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
चौधराइन को मालूम था कि मदन जरुर देख रहा होगा, सो उसने खिड़की के तरफ देखा। नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लण्ड को दोनों हाथों से हिलाने लगी। गोपाल का लण्ड देख कर वो खुश थी। उधर गोपाल ने भी चूत के ऊपर से साये को हटा दिया तो आज मदन ने भी पहली बार उनकी साफ़ चिकनी की हुई चूत देखी शायद आज ही झांटें साफ की होंगी। उनकी चूत करीब बित्ते भर की फ़ूली हुई मुलायम चुद चुद के हल्की साँवली पड़ गई उत्तेजना से बाहर उठी पुत्तियों वाला टाइट भोसड़ा लग रही थी । जिसे मदन की आंखों के सामने एक लड़का मसल रहा था।
मायादेवी ने कुछ कहा तो गोपाल ने साया बिलकुल बाहर निकाल दिया। अब वो पूरी नंगी थी। शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज और रेशमी चिकनी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सा भोसड़ा अपने मोटे मोटे होठ खोले लण्ड का इन्तजार करता हुआ लग रहा था।
मायादेवी लण्ड की टोपी खोलने की कोशिश कर रही थी। उसने गोपाल से फिर कुछ पूछा और गोपाल ने ना में गर्दन हिलाई। शायद पूछा हो कि पहले किसी को चोदा है या नहीं। माया ने गोपाल को अपनी ओर खींचा और खूब जोर जोर से चूमने लगी और चूमते-चूमते उसे अपने ऊपर ले लिया।
अब मायादेवी की चूत नहीं दिख रही थी। उन्होंने अपना हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और अपने हाथ से लण्ड के सुपाड़े को चूत के मुहाने पर रखा। माया देवी ने गोपाल से कुछ कहा और वो दोनों चूची पकड़ कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा।
गोपाल अपने से 20 साल बड़ी गांव की सबसे मस्त सुन्दर और इज्जतदार औरत की चुदाई कर रहा था। मदन अपने लण्ड की हालत को भूल गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा। गोपाल जोर जोर से धक्का मार रहा था और चौधराईन भी अपने भारी चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी। यूँ तो गोपाल के लिये चुदाई का पहला मौका था ।
मदन देखता रहा और गोपाल जम कर चौधराइन चाची को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो चौधराइन के गुदाज बदन पर ढीला हो गया। मदन 2-3 मिनट तक बाहर खड़ा रहा और फिर दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया। मुझे देखते ही गोपाल हड़बड़ा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लण्ड को ढक लिया। लेकिन मायादेवी ने उसका हाथ अलग किया और मदन के सामने ही गोपाल के लण्ड को सहलाने लगी।
चौधराइन बिल्कुल नंगी थी। उसने दोनों टांगों को फैला रख्खा था और मुझे अपनी चूत की खुली फांके साफ साफ दिखा रही थीं। मदन उनकी कमर के पास बैठ कर चूत को सहलाने के ख्याल से हाथ लगा। चूत गोपाल के रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी।
चौधराइन का आदेश फ़िर गूँजा " गोपाल, इसे मेरे साये से साफ कर दे।"
गोपाल साया लेकर चूत के अन्दर बाहर साफ करने लगा।
गोपाल के लण्ड को सहलाते हुये मायादेवी बोली," गोपाल में बहुत दम है...मेरा सारा दर्द खत्म हो गया।" फिर उसने गोपाल से पूछा,"क्यों रे, तुझे कैसा लगा..?"
गोपाल “जी बहुत अच्छा मालकिन।
फ़िर उन्होंने गोपाल से कहा कि वो उसे बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अच्छी की। पर उन्होंने गोपाल को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे में बात करेगा तो वो बड़े मालिक (बड़े चौधरी काका) से बोल गाँव से निकलवा देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा गोपाल का लण्ड चूत में लेती रहेगी।
गोपाल ने कसम खाई कि वो किसी से कभी चौधराइन मालकिन के बारे में कुछ नहीं कहेगा। ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब चौधराइन ने उससे कहा कि वो जल्दी ही फिर उससे चुदवाने के लिए बुलवायेगी। मायादेवी ने उसे चूमा और कपड़े पहन कर बाहर जाने का आदेश दिया।
मदन ने गोपाल से कहा कि वो आंगन में जाकर अपना काम करे। गोपाल के जाते ही मदन ने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटाफट नंगा हो गया। लण्ड चोदने के लिये बेकरार था ही। चौधराइन ने नजदीक बुलाया और लण्ड पकड़ कर आश्चर्य से देख सहलाते हुए नखरे से कहने लगी,
"हाय आज मुझे मत चोद क्यों कि अभी अभी मैने चुदवाया है और दोपहर में तेरे बाप से भी चुदवाना है। तू घर की जिस किसी भी लड़की को चोदना चाहे, मैं चुदवा दूंगी..।"
मदन ने कोई जवाब न दे उन्हें लिटा दिया और उनकी दोनों टाँगे अपने कन्धों पर रख लीं जिससे उनकी चूत ऊपर को उभर आयी और दोनों फांके खुलकर लण्ड को दावत सी देने लगीं। मदन ने अपने लण्ड का सुपाड़ा चौधराइन की चूत के मुहाने पर दोनों फांकों के बीच रखा और धक्का मारते हुए कहा –“मेरे बाप से चुदवाना है तो क्या आपकी चूत मेरा लण्ड अन्दर लेने से मना कर देगी।”
गीली चूत मे लण्ड का सुपाड़ा पक से अन्दर घुस गया
चौधराइन "आह्ह्ह्ह्ह..... शाबाश ।"
मदन फ़िर बोला, “देखा कैसे बिना आना कानी किये घुस गया न।”
"आअह्ह्ह्ह्ह्ह....मजा आआआअ ग...याआअ.."
मदन चौधराइन के खरबूजों को थाम कर चोदने लगा।
"चौधराइन, अगर मुझे मालूम होता कि आप इतनी चुदासी रहती हो तो मैं 4-5 साल पहले ही चोद डालता, " कहते हुये मदन ने हुमच कर धक्का मारा।
चौधराइन ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और गाल पकड़कर नोचते हुए बोली," "आह्ह्ह्ह्ह..... शाबाश बेटा, वो तो तुझसे चुदवाने के बाद मैने जाना कि लड़कों से चुदवाने का अलग मजा होता है ।
मदन ने धक्का मारते मारते चौधराइन को चूमते हुए बोला
"सच बोल, चौधराइन चाची गोपाल के साथ चुदाई में मजा आया क्या?" मदन का लौड़ा अब आराम से उनके भोसड़े में अन्दर-बाहर हो रहा था।
"सच बोलूं बेटा, पहले तो मैं भी घबरा रही थी कि मैं इत्ती सी उम्र के लड़के के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गई हूँ लेकिन अगर वो नहीं चोद पाया तो !" चौधराइन ने गोपाल को याद कर चूतड़ उछाले और कहा," गोपाल ने खूब जम कर चोदा, लगा ही नहीं कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है.. मैं मस्त हो गई और अब मैं उससे अक्सर चुदवाया करूँगी।"
"और मैं चौधराइन चाची?" मदनने उसके टमाटर से गालों को चूसते हुये पूछा।
"बेटा, तेरा लौड़ा तो मस्त है ही और तेरे में गोपाल से ज्यादा दम भी है....मजा आ रहा है...."
और उसके बाद दोनों जम कर चुदाई करते रहे और आखिर में मदन के लण्ड ने चौधराइन के चूत में पानी छोड़ दिया। दोनों हांफ रहे थे। कुछ देर के बाद जब ठण्डे हो गये तो मदन ने उनकी चूत की फ़ूली फ़ाँके हथेली में दबोच कर कहा–“आज पता चला चाची कि आप इस रजिस्टर के हिसाब किताब के लिये अक्सर यहाँ आती हैं।”
चौधराइन –“अरे नहीं बेटा अभी तक सिर्फ़ चार नाम ही तो चढ़े हैं एक तेरा बाप सदानन्द दूसरा चौधरी साहब मेरे पति, तीसरा तू औ आज ये चौथा गोपाल बस ।”
मदन–“वाह चाची! चार तो ऐसे कह रही हो जैसे बहुत कम हैं।
चौधराइन –“अरे बेटा क्या करूँ ये चूत साली ऐसा रजिस्टर है कि भरता ही नहीं ।”
मदन मुट्ठी में दबोची उनकी फ़ूली चूत की फ़ाँकों के बीच उँगली चुभोते हुए बोला, “कोई बात नहीं चाची अब मैं इस रजिस्टर की देखभाल किया करूंगा और कोई पन्ना खाली न जाने दूँगा।”
चौधराइन हँसकर घर चली गयीं।
क्रमश:……………………………[/size]
भाग 21 – नया चस्का 2
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[size=large]ग़ोपाल चुपचाप खड़ा था। उससे मदन ने दूसरा पैर दबाने के लिये कहा लेकिन वो खड़ा ही रहा।
"अरे ग़ोपाल, तुम खड़े हो क्यों, दूसरा पांव दबाते क्यों नहीं चलो दबाओ !" चौधराइन माया देवी ने जब अपनी सधी आवाज में आदेश दिया तो गोपाल दूसरे पांव को दबाने लगा। चौधराइन ने मदन को मुस्कुरा के आंख मारी।
" चौधराइन चाची, कहाँ कहाँ दर्द कर रहा है?"
"अरे पूछ मत बेटा, पावों में कमर के नीचे और छाती में दर्द है, खूब जोर से दबाओ।"
चौधराइन ने खुल कर जाँघों, चूतड़ों और बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाने का निमंत्रण दे दिया था। मदन पाँव से लेकर कमर तक मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि गोपाल सिर्फ घुटनों तक ही दबा रहा था। मदन ने गोपाल का हाथ पकड़ा और चौधराइन की जांघों के ऊपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से ऊपर तक दबाओ। वो हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी मायादेवी की शानदार सुडोल गुदाज जांघों लम्बी लम्बी टांगों को नीचे से ऊपर तक मसलने लगा।
2-3 मिनट तक इस तरह से मजा लेने के बाद मदन ने कहा,"चाची साड़ी उतार दें...तो और आसानी होगी..."
"अच्छा, बेटा,..."
"गोपाल, साड़ी खोल दे।" चौधराइन का आदेश गूँजा।
उसने चौधराइन की ओर देखा लेकिन साड़ी खोलने के लिये हाथ आगे नहीं बढ़ाया।
"गोपाल, शरमाते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी भाभी को नंगी चुदवाते देखा है...यहां तो सिर्फ साड़ी उतारनी है, चल खोल दे।" और चौधराइन ने का गोपाल का हाथ पकड़ कर साड़ी की गांठ पर रखा। उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मदन ने साड़ी चौधराइन के बदन से अलग कर दी। काले रंग के ब्लाऊज़ और साया में गजब की माल लग रही थी।
गोपाल को अपनी तरफ़ देखते देख चौधराइन मुस्कुराई, “क्या देख रहा है गोपाल?
"मालकिन, आप बहुत सुन्दर हैं..." अचानक गोपाल ने कहा और प्यार से जांघों को सहलाया।
"तू भी बहुत प्यारा है.." माया ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनों से ऊपर खींच लिया।
चौधराइन के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये काफी थे। वो दोनों पैर दबा रहे थे लेकिन उनकी नजर चौधराइन की मस्त, बड़ी बड़ी मांसल चूचियों पर थी। लग रहा था जैसे कि चूचियां ब्लाऊज़ को फाड़ कर बाहर निकल जायेंगी।
मदन का मन कर रहा था कि फटाफट चौधराइन को नंगा कर चूत मे लण्ड पेल दे। लण्ड भी चोदने के लिये तैयार हो चुका था। और इस बार घुटनों के ऊपर हाथ बढा कर मदन ने हाथ साया के अन्दर घुसेड़ दिया और मखमली जांघों को सहलाते हुये चूत पर हाथ रखा।
फ़ूली हुई खूब बड़ी सी करीब बित्ते भर की मुलायम चिकनी चूत। अच्छा तो चौधराइन ने झाँटे साफ़ कर दीं थीं। मदन से रहा नहीं गया मसल दिया।
एक नहीं, दो नहीं, कई बार लेकिन चौधराइन ने एक बार भी मना नहीं किया।
मदन ने महसूस किया सहलाने से उत्तेजित हो उनकी पुत्तियाँ उभर आयीं और चूत पानी छोड़ने लगी
चौधराइन साया पहने थी और चूत दिखाई नहीं पड़ रही थी। साया ऊपर नाभी तक बंधा हुआ था। मदन उनकी चिकनी की हुई चूत को देखना चाहता था। एक दो बार चूत को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया।
" चौधराइन चाची, साया बहुत कसा बंधा हुआ है, थोड़ा ढीला कर लो.. "
मदन ने देखा कि गोपाल अब आराम से मायादेवी की जांघों को सहला मसल रहा था। गोपाल से कहा कि वो साये का नाड़ा खोल दे। तीन चार बार बोलने के बाद भी उसने नाड़ा नहीं खोला तो मदन ने ही नाड़ा खींच दिया और साया ऊपर से ढीला हो गया।
मदन पांव दबाना छोड़कर चौधराइन की कमर के पास आकर बैठ गया और साये को नीचे की तरफ ठेला। पहले तो उसका चिकना पेट दिखाई दिया और फिर नाभि। मदन ने कुछ पल तो नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला।
अब उसकी कमर और चूत के ऊपर का फ़ूला हुआ भाग दिखाई पड़ने लगा। अगर एक इंच और नीचे करता तो चूत दिखने लगती।
"आह बेटा, छाती में बहुत दर्द है.." माया ने धीरे से कहा । साया को वैसा ही छोड़कर मदनने अपने दोनों हाथ चौधराइन के मस्त और गुदाज लंगड़ा आमों (चूचियों) पर रखे और दबाया। गोपाल के दोनों हाथ अब सिर्फ जांघो के ऊपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड़ कर देख रहा था कि ये लड़का कैसे चौधराइन की चूचियां दबा रहा है।
" चौधराइन चाची, ब्लाउज खोल दो तो और आसानी होगी" मदन ने दबाते हुए कहा।
"तो खोल दे न " उसने जबाब दिया और मदन ने झटपट ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और ब्लाउज और ब्रा को चौधराइन की चूचियों से अलग कर दिया।
ब्रा हटते ही लेटी हुई चौधराइन के नुकीले मस्त और गुदाज लंगड़ा आम अपने भार से गोल हो, बड़े बड़े खरबूजों में बदल गये, देख कर मदन झनझना गया और जम कर उन्हें दबाने मसलने लगा और ग़ोपाल से कहा,
"कितनी ठोस है, लगता है जैसे गेंद में किसी ने कस कर हवा भर दी है।" फ़िर घुन्डी को मसल के बोला " क्यों गोपाल कैसा लग रहा है?" मदन जोर जोर से चूचियों को दबा रहा था।
अचानक मदन ने देखा कि गोपाल का एक हाथ चौधराइन की दोनों जांघों के बीच साया के ऊपर घूम रहा है। मदन ने एक हाथ से चूची दबाते हुए गोपाल का वो हाथ पकड़ा और उसे चौधराइन की नाभि के ऊपर रख कर दबाया।
"देख, चिकना है कि नहीं?" ये कह मदन उसके हाथ को दोनों जांघों के बीच चूत की तरफ धकेलने लगा। अचानक मदन चौधराइन के ऊपर झुका और घुन्डी को चूसने लगा।
तभी चौधराइन ने फुसफुसाकर मदन के कान में कहा, "बेटा, तू थोड़ी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये.."
मदन ने निपल चूसते चूसते गोपाल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और गोपाल का हाथ चौधराइन के चूत पर आ गया। उसने गोपाल के हाथ को दबाया और गोपाल चूत को मसलने लगा । कुछ देर तक दोनों ने एक साथ चूत को मसला और फिर मदन खड़ा हो गया। ग़ोपाल का हाथ अभी भी चौधराइन की चूत पर था लेकिन साया के नीचे चूत दिख नहीं रही थी।
मदन ने अपना पजामा पहना और गोपाल से कहा,"जब तक मैं वापस नहीं आता, तू इसी तरह मालकिन को दबाते रहना। दोनों चूचियों को भी खूब दबाना।"
मदन दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दिया। आस पास कोई भी नहीं था। वो इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने की जगह ढूंढने लगा। जैसा हर घर में होता है, दरवाजे के बगल में एक खिड़की थी। उसके दोनों पल्ले बन्द थे। हलके से धक्का दिया और पल्ला खुल गया। बिस्तर साफ साफ दिख रहा था।
चौधराइन ने गोपाल से कुछ कहा तो वो शरमा कर गर्दन हिलाने लगा। मायादेवी ने फिर कुछ कहा और गोपाल सीधा बगल में खड़ा हो गया। माया ने उसके लण्ड पर पैंट के ऊपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के ऊपर से चूत को मसलने लगा। एक दो मिनट तक लण्ड के ऊपर हाथ फेरने के बाद माया ने पैंट के बटन खोल डाले और गोपाल का साढ़े सात इन्च लम्बा लण्ड फ़नफ़ना के बाहर आ गया। मदन ने सपने में भी नही सोचा था कि इस जरा से लड़के का लण्ड इतना बड़ा होगा । चौधराइन ने झट से उसका टनटनाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
चौधराइन को मालूम था कि मदन जरुर देख रहा होगा, सो उसने खिड़की के तरफ देखा। नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लण्ड को दोनों हाथों से हिलाने लगी। गोपाल का लण्ड देख कर वो खुश थी। उधर गोपाल ने भी चूत के ऊपर से साये को हटा दिया तो आज मदन ने भी पहली बार उनकी साफ़ चिकनी की हुई चूत देखी शायद आज ही झांटें साफ की होंगी। उनकी चूत करीब बित्ते भर की फ़ूली हुई मुलायम चुद चुद के हल्की साँवली पड़ गई उत्तेजना से बाहर उठी पुत्तियों वाला टाइट भोसड़ा लग रही थी । जिसे मदन की आंखों के सामने एक लड़का मसल रहा था।
मायादेवी ने कुछ कहा तो गोपाल ने साया बिलकुल बाहर निकाल दिया। अब वो पूरी नंगी थी। शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज और रेशमी चिकनी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सा भोसड़ा अपने मोटे मोटे होठ खोले लण्ड का इन्तजार करता हुआ लग रहा था।
मायादेवी लण्ड की टोपी खोलने की कोशिश कर रही थी। उसने गोपाल से फिर कुछ पूछा और गोपाल ने ना में गर्दन हिलाई। शायद पूछा हो कि पहले किसी को चोदा है या नहीं। माया ने गोपाल को अपनी ओर खींचा और खूब जोर जोर से चूमने लगी और चूमते-चूमते उसे अपने ऊपर ले लिया।
अब मायादेवी की चूत नहीं दिख रही थी। उन्होंने अपना हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और अपने हाथ से लण्ड के सुपाड़े को चूत के मुहाने पर रखा। माया देवी ने गोपाल से कुछ कहा और वो दोनों चूची पकड़ कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा।
गोपाल अपने से 20 साल बड़ी गांव की सबसे मस्त सुन्दर और इज्जतदार औरत की चुदाई कर रहा था। मदन अपने लण्ड की हालत को भूल गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा। गोपाल जोर जोर से धक्का मार रहा था और चौधराईन भी अपने भारी चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी। यूँ तो गोपाल के लिये चुदाई का पहला मौका था ।
मदन देखता रहा और गोपाल जम कर चौधराइन चाची को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो चौधराइन के गुदाज बदन पर ढीला हो गया। मदन 2-3 मिनट तक बाहर खड़ा रहा और फिर दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया। मुझे देखते ही गोपाल हड़बड़ा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लण्ड को ढक लिया। लेकिन मायादेवी ने उसका हाथ अलग किया और मदन के सामने ही गोपाल के लण्ड को सहलाने लगी।
चौधराइन बिल्कुल नंगी थी। उसने दोनों टांगों को फैला रख्खा था और मुझे अपनी चूत की खुली फांके साफ साफ दिखा रही थीं। मदन उनकी कमर के पास बैठ कर चूत को सहलाने के ख्याल से हाथ लगा। चूत गोपाल के रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी।
चौधराइन का आदेश फ़िर गूँजा " गोपाल, इसे मेरे साये से साफ कर दे।"
गोपाल साया लेकर चूत के अन्दर बाहर साफ करने लगा।
गोपाल के लण्ड को सहलाते हुये मायादेवी बोली," गोपाल में बहुत दम है...मेरा सारा दर्द खत्म हो गया।" फिर उसने गोपाल से पूछा,"क्यों रे, तुझे कैसा लगा..?"
गोपाल “जी बहुत अच्छा मालकिन।
फ़िर उन्होंने गोपाल से कहा कि वो उसे बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अच्छी की। पर उन्होंने गोपाल को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे में बात करेगा तो वो बड़े मालिक (बड़े चौधरी काका) से बोल गाँव से निकलवा देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा गोपाल का लण्ड चूत में लेती रहेगी।
गोपाल ने कसम खाई कि वो किसी से कभी चौधराइन मालकिन के बारे में कुछ नहीं कहेगा। ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब चौधराइन ने उससे कहा कि वो जल्दी ही फिर उससे चुदवाने के लिए बुलवायेगी। मायादेवी ने उसे चूमा और कपड़े पहन कर बाहर जाने का आदेश दिया।
मदन ने गोपाल से कहा कि वो आंगन में जाकर अपना काम करे। गोपाल के जाते ही मदन ने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटाफट नंगा हो गया। लण्ड चोदने के लिये बेकरार था ही। चौधराइन ने नजदीक बुलाया और लण्ड पकड़ कर आश्चर्य से देख सहलाते हुए नखरे से कहने लगी,
"हाय आज मुझे मत चोद क्यों कि अभी अभी मैने चुदवाया है और दोपहर में तेरे बाप से भी चुदवाना है। तू घर की जिस किसी भी लड़की को चोदना चाहे, मैं चुदवा दूंगी..।"
मदन ने कोई जवाब न दे उन्हें लिटा दिया और उनकी दोनों टाँगे अपने कन्धों पर रख लीं जिससे उनकी चूत ऊपर को उभर आयी और दोनों फांके खुलकर लण्ड को दावत सी देने लगीं। मदन ने अपने लण्ड का सुपाड़ा चौधराइन की चूत के मुहाने पर दोनों फांकों के बीच रखा और धक्का मारते हुए कहा –“मेरे बाप से चुदवाना है तो क्या आपकी चूत मेरा लण्ड अन्दर लेने से मना कर देगी।”
गीली चूत मे लण्ड का सुपाड़ा पक से अन्दर घुस गया
चौधराइन "आह्ह्ह्ह्ह..... शाबाश ।"
मदन फ़िर बोला, “देखा कैसे बिना आना कानी किये घुस गया न।”
"आअह्ह्ह्ह्ह्ह....मजा आआआअ ग...याआअ.."
मदन चौधराइन के खरबूजों को थाम कर चोदने लगा।
"चौधराइन, अगर मुझे मालूम होता कि आप इतनी चुदासी रहती हो तो मैं 4-5 साल पहले ही चोद डालता, " कहते हुये मदन ने हुमच कर धक्का मारा।
चौधराइन ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और गाल पकड़कर नोचते हुए बोली," "आह्ह्ह्ह्ह..... शाबाश बेटा, वो तो तुझसे चुदवाने के बाद मैने जाना कि लड़कों से चुदवाने का अलग मजा होता है ।
मदन ने धक्का मारते मारते चौधराइन को चूमते हुए बोला
"सच बोल, चौधराइन चाची गोपाल के साथ चुदाई में मजा आया क्या?" मदन का लौड़ा अब आराम से उनके भोसड़े में अन्दर-बाहर हो रहा था।
"सच बोलूं बेटा, पहले तो मैं भी घबरा रही थी कि मैं इत्ती सी उम्र के लड़के के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गई हूँ लेकिन अगर वो नहीं चोद पाया तो !" चौधराइन ने गोपाल को याद कर चूतड़ उछाले और कहा," गोपाल ने खूब जम कर चोदा, लगा ही नहीं कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है.. मैं मस्त हो गई और अब मैं उससे अक्सर चुदवाया करूँगी।"
"और मैं चौधराइन चाची?" मदनने उसके टमाटर से गालों को चूसते हुये पूछा।
"बेटा, तेरा लौड़ा तो मस्त है ही और तेरे में गोपाल से ज्यादा दम भी है....मजा आ रहा है...."
और उसके बाद दोनों जम कर चुदाई करते रहे और आखिर में मदन के लण्ड ने चौधराइन के चूत में पानी छोड़ दिया। दोनों हांफ रहे थे। कुछ देर के बाद जब ठण्डे हो गये तो मदन ने उनकी चूत की फ़ूली फ़ाँके हथेली में दबोच कर कहा–“आज पता चला चाची कि आप इस रजिस्टर के हिसाब किताब के लिये अक्सर यहाँ आती हैं।”
चौधराइन –“अरे नहीं बेटा अभी तक सिर्फ़ चार नाम ही तो चढ़े हैं एक तेरा बाप सदानन्द दूसरा चौधरी साहब मेरे पति, तीसरा तू औ आज ये चौथा गोपाल बस ।”
मदन–“वाह चाची! चार तो ऐसे कह रही हो जैसे बहुत कम हैं।
चौधराइन –“अरे बेटा क्या करूँ ये चूत साली ऐसा रजिस्टर है कि भरता ही नहीं ।”
मदन मुट्ठी में दबोची उनकी फ़ूली चूत की फ़ाँकों के बीच उँगली चुभोते हुए बोला, “कोई बात नहीं चाची अब मैं इस रजिस्टर की देखभाल किया करूंगा और कोई पन्ना खाली न जाने दूँगा।”
चौधराइन हँसकर घर चली गयीं।
क्रमश:……………………………[/size]