hotaks444
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वह एक दम से घबड़ा गई और अपने को छुड़ाने की बेमन सी कोशिश करने लगी। पर लण्ड थामे रखा सो छोटे ठाकुर समझ गये कि चुदवाना तो चाहती है पर नखरे कर रही है। वो उसे चूमने की कोशिश करने लगे। वह लण्ड कस कर पकडे़ पकडे़ उससे दूर हटने की बेमन सी कोशिश करती रही। जय ने उसके दहकते गालों को चूम कर होंठों में दबा लिया और उसे लिए हुए बिस्तर पर जा पड़ा। उसे बिस्तर पर पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया और फिर नीचे झुक कर उस के होठों को चूमने की कोशिश करने लगा। वह अपना चेहरा इधर उधर घुमा रही थी पर छोटे ठाकुर उसके होठों को चूमने में कामयाब हो ही गये और बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियों को दोनों हाथों से थाम कर होठों का रस चूसने लगा। कुछ देर मे वो शान्त हुई मानो थक गई हो जय ठाकुर दोनो हाथों में पकड़ी बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियों को दबाते हुए कहा –
“नखरे क्यों दिखाती है साली। तू ही तो सबको कहानी सुनाना चाहती थी रानी एक पकड़ तेरे साथ भी हो जाए। फिर तू सुनाना कहानी सबको। चुदा ले जब मन हो रहा है क्यों मन मार रही है। अरे हमें नहीं देगी तो क्या अचार डालेगी चूत का। चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा ले और कुछ अपने यारों को भी दे।
आशा बोली नहीं नहीं छोड़ दो मुझे नहीं तो मैं अभी भाभी को बुलाती हूं।”
जय ठाकुर –
“बुला ले दोनों साथ ही चुदवाना मैं तो आज बिना चोदे नहीं छोड़ने वाला आशा बोली पहले एक को तो निपटा लो दोनों साथ ही चोदने की बाद में सोचना।”
–कहते हुए अपने हाथ में थमे लण्ड को धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर उसने छोटे ठाकुर का तौलिया खोल दिया और उसके 8” के फनफनाते हुआ लौंड़े को आजाद कर दिया। जय ठाकुर ने उसका ब्लाउज खींच कर खोल दिया। बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियाँ उछलकर बाहर आ गयी। फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर हाथ डालकर उसकी चिकनी चिकनी जांघों को सहलाने लगा। धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया। पर वो दोनों जांघों को कस कर दबाए हुए थी। जय उसकी चूत को ऊपर से ही कस कस कर सहलाने लगा तो उसने टॉगें फैला दी और उंगली चूत के अन्दर डाली। उंगली अन्दर होते ही वह कमर हिलाने लगी। इस से उसका पेटीकोट ऊपर हो गया। जय ने कमर पीछे करके लण्ड को उसके नंगे चूतड़ों की दरार में लगा दिया। क्या बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ थे। जय उसकी बड़ी बड़ी चूचियां हाथों में थामकर दबाते हुए लण्ड को बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ों पर रगड़ने लगा़।
“क्यों रानी कैसा लग रहा है अब तो चुदाओगी ।”
-जय ठाकुर ने हाथों में थमी बड़ी बड़ी चूचियां के निपल मसलते हुए लण्ड को बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ों पर रगड़ते हुए पूछा।
“हाय बहुत मजा आ रहा है।”
उसने अपना हाथ पीछे करके छोटे ठाकुर के लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली –
“हाय ठाकुर इतना मोटा लण्ड। कौन इस से चुदाने से इन्कार कर सकता है। चुदाना नहीं होता तो इतना हंगामा क्यों करती। चलो मुझे सीधी होने दो।”
–कहते हुए वह चित्त लेट गई।
अब वो दोनो अगल बगल लेटे थे। जय ठाकुर ने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा दी और लण्ड को उसकी जांघ पर रगड़ते हुए चूचियों को चूसने लगा। पत्थर की जैसी सख्त थी उसकी चूचियाँ। एक हाथ से उसकी चूची दबा सहला रहा था और दूसरे हाथ से नंगी नर्म चिकनी मोटी मोटी संगमरमरी जांघों को सहला नितंबों को दबा रहा था। वो ठाकुर के लण्ड को अपनी जांघों के बीच में दबा कर मसल रही थी। जब हम दोनो पूरी तरह जोश में आ गए तब आशा बोली –
“अब और मत तड़पाओ ठाकुर राज्जा। अब तो चोद दो।”
छोटे ठाकुर ने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से ऊपर उठा कर चूत को पूरा नंगा कर दिया। वो बोली “अरे कपड़े तो उतार लेने दो।”
जय ठाकुर बोला-
“नहीं तुझे अधनंगी देख कर जोश और डबल हो गया है। इसलिए पहली पकड़ तो कपडों के साथ ही होगी।”
फिर छोटे ठाकुर ने उसकी टांगें अपने कन्धें पर रखीं और उसने लण्ड पकड कर अपनी चूत के मुंह पर रख लिया और बोली –
“आजा राजा। शुरू हो जा।”
छोटे ठाकुर ने कमर आगे करके जोर का धक्का दिया और आधा लण्ड दनदनाता हुआ उसकी चूत में धंस गया। वो बोली
“हाय छोटे राज्जा ठाकुर जीयो। क्या शॉट लगाया है।”
छोटे ठाकुर ने उसकी सख्त चूचियों को पकड कर मसलते हुए दूसरा करारा शॉट लगाया और मेरा बचा हुआ लौंडा भी जड तक उसकी चूत में धंस गया। उसकी आह निकल गई। बोली हाय राज्जा बडा जालिम है तुम्हारा लौंडा। किसी कुंवारी छोकरी को चोदोगे तो वो तो मर ही जाएगी। संभल कर चोदना।”
छोटे ठाकुर उसकी चूचियों को दबाते हुए धीरे धीरे लण्ड चूत में अन्दर बाहर करने लगा। चूत तो इसकी भी टाईट लग रही थी। जैसे ठकुराइन भाभी ने सिखाया था वैसे ही लण्ड को पूरा बाहर निकाल कर दोबारा झटके से अन्दर डाल रहा था। जैसे जैसे उसकी मस्ती बढने लगी वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर छोटे ठाकुर के हर शॉट का जवाब देने लगी। उसने धीरे धीरे अपनी रफ्तार तेज की और उसी हिसाब से वो भी तेजी से चूतड़ उछाल उछाल कर जवाब देने लगी। कन्धे पर टांग रखी होने की वजह से उसकी चूत पूरी फैल गई थी और छोटे ठाकुर का लण्ड सटासट उसकी चूत में पूरा का पूरा अन्दर बाहर हो रहा था। लम्बी चुदाई से उसकी चूत पानी छोड रही थी और ढीली सी लग रही थी। इस लिए थोड़ी तक इस आसन में चोदने के बाद छोटे ठाकुर ने आशा की टांगें नीचे कर दीं और उसके ऊपर लम्बा होकर चोदने लगा। अब उसकी चूत थोड़ी कस गई और लण्ड घर्षण के साथ अन्दर बाहर होने लगा जिससे मजा दोगुना हो गया। अब आशा ने छोटे ठाकुर की गर्दन में बांहें डाल कर सिर नीचे किया और अपनी चूची को उसके मुंह में देकर चुसाने लगी। सच आशा की चूचियां तो भाभी से भी ज्यादा रसीली और मजेदार थी। आशा साथ साथ मुझे बढावा भी दे रही थी।
“चूस जोर जोर से ले चोद ले छोटे राज्जा ठाकुर चोद ले। चार ही दिन की तो जव्वानी है। मेरा सारा बदन तुम्हारे हवाले है। जी भर कर मजे ले लो। हाय राज्जा क्या मस्त लौंडा है तुम्हारा। पहले पता होता तो कब की चुदवा चुकी होती तुमसे।”
छोटे ठाकुर की भी सांसें फूल रही थी। पर पिछली दो रातों की चुदाई की वजह से लण्ड झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। आशा अब तक तीन बार झड़ चुकी थी पर छोटे ठाकुर के लण्ड की ताकत देख कर हैरान थी। छोटे ठाकुर ने सुस्ताने के खयाल से अपनी रफ्तार थोड़ी धीमी कर दी और उसकी चूचियो पर सिर रख लिया। कुछ देर तक उन्हें यूंही पड़े देख आशा उठ कर छोटे ठाकुर के बगल में ही चौपाया बन गई और बोली –
“आओ छोटे राज्जा अब पीछे से चोदो मेरी।”
छोटे ठाकुर उठ कर आशा के पीछे आया और लण्ड पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसके उभरे उभरे चूतडों को देखकर छोटे ठाकुर का लण्ड टन्ना रहा था। जॉघों के आसपास रगडते फूले हुए चूतड़ मखमली गद्दों जैसे लग रहे थे। छोटे ठाकुर ने उसे बिस्तर पर अपने पास लिटा लिया और फिर से दबोच कर चूचियों का मजा लेने लगा। वो भी लण्ड को पकड कर हिलाने लगी।
“अच्छा तो ये हो रहा है ।”
-दरवाजे पर से ठकुराइन की आवाज आई।
दोंनो चौंके़।
चुदाई की मस्ती में ठकुराइन भाभी का खयाल ही दिमाग से उतर गया था। भाभी उनके पास आई और आशा के चूतड़ों पर चपत जमाती हुई बोली साली-
“मैं वहां रसोई में तेरा इन्तजार कर रही हूं कि आकर तू काम पूरा करे और यहां तू टांगे उठा कर लण्ड खा रही है। और तुम भी छोटे देवर राजा बडे बेसब्र हो। मैंने कहा था ना कि मैं आशा से बात करूंगी। पर तुमने तो चोद भी डाली।”
छोटे ठाकुर ने बड़ी ठकुराइन को पकड़ कर बिस्तर पर अपने पास ही गिरा लिया और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं थामकर दबाते हुए बोला –
“आओ ना भाभी। बडी मस्त चीज है ये। अब हम सब साथ साथ मजे लेंगे।”
ठकुराइन ने बगल में ही चौपाया बनी आशा की चूचियों को पकड़कर सहलाते हुए कहा
-“हाँ है तो वाकई मस्त माल। चल तेरी हसरत पूरी हो गयी और आगे के लिए भी रास्ता साफ हो गया।”
आशा बोली-
“अरे भाभी इसे क्या खिलाती हो मैं तीन बार झड़ चुकी हूं साला झड़ने का नाम नहीं ले रहा है। अब आप ही सम्भालो इसे।
इतना कह आशा ठकुराइन से चिपट गई। छोटे ठाकुर के साथ मिल कर ठकुराइन को पूरा नंगा कर दिया। फिर आशा भी अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई। आशा उस दिन अपने घर नहीं गई क्योंकि उसके मॉ बाप बिल्लू और बेला दोनों ही तो ठाकुर साहब के साथ शिकार पर गये थे और घर पर कोई नहीं था सो वो छोटे ठाकुर और बड़ी ठकुराइन साथ जवानी का खेल खेलती रही। हर तरह से चुदाई की। पूरे घर में छोटे ठाकुर ने बड़ी ठकुराइन और आशा की चूतों की धुनाई की। कभी किचन में कभी ड्राइंग रूम में साथ साथ नहाते हुए ।
“नखरे क्यों दिखाती है साली। तू ही तो सबको कहानी सुनाना चाहती थी रानी एक पकड़ तेरे साथ भी हो जाए। फिर तू सुनाना कहानी सबको। चुदा ले जब मन हो रहा है क्यों मन मार रही है। अरे हमें नहीं देगी तो क्या अचार डालेगी चूत का। चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा ले और कुछ अपने यारों को भी दे।
आशा बोली नहीं नहीं छोड़ दो मुझे नहीं तो मैं अभी भाभी को बुलाती हूं।”
जय ठाकुर –
“बुला ले दोनों साथ ही चुदवाना मैं तो आज बिना चोदे नहीं छोड़ने वाला आशा बोली पहले एक को तो निपटा लो दोनों साथ ही चोदने की बाद में सोचना।”
–कहते हुए अपने हाथ में थमे लण्ड को धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर उसने छोटे ठाकुर का तौलिया खोल दिया और उसके 8” के फनफनाते हुआ लौंड़े को आजाद कर दिया। जय ठाकुर ने उसका ब्लाउज खींच कर खोल दिया। बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियाँ उछलकर बाहर आ गयी। फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर हाथ डालकर उसकी चिकनी चिकनी जांघों को सहलाने लगा। धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया। पर वो दोनों जांघों को कस कर दबाए हुए थी। जय उसकी चूत को ऊपर से ही कस कस कर सहलाने लगा तो उसने टॉगें फैला दी और उंगली चूत के अन्दर डाली। उंगली अन्दर होते ही वह कमर हिलाने लगी। इस से उसका पेटीकोट ऊपर हो गया। जय ने कमर पीछे करके लण्ड को उसके नंगे चूतड़ों की दरार में लगा दिया। क्या बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ थे। जय उसकी बड़ी बड़ी चूचियां हाथों में थामकर दबाते हुए लण्ड को बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ों पर रगड़ने लगा़।
“क्यों रानी कैसा लग रहा है अब तो चुदाओगी ।”
-जय ठाकुर ने हाथों में थमी बड़ी बड़ी चूचियां के निपल मसलते हुए लण्ड को बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ों पर रगड़ते हुए पूछा।
“हाय बहुत मजा आ रहा है।”
उसने अपना हाथ पीछे करके छोटे ठाकुर के लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली –
“हाय ठाकुर इतना मोटा लण्ड। कौन इस से चुदाने से इन्कार कर सकता है। चुदाना नहीं होता तो इतना हंगामा क्यों करती। चलो मुझे सीधी होने दो।”
–कहते हुए वह चित्त लेट गई।
अब वो दोनो अगल बगल लेटे थे। जय ठाकुर ने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा दी और लण्ड को उसकी जांघ पर रगड़ते हुए चूचियों को चूसने लगा। पत्थर की जैसी सख्त थी उसकी चूचियाँ। एक हाथ से उसकी चूची दबा सहला रहा था और दूसरे हाथ से नंगी नर्म चिकनी मोटी मोटी संगमरमरी जांघों को सहला नितंबों को दबा रहा था। वो ठाकुर के लण्ड को अपनी जांघों के बीच में दबा कर मसल रही थी। जब हम दोनो पूरी तरह जोश में आ गए तब आशा बोली –
“अब और मत तड़पाओ ठाकुर राज्जा। अब तो चोद दो।”
छोटे ठाकुर ने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से ऊपर उठा कर चूत को पूरा नंगा कर दिया। वो बोली “अरे कपड़े तो उतार लेने दो।”
जय ठाकुर बोला-
“नहीं तुझे अधनंगी देख कर जोश और डबल हो गया है। इसलिए पहली पकड़ तो कपडों के साथ ही होगी।”
फिर छोटे ठाकुर ने उसकी टांगें अपने कन्धें पर रखीं और उसने लण्ड पकड कर अपनी चूत के मुंह पर रख लिया और बोली –
“आजा राजा। शुरू हो जा।”
छोटे ठाकुर ने कमर आगे करके जोर का धक्का दिया और आधा लण्ड दनदनाता हुआ उसकी चूत में धंस गया। वो बोली
“हाय छोटे राज्जा ठाकुर जीयो। क्या शॉट लगाया है।”
छोटे ठाकुर ने उसकी सख्त चूचियों को पकड कर मसलते हुए दूसरा करारा शॉट लगाया और मेरा बचा हुआ लौंडा भी जड तक उसकी चूत में धंस गया। उसकी आह निकल गई। बोली हाय राज्जा बडा जालिम है तुम्हारा लौंडा। किसी कुंवारी छोकरी को चोदोगे तो वो तो मर ही जाएगी। संभल कर चोदना।”
छोटे ठाकुर उसकी चूचियों को दबाते हुए धीरे धीरे लण्ड चूत में अन्दर बाहर करने लगा। चूत तो इसकी भी टाईट लग रही थी। जैसे ठकुराइन भाभी ने सिखाया था वैसे ही लण्ड को पूरा बाहर निकाल कर दोबारा झटके से अन्दर डाल रहा था। जैसे जैसे उसकी मस्ती बढने लगी वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर छोटे ठाकुर के हर शॉट का जवाब देने लगी। उसने धीरे धीरे अपनी रफ्तार तेज की और उसी हिसाब से वो भी तेजी से चूतड़ उछाल उछाल कर जवाब देने लगी। कन्धे पर टांग रखी होने की वजह से उसकी चूत पूरी फैल गई थी और छोटे ठाकुर का लण्ड सटासट उसकी चूत में पूरा का पूरा अन्दर बाहर हो रहा था। लम्बी चुदाई से उसकी चूत पानी छोड रही थी और ढीली सी लग रही थी। इस लिए थोड़ी तक इस आसन में चोदने के बाद छोटे ठाकुर ने आशा की टांगें नीचे कर दीं और उसके ऊपर लम्बा होकर चोदने लगा। अब उसकी चूत थोड़ी कस गई और लण्ड घर्षण के साथ अन्दर बाहर होने लगा जिससे मजा दोगुना हो गया। अब आशा ने छोटे ठाकुर की गर्दन में बांहें डाल कर सिर नीचे किया और अपनी चूची को उसके मुंह में देकर चुसाने लगी। सच आशा की चूचियां तो भाभी से भी ज्यादा रसीली और मजेदार थी। आशा साथ साथ मुझे बढावा भी दे रही थी।
“चूस जोर जोर से ले चोद ले छोटे राज्जा ठाकुर चोद ले। चार ही दिन की तो जव्वानी है। मेरा सारा बदन तुम्हारे हवाले है। जी भर कर मजे ले लो। हाय राज्जा क्या मस्त लौंडा है तुम्हारा। पहले पता होता तो कब की चुदवा चुकी होती तुमसे।”
छोटे ठाकुर की भी सांसें फूल रही थी। पर पिछली दो रातों की चुदाई की वजह से लण्ड झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। आशा अब तक तीन बार झड़ चुकी थी पर छोटे ठाकुर के लण्ड की ताकत देख कर हैरान थी। छोटे ठाकुर ने सुस्ताने के खयाल से अपनी रफ्तार थोड़ी धीमी कर दी और उसकी चूचियो पर सिर रख लिया। कुछ देर तक उन्हें यूंही पड़े देख आशा उठ कर छोटे ठाकुर के बगल में ही चौपाया बन गई और बोली –
“आओ छोटे राज्जा अब पीछे से चोदो मेरी।”
छोटे ठाकुर उठ कर आशा के पीछे आया और लण्ड पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसके उभरे उभरे चूतडों को देखकर छोटे ठाकुर का लण्ड टन्ना रहा था। जॉघों के आसपास रगडते फूले हुए चूतड़ मखमली गद्दों जैसे लग रहे थे। छोटे ठाकुर ने उसे बिस्तर पर अपने पास लिटा लिया और फिर से दबोच कर चूचियों का मजा लेने लगा। वो भी लण्ड को पकड कर हिलाने लगी।
“अच्छा तो ये हो रहा है ।”
-दरवाजे पर से ठकुराइन की आवाज आई।
दोंनो चौंके़।
चुदाई की मस्ती में ठकुराइन भाभी का खयाल ही दिमाग से उतर गया था। भाभी उनके पास आई और आशा के चूतड़ों पर चपत जमाती हुई बोली साली-
“मैं वहां रसोई में तेरा इन्तजार कर रही हूं कि आकर तू काम पूरा करे और यहां तू टांगे उठा कर लण्ड खा रही है। और तुम भी छोटे देवर राजा बडे बेसब्र हो। मैंने कहा था ना कि मैं आशा से बात करूंगी। पर तुमने तो चोद भी डाली।”
छोटे ठाकुर ने बड़ी ठकुराइन को पकड़ कर बिस्तर पर अपने पास ही गिरा लिया और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं थामकर दबाते हुए बोला –
“आओ ना भाभी। बडी मस्त चीज है ये। अब हम सब साथ साथ मजे लेंगे।”
ठकुराइन ने बगल में ही चौपाया बनी आशा की चूचियों को पकड़कर सहलाते हुए कहा
-“हाँ है तो वाकई मस्त माल। चल तेरी हसरत पूरी हो गयी और आगे के लिए भी रास्ता साफ हो गया।”
आशा बोली-
“अरे भाभी इसे क्या खिलाती हो मैं तीन बार झड़ चुकी हूं साला झड़ने का नाम नहीं ले रहा है। अब आप ही सम्भालो इसे।
इतना कह आशा ठकुराइन से चिपट गई। छोटे ठाकुर के साथ मिल कर ठकुराइन को पूरा नंगा कर दिया। फिर आशा भी अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई। आशा उस दिन अपने घर नहीं गई क्योंकि उसके मॉ बाप बिल्लू और बेला दोनों ही तो ठाकुर साहब के साथ शिकार पर गये थे और घर पर कोई नहीं था सो वो छोटे ठाकुर और बड़ी ठकुराइन साथ जवानी का खेल खेलती रही। हर तरह से चुदाई की। पूरे घर में छोटे ठाकुर ने बड़ी ठकुराइन और आशा की चूतों की धुनाई की। कभी किचन में कभी ड्राइंग रूम में साथ साथ नहाते हुए ।